26 अक्टूबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पर्यावरण:
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: भारतीय अर्थव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
‘जीवाश्म ईंधन के दहन से वर्ष 2020 में 3 लाख से ज्यादा भारतीयों की मौत’:
पर्यावरण:
विषय: पर्यावरण प्रदूषण और निम्नीकरण।
मुख्य परीक्षा: स्वास्थ्य एवं जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष।
संदर्भ:
- हाल ही में “स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर लैंसेट काउंटडाउन: जीवाश्म ईंधन की दया पर स्वास्थ्य” (The Lancet Countdown on health and climate change: health at the mercy of fossil fuels) नामक एक रिपोर्ट का विमोचन किया गया है।
विवरण:
चित्र स्रोत: The Lancet
- यह रिपोर्ट 51 संस्थानों के लगभग 99 विशेषज्ञों के प्रयासों से तैयार की गई है जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन ( World Health Organization (WHO) ) तथा विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation (WMO)) जैसे संगठन शामिल हैं।
- इस रिपोर्ट में लगभग 43 संकेतक प्रस्तुत किए गए हैं जिनमें नए और उन्नत मापक शामिल हैं जो खाद्य असुरक्षा, घरेलू वायु प्रदूषण और स्वस्थ भविष्य के साथ जीवाश्म ईंधन उद्योग के संरेखण पर अत्यधिक तापमान के प्रभाव की निगरानी करते हैं।
- ‘लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज’ की वार्षिक वैश्विक रिपोर्ट के निष्कर्ष इस तथ्य को उजागर करते हैं कि दुनिया भर की सरकारें और कंपनियां उन रणनीतियों या नीतियों का अनुसरण कर रही हैं जो लोगों और उनकी आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य और अस्तित्व के लिए उल्लेखनीय खतरा पैदा करती हैं।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन स्वास्थ्य प्रभावों को बढ़ा रहा है क्योंकि कमजोर आबादी जैसे कि शिशुओं और बुजुर्गों को तीव्र ग्रीष्म लहर के दिनों का सामना करना पड़ रहा है,जिनकी संख्या लगातार बढ़ रही हैं।
- इस रिपोर्ट के अनुसार सामूहिक रूप से शिशुओं (एक वर्ष से कम) ने 600 मिलियन से अधिक दिनों तक हीटवेव और बुजुर्गों (65 वर्ष से अधिक) ने 3.1 बिलियन से अधिक दिनों तक तीव्र हीटवेव का अनुभव किया।
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गर्मी की बढ़ती घटनाओं के कारण खाद्य असुरक्षा बढ़ गई है क्योंकि बढ़ते तापमान और चरम मौसम की घटनाओं से फसल की पैदावार को सीधे खतरा होता है।
- रिपोर्ट के निष्कर्षों से पता चलता है कि 1981 से 2010 की आधार रेखा की तुलना में मक्का की वृद्धि के मौसम की अवधि में 9.3 दिनों की कमी आई है, जबकि चावल और सर्दियों के गेहूं में क्रमशः 1.7 दिन और 6 दिन की कमी आई है।
- इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन मलेरिया और डेंगू जैसे संक्रामक रोगों के प्रसार को भी प्रभावित कर रहा है।
भारत के सम्बन्ध में रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
- इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2020 में जीवाश्म ईंधन के दहन से उत्सर्जित पार्टिकुलेट मैटर के संपर्क में आने से लगभग 3,30,000 लोगों की जान चली गई हैं।
- इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वर्ष 2000-2004 से 2017-2021 तक भारत में गर्मी से होने वाली मौतों में लगभग 55% की वृद्धि हुई है।
