08 जुलाई 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: अर्थव्यवस्था:
पर्यावरण:
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: सामाजिक न्याय:
अर्थव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
वाहनों की टक्कर से सम्बंधित सुरक्षा का आकलन करने के लिए भारत-विशिष्ट मानदंडों का प्रस्ताव:
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन संग्रहण, वृद्धि एवं विकास से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा : भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (भारत-एनकैप-(Bharat NCAP)) और ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए इसका महत्व।
संदर्भ:
- केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (भारत-एनकैप-(Bharat NCAP)) शुरू करने के लिए सामान्य वैधानिक नियमों (GSR) के मसौदे को मंजूरी दे दी हैं।
भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (भारत-एनकैप-(Bharat NCAP)):
- न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम के तहत क्रैश टेस्ट में वाहनों और उनके प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा और उसी आधार पर उन्हें स्टार रेटिंग प्रदान की जाएगी।
- भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम का उद्देश्य:
- भारत में निर्मित वाहनों की निर्यात-पात्रता में सुधार करना।
- निर्माताओं के बीच सुरक्षा मानकों पर प्रतिस्पर्धा की भावना लाना।
- उपभोक्ताओं में उनकी सुरक्षा के प्रति विश्वास जगाने में मदद करना।
भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम की आवश्यकता:
- न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (NCAP) कार सुरक्षा मानकों के बारे में अत्यधिक भरोसेमंद विवरण प्रदान करता है, क्योंकि इसके तहत कुछ सामान्य निर्धारित मानदंडों और निश्चित मानकीय प्रक्रियाओं के आधार पर वाहनों का आकलन किया जाता है।
- ये मानदंड और शर्तें देश-विशिष्ट वाहन मानकों से भिन्न हैं क्योंकि देश-विशिष्ट मानदंड वाहन की सड़क पर चलने संबंधी पात्रता का आकलन करने तक ही सीमित हैं और आम तौर पर टक्कर के दौरान सुरक्षा पहलू को कवर नहीं करते हैं।
- ग्लोबल एनकैप (NCAP) दुनिया भर में एनसीपी (NCPs) के बीच सहयोग के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है और मोटर वाहन सुरक्षा मानकों को सार्वभौमिक रूप से अपनाने को बढ़ावा देता है।
- एनकैप (NCAP) अंतरराष्ट्रीय बाजारों में वाहनों को आकर्षक बनाने में मददगार साबित होता है।
वाहनों के आकलन की प्रक्रिया:
- भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम के तहत एडल्ट ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन (AOP), चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन (COP) और सेफ्टी असिस्ट टेक्नोलॉजीज (SAT) जैसे प्रमुख मापदंडों का आकलन करने के बाद वाहनों को एक स्टार से लेकर पांच स्टार तक के बीच रेटिंग प्रदान की जाएगी।
- न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (NCAP) की प्रक्रिया में अग्र-भाग प्रभाव, पृष्ठीय प्रभाव और दुर्घटना के बाद वाहन के दरवाजे के खुलने की संभावना का अध्ययन करना शामिल है। दुर्घटना के प्रभाव की भयावहता का अध्ययन कारों के अंदर रखे गए डमी की मदद से किया जाता है।
- इसके तहत कार को एल्युमिनियम से बने एक विरूप्य अवरोध से टकराया जाता है,जो लगभग 40% अतिव्यापन के साथ कार पर उतना ही विरोधी बल लगाता है जितना कि किसी कार दुर्घटना की स्थिति में कार पर लगता है।
- भारत एनकैप (Bharat NCAP) के तहत मौजूदा 56 किमी. प्रति घंटे की रफ़्तार के बजाय 64 किमी. प्रति घंटे की रफ़्तार से फ्रंट-ऑफसेट क्रैश परीक्षण किया जाएगा।
- ऑफसेट क्रैश किसी वाहन की उस टक्कर को संदर्भित करता है जिसमें वाहन के केवल सामने का भाग (संपूर्ण वाहन नहीं) अवरोध से टकराता है।
