विषयसूची:
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1. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन ,इन अति संवेदन शील वर्गों की रक्षा एवं बहतरी के लिए गठित तंत्र,विधि ,संस्थान एवं निकाय।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन),कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी)।
मुख्य परीक्षा: कमजोर जनजातीय समूहों के कल्याण हेतु प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान का महत्व स्पष्ट कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24,104 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्सेदारी: 15,336 करोड़ रुपये और राज्य हिस्सेदारी: 8,768 करोड़ रुपये) के कुल परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन) को मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य:
- इसके अंतर्गत नौ संबंधित मंत्रालयों के माध्यम से 11 अहम क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर खूंटी से इस अभियान की घोषणा की थी।
विवरण:
- विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार के लिए प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन शुरू किया जाएगा।
- इसके बारे में बजट भाषण 2023-24 में घोषणा की गई थी।
- यह पीवीटीजी परिवारों और बस्तियों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुंच, सड़क और दूरसंचार कनेक्टिविटी और स्थायी आजीविका के अवसरों जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेगा।
- अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) के तहत अगले तीन वर्षों में मिशन को लागू करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
- 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में अनुसूचित जनजाति की आबादी 10.45 करोड़ थी, जिसमें से 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित 75 समुदायों को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- इन पीवीटीजी को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक क्षेत्रों में असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है।
- पीएम-जनमन योजना (केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित योजनाओं को मिलाकर) जनजातीय मामलों के मंत्रालय सहित 9 मंत्रालयों के माध्यम से 11 महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो इस प्रकार हैं:
- पक्के मकानों का प्रावधान,संपर्क मार्ग,नल जल आपूर्ति,सामुदायिक जल आपूर्ति,दवा लागत के साथ मोबाइल चिकित्सा इकाइयां,छात्रावासों का निर्माण,व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल,आंगनबाडी केन्द्रों का निर्माण,बहुउद्देशीय केंद्रों का निर्माण (एमपीसी),एचएच का ऊर्जाकरण (अंतिम मील कनेक्टिविटी),0.3 किलोवाट सोलर ऑफ-ग्रिड प्रणाली का प्रावधान,सड़कों और एमपीसी में सौर प्रकाश व्यवस्था,वीडीवीके की स्थापना,मोबाइल टावरों की स्थापना
- ऊपर उल्लिखित कार्यों के अलावा, निम्नलिखित कार्य अन्य मंत्रालयों के लिए मिशन का हिस्सा होंगे:
- आयुष मंत्रालय मौजूदा मानदंडों के अनुसार आयुष कल्याण केंद्र स्थापित करेगा और मोबाइल चिकित्सा इकाइयों के माध्यम से पीवीटीजी बस्तियों तक आयुष सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
- कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय इन समुदायों के उपयुक्त कौशल के अनुसार पीवीटीजी बस्तियों, बहुउद्देशीय केंद्रों और छात्रावासों में कौशल और व्यावसायिक प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करेगा।
2. त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन ने भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी, नवाचार और समाधान को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्टता केंद्र (पायलट) का मार्ग प्रशस्त किया है:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: भू-स्थानिक डेटा एक्सचेंज की स्थापना।
मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति ।
प्रसंग:
- भारत में भू-स्थानिक नवाचार,अनुसंधान को बढ़ावा देने तथा भू-स्थानिक डोमेन की उभरती प्रौद्योगिकी समाधान आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र (पायलट) की स्थापना के लिए 28 नवंबर, 2023 को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के राष्ट्रीय भू-स्थानिक कार्यक्रम, भारतीय सर्वेक्षण विभाग (सर्वे ऑफ़ इंडिया) के राष्ट्रीय भू-सूचना विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ जिओ-इन्फार्मेटिक्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी -एनआईजीएसटी), और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) तिरूपति के नविष्कर आई -हब फाउंडेशन के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
