विषयसूची:
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1.प्रधानमंत्री ने B-20 शिखर सम्मेलन भारत 2023 को संबोधित किया:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: B-20, G-20
मुख्य परीक्षा: B-20 शिखर सम्मेलन के महत्व को रेखांकित कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 27 अगस्त 2023 को नई दिल्ली में B-20 शिखर सम्मेलन भारत 2023 को संबोधित किया।
उद्देश्य:
- B-20 शिखर सम्मेलन भारत विश्व भर के नीति निर्माताओं, व्यापारिक नेताओं और विशेषज्ञों को B-20 भारत विज्ञप्ति पर विचार-विमर्श और चर्चा करने के लिए एकजुट करता है।
- B-20 भारत विज्ञप्ति में G-20 को प्रस्तुत करने के लिए 54 अनुशंसायें और 172 नीतिगत कार्रवाइयां शामिल हैं।
विवरण:
- प्रधानमंत्री ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, 23 अगस्त को चंद्रयान मिशन की सफल लैंडिंग के बाद समारोह मनाने के क्षण को रेखांकित किया।
- B-20 की विषयवस्तु ‘आर.ए.आई.एस.ई’ की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भले ही ‘आई’ नवोन्मेषण का प्रतिनिधित्व करता है, लेकिन वह इनक्लूसिवनेस (समावेशिता) के एक और ‘आई’ को चित्रित करता है।
- उन्होंने बताया कि G-20 में स्थायी सीटों के लिए अफ्रीकी संघ को आमंत्रित करते समय समान दृष्टिकोण लागू किया गया है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि B-20 में भी अफ्रीका के आर्थिक विकास की पहचान फोकस क्षेत्र के रूप में की गई है।
- प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत का मानना है कि इस मंच के समावेशी दृष्टिकोण का इस समूह पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा।
- उन्होंने कहा कि यहां लिए गए निर्णयों की सफलताओं का वैश्विक आर्थिक चुनौतियों से निपटने और सतत विकास का सृजन करने पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा।
- वैश्विक व्यवसाय समुदाय के लिए भारत के साथ साझेदारी के आकर्षण पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत के युवा प्रतिभा पूल और इसकी डिजिटल क्रांति का उल्लेख किया।
- कोविड-19 महामारी की शुरुआत के साथ जीवन में आए परिवर्तनों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधानों के अपरिवर्तनीय बदलाव का उल्लेख किया।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता, जो तब अस्तित्वहीन हो गया था जब विश्व को इसकी सबसे अधिक आवश्यकता थी पर प्रश्न उठाते हुए, विश्व में एक विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करने में भारत की स्थिति को रेखांकित किया और वैश्विक व्यवसायों के योगदान पर जोर दिया।
- B-20 G-20 देशों के व्यवसायों के बीच एक मजबूत मंच के रूप में उभरा है, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
- उन्होंने वैश्विक व्यापार को आगे बढ़ने के लिए कहा क्योंकि स्थिरता, अपने आप में, एक अवसर के साथ-साथ एक व्यवसाय मॉडल भी है।
- उन्होंने पोषक अनाजों, जो एक सुपरफूड, पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ छोटे किसानों के लिए भी अच्छा है, जो इसे अर्थव्यवस्था और जीवन शैली दोनों के दृष्टिकोण से एक समग्र लाभकारी मॉडल बनाता है, का उदाहरण देते हुए इसकी व्याख्या की।
- उन्होंने चक्रीय अर्थव्यवस्था और हरित ऊर्जा का भी उल्लेख किया।
- विश्व को साथ लेकर चलने का भारत का दृष्टिकोण अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे कदमों में दिखाई देता है।
पृष्ठ्भूमि:
- बिजनेस 20 (B-20) वैश्विक व्यापार समुदाय के साथ आधिकारिक G-20 संवाद मंच है। 2010 में स्थापित, B-20 G-20 में सबसे प्रमुख सहयोग समूहों में से एक है, जिसमें कंपनियां और व्यावसायिक संगठन प्रतिभागियों के रूप में हैं।
- B-20 आर्थिक वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने के लिए ठोस कार्रवाई योग्य नीतिगत अनुशंसायें देने का काम करता है।
- तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन 25 से 27 अगस्त तक आयोजित किया जा रहा है। इसकी विषयवस्तु आर.ए.आई.एस.ई – उत्तरदायित्व, त्वरित, नवोन्मेषी, दीर्घकालीन और न्यायसंगत व्यवसाय है।
- इसमें लगभग 55 देशों के 1,500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
2. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने मिशन के उद्देश्यों को पूरा करना शुरू कर दिया है:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: चंद्रयान-3 मिशन, विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर।
मुख्य परीक्षा: चंद्रयान-3 मिशन के तहत विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने निश्चित कार्यक्रम के अनुसार मिशन के उद्देश्यों को पूरा करना शुरू कर दिया है। लेकिन यह अभी शरुआत है। इसरो के भावी अंतरिक्ष मिशनों पर इसका क्या प्रभाव होगा। टिप्पणी कीजिए।
प्रसंग:
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने निश्चित कार्यक्रम के अनुसार मिशन के उद्देश्यों को पूरा करना शुरू कर दिया है।
उद्देश्य:
- चंद्रयान-3 मिशन से चंद्रमा के वायुमंडल, मिट्टी, खनिज आदि के बारे में जानकारी भेजने की आशा है, जो दुनिया भर के वैज्ञानिक समुदाय के लिए अपनी तरह का पहला और आने वाले समय में दूरगामी प्रभाव वाला हो सकता है।
- चंद्रयान-3 पर विज्ञान पेलोड का मुख्य ध्यान चंद्रमा की सतह की विशेषताओं का एक एकीकृत मूल्यांकन प्रदान करना है, जिसमें चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी (रेगोलिथ) के साथ ही चंद्रमा की सतह के तापीय गुण और उसकी सतह के निकट प्लाज्मा वातावरण के तत्व शामिल हैं।
- यह चंद्रमा की भूकंपीय गतिविधियों और चंद्रमा की सतह पर उल्का पिंडों के प्रभाव का भी आकलन करेगा।
विवरण:
- चंद्रमा की सतह के निकट पर्यावरण की मूल-भूत समझ और अन्वेषणों के लिए भविष्य में चंद्र आवास विकास करने के लिए ये सभी आवश्यक हैं।
- विक्रम लैंडर में सिस्मोमीटर चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण (ILSA), चंद्र सरफेस थर्मो-फिजिकल एक्सपेरिमेंट, लैंगमुइर प्रोब (RAMBHA-LP) और एक लेजर रेट्रोरेफ्लेक्टर ऐरे पेलोड है और प्रज्ञान रोवर में अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) और लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) पेलोड है।
- इन सभी पेलोड के 24 अगस्त 2023 से मिशन के अंत तक निरंतर संचालन की योजना बनाई गई है।
- चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण (ILSA) चंद्र भूकंपीय गतिविधियों के साथ-साथ चंद्रमा की सतह पर प्रभाव डालने वाले उल्का पिंडों का निरंतर अवलोकन करेगा।
- चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण चंद्रमा के उच्च अक्षांशों पर चंद्रमा की सतह पर कंपन का अध्ययन करने के लिए भेजा गया पहला भूकंपमापी है।
- ये माप हमें उल्कापिंड के प्रभाव और भूकंपीय गतिविधियों से संभावित खतरों की आवृत्ति को समझकर भविष्य के आवास विकास की योजना बनाने में सहायता करेंगे।
- चंद्र सरफेस थर्मो-फिजिकल एक्सपेरिमेंट विक्रम लैंडर पर लगाया गया एक अन्य प्रमुख उपकरण है।
- चंद्र सरफेस थर्मो-फिजिकल एक्सपेरिमेंट पर लगे दस उच्च परिशुद्धता तापीय सेंसर, तापमान भिन्नता का अध्ययन करने के लिए चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी में खुदाई करेंगे।
- चंद्र सरफेस थर्मो-फिजिकल एक्सपेरिमेंट चंद्र सतह के पहले 10 सेन्टी मीटर के थर्मोफिजिकल गुणों का अध्ययन करने वाला पहला प्रयोग है।
- चंद्रमा के दिन और रात के दौरान चंद्रमा की सतह के तापमान में काफी परिवर्तन होता है। स्थानीय मध्यरात्रि के आसपास न्यूनतम तापमान -100 ℃ या इससे कम और स्थानीय दोपहर के आसपास 100℃ या इससे अधिक होता है।
- चंद्रमा की ऊपरी छिद्रपूर्ण मिट्टी (लगभग 5 से 20 मीटर की मोटाई वाली) के एक उत्कृष्ट इन्सुलेटर होने की उम्मीद है।
- इस इन्सुलेशन गुण और हवा की अनुपस्थिति के कारण, रेगोलिथ की ऊपरी सतह और आंतरिक भाग के बीच बहुत महत्वपूर्ण तापमान अंतर होने की संभावना है।