- दुर्घटना परीक्षण के बाद, सिर, गर्दन, छाती, घुटने, श्रोणि, निचले पैर और टखने पर लगने वाली चोट के आधार पर कार में रखी गई डमी का आकलन किया जाएगा।
- बच्चो की सुरक्षा के मामले में, एनकैप (NCAP) के तहत चाइल्ड रेस्ट्रेंट सिस्टम (child restraint system) और एयरबैग सुरक्षा के आधार पर प्रभाव का आकलन किया जाएगा।
- भारत एनकैप (NCAP) के तहत उन वाहनों को उच्च रेटिंग प्रदान की जाती है जिनके सामने वाले एयरबैग पर स्थायी चेतावनी लेबल लगा हुआ होता हैं और साथ ही एयरबैग को निष्क्रिय करने के लिए वाहन मैनुअल स्विच से लैस होता है जो बच्चे की पहुंच से दूर होनी चाहिए।
सड़क सुरक्षा और ऑटोमोबाइल उद्योग पर भारत एनकैप का प्रभाव:
- यह सड़क दुर्घटनाओं के प्रति “शून्य सहनशीलता” दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, साथ ही वर्ष 2025 तक यह लगभग 50% सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में मददगार साबित होगा।
- भारत एनकैप (NCAP) देश के ऑटोमोबाइल उद्योग को बढ़ावा देने और इसे ऑटोमोबाइल विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि, भारत एनकैप (NCAP) व्यवस्था से वाहनों की सुरक्षा सुविधाओं में तो सुधार होगा लेकिन इससे वाहनों की कीमतों में वृद्धि भी होगी।
- बाजार में, ग्राहक कम सुरक्षा सुविधाओं वाली कार पसंद कर सकते हैं, यदि कार उनके लिए सस्ती हो तो।
- एनकैप (NCAP) व्यवस्था मूल्य संवेदनशील कम कीमत वाले कार बाजार को भी प्रभावित कर सकती है।
- भारत एनकैप (NCAP) उत्पाद, प्रौद्योगिकी और सुरक्षा सुविधाओं को आगे बढ़ाने के मामले में घरेलू मोटर वाहन उद्योग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
गर्मियों से ज्यादा गर्म हो रहा है मानसून: अध्ययन
पर्यावरण:
विषय: पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण।
मुख्य परीक्षा : भारत में बढ़ते तापमान और उसके परिणामों के बारे में विवरण।
संदर्भ:
- इस लेख में भारत में मानसून के महीनों में तापमान वृद्धि के बारे में चर्चा की गई है।
भारत में तापमान में वृद्धि:
- सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के एक अध्ययन के मुताबिक, मानसून माह जून से सितंबर के महीनों में तापमान में वृद्धि देखी जा रही है।
- वर्ष 1951 से 1980 के समय की तुलना करने पर पता चलता है कि देश भर में गर्मियों के समय में (मार्च से मई) जितना तापमान रहता है, इस वर्ष मानसून के महीनो में औसत तापमान उससे लगभग 0.3 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
- वर्ष 2012-2021 के दशक में यह विसंगति बढ़कर 0.4 डिग्री सेल्सियस हो गई है।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 1901 से 2020 के बीच देश के औसत तापमान में लगभग 0.62 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।
- सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि गर्मियों का तापमान मानसून, मानसून के बाद के महीनो में (अक्टूबर-दिसंबर) और सर्दियों (जनवरी और फरवरी) के तापमान की तुलना में धीमी गति से बढ़ रहा है।
- समय पर बारिश नहीं होने के कारण इस वर्ष भारत में उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में रिकॉर्ड प्री-मॉनसून तापमान दर्ज किया गया था।
- चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मार्च और अप्रैल माह का औसत दैनिक अधिकतम तापमान, सामान्य तापमान से लगभग 4 डिग्री सेल्सियस अधिक था। (1981-2010 की इसकी आधार रेखा की तुलना में)।
चित्र स्रोत: The Hindu
तापमान वृद्धि के कारण हुई मौतें:
- वर्ष 2015 से 2020 के बीच, भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्यों में हीट स्ट्रोक के कारण लगभग 2,137 मौतें हुईं थी।
- इसी अवधि में दक्षिणी प्रायद्वीप क्षेत्र में अत्यधिक गर्मी के कारण लगभग 2,444 मौतें हुईं थी।
