विषयसूची:
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1. रक्षा मंत्रालय ने भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: मध्यम कैलिबर एंटी-मिसाइल/एंटी एयरक्राफ्ट पॉइंट डिफेंस हथियार प्रणाली।
प्रसंग:
- रक्षा मंत्रालय ने खरीद के तहत भारतीय नौसेना के लिए 16 अपग्रेडेड सुपर रैपिड गन माउंट (एसआरजीएम) के साथ संबंधित उपकरण/सामान की खरीद के लिए 28 नवंबर, 2023 को मैसर्स भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल), हरिद्वार के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इसकी कुल लागत 2956.89 करोड़ रुपये होगी।
उद्देश्य:
- यह परियोजना पांच वर्षों की अवधि में ढाई लाख मानव-दिवस का रोजगार सृजित करेगी और एमएसएमई सहित विभिन्न भारतीय उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करेगी।
- इस प्रकार रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के सरकार के प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
विवरण:
- उन्नत एसआरजीएम, जिसका निर्माण मैसर्स बीएचईएल द्वारा अपने हरिद्वार प्लांट में किया जाएगा, एक मध्यम कैलिबर एंटी-मिसाइल/एंटी एयरक्राफ्ट पॉइंट डिफेंस हथियार प्रणाली है।
- इसकी मारक क्षमता अधिक है और यह उच्च सटीकता सुनिश्चित करती है। हथियार प्रणाली तरह-तरह के खतरों के मद्देनजर कार्रवाई करने में सक्षम है।
- यह प्रणाली मिसाइलों और अत्यधिक गतिशील तेज हमले वाले उपकरणों के खिलाफ उत्कृष्ट कार्रवाई करने में निपुणता रखती है।
- उन्नत एसआरजीएम को मेसर्स मझगांव डॉक एंड शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुंबई और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोलकाता द्वारा भारतीय नौसेना के सेवारत और नव निर्मित जहाजों पर लगाया जाएगा।
2. रक्षा मंत्री ने प्रोजेक्ट 15बी स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयड के तीसरे युद्पोत 12706 (इम्फाल) का अनावरण किया:
सामान्य अध्ययन: 3
सुरक्षा:
विषय: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियां एवं उनका प्रबंधन।
प्रारंभिक परीक्षा: 15 बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल,12706 (इम्फाल) युद्पोत।
प्रसंग:
- रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 28 नवंबर, 2023 को नई दिल्ली में मणिपुर के मुख्यमंत्री श्री एन बीरेन सिंह की उपस्थिति में भारतीय समुद्री सीमा की रक्षा की चार 15 बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक परियोजनाओं में से तीसरे यार्ड 12706 (इम्फाल) का अनावरण किया।
उद्देश्य:
- जहाज के शिखर पर बनाए डिजाइन में बाईं ओर ‘कंगला पैलेस’ और दाईं ओर ‘कांगला-सा’ को दर्शाया गया है।
- कांगला पैलेस मणिपुर का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल है। यह महल प्राचीनकाल में मणिपुर के मेइतेइ राजाओं का निवास हुआ करता था।
- ड्रैगन के सिर और शेर के शरीर की आकृति के साथ सुसज्जित ‘कंगाला-सा’ मणिपुर के इतिहास का एक पौराणिक प्राणी है, और अपने लोगों के संरक्षक के रूप में जाना जाता है। ‘कांगला-सा’ मणिपुर का राज्य प्रतीक भी है।
विवरण:
- इस जहाज को शिखर पर ‘कंगला पैलेस’ और ‘कंगला-सा’ से सुसज्जित किया गया है। यह भारत की स्वाधीनता, संप्रभुता और सुरक्षा के प्रति मणिपुर वासियों के बलिदान के प्रति श्रद्धांजलि है।
- इस युद्धपोत का डिजाइन भारतीय नौसेना युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने किया है और इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई ने किया है।
- यह जहाज स्वदेशी जहाज निर्माण की पहचान है और दुनिया के सर्वाधिक तकनीकी रूप से उन्नत युद्धपोतों में से एक है।
- इस जहाज को एमडीएल ने 20 अक्टूबर, 2023 को भारतीय नौसेना को सौंपा था।
- इस जहाज का आधार 7,400 टन है और लंबाई 164 मीटर है।
- यह विध्वंसक जहाज अत्याधुनिक हथियारों और प्रणाली से लैस है, जिसमें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, एंटी-शिप मिसाइल और टॉरपीडो शामिल हैं।
- इसकी गति 30 समुद्री मील अर्थात (56 किमी प्रतिघंटा) से अधिक गति प्राप्त करने में सक्षम है।
