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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 11 February, 2023 UPSC CNA in Hindi

11 फरवरी 2023 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भूगोल

  1. भारत में लिथियम के भंडार

भारतीय समाज

  1. दाऊदी बोहरा प्रथा

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

राजव्यवस्था और शासन:

  1. भारत के कानून और व्यवस्था पैमाने में सुधार की आवश्यकता

सामाजिक न्याय:

  1. बाल विवाह के विरुद्ध लड़ाई

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. भारतीय पशु कल्याण बोर्ड

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

1. खेलो इंडिया शीतकालीन खेल

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भारत में लिथियम के भंडार:

भूगोल:

विषय: आर्थिक भूगोल-खनिज संसाधन।

मुख्य परीक्षा: भारत की लिथियम निर्भरता।

प्रसंग : जम्मू-कश्मीर में लिथियम के भंडार पाए गए।

भूमिका:

  • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने पहली बार जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन के लिथियम अनुमानित संसाधनों की खोज की है।
  • 09 फरवरी 2023 को 62वें केंद्रीय भूवैज्ञानिक प्रोग्रामिंग बोर्ड की बैठक में 15 अन्य संसाधन वाली भूवैज्ञानिक रिपोर्टों के साथ यह रिपोर्ट संबंधित राज्य सरकारों को सौंपी गई।
  • इन 51 खनिज ब्लॉकों में से 5 ब्लॉक सोने से संबंधित हैं और अन्य ब्लॉक जम्मू और कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना के 11 राज्यों में फैले पोटाश, मोलिब्डेनम, बेस मेटल आदि जैसी वस्तुओं से संबंधित हैं।
  • भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा फील्ड सीजन 2018-19 से अब तक किए गए कार्यों के आधार पर ब्लॉक तैयार किए गए थे।

भारत में लिथियम खोज का महत्व:

  • सरकार के अनुसार, देश में पहली बार जम्मू-कश्मीर में लिथियम के भंडार पाए गए हैं।
  • परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत अन्वेषण और अनुसंधान के लिए परमाणु खनिज निदेशालय (AMD) ने प्रथम प्रारंभिक सर्वेक्षण किया था, जिसमें कर्नाटक के मांड्या जिले के मारलगल्ला-अल्लापटना क्षेत्र की आग्नेय चट्टानों में 1,600 टन लिथियम संसाधनों का पता चला था।
  • इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरियों के आवश्यक घटकों में से एक लिथियम है। लिथियम की मांग तेजी से बढ़ रही है क्योंकि अधिक से अधिक लोग गैसोलीन तथा डीजल ऑटोमोबाइल से विद्युत् वाहन की ओर स्थानांतरण कर रहे हैं।
  • लिथियम का उपयोग लैपटॉप और मोबाइल फोन जैसे गैजेट्स की बैटरी में भी किया जाता है। इसका उपयोग कांच और चीनी मिट्टी के उद्योगों में भी हुआ है।
  • इसलिए, लिथियम को आधुनिक जीवन के लिए आवश्यक वस्तुओं में व्यापक उपयोग के लिए “सफेद सोना” करार दिया गया है।
  • लिथियम की मांग पहले से ही दुनिया में उपलब्धता को पीछे छोड़ रही है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के एक आकलन के अनुसार, 2025 तक लिथियम की कमी हो सकती है।
  • लिथियम संसाधन कुछ स्थानों पर केंद्रित हैं। दुनिया के लगभग 50 प्रतिशत लिथियम भंडार अर्जेंटीना, बोलीविया तथा चिली के लवण के मैदानों में पाए जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया में भी लगभग 2.7 मिलियन टन लिथियम संसाधन हैं।
  • चीन के पास कच्चे लिथियम उत्पादों को बैटरी में संसाधित करने की दुनिया की 60 प्रतिशत क्षमता मौजूद है।
  • सीमित आपूर्ति और बढ़ती कीमतों के साथ, भारत में लिथियम की खोज महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि यह वर्तमान में लिथियम, निकल और कोबाल्ट सहित खनिज की मांग को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है।
  • वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 20 के बीच 165 करोड़ से अधिक लिथियम बैटरी का भारत में आयात होने का अनुमान है, जिसका अनुमानित आयात बिल 3.3 बिलियन डॉलर से अधिक है।
  • यह महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत महत्वपूर्ण बैटरी सामग्री के लिए चीन पर निर्भरता को कम करने और इलेक्ट्रिक वाहन आपूर्ति श्रृंखला में एक विकल्प के रूप में स्वयं को स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।
  • हालांकि जम्मू-कश्मीर में लिथियम तुलनात्मक रूप से कम है, लेकिन इससे ईवी बाजार में विस्तार की सरकार की योजनाओं को एक बड़ा प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।
  • प्रमाणित भंडार की बात की जाए तो यह बोलीविया में 21 मिलियन टन, अर्जेंटीना में 17 मिलियन टन, चिली (9 मिलियन टन) ऑस्ट्रेलिया में 6.3 मिलियन टन और चीन में 4.5 मिलियन टन है।

