UPSC वैकल्पिक विषयों की सूची में अर्थशास्त्र सहित 48 विषय शामिल हैं। यूपीएससी IAS Exam के लिए अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम विकास की चुनौतियों और सतत विकास के लिए बुनियादी ढांचे की योजना के लिए बुनियादी अवधारणाओं और ज्ञान के आवेदन की उम्मीदवारों की समझ पर केंद्रित है।
UPSC Mains परीक्षा के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध संसाधनों और प्रीलिम्स और मेन्स के लिए सामान्य अध्ययन के साथ पाठ्यक्रम के बड़े ओवरलैप के कारण उम्मीदवार यूपीएससी में एक वैकल्पिक विषय के रूप में अर्थशास्त्र का चयन करते हैं। उम्मीदवार जिन्होंने अपने स्नातक में अर्थशास्त्र का अध्ययन किया है|
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम: –Download PDF Here
डिग्री या अर्थशास्त्री, वित्त प्रबंधक, व्यापार अनुपालन और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पेशेवर या बैंकर के रूप में काम करने वाले इस विकल्प को अपना सकते हैं।
इस लेख में, हम आपके लिए अर्थशास्त्र वैकल्पिक के लिए विस्तृत यूपीएससी पाठ्यक्रम लेकर आए हैं।
समान optional subjects syllabus के विवरण के लिए , लिंक किए गए लेख को देखें।
यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम
अर्थशास्त्र वैकल्पिक विषय में यूपीएससी मेन्स में 2 पेपर (पेपर I और पेपर II) हैं। प्रत्येक पेपर 250 अंकों का होता है जिसमें कुल 500 अंक होते हैं। एक बार जब उम्मीदवार आईएएस आर्थिक वैकल्पिक के पाठ्यक्रम को जान लेते हैं, तो वे UPSC Economics Books की जांच कर सकते हैं ताकि वैकल्पिक के लिए सही तरीके से तैयारी की जा सके। आईएएस अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम के नीचे खोजें:
यूपीएससी अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम (पेपर I)
- उन्नत व्यष्टि अर्थशास्त्र:
- कीमत निर्धारण के मध्शर्शलियन एवं वालरासियम उपागम।
- वैकल्पिक वितरण सिद्धांत : रिकॉर्डों काल्डोर, कलीकी।
- बाजार संरचना: एकाधिकारी प्रतियोगिता, दविअधिकार, अल्पाधिकार।
- आधुनिक कल्याण मानदंड: परेटो हिक्स एवं सितोवस्की, ऐरो का असंभावना प्रमेय, ए.के. सैन का सामाजिक कल्याण फलन।
- उन्नत समधष्टि अर्थशस्त्र :
नियोजन आय एवं ब्याज दर निर्धारण के उपागम: क्लासिकी, कीन्स (5-9) वक्र नवक्लासिकी संश्लेषण एवं नया क्लासिकी, ब्याज दर निर्धारण एवं ब्याज दर संरचना के सिद्धांत।
- मुद्रा बैकिंग एवं वित्त:
- मुद्रा की मांग की पूर्ति : मुद्रा का मुद्रः/ गुणक मात्रा सिद्धांत (फिशर, पीक फ्राइडमैन) तथा कीन का मुद्रा के लिए मांग का सिद्धांत, बंद और खुली अर्थव्यवस्था में मुद्रा प्रबंधन के लक्ष्य एवं साधन, केन्द्रीय बैंक और खजाने के बीच संबंध, मुद्रा की वृद्धि दर पर उच्चतम सीमा का प्रस्ताव।
- लोक वित्त और बाजार अर्थव्यवस्था में इसकी भूमिका: पूरी के स्वीकरण में, संसाधनों का विनिधान और वितरण और संवृद्धि, सरकारी राजस्व के स्रोत, करों एवं उपदानों के रूप, उनका भार एवं प्रभाव, कराधान की सीमाएं, ऋण, क्राउंडिंग आउट प्रमाण एवं ऋण लेने की सीमाएं, लोक व्यय एवं उसके प्रभाव।
- अंतर्राष्ट्रीय अर्थशस्त्र :
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के पुराने और नए सिद्धांत
- तुलनात्मक लाभ
- व्यापार शर्ते एवं प्रस्ताव वक्र
- उत्पाद चक्र एवं निर्णायक व्यापार सिद्धांत
- व्यापार, संवृद्धि के चालक के रूप में और खुली अर्थव्यवस्था में अवविकास के सिद्धांत
- संरक्षण के स्वरूप : टैरिफ एवं कोटा
- भुगतान शेष समायोजन; वैकल्पिक उपागम
- कीमत बनाम आय, नियम विनियम दर के अधीन आय के समायोजन।
- मिश्रित नीति के सिद्धांत।
- पूंजी चल्रिष्गुणता के अधीन विनियम दर समायोजन।
- विकासशील देशों के लिए तिरती दरें और उनकी विवक्षा, मुद्रा (करेंसी) बोर्ड।
- व्यापार नीति एवं विकासशील देश।
- BPO, खुली अर्थव्यवस्था समष्टि मॉडल में समायोजन तथा नीति समन्वय।
- सट्टा।
- व्यापार गुट एवं मौद्रिक संघ।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) TRIM, TRIPS, घरेलू उपाय WTO बातचीत के विभिन्न चक्र।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के पुराने और नए सिद्धांत
- संवृद्धि एवं विकास:
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- संवृद्धि के सिद्धांत; हैरैंड का मॉडल
- अधिशेष श्रमिक के साथ विकास का ल्यूइस मॉडल