निम्नलिखित विशेषताओं से पूर्ण इस जहाज में लगभग 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी साजो-सामान इस्तेमाल किया गया है:
- मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (बीईएल, बैंगलोर)
- सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलें (ब्रह्मोस एयरोस्पेस, नई दिल्ली)
- स्वदेशी टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर (लार्सन एंड टुब्रो, मुंबई)
- पनडुब्बी-रोधी स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर (लार्सन एंड टुब्रो, मुंबई)
- 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट (भारत हैवी इलेक्ट्रीकल्स लिमिटेड, हरिद्वार)
- इंफाल की आधारशिला 19 मई, 2017 को रखी गई थी और जहाज को 20 अप्रैल, 2019 को पानी में उतारा गया था।
- जहाज 28 अप्रैल, 2023 को अपने पहले समुद्री परीक्षणों के लिए रवाना हुआ था और बंदरगाह और समुद्र में परीक्षणों के एक व्यापक कार्यक्रम से गुजरा है, जिससे छह महीने की रिकॉर्ड समय-सीमा के भीतर 20 अक्टूबर, 2023 को इसे सेना को सौंपा गया।
- परीक्षणों के हिस्से के रूप में, जहाज ने हाल ही में एक विस्तारित रेंज ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया।
- स्वदेशी विध्वंसक इंफाल का निर्माण और परीक्षण बहुत ही कम समय में किया गया है। जहाज की सुपुर्दगी ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में प्रोत्साहन को दर्शाती है।
- यह एक समुद्री परंपरा और एक नौसैना की रीति है जिसके अनुसार कई भारतीय नौसेना जहाजों का नाम प्रमुख शहरों, पर्वत श्रृंखलाओं, नदियों, तालाबों और द्वीपों के नाम पर रखा गया है।
- भारतीय नौसेना को अपने नवीनतम और तकनीकी रूप से सबसे उन्नत युद्धपोत का नाम ऐतिहासिक शहर इम्फाल के नाम पर रखने पर अत्यंत गर्व है।
- यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसी शहर के नाम पर रखा जाने वाला पहला युद्धपोत है।
- इसके लिए राष्ट्रपति ने 16 अप्रैल, 2019 को स्वीकृति दी थी।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. खान मंत्रालय द्वारा महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की नीलामी की पहली किश्त की शुरूआत:
- खान मंत्रालय 29 नवंबर, 2023 को महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की पहली किश्त की नीलामी की शुरूआत कर रहा है।
- पूरे देश में फैले इन महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के बीस ब्लॉक नीलाम किए जा रहे हैं।
- यह एक ऐतिहासिक पहल है जिससे हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, राष्ट्रीय सुरक्षा में वृद्धि होगी और स्वच्छ ऊर्जा भविष्य में हमारे परिवर्तनों को भी सहायता मिलेगी।
- ये महत्वपूर्ण खनिज हमारे देश के आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत आवश्यक हैं।
- इन खनिजों की कम उपलब्धता या कुछ देशों में ही इनका निष्कर्षण या प्रोसेसिंग केंद्रित होने से इन खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला बहुत कमजोर हो सकती हैं।
- भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था उन प्रौद्योगिकियों पर आधारित होगी जो लिथियम, ग्रेफाइट, कोबाल्ट, टाइटेनियम और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (आरईई) जैसे खनिजों पर पूरी तरह निर्भर है।
- भारत की वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 50 प्रतिशत संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता अर्जित करने की प्रतिबद्धता है।
- ऊर्जा परिवर्तन के लिए यह महत्वाकांक्षी योजना इलैक्ट्रिक कारों, पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं तथा बैटरी भंडारण प्रणालियों की मांग को बढ़ाने के लिए तैयार है। इस प्रकार इन महत्वपूर्ण खनिजों की मांग में वृद्धि होगी।
- इन महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की भारी मांग है जो आमतौर पर निर्यात से पूरी होती है। महत्वपूर्ण खनिज नवीकरणीय ऊर्जा, रक्षा, कृषि, फार्मास्युटिकल, उच्च तकनीक इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, परिवहन, गीगाफैक्ट्रीज़ के निर्माण जैसे क्षेत्रों की मांग को पूरा करते हैं।
