10 मई 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: अर्थव्यवस्था:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
गतिविधियों में एल्गोरिदम खोजना:
विषय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी- विकास एवं उनके अनुप्रयोग और जिंदगी पर इसके प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: एल्गोरिदम क्या है, उनके कार्य, और संबंधित चिंताएं।
प्रसंग:
- हाल ही में, यूके के डिजिटल वॉचडॉग (U.K.’s digital watchdog) ने कहा कि वे एल्गोरिदम को बारीकी से देखेंगे,जिससे इसके लाभों और जोखिमों पर विचार तथा साइट और ऐप एल्गोरिदम आदि का उपयोग किस प्रकार करते हैं यह जानने की कोशिश करेंगे।
एल्गोरिदम क्या है और यह कैसे काम करता हैं?
- एल्गोरिथ्म निर्देशों की एक श्रृंखला है जिसका उपयोग गणना करने, किसी प्रश्न के उत्तर खोजने या किसी समस्या को हल करने के लिए किया जा सकता है।
- किसी व्यक्ति द्वारा खोज के अनुरोध पर प्रासंगिक परिणाम दिखाने से पहले सर्च इंजन (Search engines) विभिन्न कार्यों को करने के लिए कई एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं।
- (किसी गणितीय समस्या अथवा डाटा को कदम-ब-कदम इस प्रकार विश्लेषित करना जिससे कि वह कम्प्यूटर के लिये ग्राह्य बन सके और कम्प्यूटर डाटा को प्रोग्राम मे लेकर गणितीय समस्या तक का उचित हल प्रस्तुत कर सके; एल्गोरिदम कहलाता है।)
- तकनीकी दिग्गज अल्फाबेट इंक का Google सर्च इंजन उपभोक्ताओं को अपने रैंकिंग सिस्टम की मदद से परिणाम प्रदान करता है,जो एल्गोरिदम के व्यापक सेट से बना होता है।
- एल्गोरिदम अक्सर ऐतिहासिक डेटा का उपयोग करके और विशिष्ट कार्यों को पूरा करने हेतु बनाए जाते हैं।
- एक बार विकसित होने के बाद, वे उपयोगकर्ताओं को प्रस्तुत किए गए खोज इंजन परिणामों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए लगातार कंपनियों के माध्यम से अपडेट की प्रक्रिया से गुजरते हैं।
इससे सम्बंधित चिंताएं क्या हैं?
- अवैध निगरानी:
- सर्च दिग्गज के ट्रैकर कथित तौर पर शीर्ष मिलियन वेबसाइटों में से अधिकांश पर पाए गए हैं। इसका मतलब है कि वे इंटरनेट पर आपकी खोज से सम्बंधित सभी गतिविधियों को ट्रैक कर रहे हैं।
- गोपनीयता की समस्या:
- किसी प्रोफाइल से सर्च एल्गोरिदम और सर्च इंजन द्वारा एकत्र किए गए डेटा का उपयोग, किसी व्यक्ति के सूचनात्मक आत्मनिर्णय के अधिकार को सीधे प्रभावित करता है।
- उपभोक्ता धारणाओं में हेरफेर और परिवर्तन:
- इन खोज एल्गोरिदम का उपयोग सेवाओं को उन तरीकों से निजीकृत करने के लिए किया जा सकता है जिनका पता लगाना मुश्किल है,जिससे उपभोक्ताओं की धारणाओं को कृत्रिम रूप से बदलने के लिए खोज परिणामों में हेराफेरी की जा सकती हैं या की जाती हैं।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
बिजली संकट के झटके के बाद इसे बहाल करना:
विषय: बुनियादी ढांचा:ऊर्जा।
मुख्य परीक्षा: भारत में बिजली संकट के कारण और सुझाव।
सन्दर्भ:
- भारत में बिजली संकट का मूल कारण बिजली की मांग-आपूर्ति का बड़ा अंतर है।
बिजली संकट के कारण:
बिजली मांग वृद्धि योजन की विफलता:
- विगत कुछ वर्षों में बिजली आपूर्ति की स्थिति सकारात्मक थी तथा भारत के पास अतिरिक्त क्षमता थी। जिसने भविष्य में बिजली की मांग में वृद्धि को बढ़ावा दिया।
बिजली की मांग में तीव्र उछाल :
- ऊर्जा-गहन आर्थिक विकास में कमी होने के कारण विगत कुछ वर्षों की तुलना में बिजली की मांग में वृद्धि धीमी थी, महामारी के बाद मजबूत आर्थिक सुधार और वर्तमान गर्मी की लहर जैसी स्थितियों के परिणामस्वरूप बिजली की मांग में वृद्धि हुई है।