चित्र स्रोत: IADB

लिथियम भंडार तक सुरक्षित पहुंच के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • सरकार ने तीन राज्य के स्वामित्व वाली खनिज कंपनियों [नेशनल एल्युमीनियम कंपनी (Nalco), हिंदुस्तान कॉपर (HCL) और मिनरल एक्सप्लोरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड (MECL)] को विदेश में रणनीतिक खनिज संपत्तियों की खोज एवं अधिग्रहण के लिए एक नए उद्यम हेतु टीम बनाने का निर्देश दिया है।
  • खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड, (KABIL) ऊपर उल्लिखित तीन सार्वजानिक क्षेत्र उपक्रम कंपनियों के संघ के पास भी अर्जेंटीना और चिली से खनिजों को लाने की क्षमता है।
  • साथ ही भारत के राष्ट्रपति की इन दक्षिण अमेरिकी देशों की उच्च स्तरीय यात्राएं लिथियम संसाधनों को सुरक्षित करने के लिए एक सक्रिय तथा आक्रामक रुख प्रदर्शित करती हैं।
  • बोलीविया में लिथियम के विकास और औद्योगिक उपयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने के बाद भारत ने बोलीविया के लिथियम भंडार की ओर अपना रास्ता बनाया है।
  • भारत ने ट्रांसफॉर्मेटिव मोबिलिटी और बैटरी स्टोरेज पर एक राष्ट्रीय मिशन का गठन किया है।
  • नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी संचालन समिति भी गठित की गई है।
  • सरकार ने स्वदेशी लिथियम-आयन बैटरी निर्माण संयंत्रों के लिए अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकी विकास केंद्र स्थापित किए: बीएचईएल और लिबकॉइन भारत की पहली लिथियम-आयन गीगाफैक्ट्री का निर्माण करेंगे।
  • पहले चरण में, प्रति दिन 200,000 Ah (Ampere hour) की कुल भंडारण क्षमता वाले ली-आयन कोशिकाओं का उत्पादन करने के लिए 165 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।

लिथियम:

  • लिथियम एक अलौह, ‘चांदी जैसी सफेद’ (Silvery white) क्षार धातु है।
  • मानक परिस्थितियों में, यह सबसे कम सघन धातु और सबसे कम घना ठोस तत्व है।
  • सभी क्षार धातुओं की तरह, लिथियम अत्यधिक अभीक्रियाशील और ज्वलनशील है, तथा इसे निर्वात, निष्क्रिय वातावरण, या निष्क्रिय तरल जैसे शुद्ध मिट्टी के तेल या खनिज तेल में संग्रहित किया जाना चाहिए।
  • यह प्रकृति में कभी भी स्वतंत्र नहीं होता है, लेकिन केवल (आमतौर पर आयनिक) यौगिकों जैसे कि पेगमैटिक खनिज जो कभी लिथियम का मुख्य स्रोत थे, में होता है।
  • आयन के रूप में इसकी घुलनशीलता के कारण, यह समुद्र के पानी में मौजूद होता है और आमतौर पर ब्राइन से प्राप्त होता है।
  • लिथियम क्लोराइड तथा पोटेशियम क्लोराइड के मिश्रण से लिथियम धातु को इलेक्ट्रोलाइटिक रूप से अलग किया जाता है।
  • निक्षेपों के प्रकार के आधार पर, लिथियम को अलग-अलग तरीकों से निकाला जा सकता है – आम तौर पर या तो बड़े ब्राइन पूल के सौर वाष्पीकरण के माध्यम से, या अयस्क के हार्ड-रॉक निष्कर्षण से।
  • भारत में, लिथियम को राजस्थान के सांभर तथा पचपदरा क्षेत्रों और गुजरात के कच्छ के रण से प्राप्त किया जा सकता है।
  • राजस्थान, बिहार और आंध्र प्रदेश में स्थित प्रमुख अभ्रक बेल्ट और ओडिशा, छत्तीसगढ़ में पेगमाटाइट बेल्ट, मांड्या, कर्नाटक में किए जा रहे रॉक खनन के साथ-साथ अन्य संभावित भूवैज्ञानिक डोमेन हैं।

सारांश: जम्मू और कश्मीर में हाल ही में लिथियम संसाधनों की खोज इलेक्ट्रिक वाहन आपूर्ति श्रृंखला में स्वयं को एक विकल्प के रूप में स्थापित करने के लिए भारत के कदम की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकती है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

दाऊदी बोहरा प्रथा:

भारतीय समाज:

विषय: असमानता और अपवर्जन।

मुख्य परीक्षा: आवश्यक धार्मिक प्रथा सिद्धांत पर न्यायपालिका।

प्रसंग: बड़ी पीठ दाऊदी बोहरा प्रथा के विरुद्ध याचिका पर सुनवाई करेगी।

भूमिका:

