2 फरवरी, 2022 को “विश्व आर्द्रभूमि दिवस” (World Wetlands Day) के अवसर पर उत्तर प्रदेश के ‘बखिरा वन्य जीव अभयारण्य’ को “रामसर स्थल” घोषित किया गया । बखिरा वन्य जीव अभयारण्य के साथ ही गुजरात के ‘खिजाड़िया वन्य जीव अभयारण्य’ को भी रामसर स्थल घोषित किया गया । इसके साथ ही देश में संरक्षित आर्द्रभूमियों की कुल संख्या बढ़कर 49 हो गई है | रामसर स्थल क्या होते हैं और पारितंत्र में उनका क्या महत्त्व है इसकी विस्तृत चर्चा इस लेख में की गई है | उम्मीदवार लिंक किए गए लेख में आईएएस हिंदी के बारे में जानकारी पा सकते हैं।
इस लेख को अंग्रेजी माध्यम में पढने के लिए देखें Bakhira Wildlife Sanctuary
1980 में स्थापित बखिरा पक्षी विहार उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर ज़िले में 29 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला एक पक्षी अभयारण्य है। यह भारत का सबसे बड़ा प्राकृतिक बाढ़ मैदान आर्द्रभूमि स्थल है| यह नीली कीचमुर्गी (Grey-headed swamphen) के लिए विशेष रूप से विख्यात है | यह मुर्गी भारतीय उपमहाद्वीप के साथ साथ दक्षिणी चीन और उत्तरी थाईलैण्ड में भी पाई जाती है। बखिरा वन्य जीव अभ्यारण्य के रामसर सूचि में शामिल होते ही अब उत्तर प्रदेश में रामसर स्थलों की कुल संख्या 10 हो गई है , जो कि इस प्रकार हैं :-
- ऊपरी गंगा नदी (ब्रजघाट से नरौरा)
- नवाबगंज पक्षी अभयारण्य (उन्नाव)
- साण्डी पक्षी अभयारण्य (हरदोई)
- समसपुर पक्षी अभयारण्य (रायबरेली)
- समन पक्षी अभयारण्य (मैनपुरी)
- पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य (गोंडा)
- सरसई नावर झील (इटावा)
- सुर सरोवर झील/कीथम झील (आगरा)
- हैदरपुर आर्द्र भूमि (मुजफ्फरनगर -बिजनोर)
- बखिरा वन्यजीव अभयारण्य (संत कबीर नगर)
खिजाड़िया वन्य जीव अभयारण्य
कच्छ क्षेत्र की खाड़ी में लगभग 6 वर्ग किमी में फैला यह अभ्यारण्य गुजरात के जामनगर जिले में स्थित है। इस अभयारण्य में 300 से अधिक प्रवासी पक्षी आते हैं। यह अभ्यारण्य मीठे पानी की दलदली भूमि, मीठे पानी की झीलों और खारे पानी की दलदली भूमि का एक अद्वितीय मिश्रण है | यह रूपारेल तथा कालिंदी नदियों के जल द्वारा पोषित है। यह अभ्यारण्य गरान(mangrove) और प्रवाल भित्तियों का भी भंडार है । इस अभयारण्य में काली गर्दन वाले सारस अच्छी संख्या में पाए जाते हैं। |
रामसर स्थल क्या हैं और आर्द्र -भूमि का क्या महत्त्व है ?