- आय के स्तर में वृद्धि तथा इसके परिणामस्वरूप एयर-कंडीशनर एवं अन्य बिजली के उपकरणों के उपयोग में वृद्धि के कारण दैनिक और मौसमी उर्जा मांग में वृद्धि हुई है।
उत्पादन और वितरण संबंधित चुनौतियां:
- जहाँ कई कोयला और गैस आधारित बिजली संयंत्र गैर-निष्पादित संपत्ति में परिवर्तित हो चुके हैं वहीँ कई डिस्कॉम वित्तीय बोझ से पीड़ित हैं। इन सभी कारको ने भारतीय बिजली क्षेत्र को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है।
आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान :
- घरेलू और वैश्विक कारणों से कोयला, जो बिजली आपूर्ति का प्रमुख हिस्सा है, की आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान ने भारत में विद्युत उत्पादन को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
सुझाव:
लघु अवधि:
- बिजली में अल्पकालिक मांग को पूरा करने हेतु मौजूदा गैस-आधारित बिजली संयंत्र जो आयातित तरलीकृतप्राकृतिक गैस द्वारा संचालित होते हैं, को चालू करने की आवश्यकता है।
- कोयले की कमी को पूरा करने के लिए दूसरे देशों से कोयले का आयात किया जा सकता है।
दीर्घावधि:
मांग वृद्धि अनुमानों का निरंतर नवीनीकरण करना:
- डिस्कॉम को मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों दृष्टि से अपने मांग वृद्धि अनुमानों को लगातार नवनीकरण करना चाहिए। इसके उपरांत, आपूर्ति श्रृंखला को सुधरना चाहिए। राज्य नियामक आयोगों को इन कार्यों में डिस्कॉम को जवाबदेह ठहराना चाहिए।
- मांग वृद्धि अनुमानों और आपूर्ति श्रृंखला को केंद्रीकृत नियामक प्रक्रिया की आवश्यकता है
आपूर्ति पक्ष के लिए पर्याप्त बफर सुनिश्चित करना:
- अप्रत्याशित मांग को पूरा करने के लिए विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित करना, जैसा कि वर्तमान में देखा गया है, आरक्षित लाभ, पूर्ण आपूर्ति श्रृंखला और बिजली की कीमत में वृद्धि के बावजूद बिजली की ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता है।
मांग-आपूर्ति में असमानता:
- भारत को उत्पादक और उपभोक्ताओं दोनों के लिए बिजली की दरों को मांग के आधार पर परिवर्तन करने की आवश्यकता है जिससे चरम मांग के दौरान बिजली उत्पादन को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी तथा आपूर्ति-मांग के बीच अंतर कम होगा। चरम मांग मॉडरेशन और उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव के माध्यम से मांग वक्र का समतल होना समय की आवश्यकता है।
- उपभोक्ता व्यवहार को बदलने हेतु पीक और ऑफ-पीक दरों का अंतर जिम्मेदार है। पीक डिमांड सरचार्ज लगाने जैसे अन्य विकल्पों पर विचार करना चाहिए।
उचित मूल्य निर्धारण नीति:
- किसानों और एनी लोगों के लिए बिजली की मुफ्त आपूर्ति पर पुनः विचार करने की जरूरत है। प्रदान की जा रही सब्सिडी राजनीतिक मजबूरियों पर नहीं बल्कि आर्थिक उपयोगिता पर आधारित होनी चाहिए। विभिन्न क्षेत्रों में सब्सिडी से संबंधित लाभों और उनकी सामर्थ्य पर चर्चा करने की आवश्यकता है।
- लागत-आधारित बिजली दरों को अपनाने की आवश्यकता है।
संविदात्मक शर्तों को सुदृढ़ बनाना:
- डिस्कॉम को बिजली की आपूर्ति में ठेकेदारों द्वारा अनुबंधित रूप से चूक करने के उदाहरणों को देखते हुए और कुछ अवसरों पर कोल इंडिया या भारतीय रेलवे ने कोयले की डिलीवरी में चूक की है, इसलिए वित्तीय दंड के साथ अनुबंध की शर्तों को भी कड़ा करने की आवश्यकता है।
भंडारण क्षमता में वृद्धि:
- डिस्कॉम को बिजली के भंडारण के विकल्पों की दिशा में काम करना चाहिए। बिजली की चरम आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु कम समय के लिए बिजली का भंडारण सस्ता विकल्प भी हो सकता है।