- अभी हाल ही में, 17 अगस्त 2023 को एमएमडीआर अधिनियम में एक संशोधन के माध्यम से 24 खनिजों को महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के रूप में अधिसूचित किया गया था।
- यह संशोधन केंद्र सरकार को इन खनिजों के लिए खनिज रियायत देने की शक्ति प्रदान करता है ताकि केंद्र सरकार देश की आवश्यकताओं को देखते हुए इन खनिजों की नीलामी को प्राथमिकता दे सके।
- इन नीलामियों से जुटाया गया राजस्व राज्य सरकारों को भी मिलेगा। इसके बाद, महत्वपूर्ण खनिजों की रॉयल्टी दरों को को तर्कसंगत बनाया गया है ताकि इन नीलामियों में अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा सके।
- सरकार ने मार्च, 2022 में प्लेटिनम ग्रुप ऑफ मेटल्स (पीजीएम) के लिए रॉयल्टी दर 4 प्रतिशत, मोलिब्डेनम के लिए 7.5 प्रतिशत, ग्लौकोनाइट और पोटाश के लिए 2.5 प्रतिशत निर्दिष्ट की थीं।
- 12 अक्टूबर, 2023 को सरकार ने लिथियम के लिए 3प्रतिशत, नाइओबियम के लिए 3 प्रतिशत और दुर्लभ पृथ्वी तत्व के लिए 1 प्रतिशत रॉयल्टी दर निर्दिष्ट की है।
2. आसियान इंडिया ग्रासरूट्स इनोवेशन फोरम (एआईजीआईएफ) का चौथा संस्करण लॉन्च:
- 28 नवंबर 2023 को मलेशिया के लैंगकावी में लॉन्च किए गए वार्षिक आसियान इंडिया ग्रासरूट्स इनोवेशन फोरम (एआईजीआईएफ) के चौथे संस्करण में 200 प्रतिभागियों ने भारत समेत 10 आसियान सदस्य देशों (एएमएस) का प्रतिनिधित्व किया।
- एआईजीआईएफ एक वार्षिक कार्यक्रम है जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इनोवेशन (एसटीआई) में सहयोग के आधार पर भारत और एएमएस के बीच मजबूत संबंधों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- जहां एक तरफ इसका उद्देश्य विभिन्न देशों में सामाजिक इनोवेशन को बढ़ावा देना है, वहीं यह जमीनी स्तर के इनोवेशन इकोसिस्टम में गर्वनेंस को भी मजबूत करता है।
- वार्षिक कार्यक्रम विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इनोवेशन पर आसियान समिति (सीओएसटीआई); भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी); नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) – भारत और मेजबान देश का विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, मलेशिया का विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार मंत्रालय (एमओएसटीआई) के बीच में वर्ष 2023 में एक सहयोग है।
- यायासन इनोवासी मलेशिया (वाईआईएम) एमओएसटीआई के तहत एक एजेंसी है जो इस वर्ष ए.आई.जी.आई.एफ. का कार्यान्वयन कर रही है।
- मलेशिया सरकार के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इनोवेशन मंत्री श्री वाईबी चांग लिह कांग ने एआईजीआईएफ 2023 लॉन्च किया।
- एआईजीआईएफ जैसे साल-दर-साल प्रमुख कार्यक्रम उन इनोवेशन को प्रदर्शित करने और बढ़ावा देने के लिए एक गतिशील मंच के रूप में काम करना जारी रखते हैं जिनमें जमीनी स्तर पर जीवन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने की क्षमता है।
- जकार्ता, इंडोनेशिया (2018), दावाओ, फिलीपींस (2019), और नोम पेन्ह, कंबोडिया (2022) में पिछले संस्करणों की सफलता के आधार पर, एआईजीआईएफ 2023 लैंगकॉवी, मलेशिया में बढ़ती भागीदारी और सहयोग के माध्यम से सामाजिक चुनौतियों पर काबू पाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को बढ़ा रहा है।
3. हिंद महासागर टूना आयोग (आईओटीसी):
- मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का मत्स्य पालन विभाग 28 नवंबर से 2 दिसंबर 2023 तक हिंद महासागर टूना आयोग (आईओटीसी) के डेटा संग्रह और सांख्यिकी (डब्ल्यूपीडीसीएस19) पर 19वें कार्य दल की बैठक का आयोजन मुंबई में कर रहा है।
- इस बैठक का आयोजन हिंद महासागर टूना आयोग और सरकार के मत्स्य पालन विभाग ने सयुक्त रूप से किया है।
- बैठक में विश्व भर के टूना मत्स्य पालन क्षेत्र से जुड़े प्रसिद्ध वैज्ञानिक और विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं।