रामसर स्थल वह आर्द्रभूमि या नम भूमि (wetlands) है, जिन्हें 1971 के अंतर्राष्ट्रीय रामसर समझौते के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व दिया जाता है। । इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है, जहां 1971 में यह समझौता हुआ था | यह समझौता 1975 से प्रभावी हुआ | रामसर स्थल की सूचि का दर्जा पाने के लिए किसी नम भूमि के लिए निम्नलिखित 3 में से कोई कम से कम कोई एक शर्त को पूरा करना आवश्यक है :-
- यह सामयिक रूप से ही सही , जलीय पादपों का आवास हो,
- यह प्रतिवर्ष पुर्णतः या सामयिक रूप से जलमग्न रहता हो ,
- यह दलदली क्षेत्र हो,
सम्पूर्ण विश्व का लगभग 6.4% हिस्सा आर्द्रभूमि के अंतर्गत आता है | जबकि भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संसथान (ISRO) के अनुसार भारत में आर्द्रभूमि का कुल क्षेत्रफल 1,52,600 वर्ग किमी है जो की भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 4.63% है | भारत में रामसर स्थल की सूचि में अब तक 47 स्थल शामिल थे लेकिन अब उत्तर प्रदेश के बखिरा वन्य जीव अभयारण्य व गुजरात के ‘खिजाड़िया वन्य जीव अभयारण्य’ के रामसर स्थल घोषित होने के साथ ही देश में इनकी संख्या 49 हो गई है ।
आर्द्रभूमि सबसे अधिक उत्पादक पारितंत्रों में से मने जाते हैं | जलीय एवं स्थलिये दोनों प्रकार के पारितंत्रों के मिश्रण के कारण इनकी उत्पादकता अत्यधिक होती है | ये विश्व को लगभग 70% मत्स्य उत्पादन प्रदान करने के लिए भी उत्तरदायी हैं। इसके अलावा आर्द्रभूमियाँ प्राकृतिक आपदाओं के लिए बाधा के रूप में भी कार्य करती हैं | इनके आस पास गरान या मैन्ग्रोव के वन पाए जाते हैं जो मृदा अपरदन ,बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय अहम भूमिका निभाते हैं | आर्द्रभूमियों की भूमिगत जल के संभरण और बाढ़ के समय अतिशेष जल के शोषण में भी अहम भूमिका है |
आर्द्रभूमि के समक्ष खतरे : इतनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के बावजूद आर्द्रभूमियाँ आज सभी पारिस्थितिक तंत्रों में से सबसे अधिक संकटग्रस्त क्षेत्रों में से एक है। वनस्पति का क्षय , अति-लवणीकरण, प्रदूषण, आक्रामक प्रजातियां, विकास की प्रक्रिया,जलवायु परिवर्तन , वैश्विक तापन के कारण जल स्तर में अनियमितता,कार्बन उत्सर्जन इत्यादि ने देश व दुनिया की आर्द्रभूमि को नुकसान पहुंचाया है।
भारत के राज्यवार रामसर आर्द्र भूमि स्थल
- आंध्र प्रदेश : कोलेरु झील,
- असम : दीपोर बिल,
- बिहार : कंवर ताल ,
- गुजरात : नालसरोवर पक्षी अभयारण्य,वाधवाना आर्द्रभूमि, खिजाड़िया पक्षी अभ्यारण्य,थोल झील वन्यजीव अभयारण्य
- हिमाचल प्रदेश : चंदेर ताल ,पौंग बांध झील, रेणुका वेटलैंड
- जम्मू और कश्मीर : होकेरा वेटलैंड ,सूरिंसार-मानसर झीलें , वुलर झील,
- लेह-लद्धाख : त्सो-मोरीरी,त्सो कर लेक
- केरल : अष्टमुडी वेटलैंड, सस्थमकोट्टा झील, वेम्बनाड-कोल वेटलैंड,
- मध्य प्रदेश : भोज वेटलैंड
- मणिपुर : लोकतक झील
- ओडिशा : भितरकनिका मैंग्रोव,चिल्का झील
- पंजाब : हरिके झील ,कंजली झील , रोपड़, केशोपुर मिआनी कम्युनिटी रिजर्व ,व्यास संरक्षण रिजर्व ,नांगल वन्यजीव अभयारण्य
