विषयसूची:
|
1. ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई)’ के कार्यान्वयन के नौ वर्ष पूर्ण:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई)’।
मुख्य परीक्षा: ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई)’ के कार्यान्वयन के नौ वर्ष पूर्ण होने पर इसकी उपलब्धियों और कमियों की समीक्षा कीजिए।
प्रसंग:
- ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई)’ – वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय मिशन के सफल कार्यान्वयन के 28 अगस्त 2023 को नौ वर्ष को पूर्ण हो गए हैं।
उद्देश्य:
- दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में इसे भी शामिल किए जाने के मद्देनजर वित्त मंत्रालय वित्तीय समावेशन आधारित अपने उपायों के जरिए हाशिये पर पड़े और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को वित्तीय समावेशन एवं आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।
- वित्तीय समावेशन के जरिए गरीबों की बचत राशि को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में शामिल किया जाता है और यह गांवों में रह रहे उनके परिवारों को धन प्रेषण का अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा यह उन्हें सूदखोर साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालता है।
- वित्तीय समावेशन (FI) के तहत समान और समावेशी विकास के साथ-साथ समाज के उन असुरक्षित समूहों जैसे कि निम्न-आय समूहों और कमजोर वर्गों को किफायती लागत पर वित्तीय सेवाएं मुहैया कराने को बढ़ावा दिया जाता है जिनकी बुनियादी बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच नहीं होती है।
विवरण:
योजना के प्रमुख पहलुओं और उपलब्धियों पर एक नजर:
- पृष्ठभूमि:
- प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय मिशन है, जिसके तहत किफायती तरीके से बैंकिंग/बचत और जमा खातों, धन प्रेषण, ऋण, बीमा, पेंशन जैसी वित्तीय सेवाओं तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित की जा रही है।
- उद्देश्य:
- किफायती मूल्य पर वित्तीय उत्पादों और सेवाओं तक लोगों की पहुंच सुनिश्चित करना
- लागत कम करने और लोगों की पहुंच बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना
- योजना के मूल सिद्धांत:
- बैंकिंग सुविधाओं से वंचित लोगों को बैंकिंग सुविधाएं मुहैया कराना – न्यूनतम कागजी कार्रवाई के साथ बुनियादी बचत बैंक जमा (बीएसबीडी) खाता खोलना, केवाईसी, ई-केवाईसी में ढील, शिविर मोड में खाता खोलना, शून्य बैलेंस और शून्य शुल्क
- असुरक्षित को सुरक्षित करना – नकद की निकासी और कारोबारी स्थलों पर भुगतान के लिए स्वदेशी डेबिट कार्ड जारी करना जिसमें 2 लाख रुपये की मुफ्त दुर्घटना बीमा कवरेज है
- वित्त से वंचित लोगों को वित्त मुहैया कराना – अन्य वित्तीय उत्पाद जैसे कि सूक्ष्म-बीमा, उपभोग के लिए ओवरड्राफ्ट, सूक्ष्म-पेंशन और सूक्ष्म-ऋण
पीएमजेडीवाई की प्रारंभिक विशेषताएं:
यह योजना निम्नलिखित 6 स्तंभों के आधार पर शुरू की गई थी:
- बैंकिंग सेवाओं तक सभी की पहुंच – शाखा और बीसी
- प्रत्येक पात्र वयस्क को 10,000/- रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ बुनियादी बचत बैंक खाते
- वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम – बचत को बढ़ावा देना, एटीएम का उपयोग, ऋण के लिए तैयार होना, बीमा एवं पेंशन का लाभ उठाना, बैंकिंग के लिए बेसिक मोबाइल फोन का उपयोग करना
- ऋण गारंटी कोष बनाना – बैंकों को डिफॉल्ट के खिलाफ कुछ गारंटी प्रदान करना
- बीमा – 15 अगस्त 2014 से 31 जनवरी 2015 के बीच खोले गए खाते पर 1,00,000 रुपये तक का दुर्घटना बीमा कवर और 30,000 रुपये का जीवन बीमा कवर।
- असंगठित क्षेत्र के लिए पेंशन योजना
पीएमजेडीवाई में अनुभव के आधार पर अपनाया गया महत्वपूर्ण दृष्टिकोण:
