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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 20th Apr, 2022 UPSC CNA in Hindi

20 अप्रैल 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था एवं शासन:

  1. चुनावी दौर में मुफ्त वस्तुऐं देने से राज्य की वित्तीय स्थिति खतरे में :
  2. पैकेज्ड फूड पर ‘स्टार रेटिंग’ लेबल से मदद मिलने की संभावना नहीं :विशेषज्ञ

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. चीन व सोलोमन द्वीप समूह ने ऐतिहासिक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

अर्थव्यवस्था:

  1. मूल्य विकृतियों में सुधार:

राजव्यवस्था एवं शासन:

  1. विध्वंस अभियान अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हैं:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. IMF ने युद्ध के कारण भारत के आर्थिक विकास का अनुमान घटाकर 8.2 फीसदी किया:

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. पैनोप्टीकोनिस्म (Panopticonism):

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

चुनावी दौर में मुफ्त वस्तुऐं देने के राज्य की वित्तीय स्थिति खतरे में :

राजव्यवस्था एवं शासन:

विषय: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 (आरपीए)।

मुख्य परीक्षा:मुफ्त बांटने की राजनीति (Freebie politics) और उसके परिणाम

प्रसंग:

  • पंद्रहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष ने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए राज्यों द्वारा अपनाई गई मुफ्त बांटने की राजनीति (Freebie politics) की आलोचना की हैं।

फ्रीबी पॉलिटिक्स क्या है?

  • फ्रीबीज ऐसी वस्तुएं हैं जो बिना किसी शुल्क या लागत के प्रदान की जाती हैं।भारतीय राजनीति में यह बहुत ही प्रचलित प्रथा है। भारत में चुनावों के दौरान यह एक प्रसिद्ध और व्यापक प्रथा है।
  • राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहार सबसे लाभदायक तरीकों में से एक है।
  • भारत में फ्रीबी संस्कृति/मुफ्त बांटने की राजनीति (Freebie politics) की उत्पत्ति तमिलनाडु की राजनीति से हुई है।
  • उसके बाद पूरे देश में राजनीतिक दलों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए इसे चुनावी दौर के अपने सिद्धांत के रूप में अपनाया।
  • उदाहरण:
    • हाल के उत्तर प्रदेश चुनावों में पार्टियों ने मुफ्त में गैस सिलेंडर, एक किलो घी, पांच साल के लिए मुफ्त राशन जैसी मुफ्त चीज़ों की पेशकश की।
    • इसी तरह चुनावी दौर में मुफ्त में दी जाने वाली अन्य चीज़ों में निम्न हैं:
    • ‘शहरी रोजगार गारंटी’:
      • प्रत्येक परिवार के कम से कम एक सदस्य को नौकरी या स्वरोजगार का अवसर प्रदान करना।
  • दो एकड़ से कम भूमि वाले सभी छोटे और सीमांत किसानों को दो बोरी डीएपी उर्वरक, पांच बोरी यूरिया, सिंचाई के लिए बिजली और ब्याज मुक्त ऋण मिलेगा।
  • पंजाब में एक राजनीतिक दल ने मुफ्त दवाएं, मुफ्त पार्किंग, पेंशन वृद्धि, मुफ्त प्राथमिक शिक्षा और बिजली के बिलों पर कोई कर नहीं लगाने का वादा किया है।
  • हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में एक पार्टी ने पंजाब के लोगों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का वादा किया था।
  • दिल्ली में सरकार ने दूसरी बार जीत सुनिश्चित करने के लिए मुफ्त बिजली या भारी सब्सिडी, मुफ्त पानी, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, मुफ्त वाई-फाई व मुफ्त इलाज की पेशकश की।
  • कुछ समाजशास्त्रियों का तर्क है कि ये फ्रीबीज मुफ्तखोरी हैं। इसका कारण यह हैं कि उच्च वर्ग इन मुफ्त सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाता है।
  • अर्थशास्त्रियों का मत है कि जब तक किसी भी राज्य के पास मुफ्त उपहार देने की क्षमता और योग्यता है, तब तक सब ठीक है; यदि नहीं तो यह राज्य अर्थव्यवस्था पर एक भारी बोझ हैं।

फ्रीबी पॉलिटिक्स से जुड़े मुद्दे:

  • करदाताओं पर बोझ: चुनाव के दौरान की गई इन मुफ्त घोषणाओं के लिए पैसा किसी राजनीतिक दल की जेब से नहीं बल्कि उन करदाताओं की जेब से आता है, जो लाभार्थी नहीं हैं।
  • राजकोषीय घाटे में वृद्धि: भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, सभी राज्यों का संयुक्त राजकोषीय घाटा 2011-12 में 1.93 प्रतिशत से बढ़कर 2016-17 में 3.5 प्रतिशत हो गया। ऐसी स्थितियों में, मुफ्त उपहार देना आर्थिक रूप से विनाशकारी साबित हो सकता है।
  • राज्यों पर उच्च ऋण: क्रिसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश राज्य अनिश्चित ऋण परिस्थितियों से गुजर रहे हैं, जो पूंजीगत व्यय पर खर्च करने की उनकी क्षमता को बाधित कर रहा हैं। ऐसे में चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा किए गए बड़े-बड़े वादे कई समस्याओं को जन्म देते हैं- जैसे खराब सड़कें, खराब डिस्कॉम, खराब सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और उच्च कर। क्योंकि खजाना तो मुफ्त वस्तुऐं देने में ही खाली हो जाता हैं।
  • भ्रष्टाचार को बढ़ावा : मुफ्त की संस्कृति भ्रष्ट आचरण का मार्ग प्रशस्त करती है। मध्यम वर्ग को इन मुफ्त उपहारों को लेने से नहीं रोका जा सकता हैं। मुफ्त के रूप में शुरू की गई इस प्रकार की कई योजनाओं में लीकेज और यहां तक कि कुप्रबंधन या भ्रष्टाचार जैसी समस्या भी देखने को मिलती है।
  • बड़ा प्रभाव: मतदाता वरीयताओं को प्रभावित करने के लिए अत्यधिक चुनावी रियायतों की संस्कृति भी रोजगार सृजन और विकास को कमजोर करती है, साथ ही देश के विनिर्माण गुणवत्ता को प्रभावित करती है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है।

वेनेज़ुएला से सीखे सबक:

  • 1980 तक तेल की कीमतों में उछाल के कारण वेनेजुएला एक समृद्ध देश था। उसके बाद क्रमिक सरकारों ने वहां भोजन से लेकर सार्वजनिक परिवहन तक सब कुछ मुफ्त में देना शुरू किया।
    • इसके बाद वहां तेल की कीमतों में गिरावट शुरू होने के तुरंत बाद ही इस देश को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा क्योंकि यह अपने भोजन का 70% आयात करता था।
    • जिसके कारण भ्रष्टाचार व्यापक रूप से फ़ैल गया।सरकारों द्वारा कृषि ऋणों को माफ करना जारी रखा गया, जिससे अर्थव्यवस्था को और नुकसान पहुंचा।
    • इस तरह अर्थव्यवस्था को ठीक होने में दशकों लग गए, लेकिन देश कभी पूरी तरह से उबर नहीं पाया।

निष्कर्ष:

  • फ्रीबी राजनीति तेजी से राजनीतिक पहुंच से बाहर की सरकारों को आकर्षित कर रही है। इसमें सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि फ्रीबी राजनीति और इसका अर्थशास्त्र गंभीर आर्थिक समस्याएं पैदा कर सकते हैं।
  • जहां सार्वजनिक वितरण प्रणाली, रोजगार गारंटी योजनाओं,शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए दिए सहयोग जैसे बड़े लाभों के साथ योग्यता और सार्वजनिक वस्तुओं को अलग करने की आवश्यकता है, वहीं इन्हें अन्य लाभों से अलग करने की भी आवश्यकता है।

सारांश:

  • चुनाव की लोकतांत्रिक प्रक्रिया और चुनावी वादों द्वारा मतदाताओं को लुभाना नहीं चाहिए। फ्रीबी संस्कृति न केवल चुनाव के महत्व को कम करती है बल्कि सामाजिक कल्याण को भी बाधित करती है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

पैकेज्ड फूड पर ‘स्टार रेटिंग’ लेबल से मदद मिलने की संभावना नहीं है :विशेषज्ञ

राजव्यवस्था एवं शासन:

विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां,हस्तक्षेप,उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा : हेल्थ स्टार रेटिंग सिस्टम।

मुख्य परीक्षा: हेल्थ स्टार रेटिंग सिस्टम का विश्लेषण।

प्रसंग:

  • विशेषज्ञों ने तर्क दिया है कि “हेल्थ स्टार रेटिंग” वाली प्रणाली “साक्ष्य-आधारित नहीं” है और यह खरीदार के व्यवहार पर प्रभाव डालने या उसे खरीदारी के बारे में पुनर्विचार करवाने में विफल रही है।

हेल्थ स्टार रेटिंग सिस्टम (HSR) क्या है?

  • निजी संस्थान IIM अहमदाबाद की सिफारिश के अनुसार भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने पैकेज्ड खाद्य उत्पादों के लिए हेल्थ स्टार रेटिंग (HSR) शुरू करने का प्रस्ताव रखा था।
  • ये ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) द्वारा बिजली के उपकरणों को दी गई स्टार रेटिंग के समान हैं।
  • पैकेज लेबलिंग के लिए तैयार मसौदा नियमों के अनुसार “हेल्थ-स्टार रेटिंग सिस्टम” उत्पाद को 1/2 से 5 स्टार (FOPL) की रेटिंग प्रदान करता है।

लक्ष्य:

  • HRS का उद्देश्य समान उत्पादों की दृश्य तुलना प्रदान करना है ताकि उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्पों में अंतर करने और सही उत्पाद चुनने में मदद मिल सके।
  • इस पैकेज लेबलिंग का उद्देश्य उपभोक्ताओं को अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों की खपत को कम करने में सहायता करना हैं।