- संतुलित एवं असंतुलित संवृद्धि
- मानव पूंजी एवं आर्थिक वृद्धि
- कम विकसित देशों का आर्थिक विकास का प्रक्रम: आर्थिक विकास एवं संरचना परिवर्तन के विषय में मिडिल एवं कुजमेंट्स, कम विकसित देशों के आर्थिक विकास में कृषि की भूमिका।
- आर्थिक विकास एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं निवेश, बहुराष्ट्रीयों की भूमिका।
- आयोजना एवं आर्थिक विकास: बाजार की बदलती भूमिका एवं आयोजना, निजी सरकारी साझेदारी।
- कल्याण संकेतक एवं वृद्धि के माप – मानव विकास के सूचक, आधारभूत आवश्यकताओं का उपागम।
- विकास एवं पर्यावरणी धारणीता- पुनर्नवीकरणीय एवं अपुनर्नवीकरणीय संसाधन, पर्यावरणी अपकर्ष, अंतर पीढो इक्विटो विकास।
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यदि आप UPSC 2022 की तैयारी कर रहे हैं , तो सिविल सेवा परीक्षा के लिए बेहतर रणनीति बनाने के लिए लिंक किए गए लेख को देखें।
यूपीएससी अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम (पेपर- II)
- स्वतंत्रतापूर्व युग में आरतीय अर्थव्यवस्था :
भूमि प्रणाली एवं इसके परिवर्तन, कृषि का वाणिज्यीकरण, अपवहन सिद्धांत, अबधंता सिद्धांत एवं समालोचनः, निर्माण एवं परिवहन: जूट, कपास, रेलवे मुद्रा एवं साख।
- स्वतंत्रता के पश्चात् भारतीय अर्थव्यवस्था :
- उदारीकरण के पूर्व का युग:
- वकील, गाडगिल एवं वी. के. आर. वी. आर. के योगदान।
- कृषि: भूमि सुधार एवं भूमि पट्टा प्रणाली, हरित क्रान्ति एवं कृषि में पूंजी निर्माण।
- संघटन एवं संवृद्धि में व्यापार प्रवृतियां, सरकारी एवं निजी क्षेत्रकों की भूमिका, लघु एवं कुटीर उद्योग।
- राष्ट्रीय एवं प्रतिव्यक्ति आय: स्वरूप, प्रवृतियां, सकल्न एवं क्षेत्रकीय संघटन तथा उनमें परिवर्तन।
- राष्ट्रीय आय एवं वितरण को निर्धारित करने वाले स्थूल कारक, गरीबी के माप, गरीबी एवं असमानता में प्रवृतियां।
- उदारीकरण के पश्चात् का युग:
- नया आर्थिक सुधार एवं कृषि: कृषि एवं WTO, खाद्य प्रसंस्करण, उपदान, कृषि कीमतें एवं जन वितरण प्रणाली, कृषि संवृद्धि पर त्रोक व्यय का समाघात।
- नई आर्थिक नीति एवं उदयोग: औद्योगिक निजीकरण, विनिवेश की कार्य नीति, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश तथा बहुराष्ट्रीयों की भूमिका।
- नई आर्थिक नीति एवं व्यापार: बौद्धिक संपदा अधिकार: TEIPS, TRIMS, GATS तथा EXIM नई नीति की विवक्षाएं।
- नई विनियम दर व्यवस्था आंशिक एवं पूर्ण परिवर्तनीयता।
- नई आर्थिक नीति एवं लोक वित्त: राजकोषीय उत्तरदायित्व अधिनियम, बारहवां एवं वित्त आयोग एवं राजकोषीय संघवाद का राजकोषीय समेकन ।
- नई आर्थिक नीति एवं मौद्रिक प्रणाली, नई व्यवस्था में RBI की भूमिका |
- आयोजन केन्द्रीय आयोजन से सांकेतिक आयोजन तक, विकेन्द्रीकृत आयोजना और संवृद्धि हेतु बाजार एवं आयोजना के बीच संबंध : 73 वां एवं 74 वां संविधान संशोधन।
- नई आर्थिक नीति एवं रोजगार : रोजगार एवं गरीबी, ग्रामीण मजदूरी, रोजगार सृजन, गरीबी उन्मूलन योजनाएं, नई ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना।
- उदारीकरण के पूर्व का युग:
अर्थशास्त्र जैसे विषय के लिए रणनीति महत्वपूर्ण है। एक बार सही रणनीति का पालन करने के बाद यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र के पाठ्यक्रम को बेहतर तरीके से कवर किया जा सकता है। उम्मीदवार लिंक किए गए लेख में UPSC Economics Optional Strategy की जांच कर सकते हैं।
अर्थशास्त्र वैकल्पिक एक अत्यधिक लोकप्रिय वैकल्पिक पेपर है जिसमें बड़ी संख्या में उम्मीदवार इसे चुनते हैं। तैयारी पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का अध्ययन करके और यूपीएससी के लिए अर्थशास्त्र पर प्रासंगिक पुस्तकों के माध्यम से भी की जा सकती है। आईएएस उम्मीदवारों को अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम के हर क्षेत्र पर ज्ञान विकसित करना चाहिए और यूपीएससी परीक्षा के लिए सामान्य अध्ययन की तैयारी के साथ अपनी तैयारी को एकीकृत करना चाहिए।
आप नीचे दी गई तालिका में यूपीएससी अर्थशास्त्र वैकल्पिक और आईएएस परीक्षा के बारे में निम्नलिखित प्रासंगिक लेख देख सकते हैं:
Pros and Cons of Economics Optional | UPSC Exam Pattern |
IAS Online Application | UPSC Notification |
Indian Economy Notes | UPSC Syllabus |
UPSC Calendar 2022 | NCERT Books for UPSC |