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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 08 June, 2023 UPSC CNA in Hindi

08 जून 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

  1. हम निम्न कार्बन वाले शहरों की ओर संक्रमण/परिवर्तन कैसे कर सकते हैं?

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

राजव्यवस्था:

  1. राजद्रोह:
  2. मानव और कुत्तों के बीच संघर्ष:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. .केरल फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क परियोजना:
  2. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP):

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. बीएसएनएल के लिए पुनरुद्धार पैकेज:
  2. भारत, अमेरिका ने निर्यात नियंत्रण विनियमों की समीक्षा की:
  3. कखोवका बांध (Kakhovka dam):

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

हम निम्न कार्बन वाले शहरों की ओर संक्रमण/परिवर्तन कैसे कर सकते हैं?

पर्यावरण:

विषय: राष्ट्रीय पर्यावरण एजेंसियां, विधान और नीतियां।

मुख्य परीक्षा: जलवायु परिवर्तन शमन के लिए निम्न कार्बन वाले शहरों का महत्व।

संदर्भ:

  • इस लेख में प्रदूषण फैलाने वाले शहरों को निम्न कार्बन वाले शहरों में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा की गई है।

विवरण:

  • वर्ष 2020 में, शहरों द्वारा 29 ट्रिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड की भारी मात्रा वातावरण में निर्मुक्त की गई थी।
  • वर्तमान में शहरों के पर्यावरण पर मजबूत प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, जलवायु परिवर्तन के परिणामों को कम करने के लिए निम्न कार्बन वाले शहरों की उपस्थिति आवश्यक हो जाती है।
  • निम्न कार्बन उत्सर्जन वाले शहरों की और संक्रमण की प्रक्रिया, या यहाँ तक कि शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की प्रक्रिया में, विभिन्न क्षेत्रों में शमन और अनुकूलन रणनीतियों को शामिल करने की आवश्यकता है।
  • यह दृष्टिकोण, जिसे ‘क्षेत्र-युग्मन दृष्टिकोण/सेक्टर-कपलिंग दृष्टिकोण’ (sector-coupling approach) के रूप में जाना जाता है, शहरी प्रणालियों में कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।

क्षेत्र-युग्मन दृष्टिकोण:

  • इस दृष्टिकोण में अधिक कुशल और टिकाऊ ऊर्जा प्रणाली बनाने के लिए बिजली, हीटिंग और कूलिंग, परिवहन और उद्योग जैसे विभिन्न ऊर्जा क्षेत्रों का एकीकरण करना शामिल है।
  • इन क्षेत्रों को आपस में जोड़कर निम्न कार्बन वाले शहर सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को अनुकूलित कर सकते हैं और ऊर्जा की मांग और आपूर्ति का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं।
  • ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियां, जैसे बैटरी या थर्मल स्टोरेज सिस्टम, उच्च मांग की अवधि के दौरान या नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन कम होने पर बाद में उपयोग के लिए अतिरिक्त अक्षय ऊर्जा का भंडारण कर सकते हैं।
  • यह विकेन्द्रीकृत दृष्टिकोण ऊर्जा लचीलापन बढ़ाता है, संचरण हानियों को कम करता है, और जीवाश्म ईंधन-आधारित बैकअप शक्ति की आवश्यकता को कम करता है।
  • क्षेत्र-युग्मन दृष्टिकोण ऊर्जा खपत को अनुकूलित करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए मांग-पक्ष प्रबंधन और लचीलेपन पर जोर देती है।

ऊर्जा-प्रणाली संक्रमण का महत्व:

  • एक ऊर्जा-प्रणाली में संक्रमण द्वारा शहरी कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में उल्लेखनीय रूप से कमी लाने की क्षमता है, जो संभावित रूप से लगभग 74% की कमी तक ला सकता है।
  • स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में हुई हाल की प्रगति ने घटती लागत के साथ मिलकर आर्थिक और तकनीकी बाधाओं को समाप्त कर दिया है, जिससे निम्न कार्बन समाधानों को अपनाना संभव हो गया है।
  • एक सफल परिवर्तन करने के लिए प्रयास, मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों पर केंद्रित होने चाहिए।
  • आपूर्ति पक्ष में-जीवाश्म ईंधन को धीरे-धीरे समाप्त करना, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ाना और कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) प्रौद्योगिकियों को लागू करना शामिल है।
  • मांग पक्ष के तहत इसमें “बचें, बदलाव करें, सुधार करें” (“avoid, shift, improve” ) ढांचे को नियोजित करने के लिए ऊर्जा और सामग्री की खपत को कम करना, अक्षय ऊर्जा के साथ जीवाश्म ईंधन को प्रतिस्थापित करना और कार्बन-डाइऑक्साइड प्रतिस्थापित (CDR) प्रौद्योगिकियों को अपनाने के माध्यम से शेष उत्सर्जन को संबोधित करना शामिल है।

विभिन्न शहरों के लिए अनुकूलित रणनीतियां:

  • प्रत्येक शहर की अनूठी विशेषताओं के आधार पर निम्न-कार्बन चुनौतियों से निपटने की रणनीति अलग-अलग होती है, जो बेहतर नीतियां बनाने के दृष्टिकोणों की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।
  • नीति निर्माता ऊर्जा-संक्रमण नीतियां बनाते समय शहर की स्थानिक संरचना, भूमि उपयोग, विकास स्तर और शहरीकरण की डिग्री जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए सामाजिक और पर्यावरणीय निष्पक्षता दोनों पर विचार करेंगे।
  • स्थापित शहर ऊर्जा दक्षता बढ़ा सकते हैं और मौजूदा बुनियादी ढाँचे को फिर से तैयार करके पैदल चलने और साइकिल चलाने जैसे परिवहन के स्थायी साधनों को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
  • तेजी से बढ़ते शहर अपने शहरी नियोजन को सबसे बेहतर ढंग से उपयोग कर सकते हैं ताकि परिवहन ऊर्जा की मांग को कम करने के लिए काम के स्थानों के करीब आवासीय क्षेत्रों का पता लगाया जा सके। इन शहरों के पास विकास के साथ-साथ नवीकरणीय ऊर्जा और कार्बन कैप्चर और भंडारण सहित निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों को अपनाने का अवसर भी है।

समान ऊर्जा व्यवस्था सुनिश्चित करना:

  • नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों और अर्थव्यवस्थाओं में अलग-अलग होते हैं।
  • “सभी के लिए एक ही नीति” दृष्टिकोण से कुछ समूहों या समुदायों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, ऊर्जा सुरक्षा, शहरीकरण, भूमि बेदखली, गरीबी का संकेंद्रण, लैंगिक असमानता और जीवाश्म ईंधन निर्यात पर निर्भरता जैसे मुद्दों पर विचार करने की आवश्यकता है।
  • नाइजीरिया और वेनेजुएला जैसी जीवाश्म ईंधन के निर्यात पर अत्यधिक निर्भर विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को संक्रमण के दौरान आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
  • विकसित देश भी ऊर्जा की कमी और असमानता का अनुभव करते हैं, उच्च ऊर्जा लागत के साथ कम आय वाले परिवारों की आवश्यक सुविधाओं को वहन करने की क्षमता प्रभावित होती है।

भावी कदम:

  • शहरों में निम्न-कार्बन ऊर्जा प्रणालियों में परिवर्तन करने के लिए व्यवस्था, व्यवहार परिवर्तन, प्रौद्योगिकी और संस्थागत क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने वाली रणनीति की आवश्यकता होती है।
  • यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि स्वच्छ ऊर्जा संसाधनों और लाभों तक समाज के सभी सदस्यों की उचित और समान पहुंच हो।
  • समावेशिता को बढ़ावा देने और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करने से, ऊर्जा प्रशासन निम्न-कार्बन भविष्य की दिशा में एक उचित संक्रमण में योगदान कर सकता है।
  • सरकारों को ऊर्जा शासन में विविध हितधारकों को शामिल करने, ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने, जलवायु निवेश बढ़ाने और स्वदेशी और स्थानीय दृष्टिकोण सहित विविध ज्ञान स्रोतों को शामिल करने पर ध्यान देना चाहिए।
  • परिवर्तन के लिए व्यापक कार्रवाइयों की आवश्यकता होती है जिसमें शमन और अनुकूलन, उचित और स्थायी ऊर्जा भविष्य सुनिश्चित करने के लिए निर्णय लेने में भागीदारी को प्रोत्साहित करना शामिल है।