  • उच्चतम न्यायालय की एक संविधान पीठ ने अपने सदस्यों को बहिष्कृत करने के लिए दाउदी बोहरा समुदाय के नेताओं के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिकाओं की एक श्रृंखला को नौ न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ को भेजा।
  • न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की खंडपीठ इस प्रश्न की विवेचना कर रही थी कि क्या दाउदी बोहरा समुदाय में बहिष्कार की प्रथा महाराष्ट्र सामाजिक बहिष्कार से लोगों का संरक्षण (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2016 (Maharashtra Protection of People from Social Boycott (Prevention, Prohibition and Redressal) Act of 2016) के लागू होने के बावजूद “संरक्षित प्रथा” के रूप में जारी रह सकती है।
  • न्यायमूर्ति कौल की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की खंडपीठ का संदर्भ सरदार सैयदना ताहिर सैफुद्दीन बनाम द स्टेट ऑफ बॉम्बे मामले में 1962 के फैसले पर आधारित था।
  • आवश्यक धार्मिक प्रथा के सिद्धांत के आधार पर, न्यायपालिका ने दाऊदी बोहरा समुदाय के दाई द्वारा किए गए बहिष्कार को प्रतिबंधित करने वाले कानून को रद्द कर दिया।
  • खंडपीठ ने माना था कि दाऊदी बोहरा समुदाय के धार्मिक विश्वास और सिद्धांतों ने अपने धार्मिक प्रमुखों को संविधान के अनुच्छेद 26 (B) के तहत उनके “धार्मिक मामलों के प्रबंधन” के हिस्से के रूप में बहिष्कार की शक्ति दी थी।

आवश्यक धार्मिक प्रथा का सिद्धांत:

  • 1954 में ‘शिरूर मठ’ मामले में उच्चतम न्यायालय की सात-न्यायाधीश पीठ “अनिवार्यता” के सिद्धांत को सामने लेकर आई थी। न्यायालय ने कहा कि “धर्म” शब्द सभी अनुष्ठानों और प्रथाओं को एक धर्म के “अभिन्न” अंग के रूप में मानेगा, और एक धर्म की आवश्यक और गैर-आवश्यक प्रथाओं को निर्धारित करने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली।
  • अनिवार्य धार्मिक प्रथा परीक्षण केवल ऐसी धार्मिक प्रथाओं जो धर्म के लिए आवश्यक तथा अभिन्न हैं, की संरक्षा के लिए न्यायालय द्वारा विकसित एक विवादास्पद सिद्धांत है।
  • अनिवार्य प्रथाओं के सिद्धांत का अस्तित्व बी.आर. अम्बेडकर द्वारा संविधान सभा में दिए गए एक भाषण के कारण है।
  • अम्बेडकर धार्मिकता को धर्मनिरपेक्षता से अलग करने का प्रयास कर रहे थे, यह तर्क देकर कि राज्य को उन मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति दी जानी चाहिए जो धर्म से जुड़े हैं लेकिन आंतरिक रूप से धार्मिक नहीं हैं।

इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए Judicial Doctrines

कौन हैं दाऊदी बोहरा?

  • दाऊदी बोहरा शिया मुसलमान हैं जिनके नेता को अल-दाई-अल-मुतलक के नाम से जाना जाता है। समुदाय के सदस्यों के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 10 लाख दाऊदी बोहरा फैले हुए हैं।
  • 400 से अधिक वर्षों से, इस समुदाय का नेतृत्वकर्ता भारत में स्थित है, जिसमें वर्तमान एवं 53 वें नेता, परम पावन डॉ सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन शामिल हैं।
  • सदस्यों द्वारा मान्यता प्राप्त समुदाय के नेता को सदस्यों को बहिष्कृत करने का अधिकार है। इस प्रथा को दाऊदी बोहरा आस्था के लिए आवश्यक बताया गया था।
  • व्यावहारिक रूप से, धर्म-बहिष्कार का अर्थ है कि संबंधित व्यक्ति को समुदाय के मस्जिद या समुदाय को समर्पित एक कब्रगाह तक की पहुँच से दूर कर देना।
  • अतीत में समुदाय के जिन सदस्यों ने बहिष्करण का सामना किया है, उनमें वे लोग शामिल हैं, जिन्होंने नेताओं के नेतृत्व का चुनाव लड़ा था।

सारांश: सर्वोच्च न्यायालय की एक संविधान पीठ ने अनुच्छेद 25 और 26 की व्याख्या पर व्यापक मुद्दों पर विचार करने तथा दाऊदी बोहरा समुदाय के नेताओं द्वारा सदस्यों के बहिष्कार की प्रथा की संवैधानिकता को चुनौती देने के मुद्दे पर विचार करने के लिए नौ न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ को कई याचिकाएं भेजीं।

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

राजव्यवस्था और शासन

भारत के कानून और व्यवस्था पैमाने में सुधार की आवश्यकता

विषय: सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप।

मुख्य परीक्षा: भारत की कानून और व्यवस्था परिदृश्य में सुधार।

प्रसंग: पुलिस महानिदेशकों/महानिरीक्षकों का वार्षिक अखिल भारतीय सम्मेलन।

विवरण:

