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30 नवंबर 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. एक उज्जवल भविष्य की ओर: भारत की G-20 अध्यक्षता और एक नए बहुपक्षवाद की शुरुआत
  2. प्रधानमंत्री ने एम्स देवघर में 10,000वें जन औषधि केंद्र का उद्घाटन किया; देश में जन औषधि केंद्रों की संख्या 10,000 से बढ़ाकर 25,000 करने का कार्यक्रम भी शुरू किया:
  3. भारत कोकिंग कोल लिमिटेड ने 5.0 मिलियन टन प्रतिवर्ष मधुबंद वाशरी का वाणिज्यिक परिचालन शुरू किया:
  4. 11 ACTCM बार्ज परियोजना के तहत NAD (करंजा) के लिए 30 नवंबर, 2023 को मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में तीसरे बार्ज, गोला-बारूद सह टॉरपीडो सह मिसाइल (ACTCM), LSAM 17 (यार्ड 127) को सौंपा गया:
  5. CSL, कोच्चि में ASW SWC (CSL) परियोजना के प्रथम तीन जहाजों ‘माहे, मालवन और मंगरोल’ का 30 नवंबर 23 को एक साथ लॉन्च:
  6. रक्षा अधिग्रहण परिषद ने सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 2.23 लाख करोड़ रुपये के पूंजी अधिग्रहण के प्रस्तावों को मंजूरी दी:
  7. महासागर:

एक उज्जवल भविष्य की ओर: भारत की G-20 अध्यक्षता और एक नए बहुपक्षवाद की शुरुआत

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 से संबंधित

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

मुख्य परीक्षा: समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई-उन्मुख और निर्णायक – ये चार शब्द G-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत के दृष्टिकोण को परिभाषित करते हैं। विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।

प्रसंग:

  • 30 नवम्बर को भारत द्वारा G-20 की अध्यक्षता ग्रहण करने के 365 दिन पूरे हो गए हैं। यह ‘वसुधैव कुटुंबकम’, ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की भावना को प्रतिबिंबित करने, इसके लिए पुनः प्रतिबद्ध होने और इसे जीवंत बनाने का क्षण है।

विवरण:

  • जब पिछले वर्ष भारत को यह जिम्मेदारी मिली थी, तब विश्व विभिन्न चुनौतियों से जूझ रहा था: कोविड-19 महामारी से उबरने का प्रयास, बढ़ते जलवायु खतरे, वित्तीय अस्थिरता और विकासशील देशों में ऋण संकट, जैसी चुनौतियां दुनिया के सामने थीं। इसके अलावा, कमजोर होता मल्टीलैटरलइज्म यानी बहुपक्षवाद इन चुनौतियों को और गंभीर बना रहा था। बढ़ते हुए संघर्ष और प्रतिस्पर्धा के बीच, विभिन्न देशों में परस्पर सहयोग की भावना में कमी आई और इसका प्रभाव वैश्विक प्रगति पर पड़ा।
  • G-20 का अध्यक्ष बनने के बाद, भारत ने दुनिया के सामने जीडीपी-केंद्रित सोच से आगे बढ़कर मानव-केंद्रित प्रगति का विजन प्रस्तुत किया। भारत ने दुनिया को यह याद दिलाने प्रयास किया कि कौन सी चीजें हमें जोड़ती हैं। हमारा फोकस इस बात पर नहीं था कि कौन सी चीजें हमें विभाजित करती हैं। अंततः, भारत के इन प्रयासों का परिणाम आया, वैश्विक संवाद आगे बढ़ा और कुछ देशों के सीमित हितों के ऊपर कई देशों की आकांक्षाओं को महत्व दिया गया। जैसा कि हम जानते हैं, इसके लिए बहुपक्षवाद में मूलभूत सुधार की आवश्यकता थी।
  • समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई-उन्मुख और निर्णायक – ये चार शब्द G-20 के अध्यक्ष के रूप में भारत के दृष्टिकोण को परिभाषित करते हैं। नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन (एनडीएलडी), जिसे सभी G-20 सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया है, इन सिद्धांतों पर कार्य करने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