उद्देश्य:
- एक पायलट के रूप में भूस्थानिक नवाचार एवं अनुसंधान (जियोस्पेचियल इनोवेशन एंड रिसर्च) के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस-सीओई) का लक्ष्य देश में भूस्थानिक क्षेत्र (जियोस्पेचियल डोमेन) की उभरती प्रौद्योगिकी समाधान आवश्यकताओं को पूरा करना है।
- यह केंद्र नवीन भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी-आधारित ऐसे स्टार्ट-अप्स, उद्योगों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को समर्थन और प्रोत्साहन देगा, जिनका अर्थव्यवस्था के मुख्य क्षेत्रों में अनुप्रयोग और प्रभाव है।
विवरण:
- राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति के कुछ पहलुओं को लागू करने की दिशा में यह सम्भवतः पहला कदम है।
- भू-स्थानिक दिशानिर्देशों को उदार बनाने और इसके लिए नीति लाने के बाद, हम भारतीय सर्वेक्षण विभाग में सुधार लाने की प्रक्रिया में हैं।
- एक भू-स्थानिक डेटा एक्सचेंज स्थापित करने की योजना है।
- भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी विकसित करने के साथ-साथ अनुप्रयोगों पर ध्यान केंद्रित करने वाले स्टार्टअप का समर्थन करने के लिए ऊष्मायक (इनक्यूबेटर) भी स्थापित किए जाएंगे।
- भू-स्थानिक डेटा विज्ञान एक उभरता हुआ अंतःविषय (इन्टर-डिसीप्लीनरी) क्षेत्र है जिसमें भू-स्थानिक इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी शामिल है।
- समर्पित ऊष्मायक (इनक्यूबेटर) स्थापित करने और समर्पित सीओई के माध्यम से क्षमता निर्माण करने के बाद भू-स्थानिक डेटा नीति की सिफारिशों को लागू किया जा सकेगा।
- डेटा विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) मॉडल का उपयोग करते हुए वर्ल्ड वाइड वेब (डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू) की यह पूरी अवधारणा अगले 10 वर्षों में बदल सकती है और फिर उस भू-स्थानिक प्लेटफॉर्म के आसपास केंद्रित हो सकती है जिसके माध्यम से भविष्य की खोजों के लिए हम रैखिक प्रारूप (लीनियर फैशन) में हम एआई और मशीन लर्निंग के परस्पर संयोजन से प्रासंगिक (कांटेक्सुअल) और स्थान-आधारित (लोकेशन बेस्ड) दोनों ही प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- डीएसटी वर्तमान प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्रों के साथ-साथ विशेषज्ञों/संस्थानों के साथ मिलकर काम करेगा जिससे कि नवाचार में सहक्रियात्मक परिणाम उत्पन्न करने के लिए एक-दूसरे की क्षमताओं के साथ-साथ सहयोग की शक्ति का लाभ उठाया जा सके।
- इससे यह सुनिश्चित होगा कि एक ऐसा गतिशील कार्यात्मक मॉडल है जिसमें उन प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जो बाजार की मांगों से प्रेरित हैं।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. “श्री अन्न वैश्विक उत्कृष्ट शोध केंद्र”:
- प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की विशेष पहल पर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का भारतीय श्री अन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद में स्थापित किया जा रहा है, यह “श्री अन्न वैश्विक उत्कृष्ट शोध केंद्र” सर्वसुविधायुक्त रहेगा, जिसके माध्यम से देश-दुनिया में श्री अन्न को बढ़ावा मिलेगा।
- विशेषकर छोटे किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से श्री अन्न को बढ़ावा देने हेतु भारत की पहल पर अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष-2023 भी मनाया जा रहा है।
- 18 मार्च 2023 को पूसा परिसर, दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय श्री अन्न सम्मेलन में “श्री अन्न वैश्विक उत्कृष्ट शोध केंद्र” की उद्घोषणा प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य श्री अन्न अनुसंधान एवं विकास के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं व उपकरणों से सुसज्जित बुनियादी ढांचे की स्थापना करना है जिसमें मूल्य श्रृंखला, मानव संसाधन विकास, श्री अन्न के पौष्टिक गुणों के बारे में आमजन में जागरूकता फैलाना एवं वैश्विक स्तर पर पहुंच एवं पहचान बनाना है ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सकें।
- इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए इस केंद्र में जीन बैंक, प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र, श्री अन्न मूल्य श्रृंखला एवं व्यापार सुविधा केंद्र, अंतरराष्ट्रीय ज्ञान, कौशल व क्षमता विकास केंद्र और वैश्विक स्तर की अनुसंधान सुविधाओं की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
- “श्री अन्न वैश्विक उत्कृष्ट शोध केंद्र” में अनुसंधान से संबंधित विभिन्न सुविधों में जीनोम अनुक्रमण, जीन संपादन, पोषक जीनोमिक्स, आणविक जीव विज्ञान, मूल्य संवर्धन और जीनोम-सहायता प्रजनन के लिए उन्नत अनुसंधान उपकरणों से सुसज्जित प्रयोगशालाओं की स्थापना के साथ-साथ स्पीड ब्रीडिंग, फाइटोट्रॉन, जलवायु नियंत्रित कक्ष, ग्रीन हाउस व ग्लास हाउस एवं रैपिड फेनोमिक्स सुविधा की भी स्थापना की जा रही है।
- इसी क्रम में संस्थान के नवस्थापित बाडमेर (राजस्थान) एवं सोलापुर (महाराष्ट्र) स्थित दो क्षेत्रीय केंद्रों को भी सुदृढ़ बनाया जा रहा है।
- केंद्र को वैश्विक स्तर का अनुसंधान और प्रशिक्षण परिसर बनाने के लिए उन्नत अनुसंधान प्रयोगशालाओं के साथ आधुनिक प्रशिक्षण सुविधाओं, सम्मेलन कक्षों और अंतर्राष्ट्रीय अतिथि गृह की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है। केंद्र की गतिविधियों को समय-सीमा में पूरा करने व पूरे देश में लागू करने के लिए आईसीएआर के 15 संस्थान सहयोग करेंगे।
- श्री अन्न वैश्विक उत्कृष्ट शोध केंद्र स्थापना के लिए केंद्रीय बजट में 250 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
2. 81.35 करोड़ लाभार्थियों को पांच साल तक नि:शुल्क अनाज : कैबिनेट निर्णय
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि केंद्र सरकार 1 जनवरी, 2024 से पांच वर्ष की अवधि के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत लगभग 81.35 करोड़ लाभार्थियों को नि:शुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराएगी।
- यह निर्णय पीएमजीकेएवाई को विश्व की सबसे बड़ी सामाजिक कल्याण योजनाओं में शामिल करता है, जिसका उद्देश्य 5 वर्ष की अवधि में 11.80 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 81.35 करोड़ व्यक्तियों के लिए भोजन और पोषण संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- यह निर्णय जनसंख्या की बुनियादी भोजन और पोषण आवश्यकताओं की पूर्ति के माध्यम से कुशल और लक्षित कल्याण की दिशा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- अमृत काल के दौरान इस व्यापक स्तर पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना एक आकांक्षी और विकसित भारत के निर्माण की दिशा में समर्पित प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- 1 जनवरी, 2024 से 5 वर्षों के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत नि:शुल्क खाद्यान्न (चावल, गेहूं और मोटा अनाज/पोषक अनाज) खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ बनाएगा और जनसंख्या के निर्धन और निर्बल वर्गों की किसी भी वित्तीय कठिनाई में कमी लाएगा।
- यह एक समान लोगो के तहत 5 लाख से अधिक उचित मूल्य की दुकानों के नेटवर्क के माध्यम से सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण में राष्ट्रव्यापी एकरूपता प्रदान करेगा।
- यह ओएनओआरसी-वन नेशन वन राशन कार्ड पहल के तहत लाभार्थियों को देश में किसी भी उचित मूल्य की दुकान से नि:शुल्क खाद्यान्न उठाने की अनुमति देने के जरिए जीवन को सुगम बनाने में भी सक्षम बनाएगा। यह पहल प्रवासियों के लिए बहुत लाभप्रद है, जो डिजिटल इंडिया के तहत प्रौद्योगिकी आधारित सुधारों के हिस्से के रूप में अधिकारों की इंट्रा और इंटर स्टेट पोर्टेबिलिटी दोनों की सुविधा प्रदान करती है।
- नि:शुल्क खाद्यान्न एक साथ पूरे देश में वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) के तहत पोर्टेबिलिटी के समान कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगा और इस पसंद-आधारित प्लेटफॉर्म को और सुदृढ़ करेगा।
- 1 जनवरी 2024 से पांच वर्षों के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत नि:शुल्क खाद्यान्न का प्रावधान समाज के प्रभावित वर्ग की किसी भी वित्तीय कठिनाई को स्थायी तरीके से कम करेगा और लाभार्थियों के लिए शून्य लागत के साथ दीर्घकालिक मूल्य निर्धारण कार्यनीति सुनिश्चित करेगा जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली की प्रभावी पैठ के लिए महत्वपूर्ण है।
- यह योजना पीएमजीकेएवाई के तहत कवर किए गए 81.35 करोड़ व्यक्तियों के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने में योगदान देगी।