- साथ ही, आने वाले वर्षों में 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता के निर्माण के लक्ष्य को पूरा करने हेतु बृहद पैमाने पर ग्रिड भंडारण की आवश्यकता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
भारत-जर्मन संबंधों में विसंगति:
विषय: भारत से जुड़े हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और समझौते।
मुख्य परीक्षा: भारत-यूरोप संबंध और विशेष रूप से भारत-जर्मनी संबंधों का महत्व, चुनौतियां और सुझाव।
सन्दर्भ:
- यूरोप के तीन देशों के दौरे के दौरान भारतीय प्रधान मंत्री की जर्मनी यात्रा।
पृष्टभूमि:
- रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत के तटस्थ रुख ने यूरोपीय संघ के देशों के भारत की वैश्विक मामलों में भूमिका को देखने के तरीके को बदल दिया है।
- पश्चिमी देशों द्वारा एक प्रमुख शक्ति और सबसे बड़े लोकतंत्र भारत पर रूस पर उसके तटस्थ रुख से हटने और यूरोपीय देशों और अमेरिका के साथ वर्तमान संघर्ष में हाथ मिलाने के लिए दबाव डाला जा रहा है।
यूरोप-भारत गठबंधन का महत्व:
चीनी कारक:
- भारतीय सीमा के साथ-साथ वृहद क्षेत्र में बढ़ती चीनी मुखरता को देखते हुए, भारत को रूस और यूरोपीय संघ के देशों के साथ अपने संबंधों के बीच संतुलन बनाना चाहिए क्योंकि रूस के बजाय भारत और यूरोपीय संघ के देशों के बीच चीन है।
भारत-प्रशांत नीति:
- जर्मनी जैसे यूरोपीय देश जापान जैसे अन्य एशियाई देशों तक पहुंच रहे हैं। अर्थात् यूरोपीय देश अपनी इंडो-पैसिफिक नीति के तहत एशियाई शक्तियों तक पहुंच बना रहे हैं।
- भारत अपनी इंडो-पैसिफिक नीति के माध्यम से इस क्षेत्र में अपने पारंपरिक प्रभाव को बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। भारत और यूरोपीय संघ के देशों के बीच सहयोग और सहभागिता से दोनों पक्षों को पारस्परिक लाभ होगा।
सुझाव:
विचारों के एकीकरण की पहचान:
- भारत और यूरोपीय संघ के देशों के बीच चल रही रूस-यूक्रेन संकट पर वार्ता और नीतियों में भिन्नता को देखते हुए, विचारों के एकीकरण हेतु अन्य क्षेत्रों को खोजने की आवश्यकता है। विशेष रूप से हिन्द-प्रशांत में चीन के उदय का मुकाबला करने का भू-राजनीतिक एकीकरण भारत-यूरोप संबंधों को सुधारने का काम कर सकता है।
यूरोप के साथ निरंतर जुड़ाव:
- महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक मुद्दों पर विचारों में कुछ भिन्नता के बावजूद, भारत को जर्मनी, फ्रांस और डेनमार्क जैसे देशों के साथ अपनी द्विपक्षीय भागीदारी जारी रखनी चाहिए। इसमें कूटनीतिक जुड़ाव के साथ-साथ व्यापार संबंधों के रूप में मजबूत आर्थिक संबंध भी शामिल हैं।
- जब जर्मनी के साथ द्विपक्षीय संबंधों की बात आती है, तो भारत को दोनों देशों के बीच ‘रणनीतिक साझेदारी’ को मजबूत करने के लिए अर्थशास्त्र, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को एकीकृत करने का प्रयास करना चाहिए।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
प्रवासियों का महत्व:
विषय: भारत के हितों तथा प्रवासीयों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों एवं राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रवासी श्रमिक आबादी के लिए सरकार की पहल।
मुख्य परीक्षा: देश के लिए भारतीय प्रवासियों का महत्व तथा प्रवासी श्रमिकों के सामने आने वाली चुनौतियाँ और सुझाव।
भारतीय प्रवासी:
- विदेश मंत्रालय के अनुसार, दुनिया भर में 13.4 मिलियन से अधिक अनिवासी भारतीय हैं।
- इस आबादी में,सबसे बड़ालगभग 64% हिस्सा खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों में रहता है, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात में अनुपात सबसे ज्यादा है। भारतीयों के लिए अन्य महत्वपूर्ण गंतव्य देश यू.एस., यू.के., ऑस्ट्रेलिया और कनाडा हैं।