रेटिंग की प्रक्रिया:

  • पैकेज्ड फूड्स ‘हेल्थ स्टार’ रेटिंग की प्रणाली के अनुसार पैकेज पैक पर सामने की तरफ स्टार्स की संख्या प्रदर्शित होगी।
  • इसमें नमक, चीनी और वसा की मात्रा के आधार पर इन स्टार्स की संख्या ग्राहक को बताई जायगी कि यह कितना स्वास्थकर या अस्वास्थकर है।
  • पांच प्रकार के लेबलों में से एक हेल्थ स्टार रेटिंग, साथ ही ट्रैफिक लाइट संकेत, पोषण स्कोर और चेतावनी प्रतीक थे।
  • चार साल की अवधि के लिए, एफओपीएल ( FOPL) का कार्यान्वयन स्वैच्छिक हो सकता है।

स्वास्थ्य स्टार रेटिंग प्रणाली के लाभ:

  • हेल्थ स्टार रेटिंग से पैकेज्ड खाद्य पदार्थों की तुलना करने का एक सीधा और आसान तरीका है।
  • यह पैकेज्ड खाद्य पदार्थों के पोषण संबंधी प्रोफाइल की तुलना करना आसान बनाता है, जिससे ग्राहक अधिक जानकारी प्राप्त कर सही निर्णय ले सकते हैं।

विशेषज्ञों द्वारा जताई गई चिंता:

  • पोषण विशेषज्ञ और शिक्षाविदों का तर्क है कि HSR प्रणाली पोषण विज्ञान को गलत तरीके से प्रस्तुत करती है,संभावित रूप से संवेदनशील आबादी के पोषण सेवन को प्रभावित करती है।
  • सम्बंधित उद्योग आसानी से इस प्रणाली में हेरफेर किया जा सकता हैं क्योंकि उच्च चीनी या वसा वाले खाद्य उत्पाद जो कम रेटिंग (1 स्टार) के लायक हैं, उन्हें मध्यम रेटिंग (3 या 4 स्टार) केवल इसलिए मिल सकती है क्योंकि उनमें कुछ सकारात्मक पोषक तत्व शामिल होते हैं।
  • HSR का अंतर्निहित आधार यह है कि किसी उत्पाद की स्टार रेटिंग निर्धारित करते समय फलों और नट्स जैसे सकारात्मक तत्वों का उपयोग कैलोरी, संतृप्त वसा, कुल चीनी और सोडियम जैसे नकारात्मक पोषक तत्वों को बदलने के लिए किया जा सकता है।
  • इस प्रकार यह धोखे और मिलावट का द्वार खोलता है।
  • पोषक तत्वों के जोड़-घटाव का यह एल्गोरिथ्म जीव विज्ञान की साधारण मानवीय समझ के अनुरूप नहीं है।
  • उदाहरण के लिए, फ्रूट ड्रिंक में फलों के ऱस का अतिरिक्त चीनी से शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि इन खाद्य पदार्थों में इन सामग्रियों को शामिल करने से शरीर पर उनके नकारात्मक प्रभाव कम होंगे।
  • अभी भी इस बात का कोई सबूत नहीं है कि पोषण गुणवत्ता के मामले में HSR का लोगों के भोजन और पेय पदार्थों की खरीद पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के अनुभव:

  • ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद करने के लिए वर्ष 2014 में स्वैच्छिक HSR प्रणाली की शुरुआत की थी।
  • लेकिन हाल के अध्ययनों से पता चला है कि उनकी यह प्रणाली अत्यधिक त्रुटिपूर्ण साबित हुई है क्योंकि अस्वास्थ्यकर खाद्य उत्पाद अभी भी उच्च स्कोर प्राप्त करने में सक्षम हैं क्योंकि रेटिंग समग्र पोषण मूल्य पर आधारित होती है।
  • किसी अन्य अस्वास्थ्यकर उत्पाद में फाइबर और प्रोटीन जैसे स्वस्थ अवयवों को शामिल करने से इसके अस्वास्थ्यकर तत्वों का आसानी से प्रभाव छिप जाता है या समाप्त हो जाता हैं।
  • इस प्रकार, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में अपनाई गई स्वास्थ्य स्टार रेटिंग (एचएसआर) प्रणाली के परिणामस्वरूप ग्रहकों में किसी भी प्रकार का कोई सार्थक व्यवहार परिवर्तन देखने को नहीं मिला है।

सारांश:

  • यह निर्णय लेते हुए कि प्रत्येक भोजन को एक से पांच सितारों तक रेट किया जाना चाहिए, FSSAI ने उपभोक्ता हितों की अनदेखी की है और बड़े खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की राय को वृहद स्तर पर महत्व दिया है। तथ्य यह हैं कि जब खाद्य नियामक संस्था इस संबंध में निर्णय ले रही है तो देश के लोगों का स्वास्थ्य इसकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

चीन व सोलोमन द्वीप समूह ने ऐतिहासिक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े समझौते या भारत के हितों को प्रभावित करना।