  • समावेश की भावना हमारी अध्यक्षता के केंद्र में रही है। G-20 के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ (एयू) को शामिल करने से 55 अफ्रीकी देशों को इस समूह में जगह मिली है, जिससे इसका विस्तार वैश्विक आबादी के 80 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इस सक्रिय कदम से वैश्विक चुनौतियों और अवसरों पर G-20 में विस्तार से बातचीत को बढ़ावा मिला है।
  • भारत द्वारा अपनी तरह की पहली बैठक ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट’ ने बहुपक्षवाद की एक नई शुरुआत की। इस बैठक के दो संस्करण आयोजित हुए। भारत अंतर्राष्ट्रीय विमर्श में ग्लोबल साउथ के देशों की चिंताओं को मुख्यधारा में लाने में सफल रहा। इससे एक ऐसे युग की शुरुआत हुई है, जहां विकासशील देशों को ग्लोबल नरैटिव की दिशा तय करने का उचित अवसर प्राप्त होगा।
  • समावेशिता की वजह से ही G-20 में भारत के घरेलू दृष्टिकोण का भी प्रभाव दिखा। इस आयोजन ने लोक अध्यक्षता का स्वरूप ले लिया, जोकि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने की दृष्टि से बिल्कुल सही था। “जनभागीदारी” कार्यक्रमों के माध्यम से, G-20 1.4 बिलियन नागरिकों तक पहुंचा और इस प्रक्रिया में सभी राज्यों एवं केन्द्र-शासित प्रदेशों (यूटी) को भागीदार के रूप में शामिल किया गया। भारत ने यह सुनिश्चित किया कि मुख्य विषयों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान G-20 के दायित्वों के अनुरूप विकास के व्यापक लक्ष्यों की ओर हो।
  • 2030 के एजेंडे को ध्यान में रखते हुए भारत ने, सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में तेजी लाने के लिए G-20 का 2023 एक्शन प्लान पेश किया। इसके लिए भारत ने स्वास्थ्य, शिक्षा, लैंगिक समानता, पर्यावरणीय स्थिरता सहित परस्पर जुड़े मुद्दों पर एक व्यापक कार्रवाई उन्मुख दृष्टिकोण अपनाया।
  • इस प्रगति को संचालित करने वाला एक प्रमुख क्षेत्र मजबूत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) है। इस मामले में आधार, यूपीआई और डिजिलॉकर जैसे डिजिटल इनोवेशन के क्रांतिकारी प्रभाव को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करने वाले भारत ने निर्णायक सिफारिशें दीं। G-20 के माध्यम से, हमने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपॉजिटरी को सफलतापूर्वक पूरा किया जोकि वैश्विक तकनीकी सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। कुल 16 देशों के 50 से अधिक डीपीआई को शामिल करने वाली यह रिपॉजिटरी, समावेशी विकास की शक्ति का लाभ उठाने के लिए ग्लोबल साउथ को डीपीआई का निर्माण करने, उसे अपनाने और व्यापक बनाने में मदद करेगी।
  • एक पृथ्वी की भावना के तहत, हमने तात्कालिक, स्थायी और न्यायसंगत बदलाव लाने के महत्वाकांक्षी एवं समावेशी लक्ष्य पेश किए। घोषणा का ‘ग्रीन डेवलपमेंट पैक्ट’ एक व्यापक रोडमैप की रूपरेखा तैयार करके भुखमरी से निपटने और पृथ्वी की रक्षा के बीच चुनाव करने की चुनौतियों का समाधान करता है। इस रोडमैप में रोजगार एवं इकोसिस्टम एक-दूसरे के पूरक हैं, उपभोग जलवायु परिवर्तन के प्रति सचेत है और उत्पादन पृथ्वी के अनुकूल है। साथ ही, G-20 घोषणा