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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 04 May, 2022 UPSC CNA in Hindi

04 May 2022: UPSC Exam Comprehensive News Analysis

04 मई 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. भारत-डेनमार्क हरित रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेंगे:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

सुरक्षा चुनौतियां:

  1. लैप्सस$: कैसे दो किशोरों ने बड़ी टेक फर्मों को हैक किया:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. तुर्की द्वारा विदेश नीति को नए सिरे से स्थापित करना:

राजव्यवस्था:

  1. विधेयक की स्वीकृति, विलंब और राज्यपाल के पास विकल्प:
  2. कोर्ट का बोझ:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत फिसलकर 150 पर पहुंचा:

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. भारत में बेरोजगारी बढ़ रही है:
  2. अप्रैल में निर्यात 38 अरब डॉलर के पार, घाटा बढ़ा:
  3. पोषण से लेकर पारंपरिक ज्ञान तक:
  4. व्याकुल करने वाली गर्मी:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

भारत-डेनमार्क हरित रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करेंगे:

विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव

मुख्य परीक्षा: भारत-डेनमार्क ग्रीन स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप का महत्व।

प्रसंग:

  • भारतीय प्रधान मंत्री की डेनमार्क यात्रा के दौरान, दोनों देश हरित रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर सहमत हुए हैं।

भारत-डेनमार्क हरित रणनीतिक साझेदारी (Green Strategic Partnership) क्या है?

  • भारत-डेनमार्क “हरित रणनीतिक साझेदारी” की संयुक्त घोषणा पर 2020 में हस्ताक्षर किए गए थे।
  • भारत और डेनमार्क संयुक्त आयोग के तहत हरित रणनीतिक साझेदारी के मध्यावधि मूल्यांकन की आशा की और मौजूदा संयुक्त कार्य योजना 2026 में समाप्त होने के बाद एक व्यापक हरित रणनीतिक साझेदारी के लिए एक उन्नत रणनीतिक परिप्रेक्ष्य की दिशा में काम करने पर सहमत हुए।
  • दोनों देशों के बीच यह संयुक्त साझेदारी वैश्विक चुनौतियों और अवसरों पर सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से एक लाभदायक समझौता है,जिसमें पेरिस समझौते और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • भारत-डेनमार्क हरित रणनीतिक साझेदारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:India-Denmark Green Strategic Partnership

भारत-डेनमार्क हरित रणनीतिक साझेदारी का महत्व:

  • भारत-डेनमार्क की हरित रणनीतिक साझेदारी के तहत हरित हाइड्रोजन, नवीकरणीय ऊर्जा और अपशिष्ट जल प्रबंधन पर ध्यान दिया जायगा।
  • दोनों देशों के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद हरित नौवहन, पशुपालन और डेयरी, जल प्रबंधन, ऊर्जा, सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों को कवर करने वाले कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
  • भारत-डेनमार्क हरित रणनीतिक साझेदारी के महत्व के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:significance of India-Denmark Green Strategic Partnership

प्रधानमंत्री की यात्रा का घटनाक्रम:

  • नौवहन:
    • दोनों प्रधानमंत्रियों ने हरित नौवहन पर उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना पर आशय पत्र का स्वागत किया, जो द्विपक्षीय समुद्री सहयोग को और मजबूत करेगा।
  • कृषि:
    • दोनों नेताओं ने डेयरी के उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की संयुक्त घोषणा द्वारा कृषि पर सहयोग का विस्तार करने पर भी सहमति व्यक्त की।
  • स्वास्थ्य:
    • भारत और डेनमार्क ने रोगाणुरोधी प्रतिरोध के क्षेत्र में अपने निरंतर सहयोग की भी पुष्टि की।भारत ने मिशन पार्टनर के रूप में इंटरनेशनल सेंटर फॉर एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस सॉल्यूशंस (आईसीएआरएस) में शामिल होने के लिए डेनमार्क के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।
  • डेनमार्क के प्रधान मंत्री ने साक्ष्य-आधारित डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के लिए भारत के निमंत्रण पर वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य भागीदारी में डेनमार्क के प्रवेश की पुष्टि की।
  • जलवायु परिवर्तन:
    • दोनों देशों के नेताओं ने पूर्व-औद्योगिक स्तरों से तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री तक सीमित करने के लिए COP-26 में त्वरित जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता पर हुए अंतर्राष्ट्रीय समझौते का स्वागत किया।

सारांश:

  • भारत के लिए नॉर्डिक देश स्थिरता, नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटलीकरण और नवाचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भागीदार हैं। डेनमार्क के साथ भारत की हरित सामरिक भागीदारी से नॉर्डिक के साथ भारत के बहुआयामी सहयोग का विस्तार करने में मदद मिलेगी। इस साझेदारी से दोनों देशों को समग्र और टिकाऊ दृष्टिकोण के माध्यम से वर्तमान और भविष्य की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