- वर्ष 1985-2005 की तुलना में 2012-2021 तक, शिशुओं (एक वर्ष से कम) ने प्रति वर्ष औसतन 72 मिलियन अधिक व्यक्ति-दिन ग्रीष्म लहर का अनुभव किया था।
- इसी अवधि के दौरान बुजुर्गों (65 से अधिक) ने 301 मिलियन अधिक व्यक्ति-दिवस देखे।
- रिपोर्ट बताती है कि भारत में लगभग 45% शहरी केंद्रों को मध्यम ग्रीन या उससे ऊपर के रूप में वर्गीकृत किया गया है,एक शहरी नया स्वरूप जो स्वास्थ्य को सबसे पहले प्राथमिकता देता है,अधिक ग्रीन स्थान प्रदान कर सकता है जो शहरी गर्मी को कम करने,वायु गुणवत्ता में सुधार करने और शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने में सहायता करता है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद के 5.4% के बराबर आय हानि के साथ गर्मी के जोखिम के कारण भारतीयों ने लगभग 16,720 करोड़ संभावित श्रम घंटे खो दिए।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2019 में भारत में कार्बन की कीमत शुद्ध नकारात्मक थी, जिससे पता चलता है कि सरकार अभी भी जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी दे रही थी।
- भारत ने वर्ष 2019 में लगभग ₹2,80,000 करोड़ आवंटित किए थे, जो उस वर्ष देश के समग्र स्वास्थ्य व्यय का लगभग 37.5% था।
- इसके अलावा, बायोमास का उपयोग 2019 में घरेलू ऊर्जा के 61% के बराबर था, जबकि जीवाश्म ईंधन 20% के बराबर था। इन ईंधनों पर अति निर्भरता के कारण, पार्टिकुलेट मैटर की औसत घरेलू सांद्रता WHO द्वारा अनुशंसित (राष्ट्रीय स्तर पर 25 गुना से अधिक और ग्रामीण परिवारों में 35 गुना) मात्रा से अधिक थी।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन 3:
भारतीय अर्थव्यवस्था:
कृषि में निहित एक नवीकरणीय ऊर्जा क्रांति:
विषय: कृषि से संबंधित मुद्दे; ऊर्जा।
मुख्य परीक्षा: धान के भूसे से नवीकरणीय ऊर्जा।
प्रारंभिक परीक्षा: पहला निजी कंपनी जैव ऊर्जा संयंत्र।
संदर्भ
- पंजाब के संगरूर जिले में एक निजी कंपनी के प्रथम जैव-ऊर्जा संयंत्र का वाणिज्यिक संचालन शुरू हुआ है।
विवरण:
- भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्रांति की शुरुआत संगरूर, पंजाब में एक निजी कंपनी द्वारा जैव-ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के साथ हुई है। यह संयंत्र धान के भूसे से कम्प्रेस्ड बायो गैस (CBG) का उत्पादन करेगा। इसका तात्पर्य है कि यह कृषि कचरे को सम्पदा में बदल देगा।
- पिछले कुछ वर्षों से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के किसान धान की पराली और बायोमास का दहन करते हैं। ऐसा मुख्यतया फसलों के बीच 3-4 सप्ताह के अंतराल के कारण है। अगली फसल के लिए खेतों की तैयारी हेतु लाखों हेक्टेयर भूमि को आग के हवाले कर दिया जाता है।
- इस तरह की गतिविधियों से निकलने वाला धुआं अक्टूबर से दिसंबर के बीच राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों को अपनी चपेट में लेता है। यह पर्यावरण को बाधित करता है तथा मनुष्यों एवं पशुओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
- पराली जलाने उससे सम्बंधित समस्या एवं समाधान के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Explained for UPSC. Problems of Stubble Burning, Solutions.