- विशेष रूप से, प्रत्येक वर्ष भारत से लगभग 25 लाख कर्मचारी रोजगार वीजा पर दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जाते हैं।
भारत के लिए महत्व:
प्रेषण (Remittances):
- विश्व बैंक समूह की रिपोर्ट (2021) के अनुसार, भारत को हस्तांतरित वार्षिक प्रेषण $87 बिलियन होने का अनुमान है, जो दुनिया में सर्वाधिक है। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन प्रेषणों ने भारतीय सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3% योगदान दिया है। GDP में यह योगदान नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे अन्य देशों की तुलना में काफी कम है।
- ये प्रेषण भारत के सामाजिक आर्थिक विकास में एक प्रमुख योगदानकर्ता हैं।
- विशेष रूप से, भारत में प्रेषण प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की तुलना में काफी अधिक रहा है और FDI की तुलना में प्रेषण का प्रवाह बहुत कम उतार-चढ़ाव वाला है।
सॉफ्ट पॉवर:
- गंतव्य देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में प्रवासी भारतीयों द्वारा निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए वैश्विक मामलों में भारत की सॉफ्ट पावर के लिए अच्छा संकेत है।
चुनौतियां:
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुमान के अनुसार, GCC देशों में रहने वाले लगभग 90% भारतीय प्रवासी निम्न और अर्ध-कुशल श्रमिक हैं। ये कामगार काम के असुरक्षित वातावरण, कम वेतन आदि के कारण शोषण की चपेट में आ जाते हैं।
सुझाव:
श्रम गतिशीलता को बढ़ावा देना:
- भारत को इनकमिंग प्रेषण बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहिए। इसे सफल बनाने हेतु, भर्ती की लागत और भारत में प्रेषण भेजने की लागत कम करने जैसे उपाय किए जाने चाहिए। भारत को श्रम गतिशीलता को बढ़ावा देने के फिलीपींस के मॉडल को अपनाने की कोशिश करनी चाहिए।
प्रवासी आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करना:
- प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा और भलाई सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। अनौपचारिक/गैर-दस्तावेज प्रवास को कम करने पर जोर दिया जाना चाहिए
प्रवासी श्रम शक्ति को सशक्त बनाना:
- प्रवासी श्रम बल के कौशल विकास के लिए निर्देशित पहल जैसे कौशल उन्नयन, विदेशी भाषा प्रशिक्षण और प्रस्थान पूर्व अभिविन्यास ऐसे कार्यक्रम श्रमिकों के लिए बहुत मददगार हो सकते हैं।
सरकार की पहल:
- बेहतर सुरक्षा सहायता और सुरक्षा प्रदान करने हेतु शिकायत निवारण पोर्टल ‘मदद’ की स्थापना की गई।
- प्रवासी विधेयक, 2021 का प्रस्ताव लाया गया, जिसका उद्देश्य उत्प्रवास प्रबंधन को एकीकृत करना और उत्प्रवासी श्रमिकों के कल्याण को कारगर बनाना है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. कण भौतिकी के मानक मॉडल को झटका:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान और प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी- दैनिक जीवन में विकास और उनके अनुप्रयोग और प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रारंभिक भौतिकी का मानक मॉडल।
प्रसंग:
- हाल ही में शोधकर्ताओं ने यह घोषणा की हैं कि उन्होंने W बोसॉन के द्रव्यमान का सटीक माप किया है जो कण भौतिकी के मानक मॉडल के अनुमानों से मेल नहीं खाता है।
W और Z बोसॉन:
- W और Z बोसॉन कण भौतिकी में वेक्टर (वाहक) बोसॉन हैं जिन्हें सामूहिक रूप से मध्यवर्ती वेक्टर बोसॉन के रूप में जाना जाता है।
- प्राथमिक कणों का एक समूह जिसे W और Z बोसॉन के रूप में जाना जाता है। वे बोसॉन हैं, जिसका अर्थ है कि उनका चक्रण (Spin) या तो 0 या 1 है।
प्राथमिक कण भौतिकी का मानक मॉडल क्या है?
