विषयसूची:
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1. मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्यों और भारत सरकार के बीच संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी (पीकेसी-ईआरसीपी) लिंक परियोजना पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: पार्वती,कालीसिंध,चंबल नदीं से सम्बन्धित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी (पीकेसी-ईआरसीपी) लिंक परियोजना का महत्व।
प्रसंग:
- मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्यों और भारत सरकार के बीच संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी (पीकेसी-ईआरसीपी) लिंक परियोजना पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
उद्देश्य:
- यह देश में जल प्रबंधन क्षेत्र में एक और उपलब्धि है, विशेष रूप से नदियों को आपस में जोड़ने (आईएलआर) कार्यक्रम के लिए और राजस्थान और मध्य प्रदेश (एमपी) के लोगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है क्योंकि इन दोनों राज्यों ने नई दिल्ली में भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय (एमओजेएस) के साथ “संशोधित पीकेसी-ईआरसीपी” (राजस्थान की पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के साथ मूल पीकेसी का एकीकरण) के कार्यान्वयन के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
विवरण:
- इस एमओयू पर 28.01.2024 को भारत सरकार द्वारा हस्ताक्षर किए गए।
- केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत के नेतृत्व में, इस परियोजना को लागू करने के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों के बीच आम सहमति बनाने के लिए पिछले कुछ वर्षों के दौरान जल शक्ति मंत्रालय द्वारा गहन सहमति निर्माण अभ्यास किया गया था।
- दोनों राज्यों के बीच आम सहमति की उपलब्धि अंतर-राज्यीय सहयोग का प्रदर्शन है, इस प्रकार केन-बेतवा लिंक परियोजना की तर्ज पर चंबल बेसिन में संयुक्त विकास और अंतर-बेसिन जल हस्तांतरण का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
- यह देश में सहकारी संघवाद की सफलता है।
- राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) के तहत पार्बती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक परियोजना की व्यवहार्यता रिपोर्ट (एफआर) तैयार की गई और फरवरी-2004 में संबंधित राज्य सरकारों को वितरित की गई।
- वर्ष 2019 में राजस्थान ईआरसीपी का प्रस्ताव लेकर आया। वर्ष 2019 में नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी कार्यबल (टीएफआईएलआर) की 11वीं और 12वीं बैठकों में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के साथ एनपीपी के पार्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक के एकीकरण पर चर्चा की गई थी।
- इसके बाद, पीकेसीलिंक के साथ ईआरसीपी के एकीकरण के मुद्दे पर विभिन्न मंचों पर राज्यों के साथ नियमित रूप से विचार-विमर्श किया गया है।
- संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना के महत्व और उपयोगिता को देखते हुए, नदियों को जोड़ने के लिए विशेष समिति (एससीआईएलआर) ने नई दिल्ली में 13.12.2022 को आयोजित अपनी 20वीं बैठक में देश में नदियों को जोड़ने की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के हिस्से के रूप में “संशोधित पीकेसी-ईआरसीपी” लिंक को मंजूरी दी है और इसे देश में प्राथमिकता वाली लिंक परियोजनाओं में से एक के रूप में भी घोषित किया है।
- यह परियोजना पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों, मध्य प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्रों में पेयजल और औद्योगिक जल उपलब्ध कराने के अलावा दोनों राज्यों (कुल 5.6 लाख हेक्टेयर या उससे अधिक) में से प्रत्येक में 2.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र (या उससे अधिक) में सिंचाई प्रदान करने का प्रस्ताव करती है।
- संशोधित पीकेसी संपर्क परियोजना चंबल बेसिन के उपलब्ध जल संसाधनों का इष्टतम और आर्थिक रूप से उपयोग करने में मदद करेगी।
- दोनों राज्यों के परामर्श से डीपीआर स्तर पर लाभ के क्षेत्रों सहित संशोधित पीकेसी लिंक के विभिन्न घटकों को निर्धारित किया जाएगा।
- इस संशोधित पीकेसी.-ईआरसीपी लिंक की डीपीआर की तैयारी पहले से ही प्रगति पर है।