सारांश:

  • जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए, निम्न कार्बन वाले शहर महत्वपूर्ण हैं, और ऊर्जा क्षेत्रों को एकीकृत करने वाला एक क्षेत्र-युग्मन दृष्टिकोण कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है। स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में प्रगति से सहायता प्राप्त ऊर्जा-प्रणाली संक्रमण शहरी कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी ला सकता है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

राजद्रोह:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

विषय:संविधान-महत्वपूर्ण प्रावधान

प्रारंभिक परीक्षा: राजद्रोह से संबंधित प्रावधान

मुख्य परीक्षा: राजद्रोह और देश की लोकतांत्रिक साख पर इसका प्रभाव।

संदर्भ:

  • विधि आयोग की 279वीं रिपोर्ट में राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर राजद्रोह कानून को जारी रखने की सिफारिश की गई है।

राजद्रोह क्या है:

  • धारा 124A राजद्रोह को इस प्रकार परिभाषित करती है: “बोले या लिखे गए शब्दों या संकेतों द्वारा या दृश्य प्रस्तुति द्वारा, जो कोई भी भारत में विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमान पैदा करेगा या पैदा करने का प्रयत्न करेगा, असंतोष (Disaffection) उत्पन्न करेगा या करने का प्रयत्न करेगा, उसे आजीवन कारावास या तीन वर्ष तक की कैद और ज़ुर्माना अथवा सभी से दंडित किया जाएगा।”

आजादी से पहले की घटनाएं:

  • बाल गंगाधर तिलक, एनी बेसेंट, शौकत और मोहम्मद अली, मौलाना आज़ाद और महात्मा गांधी सहित प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ IPC की धारा 124A से जुड़े कई स्वतंत्रता-पूर्व मामले हैं। यही वह समय था जब 1898 में राजद्रोह का सबसे उल्लेखनीय मुकदमा – रानी साम्राज्ञी बनाम बाल गंगाधर तिलक – चला था।

देशद्रोह पर केदारनाथ मामले में निर्णय:

  • अदालत ने कहा कि जब तक हिंसा के लिए उकसाया या आह्वान न किया जाए, सरकार की आलोचना को देशद्रोह नहीं कहा जा सकता।
  • इस फैसले ने देशद्रोह को केवल उस हद तक प्रतिबंधित किया, जहां तक कि देशद्रोही भाषण के माध्यम से “सार्वजनिक अव्यवस्था” उत्पन्न करने का प्रयास किया गया था – यह वाक्यांश (सार्वजनिक अव्यवस्था) धारा 124A में स्वयं शामिल नहीं है, लेकिन अदालत द्वारा इसे पढ़ा गया था।
  • अदालत ने यह रेखांकित करते हुए सात “दिशानिर्देश” भी जारी किए कि कब आलोचनात्मक भाषण को राजद्रोह के रूप में नहीं माना जा सकता है।
    • अदालत ने राजद्रोह कानून की नई, प्रतिबंधात्मक परिभाषा का उपयोग करने पर अपने दिशानिर्देशों में कहा कि राज्य के खिलाफ “असंतोष”, “घृणा” या “अवमानना” वाले सभी भाषण नहीं, लेकिन केवल वे भाषण जिनसे “सार्वजनिक अव्यवस्था” उत्पन्न होने की आशंका है, राजद्रोह के रूप में माने जाएँगे।

अन्य देशों में राजद्रोह कानून:

  • यूनाइटेड किंगडम में, राजद्रोह कानून को कोरोनर्स एंड जस्टिस अधिनियम, 2009 की धारा 73 के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक भयावह प्रभाव का हवाला देते हुए आधिकारिक रूप से निरस्त कर दिया गया था।
  • ऑस्ट्रेलिया ने 2010 में अपने राजद्रोह कानून को निरस्त कर दिया था, और पिछले साल, सिंगापुर ने भी इस कानून को निरस्त कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि कई नए विधान बिना किसी भयावह प्रभाव के राजद्रोह कानून की वास्तविक आवश्यकता को पर्याप्त रूप से संबोधित कर सकते हैं।

सारांश:

  • राजद्रोह नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को गंभीर रूप से समाप्त कर सकता है और भारत की लोकतांत्रिक साख को क्षीण कर सकता है। देश के कानून की किताबों में इस कानून को बनाए रखने पर विचार करने की जरूरत है।

मानव और कुत्तों के बीच संघर्ष:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

विषय: सामाजिक न्याय, सामाजिक क्षेत्र के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे – बच्चे और स्वास्थ्य

मुख्य परीक्षा: भारत में आवारा कुत्तों का खतरा, मानव-कुत्ते का संघर्ष, इस संबंध में कानून

संदर्भ:

  • मानव और कुत्तों के बीच संघर्ष की बढ़ती घटनाओं ने शहरी क्षेत्र में गंभीर मुद्दे खड़े कर दिए हैं।

भारत में आवारा कुत्तों से जुड़े आंकड़े:

  • परिवार कल्याण के केंद्रीय स्वास्थ्य खुफिया ब्यूरो (CBHI) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में भारत में रेबीज से मानव मृत्यु के 105 मामले सामने आए थे।
    • 2018 संस्करण ने 2017 के लिए यह आंकड़ा 97 था। विभिन्न आंकड़ों के अनुसार, 2016 में रेबीज से 86 मानव मौतें हुईं, 2015 में 113, 2014 में 125 और 2013 में 132 हुईं।
  • पिछले पांच सालों में कुत्तों ने 300 से ज्यादा लोगों को मार डाला है, जिनमें ज्यादातर गरीब और ग्रामीण परिवारों के बच्चे हैं। 20,000 से अधिक रेबीज मौतों के लिए कुत्ते जिम्मेदार हैं।
  • लोकसभा के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में 2019 तक 60,472 आवारा कुत्ते हैं। पशुपालन मंत्रालय ने संसद में कहा कि 2019 तक भारत की सड़कों पर कम से कम 1.53 करोड़ कुत्ते थे।

भारत में कुत्तों के नियंत्रण के लिए कानून

  • पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम, 2001 आवारा पशुओं की जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित है। यह जनसंख्या स्थिरीकरण हासिल करने के लिए आवारा पशुओं को मारने के बजाय उनकी बधियाकरण का प्रावधान करता है।
    • यह निगरानी समितियों के गठन का भी प्रस्ताव करता है जो पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रमों के माध्यम से एक क्षेत्र में आवारा पशुओं की आबादी को सीमित करने के लिए कदम उठाएगी।
    • कुत्ते को खाना खिलाने वालों और अन्य निवासियों के बीच अक्सर होने वाले संघर्षों को समाप्त करने के लिए नियम निवासी कल्याण संघों (आरडब्ल्यूए) की भूमिका को भी संबोधित करेंगे।
  • पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत एक सांविधिक निकाय, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने 2001 में पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) नियम प्रख्यापित किए।
    • यह नीति कुत्तों की आबादी और साथ ही घातक रेबीज वायरस दोनों को नियंत्रित करने के लिए थी।
    • पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम स्थानीय निकायों द्वारा संचालित किया जा सकता है जो पशु कल्याण के मुद्दों को संबोधित करते हुए आवारा कुत्तों की आबादी को कम करने में मदद करेगा।
    • नगर निगमों को ABC और एंटी रेबीज कार्यक्रम को संयुक्त रूप से लागू करने की आवश्यकता है।

पशु जन्म नियंत्रण का विकल्प:

  • भारत में कुत्तों के खतरे के मुद्दे से निपटने के लिए सहभागी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
  • भारत में आवारा कुत्तों की निगरानी प्रणाली को कारगर बनाने की आवश्यकता है।
    • कुत्तों को ट्रैक करने के लिए राज्य, जिला और नगरपालिका स्तर पर निगरानी समिति का गठन किया जाता है।
  • हाल के नियमों में कुत्तों को पकड़ने, आवास, सर्जरी और रिहाई के लिए बुनियादी ढांचे के विस्तार में निवेश की भी आवश्यकता है।
    • कुत्तों के रखरखाव, रिपोर्टिंग और संघर्ष प्रबंधन के उद्देश्य से मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार की गई है।
  • ABC प्रणाली को सुनिश्चित करने के लिए NGO के साथ जुड़ाव का पूरी लगन से पालन किया जाता है।
  • भारत में पालतू कुत्तों और आवारा कुत्तों के बीच अंतर करने का भी प्रयास किया जा रहा है। इससे स्पष्ट रूप से नीतियों की बेहतर समझ और कार्यान्वयन में मदद मिलेगी।

सारांश:

  • आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण और भागीदारी नीतियों की आवश्यकता है। आवारा पशुओं के कारण होने वाली मानव मौतों की जांच करने और इस खतरे से निपटने के लिए एक मानवीय तरीका सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपायों की आवश्यकता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.केरल फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क परियोजना:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

विषय: केंद्र एवं राज्यों के कार्य और उत्तरदायित्व।

प्रारंभिक परीक्षा: फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क; बुनियादी मानवाधिकार

प्रसंग:

  • केरल सरकार ने केरल फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क परियोजना शुरू की।

मुख्य विवरण:

  • हाल ही में केरल ने केरल फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क (KFON) परियोजना के माध्यम से अपनी स्वयं की इंटरनेट सेवा शुरू की है, जिससे यह ऐसा करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है।
  • डिजिटल विभाजन को पाटने के लक्ष्य के साथ, KFON परियोजना का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक को इंटरनेट की सुविधा प्रदान करना है। प्रारंभ में, इसमें राज्य के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में 100 घरों को इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने की योजना है।
  • KFON ने सफलतापूर्वक एक मजबूत आईटी अवसंरचना स्थापित की है जो पूरे केरल में 40 लाख इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा प्रदान कर सकती है, यह व्यापक इंटरनेट पहुंच और कनेक्टिविटी के लिए मंच तैयार कर रही है।
  • यह पहल दूर-दराज के स्थानों तक सफलतापूर्वक पहुंच गई है, जिसमें वायनाड और पहले से वंचित अन्य क्षेत्रों में आदिवासी बस्तियां शामिल हैं।
  • दूरसंचार विभाग (DoT) ने जुलाई 2022 में KFON को इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर (IP) लाइसेंस दिया और संगठन को इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) के रूप में भी मंजूरी दी।

बुनियादी मानव अधिकार के रूप में इंटरनेट:

  • 2019 में, केरल सरकार इंटरनेट एक्सेस को मौलिक अधिकार घोषित करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया। यह महत्वपूर्ण कदम संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव के बाद लिया गया, जिसने 2016 में इंटरनेट एक्सेस को एक बुनियादी मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी थी।
  • घोषणा के साथ इसे मूर्त वास्तविकता में बदलने की व्यापक योजना थी।
  • KFON की स्थापना राज्य में गरीबी रेखा से नीचे (BPL) रह रहे 20 लाख परिवारों को मुफ्त इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करने के साधन के रूप में की गई थी।
  • इंटरनेट की परिवर्तनकारी क्षमता को पहचानते हुए, केरल सरकार ने डिजिटल विभाजन को दूर करने और समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय उपाय किए।
  • हाल ही में केरल ने खुद को भारत का पहला पूर्ण रूप से ई-शासित राज्य घोषित किया।
    • सचिवालय, जिला कलेक्ट्रेट, कमिश्नरेट और निदेशालयों में ई-ऑफिस प्रणाली पहले ही लागू की जा चुकी है।
    • आम तौर पर जनता के लिए आवश्यक सभी सेवाओं सहित 900 से अधिक सरकारी सेवाएं अब सिंगल-विंडो पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध हैं।
  • सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि हर कोई इंटरनेट के माध्यम से बुनियादी सेवाओं का उपयोग करने के लिए सुसज्जित हो, विभिन्न स्थानीय निकायों के माध्यम से जमीनी स्तर पर एक डिजिटल साक्षरता अभियान भी शुरू किया है।
  • इंटरनेट तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करके, केरल का उद्देश्य अधिक डिजिटल रूप से सशक्त समाज बनाते हुए सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