सरकार द्वारा किए गए उपाय:
- भारत सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) तथा आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management (CAQM)) ने पराली जलाने को रोकने और नियंत्रित करने के लिए एक कार्य योजना तथा रूपरेखा स्थापित की है। कार्य योजना/रूपरेखा में स्व-स्थाने तथा बाह्य-स्थाने प्रबंधन दोनों शामिल हैं।
- स्व-स्थाने फसल अवशेष प्रबंधन में सब्सिडी वाली मशीनों के उपयोग के माध्यम से धान की भूसी और पराली को मिट्टी में शामिल किया जाता है। यह कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) योजना द्वारा पूरक है।
- बाह्य-स्थाने फसल अवशेष प्रबंधन बायोमास विद्युत संयंत्रों, ताप विद्युत संयंत्रों, कम्प्रेस्ड बायो गैस संयंत्रों, 2जी एथेनॉल संयंत्रों, अपशिष्ट से ऊर्जा (WTE) संयंत्रों, इंडस्ट्रियल बॉयलर्स, पैकेजिंग पदार्थों आदि के लिए धान के भूसे का इस्तेमाल करता है।
- अतिरिक्त उपायों में पराली जलाने की निगरानी और प्रतिबंध, जागरूकता पैदा करने के अभियान आदि शामिल हैं।
- हालांकि, इन उपायों के बावजूद, पराली जलाना बेरोकटोक जारी है और यहां तक कि देश के विभिन्न हिस्सों और रबी फसलों में भी फैल रहा है।
फसल अवशेष आपूर्ति श्रृंखला परियोजना:
- 2019 में नीति आयोग ने खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization(FAO)) भारत के साथ मिलकर धान के पुआल / पराली को ऊर्जा में बदलने और ऐसे अपशिष्ट पदार्थों के स्व-स्थाने उपयोगों का पता लगाने हेतु एक प्रभावी समाधान खोजने के लिए सहयोग किया था।
- सार्वजनिक एवं निजी कंपनियों के साथ तकनीकी चर्चा के आधार पर, खाद्य और कृषि संगठन ने फसल अवशेष आपूर्ति श्रृंखला स्थापित करने का प्रस्ताव रखा। यह विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में उत्पादक सेवाओं के लिए चावल के भूसे को एकत्रित, संग्रहीत और उपयोग करेगा।
- अध्ययन ने सुझाव दिया कि पंजाब में उत्पादित चावल के भूसे का 30 प्रतिशत जुटाने, इसे इकट्ठा करने, परिवहन करने और 20 दिनों की अवधि के लिए लगभग 2,201 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता होगी। इसमें ग्रीनहाउस गैस (greenhouse gas (GHG)) उत्सर्जन को लगभग 9.7 मिलियन टन कार्बन डाई ऑक्साइड तथा लगभग 66,000 टन पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) कम करने की क्षमता है।
- इसके अलावा, किसान धान के भूसे से ₹550 और ₹1,500 प्रति टन (बाजार की स्थितियों के आधार पर) के बीच आय अर्जित कर सकते हैं ।
- इसके अलावा, ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के तकनीकी-आर्थिक मूल्यांकन के आधार पर, यह पाया गया कि चावल के भूसे से CBG और छर्रों का उत्पादन लागत प्रभावी ढंग से होता है।
- छर्रों में ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले के विकल्प के रूप में उपयोग किए जाने की क्षमता है।
- जबकि CBG का उपयोग परिवहन ईंधन के रूप में किया जा सकता है।
- सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवार्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन (Sustainable Alternative Towards Affordable Transportation (SATAT)) योजना के तहत निर्धारित पांच प्रतिशत संपीडित बायो गैस उत्पादन लक्ष्य को पंजाब में उत्पादित चावल के भूसे के 30% से पूरा किया जा सकता है।
- स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देने, किसानों की आय बढ़ाने और पराली जलाने को कम करने जैसे इसके कई लाभ हैं।
- ऐसी परियोजनाओं के लिए बरनाला, लुधियाना और संगरूर पंजाब के सबसे आशाजनक जिले हैं।