- टूना मछली और अन्य बड़ी पेलैजिक प्रजातियां, जैसे बिलफिश, शार्क और शंकुश आर्थिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
- सिर्फ टूना मछली के निर्यात से वर्ष 2018 में 41 बिलियन डॉलर का वार्षिक व्यापार हुआ।
- इन प्रजातियों की अंतर्राष्ट्रीय दायरे में बेहतर प्रबंधन और संरक्षण के लिए सहयोगी प्रयासों की आवश्यकता है।
- इंडोनेशिया, फ्रांस, स्पेन, यूरोपीय संघ (ईयू) के अन्य देशों, सेशेल्स, तंजानिया, ईरान, थाईलैंड, जापान, श्रीलंका, ओमान और भारत जैसे देशों के प्रतिभागियों ने व्यक्तिगत रूप से बैठक में भाग लिया।
- इसके अतिरिक्त विभिन्न अन्य देशों, हिंद महासागर टूना आयोग और वैज्ञानिक संगठनों के कई प्रतिभागी वर्चुअल मोड में भी बैठक में भाग ले रहे हैं।
- इस दौरान बैठक में डेटा संग्रह, संकलन और आईओटीसी को रिपोर्टिंग में विभिन्न देशों द्वारा अपनाई गई मौजूदा वैज्ञानिक विधियों पर विचार-विमर्श एवं विश्लेषण होगा और हिंद महासागर क्षेत्र में डेटा संग्रह व सांख्यिकी के उन्नत और सरलीकृत तरीके प्रस्तुत किया जाएंगे।
- इस बैठक के बाद 4-8 दिसंबर, 2023 के दौरान उसी स्थान पर हिंद महासागर टूना आयोग की मुख्य वैज्ञानिक समिति की बैठक होगी, जिसमें हिंद महासागर में टूना और टूना जैसी प्रजातियों के सतत प्रबंधन से संबंधित वैज्ञानिक सिफारिशों के लिए डब्ल्यूपीडीसीएस और विभिन्न अन्य कार्य दलों की सिफारिशों पर विचार किया जाएगा।
4. काशी तमिल संगमम का दूसरा चरण:
- आईआईटी मद्रास द्वारा 27 नवंबर, 2023 को पंजीकरण पोर्टल के लॉन्च के साथ ही काशी तमिल संगमम के दूसरे चरण का मंच पूरी तरह तैयार हो गया है।
- इस एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम का दूसरा संस्करण 17 दिसंबर से होना प्रस्तावित है।
- यह दिवस 30 दिसंबर 2023 तक आयोजित पवित्र तमिल मार्गली महीने का पहला दिन है।
- पहले संस्करण की तरह, यह कार्यक्रम जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के परस्पर जुड़ाव में सहायता प्रदान करके प्राचीन भारत के शिक्षा और संस्कृति के दो महत्वपूर्ण केंद्रों – वाराणसी और तमिलनाडु के बीच जीवंत संबंधों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव करता है।
- काशी तमिल संगमम (केटीएस) के दूसरे चरण में यह प्रस्तावित है कि तमिलनाडु और पुडुचेरी के लगभग 1400 लोग यात्रा में लगने वाले समय सहित 8 दिनों के एक गहन दौरे के लिए ट्रेन से वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या की यात्रा करेंगे।
- जिसमें छात्र, शिक्षक, किसान और कारीगर, व्यापारी और व्यवसायी, धार्मिक व्यक्ति, लेखक और पेशेवर लोग शामिल होंगे।
- प्रत्येक समूह का नाम एक पवित्र नदी (गंगा, यमुना, सरस्वती, सिंधु, नर्मदा, गोदावरी और कावेरी) के नाम पर रखा जाएगा।
- ये प्रतिनिधि ऐतिहासिक, पर्यटन और धार्मिक रुचि के स्थानों की यात्रा करेंगे और अपने कार्यक्षेत्र से संबंधित उत्तर प्रदेश के लोगों के साथ बातचीत करेंगे।
- शिक्षा मंत्रालय इस कार्यक्रम के लिए नोडल मंत्रालय होगा जिसमें एएसआई, आईआरसीटीसी सहित रेलवे, पर्यटन, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण (ओडीओपी), एमएसएमई, सूचना और प्रसारण, एसडी एंड ई और उत्तर प्रदेश सरकार के संबंधित विभागों सहित संस्कृति मंत्रालय की भागीदारी होगी।
- पहले चरण से मिली सीख का लाभ उठाने और अनुसंधान के लिए उनकी प्रतिष्ठा को देखते हुए, आईआईटी मद्रास तमिलनाडु और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में काम करेगा।
- काशी तमिल संगमम का पहला संस्करण पूरे सरकारी दृष्टिकोण के साथ 16 नवंबर से 16 दिसंबर 2022 तक आयोजित किया गया था।
- जीवन के 12 अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले तमिलनाडु के 2500 से अधिक लोगों ने 8 दिवसीय दौरे पर वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या की यात्रा की थी, जिसके दौरान उन्हें वाराणसी और उसके आसपास जीवन के विभिन्न पहलुओं का गहन अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिला था।
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