विषयसूची:
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1. भारत में हिम तेंदुओं की स्थिति रिपोर्ट जारी:
सामान्य अध्ययन: 3
जैव विविधता:
विषय: जैव विविधता,पारिस्थिकी एवं पर्यावरण सुरक्षा।
प्रारंभिक परीक्षा: हिम तेंदुआ,भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई)।
मुख्य परीक्षा: भारत में हिम तेंदुए की आबादी का आकलन (एसपीएआई) कार्यक्रम का जैव विविधता पर प्रभाव।
प्रसंग:
- केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने 30 जनवरी 2024 को नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक के दौरान भारत में हिम तेंदुओं की स्थिति पर रिपोर्ट जारी की।
उद्देश्य:
- भारत में हिम तेंदुए की आबादी का आकलन (एसपीएआई) कार्यक्रम पहला वैज्ञानिक प्रयास है, इसके अनुसार भारत में हिम तेंदुए की संख्या 718 है।
विवरण:
- भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) हिम तेंदुए की आबादी का आकलन कार्यक्रम के लिए राष्ट्रीय समन्वयक है।
- इस कार्यक्रम को सभी हिम तेंदुआ रेंज वाले राज्यों और दो संरक्षण भागीदारों- नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन, मैसूर और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया के सहयोग से किया गया था।
- एसपीएआई ने व्यवस्थित रूप से देश में संभावित हिम तेंदुए की 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र को शामिल किया, जिसमें वन और वन्यजीव कर्मचारी, शोधकर्ता, स्वयंसेवक और ज्ञान भागीदारों का योगदान शामिल था।
- केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख तथा जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों सहित ट्रांस-हिमालयी इलाके में लगभग 1,20,000 किलोमीटर क्षेत्र को शामिल करते हुए एसपीएआई का यह कार्यक्रम 2019 से 2023 तक दो चरणों में चलाया गया था।
- पहले चरण में हिम तेंदुए के स्थानिक वितरण का मूल्यांकन करना, उनके निवास स्थान पर सहवास विश्लेषण करना, और 2019 में पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) द्वारा भारत में हिम तेंदुओं की राष्ट्रीय जनसंख्या मूल्यांकन के दिशानिर्देशों के अनुरूप इनकी आबादी का पता करना शामिल है।
- यह व्यवस्थित दृष्टिकोण संभावित वितरण रेंज में अधिभोग-आधारित नमूना दृष्टिकोण के माध्यम से तेंदुए के स्थानिक वितरण का आकलन करना शामिल है।
- दूसरे चरण में, प्रत्येक चिन्हित स्तरीकृत क्षेत्र में कैमरा ट्रैप का उपयोग करके हिम तेंदुए की बहुतायत का अनुमान लगाया गया।
- एसपीएआई के इस कार्यक्रम के दौरान, कुल प्रयासों में हिम तेंदुए के संकेतों को रिकॉर्ड करने के लिए 13,450 किलोमीटर के क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया, जबकि 1,80,000 ट्रैप रातों के लिए 1,971 स्थानों पर कैमरा ट्रैप तैनात किए गए थे।
- हिम तेंदुए का निवास 93,392 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में दर्ज किया गया था, इनकी अनुमानित उपस्थिति 100,841 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पाई गई है।
- कुल 241 अद्वितीय हिम तेंदुओं की तस्वीरें खींची गईं।
- डेटा विश्लेषण के आधार पर, विभिन्न राज्यों में इनकी अनुमानित संख्या इस प्रकार है: लद्दाख (477), उत्तराखंड (124), हिमाचल प्रदेश (51), अरुणाचल प्रदेश (36), सिक्किम (21), और जम्मू तथा कश्मीर (9)।
- हाल के वर्षों तक, इस कमजोर प्रजाति की व्यापक राष्ट्रव्यापी मूल्यांकन की कमी के कारण भारत में हिम तेंदुए की रेंज अपरिभाषित थी।
- 2016 से पहले, इनकी रेंज के लगभग एक तिहाई (लगभग 100,347 वर्ग किलोमीटर) क्षेत्र पर शोध में सबसे कम ध्यान दिया गया जो कि लद्दाख, जम्मू एवं कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे इलाकों में घटकर केवल 5 प्रतिशत रह गया था।
- हाल के स्थिति सर्वेक्षणों में 2016 में 56 प्रतिशत की तुलना में 80 प्रतिशत रेंज (लगभग 79,745 वर्ग किलोमीटर) को लेकर प्रारंभिक जानकारी मिलती है।