डिजिटल इंडिया के बारे में अधिक जानकारी के लिए: Digital India

2.न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP):

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता; न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)।

प्रारंभिक परीक्षा: MSP; खरीफ की फसलें।

प्रसंग:

  • सरकार ने खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की है।

मुख्य विवरण:

  • केंद्र सरकार ने खरीफ या मानसून के मौसम में बोए गए धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2,183 प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, जो 2022 से ₹143 प्रति क्विंटल अधिक है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक में 17 खरीफ फसलों और उनके प्रकारों के लिए 2023-24 MSP को मंजूरी दी गई।
  • धान के अलावा प्रमुख दलहनों के लिए भी नए MSP निर्धारित किए गए हैं।
  • बाजरा (82%) के बाद तुअर (58%), सोयाबीन (52%) और उड़द (51%) में किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित मार्जिन सबसे अधिक होने का अनुमान है।
  • विपणन सीजन 2023-24 के लिए खरीफ फसलों के लिए MSP में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है जिसमें किसानों के लिए यथोचित उचित पारिश्रमिक का लक्ष्य रखते हुए उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर MSP तय करने की घोषणा की गई थी।

खरीफ फसलों के बारे में अधिक जानकारी के लिए: Kharif Crops

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. बीएसएनएल के लिए पुनरुद्धार पैकेज:
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के लिए 89,047 करोड़ रुपये के पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी दे दी है।
  • इसमें इक्विटी इन्फ्यूजन के जरिए 26 गीगाहर्ट्ज, 700 मेगाहर्ट्ज, 2,500 मेगाहर्ट्ज और 3,300 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम का आवंटन शामिल है।
  • पुनरुद्धार पैकेज के तहत, बीएसएनएल विभिन्न कनेक्टिविटी परियोजनाओं के माध्यम से अपने 4G कवरेज को ग्रामीण और निम्न-सेवित गांवों तक विस्तारित करेगा।
  • यह हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस सेवाएं भी प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, बीएसएनएल कैप्टिव गैर-सार्वजनिक नेटवर्क के लिए सेवाएं और स्पेक्ट्रम प्रदान करेगा।
  • बीएसएनएल का यह तीसरा रिवाइवल पैकेज होगा। पहले के पैकेजों में कंपनी के संचालन का समर्थन करने, बुनियादी ढांचे में सुधार करने और सेवा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण पूंजी प्रवाह शामिल था।
  • बीएसएनएल के बेल-आउट पैकेज से संबंद्धित जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Bail-out package for BSNL
  1. भारत, अमेरिका ने निर्यात नियंत्रण विनियमों की समीक्षा की:
  • भारत-यू.एस. सामरिक व्यापार संवाद (IUSSTD) के उद्घाटन के दौरान भारत और अमेरिका महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के लिए अपनी निर्यात नियंत्रण प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए प्रतिबद्धता जताई।
  • वार्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाशिंगटन यात्रा की प्रत्याशा में हुई, जहां GE-414 जेट इंजन की भारत को बिक्री से जुड़े सौदे सहित कई उच्च-प्रौद्योगिकी साझेदारी को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।
  • यह बैठक उन तरीकों पर केंद्रित थी जिसमें दोनों सरकारें अर्धचालक, अंतरिक्ष, दूरसंचार, क्वांटम, AI, रक्षा, जैव-तकनीक और अन्य जैसे महत्वपूर्ण डोमेन में प्रौद्योगिकियों के विकास और व्यापार की सुविधा प्रदान कर सकती हैं।
  • क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (Critical and Emerging Technologies (iCET)) पर भारत-यूएस पहल के तहत परिकल्पित रणनीतिक प्रौद्योगिकी और व्यापार सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए संवाद एक महत्वपूर्ण तंत्र है।
  • दोनों पक्षों ने इन सामरिक प्रौद्योगिकियों के लिए लचीली आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने के लक्ष्य के साथ अपने संबंधित निर्यात नियंत्रण विनियमों की भी समीक्षा की थी।
  1. कखोवका बांध (Kakhovka dam):
  • कखोवका बांध, दक्षिणी यूक्रेन के रूस नियंत्रित क्षेत्रों में निप्रो नदी पर बना एक प्रमुख बांध 06 जून, 2023 को ढह गया, जिससे गांवों में बाढ़ आ गई, फसलें बर्बाद हो गईं और पीने के पानी की आपूर्ति को खतरा पैदा हो गया।
  • बांध टूटने से हुई तबाही के लिए दोनों देश एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।
  • निप्रो नदी के दोनों किनारों के निचले इलाकों से हजारों लोगों को निकाला गया है।
  • दोनों पक्षों ने बांध की मशीनरी से तेल के रिसाव और सिंचाई से वंचित कृषि भूमि के कारण आंशिक रूप से प्रदूषित जल से आने वाली पर्यावरणीय आपदा की चेतावनी जारी की है।
  • यूरोप का सबसे बड़ा, ज़ापोरिज़्ज़िया परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Zaporizhzhia Nuclear Power Plant), बांध के अब खाली हो रहे जलाशय के पानी पर बड़े हिस्से पर निर्भर है।