प्रारंभिक परीक्षा: चीन-सोलोमन द्वीप सौदा; सोलोमन द्वीप अवस्थिति।

मुख्य परीक्षा: चीन-सोलोमन द्वीप सौदा और भारत पर प्रभाव।

प्रसंग:

  • चीन और सोलोमन द्वीप के विदेश मंत्रियों ने हाल ही में सुरक्षा सहयोग के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

चीन-सोलोमन द्वीप समझौता:

  • चीन ने सोलोमन द्वीप समूह के साथ एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो अन्य देशों के साथ चीन के सुरक्षा समझौतों का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
  • इस समझौते की शर्तों के तहत दोनों पक्ष सामाजिक व्यवस्था और मानवीय सहायता जैसे क्षेत्रों में आपसी सहयोग करेंगे ताकि सोलोमन द्वीप समूह को अपनी रक्षा करने में सहायता मिल सके।

सोलोमन द्वीप समूह:

  • सोलोमन प्रशांत महासागर के दक्षिणी भाग में सैकड़ों छोटे द्वीपों का एक द्वीपसमूह है।
  • इसमें छह बड़े द्वीप शामिल हैं – जिसमे सबसे बड़ा द्वीप गुआडलकैनाल (Guadalcanal) हैं जहाँ राजधानी होनियारा (Honiara)स्थित है।
  • अन्य द्वीप न्यू जॉर्जिया (New Georgia), सांता इसाबेल (Santa Isabel), चोइसुल (Choiseul), मलाइता(Malaita) और सैन क्रिस्टोबाल (San Cristobal)।
  • सोलोमन द्वीप समूह भारत से 9,000 किमी से अधिक दूर है।

Source:The Economist

चीन-सोलोमन द्वीप सौदे से सम्बंधित चिंताएं:

  • इस समझौते को स्थानीय भू-राजनीति में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि यह चीन को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड सहित दक्षिण प्रशांत तक सीधी पहुंच प्रदान करता है।
  • इस समझौते से सम्बंधित प्रमुख चिंता यह है कि चीन सोलोमन द्वीप पर एक सैन्य अड्डा बनाएगा।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका की चिंता सोलोमन द्वीप में पुलिस, सशस्त्र बल, सैन्य कर्मियों की तैनाती को लेकर है।
  • सोलोमन द्वीप समूह का वृहद सामरिक महत्व है,जैसा कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान स्पष्ट था, जब इसने बढ़ते जापानियों के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया के लिए एक कवच के रूप में कार्य किया था।
  • यह भी आशंका है कि चीनी फर्मों द्वारा मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में अरबों रूपए लगाने से यह द्वीप चीन के कर्ज के जाल में फंस सकता है।
  • अंत में सोलोमन द्वीप भी महत्वपूर्ण शिपिंग मार्गों पर अवस्थित है, जिसका अर्थ है कि चीन संभावित रूप से इस क्षेत्र में और उसके आसपास समुद्री यातायात को नियंत्रित कर सकता है।

भारत पर चीन-सोलोमन द्वीप समझौते का प्रभाव:

  • यह द्वीप भारत की मुख्य भूमि और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से महत्वपूर्ण दूरी पर हैं।
  • हालाँकि,इस क्षेत्र में चीन की प्रगति भारत के लिए भी चिंता का विषय होगी क्योंकि यह समझौता चीन को दक्षिण प्रशांत में सैन्य पैर जमाने में मदद कर सकता है।
  • चीन-सोलोमन द्वीप सुरक्षा सहयोग समझौते के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: China-Solomon Islands security cooperation agreement

सारांश:

  • चीन-सोलोमन द्वीप समझौता AUKUS-ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिकी-साझेदारी के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि सोलोमन द्वीप ऑस्ट्रेलिया के बजाय चीन की ओर झुक गया है। यह समझौता भारत के लिए भी संदेह पैदा करता है क्योंकि अन्य प्रशांत द्वीप राष्ट्रों के भविष्य पर इसके बड़े भू-राजनीतिक प्रभाव पड़ सकते हैं।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

मूल्य विकृतियों में सुधार

विषय:भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना से संबंधित मुद्दे, संसाधन जुटाना, विकास और रोजगार ।

मुख्य परीक्षा: भारत में व्यापार की उच्च लागत से संबंधित चिंताएं और सुझाव।

सन्दर्भ:

  • वर्तमान में जब भी अर्थव्यवस्था में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने की बात आती है तो सरकार का प्रमुख फोकस कारोबार करने में आसानी (ease of doing business) में सुधार पर रहता है जिसके कारण इस दिशा में काफी प्रगति भी हुई है, लेकिन व्यवसाय करने की लागत (cost of doing business) में अब भी सुधार बाकी है जो अर्थव्यवस्था में निजी निवेश को प्रभावित करने वाला एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है।

भारत में व्यापार करने की उच्च लागत:

  • निम्नलिखित सरकारी नीतियों से पैदा हुई मूल्य निर्धारण विकृतियां व्यवसाय करने की लागत को बढ़ा रही हैं।