- हिम तेंदुए की संख्या पर ठोस जानकारी इकट्ठा करने के लिए, एसपीएआई ने कैमरे के एक बड़े नेटवर्क का उपयोग करके हिम तेंदुओं के आवासों का सर्वेक्षण किया।
- इस स्थिति रिपोर्ट में बताया गया है कि पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत डब्ल्यूआईआई में एक समर्पित हिम तेंदुआ प्रकोष्ठ स्थापित करना का प्रस्ताव है।
- इसका प्राथमिक ध्यान अच्छी तरह से तैयार किए गए अध्ययन डिजाइन और लगातार क्षेत्र सर्वेक्षण की मदद से इसकी दीर्घकालिक आबादी निगरानी पर होगा।
- हिम तेंदुओं का लंबे समय तक अस्तित्व बनाए रखने के लिए लगातार निगरानी की जरूरत है। इसके लिए, राज्य और केंद्रशासित प्रदेश हिम तेंदुए की रेंज में आवधिक जनसंख्या आकलन दृष्टिकोण (प्रत्येक चौथे वर्ष) अपनाने पर विचार कर सकते हैं।
- ये नियमित मूल्यांकन चुनौतियों की पहचान करने, खतरों से निपटने और प्रभावी संरक्षण रणनीतियों को तैयार करने के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करेंगे।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. प्रधानमंत्री ने आईसीडी-11, मॉड्यूल 2 लॉन्च को भारत की उपलब्धि बताया:
- रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण-11 (आईसीडी-11) के मॉड्यूल-2 लॉन्च होने के साथ, आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा पद्धतियों में अब विशव भर में समान रुग्णता कोड होंगे।
- भारत के प्रधानमंत्री ने 28 जनवरी 2024 के अपने “मन की बात” प्रसारण में इसका उल्लेख किया और इसे भारत की एक उपलब्धि बताया जो इन पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का सहारा लेने वाले रोगियों की समस्याओं को कम करेगा।
- हाल ही में दिल्ली में एक समारोह में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आईसीडी-11, अध्याय 26, मॉड्यूल 2 लॉन्च किया था।
- प्रधानमंत्री ने महत्वपूर्ण उपलब्धि को रेखांकित करते हुए एएसयू उपचार का पालन करने वाले रोगियों द्वारा अब तक सामना की जा रही समस्या को रेखांकित करते हुए कहा, अब इलाज के लिए आयुर्वेद, सिद्ध या यूनानी चिकित्सा पद्धति से सहायता मिलती होगी।
- लेकिन ऐसे मरीजों को तब परेशानी होती है जब वे उसी पद्धति के किसी अन्य डॉक्टर के पास जाते हैं।
- इन चिकित्सा पद्धतियों में बीमारियों, उपचारों और दवाओं की शब्दावली के लिए समान भाषा का उपयोग नहीं किया जाता है।
- प्रत्येक डॉक्टर रोग का नाम और इलाज के तरीके अपने तरीके से लिखता है। इससे कभी-कभी अन्य डॉक्टरों के लिए समझना बहुत कठिन हो जाता है।
- आईसीडी-11 मॉड्यूल 2 के लॉन्च ने इस समस्या को एक सीमा तक सुलझा दिया है और प्रधानमंत्री ने इस ओर ध्यान आकर्षित किया है।
- दशकों से चली आ रही इस समस्या का समाधान अब मिल गया है।
- प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि आयुष मंत्रालय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की सहायता से आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा से संबंधित डेटा और शब्दावली को वर्गीकृत किया है।
- दोनों के प्रयासों से आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा में रोग और उपचार से संबंधित शब्दावली को संहिताबद्ध किया गया है। इस कोडिंग की सहायता से सभी डॉक्टर अब अपने पर्चे या पर्ची पर एक ही भाषा लिखेंगे।
- इसका एक लाभ यह होगा कि अगर आप उस पर्ची को लेकर दूसरे डॉक्टर के पास जाएंगे तो डॉक्टर को सिर्फ उस पर्ची से इसकी पूरी जानकारी मिल जाएगी।
- यह पर्ची किसी की बीमारी, उपचार, ली जाने वाली दवाएं, कितने समय से इलाज चल रहा है, किन चीजों से एलर्जी है, यह जानने में सहायता देगी। इसका एक और लाभ उन लोगों को मिलेगा, जो शोध कार्यों से जुड़े हैं।
- रोगों का अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीडी-11), मॉड्यूल 2 एएसयू से संबंधित अनुसंधान को आगे बढ़ाने में भी मदद करेगा।
- अन्य देशों के वैज्ञानिकों को भी बीमारी, दवाओं और उनके प्रभावों के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी।
