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29 जुलाई 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. प्रधानमंत्री ने दिल्ली के भारत मंडपम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया:
  2. भारत में सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम):
  3. गोबरधन योजना:
  4. राष्ट्रीय रसद नीति के प्रभाव का आकलन किया गया:
  5. भारतीय फुटवियर और चमड़ा उद्योग:
  6. टाइगर रिज़र्व का प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन: पांचवें चक्र की अंतिम रिपोर्ट:
  7. अखिल भारतीय बाघ अनुमान-2022: विस्तृत रिपोर्ट जारी:

1. प्रधानमंत्री ने दिल्ली के भारत मंडपम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया:

सामान्य अध्ययन: 2

शिक्षा:

विषय: शिक्षा,मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र /सेवाओं के विकास एवं उनसे प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: भारत मंडपम।

मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री ने 29 जुलाई 2023 को दिल्ली के भारत मंडपम में शिक्षा मंत्रालय तथा कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन किया।

उद्देश्य:

  • इन दो दिनों के दौरान उच्च शिक्षा, स्कूली शिक्षा और कौशल जैसे विभिन्न क्षेत्रों को शामिल करते हुए कुल 106 महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जायेंगे।
  • अखिल भारतीय शिक्षा समागम में 16 सत्र होंगे, जिनमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच एवं प्रशासन, न्यायसंगत एवं समावेशी शिक्षा, सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूह के मुद्दे, राष्ट्रीय संस्थान रैंकिंग फ्रेमवर्क, भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा होगी।

विवरण:

  • इस समारोह का आयोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर किया गया।
  • पीएम-श्री योजना के तहत कुल 6207 स्कूलों को ध 630 करोड़ रुपये की राशि की पहली किस्त भी जारी की गई।
    • 12 भारतीय भाषाओं में अनुवादित शिक्षा और कौशल पाठ्यक्रम की पुस्तकों का विमोचन भी किया।
  • प्रधानमंत्री ने राष्ट्र की नियति को बदल सकने वाले कारकों में शिक्षा की प्रधानता को रेखांकित किया।
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी के रुद्राक्ष से लेकर आधुनिक भारत मंडपम तक की अखिल भारतीय शिक्षा समागम की यात्रा में प्राचीन और आधुनिक के मिश्रण का संदेश छिपा है।
  • इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तीसरी वर्षगांठ है, प्रधानमंत्री ने इस नीति को एक मिशन के रूप में लेने और इसकी अपार प्रगति में योगदान देने के लिए सभी बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों और शिक्षकों को धन्यवाद दिया।
  • एनईपी में पारंपरिक ज्ञान और भविष्य की प्रौद्योगिकियों को समान महत्व दिया गया है।
  • 10+2 प्रणाली के स्थान पर अब 5+3+3+4 प्रणाली चल रही है। पूरे देश में एकरूपता लाते हुए तीन साल की उम्र से शिक्षा शुरू होगी।
  • मंत्रिमंडल ने नेशनल रिसर्च फाउंडेशन विधेयक को संसद में पेश करने को मंजूरी दे दी है। एनईपी के तहत राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा जल्द ही सामने आएगी।
    • 3-8 साल के विद्यार्थियों के लिए रूपरेखा तैयार है। पूरे देश में एक समान पाठ्यक्रम होगा और एनसीईआरटी इसके लिए नए पाठ्यक्रम की पुस्तकें तैयार कर रहा है।
    • प्रधानमंत्री ने बताया कि क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा दिए जाने के परिणामस्वरूप तीसरी से लेकर 12वीं कक्षा तक के लिए 22 विभिन्न भाषाओं में लगभग 130 विभिन्न विषयों की नई पुस्तकें आ रही हैं।
  • इस कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने पीएम-श्री योजना के तहत धनराशि की पहली किस्त जारी की।
    • ये स्कूल छात्रों को इस तरह से विकसित करेंगे कि वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की परिकल्पना के अनुरूप एक समतापूर्ण, समावेशी एवं बहुलवादी समाज के निर्माण में संलग्न, उत्पादक और योगदान देने वाले नागरिक बनें।
  • एनईपी की प्राथमिकता है कि भारत के प्रत्येक युवा को समान शिक्षा और शिक्षा का समान अवसर मिले।
    • यह केवल स्कूल खोलने तक ही सीमित नहीं है।
    • शिक्षा के साथ-साथ संसाधनों के मामले में भी समानता लाई जानी चाहिए।
    • इसका मतलब यह है कि हर बच्चे को अपनी पसंद और क्षमता के अनुरूप विकल्प मिलना चाहिए।
    • शिक्षा में समानता का आशय इस बात है कि कोई भी बच्चा स्थान, वर्ग, क्षेत्र के कारण शिक्षा से वंचित न रहे।
    • एम-श्री योजना के तहत हजारों स्कूलों को उन्नत किया जा रहा है।
    • 5जी के युग में ये आधुनिक स्कूल आधुनिक शिक्षा का माध्यम बनेंगे।
    • उन्होंने जनजातीय गांवों में एकलव्य स्कूलों, गांवों में इंटरनेट की सुविधाओं और दीक्षा, स्वयं एवं स्वयंप्रभा जैसे माध्यमों से शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का उल्लेख किया।