चित्र स्रोत: APNews

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-मध्यम)

  1. न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा की जाती है।
  2. यह वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से फसल खरीदती है।
  3. MSP की व्यवस्था भारत में पहली बार वर्ष 1966-67 में शुरू की गई थी।

उपरोक्त कथनों में से कितने गलत हैं?

  1. केवल एक कथन
  2. केवल दो कथन
  3. सभी तीनों कथन
  4. कोई नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) MSP की सिफारिश करता है। इसे आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा अनुमोदित किया जाता है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में अधिक जानकारी के लिए: Minimum Support Price

प्रश्न 2. निम्नलिखित गैसों में से कितनी ग्रीनहाउस गैसें हैं? (स्तर-सरल)

  1. मीथेन
  2. नाइट्रोजन
  3. जल वाष्प (Water Vapour)
  4. आर्गन
  5. कार्बन डाईऑक्साइड

विकल्प:

  1. केवल दो गैसें
  2. केवल तीन गैसें
  3. केवल चार गैसें
  4. सभी पाँचों गैसें

उत्तर: b

व्याख्या:

  • प्राथमिक GHG हैं: जल वाष्प, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और ओजोन।
  • अन्य GHG कार्बन मोनोऑक्साइड, फ्लोरिनेटेड गैसें, क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs), ब्लैक कार्बन (कालिख) और ब्राउन कार्बन हैं।

ग्रीनहाउस गैसों के बारे में और पढ़ें: Greenhouse Gases

प्रश्न 3. कपास की खेती के बारे में, निम्नलिखित कथनों में से कितने सही हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. यह खरीफ की एक फसल है।
  2. भारत विश्व स्तर पर कपास के शीर्ष 5 उत्पादक देशों में से एक है।
  3. बीटी कॉटन को भारत में वर्ष 2002 में पेश किया गया था।

विकल्प:

(a) केवल एक कथन

(b) केवल दो कथन

(c) सभी तीनों कथन

(d) कोई नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कपास (Cotton) एक खरीफ फसल है जिसकी खेती वर्षा ऋतु में की जाती है। भारत प्रति वर्ष 6,188,000 टन उत्पादन मात्रा के साथ दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक है। चीन 6,178,318 टन वार्षिक उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर आता है।
  • बीटी कपास (Bt cotton) को पहली बार 1993 में संयुक्त राज्य अमेरिका में फील्ड ट्रायल के लिए मंजूरी दी गई थी, और पहली बार 1995 में संयुक्त राज्य अमेरिका में व्यावसायिक उपयोग के लिए मंजूरी दी गई थी। बीटी कपास को 1997 में चीनी सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया था।
  • 2002 में, मोंसेंटो और महिको के बीच एक संयुक्त उद्यम ने भारत में बीटी कपास की शुरुआत की।