में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा की वैश्विक क्षमता को तीन गुना करने का महत्वाकांक्षी आह्वान किया गया है। ग्लोबल बायोफ्यूल्स अलायंस की स्थापना और ग्रीन हाइड्रोजन को अपनाने की दिशा में एक ठोस प्रयास के साथ एक स्वच्छ एवं हरित दुनिया बनाने संबंधी G-20 की महत्वाकांक्षाएं निर्विवाद हैं। यह हमेशा से भारत का मूल्य रहा है और सतत विकास के लिए जीवनशैली (LiFE) के माध्यम से, दुनिया हमारी सदियों पुरानी परंपराओं से लाभान्वित हो सकती है।
  • इसके अलावा घोषणापत्र में जलवायु न्याय और समानता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया है, जिसके लिए ग्लोबल नॉर्थ से पर्याप्त वित्तीय और तकनीकी सहायता देने का अनुरोध किया गया है। पहली बार विकास के वित्तपोषण से जुड़ी कुल राशि में भारी बढ़ोतरी की जरूरत को स्‍वीकार किया गया जो अरबों डॉलर से बढ़कर खरबों डॉलर हो गई है। G-20 ने यह माना कि विकासशील देशों को वर्ष 2030 तक अपने ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी)’ को पूरा करने के लिए 5.9 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता है।
  • इतने ज्‍यादा संसाधन की आवश्यकता को देखते हुए G-20 ने बेहतर, ज्‍यादा विशाल और अधिक प्रभावकारी मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक के महत्व पर विशेष जोर दिया। इसके साथ-साथ भारत संयुक्त राष्ट्र में सुधारों को लागू करने, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे प्रमुख संस्‍थानों के पुनर्गठन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, जिससे और भी अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था सुनिश्चित होगी।
  • नई दिल्ली घोषणापत्र में महिला-पुरुष समानता को केंद्र में रखा गया, जिसकी परिणति अगले वर्ष महिलाओं के सशक्तिकरण पर एक विशेष वर्किंग ग्रुप के गठन के रूप में होगी। भारत का महिला आरक्षण विधेयक 2023, जिसमें भारत की लोकसभा और राज्य विधानसभा की एक तिहाई सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है, महिलाओं के नेतृत्व में विकास के प्रति हमारी वचनबद्धता का प्रतीक है।
  • नई दिल्ली घोषणापत्र इन प्रमुख प्राथमिकताओं में सहयोग सुनिश्चित करने की एक नई भावना का प्रतीक है, जो नीतिगत स्‍पष्‍टता, विश्वसनीय व्यापार, और महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई पर केंद्रित है। यह बड़े गर्व की बात है कि हमारी अध्यक्षता के दौरान G-20 ने 87 परिणाम हासिल किए और 118 दस्तावेज अपनाए, जो अतीत की तुलना में उल्लेखनीय रूप से काफी अधिक है।
  • G-20 की हमारी अध्यक्षता के दौरान भारत ने भू-राजनैतिक मुद्दों और आर्थिक प्रगति एवं विकास पर उनके प्रभावों पर व्‍यापक विचार-विमर्श की अगुवाई की। आतंकवाद और नागरिकों की हत्या पूरी तरह से अस्वीकार्य है, और हमें जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनाकर इससे निपटना चाहिए। हमें शत्रुता से परे जाकर मानवतावाद को अपनाना होगा और यह दोहराना होगा कि यह युद्ध का युग नहीं है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. प्रधानमंत्री ने एम्स देवघर में 10,000वें जन औषधि केंद्र का उद्घाटन किया; देश में जन औषधि केंद्रों की संख्या 10,000 से बढ़ाकर 25,000 करने का कार्यक्रम भी शुरू किया:
    • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 30 नवंबर को एम्स, देवघर में 10,000वें जन औषधि केंद्र का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने देश में जन औषधि केंद्रों की संख्या 10,000 से बढ़ाकर 25,000 करने का कार्यक्रम भी लॉन्च किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री महिला किसान ड्रोन केंद्र का भी शुभारंभ किया।
    • स्वास्थ्य सुविधा को किफायती और सुलभ बनाना प्रधानमंत्री के स्वस्थ भारत के विजन का आधार रहा है। सस्ती कीमत पर दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जन औषधि केंद्र की स्थापना करना इस दिशा में एक प्रमुख पहल रही है।
    • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत सरकार ने देश भर में 2000 प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोलने की अनुमति देने का निर्णय लिया।
    • सरकार ने मार्च 2024 तक जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाकर 10,000 करने का लक्ष्य रखा था। हालांकि, उसने अपने निर्धारित लक्ष्य से पहले 10,000 जन औषधि केंद्र खोलने की उपलब्धि प्राप्त कर ली है।
    • पिछले 9 वर्षों में, केंद्रों की संख्या में 100 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है, जो 2014 में केवल 80 थे और अब देश के लगभग सभी जिलों को कवर करते हुए लगभग 10000 केंद्र हो गए हैं।
    • प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस 2023 के अपने भाषण में देश भर में 25,000 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (PMBJK) खोलने की घोषणा की है।
    • अब, सुविधा को बढ़ाने और पूरे भारत तक पहुंच प्रदान करने के उद्देश्य से, 31 मार्च 2026 तक देश भर में 25,000 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (PMBJK) खोलने का प्रस्ताव है।
    • सभी को सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) शुरू की गई थी।
    • इस योजना के तहत, देश भर में पहले से ही 9900 से अधिक कार्यशील जन औषधि केंद्र हैं। PMBJP की उत्पाद श्रृंखला में 1963 दवाएं और 293 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं, जो सभी प्रमुख चिकित्सीय समूहों को कवर करते हैं।
  2. भारत कोकिंग कोल लिमिटेड ने 5.0 मिलियन टन प्रतिवर्ष मधुबंद वाशरी का वाणिज्यिक परिचालन शुरू किया:
    • कोयला मंत्रालय के तहत भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) ने अत्याधुनिक 5.0 मिलियन टन प्रतिवर्ष (MTPA) मधुबंद वाशरी का वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने की घोषणा की है।
    • इस वाशरी का औपचारिक उद्घाटन केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी द्वारा मार्च 2022 में किया गया था। इसके बाद, इसकी परिचालन दक्षता सुनिश्चित करने के लिए इसके कठिन लोड परीक्षण, ट्रायल रन और प्रदर्शन गारंटी परीक्षण (पीजीटी) आयोजित किए गए हैं।
    • प्रौद्योगिकी रूप से उन्नत यह वॉशरी अपनी लॉजिस्टिक दक्षता और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए भारत में एक सबसे बड़ी कोकिंग कोल वॉशरी के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर रही है।
    • यह कोकिंग कोल वॉशरी देश के इस्पात क्षेत्र को अधिक धुले हुए कोकिंग कोयले की आपूर्ति करने में सक्षम होकर आत्मनिर्भर भारत के विज़न के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करेगी। इससे कोकिंग कोयले के आयात के माध्यम से विदेशी मुद्रा के बाहय-प्रवाह को कम करने में मदद मिलेगी।