- खोले गए खाते अब बैंकों की कोर बैंकिंग प्रणाली में ऑनलाइन खाते हैं, जबकि पहले संबंधित वेंडर के यहां प्रौद्योगिकी लॉक-इन के साथ ऑफलाइन खाते खोले जाते थे।
- रुपे डेबिट कार्ड या ‘आधार’ पर आधारित भुगतान प्रणाली (एईपीएस) के जरिए अंतर-संचालन सुविधा।
- तय केंद्रों पर बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट्स।
- बोझिल केवाईसी औपचारिकताओं के स्थान पर सरल केवाईसी/ई-केवाईसी को लाया गया।
- नई सुविधाओं के साथ पीएमजेडीवाई की अवधि बढ़ाई गई – सरकार ने कुछ संशोधनों के साथ व्यापक पीएमजेडीवाई कार्यक्रम की अवधि को 28.8.2018 से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।
- फोकस ‘हर परिवार’ से हटाकर ‘बैंकिंग सुविधाओं से वंचित प्रत्येक वयस्क’ पर किया गया।
- पीएमजेडीवाई खातों के लिए रुपे कार्ड पर मुफ्त दुर्घटना बीमा कवर को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया।
- ओवरड्राफ्ट सुविधाओं में वृद्धि:
- ओडी सीमा को 5,000 रुपये से दोगुना कर 10,000 रुपये कर दिया गया; 2,000 रुपये तक ओडी (बिना शर्त के), ओडी के लिए अधिकतम आयु सीमा 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष की गई।
- पीएमजेडीवाई का प्रभाव:
- ‘पीएमजेडीवाई’ सही मायनों में जन-केंद्रित आर्थिक पहलों की आधारशिला रही है।
- चाहे वह प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण हो, कोविड-19 संबंधी वित्तीय सहायता, पीएम-किसान, मनरेगा के तहत बढ़ी हुई मजदूरी, जीवन और स्वास्थ्य बीमा कवर हो, इन सभी पहलों के तहत पहला कदम प्रत्येक वयस्क व्यक्ति का एक बैंक खाता खोलना है, जिसे पीएमजेडीवाई ने लगभग पूरा कर लिया है।
- मार्च 2014 से लेकर मार्च 2020 के बीच खोले गए प्रत्येक 2 खातों में से एक खाता दरअसल पीएमजेडीवाई खाता ही था।
- पूरे देश में लॉकडाउन लगाए जाने के 10 दिनों के भीतर लगभग 20 करोड़ से अधिक महिला पीएमजेडीवाई खातों में से प्रत्येक महिला पीएमजेडीवाई खाते में डीबीटी के माध्यम से तीन महीने तक प्रति माह 500 रुपये की वित्तीय सहायता जमा की गई।
- कोविड-19 महामारी के दौरान इसमें निर्बाध रूप से उल्लेखनीय तेजी देखने को मिली जिसकी बदौलत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) ने समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाया है और इसके साथ ही उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान की है।
- एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि पीएमजेडीवाई खातों के माध्यम से डीबीटी ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रत्येक रुपया इच्छित लाभार्थी तक पहुंच जाए और इस तरह से धनराशि के प्रणालीगत रिसाव या लीकेज को रोकना संभव हो गया।
- पीएमजेडीवाई ने बैंकिंग सुविधा से वंचित लोगों को बैंकिंग प्रणाली के दायरे में लाया है, भारत की वित्तीय संरचना का विस्तार किया है और लगभग हर वयस्क का वित्तीय समावेशन सुनिश्चित किया है।
पीएमजेडीवाई के तहत उपलब्धियां:
- पीएमजेडीवाई खाते:
- 9 अगस्त 2023 तक पीएमजेडीवाई खातों की कुल संख्या: 50.09 करोड़; 55.6 प्रतिशत (27.82 करोड़) जन-धन खाताधारक महिलाएं हैं और 66.7 प्रतिशत (33.45 करोड़) जन-धन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं।
- इस योजना के प्रथम वर्ष के दौरान 17.90 करोड़ पीएमजेडीवाई खाते खोले गए।
- पीएमजेडीवाई खातों में कुल जमा राशि:
- पीएमजेडीवाई खातों में कुल जमा राशि 2,03,505 करोड़ रुपये है।
- खातों की संख्या में 3.34 गुना वृद्धि के साथ जमा राशि लगभग 13 गुना बढ़ गई है।
- ई. पीएमजेडीवाई खाताधारकों को रुपे कार्ड जारी किया गया।
- पीएमजेडीवाई खाताधारकों को कुल रुपे कार्ड जारी किए गए: 33.98 करोड़।
- समय के साथ रुपे कार्ड की संख्या और उनका उपयोग बढ़ गया है।
- जन धन दर्शक ऐप (जेडीडी ऐप):