- लाभार्थियों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए और लक्षित आबादी के लिए खाद्यान्न की पहुंच, सामर्थ्य और उपलब्धता के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने और राज्यों में एकरूपता बनाए रखने के लिए, पीएमजीकेएवाई के तहत पांच वर्ष तक निःशुल्क खाद्यान्न की उपलब्धता जारी रखने का निर्णय लिया गया है।
3. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों के लिए केन्द्र प्रायोजित योजना को अगले तीन वर्षों तक जारी रखने को मंजूरी दी:
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 01.04.2023 से 31.03.2026 तक की अवधि के लिए केन्द्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के रूप में फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) को जारी रखने को मंजूरी दे दी है, जिसमें 1952.23 करोड़ रुपये (केन्द्र के हिस्से के रूप में 1207.24 करोड़ रुपये और राज्य के हिस्से के रूप में 744.99 करोड़ रुपये) का वित्तीय निहितार्थ शामिल होगा।
- केन्द्र के हिस्से का वित्त पोषण निर्भया फंड से किया जाना है। यह योजना 02.10.2019 को शुरू की गई थी।
- महिलाओं एवं बच्चों की संरक्षा व सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति सरकार की अटूट प्राथमिकता ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम जैसी कई पहलों से स्पष्ट है।
- बच्चियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं ने देश पर गहरा प्रभाव डाला है।
- बार-बार होने वाली ऐसी घटनाओं और अपराधियों की लंबी चलने वाली सुनवाई के कारण एक ऐसी समर्पित अदालत प्रणाली की स्थापना की आवश्यकता महसूस हुई जो सुनवाई में तेजी लाने और यौन अपराधों के पीड़ितों को तत्काल राहत देने में सक्षम हो।
- परिणामस्वरूप, केन्द्र सरकार ने “आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2018” लागू किया, जिसमें दुष्कर्म के अपराधियों के लिए मृत्युदंड सहित कड़ी सजा शामिल है और जिससे फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) का गठन संभव हुआ।
- समर्पित अदालतों के रूप में डिजाइन किए गए एफटीएससी से अपेक्षा की जाती है कि वे यौन अपराधियों के लिए निवारक ढांचे को मजबूत करते हुए और पीड़ितों को त्वरित राहत प्रदान करते हुए त्वरित न्याय सुनिश्चित करेंगे।
- भारत ने अगस्त 2019 में दुष्कर्म और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पोक्सो अधिनियम) से संबंधित मामलों का समय पर निपटारा करने हेतु एफटीएससी की स्थापना के लिए एक केन्द्र प्रायोजित योजना तैयार की।
- स्वत: संज्ञान रिट याचिका (आपराधिक) के संदर्भ में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए, इस योजना ने 100 से अधिक पोक्सो अधिनियम से जुड़े मामलों वाले जिलों के लिए विशेष पोक्सो अदालतों की स्थापना को अनिवार्य कर दिया।
- प्रारंभ में अक्टूबर 2019 में एक वर्ष की अवधि के लिए शुरू की गई इस योजना को अतिरिक्त दो वर्षों के लिए 31.03.2023 तक बढ़ा दिया गया था।
- अब, इसे 1952.23 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ 31.03.2026 तक बढ़ा दिया गया है। इस वित्तीय परिव्यय में केन्द्र की हिस्सेदारी का वित्त पोषण निर्भया फंड से होगा।
- विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग द्वारा कार्यान्वित, एफटीएससी की केन्द्र प्रायोजित योजना देश भर में एफटीएससी की स्थापना के लिए राज्य सरकार के संसाधनों को बढ़ाती है, जिससे दुष्कर्म और पोक्सो अधिनियम से संबंधित मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित होता है।
- तीस राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों ने इस योजना में भाग लिया है और 414 विशिष्ट पोक्सो अदालतों सहित 761 एफटीएससी की शुरुआत की है, जिन्होंने 1,95,000 से अधिक मामलों का निपटारा किया है।
- ये अदालतें यौन अपराधों के पीड़ितों को समय पर न्याय प्रदान करने के राज्य/केन्द्र-शासित प्रदेश के सरकार के प्रयासों का समर्थन करती हैं। यहां तक कि दूर-दराज के इलाकों में भी।
इस योजना के अपेक्षित परिणाम हैं:
- यौन और लैंगिक आधार पर होने वाली हिंसा को समाप्त करने के प्रति देश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- न्यायिक प्रणाली को काम के बोझ से राहत दिलाते हुए, दुष्कर्म और पोक्सो अधिनियम के लंबित मामलों को काफी हद तक कम करता है।
- बेहतर सुविधाओं और त्वरित सुनवाई के माध्यम से यौन अपराधों के पीड़ितों के लिए न्याय की सुलभता सुनिश्चित करता है।
- मामलों के बोझ को प्रबंधन योग्य संख्या तक कम करता है।
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