पेट्रोल और डीजल की कीमत:

  • पेट्रोल और डीजल पर उच्च उत्पाद शुल्क लगाया जाता है। हालाँकि शुरू में डीजल पर अपेक्षाकृत कम कर लगाया जाता था, लेकिन इसके अवांछनीय परिणाम जैसे डीजल कारों और SUVs के मूल्यों में उछाल ने सरकार को धीरे-धीरे डीजल की कीमत में वृद्धि करने के लिए प्रेरित किया है।
  • यह विदित है कि पेट्रोल और डीजल पर करों का सरकारी राजस्व में एक बहुत बड़ा हिस्सा है, इसलिए ये पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने की इच्छुक नहीं हैं। जो कि इन महत्वपूर्ण ईंधनों की ऊंची कीमतों के बढ़ने के प्राथमिक कारणों में से एक है।
  • वर्तमान में, केंद्र सरकार कोविड के कारण हुए राजकोषीय घाटे को कम करने और अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए करों को बढ़ा रही है। इस कारण मुद्रास्फीतिका दबाब बढ़ा है जिसने उन उद्योगों की पहले से ही खराब वित्तीय स्थिति को खराब कर दिया है जो महामारी से प्रेरित आर्थिक संकट से उबरने के लिए संघर्षरत हैं। मुद्रास्फीति के प्रभाव के कारण कच्चे माल की लागत में वृद्धि हुई है।
  • पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमत ने वस्तुओं के सड़क परिवहन की लागत में वृद्धि की है। इसका परिणाम यह हुआ है कि भारतीय कंपनियों को अन्य प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में लगभग दोगुना खर्च करना पड़ रहा है।
  • वर्तमान में ऊर्जा आधुनिक औद्योगिक अर्थव्यवस्था की बुनियादी जरूरत और प्रतिस्पर्धा की कुंजी है, इस भाग में विकृति मूल्य निर्धारण भारतीय उद्योगों के लिए शुभ संकेत नहीं है।

बिजली मूल्य निर्धारण:

  • अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था के डीकार्बोनाइजेशन वृद्धि हेतु 400 रुपये प्रति टन कोयला उपकर लगाया गया है। इस उपकर के परिणामस्वरूप थर्मल पावर की लागत में वृद्धि हुई है जिसने बिजली पर निर्भर उद्योगों को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
  • इसके अलावा औद्योगिक उपयोगकर्ताओं के लिए उच्च टैरिफ मानक तथा घरेलू खपत की क्रॉस सब्सिडी केवल उद्योगों पर दबाव को बढ़ाती है।

रेलवे मूल्य निर्धारण:

  • रेलवे द्वारा परिचालन लागत को कवर करने के लिए यात्री किराए में वृद्धि करने की अनिच्छा के कारण, अक्सर इसे यात्री यातायात में क्रॉस सब्सिडी के नाम पर माल भाड़े से वसूला जाता हैं। यह भारत में उच्च रसद लागत में वृद्धि करता है।

अचल संपत्ति की कीमतें:

  • भारत में, न केवल व्यावसायिक उद्यमों के लिए भूमि प्राप्त करना मुश्किल है, साथ ही कीमतें भी आवश्यकता से अधिक हैं, इसका मुख्य कारण रियल एस्टेट परिसंपत्ति मूल्य में वृद्धि है।

चिंता:

  • भारतीय अर्थव्यवस्था की मूल्य निर्धारण विकृतियां भारतीय घरेलू उद्योगों के लिए प्रतिस्पर्धात्मक नुकसान का एक स्रोत हैं क्योंकि इससे अन्य देशों में प्रतिस्पर्धियों की तुलना में औद्योगिक उत्पादन की लागत बढ़ जाती है। जो कि भारत की अपेक्षाकृत कम विनिर्माण वृद्धि और विनिर्माण क्षेत्र में सफलता की कमी का कारण है।
  • यह घरेलू मूल्यवर्धन और रोजगार सृजन की भारत की क्षमता को सीमित कर देगा।

सुझाव:

  • भारत को व्यापार करने की लागत को कम करने पर ध्यान देना चाहिए और इस दिशा में निम्नलिखित कदम आवश्यक हैं।
  • पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने की जरूरत है। इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी कमी आएगी। साथ ही सरकार को ईंधन करों पर अपनी निर्भरता को कम करने और राजस्व सृजन हेतु अन्य रास्ते खोजने की जरूरत है।
  • बिजली मूल्य निर्धारण और रेलवे मूल्य निर्धारण में क्रॉस सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाया जाना चाहिए। इससे कुछ हद तक मूल्य निर्धारण विकृतियों को कम करने में मदद मिलेगी जिससे उद्योगों को राहत मिलेगी।
  • भूमि की उपलब्धता बढ़ाने के लिए भूमि उपयोग रूपांतरण और पुनर्विकास प्रक्रियाओं को उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने की आवश्यकता है जिससे अचल संपत्ति की कीमतों को काफी हद तक कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही भूमि का सार्वजनिक प्रावधान और दूर-दराज के स्थानों में भी गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे की उपलब्धता सुनिश्चित करने से आपूर्ति पक्ष की बाधाओं और कीमतों को कम करने में मदद मिलेगी।