- जेडीडी ऐप एक मोबाइल एप्लिकेशन है जो कि बैंक शाखाओं, एटीएम, बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट्स (बीसी), भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक जैसे बैंकिंग टच प्वाइंट या बैंकिंग केंद्रों का पता लगाने के लिए एक नागरिक केंद्रित प्लेटफार्म प्रदान करता है।
- इस ऐप का उपयोग उन गांवों की पहचान के लिए भी किया जा रहा है, जिनके 5 किमी के दायरे में अभी भी कोई बैंकिंग आउटलेट नहीं है।
- इन प्रयासों के परिणामस्वरूप अब तक कवर नहीं किए जा सके गांवों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।
- जुलाई 2023 तक कुल 6.01 लाख गांवों की मैपिंग जेडीडी ऐप पर की गई है।
- मैपिंग किए गए कुल गांवों में से 5,99,468 (99.7प्रतिशत) को बैंकिंग आउटलेट (बैंक शाखा, बैंकिंग कॉर्नर या इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) 5 किमी के दायरे में है) से कवर कर दिया गया है।
- डीबीटी लेन-देन सुचारू ढंग से निरंतर सुनिश्चित करने की दिशा में
- बैंकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, लगभग 6.26 करोड़ पीएमजेडीवाई खाताधारकों को विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) प्राप्त होता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि पात्र लाभार्थियों को समय पर उनका डीबीटी प्राप्त हो, संबंधित विभाग डीबीटी मिशन, एनपीसीआई, बैंकों और विभिन्न अन्य मंत्रालयों के परामर्श से डीबीटी की विफलताओं के टाले जा सकने वाले कारणों का पता लगाने में अत्यंत सक्रिय भूमिका निभाता है।
- डिजिटल लेन-देन: पीएमजेडीवाई के तहत 33.98 करोड़ से भी अधिक रुपे डेबिट कार्ड जारी करने, 79.61 लाख पीओएस/एमपीओएस मशीनों की स्थापना करने और यूपीआई जैसी मोबाइल आधारित भुगतान प्रणालियों की शुरुआत होने से डिजिटल लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 1,471 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 11,394 करोड़ हो गई है।
- यूपीआई वित्तीय लेन-देन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 92 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 8,371 करोड़ हो गई है।
- इसी तरह पीओएस और ई-कॉमर्स पर रुपे कार्ड से लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 67 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 126 करोड़ हो गई है।
भावी कदम:
- सूक्ष्म बीमा योजनाओं के तहत पीएमजेडीवाई खाताधारकों की कवरेज सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा।
- पीएमजेडीवाई के पात्र खाताधारकों को पीएमजेजेबीवाई और पीएमएसबीवाई के तहत कवर करने का प्रयास किया जाएगा। बैंकों को इस बारे में पहले ही सूचित किया जा चुका है।
- पूरे भारत में स्वीकार्य बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के निर्माण के जरिए पीएमजेडीवाई खाताधारकों के बीच रुपे डेबिट कार्ड के उपयोग सहित डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया जाएगा।
- पीएमजेडीवाई खाताधारकों की पहुंच सूक्ष्म-ऋण और सूक्ष्म निवेश जैसे कि फ्लेक्सी-आवर्ती जमा, इत्यादि तक बढ़ाई जाएगी।
पृष्ठभूमि:
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस संबोधन में ‘पीएमजेडीवाई’ की घोषणा की थी।
- 28 अगस्त 2014 को इस योजना की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने इस अवसर को दरअसल गरीबों को एक दुष्चक्र से मुक्ति दिलाने का जश्न मनाने का त्योहार बताया था।
2. डीपीआईआईटी ने ‘सोलर डीसी केबल एंड फायर सर्वाइवल केबल’ और ‘कास्ट आयरन उत्पादों’ के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश अधिसूचित किए:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी -विकास एवं अनुप्रयोग और रोजमर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा:सोलर डीसी केबल और फायर सर्वाइवल केबल,कास्ट आयरन उत्पाद (क्वालिटी कंट्रोल) ऑर्डर, 2023