- अनुसंधान के विस्तार होने और कई वैज्ञानिक के एक साथ आने से आएंगे, ये चिकित्सा पद्धतियां बेहतर परिणाम देंगी और उनके प्रति लोगों का झुकाव बढ़ेगा। प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि एएसयू से जुड़े डॉक्टर शीघ्र ही इस कोडिंग को अपनाएंगे।
- डब्ल्यूएचओ द्वारा बनाए गए रोगों का अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण भारत जैसे सदस्य देशों के लिए विभिन्न संचारी (जैसे मलेरिया, टीबी, आदि) और गैर-संचारी (मधुमेह, कैंसर, गुर्दे की बीमारी आदि) बीमारियों और मृत्यु दर के आंकड़ों पर प्राथमिक और माध्यमिक डेटा एकत्र करने के लिए प्रमुख साधन हैं।
- आईसीडी-11 टीएम 2 पहल की नींव आयुर्वेद दिवस समारोह 2017 के दौरान शुरू की गई थी, जब अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), नई दिल्ली के उद्घाटन के साथ प्रधानमंत्री द्वारा “राष्ट्रीय आयुष रुग्णता और मानकीकृत शब्दावली इलेक्ट्रॉनिक (एनएएमएएसटीई) पोर्टल लॉन्च किया गया था।
- आईसीडी-11 टीएम2 के लॉन्च से विश्व भर की बीमा कंपनियों के बीच चिकित्सा बीमा कवरेज, बीमा पैकेज के निर्माण तथा बीमा पोर्टेबिलिटी में भी सहायता मिलेगी और भारत में आयुष केयर के लिए चिकित्सा मूल्य यात्रा को बढ़ावा मिलेगा।
- आयुष मंत्रालय आईसीडी-11, मॉड्यूल 2 पर आधारित सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के लिए भविष्य की रणनीति तैयार करेगा। अब इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लागू करेंगे।
- आईसीडी-11 में पारंपरिक चिकित्सा से संबंधित बीमारी नामों का सूचीकरण एक समान वैश्विक परंपरा बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।
2. भारत 5-जी पोर्टल:
- डिजिटल संचार आयोग के अध्यक्ष और संचार मंत्रालय (एमओसी) के दूरसंचार विभाग (डीओटी) के सचिव डॉ. नीरज मित्तल ने ‘भारत टेलीकॉम 2024 – एक विशेष अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय एक्सपो’ के अवसर पर “भारत 5-जी पोर्टल- एक एकीकृत पोर्टल” का शुभारंभ किया।
- अपनी पहल के हिस्से के रूप में, दूरसंचार विभाग ने एकीकृत पोर्टल पर 6-जी अनुसंधान और विकास प्रस्तावों के लिए मांग की घोषणा की, जिसमें 6-जी इकोसिस्टम के विकास पर त्वरित अनुसंधान के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए गए।
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस के उद्घाटन समारोह के दौरान विद्यार्थियों और स्टार्ट-अप समुदायों के लिए 5-जी प्रौद्योगिकियों में दक्षता और जुड़ाव बनाने के लिए देश भर के शैक्षणिक संस्थानों को 100 “5-जी यूज़ केस लैब्स” से सम्मानित किया।
- सभी 100 से अधिक प्रयोगशालाएं/संस्थान एक समर्पित पोर्टल (100 5-जी प्रयोगशालाओं के डिजिटल नेटवर्क) के माध्यम से जुड़े हुए हैं।
- यह उन संस्थानों/विद्यार्थियों/स्टार्ट-अप्स के लिए एक ज्ञान प्रसार मंच के रूप में कार्य करता है जहां 5-जी उपयोग के मामलों का परीक्षण/विकास किया जा रहा है।
- भारत 5जी पोर्टल- एक एकीकृत पोर्टल क्वांटम, 6-जी, आईपीआर और 5-जी क्षेत्र में स्टार्टअप, उद्योग और शिक्षा जगत के हितों की सेवा करने वाला एक व्यापक मंच है।
- इसमें पीएएनआईआईटी यूएसए के सहयोग से फ्यूचर टेक-एक्सपर्ट्स पंजीकरण पोर्टल भी शामिल है, जिसका उद्देश्य भारतीय दूरसंचार इकोसिस्टम को आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में सहायता करना और परामर्श प्रदान करना है।
- भारत 5-जी पोर्टल सभी क्वांटम, आईपीआर, 5-जी और 6-जी से संबंधित कार्यों के लिए वन-स्टॉप समाधान के रूप में कार्य करता है, जो अकादमिक अनुसंधान एवं विकास में वृद्धि, उद्योग मानकों, ओईएम, स्टार्टअप/सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और विषय वस्तु विशेषज्ञों को शामिल करता है।
- इसका उद्देश्य भारत की 5-जी क्षमताओं को बढ़ावा देना, दूरसंचार क्षेत्र के भीतर नवाचार, सहयोग और ज्ञान-साझाकरण को प्रोत्साहन प्रदान करना है।
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