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मसाला बॉन्ड

मसाला बॉन्ड (Masala Bond) विश्व बैंक (World Bank) की घटक संस्था अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (I.F.C) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में जारी किए गए बॉन्ड हैं, जो कि डॉलर के बजाय भारतीय रुपए में जारी किये जाते हैं। चूँकि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारत की ख्याति इसके मसालों (spices) के कारण है, अतः इस शब्द का प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम द्वारा भारत की संस्कृति और व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए किया गया है । मसाला बॉन्ड पहली बार 2014 में जारी किये गये थे जब अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम ने भारत में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को निधि उपलब्ध कराने के लिए 1,000 करोड़ रूपए के बॉन्ड जारी किये थे। अगले वर्ष 2015 में पहली बार अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सहयोग ने हरे रंग के मसाला बॉन्ड जारी किए जिसका उद्देश्य भारत में जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने वाले निजी क्षेत्र में निवेश के लिए लगभग 3.15 अरब रुपए का फंड उपलब्ध कराना था । मसाला बॉन्ड की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि अन्य अंतर्राष्ट्रीय बांड्स जो कि मुख्यतः डॉलर पर आधृत होते हैं , के विपरीत, जहां उधारकर्ता मुद्रा जोखिम लेता है, मसाला बॉन्ड में निवेशक को जोखिम वहन करना होता है। 2016 तक इनकी परिपक्वता अवधि 5 साल की थी, लेकिन वर्तमान में इनकी न्यूनतम परिपक्वता अवधि 3 साल कर दी गई है | इस विषय पर अंग्रेजी माध्यम में जानकारी के लिए देखें Masala Bond

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मसाला बॉन्ड की विशेषताएँ

मसाला बॉन्ड कई मामलों में अन्य बांड्स से भिन्न है | सबसे पहली बात कि मसाला बॉन्ड पर मिलने वाले लाभ की दर उच्च होती है अतः निवेशकों को यह पसंद आता है | दूसरे, इसने अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारतीय रूपए की साख में निवेशकों का भरोसा बढाया है | तीसरा, इसने भारतीय बाज़ार में अंतर्राष्ट्रीय निवेश को भी बढ़ावा दिया है | और सबसे महत्वपूर्ण ,इसके द्वारा निवेशक को जो पूंजी लाभ होते हैं वो कर -मुक्त (tax-free) होते हैं | चूँकि मसाला बॉन्ड भारतीय रूपए पर आधृत होते हैं ,अतः यदि परिपक्वता के समय अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारतीय रूपए की मूल्य वृद्धि होती (appreciation) है तो निवेशक को अधिक आर्थिक लाभ होगा | साथ ही, यदि परिपक्वता के समय अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारतीय रूपए का अवमूल्यन (depreciation) होता है तो निवेशक को आर्थिक नुकसान भी वहन नहीं करना होगा क्योंकि इसके साथ उसे बीमा का आश्वासन भी मिलता है | इन सबके अतिरिक्त यह भारतीय उपक्रमों को भी बांड्स जारी करने की छूट देता है | जुलाई 2016 में HDFC बैंक ने मसाला बॉन्ड से 3,000 करोड़ रुपए जुटाए और इस तरह मसाला बॉन्ड जारी करने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई। अगस्त 2016 के महीने में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई NTPC ने भी 2,000 करोड़ रुपए का पहला “कॉर्पोरेट ग्रीन मसाला बॉन्ड” जारी किया।

समस्याएँ

शुरू में मसाला बॉन्ड ने अपने उच्च दर के कारण निवेशकों को आकर्षित किया | लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय समय पर इस दर में कमी की गई है जिसके कारण वर्तमान में यह निवेशकों को लुभाने में उतना सक्षम नही रहा है | दूसरी समस्या यह है कि इसके द्वारा जुटाए गये फंड को निवेशक हर क्षेत्र में उपयोग नहीं कर सकता | कुछ निश्चित क्षेत्र ही हैं जिनमे निवेशक इस फंड को निवेश कर सकता है | विश्व की प्रतिष्ठित क्रेडिट रेटिंग संस्था मूडीज ने इसको लेकर निवेशकों को इसके आर्थिक जोखिम से भी आगाह किया है |