सारांश:

  • व्यापार सुगमता में सुधार के अलावा, सरकार को भारत में व्यापार करने की लागत भी कम करनी चाहिए। यह निजी निवेश को प्रोत्साहन प्रदान करेगा व अधिक रोजगार भी प्रदान करेगा और साथ ही भारत के $ 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था लक्ष्य को साकार करने में भी सहायक होगा।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था और शासन:

विध्वंस अभियान अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हैं

विषय: भारतीय संविधान की विशेषताएं, महत्वपूर्ण प्रावधान और मूल संरचना।

मुख्य परीक्षा: आवास का अधिकार, इससे संबंधित भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय कानून।

पृष्टभूमि:

  • हाल ही में, मध्य प्रदेश सरकार ने खरगोन में सांप्रदायिक दंगों में कथित रूप से शामिल लोगों के घरों को बुलडोजर से गिरा दिया।

चिंता:

  • हालांकि राज्य सरकार ने दावा किया है कि अवैध अतिक्रमण के जवाब में ये विध्वंस किए गए है, इन मनमाने विध्वंस ने कई संवैधानिक चिंताएं भी पैदा की हैं।

विधि के शासन और संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ:

  • उचित प्रक्रिया और कानूनी मंजूरी के बिना विध्वंस अभियान क्रूर राज्य शक्ति के दूरपयोग के समान है, जो कि विधि के शासन और भारत के संवैधानिक आदेश के खिलाफ है।
    • आवास का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मान्यता प्राप्त मौलिक अधिकार है।

अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन:

  • मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कथित दंगाइयों के घरों पर बुलडोजर चलाना जबरन बेदखली और किसी व्यक्ति के घर पर मनमाना हस्तक्षेप है। लेखक इस कार्यवाही को भारत के अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन मानता है।
  • मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) के अनुच्छेद 25 के तहत मान्यता प्राप्त आवास के अधिकार में कहा गया है कि “हर किसी को अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य और कल्याण का अधिकार है, जिसमें भोजन, कपड़े, आवास और चिकित्सा देखभाल… ” भी शामिल हैं। UDHR के अनुच्छेद 12 में कहा गया है कि “किसी को भी उसकी गोपनीयता, परिवार, घर या पत्राचार में मनमाने ढंग से हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है और न ही उसके सम्मान और प्रतिष्ठा पर हमला किया जाएगा”।
  • आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों (ICESCR) पर अंतर्राष्ट्रीय करार के अनुच्छेद 11.1 में “पर्याप्त भोजन, कपड़े और आवास सहित अपने और अपने परिवार के जीवनयापन स्थिति में निरंतर सुधार के लिए सभी के अधिकारों को मान्यता देना है। ” ICESCR का अनुच्छेद 5 स्पष्ट रूप से करार के अंतर्गत अधिकारों पर लगाई गई सीमाओं का उल्लेख है लेकिन पर्याप्त आवास का अधिकार इन विध्वंसक कार्यवाहीयों के कारण सुरक्षित नहीं हो सकता है।
  • नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय करार (ICCPR) के अनुच्छेद 17 में कहा गया है कि हर किसी को संपत्ति का अधिकार है और किसी को भी उसकी संपत्ति से मनमाने ढंग से वंचित नहीं किया जा सकता है।
  • मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) जिसे आमतौर पर संयुक्त राष्ट्र (UN) मानवाधिकार कार्यालय के रूप में जाना जाता है के अनुसार पर्याप्त आवास का अधिकार का एक अभिन्न तत्व ‘जबरन बेदखली के खिलाफ सुरक्षा’ है।

निष्कर्ष:

  • सुप्रीम कोर्ट ने बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य, विशाखा बनाम राजस्थान राज्य और हाल ही में पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ जैसे मामलों में यह सिद्धांत निर्धारित किया है कि संविधान के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों की व्याख्या इस तरह से की जाए कि वह अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अनुरूप हो।
  • इस अवलोकन के अनुरूप, न्यायपालिका को विध्वंस करने वाली कार्यपालिका की अनियंत्रित शक्ति को कम करने का प्रयास करना चाहिए।

सारांश:

  • मध्य प्रदेश सरकार द्वारा खरगोन में सांप्रदायिक दंगों में कथित रूप से शामिल लोगों के घरों को गिराना न केवल विधि के शासन और भारत के संवैधानिक का बल्कि महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय कानूनों का भी उल्लंघन है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. IMF ने युद्ध के कारण भारत के आर्थिक विकास का अनुमान घटाकर 8.2 फीसदी किया:

अर्थव्यवस्था:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन जुटाना, विकास, संवृद्धि और रोजगार से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट।

मुख्य परीक्षा: वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक 2022 के निष्कर्ष।