    • इस वॉशरी में वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने की शुरुआत भारत में कोकिंग कोयले के आयात प्रतिस्थापन की दिशा में BCCL के निरंतर प्रयासों को दर्शाती है। यह आयातित कोकिंग कोयले की बढ़ती कीमतों के कारण इस्पात उद्योग के सामने आने वाली मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है।
    • इसके अलावा, यह पहल प्रतिस्पर्धी मूल्यों पर स्वदेशी धुले कोकिंग कोयले की आपूर्ति बढ़ाकर आयात प्रतिस्थापन का लक्ष्य हासिल करने के अनुरूप है, जिससे अर्थव्यवस्था के विकास की गति बढ़ेगी।
    • यह वॉशरी इस्पात क्षेत्र को लगातार गुणवत्ता युक्त धुले हुए कोकिंग कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करती है। जिससे उन्नत धुलाई प्रक्रियाओं के माध्यम से हमारे सीमित कोकिंग कोयला भंडार के कुशल उपयोग में मदद मिलेगी।
  3. 11 ACTCM बार्ज परियोजना के तहत NAD (करंजा) के लिए 30 नवंबर, 2023 को मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में तीसरे बार्ज, गोला-बारूद सह टॉरपीडो सह मिसाइल (ACTCM), LSAM 17 (यार्ड 127) को सौंपा गया:
    • भारतीय नौसेना को तीसरे बार्ज, गोला-बारूद सह टॉरपीडो सह मिसाइल (ACTCM), LSAM 17 (यार्ड 127) 30 नवंबर, 2023 को सौंप दिया गया।
    • स्वदेशी निर्माताओं से प्राप्त सभी प्रमुख और सहायक उपकरण/प्रणालियों के साथ यह बार्ज (छोटा पोत) रक्षा मंत्रालय की “मेक इन इंडिया” पहल का गौरवशाली युद्ध सहायक पोत है।
    • कुल 11 गोला बारूद सह टॉरपीडो सह मिसाइल (ACTCM) बार्ज के निर्माण और वितरण के लिए महाराष्ट्र के ठाणे स्थित मेसर्स सूर्यदीप्ता प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ अनुबंध हुआ है।
    • यह भारत सरकार की “आत्मनिर्भर भारत” पहल के अनुरूप एक MSME कंपनी है। यह MSME शिपयार्ड ने पहले ही दो बार्ज की सफलतापूर्वक आपूर्ति की है।
    • इनका निर्माण भारतीय शिपिंग रजिस्टर (IRS) के वर्गीकरण नियमों के अनुरूप किया जा रहा है। ACTCM बार्ज की उपलब्धता भारतीय नौसेना (IN) के पोतों पर घाटों और बाहरी पत्तनों पर सामान/गोला-बारूद को चढ़ाने और उतारने की सुविधा प्रदान करके IN की परिचालन प्रतिबद्धताओं को प्रोत्साहन प्रदान करेगी।
  4. CSL, कोच्चि में ASW SWC (CSL) परियोजना के प्रथम तीन जहाजों ‘माहे, मालवन और मंगरोल’ का 30 नवंबर 23 को एक साथ लॉन्च:
    • CSL, कोच्चि द्वारा भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे 08 X ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट (CSL) परियोजना के प्रथम तीन जहाजों माहे, मालवन और मंगरोल को 30 नवंबर 23 को CSL, कोच्चि में लॉन्च किया गया।
    • जहाजों को अथर्ववेद के मंगलाचरण के साथ लॉन्च किया गया। माहे श्रेणी के ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट्स का नाम भारत के तट से सटे रणनीतिक महत्व के बंदरगाहों के नाम पर रखा गया है और ये पूर्ववर्ती युद्धपोतों की गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे, जो उनके हमनाम थे।
    • रक्षा मंत्रालय और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के बीच आठ ASW SWC जहाजों के निर्माण के अनुबंध पर 30 अप्रैल 19 को हस्ताक्षर किए गए थे।