कुछ अन्य प्रमुख बॉन्ड

विनिमेय बॉन्ड (Exchangeable Bond) : 2007-08 में विनिमेय बाण्ड की संकल्पना सामने रखी गई । विनिमेय बॉन्ड घरेलू संसाधन जुटाने की क्रिया से सम्बन्धित है । विनिमेय बॉन्ड , बॉन्डधारक को यह विकल्प प्रदान करता है कि यदि धारक चाहे तो बॉन्ड निर्गमित करने वाली कम्पनी को छोड़कर किसी अन्य कम्पनी के स्टाक (शेयर) को किसी भावी तिथि पर क्रय कर सकता है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि यह एक अर्ध ऋण प्रयास है जिस पर आवधिक ब्याज अदायगी का दायित्व रहता है पर इसके साथ ही परिपक्कता के पहले ही चालू मूल्य पर उसके पास इसे बदलने का विकल्प रहता है।

उर्वरक बाण्ड : ये वे बॉन्ड हैं जो केन्द्र सरकार सब्सिडी की पूर्ति के लिए उर्वरक कम्पनियों को निर्गत करती है | वर्ष 2007-08 में केन्द्र सरकार ने 3890 करोड़ रुपए के बॉन्ड उर्वरक कम्पनीयों के लिए निगर्मित किया था । उल्लेखनीय है कि ये बॉन्ड राजकोषीय घाटे में सम्मिलित नहीं किए जाते |

ग्रीन बॉन्ड (green bonds) : ग्रीन बॉन्ड, केन्द्रीय संगठनों अथवा नगर पालिकाओं द्वारा पूर्व स्थापित क्षेत्रों के विकास के लिये जारी बॉन्ड हैं जो कर-मुक्त (tax free) होते हैं। ‘ग्रीन’ बॉन्ड एक सधारण बॉन्ड से इस प्रकार भिन्न है कि ग्रीन बॉन्ड में बॉन्ड जारीकर्ता सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करता है कि वह पर्यावरणीय लाभ जैसे अक्षय ऊर्जा, कचरा प्रबंधन, स्वच्छ परिवहन, सतत् जल प्रबंधन, कम कार्बन परिवहन आदि जैसी ‘हरित’ परियोजनाओं, परिसंपत्तियों या व्यापारिक गतिविधियों के लिए पूंजी की उगाही कर रहा है | पहली बार विश्व बैंक और यूरोपीय निवेश बैंक के द्वारा 2007 में यह बांड लाया गया था | भारत में सबसे पहले “यस बैंक” ने इसे जारी किया था |

जंक बॉन्ड (Junk Bond) : जंक बॉन्ड वे बॉन्ड हैं जिनकी रेटिंग नीची हो पर जिन पर प्राप्य प्रतिफल की दर ऊंची हों। हालाँकि इनमे “डिफॉल्ट” का अधिक जोखिम होता है क्योंकि ये आर्थिक रूप से संघर्षरत कंपनियों द्वारा जारी किए जाते हैं |

जीरो कूपन बॉन्ड : ये ऐसे बाण्ड हैं जिन पर ब्याज की दर शून्य होती है। जीरो-कूपन बॉन्ड बट्टा (डिस्काउंट प्राइस) पर खरीदा जाता है और बॉन्डधारक को इसमें किसी प्रकार के आवधिक ब्याज दर (Periodic interest rates) का भुगतान नहीं करता है। यही कारण है कि इन्हें “Pure Discount Bond” के नाम से भी जाना जाता है।