- कण भौतिकी, भौतिकी की एक शाखा है जिसमें मूलभूत उप परमाणविक कणो के पारस्परिक संबन्धो तथा उनके अस्तित्व का अध्ययन किया जाता है, जिनसे पदार्थ तथा विकिरण बने होते हैं।
- प्राथमिक कणों का मानक मॉडल भौतिकी की सैद्धांतिक रचना है जो पदार्थ कणों की अंतक्रिया का वर्णन करता है।
- यह एक विवरण है जिसमें गणितीय समरूपता दुनिया के प्राथमिक कणों को जोड़ती है, ठीक उसी तरह जैसे एक द्विपक्षीय (बाएं-दाएं) समरूपता किसी वस्तु और उसकी दर्पण छवि को जोड़ती है।
- इस मॉडल में मौलिक कणों की संख्या सीमित होती है, जो इन समूहों के विशिष्ट “ईजेन” (eigen) अवस्थाओं द्वारा दर्शायी जाती है।
मानक मॉडल की समस्याएं:
- प्रकृति के चार मूलभूत बल हैं – विद्युत चुम्बकीय, कमजोर परमाणु, मजबूत परमाणु और गुरुत्वाकर्षण संपर्क/अंतक्रिया।
- मानक मॉडल को अधूरा माना जाता है क्योंकि यह इनमें से केवल तीन की एक एकीकृत तस्वीर दिखाता है और गुरुत्वाकर्षण को पूरी तरह से छोड़ देता है।
कणों से संबंधित समरूपता:
- मानक मॉडल की समरूपता को प्रमापी समरूपता (gauge symmetries) के रूप में भी जाना जाता है।
- वे “प्रमापी परिवर्तन” (gauge transformations) द्वारा उत्पन्न होते हैं,जो निरंतर हो रहे परिवर्तनों का एक समूह है। प्रत्येक समरूपता प्रमापी बोसोन से जुड़ी होती है।
2. ऑपरेशन दुधी: असम राइफल्स ने सैनिकों को सम्मानित किया:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सुरक्षा चुनौतियाँ:
विषय: आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ।
प्रारंभिक परीक्षा: ऑपरेशन दुधी।
प्रसंग:
- अर्धसैनिक बल असम राइफल्स ने ऑपरेशन दुधी के जीवित सैनिकों को सम्मानित किया हैं।
ऑपरेशन दुधी:
- ऑपरेशन दुधी जम्मू और कश्मीर में अपने कार्यकाल के दौरान असम राइफल्स द्वारा चलाया गया एक आतंकवाद विरोधी अभियान था।
- अर्धसैनिक असम राइफल्स ने ऑपरेशन दुधी के जीवित सैनिकों को सम्मानित किया हैं,जो देश के रक्षा इतिहास में 30 साल से अधिक समय पहले भारत के सबसे सफल आतंकवाद विरोधी अभियान के रूप में जाना जाता हैं।
- यह 1991 में नायब सूबेदार पदम बहादुर छेत्री के नेतृत्व में असम राइफल्स की 7वीं बटालियन के 15 सैनिकों द्वारा संचालित किया गया था।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. बढ़ती हिंसा के बीच महिंदा राजपक्षे ने श्रीलंका के PM पद से दिया इस्तीफा:
- श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि उनके समर्थकों द्वारा श्रीलंका में बिगड़ते आर्थिक संकट के बीच शांतिपूर्ण सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर बेरहमी से हमला किया गया था।
- इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया और परिणामस्वरूप, श्रीलंका के संविधान के अनुसार मंत्रिमंडल भंग कर दिया गया।
2. पुराने कानूनों पर PM और CJI कैसे सहमत हैं:
- भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) NV रमना ने भारतीय दंड संहिता (IPC) में देशद्रोह के प्रावधान के सरकार द्वारा दुरुपयोग की आलोचना की है।
- उन्होंने एक औपनिवेशिक कानून पर सरकार की निर्भरता पर सवाल उठाया था, जिसका इस्तेमाल कभी अंग्रेजों ने महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक के खिलाफ किया था।
- प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का यह विश्वास कि देश आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान “पुराने कानूनों” के “औपनिवेशिक बोझ” का सामना नहीं करेगा, ऐसे समय में देशद्रोह पर CJI द्वारा की गई मौखिक टिप्पणी आइना दिखाती है।