2. भारत में सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम):

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

प्रारंभिक परीक्षा: भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम),डीएलआई योजना।

मुख्य परीक्षा: प्रौद्योगिकी में भारत के आत्मनिर्भर बनने में सेमीकंडक्टर के म्ह्त्व की चर्चा करते हुए वर्तमान में इसके लिए किये जा रहे प्रयासों के बारे में बताइये।

प्रसंग:

  • इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने गांधीनगर में चल रहे सेमीकॉनइंडिया में भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु के सेंटर फॉर नैनो साइंस एंड इंजीनियरिंग (सीईएनएसई) और लैम रिसर्च इंडिया के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की।

उद्देश्य:

  • एसईएमआई ने भारत में एक जीवंत सेमीकंडक्टर विनिर्माण और डिजाइन पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) का सहयोग करने की घोषणा की है।
  • यह सहयोग आईएसएम के सेमीकॉनइंडिया के दो संस्करणों के सफल आयोजन पर आधारित होगा और एंड-टू-एंड सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र में हितधारकों को एक साथ लाने की सेमी की परंपरा को जारी रखेगा। एक एमओयू पर अभी काम चल रहा है।

विवरण:

  • मंत्रालय की सहभागिता रूपी यह पहल आईआईएससी के सीईएनएसई की अकादमिक उत्कृष्टता और लैम रिसर्च की वैश्विक विशेषज्ञता को एक साथ लाता है। लैम रिसर्च, अभिनव वफर फैब्रिकेशन उपकरण का एक प्रसिद्ध आपूर्तिकर्ता है।
  • लैम रिसर्च का महत्वाकांक्षी लक्ष्य अगले 10 वर्षों के दौरान भारत में नैनो-फैब्रिकेशन में 60,000 सुदृढ़ कार्यबल विकसित करने के लिए सेमीवर्स सॉल्यूशन्स का उपयोग करना है।
  • इस सहभागिता का मुख्य उद्देश्य भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए संयुक्त रूप से एक अनुकूलित पाठ्यक्रम विकसित करना है, जो सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन तकनीक शिक्षण के लिए होगा।
  • यह लैम रिसर्च के अत्याधुनिक सेमीवर्स सॉल्यूशन्स वर्चुअल फैब्रिकेशन सॉफ्टवेयर- सिम्युलेटर3डी का उपयोग करेगा।
  • आईआईएससी और लैम रिसर्च एक साथ मिलकर प्रायोगिक पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करेंगे। इसका पहला चरण दिसंबर, 2023 तक और दूसरा चरण जून, 2024 तक पूरा होने की आशा है।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने गांधीनगर में सेमीकॉनइंडिया 2023 सम्मेलन के दूसरे संस्करण में सेमीकॉनइंडिया फ्यूचरडिजाइन डीएलआई योजना के तहत दो और सेमीकंडक्टर डिजाइन स्टार्टअप/एमएसएमई की घोषणा की।
  • डीएलआई योजना के तहत सहायता के लिए चुने गए ये दो स्टार्टअप/एमएसएमई हैं:

1. अहीसा डिजिटल इनोवेशन; और

2. कैलिगो टेक्नोलॉजीज

  • अहीसा डिजिटल इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड (अहीसा) चेन्नई, भारत में स्थित फैबलेस सेमीकंडक्टर स्टार्ट-अप है जो टेलीकॉम, नेटवर्किंग और साइबर सुरक्षा डोमेन पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • अहीसा के संस्थापकों के पास सिलिकॉन से सिस्टम तक अत्यधिक सफल अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी समाधान विकसित करने का चार दशकों से अधिक का अनुभव है।
    • अहीसा ने नेटवर्किंग एसओसी (सिस्टम-ऑन-चिप) की अहीसा विहान श्रृंखला विकसित करने का प्रस्ताव रखा है जो पूरी तरह से भारत में डिजाइन और विकसित की गई है।
    • अहीसा विहान का पहला संस्करण डिजिटल इंडिया आरआईएससी-वी प्रोसेसर (डीआईआर-वी) के तहत विकसित आरआईएससी-वी संरचना पर आधारित सी-डैक के वेगा प्रोसेसर कोर पर आधारित है।
    • अहीसा भारतीय नेटवर्क और टेलीकॉम उत्पाद निर्माताओं के लिए ओएस, ड्राइवर, टूलचेन और एप्लिकेशन के साथ अहीसा विहान पर आधारित जीपीओएन/ ईपीओएन ओएनटी संदर्भ मंच (अहीसा शेषनाग) जारी करेगा।
  • कैलिगो टेक्नोलॉजीज बेंगलुरु, भारत में स्थित फैबलेस सेमीकंडक्टर स्टार्ट-अप है जो वैश्विक कंपनियों को एचपीसी, बिग डेटा और एआई/एमएल सेगमेंट में सेवा प्रदान करता है।
    • यह मुख्य रूप से एचपीसी/एआई अनुप्रयोगों के लिए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर एक्सेलेरेशन तकनीकों का उपयोग करके कंप्यूटिंग प्रदर्शन को बेहतर बनाने पर केंद्रित है।
    • कैलिगो एक त्वरक उत्पाद विकसित कर रहा है जो एक नई संख्या प्रणाली- पीओएसआईटी का उपयोग करके गणना करने में सक्षम है, जो एचपीसी/एआई वर्कलोड चलाने वाले होस्ट सर्वर के लिए एक ऐड-ऑन होगा।
    • पीओएसआईटी एक परिवर्तनकारी नवाचारी आविष्कार है जिसमें कंप्यूटिंग के लिए नए मानक बनाने की क्षमता है।
    • कैलिगोटेक ने इस सह-प्रोसेसर के साथ एक मल्टी-कोर आरआईएससी वी प्रोसेसर को एकीकृत करने का प्रस्ताव रखा है, जिससे एक अत्यधिक शक्ति-कुशल और कम्प्यूटेशनल रूप से अधिक सटीक सीपीयू- तुंगा (यूनम के लिए प्रौद्योगिकी – आधारित अगली पीढ़ी के अंकगणित) सिलिकॉन का निर्माण होगा।
    • यह सिलिकॉन पीसीएलई-आधारित एक्सेलेरेटर कार्ड- यूटीटीयूएनजीए को पावर देगा।
    • इस समाधान को एचपीसी/एआई एप्लिकेशन को चलाने के लिए किसी भी स्रोत-स्तरीय संशोधन की आवश्यकता नहीं है।
  • डीएलआई योजना का लक्ष्य पांच वर्षों की अवधि में इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी), चिपसेट, सिस्टम ऑन चिप्स (एसओसी), सिस्टम और आईपी कोर और सेमीकंडक्टर लिंक्ड डिज़ाइन के लिए सेमीकंडक्टर डिजाइन के विकास और तैनाती के विभिन्न चरणों में वित्तीय प्रोत्साहन के साथ-साथ डिजाइन बुनियादी ढांचे का समर्थन प्रदान करना है।
    • डीएलआई योजना सी-डैक द्वारा कार्यान्वित की जाती है।
    • डीएलआई योजना के तहत, समर्थित कंपनियों को चिप डिजाइन और निर्माण सेवाएं प्रदान करने के लिए वन स्टॉप सेंटर के रूप में सी-डैक में चिपइन केंद्र स्थापित किया गया है।
    • पांच (05) स्टार्टअप/एमएसएमई को पहले डीएलआई योजना के तहत सहायता के लिए एमईआईटीवाई द्वारा मंजूरी दी गई थी और इस साल की शुरुआत में बेंगलुरु (फरवरी) और दिल्ली (मई) में आयोजित दूसरे और तीसरे डीएलआई रोड शो के दौरान इसकी घोषणा की गई थी।
    • इस घोषणा के साथ, डीएलआई योजना के तहत कुल 7 स्टार्ट-अप ऑटोमोटिव, मोबिलिटी और कंप्यूटिंग क्षेत्रों के लिए चिप और आईपी कोर बनाने पर काम करेंगे।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. गोबरधन योजना:

  • केंद्र सरकार की गोबरधन पहल, जिसका उद्देश्य “संपूर्ण सरकार” दृष्टिकोण का उपयोग करके “वेस्ट को वेल्थ” में बदलना है, ने कई समर्थनकारी नीतियों और आकर्षक लाभ के द्वारा संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी)/बायोगैस के लिए एक पोषक इकोसिस्टम बनाकर निवेश को प्रोत्साहित करना और अच्छे परिणाम प्राप्त करना शुरू कर दिया है।
  • नोडल समन्वय विभाग, पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा विकसित और 1 जून 2023 को शुभारंभ किए गए गोबरधन के लिए एकीकृत पंजीकरण पोर्टल को राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और सीबीजी/बायोगैस संचालक/निवेशक द्वारा प्रशंसनीय उत्साह से देखा जा रहा है।
  • पोर्टल को देश भर में कार्य कर रहे /निर्माणाधीन/भविष्य में शुरू होने वाले बायोगैस/संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्रों के पंजीकरण की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए शुरू किया गया था।
  • गोबरधन पहल ने बायोगैस/सीबीजी क्षेत्र के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार किया है, जो शुरू होने के तुरंत बाद पोर्टल पर 100 से अधिक निर्माणाधीन सीबीजी संयंत्रों के पंजीकरण से स्पष्ट है।
    • यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सीबीजी/बायोगैस उद्योग वृद्धि करने लगा है और भारत के नवीकरणीय ऊर्जा पोर्टफोलियो के ऊर्जा में जबरदस्त भूमिका निभाएगा।
    • भारत सरकार अपनी नीतियों के माध्यम से उद्योग के विकास और सफलता के साथ बायोगैस/सीबीजी क्षेत्र को नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी रूप में स्थापित करने के लिए अथक प्रयास कर रही है।
  • गोबरधन योजना ग्रामीण परिवारों को संसाधन और मौद्रिक लाभ प्रदान करने के साथ-साथ जैविक/बायोडिग्रेडेबल कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन के उद्देश्य से शुरू की गई है।
  • यह पहल भारत सरकार, राज्य सरकारों, निजी उद्यमियों और अन्य हितधारकों के हितों और प्रयासों का एक संगम है।

2. राष्ट्रीय रसद नीति के प्रभाव का आकलन किया गया:

  • राष्ट्रीय रसद नीति (एनएलपी) के लॉन्च के दस महीने पूरे होने पर, इसके कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा के लिए उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा एक अंतर-मंत्रालयी बैठक आयोजित की गई थी।
  • बैठक का उद्देश्य राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के तहत परिभाषित व्यापक लॉजिस्टिक्स एक्शन प्लान (सीएलएपी) के तहत कार्यान्वित विभिन्न उपायों का जायजा लेना था।
  • बैठक के दौरान देश में लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार के लिए विभिन्न मंत्रालयों द्वारा किए गए उपायों का भी प्रदर्शन किया गया।
  • इन सुधारों से प्रेरित और लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हुए, विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (एलपीआई) में भारत की रैंकिंग 2018 के 44 से छह स्थान बढ़कर 2023 में 139 देशों में से 38 हो गई है।
  • पीएम गतिशक्ति के पूरक के लिए, राष्ट्रीय रसद नीति, 17 सितंबर 2023 को शुरू की गई थी, और प्रमुख कार्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है जैसे डिजिटल एकीकरण, सेवाओं में सुधार, राज्य की भागीदारी, कौशल विकास, लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक, लॉजिस्टिक्स लागत में कमी, EXIM लॉजिस्टिक्स, आदि।
  • सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में वार्षिक “विभिन्न राज्यों में लॉजिस्टिक्स सुगमता (LEADS)” सर्वेक्षण के तहत लॉजिस्टिक्स – बुनियादी ढांचे और सेवाओं में आसानी के मापदंडों पर राज्यों की रेटिंग ट्रैक पर है।
  • LEADS रिपोर्ट 2022-2023 अक्टूबर 2023 में लॉन्च की जाएगी।
  • लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में सेक्टर-विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने और देश में बल्क और ब्रेक-बल्क कार्गो की आवाजाही को सुव्यवस्थित करने के लिए, उपयोगकर्ता मंत्रालयों द्वारा कुशल लॉजिस्टिक्स (एसपीईएल) के लिए क्षेत्रीय योजनाएं विकसित की जा रही हैं।
  • भारत के 100% कंटेनरीकृत EXIM कार्गो की ट्रैकिंग और पता लगाने के लिए लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (LDB) विकसित किया गया है।
  • कोयला और ऊर्जा उत्पादन के लिए लॉजिस्टिक्स योजना: कोयला मंत्रालय द्वारा एक मसौदा कोयला लॉजिस्टिक्स नीति और राष्ट्रीय कोयला निकासी योजना विकसित की गई है।
    • इसके अलावा, भौतिक परिसंपत्तियों (कोयला प्रबंधन के लिए भारी अर्थ मूविंग मशीनें) का मानकीकरण और गुणवत्ता प्रबंधन के लिए मानक स्थापित करने का काम प्रगति पर है।
  • एमएसडीई द्वारा राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स कार्यबल रणनीति के विकास के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है।

3. भारतीय फुटवियर और चमड़ा उद्योग:

  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फुटवियर मेला 2023 (आईआईएफएफ) को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा की भारतीय फुटवियर व चमड़ा उद्योग न केवल विदेशी मुद्रा का एक प्रमुख अर्जक है, बल्कि श्रम प्रधान क्षेत्र होने के कारण यह लगभग 4.5 मिलियन लोगों को रोजगार देता है, जिनमें 40 प्रतिशत महिलाएं भी शामिल हैं।
  • भारत में विश्व का सबसे बड़ा और सर्वोत्तम गुणवत्ता वाला फुटवियर निर्माता बनने की क्षमता निहित है।
  • भारत विश्व में चमड़े से बने परिधानों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक, जीन बनाने के सामान और घोड़ो के साजो सामान का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातकर्ता तथा चमड़े उत्पादों का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है।
  • इस क्षेत्र की उत्पादन वाली 95 प्रतिशत से अधिक इकाइयां वर्तमान में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) इकाइयां हैं।
  • भारतीय फुटवियर को दुनिया भर में अलग पहचान दिलाने और विदेशी आकार-माप के प्रचलन पर निर्भरता कम करने के लिए देसी आकार व माप के फुटवियर बाजार में उतारे जाएंगे।
  • इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए उद्योगपतियों को तकनीकी सहयोग तथा गैर-चमड़े के फुटवियर के संयुक्त उद्यमों के लिए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) का पता लगाने का सुझाव दिया, जिससे देश के निर्यात में वृद्धि हो और भारतीय उत्पादों के साथ घरेलू बाजार में बढ़ोतरी भी हो।
  • गोयल ने महाराष्ट्र की कोल्हापुरी चप्पल और राजस्थान के मोजरी फुटवियर की सुंदरता पर भी प्रकाश डाला।
  • पीयूष गोयल ने ‘भारत मंडपम्’ – अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र परिसर जैसे भव्य बुनियादी ढांचे का निर्माण जैसी पहल करने में अग्रणी है, का भी जिक्र किया ।
    • उन्होंने बताया कि सितंबर 2023 में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी ‘भारत मंडपम’ में होगी।
  • भारतीय फुटवियर और चमड़ा उद्योग के विकास कार्यक्रम के हिस्से के रूप में सरकार द्वारा जांच एवं परीक्षण सुविधाएं शुरू की जाएंगी।
    • उन्होंने चमड़े उत्पाद व्यवसाय करने में आसानी के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर भी प्रकाश डाला, जिनमें कॉर्पोरेट अपराधों को अपराध मुक्त करना, अनुपालन बोझ को कम करना, सभी अनुमोदनों के लिए एक राष्ट्रीय सिंगल विंडो बनाना और विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करना आदि शामिल हैं।