प्रसंग:

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने हाल ही में नवीनतम विश्व आर्थिक आउटलुक जारी किया हैं।

विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट 2022 के निष्कर्ष:

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 2022 के लिए भारत की आर्थिक विकास संभावनाओं को पहले के 9 प्रतिशत के अनुमान से घटाकर 8.2 प्रतिशत कर दिया है।
  • इसी तरह अगले वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की अर्थव्यवस्था पहले के अनुमान 7.1 फीसदी की बजाय 6.9 फीसदी की दर से ही बढ़ेगी।
  • बावजूद इसके यह दो वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई।
  • इस साल के लिए वैश्विक वृद्धि दर के पूर्वानुमान में भी आईएमएफ ने 0.8 फीसदी की कमी करते हुए 3.6 फीसदी कर दिया है।
  • एशिया में जापान और भारत में “विकास के पूर्वानुमान में “उल्लेखनीय गिरावट दिख रही हैं।
  • वर्ष 2022 में चीन की विकास दर 4.4% होने का अनुमान है।
  • विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:World Economic Outlook Report

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. पैनोप्टीकोनिस्म (Panopticonism):

  • पैनोप्टीकोनिस्म (Panopticonism) मिशेल फौकॉल्ट द्वारा अपनी सबसे प्रभावशाली पुस्तकों में से एक “डिसिप्लिन एंड पनीश: द बर्थ ऑफ द प्रिज़न” (Discipline and Punish: The Birth of the Prison) में पेश किया गया एक सिद्धांत था।
  • यह एक अवधारणा है जो समाज में निगरानी के एक नए मॉडल की व्याख्या करती है।
  • यह हमें इस बात को समझने में मदद करता है कि निगरानी ने किस प्रकार व्यक्तियों और सामाजिक नियंत्रण की प्रणालियों के बीच शक्ति संबंधों को बदल दिया है।
  • वर्तमान समय का सीसीटीवी कैमरा इस बात का एक स्पष्ट उदाहरण है कि यह सिद्धांत लोगों के साथ किस प्रकार काम करता है कि वे कैसे व्यवहार करते हैं, भले ही कैमरा काम कर रहा हो या नहीं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारत में उर्वरकों के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) कार्यक्रम के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)

  1. इस योजना के तहत, यूरिया सहित सब्सिडी वाले फॉस्फेटिक और पोटासिक (P&K) उर्वरकों के प्रत्येक ग्रेड पर वार्षिक आधार पर तय की गई सब्सिडी की एक निश्चित राशि प्रदान की जाती है, जिसका निर्धारण उनमें मौजूद पोषक तत्व के आधार पर होता है।
  2. MRP तय करने के लिए P&K उर्वरकों की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय लागत को देश के भंडार स्तर और मुद्रा विनिमय दर के आधार पर विचार कर निकाला जाता है।
  3. NBS नीति का उद्देश्य P&K उर्वरकों की खपत में वृद्धि करना है ताकि NPK उर्वरकों का इष्टतम संतुलन (N:P:K= 4:2:1) प्राप्त किया जा सके।

सही कूट का चयन कीजिए:

(a)केवल 1 और 2

(b)केवल 2 और 3

(c)केवल 1 और 3

(d)उपर्युक्त सभी

उत्तर: b

व्याख्या:

  • इस योजना के तहत यूरिया को छोड़कर, उनमें मौजूद पोषक तत्व के आधार पर सब्सिडी वाले फॉस्फेटिक और पोटाश (पी एंड के) उर्वरकों के प्रत्येक ग्रेड पर वार्षिक आधार पर तय की गई सब्सिडी की एक निश्चित राशि प्रदान की जाती है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • MRP तय करने के लिए P&K उर्वरकों की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय लागत को देश के भंडार स्तर और मुद्रा विनिमय दर के आधार पर निकाला जाता है।
  • NBS नीति का उद्देश्य P&K उर्वरकों की खपत में वृद्धि करना है ताकि NPK उर्वरकों का इष्टतम संतुलन (N:P:K= 4:2:1) प्राप्त किया जा सके।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन सा/से राष्ट्र OPEC (पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन) का सदस्य नहीं है: (स्तर – कठिन)

  1. रूस
  2. गैबॉन
  3. वेनेजुएला
  4. नाइजीरिया
  5. अमेरीका
  6. ब्रुनेई

सही विकल्प का चयन कीजिए:

(a)केवल 1 और 5

(b)केवल 2, 5 और 6

(c)केवल 2, 3 और 4

(d)केवल 1, 5 और 6

उत्तर: d

व्याख्या:

  • ओपेक (OPEC) पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन का एक संक्षिप्त नाम है। यह एक स्थायी, अंतर सरकारी संगठन है, जिसे सितंबर 1960 में ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेजुएला द्वारा बगदाद सम्मेलन में बनाया गया था। वर्तमान में इसके 13 सदस्य हैं।