    • माहे श्रेणी के जहाजों को स्वदेशी रूप से विकसित, अत्याधुनिक अंडरवॉटर सेंसर से लैस किया जाएगा और इनकी परिकल्पना तटीय जल में पनडुब्बी रोधी अभियानों के साथ-साथ कम तीव्रता वाले समुद्री संचालन (LIMO) और माइन बिछाने के लिए की गई है।
    • ASW SWC जहाज 78 मीटर लंबे हैं और 25 समुद्री मील अधिकतम गति सहित इनका विस्थापन लगभग 900 टन है।
    • समान श्रेणी के तीन जहाजों का एक साथ लॉन्च ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में स्वदेशी जहाज निर्माण में हमारी प्रगति को उजागर करता है।
    • परियोजना के पहले जहाज की प्रदायगी 2024 में किए जाने की योजना है।
    • ASW SWC जहाजों में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री होगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन भारतीय विनिर्माण इकाइयों द्वारा किया जाएगा, जिससे देश के भीतर रोजगार और सामर्थ्य में वृद्धि होगी।
  5. रक्षा अधिग्रहण परिषद ने सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 2.23 लाख करोड़ रुपये के पूंजी अधिग्रहण के प्रस्तावों को मंजूरी दी:
    • रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में 30 नवंबर, 2023 को रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने 2.23 लाख करोड़ रुपये की राशि के विभिन्न पूंजीगत अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (AoN) के संबंध में अपनी मंजूरी दी है।
    • इन प्रस्तावो में 2.20 लाख करोड़ रुपये (कुल AoN राशि का 98 प्रतिशत) की राशि घरेलू उद्योगों से जुटाई जाएगी। इससे ‘आत्मनिर्भरता’ के लक्ष्य हासिल करने की दिशा में भारतीय रक्षा उद्योग को काफी बढ़ावा मिलेगा।
    • DAC ने दो तरह की एंटी-टैंक युद्ध सामग्री, एरिया डेनियल म्यूनिशन (ADM) टाइप – 2 और टाइप -3 की खरीद के लिए AoN को मंजूरी दे दी है, जो टैंक और बख्तरबंद कर्मियों के वाहक और दुश्मनो के वार को बेअसर करने में सक्षम हैं।
    • अपनी सेवाकाल की अवधि पूरी कर चुकी इंडियन फील्ड गन (IFG) को बदलने के लिए, अत्याधुनिक टोड गन सिस्टम (TGS) को मंजूरी दी गई है जो भारतीय सेना के तोपखाने बलों का मुख्य आधार बनेंगी।
    • AoN को 155 मिमी आर्टिलरी गन में उपयोग के लिए 155 मिमी नबलेस प्रोजेक्टाइल के लिए भी मंजूरी दी गई थी, जो प्रोजेक्टाइल की घातकता और सुरक्षा को बढ़ाएगी। भारतीय सेना के ये उपकरण बाई (इंडियन-IDDM) श्रेणी के तहत खरीदे जाएंगे।
    • बाई (इंडिया) श्रेणी के तहत T-90 टैंकों के लिए स्वचालित लक्ष्य ट्रैकर (ATT) और डिजिटल बेसाल्टिक कंप्यूटर (DBS) की खरीद के लिए AoN की मंजूरी दी गई है जो प्रतिद्वंद्वी प्लेटफार्मों पर T-90 टैंकों की लड़ाकू क्षमता बनाए रखने में मदद करेंगे।
    • बाई (भारतीय-IDDM) श्रेणी के तहत भारतीय नौसेना के सतह प्लेटफॉर्म के लिए मध्यम दूरी की एंटी-शिप मिसाइलों (MRASHM) की खरीद के लिए AoN प्रदान किया गया है। MRASHM की कल्पना एक हल्के सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल के रूप में की गई है जो भारतीय नौसेना के जहाजों पर एक प्राथमिक आक्रामक हथियार होगा।
    • इसके अलावा, DAC ने भारतीय वायु सेना (IAF) और भारतीय सेना के लिए लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) और हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से IAF के लिए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) MK 1A की खरीद के लिए बाई (इंडियन-IDDM) के तहत AoN प्रदान किया गया है।