3. अंडमान में गैस आधारित बिजली संयंत्र स्थापित किया जाएगा:
- केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने तटीय क्षेत्रों के नियमन को नियंत्रित करने वाले कानूनों में छूट को मंजूरी दे दी है।
- इसने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर गैस से चलने वाले संयंत्रों की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया है।
- द्वीप तटीय क्षेत्र विनियमन (ICRZ), 2019, कमजोर तटीय हिस्सों पर बुनियादी ढांचे के विकास को सीमित करता है।
- अंडमान और निकोबार तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (The Andaman and Nicobar Coastal Zone Management Authority (ANCZMA)) ने सिफारिश की है कि केवल 100 वर्ग किलोमीटर से अधिक भौगोलिक क्षेत्रों वाले द्वीपों पर ही द्वीप तटीय विनियमन क्षेत्र के भीतर गैस आधारित बिजली संयंत्रों की अनुमति दी जानी चाहिए।
- ANCZMA पर्यावरण और वन मंत्रालय का एक विशेषज्ञ निकाय है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. एमपी स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-मध्यम)
- MPLADS फंड जिला प्राधिकरण को जारी किया जाता है और सांसदों के पास केवल विकास कार्यों की सिफारिश करने का अधिकार होता है।
- MPLADS फंड से अर्जित ब्याज की राशि MPLADS खाते में जोड़ी जाती है तथा विकास परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल की जा सकती है।
- यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से गलत है/हैं?
(a)केवल 1 और 3
(b)केवल 2
(c)केवल 1 और 2
(d)इनमे से कोई भी नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- स्थानीय क्षेत्र विकास योजना जिसे MPLADS के नाम से जाना जाता है, 23 दिसंबर 1993 को शुरू की गई एक सरकारी योजना है।
- सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) के तहत, प्रत्येक सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों में हर साल 5 करोड़ रुपये तक के खर्च के विकास कार्यक्रमों की सिफारिश कर सकता है। अतः कथन 1 सही है।
- इस केंद्रीय क्षेत्र की योजना को एक पहल के रूप में लागु किया गया था ताकि संसद सदस्य स्थानीय जरूरतों के आधार पर अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यों की सिफारिश कर सकें।
- ये विकासात्मक कार्य मुख्य रूप से राष्ट्रीय प्राथमिकताओं जैसे पेयजल, शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता, सड़क आदि के क्षेत्रों पर केंद्रित हैं। इसलिए कथन 3 सही है।
- सांसद MPLADS फंड पर अर्जित ब्याज का उपयोग विकास कार्यों के लिए नहीं कर सकते हैं क्योंकि केंद्र विभिन्न केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के तहत धन के उपयोग के मानदंडों को संशोधित करता है। अतः कथन 2 गलत है।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन सा चक्रवात और उनका नामकरण करने वाले देशों के युग्म सही सुमेलित हैं/हैं? (स्तर-कठिन)
चक्रवात नामकरण कर्ता
- गुलाब ओमान
- शाहीन पाकिस्तान
- ताउते म्यांमार
- आसनी श्रीलंका
विकल्प:
(a)केवल 4
(b)केवल 2 और 3
(c)केवल 3 और 4
(d)1, 2, 3 और 4
उत्तर: c
व्याख्या:
- गुलाब चक्रवात का नाम पाकिस्तान ने रखा था।
- कतर द्वारा चक्रवात को प्रदान किए गए शाहीन नाम का अर्थ अरबी में बाज़ होता है।
- ताउते चक्रवात का नाम म्यांमार ने रखा था।