4. टाइगर रिज़र्व का प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन: पांचवें चक्र की अंतिम रिपोर्ट:

  • प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आईयूसीएन), संरक्षित क्षेत्रों पर विश्व आयोग के ढांचे से अपनाया गया, प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन (एमईई) टाइगर रिजर्व और उनसे जुड़ी लैंडस्केप कनेक्टिविटी के प्रबंधन परिप्रेक्ष्य में सहायता और सुधार करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण साधन के रूप में उभरा है।
    • भारत में टाइगर रिजर्व दुनिया के बेहतरीन संरक्षण मॉडलों में से एक हैं, जो जैव विविधता के संरक्षण और मनुष्यों की भलाई के लिए प्राकृतिक वास प्रदान करते हैं।
    • ये प्रकृति-आधारित पर्यटन के लिए भी प्रमुख स्थल हैं।
    • 2006 में अपनी स्थापना के बाद से, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किए जा रहे एमईई ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्रयासों के सफल मूल्यांकन का मार्ग प्रशस्त किया है।
  • भारत दुनिया का एकमात्र देश है जिसने देश में टाइगर रिजर्व के एमईई के पांच चक्रों को संस्थागत और प्रभावी ढंग से पूरा किया है।
    • इसने 18 राज्यों में 75,796.83 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले 53 टाइगर रिजर्व का एक नेटवर्क घोषित किया है।
    • इनमें से, 2022 में टाइगर रिजर्व के एमईई के पांचवें चक्र में एमईई प्रक्रिया के माध्यम से कुल 51 टाइगर रिजर्व का स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन किया गया है।
    • देश के 51 टाइगर रिजर्व का मूल्यांकन करने के लिए दस स्वतंत्र क्षेत्रीय विशेषज्ञ समितियों (आरईसी) का गठन किया गया और पांच बाघ परिदृश्यों के 10 अलग-अलग समूहों में प्रतिनियुक्त किया गया।
    • प्रत्येक टीम में एक अध्यक्ष और 2-3 सदस्य (वन्यजीव प्रबंधन, विशेष रूप से टाइगर रिजर्व/संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले सेवानिवृत्त आईएफएस अधिकारी) शामिल थे।
    • इसके अलावा, भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के एक संकाय सदस्य ने अभ्यास को पूरा करने में तकनीकी सहायता प्रदान की।
    • प्रक्रिया के एक भाग के रूप में, स्वतंत्र विशेषज्ञ टीमों ने निर्धारित मूल्यांकन मानदंडों के अनुसार एमईई आयोजित करने के लिए सभी 51 टाइगर रिजर्व का दौरा किया और फील्ड निदेशकों द्वारा प्रस्तुत सहायक दस्तावेजों की जांच करने के बाद एमईई स्कोर कार्ड पूरा किया।