    • HAL से स्वदेशी तौर पर सुखोई-30 MKI विमान के उन्नयन के लिए DAC ने AoN प्रदान किया है। जहां इन उपकरणों की खरीद से भारतीय वायुसेना को भारी ताकत मिलेगी, वहीं घरेलू रक्षा उद्योगों की भी इस अधिग्रहण से क्षमता नई ऊंचाई पर पहुंचेगी।
      • इससे विदेशी मूल के उपकरण निर्माताओं (IOM) पर निर्भरता भी काफी सीमा तक कम हो जाएगी।
    • इसके अलावा, स्वदेशीकरण को अधिकतम करने के लिए, DAC ने रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP) 2020 में एक बड़े संशोधन को अपनी मंजूरी दे दी है।
    • यह निर्णय लिया गया है कि अब से, खरीद के मामलों की सभी श्रेणियों में, न्यूनतम 50 प्रतिशत खरीदारी सामग्री, घटक और सॉफ्टवेयर के रूप में स्वदेशी घटक की होगी जो भारत में निर्मित होंगे।
    • स्वदेशी सामग्री की तुलना के उद्देश्य से, वार्षिक रखरखाव अनुबंध (AMC)/व्यापक रखरखाव अनुबंध (CMC)/बिक्री के बाद सेवा की लागत इससे अलग होगी।
    • इसके अलावा, DAC ने रक्षा इकोसिस्टम में स्टार्ट-अप/MSME की भागीदारी को और अधिक प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। 300 करोड़ रुपये तक की AoN के सभी खरीदारों के मामलों के लिए पंजीकृत MSME और मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप को वित्तीय मापदंडों की किसी भी शर्त के बिना प्रस्ताव के लिए अनुरोध (RFP) जारी करने पर विचार किया जाएगा, जिसमें वित्तीय मानदंडो की कोई शर्त नही होगी और इसे रक्षा मंत्रालय बोर्ड की मंजूरी के बाद केस-टू-केस आधार पर 500 करोड़ रुपये तक की AoN लागत के लिए छूट दी जा सकती है।
  6. महासागर
    • “महासागर” विशाल समुद्र के लिए भी इस्तेमाल किया जाने एक अन्य शब्द है और यह क्षेत्र में सभी के लिए सक्रिय सुरक्षा एवं विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विभिन्न देशों के नौसैन्य प्रमुखों के बीच उच्च स्तरीय वर्चुअल बातचीत हेतु भारतीय नौसेना की आउटरीच पहल है।
    • भारतीय नौसेना द्वारा 29 नवंबर 2023 को उच्च स्तरीय वर्चुअल संवाद “महासागर” का पहला संस्करण आयोजित किया गया। इस दौरान नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने अलग-अलग देशों की नौसेना/समुद्री एजेंसियों के प्रमुखों और भारतीय समुद्री क्षेत्रों से सटे तटवर्ती इलाकों के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ चर्चा की।
      • इनमें बांग्लादेश, कोमोरोस, केन्या, मेडागास्कर, मालदीव, मॉरीशस, मोज़ाम्बिक, सेशेल्स, श्रीलंका और तंजानिया शामिल हुए। बातचीत का विषय ‘आम चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सामूहिक समुद्री दृष्टिकोण’ था, जो हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में सामर्थ्य और क्षमता में सामंजस्य व सहयोग के लिए वर्तमान तथा आवश्यक अनिवार्यता पर प्रकाश डालता है। यह भारत सरकार के ‘सागर’ क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास’ दृष्टिकोण के अनुरूप है।
    • इस सम्मेलन के दौरान, भाग लेने वाले सभी देशों के प्रमुखों ने सामान्य समुद्री चुनौतियों और उन्हें सामूहिक व सहकारी तरीके से हल करने की आवश्यकता पर स्पष्ट विचारों का आदान-प्रदान किया। भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने ‘क्षेत्रीय समस्याओं के लिए क्षेत्रीय समाधान’ ढूंढने की आवश्यकता पर बल दिया।

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