सुरक्षा चुनौतियां:

लैप्सस$: कैसे दो किशोरों ने बड़ी टेक फर्मों को हैक किया:

विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइटों की भूमिका।

मुख्य परीक्षा: साइबर हमलों का खतरा।

प्रसंग:

  • ऑथेंटिकेशन प्लेटफॉर्म ओक्टा ने साइबर क्राइम ग्रुप लैप्सस$ द्वारा साइबर हमले की पुष्टि की हैं।

पृष्ठ्भूमि:

  • ऐसा बताया जाता हैं की यह साइबर अपराध समूह लैप्सस$ दक्षिण अमेरिका में स्थित है।
  • हालंकि यह समूह अपेक्षाकृत नया है, फिर भी उसने माइक्रोसॉफ्ट जैसी प्रमुख फर्मों में सफलतापूर्वक सेंध लगा दी है।
  • हाल ही में लैप्सस$ ने मैसेजिंग प्लेटफॉर्म टेलीग्राम पर ऑथेंटिकेशन प्लेटफॉर्म ओक्टा के आंतरिक सिस्टम के स्क्रीन ग्रैब साझा किए।
    • (एक स्क्रीन ग्रैब एक ऐसी छवि है जिसे आप किसी विशेष क्षण में टेलीविज़न या कंप्यूटर डिस्प्ले के हिस्से या सभी को कैप्चर और कॉपी करके बनाते हैं।)
  • ओक्टा ने पुष्टि की कि हैकर्स ने तीन महीने पहले उसके सिस्टम में घुसपैठ करने या सेंध लगाने की कोशिश की थी।

हैकिंग में प्रयुक्त तकनीकें:

  • लैप्सस $ द्वारा हैकिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकी में फोन-आधारित सोशल इंजीनियरिंग, खाता अधिग्रहण की सुविधा के लिए सिम-स्वैपिंग, लक्षित संगठनों में कर्मचारियों के व्यक्तिगत ईमेल खातों तक पहुंच और कर्मचारियों या व्यापार भागीदारों को उनके बहुकारक प्रमाणीकरण (एमएफए) अनुमोदन प्राप्त करने के लिए भुगतान करना शामिल है।
  • हैकर्स ने RDP सत्र के माध्यम से कंप्यूटर को नियंत्रित करने के लिए रिमोट डेस्कटॉप प्रोटोकॉल (RDP) का उपयोग किया।
  • RDP एक प्रोटोकॉल या तकनीकी मानक है जो उपयोगकर्ता को डेस्कटॉप कंप्यूटर से दूरस्थ रूप से कनेक्ट करने के लिए एक ग्राफिकल इंटरफ़ेस प्रदान करता है।
  • उपयोगकर्ता इस उद्देश्य के लिए RDP क्लाइंट सॉफ़्टवेयर का उपयोग करता है,जबकि दूसरे कंप्यूटर RDP सर्वर सॉफ्टवेयर से चलते हैं।
  • हैकर्स MFA संकेतों के साथ एक लक्ष्य पर अवांछित मेल भेजते हैं,और लक्ष्य के परिचय पत्र को रीसेट करने के लिए संगठन के हेल्प डेस्क को कॉल करते हैं।
  • एक कर्मचारी का परिचय पत्र प्राप्त करने पर वे आंतरिक सर्वर में घुसपैठ करने के लिए छिपी हुई कमजोरियों का फायदा उठाने के लिए उस व्यक्ति के संगठन के वीपीएन (एक वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) से जुड़ते हैं।

सारांश:

  • एक साइबर अपराध समूह ने सॉफ्टवेयर की दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के यूनाइटेड किंगडम और दक्षिण अमेरिका में कई संगठनों को निशाना बनाया हैं।यह वैश्विक चिंता का विषय है क्योंकि हैकर्स सरकारों, प्रौद्योगिकी फर्मों और स्वास्थ्य सेवा संगठनों के कंप्यूटर नेटवर्क में घुसपैठ कर सकते हैं, जो साइबर क्राइम समूह की संप्रभुता और अखंडता को खतरा पैदा करते हैं,और सॉफ्टवेयर दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट के साथ यूनाइटेड किंगडम और दक्षिण अमेरिका में कई संगठनों को लक्षित करते हैं।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

तुर्की द्वारा विदेश नीति को नए सिरे से स्थापित करना:

विषय: भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: तुर्की की विदेश नीति में बदलाव और इसके रणनीतिक पहलू।

प्रसंग:

तुर्की की विदेश नीति में बदलाव:

  • यूक्रेन के युद्ध ने तुर्की को अपने पश्चिम एशियाई पड़ोसियों के साथ संबंधों को जल्दी से बहाल करने के लिए प्रोत्साहित किया है ताकि संघर्ष से उभरने वाली गंभीर भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया जा सके।
  • हाल ही में इजरायल के राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग ने एक दशक के तनावपूर्ण संबंधों को समाप्त करने के लिए तुर्की का दौरा किया, जिसका मुख्य कारण फिलिस्तीनी हितों के लिए तुर्की का समर्थन था।
  • तुर्की में विशेष अभियोजक ने सऊदी अरब के साथ एक संवेदनशील और विभाजनकारी मामले को बंद करते हुए 26 सऊदी नागरिकों के खिलाफ आपराधिक मामले को राज्य में ही स्थानांतरित कर दिया।
  • इसके साथ ही सऊदी अरब ने भी तुर्की के सामान के आयात पर से प्रतिबंध हटाकर जवाबी कार्रवाई की।

तुर्की की विदेश नीति में बदलाव का रणनीतिक पहलू:

  • सऊदी अरब: मध्य पूर्व क्षेत्र में सऊदी अरब एक प्रमुख क्षेत्रीय खिलाड़ी है। हाल ही में तुर्की के राष्ट्रपति ने द्विपक्षीय और आर्थिक सहयोग के लिए संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया जो सऊदी को प्रतिद्वंद्वियों या व्यवधानों का मुकाबला करने में मदद करेगा। दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों से नए आर्थिक,राजनीतिक और रक्षा अवसर खुलेंगे, जहां सउदी अपनी पारंपरिक क्षेत्रीय भूमिका को बनाए रख सकेगा और सुरक्षा चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटेगा।
  • रूस: रूस तुर्की को उसकी आवश्यकता का 52% गैस एवं 65% अनाज प्रदान करता है। साथ ही रूस एक परमाणु ऊर्जा स्टेशन का भी निर्माण कर रहा है जो वर्ष 2030 में तुर्की की 30% ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा। वहीँ दूसरे ओर तुर्की की आधिकारिक मीडिया ने यूक्रेन पर रूसी हमले की आलोचना की है, हालांकि तुर्की ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने में अपने पश्चिमी सहयोगियों के साथ शामिल होने से इनकार कर दिया है।
  • यूक्रेन: यूक्रेन तुर्की को अनाज का लगभग 15% निर्यात करता है और साथ ही तुर्की में सालाना लगभग दस लाख पर्यटकों यूक्रेन से आते है। अब तक,तुर्की ने यूक्रेन संघर्ष को “युद्ध” के रूप में वर्णित किया है और 1936 के मॉन्ट्रो कन्वेंशन के अनुसार, बोस्पोरस और डार्डानेल्स जलडमरूमध्य को नौसैनिक नौवहन के लिए बंद कर दिया है। उसने यूक्रेन को हथियारों की कोई नई खेप भी नहीं भेजी है।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध में तुर्की के प्रयास: तुर्की द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया गया था,जिसमें रूसी आक्रमण की “निंदा” की गई थी।
  • साथ ही उस दौरान संबंधों में कुछ कड़वाहट कम कम होने के संकेतों के बीच, तुर्की ने इस्तांबुल में रूस-यूक्रेन शांति वार्ता के दूसरे दौर की मेजबानी की थी।
  • तब से शांति वार्ता रुकी हुई है तथा पश्चिमी देश तुर्की को अपने गठबंधन में खींचने के अथक प्रयास कर रहे हैं।

काला सागर के आसपास क्षेत्रीय भू-राजनीति:

  • रूसी काला सागर बेड़े के प्रमुख का डूबना काला सागर के सामरिक महत्व पर प्रकाश डालता है। रूस अपने काला सागर बेड़े के माध्यम से भूमध्य सागर में शक्ति प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए उत्सुक है। ये रूसी चिंताएं और महत्वाकांक्षाएं तुर्की के हितों को प्रभावित करती हैं।

नाटो सहयोगी और पश्चिमी आलोचनाएँ:

  • तुर्की के नाटो सहयोगियों को उम्मीद है कि विस्तारवादी रूस की चुनौती का सामना करते हुए, तुर्की ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन के एक आज्ञाकारी सदस्य के रूप में वापस आ जाएगा। लेकिन तुर्की राष्ट्रपति के सत्तावादी तरीकों की समय-समय पर पश्चिमी आलोचनाओं से तुर्की असहज है।

सारांश:

  • जैसा कि अभी भी रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है और विवादित भू-राजनीतिक वातावरण में बने रहने के लिए तुर्की पर घरेलू और क्षेत्रीय दबाव बढ़ रहे हैं। ऐसे समय में तुर्की द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने विशेष रूप से पूर्वी भूमध्यसागरीय मामलों में सहयोग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

विधेयक की स्वीकृति, विलंब और राज्यपाल के पास विकल्प:

विषय: विभिन्न अंगों के बीच शक्तियों का पृथक्करण विवाद निवारण तंत्र और संस्थान।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 200।

मुख्य परीक्षा: राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति तथा विधेयकों को स्वीकृति प्रदान करने में देरी के खिलाफ तर्क।

पृष्टभूमि:

  • तमिलनाडु राज्य विधानसभा ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) विधेयक (अखिल भारतीय प्री-मेडिकल प्रवेश परीक्षा से संबंधित) पारित कर इसे राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया था।
  • राज्यपाल ने NEET विधेयक को पुनर्विचार के लिए विधानसभा को वापस भेज दिया। इसके बाद, राज्य विधानसभा ने एक विशेष सत्र आयोजित किया और विधेयक को पुनः पारित कर राज्यपाल को भेजा। राज्यपाल ने अब तक विधेयक को मंजूरी नहीं दी है, जबकि दो महीने से अधिक समय हो गया है।
  • राजभवन द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि भारतीय संविधान ने अनुमोदन से संबंधित कोई समय सीमा तय नहीं की है। इस कारण निर्वाचित सरकार और राज्य के राज्यपाल के बीच टकराव पैदा हो गया है।
  • इसी संदर्भ में लेखक पी.डी.टी. आचार्य, पूर्व महासचिव लोकसभा, ने राज्यपाल के इस रूख के खिलाफ तर्क दिए हैं।

राज्यपाल के रुख के खिलाफ तर्क:

राज्यपाल की संवैधानिक स्थिति:

  • भारत के संवैधानिक ढांचे में, राज्यपाल केवल एक संवैधानिक प्रमुख होता है तथा राज्य की कार्यकारी शक्ति का प्रयोग मंत्रिपरिषद द्वारा किया जाता है। क्योकिं संविधान के अनुच्छेद 154 (1) के अनुसार राज्यपाल की शक्ति राज्य की कार्यपालिका में निहित होती है, वह केवल मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही कार्य कर सकता है।
  • शमशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य (1974) के मामले में न्यायपालिका ने भी इस दृष्टिकोण को कायम रखा है, जहां सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि राष्ट्रपति और राज्यपाल अपनी औपचारिक संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग केवल कुछ असाधारण स्थितियों को छोड़कर अपने मंत्रियों की सलाह के अनुसार ही करेंगे।
  • सरकारिया आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि जब तक मंत्रिपरिषद को विधानसभा का विश्वास प्राप्त है, राज्यपाल को उसकी सलाह पर काम करना ही होगा। इस विचार को सर्वोच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ (नबाम रेबिया मामला, 2006) द्वारा बरकरार रखा गया था।

इस मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए निम्न आलेख पढ़े:

https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-mar09-2022/

संवैधानिक अस्वीकृति:

  • जब राज्य विधायिका द्वारा पारित विधेयक को स्वीकृति के लिए भेजा जाता है, तो भारतीय संविधान का अनुच्छेद 200 राज्यपाल को निम्नलिखित चार विकल्प प्रदान करता है ।
    • राज्यपाल अपनी सहमति दे सकता हैं।
    • राज्यपाल अनुमति नहीं दे सकता हैं।
    • राज्यपाल विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख सकता है।
    • राज्यपाल विधेयक को विधायिका को इस अनुरोध के साथ लौटा सकता है कि वह विधेयक या विधेयक के किसी विशेष प्रावधान पर पुनर्विचार करने के लिए भेज रहा है। राज्यपाल विधेयक में कोई नया संशोधन भी सुझा सकता हैं।

पुनर्विचार विधेयकों के लिए अनिवार्य स्वीकृति:

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 200 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सदन, राज्यपाल द्वारा लौटाए गए विधेयक पर पुनर्विचार करेंगे और यदि विधेयक सदन या सदनों द्वारा संशोधन के साथ या बिना संशोधन के फिर से पारित किया जाता है तो राज्यपाल सहमति देने से माना नहीं करेगा। अर्थात् राज्यपाल संवैधानिक रूप से विधेयक को मंजूरी देने के लिए बाध्य है। NEET विधेयक के मामले में इसका पालन नहीं किया गया है, जिसमें तमिलनाडु विधानसभा ने एक विशेष सत्र आयोजित किया था और राज्यपाल द्वारा पुनर्विचार के लिए अनुरोध करने के बाद विधेयक को फिर से पारित कर दिया गया और राज्यपाल को उनकी सहमति के लिए भेजा गया था। राज्यपाल ने अभी तक विधेयक मंजूरी नहीं दी है।

अनिश्चितकालीन सहमति की कोई संभावना नहीं:

  • हालांकि अनुच्छेद 200 राज्यपाल के लिए कार्रवाई करने के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं करता है, अर्थात् राज्यपाल अनिश्चित काल के लिए किसी निर्णय को स्थगित कर सकता है। इसके बावजूद यह र स्पष्ट है कि राज्यपाल को अपने पास मौजूद विकल्पों का प्रयोग करना ही होगा चूँकि कोई भी कार्रवाई न करने का प्रवधान अनुच्छेद 200 में निहित नहीं है। इस प्रकार, यदि राज्यपाल उन विकल्पों में से किसी भी विकल्प का प्रयोग नहीं करता है तो वह संविधान के अनुरूप नहीं है।
  • निश्चित विकल्पों के प्रावधान के साथ “… इसे राज्यपाल को प्रस्तुत किया जाएगा और राज्यपाल घोषित करेगा …”, लेख इंगित करता है कि संविधान में राज्यपाल को विधेयक को बिना देरी के सहमति देने ही होगी।