प्रश्न 4. मैडेन जूलियन दोलन (Madden Julian Oscillation) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सत्य है? (स्तर-कठिन)

  1. यह भूमध्य रेखा के निकट पूर्व की ओर गतिमान प्रणाली है।
  2. इसकी अवधि 30-60 दिनों की होती है।
  3. मानसून के दौरान हिंद महासागर के ऊपर इसकी उपस्थिति, भारतीय उपमहाद्वीप में अच्छी वर्षा लाने में मदद करती है।

विकल्प:

(a) केवल एक कथन

(b) केवल दो कथन

(c) सभी तीनों कथन

(d) कोई नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

  • मैडेन जूलियन दोलन (MJO) एक समुद्री-वायुमंडलीय घटना है जो दुनिया भर में मौसम की गतिविधियों को प्रभावित करती है। यह उष्णकटिबंधीय मौसम में साप्ताहिक से मासिक समय-सीमा में बड़ा उतार-चढ़ाव लाता है।
  • MJO को बादलों, वर्षा, हवाओं और दबाव से मिलकर भूमध्य रेखा के पास पूर्व की ओर बढ़ने वाले एक स्पंदित विक्षोभ के रूप में विशेषीकृत किया जाता है।
    • इसका हर 30 से 60 दिनों का एक नियमित चक्र होता है।
  • MJO अपनी यात्रा के माध्यम से आगे बढ़ने पर आठ अलग-अलग चरणों वाले मार्ग का अनुसरण करता है।
    • मानसून के मौसम के दौरान, जब MJO हिंद महासागर में पहुंचता है, तो यह भारतीय उपमहाद्वीप में पर्याप्त वर्षा लाता है।

प्रश्न 5. किसी अर्थव्यवस्था में मुद्रा गुणक (मनी मल्टिप्लायर) निम्नलिखित में से किस एक के साथ-साथ बढ़ता है? (PYQ-CSE-2019) (स्तर-मध्यम)

  1. आरक्षित नकदी (कैश रिज़र्व) अनुपात में वृद्धि
  2. जनता की बैंकिंग आदतों में वृद्धि
  3. सांविधिक नकदी अनुपात में वृद्धि
  4. देश की जनसंख्या में वृद्धि

उत्तर: b

व्याख्या:

  • मुद्रा गुणक (money multiplier) आधार मुद्रा और आरक्षित अनुपात की एक निश्चित राशि के आधार पर वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उत्पन्न कुल धन का प्रतिनिधित्व करता है।
    • जब नकद आरक्षित अनुपात बढ़ाया जाता है, तो यह बैंकों की धन उधार देने की क्षमता को सीमित करता है, जिसके परिणामस्वरूप मुद्रा गुणक में कमी आती है।
    • जनसंख्या की बैंकिंग गतिविधि में वृद्धि से उधार देने में वृद्धि हुई है, जिससे बैंकिंग प्रणाली में अधिक जमा राशि बढ़ी है और इसके परिणामस्वरूप धन गुणक में वृद्धि हुई है।
    • एक अर्थव्यवस्था में धन गुणक जनसंख्या वृद्धि के साथ स्वचालित रूप से नहीं बढ़ता है, यह दर्शाता है कि जनसंख्या का आकार अकेले धन गुणक में परिवर्तन का निर्धारण नहीं करता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. मानव और कुत्तों के बीच संघर्ष का समाधान करने के लिए नए पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 कितने कारगर हैं? समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।

(250 शब्द; 15 अंक) (GSII-सामाजिक न्याय)

प्रश्न 2. निम्न कार्बन वाले शहरों की ओर संक्रमण तभी उचित होगा जब यह न्यायपूर्ण और निष्पक्ष हो। इस कथन का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए और इसे प्राप्त करने के तरीके सुझाइए।

(250 शब्द; 15 अंक) (GSIII-पर्यावरण)