  • DGP/IGP सम्मेलन तुलनात्मक रूप से नया है और 1980 से आयोजित किया जा रहा है। पहले यह विभिन्न राज्यों के खुफिया प्रमुखों और CID के वार्षिक सम्मेलन के रूप में आयोजित किया जाता था।
  • खुफिया, अपराध, आपराधिक जांच, प्रौद्योगिकी और फोरेंसिक के अलावा, यह सम्मेलन नीति और कार्मिक मामलों से भी संबंधित है

संबद्ध चिंताएं

  • यह तर्क दिया जाता है कि चर्चा के लिए प्रतिनिधियों और विषयों की बढ़ती संख्या की मौजूदगी किसी भी गहन चर्चा के लिए बहुत कम गुंजाइश छोड़ती है।
  • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि वर्तमान परिदृश्य में सुरक्षा खतरे अधिक चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं तथा साइबर अपराध, डार्क वेब, क्रिप्टो, समुद्री सुरक्षा, ड्रोन, सोशल मीडिया, मादक पदार्थों की तस्करी आदि जैसे मुद्दों पर गहन विश्लेषण की आवश्यकता है।
  • इन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अपर्याप्त समय के परिणामस्वरूप ऐसे सम्मेलनों की गुणवत्ता और परिणाम दोनों कम हो जाते हैं।
  • तेजी से तकनीकी परिवर्तन के साथ सुरक्षा समस्याएं एक घातीय दर से बढ़ेंगी और उभरती चुनौतियों के लिए अधिक नवीनता, चपलता और नए संज्ञानात्मक कौशल की आवश्यकता होगी।
  • इसके अलावा, निर्णय लेने हेतु उच्च स्तर पर अधिक उद्देश्यपूर्ण चर्चा के लिए मूलभूत परिवर्तनों की आवश्यकता होगी।
  • यह सुझाव दिया गया है कि कानून और व्यवस्था हेतु प्रौद्योगिकी और भीड़ प्रबंधन दोनों में नए कौशल की आवश्यकता है, और ये सुरक्षा एजेंसियों के पास पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं हैं। विशेष बात यह है कि सुरक्षा बलों का ध्यान ज्यादातर आतंकवाद पर ही केंद्रित रहता है।
  • वर्तमान परिदृश्य में गुस्सैल और अनियंत्रित भीड़ से निपटने के लिए सख्त रवैया कानून प्रवर्तन एजेंसियों और जनता के बीच विनाशकारी विभाजन का कारण बन सकता है।
  • यह तर्क दिया गया है कि सुरक्षा कर्मियों की चयन प्रक्रिया में सुधारों पर बलों के उच्च विभागों द्वारा चर्चा नहीं की जाती है।
  • कई विशेषज्ञों द्वारा यह भी कहा गया है कि सुरक्षा एजेंसियों द्वारा ‘ओपन सोर्स इंटेलिजेंस’ की अक्सर उपेक्षा की जाती है।
  • विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों (खुफिया और जांच एजेंसियों) की तकनीक और कार्यप्रणाली आमतौर पर अलग-अलग होती है। इसका परिणाम विभिन्न विरोधाभासों में होता है।

भावी कदम:

  • आंदोलन करने वाली भीड़ के मनोविज्ञान को समझने और उन्हें अपने स्वयं के झुकाव के खतरों का एहसास कराने के लिए नई प्रथाओं और कौशल की आवश्यकता होती है।
  • पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को भी पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। मानव कौशल को इंटरनेट, सोशल मीडिया और अन्य सफलताओं के लिए पर्याप्त रूप से तैयार किया जाना चाहिए, जो आम तौर पर प्रदर्शनकारियों/आंदोलनकारियों को बढ़त प्रदान करते हैं तथा कानून और व्यवस्था के लिए हानिकारक हैं।
  • इसके अलावा, एक टॉप-डाउन दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी क्योंकि एजेंसियों के भीतर संसाधनों (हथियार और प्रौद्योगिकी) के लिए अधिक प्रतिस्पर्धा होगी।
  • सुरक्षाकर्मियों की चयन प्रक्रिया में भी बदलाव करना होगा।
  • नए कौशल प्राप्त करने के अलावा, विभिन्न प्रकार के कौशल और रणनीति को नियोजित करने के लिए एक नई मानसिकता की भी आवश्यकता होती है।
  • खुफिया दृष्टिकोण, जांच तकनीक, जमीनी स्थिति आदि में सुधार लाए जाने चाहिए।
  • DGP/IGP जैसे उच्च अधिकारियों की शीर्ष स्तरीय बैठकों से आवश्यक दिशा और नीतिगत सुझाव बाहर आना चाहिए।
  • यह भी सुझाव दिया गया है कि DGP/IGP के वार्षिक सम्मेलन को दो अलग-अलग सम्मेलनों में विभाजित किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, DGP/IGP का एक उच्च स्तरीय सम्मेलन जिसमें नीति-संबंधी मुद्दों को शामिल किया जाना चाहिए, तथा खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों (IG/CID) के लिए एक अलग सम्मेलन ताकि मौजूदा और उभरती हुई चुनौतियों को लेकर कार्यप्रणाली, तकनीकों हेतु नए कौशल के अधिग्रहण पर चर्चा हो सके।

संबंधित लिंक:

Police Reforms in India: Policing in India – Reforms, Commissions for IAS & Govt. Exams.