- राजस्थान : सांभर झील , केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
- तमिलनाडु : प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य
- त्रिपुरा : रुद्रसागर झील
- उत्तर प्रदेश : ऊपरी गंगा नदी ,ब्रजघाट से नरौरा खिंचाव,साण्डी पक्षी अभयारण्य,समसपुर पक्षी अभयारण्य,नवाबगंज पक्षी अभयारण्य, समन पक्षी अभयारण्य ,पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य , सरसई नावर झील,सुर सरोबर,हैदरपूर वेटलॅड, बखीरा वन्यजीव अभ्यारण्य
- महाराष्ट्र : नंदूर मधमेश्वर ,लोनार झील
- पश्चिम बंगाल : पूर्व कलकत्ता वेटलैंड्स , सुंदर वन डेल्टा
- उत्तराखंड : आसान रिजर्व
- हरियाणा : भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य ,सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान
परीक्षोपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य
- उत्तर प्रदेश में वृक्षारोपण व वनाच्छादन का कुल क्षेत्रफल 22,121 वर्ग किमी है जो कुल 2,40,928 वर्ग किमी का 9.18% है | यह राष्ट्रीय वन नीति, 1988 में निर्धारित 33.33% के स्तर से बहुत ही कम है | उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य है, अतः यहाँ पर्यावरण पर जनसंख्या का भार अत्यधिक है |
- तथापि यह राज्य वन्य प्राणियों की दृष्टि से समृद्ध है |
- उत्तर प्रदेश में वन विभाग की स्थापना 1855 में हुई थी |
- भारत का प्रथम रात्री वन्य जीव राष्ट्रीय उद्यान (Night Safari Park) उत्तर प्रदेश में है
- राज्य का शेर एवं हाथी सफारी उद्यान इटावा व आगरा जिले के राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य में है | यहाँ हाथियों के पुनर्वास एवं बचाव के लिए एक रेस्क्यू सेंटर भी बनाया गया है
- भालुओं के पुनर्वास एवं बचाव के लिए रेस्क्यू सेंटर मथुरा में बनाया गया है
- देश का सबसे बड़ा घड़ियाल अभ्यारण्य चम्बल नदी घाटी क्षेत्र में है
- देश का पहला डॉलफिन सूचना केन्द्र चम्बल नदी घाटी क्षेत्र में ही है
- मयूर संरक्षण केन्द्र वृदावन में प्रस्तावित है
- राज्य का प्रथम टाइगर रिजर्व बाघ अभ्यारण्य दुधवा में है जिसे 1987 में घोषित किया गया था
- प्रदेश का दूसरा टाइगर रिजर्व पीलीभीत-शाहजहााँपुर में है जिसे 2014 में घोषित किया गया
- था
- राज्य में इको -टूरिज्म पॉलिसी 2014 में घोषित की गयी थी
- उत्तर प्रदेश में कुल 11 वन्य जीव विहार एवं 13 पक्षी विहार हैं
- राज्य का सबसे पुराना वन्य जीव विहार चन्द्रप्रभा वन्य जीव विहार है जिसे चन्दौली जिले में 1957 में स्थापिट किया
- गया था
- क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा वन्य जीव विहार हस्स्तनापुर वन्य जीव विहार है जिसका क्षेत्रफल 2,073 वर्ग किमी है
- उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा वन्य जीव विहार ललितपुर जिले में स्थित महावीर स्वामी वन्य जीव विहार है जिसका क्षेत्रफल 5.40 वर्ग किमी है
- उन्नाव जिले में स्थित नबाबगंज पक्षी विहार उत्तर प्रदेश राज्य का प्रथम पक्षी विहार है | इसकी स्थापना 1984 में हुई थी
- उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा पक्षी विहार लाख बहोसी पक्षी विहार है जो कन्नौज जिले में स्थत है