प्रसंग:
- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने हाल ही में 25 अगस्त, 2023 को ‘सोलर डीसी केबल एंड फायर सर्वाइवल केबल’ और ‘कास्ट आयरन उत्पादों’ के लिए 2 और नए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) अधिसूचित किए हैं, जो अधिसूचना की तिथि से छह महीने से प्रभावी होंगे।
विवरण:
- सोलर डीसी केबल और फायर सर्वाइवल केबल (क्वालिटी कंट्रोल) ऑर्डर, 2023 में फोटोवोल्टिक सिस्टम के लिए इलेक्ट्रिक केबल शामिल है जिसे मुख्य रूप से फोटोवोल्टिक सिस्टम के विभिन्न तत्वों जैसे सौर पैनल श्रेणियों के इंटरकनेक्शन के लिए उपयोग में लाया जाता है।
- इन केबलों का उपयोग चरम मौसम की स्थिति में उच्च यांत्रिक शक्ति के साथ लचीले और स्थाई प्रतिष्ठानों के लिए इनडोर और आउटडोर किया जा सकता है।
- फायर सर्वाइवल केबल को प्रत्यक्ष आग के तहत एक निर्धारित न्यूनतम अवधि के लिए उच्च तापमान को सहन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इसका उपयोग परमाणु ऊर्जा संयंत्रों, हवाई अड्डों, मेट्रो रेल, रिफाइनरियों, ऊंची इमारतों, शॉपिंग मॉल और सिनेमा थिएटरों आदि में किया जाता है।
- कास्ट आयरन उत्पाद (क्वालिटी कंट्रोल) ऑर्डर, 2023 में विभिन्न कच्चा लोहा उत्पादों जैसे मैनहोल कवर, कास्ट आयरन पाइप, मॉलेबल आयरन फिटिंग और ग्रे आयरन कास्टिंग से संबंधित मानक शामिल हैं।
- घरेलू लघु/सूक्ष्म उद्योगों के सुरक्ष के लिए, क्यूसीओ के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने और व्यापार करने में सुगमता के लिए, कास्ट आयरन उत्पाद (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश में समय-सीमा के संदर्भ में लघु/सूक्ष्म उद्योगों को छूट दी गई है।
- क्यूसीओ के कार्यान्वयन के साथ, बीआईएस अधिनियम, 2016 के अनुसार गैर-भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) प्रमाणित उत्पादों का निर्माण, भंडारण और बिक्री प्रतिबंधित हो जाएगी।
- बीआईएस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर पहले अपराध के लिए दो साल तक की कैद या कम से कम दो लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।
- दूसरी और बाद के अपराधों के मामले में, जुर्माना न्यूनतम 5 लाख रुपये तक बढ़ जाएगा और माल या वस्तुओं के मूल्य का दस गुना तक बढ़ जाएगा।
- डीपीआईआईटी अपने अधिकार क्षेत्र के तहत औद्योगिक क्षेत्रों के लिए देश में एक गुणवत्ता नियंत्रण व्यवस्था स्थापित करने के लिए एक मिशन मोड पर है।
- क्यूसीओ न केवल देश में विनिर्माण गुणवत्ता मानकों में सुधार करेंगे, बल्कि ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों के ब्रांड और मूल्य को भी बढ़ाएंगे।
- ये पहल, विकास परीक्षण प्रयोगशालाओं, उत्पाद मैनुअल, परीक्षण प्रयोगशालाओं के प्रत्यायन आदि के साथ मिलकर भारत में एक गुणवत्ता इकोसिस्टम के विकास में सहायता करेगी।
- किसी भी उत्पाद के लिए जारी मानक स्वैच्छिक अनुपालन के लिए है जब तक कि केंद्र सरकार द्वारा इसे मुख्य रूप से बीआईएस अनुरूपता मूल्यांकन विनियम, 2018 की योजना-I के तहत गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) और योजना-II के तहत अनिवार्य पंजीकरण आदेश (सीआरओ) की अधिसूचना के माध्यम से अनिवार्य बनाने के लिए अधिसूचित नहीं कर दिया जाता।
- क्यूसीओ को अधिसूचित करने का उद्देश्य घरेलू स्तर पर विनिर्मित उत्पादों की गुणवत्ता में वृद्धि करना, भारत में घटिया उत्पादों के आयात पर अंकुश लगाना, अनुचित व्यापार प्रथाओं की रोकथाम, मानव, पशु या पौधों के स्वास्थ्य की रक्षा और पर्यावरण की सुरक्षा करना है।