एक अलोकतांत्रिक विकल्प:

  • सहमति न देना, हालांकि एक विकल्प है जिसे आमतौर पर राज्यपालों द्वारा प्रयोग नहीं किया जाता है क्योंकि राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक राज्यपाल द्वारा विधेयक पर रोक लगाना, लोकतांत्रिक रूप और लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि के संबैधानिक प्रभाव को कम कर देता है। राज्यपाल द्वारा राज्य की विधायिका द्वारा पारित किसी विधेयक पर सहमति न देना विधेयक के माध्यम से व्यक्त की गई विधायिका की लोकतांत्रिक इच्छा की अनदेखी करना होगा
  • साथ ही, राज्यपाल जैसा संवैधानिक प्राधिकारी किसी कमी का लाभ उठाकर संविधान के प्रावधान की अनदेखी नहीं कर सकता।
  • लेखक का तर्क है कि ऐसा विकल्प अलोकतांत्रिक और संघवाद के खिलाफ होगा।
  • विशेष रूप से यूनाइटेड किंगडम में, जो कि एक गणतंत्र नहीं है बावजूद इसके वहां अगर संसद द्वारा पारित विधेयक पर , ब्रिटिश सम्राट सहमति देने से इनकार करता है तो यह असंवैधानिक है। जो निर्वाचित संसद द्वारा जनप्रतिनिधित्व की इच्छा से जुड़े मूल्य को दर्शाता है।
  • ऑस्ट्रेलिया में, क्राउन द्वारा किसी विधेयक को स्वीकृति देने से इनकार करना संघीय व्यवस्था के प्रतिकूल माना जाता है क्योंकि यह केंद्र सरकार द्वारा राज्यों की इच्छा की अनदेखी करने के बराबर है।
  • राज्यपाल जैसा संवैधानिक प्राधिकारी ऐसी कमी का लाभ उठाकर संविधान के प्रावधान की अनदेखी नहीं कर सकता है, यह राज्यपाल के पद की प्रतिष्ठा के साथ-साथ संवैधानिक आदेश के खिलाफ़ है।

सारांश:

  • तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा NEET बिल पर कार्रवाई करने में देरी भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में परिकल्पित लोकतंत्र और संघवाद के सिद्धांतों के खिलाफ है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

कोर्ट का बोझ:

विषय: न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्यप्रणाली।

प्रारंभिक परीक्षा: न्यायपालिका और संबंधित सिफारिशें तथा चुनौतियाँ।

सन्दर्भ:

  • हाल ही में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के एक संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन किया गया।
    • पहला मुख्य न्यायाधीशों का सम्मेलन नवंबर 1953 में आयोजित किया गया था और अब तक 38 सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं। 2016 में 38वें सम्मेलन के आयोजित होने के छह वर्ष उपरांत 39वां संस्करण आयोजित किया गया।
  • संयुक्त सम्मेलन कार्यपालिका और न्यायपालिका के लिए न्याय के सरल और सुविधाजनक वितरण से संबंधित रूपरेखा तैयार करने और न्याय प्रणाली के समक्ष आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की गई।

विवरण:

न्यायिक बुनियादी ढांचा:

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण ने भारत में अदालतों के लिए न्यायिक बुनियादी ढांचे में गंभीर कमी का हवाला देते हुए एक राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना निगम का प्रस्ताव रखा था।
  • न्यायपालिका के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की योजना बनाने और उन्हें लागू करने के लिए वैधानिक शक्तियों से लेस एक विशेष तंत्र स्थापित करना होगा जो न्यायपालिका की आधारभूत सुविधाओं को बढ़ाने के लिए काम करेगा जिससे न्याय तक पहुंच में सुधार होगा।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए निम्नलिखित लेख पढ़े:

https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-dec06-2021/

  • राष्ट्रीय निकाय योजना के कार्यान्वयन होने से राज्य के दावे और शक्तियों के कम होने के अंदेशे के कारण कई मुख्यमंत्रियों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया।
  • इसके बजाय उन्होंने उसी उद्देश्य के लिए राज्य-स्तरीय निकायों के विचार का समर्थन किया।

सुझाव:

एक राष्ट्रीय निकाय के लिए धक्का:

  • कई राज्यों में न्यायिक बुनियादी ढांचे के लिए आवंटित धन कम होने के कारण, अब यह देखना है कि प्रस्तावित राज्य-स्तरीय निकाय आवश्यकताओं की पहचान करने और ढांचागत परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने में कहाँ तक सफल होंगे।
  • इस प्रकार, न्यायिक बुनियादी ढांचे के उन्नयन की योजना राष्ट्रीय निकाय की स्थिति को बेहतर बनाए रखने में कारगर साबित हो सकती है, जिसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है।

अन्य चुनौतियों का समाधान:

  • बुनियादी ढांचे की कमी के अलावा, न्यायाधीशों की कमी और बढ़ती मुकदमेबाजी अन्य प्रमुख चुनौतियां हैं।
  • सरकार की ओर से नियुक्ति के संबंध में समय-सीमा का पालन नहीं किया रहा है। यह न्यायाधीशों की कमी को बढ़ावा देता है।
  • सही कानूनों का अभाव एक प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है। प्रभाव मूल्यांकन एवं पूर्व-विचार की अनुपस्थिति तथा व्यापक परामर्श या विधानों को पारित करने से पहले संवैधानिकता की बुनियादी जांच न्यायपालिका में मामलों की संख्या में वृद्धि में योगदान दे रही है। सरकारी कार्रवाई या निष्क्रियता से उत्पन्न मुकदमे अदालतों के मामलों के बोझ बढ़ा रहे हैं।

इस मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए निम्न आलेख पढ़े:

https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-dec27-2021/

  • मुख्य न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों के स्तर पर न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच वार्ता के लिए सहयोगात्मक माहौल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए ताकि समय परन्यायिक नियुक्तियों और कानूनों के न्यायिक प्रभाव के मूल्यांकन की सामान्य चिंताओं को दूर किया जा सके।

सारांश:

  • न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने और देश में एक प्रभावी न्यायिक प्रणाली के लिए रोडमैप तैयार करने हेतु न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच घनिष्ठ सहयोग अनिवार्य है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत फिसलकर 150 पर पहुंचा:

विषय: विविध

प्रारंभिक परीक्षा: विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2022

प्रसंग:

  • हाल ही में विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (World Press Freedom Index) जारी किया गया।
  • विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक को रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी की जाती हैं।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2022:

  • WPF इंडेक्स में लगभग 180 देशों में प्रेस की स्थिति की तुलना कर पत्रकारों को देशों में कितनी स्वतंत्रता है, उसके अनुसार उन्हें रैंक दिया गया है।
  • विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:World Press Freedom Index

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. भारत में बेरोजगारी बढ़ रही है:

  • भारत बेरोजगारी के संकट की और बढ़ रहा है।
  • 2013- 2019 के बीच उत्पन्न नई गैर-कृषि नौकरियों की संख्या केवल 2.9 मिलियन थी,जबकि इसमें जब कम से कम 5 मिलियन श्रम बल सालाना शामिल हो रहे थे (एनएसओ का आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस))।
  • वर्ष 2019 में पहले से ही बेरोजगारों की संख्या 30 मिलियन थी,इसके बाद COVID-19 के कारण कम से कम 10 मिलियन लोग अतिरिक्त बेरोजगार हो गए है।
  • ‘मेक इन इंडिया’ जैसी योजनाओं के बावजूद 2011 से 2020 के बीच विनिर्माण रोजगार में नकारात्मक वृद्धि हुई है।
  • जबकि इस दावे के विपरीत कि 2017-18 से 2019-20 के बीच, श्रमिक भागीदारी दर (WPR) और श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) बढ़ी थी, श्रम बाजार में सुधार दिखा रहा था, लेकिन यह वृद्धि ज्यादातर महिलाओं द्वारा अवैतनिक पारिवारिक श्रम में वृद्धि के कारण हुई।
  • MSMEs क्षेत्र जो रोजगार प्रधान हैं, महामारी की चपेट में आ गया हैं। यह भारत में गैर-कृषि रोजगार सृजन के लिए शुभ संकेत नहीं है।
  • समय के साथ कृषि और संबद्ध गतिविधियों में शामिल जनसंख्या के अनुपात को कम करने के प्रगतिशील संरचनात्मक परिवर्तन की प्रवृत्ति के विपरीत, भारत में 2021-2020 के बीच, कृषि में श्रमिकों की पूर्ण संख्या 200 मिलियन से बढ़कर 232 मिलियन हो गई।
  • इसके परिणामस्वरूप ग्रामीण मजदूरी में कमी आई है।

2. अप्रैल का निर्यात 38 अरब डॉलर के पार, घाटा बढ़ा:

  • भारत का माल निर्यात 2021 से 24.2% बढ़ा हैं।
  • हालाँकि, व्यापार घाटा बढ़ा है क्योंकि आयात में 26.6% की तेज गति से वृद्धि हुई है।
  • व्यापार घाटे के बढ़ने के पीछे का कारण तेल आयात हैं।
  • उच्च रसद लागत और कच्चे माल की कीमतों में अभूतपूर्व उछाल सभी क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है।