केस स्टडी:
- 2018 में, पंजाब सरकार ने कंपनी को संगरूर, पंजाब के लेहरगागा तहसील के भूतल कलां गांव में बायो-सीएनजी संयंत्र स्थापित करने की मंजूरी प्रदान की थी।यह संयंत्र सालाना उत्पादित कुल 18.32 मिलियन टन धान के भूसे में से लगभग 2.1 लाख टन का उपयोग करेगा।
- वर्तमान में, यह लगभग 16,000 हेक्टेयर धान के खेतों से उत्पादित लगभग 1 लाख टन धान के भूसे का उपयोग करेगा।
- अवशेषों को एकत्र किया जाएगा तथा प्रतिदिन 33 टन CBG और 600-650 टन किण्वित जैविक खाद / घोल का उत्पादन किया जाएगा। यह सालाना लगभग 1.5 लाख टन CO2 उत्सर्जन को कम कर सकता है।
लाभ:
- SATAT कार्यक्रम के अनुसार संपीडित बायो गैस जिसका मूल्य ₹46 प्रति किलोग्राम है, का उत्पादन किया जा सकता है।
- एक एकड़ भूमि से उत्पादित चावल के भूसे से 17,000 रुपये से अधिक का ऊर्जा उत्पादन हो सकता है। यह अनाज के मूल उत्पादन में लगभग 30 प्रतिशत का स्पष्ट जोड़ है। यह ‘अपशिष्ट से संपत्ति’ के दृष्टिकोण का एक आदर्श उदाहरण है और एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है।
- अन्य लाभ:
- CBG संयंत्र से उत्पादित जैविक खाद/स्लरी का उपयोग कम्पोस्ट के रूप में घटती हुई मिट्टी की भरपाई के लिए किया जा सकता है। यह हानिकारक रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम कर सकता है।
- इससे ग्रामीण युवाओं में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
- इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि धान के भूसे की तुलना में विभिन्न अन्य फसलों के भूसे में अधिक ऊर्जा होती है।
- सम्बंधित विषय पर अधिक जानकारी के लिए 27 अगस्त,2021 का विस्तृत समाचार विश्लेषण देखें।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन 3:
भारतीय अर्थव्यवस्था:
खराब विश्वसनीय स्तर के बावजूद समाचारों के मुख्य स्रोत के रूप में टीवी का वर्चस्व:
विषय: संचार नेटवर्क।
मुख्य परीक्षा: संचार नेटवर्क और भारत में उनका उपयोग।
संदर्भ:
- समाचार के विभिन्न स्रोतों का सर्वेक्षण।
विवरण:
- सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के लोकनीति कार्यक्रम द्वारा 2022 में ‘कोनराड एडेनॉयर स्टिफ्टंग’ (Konrad Adenauer Stiftung) के सहयोग से एक सर्वेक्षण किया गया था।
- सर्वेक्षण में उन्नीस राज्यों में समाज के सभी वर्गों (ग्रामीण-शहरी, अमीर-गरीब, युवा-बूढ़े, पुरुष-महिला, शिक्षित-गैर-साक्षर) को शामिल किया गया। यह अध्ययन 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के लगभग 7,463 नागरिकों पर किया गया था।
- भारतीय समाचार उपभोक्ता निजी टीवी समाचार चैनलों पर समाचार पत्रों की तुलना में कम भरोसा करते हैं, लेकिन टेलीविजन समाचार का प्रमुख स्रोत है।
- इसके अलावा, स्मार्टफोन के उपयोग में अनुपातहीन वृद्धि के बावजूद, उपभोक्ता निजी चैनलों की तुलना में ऑनलाइन समाचार वेबसाइटों पर कम भरोसा करते हैं।
रिपोर्ट के निष्कर्ष:
- विभिन्न स्रोतों से समाचार प्राप्त करने वाले भारतीयों का अनुपात:
- 71% उपभोक्ता न्यूज चैनल देखते हैं।
- 48% उपभोक्ता अखबार पढ़ते हैं।
- 37% उपभोक्ता वेबसाइटों पर जाते हैं।
उपभोक्ताओं के प्रमुख समाचार स्रोत:
प्रमुख समाचार स्रोत |
उपभोक्ताओं का प्रतिशत |
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टेलीविजन |
42 |
अखबार |
6 |
रेडियो |
1 |
न्यू मीडिया (इंटरनेट/सोशल मीडिया/मोबाइल फोन) |
22 |
लोग (परिवार/मित्र/अन्य) |
18 |
कहना कठिन/रुचि नहीं है |
11 |