सामाजिक प्रभाव बॉन्ड : जिस प्रकार ग्रीन बांड पर्यावरणीय लाभ की दृष्टि से जारी किये जाते हैं ,उसी प्रकार सामाजिक प्रभाव बॉण्ड (Social Impact Bond) बेहतर सामाजिक परिणामों के लिये जारी किये जाते हैं । ये सार्वजनिक क्षेत्र के साथ एक अनुबंध के रूप में होते हैं जिनका परिणाम सार्वजनिक क्षेत्र की बचत में लक्षित होता है।

विकास प्रभाव बॉन्ड : विकास प्रभाव बॉन्ड (Development Impact Bonds – DIBs) एक ऐसा बॉन्ड है जिसका उद्देश्य संसाधन की उपलब्धता से जूझने वाले देशों के विकास कार्यक्रमों को वित्तपोषित करना है। विकास प्रभाव बॉण्ड को सामाजिक प्रभाव बॉण्ड के आधार पर बनाया जाता है और यह प्रदर्शन लक्षित होता है ।

औद्योगिक राजस्व बॉण्ड बॉन्ड : औद्योगिक राजस्व बॉन्ड (Industrial Revenue Bond – IRB) राज्य अथवा स्थानीय सरकार के सरकारी उपक्रमों द्वारा जारी बॉन्ड होता है।

सामान्य दायित्व बॉण्ड : सामान्य दायित्व बॉन्ड (General Obligation Bond) एक प्रकार का नगरपालिका बॉण्ड है।

कॉरपोरेट बॉन्ड : किसी निगम (कॉरपोरेशन) द्वारा जारी किये गए बॉण्ड को कॉरपोरेट बॉण्ड कहा जाता है। इसका उद्देश्य विलय (merger), अधिग्रहण (takeover) या व्यापार का विस्तार करने हेतु वित्तपोषण (funding) को बढ़ावा देना है।

(मसाला बॉन्ड की तर्ज पर ही जापान में “समुराई बांड” है जिसका नाम जापान के योद्धा वर्ग “समुराई” समुदाय के नाम पर रखा गया है)

अन्तर्राष्ट्रीय वित्त निगम क्या है ?

अन्तर्राष्ट्रीय वित्त निगम (International Finance Corporation- I.F.C) विश्व बैंक समूह (World Bank Group) की 5 घटक संस्थाओं में से एक है जिसकी स्थापना 1956 में हुई थी । इस संस्था की स्थापना विकासशील देशों में निजी क्षेत्र के लिए पूंजी जुटाने के उद्देश्य से की गयी थी। अन्तर्राष्ट्रीय वित्त निगम निजी क्षेत्रों को पूँजी आधार देकर या उनके अंश खरीद कर उनके लिए पूंजी की व्यवस्था करता है। इसके 177 सदस्य हैं। इसका मुख्यालय वाशिंगटन डी-सी में है। यह 1961 में UNO का अभिकरण बना । विश्व बैंक समूह की 4 अन्य संस्थाएं हैं :