- डीपीआर के नतीजे के आधार पर, राजस्थान, मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओए) को अंतिम रूप दिया जाएगा, जिसमें लिंक परियोजना के काम का दायरा, पानी का बंटवारा, पानी का आदान-प्रदान, पानी का आदान-प्रदान शामिल होगा।
- इस लिंक के कार्यान्वयन के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों और जल शक्ति मंत्री द्वारा लागत और लाभ, कार्यान्वयन तंत्र और चंबल बेसिन में पानी के प्रबंधन और नियंत्रण आदि की व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. 75वें गणतंत्र दिवस समारोह: बीटिंग रिट्रीट 2024 का आयोजन:
- 75वें गणतंत्र दिवस समारोह के समापन के प्रतीक ‘बीटिंग रिट्रीटिंग’ समारोह का आयोजन 29 जनवरी, 2024 को किया जाएगा।
- इस अवसर पर शाही रायसीना पहाड़ियों में स्थित ऐतिहासिक विजय चौक सूरज डूबने के समय पर बजाए जानी वाले सभी भारतीय धुनों का साक्षी बनेगा।
- भारतीय थल सेना, भारतीय नौसेना, भारतीय वायु सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के संगीत बैंड देश के प्रतिष्ठित दर्शकों के समक्ष 31 मनमोहक और थिरकने वाली भारतीय धुनें बजाएंगे।
- इस अवसर पर राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर श्रीमती द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, अन्य केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी तथा आम जनता उपस्थिति होगी।
- समारोह की शुरुआत सामूहिक बैंड द्वारा ‘शंखनाद’ धुन के साथ होगी, जिसके बाद पाइप्स और ड्रम बैंड के माध्यम से ‘वीर भारत’, ‘संगम दूर’, ‘देशों का सरताज भारत’, ‘भागीरथी’ और ‘अर्जुन’ जैसी मनमोहक धुनें पेश की जाएंगी।
- सीएपीएफ बैंड ‘भारत के जवान’ और ‘विजय भारत’ का संगीत बजाएंगे।
- ‘टाइगर हिल’, ‘रेजॉइस इन रायसीना’ और ‘स्वदेशी’ भारतीय वायु सेना के बैंड द्वारा बजाई जाने वाली धुनों में शामिल हैं।
- इसके बाद दर्शक भारतीय नौसेना बैंड को ‘आईएनएस विक्रांत’, ‘मिशन चंद्रयान’, ‘जय भारती’ और ‘हम तैयार हैं’ सहित कई अन्य धुनें बजाते हुए देख कर आनंदित होंगे।
- इसके बाद भारतीय सेना का बैंड आएगा, जो ‘फौलाद का जिगर’, ‘अग्निवीर’, ‘करगिल 1999’ और ‘ताकत वतन’ समेत अन्य संगीतमय प्रस्तुति पेश करेगा।
- इसके बाद सामूहिक बैंड ‘कदम-कदम बढ़ाए जा’, ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ और ‘ड्रमर्स कॉल’ की धुनें बजाएंगे।
- बीटिंग रिट्रीट कार्यक्रम का समापन लोकप्रिय धुन ‘सारे जहां से अच्छा’ के साथ होगा।
- मुख्य संचालक लेफ्टिनेंट कर्नल विमल जोशी इस समारोह का संचालन करेंगे। इसके अलावा, आर्मी बैंड के कंडक्टर सूबेदार मेजर मोती लाल होंगे, एमसीपीओ एमयूएस II एम एंटनी और वारंट ऑफिसर अशोक कुमार क्रमशः भारतीय नौसेना तथा भारतीय वायु सेना के संचालक होंगे। कांस्टेबल जीडी रानीदेवी सीएपीएफ बैंड की संचालिका होंगी।
- बिगुल बजाने वाले सैन्य कलाकार नायब सूबेदार उमेश कुमार के नेतृत्व में प्रदर्शन करेंगे और सूबेदार मेजर राजेंद्र सिंह के निर्देश के अनुसार पाइप्स तथा ड्रम बैंड पर प्रस्तुति दी जाएगी।
- ‘बीटिंग रिट्रीट’ की शुरुआत 1950 के दशक प्रारंभ में हुई थी, जब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने सामूहिक बैंड द्वारा प्रदर्शन के अनूठे समारोह को स्वदेशी रूप से तैयार कर प्रस्तुत किया किया था।
- यह सदियों पुरानी सैन्य परंपरा का प्रतीक है, जब सैनिक लड़ना बंद कर देते थे, अपने हथियार बंद कर रख देते थे, युद्ध के मैदान से हट जाते थे और रिट्रीट की ध्वनि के साथ सूर्यास्त के समय अपने शिविरों में लौट आते थे।
- कॉलर्स तथा स्टैण्डर्ड्स खोल दिए जाते हैं और झंडे उतार दिए जाते हैं। यह समारोह बीते समय के प्रति पुरानी स्मृतियों को करता है।
2. प्रधानमंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह का उद्घाटन किया:
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 28 जनवरी को दिल्ली के सर्वोच्च न्यायालय सभागार में सर्वोच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह का उद्घाटन किया।
- उन्होंने नागरिक-केंद्रित सूचना और प्रौद्योगिकी पहल का भी शुभारंभ किया, जिसमें डिजिटल सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट (डिजी एससीआर), डिजिटल कोर्ट 2.0 और सर्वोच्च न्यायालय की एक नई वेबसाइट शामिल है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्रता, समानता और न्याय पर आधारित स्वतंत्र भारत का स्वप्न देखा था।