- प्रत्येक 4 में से 3 घरों में एक टेलीविजन सेट है, 4 में से 1 दैनिक समाचार पत्र का उपयोग करता है, 13% घरों ने आवधिक पत्रिकाओं की सदस्यता ली है। इसके अलावा, 22% परिवारों के पास एक ट्रांजिस्टर है तथा लगभग 76% के पास कम से कम एक स्मार्टफोन का मालिक है।
- व्यक्तिगत स्तर पर, 26% के पास सामान्य मोबाइल फ़ोन है तथा 43% के पास स्मार्टफ़ोन है।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि 2019 में इसी तरह के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 40% के पास एक साधारण मोबाइल फोन था, जबकि 33% के पास स्मार्टफोन था।
- यह भी पाया गया कि ऑनलाइन वेबसाइट सबसे कम विश्वसनीय स्रोत हैं क्योंकि केवल 11% लोग “दृढ़ता से” उन पर भरोसा करते हैं जो निजी टीवी समाचार चैनलों के लिए 13% से भी कम है। हालांकि, 31% उत्तरदाताओं ने समाचार पत्रों पर दृढ़ता से भरोसा किया।
- लगभग 50% सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज (fake news) के प्रसार से परेशान हैं।
- यह देखा गया है कि लगभग 47% सोशल मीडिया उपयोगकर्ता कम से कम एक बार झूठी खबरों से गुमराह हुए हैं और लगभग 38% ने कम से कम एक बार गलती से ऐसी खबरें साझा की हैं।
- सोशल मीडिया और समाज पर इसके प्रभाव से सम्बंधित विषय पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Social Media And Its Impact On Society – UPSC Notes [General Studies Paper I]
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1.तमिलनाडु से चुराई गई दो मूर्तियां अमेरिका में:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
कला एवं संस्कृति:
विषय: विभिन्न कला रूपों के मुख्य पहलू।
प्रारंभिक परीक्षा: चोल कांस्य और अन्य भारतीय कांस्य मूर्तियों से सम्बंधित तथ्य।
संदर्भ:
- तमिलनाडु की अपराध अन्वेषण विभाग की प्रतिमा शाखा ने पाया है कि लगभग 50 साल पहले विश्वनाथ स्वामी मंदिर से दो चोल-युगीन कांस्य मूर्तियों को चुराकर अमेरिका ले जाया गया था।
विवरण:
Image Source: The Hindu
- प्रतिमा शाखा द्वारा बताया गया कि सोमस्कंदर की मूर्ति को वाशिंगटन डी.सी. में फ्रीर गैलरी ऑफ आर्ट में और डांसिंग सांबंदर की मूर्ति को संयुक्त राज्य अमेरिका में क्रिस्टीज नीलामी कंपनी में देखा गया हैं।
- इसकी जांच वर्ष 2017 में शुरू हुई थी जब हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (Hindu Religious and Charitable Endowments (HR&CE)) के एक अधिकारी ने शिकायत दर्ज कराई कि विश्वनाथ स्वामी मंदिर से संबंधित विष्णु, श्रीदेवी और भूदेवी की तीन प्राचीन धातु की मूर्तियां चोरी हो गई हैं।
- प्रतिमा शाखा द्वारा की गई जांच से पता चला की ये मूर्तियां लॉस एंजिल्स के काउंटी संग्रहालय में रखी हुई हैं और इसके बाद इनको पुनः प्राप्त करने के लिए कदम उठाए गए।
- इससे संबंधित आगे की जांच से पता चला कि कुछ और मौलिक मूर्तियों को भी चुरा लिया गया था और उनके स्थान पर उनकी प्रतिकृतियां रख दी गई थीं।
- इस प्रतिमा शाखा ने कैनसस सिटी में ‘नेल्सन-एटकिंस म्यूज़ियम ऑफ़ आर्ट’ में योगनरसिम्हा और गणेश की मूर्तियों का पता लगाया था। हाल ही में, सोमस्कंदर और नृत्य सांभर का भी पता लगाया गया है।
- चोल कालीन कांस्य मूर्तियों का अत्यधिक महत्व है क्योंकि वे चोलों के क्षेत्र के कला रूप और उनके समय को परिभाषित करती हैं।
- चोल कांस्य में नटराज को सबसे लोकप्रिय छवि कहा जाता है और भगवान शिव के अन्य लोकप्रिय चित्रणों में सोमस्कंद (शिव को उनकी पत्नी उमा और उनके पुत्र स्कंद के साथ एक मंच पर नृत्य करते हुए दिखाया गया है), चंद्रशेखर, गंगाधारा और अर्धनारीश्वर शामिल हैं।