- इसमें से लगभग 50% मौतें अकेले आंध्र प्रदेश राज्य में हुई थीं।
- इसके अलावा ऐसी ज्यादातर मौतें कामकाजी उम्र के पुरुषों (30-60 साल) की हुई हैं।
- ग्रीष्म लहर के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामाजिक न्याय:
एक समुदाय का स्वास्थ्य चिंता का विषय
विषय: आबादी के कमजोर वर्ग और इनकी सुरक्षा तथा बेहतरी के लिए गठित तंत्र।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत में LGBTQIA++ समुदाय के अधिकारों के संबंध में विभिन्न निर्णय।
मुख्य परीक्षा: भारत में LGBTQIA++ समुदाय के सदस्यों के अधिकार, उनके सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ और संबंधित सिफारिशें।
संदर्भ:
- इस लेख में भारत के LGBTQIA++ समुदायों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा की गई है।
LGBTQIA++ समुदाय:
- LGBTQIA++ समुदाय अलग-अलग यौन अभिविन्यास और लिंग पहचान वाला एक विविध समूह है जिसमें समलैंगिक (पुरुष/महिला), उभयलिंगी, ट्रांसजेंडर, क्वीर, इंटरसेक्स, अलैंगिक और अन्य पहचान वाले व्यक्ति शामिल होते हैं।
भारत में LGBTQIA++ अधिकारों का विकास:
- नाज़ फाउंडेशन बनाम एनसीटी दिल्ली सरकार (2009) मामले में फैसला: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 377 तथा वयस्क, सहमति और गैर-व्यावसायिक समान-सेक्स आचरण पर अन्य कानूनी प्रतिबंध भारत के संविधान के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
- सुरेश कुमार कौशल बनाम नाज फाउंडेशन (2013): इस फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय ने 2009 के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज कर दिया और IPC की धारा 377 को कानूनी रूप से वैध ठहराया।
- राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ मामला (2014): यह फैसला मील का पत्थर माना जाता है क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को “तीसरे लिंग” के रूप में मान्यता दी।
- शीर्ष अदालत के अनुसार संविधान के तहत दिए गए मौलिक अधिकार उन पर समान रूप से लागू होंगे तथा उन्हें पुरुष, महिला या तीसरे लिंग के रूप में अपने लिंग की आत्म-पहचान का अधिकार होगा।
- अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को इस समुदाय के लिए विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाएं शुरू करने और उन्हें सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के रूप में मान्यता देने का निर्देश दिया, ताकि उन्हें शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक नियुक्तियों में आरक्षण दिया जा सके।
- नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ (2018) मामले में फैसला: इस ऐतिहासिक फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया और कहा कि वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक संबंध के लिए आईपीसी की धारा 377 का अनुप्रयोग असंवैधानिक है।
भारत में LGBTQIA++ समुदायों के सदस्यों के सामने प्रमुख चुनौतियाँ:
- सामाजिक कलंक: समुदाय के व्यक्ति अक्सर परिवार के सदस्यों से जीवन भर असंगति, गहरे कलंक, भेदभाव और दुर्व्यवहार का अनुभव करते हैं।
- यह इन व्यक्तियों के लिए संकट, आत्म-घृणा और पीड़ा का कारण बनता है।
- मानसिक बीमारी: रिपोर्ट से पता चलता है कि LGBTQIA++ व्यक्ति समाज के बाकी लोगों की तुलना में चिंता और अवसाद से लगभग 1.75 गुना अधिक पीड़ित होते हैं।
- इसके अलावा, ट्रांसजेंडर समुदाय के व्यक्ति लगभग चिंता और अवसाद से 2.4 गुना अधिक पीड़ित हैं।
- इसका मुख्य कारण यह है कि समाज इन व्यक्तियों को उनकी उपलब्धियों के बावजूद हाशिए पर रखता है।
- अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं: राहत प्रोजेक्ट के एक अध्ययन से पता चलता है कि उत्पीड़न और कलंक के डर से बड़ी संख्या में LGBT व्यक्ति सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाने के बजाय निजी अस्पतालों/क्लीनिकों में भुगतान करना और मदद लेना पसंद करते है।
- इसके अलावा, देश में कई मनोचिकित्सक अभी भी विविध यौन अभिविन्यास और लिंग पहचान को एक विकार मानते हैं तथा उसके लिए “सुधारात्मक उपचार” बताते हैं।
भावी कदम:
- जागरूकता फैलाना – इन व्यक्तियों के बीच व्यवहार परिवर्तन और आम जनता के दृष्टिकोण में बदलाव लाने के लिए देशव्यापी जागरूकता और क्षमता निर्माण अभियान चलाना महत्वपूर्ण है।
- व्यापक रणनीति – एक समग्र स्वास्थ्य रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है जिसमें मानसिक बीमारी और मानसिक स्वास्थ्य जैसे पहलू शामिल हों।
- सामुदायिक भवन निर्माण – ये LGBTQIA++ सदस्यों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते है।
- एकाधिक हितधारक दृष्टिकोण – कोई भी महत्वपूर्ण हस्तक्षेप करने से पहले सभी हितधारकों जिनमें शैक्षणिक संस्थान, समुदाय, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, पुलिस आदि शामिल हैं, से परामर्श किया जाना चाहिए।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
रुपये की गिरावट का मतलब
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और नियोजन, संसाधन संग्रहण, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: रुपये के मूल्यह्रास के लिए जिम्मेदार कारक और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव।
पृष्टभूमि:
- इस विषय की पृष्ठभूमि के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए निम्नलिखित लेख पढ़े:
UPSC Exam Comprehensive News Analysis dated 01 Jul 2022
रुपये के मूल्यह्रास के लिए जिम्मेदार कारक:
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का भारी बहिर्वाह:
- निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों से दूर जा रहे हैं और सुरक्षित परिसंपत्तियों में निवेश के विकल्प चुन रहे है क्योंकि अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने उच्च मुद्रास्फीति का मुकाबला करने हेतु ब्याज दरों में वृद्धि की है।
- निवेशकों ने 2022 में करीब 29.01 अरब डॉलर की भारतीय इक्विटी की बिक्री है।
- देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट:
- डॉलर की बढ़ती मांग और रुपये की अतिरिक्त आपूर्ति के कारण रुपये के मूल्य में गिरावट आई है।
- RBI ने रुपये की गिरावट को कम करने और अस्थिरता को रोकने के लिए अपने भंडार से विदेशी मुद्रा बाजारों में डॉलर बेचने का निर्णय लिया है।
- इससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 49 अरब डॉलर की कमी आई है।
- बढ़ता व्यापार घाटा:
- वित्त वर्ष 2022 में, भारत ने $38.7 बिलियन का चालू खाता घाटा (CAD) दर्ज किया है।
- इसका मतलब यह है कि भारत प्रेषण के माध्यम से निर्यात के बजाय अपने आयात पर अधिक खर्च कर रहा है, जिससे डॉलर की मांग फिर से बढ़ रही है।
- सोने का बढ़ा आयात
- FY22 में, भारत ने $46.17 बिलियन का सोना आयात किया, जो FY21 की तुलना में 33% अधिक है।
- इससे भारत के CAD पर दबाव बढ़ गया है
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. ड्रैगन फ्रूट:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
कृषि:
विषय: कृषि उपज का विपणन।
प्रारंभिक परीक्षा: ड्रैगन फ्रूट से सम्बंधित तथ्य।
संदर्भ:
- केंद्र ने ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने का फैसला किया है।
ड्रैगन फ्रूट:
चित्र स्रोत: DownToEarth
- यह अमेरिका का स्थानीय/स्वदेशी फल है।
- यह फल जिसे पिताया, पिथाया, स्ट्रॉबेरी नाशपाती, नोबल वुमन (noblewoman) और रात रानी के नाम से भी जाना जाता है, कैक्टैसी परिवार से संबंधित है।