Source:The Hindu

3. पोषण से लेकर पारंपरिक ज्ञान तक:

  • महाराष्ट्र जीन बैंक (MGB) जैव विविधता के संरक्षण के सफल समुदाय-संचालित प्रथाओं के ज्ञान सृजन, प्रलेखन, सत्यापन और प्रसार की एक सहयोगी प्रक्रिया है।
  • देश की पहली जीन बैंक परियोजना में पारंपरिक भारतीय ज्ञान के वृहद भण्डार के उपयोग से भूसी को अनाज से अलग करने के लिए आधुनिक वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करने की क्षमता है।
  • यह जलवायु परिवर्तन और परिवर्तनशीलता के बेहतर अनुकूलन के लिए फसल की किस्मों और पशुधन नस्लों को भी खोज कर बढ़ावा देने में सक्षम हैं।

4. व्याकुल करने वाली गर्मी:

  • मार्च और अप्रैल में पूरे भारत में अत्यधिक तापमान दर्ज किया गया हैं।
  • मार्च में औसत तापमान (33.1 डिग्री सेल्सियस) पिछले 120 वर्षों में सबसे गर्म था।

तीव्र हीट वेव का प्रभाव:

  • अत्यधिक गर्मी के कारण जंगल में लगने वाली आग की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई हैं।
  • बिजली की मांग इस दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
  • गर्मी के इस चरम मौसम ने गेहूं और फलों जैसी आवश्यक फसलों के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? {कठिनाई स्तर: मध्यम}

  1. एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध विशेष रूप से एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोध से संबंधित है।
  2. केरल भारत का पहला राज्य था जिसने एंटी माइक्रोबियल प्रतिरोध पर एक व्यापक नीति तैयार की थी ।
  3. भारत द्वारा इंटरनेशनल सेंटर फॉर एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस सॉल्यूशंस (ICARS) की पहल और स्थापना 2021 में की गई थी।

विकल्प:

(a)केवल 1

(b)केवल 2

(c)1, 2 और 3

(d)केवल 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी समय के साथ बदलते हैं और अब दवाओं के प्रति प्रतिक्रिया नहीं करते हैं जिससे संक्रमण का इलाज करना मुश्किल हो जाता है,और बीमारी फैलने, गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
  • रोगाणुरोधी – एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीपैरासिटिक्स सहित – ऐसी दवाएं हैं जिनका उपयोग मनुष्यों, जानवरों और पौधों में संक्रमण को रोकने और इलाज के लिए किया जाता है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • केरल राज्य पहला भारतीय राज्य बन गया जिसने 2018 में रोगाणुरोधी प्रतिरोध को नियंत्रित करने के लिए एक कार्य योजना शुरू की। इसलिए कथन 2 सही है।
  • गौरतलब हैं की नवंबर 2018 में, डेनिश सरकार ने औपचारिक रूप से आईसीएआरएस स्थापित करने की घोषणा की।
  • नवंबर 2021 में, डेनमार्क के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उद्घाटन निदेशक मंडल की नियुक्ति के बाद, ICARS एक स्वतंत्र, स्वशासी संगठन बन गया।
  • अतः कथन 3 सही नहीं है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से गलत है/हैं? {कठिनाई स्तर: कठिन}

  1. भारत ने सिक्किम में अपना पहला जीन अभयारण्य स्थापित किया है।
  2. हिमालय में टागलांग ला में भारतीय बीज बैंक स्थित है।
  3. स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट पूरी दुनिया की फसल विविधता के लिए एक सुरक्षित बैकअप है।

विकल्प:

(a)केवल 1 और 2

(b)केवल 2

(c)केवल 1 और 3

(d)उपर्युक्त कोई नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • भारत ने साइट्रस की अन्य प्रजातियों के लिए असम के गारो हिल्स में अपना पहला जीन अभयारण्य स्थापित किया है।अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • भारत में भारतीय बीज वॉल्ट लद्दाख में स्थित एक सुरक्षित बीज बैंक है, जो चांग ला सीड वॉल्ट पर ऊंचाई वाले पहाड़ी दर्रे में स्थित है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • नॉर्वेजियन द्वीप स्पिट्सबर्गेन पर, सुदूर आर्कटिक स्वालबार्ड द्वीपसमूह में, स्वालबार्ड ग्लोबल सीड वॉल्ट दुनिया की फसल विविधता के लिए एक सुरक्षित बैकअप है। यह सीड वॉल्ट लंबे समय तक के लिए पूरी दुनिया में जीनबैंक से डुप्लिकेट बीजों का संग्रहण करता है। अतः कथन 3 सही है।

प्रश्न 3. हाल ही में चर्चा में रही शिगेला सोननेई (Shigella sonnei) है ? {कठिनाई स्तर: कठिन}

(a)एक संक्रामक जीवाणु जो आंतों के संक्रमण का कारण बनता है।

(b)एक तेल खाने वाला जीवाणु जिसका व्यापक रूप से जैव उपचार हेतु उपकरण के रूप में उपयोग किया जा रहा है।