- भारत की कांस्य मूर्तियों से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिए: Bronze Sculptures of India
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. चीन को भारत का निर्यात इनबाउंड शिपमेंट (inbound shipments) की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है:
- रिपोर्टों के अनुसार चीन के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों में हाल के वर्षों में सुधार हुआ है तथा चीन को होने वाले निर्यात में आयात की तुलना में तेजी से वृद्धि हुई है।
- आयात में यह वृद्धि मुख्य रूप से प्रमुख कच्चे माल के आयात के साथ साथ दूरसंचार तथा बिजली जैसे क्षेत्रों में उच्च विकास हेतु मांग को पूरा करने से प्रेरित है।
- चीन भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक है, जिसके व्यापार संबंध वित्त वर्ष 2015 के लगभग 72 बिलियन डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2022 में 115.4 बिलियन डॉलर हो गए हैं।
- इसके अलावा चीन को भारत का निर्यात वित्त वर्ष 2015 के 11.9 बिलियन डॉलर से लगभग 78.1% बढ़कर वित्त वर्ष 22 में 21.25 बिलियन डॉलर हो गया है। जबकि चीन से 94.16 बिलियन डॉलर का आयात दर्ज किया गया है जो वित्त वर्ष 2015 में 60.4 बिलियन डॉलर से लगभग 55.8% तक बढ़ गया है।
- वर्ष 2006-07 से 2013-14 के बीच चीन से आयात में 192% से अधिक की वृद्धि हुई थी।
- इसके अतिरिक्त चीन से भारत के आयात में मध्यवर्ती वस्तुओं की हिस्सेदारी 33 प्रतिशत से अधिक है, तथा पूंजीगत वस्तुओं की हिस्सेदारी 19.3% है, जिसमें दूरसंचार और बिजली क्षेत्र इसके प्रमुख चालक हैं।
- इससे भारत को इन क्षेत्रों में घरेलू मांग को पूरा करने में सहायता मिली है।
- चीन से आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं: इलेक्ट्रॉनिक घटक, कंप्यूटर हार्डवेयर, दूरसंचार उपकरण, जैविक रसायन, औद्योगिक मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, थोक दवाएं और मध्यवर्ती वस्तुऐं।
- विभिन्न क्षेत्रों के लिए घोषित विभिन्न उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन ( production-linked incentive (PLI) schemes ) योजनाओं से समय के साथ चीन से आयात पर निर्भरता कम होने की अपेक्षा है तथा लागू किए गए नियम चीन से घटिया आयात पर रोक लगाएंगे।
2.सुनक के ब्रिटिश PM बनने के बाद भारत-यूके संबंधों पर फोकस होगा:
- जैसे ही ऋषि सुनक ब्रिटेन के (भारतीय मूल के प्रथम व्यक्ति) प्रधान मंत्री बने हैं, यूनाइटेड किंगडम के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों में दोतरफा आदान-प्रदान बढ़ने की उम्मीद है।
- भारत-यू.के. के लिए ऋषि सुनक के दृष्टिकोण में अब द्विपक्षीय संबंध ब्रिटेन के लिए भारत में चीजें बेचने के अवसर से आगे निकल गए हैं,लेकिन वे यह भी चाहते है कि ब्रिटेन भारत से इस दिशा में कुछ सीखे।
- ऋषि सुनक ने पहले कहा था कि भारत में बहुत अधिक अवसर मौजूद हैं और वह ब्रिटेन में लोगों के लिए भारत जाना, विश्व स्तरीय संस्थानों में अध्ययन करना या भारत के अद्भुत स्टार्ट-अप में काम करना आसान बनाना चाहते हैं।
- उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों वाले मॉडल में भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर काम करने वाली ब्रिटिश कंपनियों के बारे में भी बात की है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर- मध्यम)
- यह एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम, 1969 के आधार पर गठित एक वैधानिक निकाय है।