ओपेक – वर्तमान सदस्य

  1. अल्जीरिया
  2. अंगोला
  3. संयुक्त अरब अमीरात
  4. वेनेजुएला
  5. सऊदी अरब
  6. कांगो गणराज्य
  7. लीबिया
  8. नाइजीरिया
  9. कुवैत
  10. ईरान
  11. इराक
  12. गैबॉन
  13. भूमध्यवर्ती गिनी
  • रूस, अमेरिका और ब्रुनेई OPEC के सदस्य नहीं हैं।
  • अत: विकल्प D सही है।

प्रश्न 3. भारत में निम्नलिखित में से किन दो राज्यों के बीच ‘ब्रू समझौते’ पर हस्ताक्षर किए गए हैं? (स्तर – सरल )

(a)नागालैंड और मिजोरम

(b)असम और मेघालय

(c)मिजोरम और त्रिपुरा

(d)मणिपुर और त्रिपुरा

उत्तर: c

व्याख्या:

  • इस समझौते पर नई दिल्ली में गृह मंत्री की अगुवाई वाले भारत सरकार के प्रतिनिमंडल,त्रिपुरा और मिजोरम की सरकारों और ब्रू-रियां ने हस्ताक्षर किए ।
  • अत: विकल्प C सही है।

प्रश्न 4. भारत में डेयरी क्षेत्र के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल )

  1. भारत में दूध के लिए कोई आधिकारिक MSP नहीं है।
  2. ऑपरेशन फ्लड ने भारत की दूध उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देने में मदद की।
  3. वैश्विक स्तर पर भारत दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।

सही कथन का चयन कीजिए:

(a)केवल 1 और 2

(b)केवल 2 और 3

(c)केवल 1 और 3

(d)उपर्युक्त सभी

उत्तर: d

व्याख्या:

  • भारत में दूध के लिए कोई MSP नहीं है। हाल ही में, डेयरी किसानों ने सरकार से दूध के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित करने का आग्रह किया है।
  • दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी विकास कार्यक्रम, ऑपरेशन फ्लड, 1970 में शुरू हुआ था जोकि भारत के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की एक ऐतिहासिक परियोजना थी।
  • इसने एक राष्ट्रीय दूध ग्रिड की स्थापना की जो भारत भर के किसानों को 700 से अधिक कस्बों और शहरों में उपभोक्ताओं से जोड़ता है,एवं मौसमी और क्षेत्रीय मूल्य अंतर को कम करता हैं।
  • भारत 22 प्रतिशत वैश्विक उत्पादन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, पाकिस्तान और ब्राजील हैं।
  • अत: सभी कथन सही हैं।

प्रश्न 5. अगर आप अपने बैंक में अपने मांग जमा खाते से 1,00,000, रुपये नकद निकालते हैं तो अर्थव्यवस्था में कुल धन आपूर्ति पर तत्काल क्या प्रभाव पड़ेगा ? (स्तर – मध्यम) PYQ (2020)

(a)इससे 1,00,000 रुपये कम हो जायेंगे।

(b)इससे 1,00,000 रुपये बढ़ जायेंगे।

(c)यह 1,00,000 रुपये से अधिक बढेगा।

(d)यह अपरिवर्तित रहेगा।

उत्तर: d

व्याख्या:

  • एक बहुत ही बुनियादी स्तर पर, कुल मुद्रा आपूर्ति (इसे M कहते हैं) का अर्थ- अर्थव्यवस्था में “उपयोग के लिए उपलब्ध धन का कुल स्टॉक” है।
  • मुद्रा आपूर्ति के दो पूर्ण बुनियादी घटक हैं:
    • 1. जनता के पास मुद्रा (c): इसमें आरबीआई द्वारा जारी किए गए मुद्रा, प्रचलन में नोट और सिक्के, साथ ही प्रचलित छोटे सिक्के शामिल हैं।
    • 2. बैंकों के पास जनता की मांग जमा (जिसे जमा राशि भी कहा जाता है) (d): जनता द्वारा इन जमाओं को आवश्यकता के आधार पर किसी भी समय निकाला जा सकता है।
    • M1, M2 की तकनीकी शब्दावली के बिना, बहुत ही बुनियादी स्तर पर,मुद्रा आपूर्ति को इस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं: M = C+D
  • अब “D” से 1 लाख रुपये निकालने से जनता के पास “C” बढ़ जाएगा।
  • इसका सीधा सा मतलब है कि “तत्काल” “कुल मुद्रा आपूर्ति” से अर्थव्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा।
  • यदि हम उसी विश्लेषण को तकनीकी रूप से M1, M2, M3 और M4 जैसे पैसे की आपूर्ति के उपायों का उपयोग करके भी करते हैं, तो परिणाम समान होगा।
  • इसलिए, सही D उत्तर है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. राज्य द्वारा संपत्ति को मनमाने ढंग से ढहाना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मान्यता प्राप्त समुचित आवास के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून ढांचे के संदर्भ में चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक)

प्रश्न 2. कोयले पर भारत की निर्भरता और ईंधन के स्वच्छ रूपों को अपनाने की दिशा में इसकी प्रगति का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक)

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