- श्रीलंका ने हाल ही में आए चक्रवात को आसनी नाम दिया।
- अत: विकल्प C सही उत्तर है।
प्रश्न 3. अक्सर चर्चा में रहने वाले शब्द ‘ढैंचा’, ‘पिलिपेसरा’, ‘लोबिया’ निम्न में से किससे संबंधित हैं: (स्तर-मध्यम)
(a)आनुवंशिक फसलें
(b)हरी खाद
(c)नैनो उर्वरक
(d)जैव उर्वरक
उत्तर: b
व्याख्या:
- खाद के रूप में प्रयुक्त होने वाली हरी अपघटित सामग्री हरी खाद कहलाती है।
- इसे दो प्रकार से प्राप्त किया जाता है: हरी खाद वाली फसलें उगाने से या बंजर भूमि, खेत की मेड़ और जंगल में उगाए गए पौधों से हरी पत्तियों (टहनियों के साथ) को इकट्ठा करके।
- हरी खाद के लिए उगाए जाने वाले पौधों को हरी खाद फसल के रूप में जाना जाता है। सबसे महत्वपूर्ण हरी खाद की फसलें सनहेम्प (sunnhemp), ढैंचा (dhaincha), पिलिपेसरा (pillipesara), क्लस्टरबीन (clusterbeans: (ग्वार)) और सेसबानिया रोस्ट्रेटा (Sesbania rostrata)हैं।
प्रश्न 4. कण भौतिकी का मानक मॉडल प्रकृति की निम्नलिखित में से किस मौलिक शक्ति पर विचार करता है? (स्तर-मध्यम)
- गुरुत्वाकर्षण बल
- विद्युत चुम्बकीय बल
- मजबूत परमाणु बल
- कमजोर परमाणु बल
विकल्प:
(a)केवल 1 और 2
(b)केवल 2, 3 और 4
(c)केवल 1, 2 और 3
(d)1, 2, 3 और 4
उत्तर: b
व्याख्या:
- प्राथमिक कणों का मानक मॉडल भौतिकी की सैद्धांतिक रचना है जो पदार्थ कणों की अंतक्रिया का वर्णन करता है।
- प्रकृति के चार मूलभूत बल हैं – विद्युत चुम्बकीय, कमजोर परमाणु, मजबूत परमाणु और गुरुत्वाकर्षण संपर्क/अंतक्रिया।
- मानक मॉडल को अधूरा माना जाता है क्योंकि यह इनमें से केवल तीन की एक एकीकृत तस्वीर दिखाता है और गुरुत्वाकर्षण को पूरी तरह से छोड़ देता है।
- अतः विकल्प B सही उत्तर है।
प्रश्न 5. कई घरेलू उत्पादों जैसे गद्दे और असबाब में ब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट्स का उपयोग किया जाता है, उनके उपयोग के संबंध में चिंता क्यों है? (स्तर-कठिन)
- वे पर्यावरण के अपघटन के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी होते हैं।
- वे मनुष्यों और जानवरों में संचित करने में सक्षम होते हैं।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए।
(a)केवल 1
(b)केवल 2
(c)1 और 2 दोनों
(d)न तो 1 , न ही 2
उत्तर: c
व्याख्या:
- कुछ वन्यजीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जब कुछ ब्रोमिनेटेड फ्लेम रिटार्डेंट्स की उच्च सांद्रता मौजूद होती है।पर्यावरण में आसानी से इनका स्तर नीचा नहीं होता हैं। अतः कथन 1 सही है।
- इस बात की भी चिंता है कि इसका उच्च स्तर छोटे बच्चों, स्थानीय लोगों और मछली खाने वालों जैसी संवेदनशील मानव आबादी को नुकसान पहुंचा सकता हैं।
- वे मनुष्यों और जानवरों में निर्माण कर सकते हैं, जिससे कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। अतः कथन 2 भी सही है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. क्या प्रमुख सर्च इंजनों द्वारा उपयोग किए जाने वाले एल्गोरिदम गोपनीयता के लिए खतरा बन रहे हैं? समालोचनात्मक व्याख्या कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (शासन और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
प्रश्न 2. हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा की गई जर्मनी यात्रा पर प्रकाश डालते हुए भारत-जर्मन संबंधों पर एक टिपण्णी लिखिए। (10 अंक, 150 शब्द) (अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध)
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