- उत्तर प्रदेश का सबसे छोटा पक्षी विहार पटना पक्षी विहार है जो एटा जिले में स्थित है
उत्तर प्रदेश के वन्य जीव एवं पक्षी अभयारण्य
उत्तर प्रदेश के वन्य जीव एवं पक्षी अभयारण्य | |||
क्रम | वन्य जीव अभ्यारण्य | जिला | विशेषता |
1 | बखीरा वन्य जीव एवं पक्षी अभयारण्य | संत कबीर नगर जिला | 1980 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य ग्रे -हेडेड स्वाम्पहेन (कीचमुर्गी) तथा भारतीय बैंगनी मुर हेन के प्रजनन स्थल के रूप में प्रसिद्द है | यह भारत का सबसे बड़ा प्राकृतिक बाढ़ मैदान आर्द्रभूमि स्थल भी है |
2 | चंद्र प्रभा वन्य जीव अभयारण्य | चंदौली जिला | 1957 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य एशिआइ शेर ,तेंदुए, काला हिरण, चीतल, सांभर, जंगली सुअर, जंगली बिल्लियों और लोमड़ी के लिए प्रसिद्द है |
3 | हस्तिनापुर वन्य जीव अभयारण्य | अमरोहा, बिजनौर, गाजियाबाद, मेरठ और
मुजफ्फरनगर जिला |
1986 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य विशाल भारतीय उल्लू,हुदहुद इत्यादि अनेक पक्षियों के लिए प्रसिद्द है |
4 | कच्छुआ वन्य जीव अभयारण्य | वाराणसी जिला | 1989 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य कई जलिए जीवों व सोंस(gangetic dolphin) के लिए विशेष रूप से प्रसिद्द है |
5 | कैमूर वन्य जीव अभयारण्य | मिर्ज़ापुर और सोनभद्र जिला | 1982 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य तेंदुए, काला हिरन , चीतल, चिंकारा, मोर , जंगली बिल्ली, कराकल इत्यादि के लिए प्रसिद्द है |
6 | कतर्नियाघाट वन्य जीव अभयारण्य | बहराइच जिला | 1975 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य घड़ियाल ,बाघ ,डॉलफिन ,दलदली हिरन ,गिद्ध इत्यादि प्रजातियों के लिए प्रसिद्द है | 1987 में इसे टाइगर रिज़र्व भी घोषित किया गया था | |
7 | किशनपुर वन्य जीव अभयारण्य | लखीमपुर खीरी जिला | 1972 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य बाघ ,तेंदुए व बार्किंग हिरन के लिए प्रसिद्द है |
8 | लाख बहोसी पक्षी एवं वन्य जीव अभयारण्य | कन्नौज जिला | यह अभयारण्य पक्षियों की कई प्रजातियों के लिए प्रसिद्द है |
9 | महावीर स्वामी वन्य जीव अभयारण्य | ललितपुर जिला | यह वन्य जीव अभयारण्य तेंदुए, नीलगाय , जंगली सूअर, सांभर, काला हिरन, भालू, सियार , लंगूर और बंदरों के लिए प्रसिद्द है |
10 | राष्ट्रीय चंबल घडियाल वन्य जीव अभयारण्य | आगरा और इटावा जिला | 1979 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य संकटापन्न घड़ियालों के संरक्षण के लिए विशेष रूप से जाना जाता है |
11 | नवाबगंज पक्षी अभ्यारण्य | उन्नाव जिला | यह वन्य जीव अभयारण्य प्रवासी पक्षियों की अनेक प्रजातियों जैसे हंस, पोकार्ड, सारस क्रेन, पेंटेड स्टॉर्क, मोर , सफ़ेद इबिस , ओपन- बिल स्टॉर्क, छाल , जैकाना, बैंगनी मुरहेन, टिटिहरी , गिद्ध, हारिल या हरित कबूतर, भारतीय रोलर और कई प्रकार के जलीय सांप के लिए प्रसिद्द है और रामसर आर्द्रभूमि स्थल के रूप में भी चिन्हित है |