- उच्चतम न्यायालय ने इन सिद्धांतों के संरक्षण का निरंतर प्रयास किया है। चाहे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हो, व्यक्तिगत स्वतंत्रता हो या सामाजिक न्याय हो, सुप्रीम कोर्ट ने भारत के जीवंत लोकतंत्र को सशक्त किया है।
- प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर महत्वपूर्ण फैसलों का उल्लेख किया, जिन्होंने देश के सामाजिक-राजनीतिक माहौल को एक नई दिशा दी है।
- सर्वोच्च न्यायालय के योगदान का समर्थन: प्रधानमंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय के 75 वर्षों के पर्व पर न्यायालय के योगदान की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी।
- भारतीय संविधान के मूल्यों की रक्षा: उन्होंने भारतीय संविधान निर्माताओं के स्वतंत्रता, समानता, और न्याय पर आधारित स्वतंत्र भारत के सपने की महत्वपूर्ण भूमिका को साझा किया।
- विश्व स्तर पर भारत का प्रतिष्ठान: प्रधानमंत्री ने वैश्विक भू-राजनीति के बदलते परिदृश्य के बीच भारत के प्रति विश्व की नजरों का रुझान बताया और भारत पर भरोसा बताया।
- सुप्रीम कोर्ट के योगदान की प्रशंसा: प्रधानमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायपालिका के योगदान को सराहा और उनकी योजनाओं का समर्थन किया।
- न्यायिक सुगमता में प्रौद्योगिकी का उपयोग: डिजिटल पहल के माध्यम से न्यायिक सुगमता में प्रौद्योगिकी का अद्भुत उपयोग को महत्वपूर्ण बताया।
- महिला न्यायधीश की सम्मानित प्रमुखता: प्रधानमंत्री ने देश की पहली महिला न्यायधीश एम. फातिमा बीवी को मरणोपरांत पद्म भूषण से सम्मानित करने का उल्लेख किया।
- सरकार के लक्ष्यों की दोहरी बातचीत: प्रधानमंत्री ने सरकार की अगले 25 वर्षों के लक्ष्यों को बड़ा दिखाकर उनकी महत्वपूर्णता पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि आज की आर्थिक नीतियां भविष्य के जीवंत भारत का आधार बनेंगी।
- वैश्विक भू-राजनीति के संदर्भ में: प्रधानमंत्री ने वैश्विक भू-राजनीति के परिदृश्य के बारे में बताया और भारत पर विश्व की नजरें की महत्वपूर्णता पर जोर दिया।
- डिजिटलीकरण की पहल: प्रधानमंत्री ने देश की सभी अदालतों के डिजिटलीकरण की निगरानी और डिजिटल न्याय प्रणाली की बढ़ती उपयोगिता पर बल दिया।
- न्यायिक सुगमता की प्राथमिकता: प्रधानमंत्री ने न्यायिक सुगमता में सरल भाषा का प्रयोग करने की महत्वपूर्णता पर जोर दिया और इसे सुनिश्चित करने के लिए सुझाव दिया कि न्यायिक प्रक्रिया में सरल भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए।
पृष्ठभूमि:
- सर्वोच्च न्यायालय के 75वें वर्ष (हीरक जयंती समारोह) का उद्घाटन करते हुए, प्रधानमंत्री ने नागरिक-केंद्रित सूचना और प्रौद्योगिकी पहल का शुभारंभ किया, इसमें डिजिटल सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट (डिजी एससीआर), डिजिटल कोर्ट 2.0 और सुप्रीम कोर्ट की नई वेबसाइट शामिल हैं।
- डिजिटल सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट (एससीआर) देशवासियों को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले नि:शुल्क डिजिटल रूप में उपलब्ध हो सकेंगे।
- डिजिटल सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट (एससीआर) की मुख्य विशेषता यह हैं कि 1950 के बाद से सर्वोच्च न्यायालय की रिपोर्ट के सभी 519 खंड उपलब्ध होंगे इनमें 36,308 मुकद्दमों का ब्योरा दिया गया है।
- डिजिटल कोर्ट 2.0 एप्लिकेशन जिला अदालतों के न्यायाधीशों को डिजिटल रूप में अदालती रिकॉर्ड उपलब्ध कराने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के अन्तर्गत एक हाल ही में शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है।
- इसे वास्तविक समय के आधार पर भाषण को ट्रांसक्राइब करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के उपयोग के साथ जोड़ा गया है।
- प्रधानमंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय की नई वेबसाइट भी लॉन्च की। नई वेबसाइट अंग्रेजी और हिंदी में द्विभाषी प्रारूप में होगी और इसे उपयोगकर्ता के अनुकूल इंटरफेस के साथ फिर से डिजाइन किया गया है।
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