- डीपीआईआईटी अपने प्रमुख उत्पादों जैसे स्मार्ट मीटर, वेल्डिंग रॉड और इलेक्ट्रोड, कुकवेयर और बर्तन, अग्निशामक, इलेक्ट्रिक सीलिंग टाइप फैन और घरेलू गैस स्टोव के लिए एक गुणवत्ता नियंत्रण व्यवस्था स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- डीपीआईआईटी बीआईएस और हितधारकों के साथ निरंतर परामर्श से क्यूसीओ के कार्यान्वयन की आवश्यकता के लिए प्रमुख उत्पादों की पहचान करता रहा है। इससे 318 उत्पाद मानकों को कवर करने वाले 60 नए क्यूसीओ के विकास की शुरुआत हुई है।
- इन उत्पादों के लिए क्यूसीओ का कार्यान्वयन न केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश में विनिर्माण गुणवत्ता मानकों में भी सुधार करेगा और भारत में घटिया उत्पादों के आयात पर अंकुश लगाएगा। ये पहलें, विकास गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं, उत्पाद मैनुअल आदि के साथ मिलकर भारत में एक गुणवत्ता इकोसिस्टम के विकास में सहायता करेंगी।
- उपरोक्त पहलों के साथ, भारत सरकार का उद्देश्य भारत में अच्छी गुणवत्ता के विश्व स्तरीय उत्पादों को विकसित करना है, जिससे कि”आत्मनिर्भर भारत” के सृजन के प्रधानमंत्री के विजन को साकार किया जा सके।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.भारत की अध्यक्षता में जी20- मुख्य वैज्ञानिक सलाहकारों की दूसरी गोलमेज बैठक संपन्न, परिणाम दस्तावेज और अध्यक्ष का सारांश जारी:
- भारत की जी 20 अध्यक्षता में शेरपा ट्रैक के तहत आयोजित जी 20-मुख्य वैज्ञानिक सलाहकारों की दूसरी गोलमेज बैठक (जी20-सीएसएआर) गुजरात के गांधीनगर में सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
- इस बैठक का समापन सभी जी 20 देशों और आमंत्रित देशों की आपसी सहमति से तैयार परिणाम दस्तावेज और अध्यक्ष के सार के साथ हुआ।
- चर्चा के दौरान जिन प्राथमिकताओं वाले क्षेत्रों पर बात की गई, उनमें (क) बेहतर तरीके से बीमारियों की रोकथाम, नियंत्रण और महामारी से निपटने की तैयारियों के लिए वन हेल्थ के तहत अवसरों का लाभ उठाना (ख) वैज्ञानिक ज्ञान तक पहुंच का विस्तार करने के लिए वैश्विक प्रयासों को एकजुट करना (ग) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र में समानता, विविधता, समावेशी दृष्टिकोण एवं पहुंच के साथ ही ज्ञात एवं अज्ञात उभरती प्राथमिकताएं सुनिश्चित करना और (घ) एक समावेशी, सतत और कार्रवाई-उन्मुख वैश्विक विज्ञान सलाह तंत्र तैयार करना शामिल था।
- यह पहल एक समावेशी और सुदृढ़ वैश्विक विज्ञान सलाह तंत्र बनाने के मूल सिद्धांतों पर आधारित है, जो सबको सामूहिक और समान रूप से लाभान्वित करेगी तथा हमारे साझा विज़न को प्रतिबिंबित करेगी।
- “बीमारियों की बेहतर रोकथाम, नियंत्रण और महामारी की तैयारी के लिए ‘वन हेल्थ’ में अवसरों का लाभ उठाना” – अपनी इस थीम के अंतर्गत, जी 20 देशों ने वन हेल्थ के नजरिए से मानव, पशु, पौधों और पर्यावरण के लिए सामूहिक रूप से अंतर्निर्भर स्वास्थ्य खतरों को संबोधित करने का महत्त्व सिद्ध किया।
- इन देशों ने रोग नियंत्रण से जुड़े ज्ञान और प्रौद्योगिकियों के लिए सहयोग एवं क्षमता विकास हेतु वर्चुअल स्थान तलाशने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
- इस क्षेत्र में सहयोग को सुगम करने के लिए ‘वन हेल्थ संस्थानों’ के बीच संपर्क और निरंतर जुड़ाव की भी सिफारिश की गई।
- अपनी थीम “विद्वतापूर्ण वैज्ञानिक ज्ञान तक पहुंच का विस्तार करने के लिए वैश्विक प्रयासों का समन्वय” के अंतर्गत, जी 20 देशों ने इस बात पर विचार किया कि जी 20 सदस्य देशों के अंदर और बाहर समुदायों के लिए सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित, उपयुक्त विद्वतापूर्ण वैज्ञानिक ज्ञान तक तत्काल और सार्वभौमिक पहुंच को सुगम करने की ज़रूरत है।
- सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अनुसंधान प्रकाशनों तक तत्काल और निःशुल्क पहुंच प्रदान करने के लिए दृष्टिकोण विकसित करने का महत्त्व माना गया।