- ड्रैगन फ्रूट की खेती दुनिया के सभी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में और पेरू, मैक्सिको, दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी एशिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, कैरिबियन, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में की जाती है।
- इस फल को इसके स्वास्थ्य लाभों की वजह से “सुपर फ्रूट” भी कहा जाता है।
- ड्रैगन फ्रूट मधुमेह के रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती और यह आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम तथा जिंक जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
- इस फल के लिए रखरखाव की कम आवश्यकता और उच्च लाभप्रदता ने सम्पूर्ण भारत के कृषक समुदाय को आकर्षित किया है।
- यह फल विविध जलवायु परिस्थितियों में विकसित हो सकता है और इसके लिए थोड़ी अम्लीय मिट्टी की आवश्यकता होती है।
- अब इसकी खेती महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु, ओडिशा, गुजरात और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जैसे राज्यों में की जा रही है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. ‘रुपये को स्थिर करने के लिए RBI के कदमों को आर्थिक बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है’:
- ऐसा कहा जा रहा है कि विदेशी मुद्रा प्रवाह को उदार बनाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा किये जा रहे प्रयासों से उच्च मुद्रास्फीति और बढ़ते चालू खाता घाटे के कारण रुपये के लगातार हो रहे मूल्यह्रास को तत्काल समर्थन मिलने की संभावना नहीं दिख रही है।
- आरबीआई ने विभिन्न उपायों की घोषणा की है जैसे विदेशी निवेशकों को अल्पकालिक कॉर्पोरेट ऋण खरीदने की अनुमति देना और रुपये की गिरावट को कम करने के लिए पूरी तरह से सुगम मार्ग के तहत अधिक सरकारी प्रतिभूतियों को बिक्री के लिए खोलना।
- आरबीआई पर मुद्रास्फीति के कारण दरें बढ़ाने का दबाव है, जो विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजारों में पुनर्निवेश करने से पहले इंतज़ार करो और देखो के दृष्टिकोण को अपनाने के लिए बाध्य करेगा।
- विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी मुद्रा प्रवाह को उदार बनाने और पूंजी खाते घाटे को कम करने के उपाय मददगार हैं, लेकिन हो सकता है कि इनका प्रवाह पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव न पड़े।
2. धान की बुआई में 27 फीसदी की गिरावट:
- पंजाब में पानी की कमी और उर्वरकों की कीमतों में वृद्धि जैसे कारकों की वजह से वर्ष 2022 के इस खरीफ सीजन के दौरान 1 जुलाई तक धान की बुवाई में 27% की कमी दर्ज की गई है।
- किसान संगठनों का कहना है कि स्थिति चिंताजनक है क्योंकि कई किसानों ने आवश्यक उर्वरकों की अनुपलब्धता और उच्च कीमतों के कारण धान की बुवाई नहीं करने का फैसला किया है।
- किसानों ने धान की खेती में उपयोग किए जाने वाले डाइ अमोनियम फॉस्फेट (DAP), लवणीय पोटाश (muriate of potash (MOP)) और नाइट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटेशियम (NPK) की अपर्याप्त आपूर्ति और उच्च कीमतों के बारे में चिंता जताई है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. केंद्रीय सूचना आयोग के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)
- यह एक संवैधानिक निकाय है जो 2005 में अस्तित्व में आया था।
- उन्हें (केंद्रीय सूचना आयुक्त एवं अन्य को) राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर नियुक्त किया जाता है जिसमें अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री में, लोकसभा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं।
- मुख्य सूचना आयुक्त के साथ-साथ अन्य सूचना आयुक्त पुनर्नियुक्ति हेतु पात्र नहीं होते हैं।