  • देश के विविध बाघ अभयारण्यों के विश्लेषण में समानता लाने और किए जाने वाले मूल्यांकन के संबंध में मूल्यांकनकर्ताओं का मार्गदर्शन करने के लिए, तकनीकी मैनुअल में पिछले चक्रों से मानदंडों को थोड़ा बेहतर किया गया है।
    • एमईई फ्रेमवर्क के छह तत्वों में से प्रत्येक के मूल्यांकन के लिए, भारत में टाइगर रिजर्व के एमईई के लिए 33 मानदंड विकसित किए गए हैं।
    • विभिन्न मानदंडों/संकेतकों को अलग-अलग वेटेज देने के बाद स्कोरिंग को अधिक उद्देश्यपूर्ण बनाने के लिए मूल्यांकन के एक भाग के रूप में एक विस्तृत मैट्रिक्स विकसित और शामिल की गई।
  • 51 टाइगर रिज़र्व में से प्रत्येक के लिए सभी 33 ‘मानदंडों/संकेतकों’ के स्कोर को एक साथ एकत्रित किया गया और प्रत्येक टाइगर रिज़र्व के लिए एक प्रतिशत रेटिंग की गणना की गई।
    • इस व्याख्या ने परिणामों को अधिकतम संभावित स्कोर के प्रतिशत के आधार पर चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया: 50-59% को ‘उचित’ के रूप में मूल्यांकित किया गया; 60-74% को ‘अच्छा’ माना गया; 75-89% को ‘बहुत अच्छा’ और >=90% को “उत्कृष्ट” के रूप में दर्जा दिया गया है।
    • एमईई के 5वें चक्र के दौरान टाइगर रिजर्व द्वारा किए गए पर्याप्त सुधार (उच्च स्कोर अर्थात> = 90%) को समायोजित करने के लिए इन श्रेणियों में थोड़ा संशोधन और “उत्कृष्ट” श्रेणी की शुरुआत की गई थी।
    • यह सुनिश्चित करने के लिए ध्यान रखा गया कि ये श्रेणियां एमईई के पिछले चक्रों के साथ तुलनीय हों, यानी, पिछले चक्रों की बहुत अच्छी श्रेणी को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया था, अर्थात, इस चक्र की बहुत अच्छी और उत्कृष्ट श्रेणियां।
  • 2022 में टाइगर रिजर्व के एमईई के पांचवें चक्र के परिणाम 51 टाइगर रिजर्व के लिए 78.01% (50% से 94% के बीच) के समग्र औसत स्कोर का संकेत देते हैं।
  • कुल 12 टाइगर रिजर्व ने ‘उत्कृष्ट’ श्रेणी हासिल की है, इसके बाद 21 टाइगर रिजर्व ‘बहुत अच्छी’ श्रेणी में, 13 टाइगर रिजर्व ‘अच्छी’ श्रेणी में और 5 टाइगर रिजर्व ‘उचित’ श्रेणी में हैं।
  • टाइगर रिजर्व के एमईई के 5वें चक्र ने देश में टाइगर रिजर्व नेटवर्क (टीआरएन) के संचालन में उत्कृष्ट गुणात्मक और मात्रात्मक अंतर्दृष्टि प्रदान की है।
  • टीआरएन में कई ‘ताकतें’ हैं जिन्हें उच्च स्तर की उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए बनाए रखा जाना चाहिए और यहां तक कि सुधार भी किया जाना चाहिए।