  1. अन्तरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (I.B.R.D) – अन्तरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक की स्थापना वर्ष 1944 में हुई थी | इसकी स्थापना का उद्देश्य मध्यम विकास वाले देशों और ऋणग्रस्त गरीब देशों में ऋण, गारण्टी और गैर-उधार सेवाओं के माध्यम से सतत् विकास को बढ़ावा देना है |
  2. अंतर्राष्ट्रीय विकास परिषद् (I.D.A) – इसे विश्व बैंक की उदार खिड़की कहते हैं क्योंकि इसके द्वारा प्रदत्त ऋण की अवधि बहुत दीर्घ और ब्याज दर काफी कम होती है | अन्तरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक का सबसे बड़ा दोष यह था कि इसके द्वारा प्रदत्त ऋण की अवधि छोटी तथा उन पर ब्याज की दर ऊंची रहती है । अर्थात ऋण का स्वभाव कठोर रहता है। यह अल्पविकसित देशों की दीर्घकालीन ऋण सम्बन्धी आवश्यकता की पूर्ति नहीं कर सका है। इसलिए उदार शर्तों पर ऋण देने के उद्देश्य से अन्तर्राष्ट्रीय विकास परिषद की स्थापना 1960 में हुई।
  3. बहुपक्षीय निवेश गारंटी सन्गठन (M.I.G.A) – बहुपक्षीय निवेश गारंटी सन्गठन की स्थापना 1988 में हुयी। इसकी स्थापना का उद्देश्य है “गैर व्यापारिक अवरोधों को कम करके समता विनियोगों (Equity investment) तथा अन्य प्रत्यक्ष विनियोगों को प्रोत्साहित करना। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए बहुपक्षीय निवेश गारंटी सन्गठन विनियोजकों को गैर व्यापारिक जोखिमों के सम्बन्ध में गारन्टी देता है और विदेशी विनियोगों के सम्बन्ध में नीतियां, कार्यक्रमों तथा प्रक्रिया के निर्धारण तथा उनको क्रियान्वित करने के सम्बन्ध में सदस्य सरकारों को राय देता है।
  4. निवेश विवादों के निपटारे के लिये अन्तरराष्ट्रीय केंद्र (I.C.S.I.D) – अंतर्राष्ट्रीय निवेश विवादों के सुलह और मध्यस्थता के लिये सुविधाएँ प्रदान कराने के उद्देश्य से निवेश विवादों के निपटारे के लिये अन्तरराष्ट्रीय केंद्र (I.C.S.I.D) की स्थापना 1966 में की गई |

मसाला बॉन्ड को लेकर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ) :

बांड्स क्या होते हैं ?

  • बांड सरल/जटिल ऋणों के बदले में दिए गए सर्टिफिकेट होते हैं। ये ऐसे वित्तीय साधन हैं जो बड़े कॉर्पोरेशन या सरकार जनता से धन जुटाने के लिए जारी करते हैं।

मसाला बांड्स क्या हैं ?

  • मसाला बॉन्ड (Masala Bond) अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (I.F.C) द्वारा 2014 में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में जारी किए गए बॉन्ड हैं, जो कि डॉलर के बजाय भारतीय रुपए में जारी किये जाते हैं।

इसे मसाला बांड्स का नाम क्यों दिया गया है ?

  • चूँकि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारत की ख्याति इसके मसालों (spices) के कारण है, अतः इस शब्द का प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम द्वारा भारत की संस्कृति और व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए किया गया है ।

इसकी परिपक्वता अवधि क्या है ?

  • वर्तमान में इनकी न्यूनतम परिपक्वता अवधि 3 साल है | 2016 तक यह अवधि 5 साल की थी | डॉलर और रुपये के बीच की विमिमय दर में उतार-चढ़ाव से होने वाले घाटे का कोई भी प्रभाव भारत की कंपनी अर्थात मसाला बांड जारी करने वाले के ऊपर नहीं बल्कि इसे लेने वाले के ऊपर पड़ता है |

यह अन्य बांड्स से क्यों भिन्न है ?

  • मसाला बॉन्ड की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि अन्य अंतर्राष्ट्रीय बांड्स जो कि मुख्यतः डॉलर पर आधृत होते हैं , के विपरीत, जहां उधारकर्ता मुद्रा जोखिम लेता है, मसाला बॉन्ड में निवेशक को जोखिम वहन करना होता है।

मसाला बांड्स जारी करने के पीछे क्या उद्देश्य है ?

  • मसाला बॉन्ड जारी करने के 3 मुख्य उद्देश्य हैं :- पहला ,भारतीय मुद्रा की अंतर्राष्ट्रीय साख को बढ़ाना ,दूसरा , आधारभूत अवसंरचना प्रोजेक्ट (basic infrastructure projects) के लिए फण्ड जुटाना और तीसरा निवेश के माध्यम से आर्थिक समवृद्धि को प्राप्त करना |

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