सारांश:

उभरती सुरक्षा चुनौतियों के साथ, देश में कानून और व्यवस्था के परिदृश्य में सुधार किया जाना चाहिए। उच्‍चस्‍तरीय सम्‍मेलनों में उभर रहे मुद्दों पर भी पर्याप्‍त विचार-विमर्श होना चाहिए तथा जटिल परिदृश्‍यों में उपयुक्‍त और आधुनिक समाधान उपलब्‍ध कराए जाने चाहिए।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

सामाजिक न्याय

बाल विवाह के विरुद्ध लड़ाई

विषय: आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं

मुख्य परीक्षा: महिलाओं और बच्चों – बाल विवाह से संबंधित मुद्दे।

प्रसंग: असम के विभिन्न हिस्सों में बाल विवाह के विरुद्ध अभियान

विवरण:

  • अभी भी असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में पहाड़ी पर रहने वाले तिवा आदिवासी समुदाय के कुछ लोग गोभिया ठका (एक प्रकार का लिव-इन रिलेशनशिप) को अपनाते हुए देखे जाते हैं।
  • असम के विभिन्न हिस्सों में बाल विवाह के कई मामलों के विरुद्ध पुलिस ने अभियान छेड़ा है।
  • असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के अनुसार, यह एक सुनियोजित अभियान है क्योंकि पुलिस ने तीन साल (2020 से) से डेटा एकत्र किया और लगभग 4074 मामले दर्ज किए।
  • हालांकि इस अभियान की कुछ सामाजिक लागत हो सकती है, लेकिन राज्य सरकार बाल विवाह को नियंत्रित करने के लिए उत्सुक है और उसने जिलाधिकारियों और समाज कल्याण विभाग को नाबालिग विवाहित लड़कियों की देखभाल करने का निर्देश दिया है।
  • लगभग 2763 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है (9 फरवरी 2023 तक)।
  • असम में बाल विवाह के खिलाफ अभियान को सही ठहराने के लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 रिपोर्ट का हवाला दिया गया था।
    • रिपोर्ट के अनुसार, 2019-21 के दौरान 20-24 वर्ष की आयु की लगभग 23.3% महिलाओं की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले कर दी गई (यह 2015-16 के 27% से कम हो गई)।
    • विशेष रूप से, पश्चिम बंगाल, बिहार और त्रिपुरा ऐसे 40% मामलों के साथ सूची में सबसे ऊपर हैं। असम में यह आँकड़ा 31.8% दर्ज किया गया।
    • इसी तरह, 2022 में असम के 6.2 लाख से अधिक गर्भधारण के मामले में किशोर गर्भावस्था का हिस्सा 16.8% था।
  • नेशनल ऑटोमोटिव टेस्टिंग एंड R&D इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के परिसर को बाल विवाह अपराधियों के लिए एक अस्थायी जेल में बदल दिया गया था। इसी तरह, विदेशियों (पड़ोसी देशों, विशेष रूप से बांग्लादेश के अवैध अप्रवासियों) के लिए लगाए गए ट्रांजिट कैंप भी न्यायिक हिरासत के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
  • इस पहल की कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सराहना की है जो आशान्वित हैं कि अब भय कारक से अधिक प्राधिकार के साथ जागरूकता फैलाने में मदद मिलेगी।
  • असम सरकार ने 2020 में अरुंधति योजना भी शुरू की, जिसमें 18 वर्ष की कानूनी आयु प्राप्त करने के बाद विवाहित सभी समुदायों से संबंधित दुल्हनों को 1 तोला (11.66 ग्राम) सोना प्रदान करने का वादा किया गया था।
    • हालाँकि, आयु का सत्यापन जन्म प्रमाणपत्र और चिकित्सा परीक्षण के माध्यम से किया जाना चाहिए और विवाह का पंजीकरण होना चाहिए।
    • इसके अलावा, यह 5 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले लोगों के लिए है।

साथ ही इसे भी पढ़िए: Child Marriage Restraint Act, 1929 – Sarda Act Overview, Formation and Significance

संबद्ध चिंताएं:

  • कई मामलों में लड़कियों की उम्र घोषित करते समय दस्तावेजों में गलती हुई। इससे तात्पर्य यह है कि लड़कियां अपनी शादी के दौरान वास्तव में नाबालिग नहीं थीं और उनके पति और पिता को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया था।
  • कई आदिवासी लोग आमतौर पर ऐसे कानूनों के बारे में नहीं जानते हैं।
  • कई स्थानीय निवासियों द्वारा यह भी तर्क दिया गया है कि बाल विवाह के खिलाफ इस तरह के अभियान के क्रियान्वयन में गरीब लोगों की चिंताओं को बेहतर ढंग से शामिल किया जा सकता था।
  • कुछ अधिकारियों पर अभियान का राजनीतिकरण या सांप्रदायिकरण करने का भी आरोप लगाया गया है।
  • विवाहित नाबालिग लड़कियों को ’14 वर्ष से कम’ और ’14 से 18 वर्ष तक’ नामक दो समूहों में वर्गीकृत करने पर भी चिंता व्यक्त की गई है। इसका इस्तेमाल क्रमशः POCSO अधिनियम और PCMA के तहत शामिल लोगों पर मामले दर्ज करने में किया जाता है।
    • यह याद रखा जाना चाहिए कि POCSO के तहत ऐसा कोई वर्गीकरण संभव नहीं है, विशेषकर अक्टूबर 2017 के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद।
    • 2017 के मामले में, उच्चतम न्यायालय ने हर लड़की के शारीरिक सम्मान के अधिकार को बरकरार रखा और फैसला सुनाया कि एक पुरुष द्वारा अपनी 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ यौन संबंध को बलात्कार माना जाना चाहिए।
  • कानूनी विशेषज्ञों ने उन मामलों के कार्यान्वयन की व्याख्या के बारे में भी चिंता जताई है जहां मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अनुप्रयोग अधिनियम और 1935 के असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम का अनुपालन किया गया है। खास बात यह है कि इन कानूनों में 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी पर रोक नहीं लगाईं गई है।
  • इसके अलावा, यह भी तर्क दिया गया है कि बाल विवाह रोकथाम अधिनियम (PCMA) एक स्थिर कानून नहीं है और यह अदालत द्वारा व्याख्या के अधीन है क्योंकि यह समान नागरिक संहिता नहीं है।
  • वर्तमान में, भारत में शादी करने की कानूनी उम्र महिलाओं के लिए 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष है और एक संसदीय स्थायी समिति महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष करने पर विचार कर रही है।
  • बाल विवाह कई समुदायों में प्रचलित है, विशेष रूप से चर (ब्रह्मपुत्र में मौजूद अस्थायी बालू रोधिकाएँ) के मुस्लिम निवासियों और आदिवासी चाय बागान श्रमिकों के बीच।
  • बाल विवाह की कुप्रथा के खिलाफ सरकार के निरंतर प्रयासों से ये सामाजिक व्यवस्थाएँ रूकी हैं, लेकिन विवाह अभी भी औपचारिकता के रूप में घर के अंदर होते हैं।
  • बाल विवाह और किशोर गर्भपात के कई मामले दर्ज नहीं होते हैं।

साथ ही इसे भी पढ़िए: What is Uniform Civil Code in India | Article 44 [UPSC Notes]

भावी कदम:.

  • पुलिस कार्रवाई के कठोर दृष्टिकोण लड़कियों के लिए आजीविका और शिक्षा सुनिश्चित करने जैसे नरम उपायों के साथ पूरक होना चाहिए।
  • चाय बागान के मजदूरों को भी बाल विवाह के खिलाफ समझाया जाना चाहिए।
  • प्रायः सामाजिक भय से परे प्रेम-प्रसंग के मामलों में देखे जाने वाले बाल विवाह के कारणों और प्रभावों पर अधिक बातचीत और विचार-विमर्श होना चाहिए।
  • पुलिस, डॉक्टर, स्वास्थ्यकर्मी, पंचायत नेता, ग्राम प्रधान और जनप्रतिनिधि जैसे सभी हितधारकों को निकट समन्वय में काम करना चाहिए।

संबंधित लिंक:

UPSC Exam Comprehensive News Analysis. Nov 6th, 2022 CNA. Download PDF?

सारांश:

असम सरकार ने राज्य में प्रचलित बाल विवाह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। हालांकि, कई कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा यह तर्क दिया गया है कि असम के कई समुदायों में प्रचलित बाल विवाह की सामाजिक दुर्भावना से निपटने के लिए लड़कियों की शिक्षा और कौशल विकास के अलावा जन जागरूकता को शामिल करते हुए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.भारतीय पशु कल्याण बोर्ड:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय पर्यावरण एजेंसियां; भारत में मौजूद वैधानिक निकाय।

भूमिका:

  • भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) ने हाल ही में अपनी 6 फरवरी की अपील वापस ले ली, जिसमें लोगों से 14 फरवरी को ‘काउ हग डे’ के रूप में मनाने का आग्रह किया गया था।
  • इस अपील की किसान संगठनों और ट्रेड यूनियनों की ओर से आलोचना की गई कि इस तरह का सर्कुलर वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के खिलाफ है।
  • मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के निर्देशों के बाद अपील वापस ले ली गई थी।
  • AWBI की अपील में दावा किया गया है कि गायों को गले लगाने से “भावनात्मक समृद्धि” आएगी और “व्यक्तिगत और सामूहिक खुशी” बढ़ेगी।