5. अखिल भारतीय बाघ अनुमान-2022: विस्तृत रिपोर्ट जारी:

  • 1973 में, भारत सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर, एक महत्वाकांक्षी, समग्र संरक्षण परियोजना शुरू की, जिसका उद्देश्य देश की बाघ आबादी की सुरक्षा और जैव विविधता का संरक्षण करना था।
  • पिछले पचास वर्षों में, प्रोजेक्ट टाइगर ने बाघ संरक्षण में महत्वपूर्ण प्रगति करते हुए सराहनीय सफलता हासिल की है।
  • प्रारंभ में 18,278 किमी में फैले नौ बाघ अभ्यारण्यों को कवर करते हुए, यह परियोजना 75,796 वर्ग किमी में फैले 53 अभ्यारण्यों के साथ एक उल्लेखनीय उपलब्धि में विकसित हुई है, जो प्रभावी रूप से भारत के कुल भूमि क्षेत्र के 2.3% को कवर करती है।
  • भारत में वर्तमान में दुनिया की लगभग 75% जंगली बाघ आबादी रहती है।
  • 1970 के दशक में बाघ संरक्षण का पहला चरण वन्यजीव संरक्षण अधिनियम को लागू करने और बाघों और उष्णकटिबंधीय जंगलों के लिए संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना पर केंद्रित था।
  • हालाँकि, 1980 के दशक में व्यापक अवैध शिकार के कारण गिरावट देखी गई। जवाब में, सरकार ने 2005 में दूसरे चरण की शुरुआत की, जिसमें बाघ संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए परिदृश्य-स्तरीय दृष्टिकोण, सामुदायिक भागीदारी और समर्थन, सख्त कानून प्रवर्तन लागू करना और वैज्ञानिक निगरानी के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करना शामिल था।
  • इस दृष्टिकोण से न केवल बाघों की आबादी में वृद्धि हुई, बल्कि इसके कई महत्वपूर्ण परिणाम भी हुए, जिनमें अक्षुण्ण महत्वपूर्ण कोर और बफर क्षेत्रों का निर्धारण, नए बाघ अभयारण्यों की पहचान और बाघ परिदृश्यों और गलियारों की पहचान शामिल थी।
  • निगरानी अभ्यास से वन कर्मचारियों में वैज्ञानिक सोच विकसित हुई और प्रौद्योगिकी के उपयोग से डेटा संग्रह और विश्लेषण में पारदर्शिता सुनिश्चित हुई।
  • भारत ने प्रभावी पारिस्थितिक और प्रबंधन-आधारित रणनीतियों को सक्षम करते हुए, जीवविज्ञान और इंटरकनेक्टिविटी के आधार पर बाघों के आवासों को पांच प्रमुख परिदृश्यों में वर्गीकृत किया है।
  • बाघों की उपस्थिति के स्थानिक पैटर्न में महत्वपूर्ण बदलाव और 2018 में अनूठी बाघ देखे जाने की संख्या 2461 से बढ़कर 2022 में 3080 हो गई है, अब बाघों की 3/4 से अधिक आबादी संरक्षित क्षेत्रों में पाई जाती है।
  • 9 अप्रैल, 2022 को, मैसूरु में प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने के जश्न के दौरान, माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बाघों की न्यूनतम आबादी 3167 घोषित की, जो कैमरा-ट्रैप क्षेत्र से जनसंख्या का अनुमान है।
  • मध्य भारत और शिवालिक पहाड़ियों और गंगा के मैदानों में बाघों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, विशेष रूप से मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र राज्यों में।
  • हालाँकि, पश्चिमी घाट जैसे कुछ क्षेत्रों में स्थानीयकृत गिरावट का अनुभव हुआ, जिससे लक्षित निगरानी और संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता पड़ी।
  • मिजोरम, नागालैंड, झारखंड, गोवा, छत्तीसगढ़ और अरुणाचल प्रदेश सहित कुछ राज्यों ने बाघों की छोटी आबादी के साथ चिंताजनक रुझान की सूचना दी है।
  • बाघों की सबसे बड़ी आबादी 785 मध्य प्रदेश में है, इसके बाद कर्नाटक (563) और उत्तराखंड (560), और महाराष्ट्र (444) हैं।
  • टाइगर रिजर्व के भीतर बाघों की बहुतायत कॉर्बेट (260) में सबसे अधिक है, इसके बाद बांदीपुर (150), नागरहोल (141), बांधवगढ़ (135), दुधवा (135), मुदुमलाई (114), कान्हा (105), काजीरंगा (104) सुंदरबन (100), ताडोबा (97), सत्यमंगलम (85), और पेंच-एमपी (77) हैं।
  • भारत के प्रोजेक्ट टाइगर ने पिछले पांच दशकों में बाघ संरक्षण के मामले में जबरदस्त प्रगति की है, लेकिन अवैध शिकार जैसी चुनौतियाँ अभी भी बाघ संरक्षण के लिए खतरा बनी हुई हैं।
  • आने वाली पीढ़ियों के लिए भारत के बाघों और उनके पारिस्थितिकी तंत्र के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बाघों के आवास और गलियारों की रक्षा के लिए निरंतर प्रयास महत्वपूर्ण हैं।

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