गलत कूट का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: केंद्रीय सूचना आयोग की स्थापना 2005 में सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में की गई थी।
- कथन 2 सही नहीं है: राष्ट्रपति द्वारा आयुक्तों की नियुक्ति एक समिति की सिफारिश पर की जाती है जिसमें निम्न शामिल होते हैं:
- प्रधानमंत्री इस समिति के अध्यक्ष होते हैं।
- लोकसभा में विपक्ष के नेता।
- प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री।
- कथन 3 सही है: मुख्य सूचना आयुक्त के साथ-साथ अन्य सूचना आयुक्त पुनर्नियुक्ति हेतु पात्र नहीं होते हैं।
प्रश्न 2. हाल ही में चर्चा में रहे ‘डेरेचो (Derecho)’ को निम्नलिखित में से किस प्राकृतिक घटना के रूप में वर्णित किया जा सकता है? (स्तर – कठिन)
(a) तूफान
(b) आकस्मिक बाढ़
(c) भूस्खलन
(d) सुनामी
उत्तर: a
व्याख्या:
- डेरेचो “व्यापक, लंबे समय तक रहने वाली सीधी रेखा वाली आंधी” है।
- डेरेचो “तेजी से होने वाली वर्षा या तड़ित झंझा” से संबंधित होता है।
प्रश्न 3. दवा सबीज़ाबुलिन (sabizabulin), जो गंभीर कोविड-19 रोगियों में सकारात्मक परिणाम प्रदर्शित कर रही है, प्रारंभ में निम्नलिखित में से किस बीमारी से लड़ने के लिए बनाई गई थी? (स्तर – कठिन)
(a) मलेरिया
(b) एड्स
(c) कैंसर
(d) क्षय (TB)
उत्तर: c
व्याख्या:
- सबीज़ाबुलिन (sabizabulin) एक दवा है जिसे शुरू में कैंसर से लड़ने के लिए विकसित किया गया था।
- नई रिपोर्टों से पता चला है कि सबीज़ाबुलिन (sabizabulin) दवा अस्पताल में भर्ती मध्यम से गंभीर कोविड-19 के रोगियों की मृत्यु के जोखिम को कम करती है।
प्रश्न 4. हाल ही में गुजरात सरकार द्वारा निम्नलिखित में से किस फल का नाम बदलकर ‘कमलम (Kamlam)’ कर दिया गया है? (स्तर – सरल)
(a) रामबुतान (rambutan)
(b) ड्रैगन फ्रूट (Dragon fruit)
(c) मैंगोस्टीन (Mangosteen)
(d) ड्यूरियन (Durian)
उत्तर: b
व्याख्या:
- वर्ष 2021 में, गुजरात सरकार ने ड्रैगन फ्रूट का नाम बदलकर “कमलम” कर दिया था क्योंकि यह फल कमल जैसा दिखता है।
- फल को पिटाया, पिथाया, स्ट्रॉबेरी नाशपाती, नोबल वुमन (noblewoman) और रात रानी के रूप में भी जाना जाता है जो कैक्टैसी परिवार से संबंधित है।
प्रश्न 5. “पत्ती कूड़ा (लीफ लिटर) किसी भी अन्य जीवोम (बायोम) की तुलना में तेजी से विघटित होता हैं और इसके परिणामस्वरूप मिट्टी की सतह प्रायः अनावृत होती है। पेड़ों के अतिरिक्त, वन में विविध प्रकार के पौधे होते है, जो आरोहण के द्वारा या अधिपादप (एपिफाइट) के रूप में पनपकर पेड़ों के शीर्ष तक पहुंचकर प्रतिस्थ होते है तथा पेड़ों की उपरी सखाओं में जड़ें जमाते है। ” यह किसका सबसे अधिक सटीक विवरण है? (स्तर – मध्यम)
(a) शंकुधारी वन
(b) शुष्क पर्णपाती वन
(c) मैंग्रोव वन
(d) उष्णकटिबंधीय वर्षा वन
उत्तर: d
व्याख्या:
- गर्म और आर्द्र परिस्थितियाँ उष्णकटिबंधीय वर्षावनों को बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवों के लिए एक आदर्श वातावरण बनाती हैं। चूंकि ये जीव पूरे वर्ष सक्रिय रहते हैं, इसलिए वे भूमि पर मौजूद पदार्थों को शीघ्र ही विघटित कर देते हैं।
- उष्णकटिबंधीय वर्षावन में, पौधे बहुत तेजी से बढ़ते हैं कि वे विघटित पत्ती कूड़े से पोषक तत्वों का तेजी से उपभोग करते हैं।
- अत: विकल्प d सही है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. NALSA मामले और नवतेज सिंह जौहर मामले में सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसलों के बावजूद, LGBTQIA++ समुदाय को भारत में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – सामाजिक न्याय)
प्रश्न 2. भारतीय रुपये की गिरावट को बढ़ावा देने वाले घरेलू और वैश्विक कारकों का मूल्यांकन कीजिए। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित करता है? (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – अर्थव्यवस्था)