भारतीय पशु कल्याण बोर्ड:

  • यह केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं दुग्ध मंत्रालय के तहत एक वैधानिक सलाहकार निकाय है।
  • इसकी स्थापना 1962 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 4 के तहत की गई थी।
  • श्रीमती रुक्मिणी देवी अरुंडेल ने चेन्नई में मुख्यालय के साथ इस बोर्ड की स्थापना का बीड़ा उठाया था।
  • इस मुख्यालय को 2018 में चेन्नई से बल्लभगढ़, हरियाणा में स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • अधिदेश:
  • पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (PCA) अधिनियम, 1960 के प्रावधान के अनुसार, पशुओं पर अनावश्यक दर्द या पीड़ा को रोकना।
  • जानवरों को अनावश्यक रूप से परेशान या प्रताड़ित नहीं किया जाना सुनिश्चित करने के लिए यह अक्सर कड़े कानूनों के तहत मामले दर्ज करता है।
  • बोर्ड नए शुरू किए गए पशु कल्याण संगठनों (AWO) को मान्यता प्रदान करता है तथा उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • सदस्यता:
  • इस बोर्ड में पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और सांसदों के साथ-साथ कई सरकारी संगठनों का प्रतिनिधित्व होता है।
  • इस बोर्ड में 28 सदस्य होते हैं। सदस्यों के पद का कार्यकाल 3 वर्ष की अवधि के लिए होता है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. खेलो इंडिया शीतकालीन खेल

  • खेलो इंडिया शीतकालीन खेल 2023 10 से 14 फरवरी तक गुलमर्ग, जम्मू और कश्मीर में होंगे।
  • खेलो इंडिया शीतकालीन खेल के तीसरे संस्करण में देश भर के 1,500 से अधिक एथलीट शामिल होंगे, जो 11 खेलों में प्रतिस्पर्धा करेंगे।
  • अल्पाइन स्कीइंग, कर्लिंग, बोब्स्लेय, स्केलेटन, स्नोशू, नॉर्डिक स्कीइंग, स्नोबोर्डिंग, स्की पर्वतारोहण, आइस स्केटिंग, आइस हॉकी और बैंडी खेलों में शामिल होंगे।
  • खेलो इंडिया शीतकालीन खेल केंद्र सरकार के खेलो इंडिया कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देश में जमीनी स्तर पर खेलों को बढ़ावा देना है।
  • गुलमर्ग और लेह 2020 और 2021 में पहले दो संस्करणों के लिए संयुक्त मेजबान थे। जम्मू और कश्मीर दोनों वर्षों में पदक तालिका में शीर्ष पर रहा।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन सा/से सुमेलित है/हैं? (स्तर – कठिन)

  1. ऑपरेशन देवी शक्ति- अफगानिस्तान से भारत का इवेकुएशन (निकासी) मिशन
  2. ऑपरेशन दोस्त- सीरिया और तुर्की की सहायता के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया खोज और

बचाव अभियान।

  1. ऑपरेशन गंगा- यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वापस लाने की पहल।
  2. ऑपरेशन मैत्री- भारत सरकार द्वारा नेपाल में बचाव और राहत अभियान

विकल्प:

  1. केवल 1 और 3
  2. केवल 2, 3 और 4
  3. केवल 2 और 4
  4. 1, 2, 3 और 4

उत्तर: D

व्याख्या:

युग्म 01 सुमेलित है, इस्लामिक गणराज्य अफगानिस्तान के पतन और तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद अफगानिस्तान से भारतीय नागरिकों और विदेशी नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन देवी शक्ति भारतीय सशस्त्र बलों का एक अभियान था।

युग्म 02 सुमेलित है, ऑपरेशन दोस्त 6 फरवरी 2023 को सीरिया और तुर्की में आए भीषण भूकंप के बाद इन दोनों देशों की सहायता के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक निरंतर खोज एवं बचाव अभियान है।

युग्म 03 सुमेलित है, ऑपरेशन गंगा 2022 में यूक्रेन के रूसी आक्रमण के दौरान यूक्रेन और रूस के पड़ोसी देशों में फंसे अपने नागरिकों को बचाने के लिए भारत सरकार द्वारा किया गया एक निकासी मिशन था।

युग्म 04 सुमेलित है, ऑपरेशन मैत्री अप्रैल 2015 के नेपाल भूकंप के बाद भारत सरकार और भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा नेपाल में बचाव और राहत अभियान था।

प्रश्न 2. भारत निम्नलिखित में से किस सम्मेलन/समूह का हस्ताक्षरकर्ता/भाग है? (स्तर-मध्यम)

  1. ऑस्ट्रेलिया ग्रुप
  2. जैविक हथियार सम्मेलन (BWC)
  3. रासायनिक हथियार सम्मेलन (CWC)
  4. क्लस्टर युद्ध सामग्री पर कन्वेंशन
  5. वासेनार अरेंजमेंट