12 | ओखला पक्षी एवं वन्य जीव अभयारण्य | गाजियाबाद, और गौतम बुद्ध नगर जिला | 1990 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य पक्षियों की 300 से भी अधिक प्रजातियों , जिनमे से कई जलीय पक्षी हैं , का आश्रय स्थल है |
13 | पार्वती-अर्गा पक्षी एवं वन्य जीव अभयारण्य | गोंडा जिला | 1990 में स्थापित लगभग 10 वर्ग किमी में विस्तृत यह पक्षी अभयारण्य रामसर सम्मेलन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय-स्तर पर निर्धारित आर्द्रभूमियों में से एक है। इस अभयारण्य का नाम इसमें स्थित दो गोखुर झीलों -पार्वती झील और अरगा झील के नाम पर रखा गया है |
14 | पटना पक्षी अभयारण्य | एटा जिला | 1991 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य प्रवासी पक्षियों की 100 से भी अधिक प्रजातियों के लिए, तथा फिशिंग कैट के लिए प्रसिद्द है |
15 | रानीपुर वन्य जीव अभयारण्य | बांदा और चित्रकूट जिला | 1977 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य बाघ ,तेंदुए, काला हिरण, चीतल, सांभर, जंगली सुअर, जंगली बिल्लियों ,नीलगाय,सियार इत्यादि के लिए प्रसिद्द है |
16 | समन वन्य जीव अभयारण्य | मैनपुरी जिला | 1990 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य नेवले ,सियार ,गीदड़ इत्यादि छोटे जानवरों के लिए प्रसिद्द है | यह एक रामसर आर्द्रभूमि स्थल भी है |
17 | समसपुर वन्य जीव अभयारण्य | रायबरेली जिला | 1987 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य सुरखाब नाम के अत्यंत खुबसूरत पंछियों के अलावा ग्रीलाग गुज़, पिंटेल, कॉमन टील, , उत्तरी शॉवेलर, नोज -बिल डक, छोटे बतखों , इंडियन स्पॉट-बिल डक, यूरेशियन स्पून -बिल बतख , सोहन चिडियां,गिद्ध इत्यादि प्रवासी पक्षी के लिए प्रसिद्द है | यह एक रामसर आर्द्रभूमि स्थल भी है |
18 | साण्डी पक्षी अभयारण्य | हरदोई जिला | 1990 में स्थापित इस वन्य जीव अभयारण्य में कई प्रकार के जलीय जन्तु व वनस्पति पाए जाते हैं यही कारण है कि इसे रामसर आर्द्रभूमि स्थल का दर्जा दिया है |
19 | सोहागी बरवा वन्य जीव अभयारण्य | महराजगंज जिला | बाघ के अलावा यह वन्य जीव अभयारण्य तेंदुओं ,चीतल ,भालू,और अजगरों के लिए जाना जाता है |
20 | सुहेलवा वन्य जीव अभयारण्य | बलरामपुर, गोंडा और श्रावस्ती जिला | 1998 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य एक घने जंगल में विस्तृत है और हाथियों के लिए विशेष रुप से प्रसिद्द है |
21 | सुर सरोवर वन्य जीव अभयारण्य | आगरा जिला | यह वन्य जीव अभयारण्य कीथम झील के नाम से भी जाना जाता है और स्लोथ बेयर के लिए मुख्य रूप से प्रसिद्द है |
22 | सुरहा ताल वन्य जीव अभयारण्य | बलिया जिला | 1991 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्द है और यह एक रामसर आर्द्रभूमि स्थल भी है |
23 | विजय सागर वन्य जीव अभयारण्य | महोबा जिला | 1990 में स्थापित यह वन्य जीव अभयारण्य चीतल ,भालू, हीरन ,नीलगाय ,सांभर ,हाथियों इत्यादि के लिए प्रसिद्द है |
अन्य सम्बंधित लिंक :
UPSC Syllabus in Hindi | UPSC Full Form in Hindi |
UPSC Books in Hindi | UPSC Prelims Syllabus in Hindi |
UPSC Mains Syllabus in Hindi | NCERT Books for UPSC in Hindi |
Comments