(c)एक शैवाल जो कम घनत्व वाली प्लास्टिक शीट को पचा सकती है।

(d)एक मिट्टी का कवक जो प्लास्टिक सामग्री को तेजी से तोड़ने के लिए एंजाइमों का उपयोग करता है।

उत्तर: a

व्याख्या:

  • लोगों में फूड पॉइजनिंग का कारण शिगेला सोनी बैक्टीरिया (Shigella Sonnie bacteria) पाया गया है। यह एक जीवाणु है यह आंतों को संक्रमित करता हैं जो की एक संक्रमित बीमारी है।
  • अत: विकल्प A सही है।

प्रश्न 4. प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? {कठिनाई स्तर: मध्यम}

  1. यह विगत वर्ष में देशों की प्रेस स्वतंत्रता के रिकॉर्ड के आधार पर ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा संकलित और प्रकाशित देशों की वार्षिक रैंकिंग है।
  2. यह रैंकिंग पत्रकारिता की गुणवत्ता का सूचक भी है।
  3. प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2022 में भारत 150वें स्थान पर है।

विकल्प:

(a)केवल 1 और 2

(b)केवल 3

(c)केवल 2 और 3

(d)उपर्युक्त कोई नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा जारी किया गया था। अतः कथन 1 सही नहीं है। इसमें मुख्य रूप से तीन चीजों का मूल्यांकन किया जाता है-
  • प्रेस का बहुलवाद।दूसरे शब्दों में सूचकांक इस बात की जांच करता है कि क्या किसी देश के मीडिया संगठनों का झुकाव अलग-अलग है या क्या वे किसी विशेष प्रतिमान की ओर झुकते हैं।
  • प्रेस की स्वतंत्रता। दूसरे शब्दों में, सूचकांक इस बात की पड़ताल करता है कि क्या किसी देश के प्रेस को सच बताने से रोका गया है।
  • वैधानिक ढाँचा। दूसरे शब्दों में, सूचकांक यह जांचने की कोशिश करता है कि क्या किसी देश की सरकार हिंसक कानूनों और गतिविधियों को नियोजित करके मीडिया को को धमका रही है। मूल रूप से, सूचकांक यह जानने की कोशिश करता है कि एक देश में पत्रकार कितना सुरक्षित है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2022 में भारत 180 देशों में से 150 वें स्थान पर है।
  • प्रेस की स्वतंत्रता पर हमलों ने भारत में तेजी से वृद्धि देखी थी। अतः कथन 3 सही है।

प्रश्न 5. कभी-कभी समाचारों में आने वाले पद ‘‘व्यापारी छूट दर’’ (Merchant Discount Rate) को निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सबसे सटीक वर्णन करता है? PYQ (2018) {कठिनाई स्तर: मध्यम}

(a)यह किसी बैंक द्वारा एक व्यापारी को सम्बंधित बैंक के डेबिट कार्ड के माध्यम से भुगतान स्वीकार करने के लिए दिया जाने वाला प्रोत्साहन है।

(b)यह बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों को वस्तुओं और सेवाओं के क्रय हेतु वित्तीय लेन-देनों के लिए डेबिट कार्ड का प्रयोग करने पर वापस दी जाने वाली राशि है।

(c)यह बैंक द्वारा किसी व्यापारी पर अपने ग्राहकों के डेबिट कार्ड से भुगातान लेने पर लगाया जाने वाला शुल्क है।

(d)यह सरकार द्वारा व्यापारियों को अपने ग्राहकों के लिए ‘पॉइंट ऑफ सेल’ (पी-ओ-एस-) मशीनों और डेबिट कार्ड के द्वारा डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए दिया गया प्रोत्साहन है।

उत्तर: c

व्याख्या:

  • व्यापारी छूट दर’’ (Merchant Discount Rate) एक शुल्क है जिसे व्यापारियों को अपनी समग्र लागतों की गणना करते समय ध्यान में रखना चाहिए।
  • स्थानीय और ई-कॉमर्स व्यापारी आम तौर पर अलग-अलग शुल्क लेते हैं और इसके अलग-अलग सेवा स्तर के समझौते होते हैं।
  • व्यापारियों को यह सेवा अवश्य स्थापित करनी चाहिए ताकि डेबिट और क्रेडिट कार्ड स्वीकार कर सकें।
  • अत: विकल्प C सही है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. श्रम बल भागीदारी दर क्या है? भारत में बेरोजगारी दर को मापने में यह कितना प्रभावी है? (250 शब्द; 15 अंक) जीएस III (आर्थिक विकास)

प्रश्न 2. भारत में निचली न्यायपालिका को परेशान करने वाले मुद्दों और इन कमियों के पीछे के कारणों पर विस्तार से चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) जीएस II (राजनीति)

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