विकल्प:

  1. केवल 1, 2 और 3
  2. केवल 3, 4 और 5
  3. केवल 1, 2, 3 और 5
  4. केवल 2, 3, 4 और 5

उत्तर: C

व्याख्या:

  • क्लस्टर युद्ध सामग्री पर कन्वेंशन (CCM) एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो क्लस्टर बमों के सभी उपयोग, स्थानांतरण, उत्पादन और भंडारण पर रोक लगाती है।इसके अतिरिक्त, यह कन्वेंशन पीड़ित सहायता, दूषित स्थलों की निकासी, जोखिम कम करने की शिक्षा, और भंडार विनाश में सहयोग के लिए एक ढांचा स्थापित करता है। 30 मई 2008 को डबलिन में इस कन्वेंशन को अपनाया गया था। यह 1 अगस्त 2010 को लागू हुआ।
  • फरवरी 2022 तक, कुल 123 राज्य सम्मेलन के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं, 110 राज्यों ने इसकी पुष्टि की है, और 13 राज्यों ने सम्मेलन पर हस्ताक्षर किए हैं लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है।
  • भारत इस सम्मेलन का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।
  • 19 जनवरी 2018 को भारत औपचारिक रूप से ऑस्ट्रेलिया समूह (Australia Group) का 43वां सदस्य बन गया।
  • भारत ने 1974 में जैविक और विषैला हथियार सम्मेलन (BTWC) की पुष्टि की।
  • भारत रासायनिक हथियार सम्मेलन (Chemical Weapons Convention) का हस्ताक्षरकर्ता है
  • भारत दिसंबर 2017 में अपने 42वें सहभागी राज्य के रूप में वासेनार अरेंजमेंट (Wassenaar Arrangement) में शामिल हुआ।

प्रश्न 3. राष्ट्रीय धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक आयोग (NCRLM) का गठन निम्नलिखित में से किसकी

अध्यक्षता में हुआ था ? (स्तर-कठिन)

  1. न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू
  2. न्यायमूर्ति एस. राजेंद्र बाबू
  3. न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा
  4. न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा

उत्तर: C

व्याख्या: धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के बीच सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के कल्याण के उपायों की सिफारिश करने के लिए न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक आयोग (NCRLM) का गठन किया गया था। इसने 2007 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और इसे दिसंबर 2009 में संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखा गया।

प्रश्न 4. विशाल मीटरवेव रेडियो दूरबीन (GMRT) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

(स्तर-कठिन)

  1. यह 30 की संख्या में 45 मीटर व्यास वाले पूर्णतः स्टीयरेबल परवलयिक रेडियो दूरबीनों की एक श्रृंखला

है।

  1. यह भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के एक भाग नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स (NCRA)

द्वारा संचालित है।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. दोनों
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: A

व्याख्या:

  • GMRT पास के सौर मंडल से लेकर प्रेक्षण योग्य ब्रह्मांड के किनारे तक विभिन्न प्रकार की रेडियो खगोलीय समस्याओं की जांच के लिए एक बहुत ही बहुमुखी उपकरण है।
  • यह 30 की संख्या में 45 मीटर व्यास वाले पूर्णतः स्टीयरेबल परवलयिक रेडियो दूरबीनों की एक श्रृंखला

है।

  • यह टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स द्वारा संचालित है।
  • GMRT की वेधशाला पुणे के उत्तर में खोदड में स्थित है, जबकि इसका कार्यालय सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय में स्थित है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-मध्यम)

  1. लगभग 30° से 35° उत्तर और दक्षिणी अक्षांश पर मौजूद महासागरों के ऊपर की दो पेटियों में से किसी एक को अश्व अक्षांश के रूप में जाना जाता है।
  2. अश्व अक्षांश निम्न दाब पेटियाँ हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1, न ही 2

उत्तर: A

व्याख्या:

कथन 01 सही है, अश्व अक्षांश भूमध्य रेखा के लगभग 30° से 35° उत्तर और दक्षिण में स्थित क्षेत्र हैं।

कथन 02 गलत है, धूपयुक्त आसमान, शांत हवाएं और बहुत कम वर्षा उनकी विशेषता है। उन्हें उपोष्ण कटिबंधीय कटक या उच्च के रूप में भी जाना जाता है। यह व्यापारिक हवाओं और पश्चिमी हवाओं के विचलन पर एक उच्च दबाव वाला क्षेत्र है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. राजकोषीय संघवाद केंद्र के पक्ष में झुका हुआ है। विस्तार से बताइए कि कैसे उपकर और अधिभार राज्य सरकारों के खिलाफ भेदभावपूर्ण हैं? (250 शब्द; 15 अंक) (GS III-अर्थव्यवस्था)

प्रश्न 2. पुलिस के काम करने के तरीके में तत्काल सुधार की आवश्यकता है। विस्तारपूर्वक बताइए। (250 शब्द; 15 अंक) (GS III-आंतरिक सुरक्षा)