- रेगोलिथ का कम घनत्व और उच्च थर्मल इन्सुलेशन भविष्य के आवासों के लिए बुनियादी निर्माण खंड के रूप में इसकी क्षमता को बढ़ाता है, जबकि जीवित रहने के लिए तापमान भिन्नता की विस्तृत श्रृंखला का आकलन महत्वपूर्ण है।
- लैंगमुइर जांच द्वारा चंद्रमा के निकट की सतह पर प्लाज्मा और इसकी समय भिन्नता का अध्ययन किया जाएगा।
- रंभा-एलपी निकट-सतह प्लाज्मा और चंद्रमा के उच्च अक्षांश में इसकी दैनिक भिन्नता का पहला वास्तविक अवलोकन होगा, जहां सूर्य का ऊंचाई कोण कम है।
- ये भविष्य के मानव मिशनों के लिए चंद्रमा की सतह पर चार्जिंग का आकलन करने में सहायता करेंगे।
- प्रज्ञान रोवर पर लगे अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) और लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (LIBS) रोवर ट्रैक के साथ स्टॉप-पॉइंट्स (लगभग 4.5 घंटे में एक बार) पर चंद्रमा की सतह के तत्वों की माप करेंगे।ये उच्च अक्षांशों में चंद्रमा की सतह की मौलिक संरचना का पहला स्वस्थानी अध्ययन है।
- ये माप संभावित सतही मौलिक रचनाओं के बारे में अनुमान लगा सकते हैं जो भविष्य में आत्मनिर्भर आवास विकास के लिए सहायक होंगे।
- लैंडर और रोवर पर लगे जांच उपकरणों के अलावा, चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा की प्रणोदन कक्षा में रहने योग्य ग्रह पृथ्वी (SHAPE) की स्पेक्ट्रोपोलरिमेट्री ले जाता है।
- यह भविष्य में पृथ्वी जैसे एक्सोप्लैनेट की पहचान करने में सहायता करेगा। प्रारंभिक विश्लेषण और समेकन के बाद डेटा विद्यार्थियों और आम जनता के लिए उपलब्ध कराया जाएगा।
- हालांकि लैंडर और रोवर मिशन का जीवन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर एक चंद्रमा दिवस तक चलने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसके बाद विक्रम और प्रज्ञान हाइबरनेशन में चले जाएंगे।
- इसरो वैज्ञानिकों ने कहा कि चंद्रमा की एक रात या 14 पृथ्वी दिनों के बाद, यदि दोनों रात के अत्यधिक ठंडे तापमान से बच गए तो फिर से बची हुई बैटरी और सौर पैनलों को शुरु करने की कोशिश की जाएगी।
- इस बीच, इसरो सितंबर के पहले सप्ताह तक 7 पेलोड (उपकरण) के साथ ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) XL का उपयोग करके आदित्य-L-1 मिशन के प्रक्षेपण की तैयारी कर रहा है।
- आदित्य L-1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष-आधारित भारतीय मिशन होगा।
- अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु-1 (L-1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है।
- L-1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में रखे गए उपग्रह को बिना किसी ग्रहण के सूर्य को लगातार देखने का प्रमुख लाभ होता है।
- अंतरिक्ष में भारत का पहला मानव युक्त मिशन गगनयान, इसरो के सामने अगली बड़ी परियोजना होगी।
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि “किसी मानव को भेजने से पहले हमारे पास कम से कम दो मिशन होंगे।
- हमारा पहला मिशन संभवतः सितंबर या अगले साल की शुरुआत में होगा, जहां कुछ घंटों के लिए हम एक खाली अंतरिक्ष यान भेजेंगे जो ऊपर जाएगा और पानी में वापस आएगा।
- यह यान यह देखने के लिए जाएगा कि क्या हम बिना किसी नुकसान के इसकी सुरक्षित वापसी को नियंत्रित करने में सक्षम हैं।
- यदि वह सफल रहा तो हम अगले वर्ष व्योम मित्र नामक रोबोट भेजकर दूसरा परीक्षण करेंगे, और अगर वह भी सफल रहा तो हम अंतिम मिशन भेजेंगे, जो मानव मिशन होगा।
- यह संभवतः वर्ष 2024 की दूसरी छमाही में हो सकता है। शुरुआत में हमने 2022 के लिए इसकी योजना बनाई थी, लेकिन कोविड के कारण इसमें देरी हो गई है।”
- वर्ष 2013 तक, प्रति वर्ष औसतन लगभग 3 प्रक्षेपण के साथ 40 प्रक्षेपण वाहन मिशन पूरे किए गए। पिछले 9 वर्षों में 53 प्रक्षेपण यान मिशनों के साथ प्रति वर्ष औसतन 6 प्रक्षेपणों के साथ यह दोगुना हो गया है।
- ”इसरो ने 2013 तक 35 विदेशी उपग्रह पक्षेपित किए थे। पिछले 9 वर्षों में इसमें तेजी से वृद्धि देखी गई है और 400 विदेशी उपग्रह प्रक्षेपित किए गए।