- “विज्ञान और प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम में विविधता, समानता, समावेश और पहुंच (डीईआईएंडए)” थीम के अंतर्गत, जी 20 देशों ने पारंपरिक और स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों के योगदान को स्वीकार किया।
- सांस्कृतिक रूप से प्रेरक और स्थानीय रूप से प्रासंगिक साक्ष्य-आधारित नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए इन प्रणालियों को समकालीन विज्ञान के बराबर देखा जाना चाहिए।
- चौथी थीम “एक समावेशी, निरंतर और कार्रवाई-उन्मुख वैश्विक विज्ञान सलाह तंत्र का सृजन” में आगे बढ़ने के तरीकों पर बातचीत करते हुए, जी 20 देशों ने सर्वसम्मति से तय किया कि निरंतर जुड़ाव के लिए एक मजबूत, प्रासंगिक और प्रभावी तंत्र बनाने की दिशा में काम किया जाएगा।
- जी 20 देशों का लक्ष्य आगे की चर्चाओं और विचार-विमर्श के लिए मार्ग प्रशस्त करने के लिए जी20-सीएसएआर मंच का उपयोग करना है, जहां सदस्य और अंतर्राष्ट्रीय संगठन बहु-विषयी मुद्दों पर एकजुट हो सकते हैं, दो या अधिक संगठनों को विज्ञान सलाह प्रदान करने और विभिन्न हितधारकों के बीच तालमेल बढ़ाने के लिए विज्ञान कूटनीति का उपयोग कर सकते हैं।
- भारत की अध्यक्षता में हाल ही में शुरू की गई जी 20-सीएसएआर पहल का उद्देश्य स्वैच्छिक ज्ञान और संसाधनों को साझा करने के लिए जगह बनाना है।
- लक्ष्य समावेशिता, विविधता, एक-दूसरे पर निर्भरता, पारदर्शिता, अद्वितीय विशेषज्ञता और सामूहिक हित के आधार पर विज्ञान सलाह प्रक्रिया में सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों का आदान-प्रदान करना है।
- जी 20-सीएसएआर की उद्घाटन बैठक 28 से 30 मार्च, 2023 तक रामनगर, उत्तराखंड में आयोजित की गई थी।
- तब से, परिणाम दस्तावेज़ और अध्यक्ष के सार पर समझौते पर पहुंचने के लिए चार अंतर-सत्रीय बैठकें, छह साइड इवेंट और कई द्विपक्षीय बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं।
- जी 20-सीएसएआर पहल को आगे बढ़ाने के लिए बैटन ब्राजील को सौंप दी गई है।
2. एनसीईआरटी के सातवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ‘हमारे वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि’ पर एक अध्याय शामिल:
- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के सातवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में इस साल से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर एक अध्याय ‘हमारे वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि’ शामिल किया गया है।
- रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य स्कूली बच्चों में देशभक्ति, कर्तव्य के प्रति समर्पण और साहस व बलिदान के मूल्यों को निरूपित करना तथा राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भागीदारी बढ़ाना है।
- यह अध्याय स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र की सेवा में सशस्त्र बलों के वीरों द्वारा दिए गए सर्वोच्च बलिदान के अलावा, राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (एनडब्ल्यूएम) के इतिहास, महत्व और अवधारणा को रेखांकित करता है।
- अध्याय में, दो दोस्त पत्रों का आदान-प्रदान करते हैं और वीरों के बलिदानों के कारण मिली स्वतंत्रता के लिए कृतज्ञता तथा आभार प्रकट करते हैं।
- एनसीईआरटी के लेखकों द्वारा बच्चों के मन-मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले गहरे भावनात्मक प्रभाव और जुड़ाव को रचनात्मक रूप से सामने लाया गया है।
- उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 25 फरवरी, 2019 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को राष्ट्र को समर्पित किया था।
- यह लोगों के बीच बलिदान और राष्ट्रीय भावना की भावना पैदा करने और राष्ट्र की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों को समुचित श्रद्धांजलि देने के लिए स्थापित किया गया है।
Comments