- भारत ने पिछले 9 वर्षों में महत्वपूर्ण और नागरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली स्थापित की है।
- अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों की शुरुआत से भारतीय निजी व्यवसाइयों के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र आसानी से सुलभ हो गया और सभी हितधारकों को शामिल करते हुए एक व्यापक भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 जारी की गई।
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग के सजीव प्रसारण में देखी गई भारी रुचि को देखते हुए इसरो अगले महीने देश भर में जागरूकता अभियान शुरू करेगा, जिसमें विद्यार्थियों और आम लोगों को शामिल किया जाएगा।
3. बासमती चावल के रूप में गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को रोकने के लिए अधिक उपायों की शुरुआत:
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि:
विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता; न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)।
मुख्य परीक्षा: गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को रोकने के लिए किये गए उपायों पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- केंद्र सरकार घरेलू मूल्यों को नियंत्रित करने और घरेलू खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चावल के निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है। इस संदर्भ में 20 जुलाई,2023 से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया।
उद्देश्य:
- गलत वर्गीकरण के माध्यम से बासमती चावल के रूप में गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात को रोकने के लिए अधिक उपायों की शुरुआत की गई।
विवरण:
- यह देखा गया है कि निर्धारित किस्मों पर प्रतिबंध के बावजूद वर्तमान वर्ष के दौरान चावल का निर्यात अधिक रहा है।
- 17 अगस्त 2023 तक चावल का कुल निर्यात (टूटे हुए चावल को छोड़कर, जिसका निर्यात निषिद्ध है) पिछले वर्ष की इसी अवधि के 6.37 MMT की तुलना में 7.33 MMT रहा और इसमें 15.06 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
- उबले हुए चावल और बासमती चावल के निर्यात में भी तेजी देखी गई है। इन दोनों किस्मों के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया था।
- उबले हुए चावल के निर्यात में 21.18 प्रतिशत बढ़ा है, वहीं बासमती चावल के निर्यात में 9.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात, जिसमें 9 सितंबर,2022 से 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया था और 20 जुलाई, 2023 से निषिद्ध कर दिया गया है, में भी 4.36 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, एशियाई देशों से खरीदारों की मजबूत मांग, थाईलैंड जैसे कुछ प्रमुख उत्पादक देशों में 2022-23 में दर्ज उत्पादन व्यवधान और अल नीनो की शुरुआत के संभावित प्रतिकूल प्रभाव की आशंका के कारण, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चावल की कीमतें पिछले साल से लगातार बढ़ रही हैं।
- FAO चावल मूल्य सूचकांक जुलाई 2023 में 129.7 अंक तक पहुंच गया,यह सितंबर 2011 के बाद से उच्चतम स्तर था।
- गत वर्ष के स्तर के मुकाबले इसमें 19.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
- भारतीय चावल की कीमतों के अभी भी अंतर्राष्ट्रीय कीमतों से कम होने के कारण भारतीय चावल की मजबूत मांग रही है, जिसके परिणामस्वरूप 2021-22 और 2022-23 के दौरान इसका रिकॉर्ड निर्यात हुआ है।
- सरकार को गैर-बासमती सफेद चावल के गलत वर्गीकरण और अवैध निर्यात के संबंध में विश्वसनीय जमीनी रिपोर्टें प्राप्त हुई हैं, जिनके निर्यात पर 20 जुलाई, 2023 से रोक लगा दी गई है।
- गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात उबला हुआ चावल और बासमती चावल के HS कोड के तहत करने की जानकारी प्राप्त हुई है।
- कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) बासमती चावल के निर्यात के नियमन के लिए उत्तरदायी है और इसके लिए पहले से ही एक वेब-आधारित प्रणाली मौजूद है, इसलिए सरकार ने बासमती चावल के नाम पर सफेद गैर-बासमती चावल के संभावित अवैध निर्यात को रोकने के लिए अधिक उपाय शुरू करने के लिए एपीडा को निम्नलिखित निर्देश जारी किए हैं।
- केवल 1200 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन और उससे अधिक मूल्य के बासमती निर्यात के लिए अनुबंधों को पंजीकरण-सह-आवंटन प्रमाण पत्र (RCAC) जारी करने के लिए पंजीकृत किया जाना चाहिए।
- 1200 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन से कम मूल्य वाले निविदाओं को स्थगित रखा जा सकता है और मूल्यों में अंतर और गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात के लिए इस मार्ग के उपयोग को समझने के लिए एपीडा के अध्यक्ष द्वारा गठित की जाने वाली समिति द्वारा इनका मूल्यांकन किया जा सकता है।
- यह उल्लेख किया गया है कि चालू माह के दौरान 1214 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन के औसत निर्यात मूल्य की पृष्ठभूमि में न्यूनतम अनुबंध मूल्य 359 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन के साथ निर्यात किए जा रहे बासमती के अनुबंध मूल्य में काफी अंतर है।
- समिति एक महीने की अवधि में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करे, जिसके बाद बासमती के कम मूल्य के निर्यात पर निर्णय उद्योग जगत द्वारा उचित रूप से लिया जा सकता है।
- एपीडा को इस मामले के बारे में उन्हें संवेदनशील बनाने के लिए व्यापार जगत के साथ परामर्श करना चाहिए और गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात के लिए इस प्रकार के किसी भी उपयोग को रोकने के लिए उनके साथ कार्य करना चाहिए।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- एक्सरसाइज ब्राइट स्टार-23:
- मिस्र के काहिरा (पश्चिम) एयर बेस में 27 अगस्त से 16 सितम्बर, 2023 तक आयोजित होने वाले द्विवार्षिक बहुपक्षीय त्रि-सेवा एक्सरसाइज ब्राइट स्टार-23 में भाग लेने के लिए भारतीय वायु सेना (IAF) की एक टुकड़ी ने प्रस्थान किया।
- भारतीय वायु सेना इस एक्सरसाइज ब्राइट स्टार-23 आयोजन में पहली बार भाग ले रही है जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, ग्रीस और कतर की वायु सेना की टुकड़ियों की भी भागीदारी होगी।
- भारतीय वायु सेना के सैन्य दल में पांच मिग-29, दो IL-78, दो C-130 और दो C-17 विमान शामिल होंगे।
- इस अभ्यास में भारतीय वायु सेना के गरुड़ विशेष बल व नंबर 28, 77, 78 और 81 स्क्वाड्रन के कर्मी भाग लेंगे।
- भारतीय वायु सेना (IAF) के परिवहन विमान द्वारा भारतीय सेना के लगभग 150 कर्मियों को एयरलिफ्ट भी किया जाएगा।
- इस अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त अभियानों की अभ्यास योजना को कार्य रूप में लागू करना है।
- बॉर्डर के दोनो तरफ के बीच आपसी संबंधों को बनाने के अलावा, इस तरह की बातचीत भाग लेने वाले देशों के बीच रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने का साधन भी प्रदान करती है।
- भारतीय वायुसेना की टुकड़ियों द्वारा विदेश में उड़ान अभ्यास किसी भी तरह से राजनयिकों द्वारा फ्लाइट सूट्स में यात्रा से कम नहीं है।
- भारत और मिस्र के बीच असाधारण संबंध और गहन सहयोग रहा है, जिसमें दोनों देशों ने वर्ष 1960 में संयुक्त रूप से ऐरो-इंजन और विमान का विकास किया था और मिस्र के विमान चालकों को प्रशिक्षण भारतीय वायु सेना द्वारा दिया गया था।
- दोनों देशों के वायु सेना प्रमुखों और भारत के रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री की हाल की मिस्र की यात्राओं से दोनों सभ्यता वाले दोनों देशों के बीच संबंध और अधिक मजबूत हुए हैं।
- दोनों देशों ने अपने सशस्त्र बलों के बीच नियमित अभ्यास के साथ अपने संयुक्त प्रशिक्षण को भी बढ़ावा दिया है।
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