- आयोग में एक अध्यक्ष तथा कम से कम दो और अधिकतम छह सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती हैं।
- CCI द्वारा पारित आदेश अंतिम और बाध्यकारी हैं और इन्हें चुनौती नहीं दी जा सकती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 3
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 के प्रावधानों के तहत वर्ष 2003 में स्थापित एक वैधानिक निकाय है (जो वर्ष 2009 तक पूरी तरह कार्यात्मक हो गया था)।
- कथन 2 सही है:एक अध्यक्ष और 6 सदस्यों के साथ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग पूरी तरह से कार्यात्मक है। जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती हैं।
- कथन 3 सही नहीं है: CCI द्वारा पारित आदेश अंतिम नहीं हैं और इसे राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (National Company Law Appellate Tribunal (NCLAT)) में चुनौती दी जा सकती है।
प्रश्न 2. इसरो के प्रक्षेपण यान मार्क-3 (LMV3) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर- मध्यम)
- हाल ही में इसके द्वारा किसी भारतीय प्रक्षेपण यान द्वारा अंतरिक्ष में अब तक के सबसे भारी पेलोड को वहन किया गया है।
- यह पहले चरण में ठोस ईंधन, दूसरे चरण में तरल ईंधन और ऊपरी चरणों में क्रायोजेनिक ईंधन का उपयोग करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) दोनों कथन
(d) दोनों कथनों में से कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: इसरो के लॉन्च व्हीकल मार्क -3 (LMV3) ने हाल ही में किसी भारतीय प्रक्षेपण यान द्वारा अंतरिक्ष में ले जाए गए अब तक के सबसे भारी पेलोड (5,796 किग्रा) को वहन किया है।
- कथन 2 सही है: LMV3 पहले चरण में ठोस ईंधन, दूसरे चरण में तरल ईंधन और ऊपरी चरणों में क्रायोजेनिक ईंधन का उपयोग करता है।
प्रश्न 3. अफ्रीका के निम्नलिखित में से कौन से देश स्थलबद्ध (land locked) हैं? (स्तर- कठिन)
- इथियोपिया
- रवांडा
- दक्षिण सूडान
- नाइजर
- युगांडा
- जिम्बाब्वे
विकल्प:
(a) केवल 1,3,5 और 6
(b) केवल 1,2,4 और 5
(c) केवल 2,4 और 6
(d) 1,2,3,4,5 और 6
उत्तर: d
व्याख्या:
प्रश्न 4. ममनी फूड फेस्टिवल और एप्रीकॉट ब्लॉसम फेस्टिवल निम्नलिखित में से किस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश से संबंधित है? (स्तर- कठिन)
(a) लद्दाख
(b) जम्मू और कश्मीर
(c) नगालैंड
(d) हिमाचल प्रदेश
उत्तर: a
व्याख्या:
- ममनी फूड फेस्टिवल और एप्रीकॉट ब्लॉसम फेस्टिवल लद्दाख से सम्बंधित हैं।
प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर- कठिन)
- संत निम्बार्क अकबर के समकालीन थे।
- संत कबीर शेख अहमद सरहिंदी से बहुत प्रभावित थे।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: संत निम्बार्क अकबर के समकालीन नहीं थे। संत निम्बार्क 13 वीं या 14 वीं शताब्दी के समकालिक थे जबकि अकबर ने 16वीं शताब्दी में शासन किया था।
- कथन 2 सही नहीं है: संत कबीर रामानंद के शिष्य थे। वह निर्गुण भक्ति के अनुयायी थे और 15वीं शताब्दी के समकालिक थे।
- शेख अहमद सरहिंदी 16वीं शताब्दी के दौरान रहने वाले नक्शबंदी सिलसिला के इस्लामी विद्वान थे।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. संपीड़ित बायो-गैस क्या है? भारत में ऊर्जा संकट और प्रदूषण की समस्याओं को कम करने के लिए इसका उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है? (250 शब्द, 15 अंक) (जीएस III – पर्यावरण)
प्रश्न 2.यूनेस्को 1970 कन्वेंशन क्या है? हमारी विरासत के संरक्षण में इसकी भूमिका पर चर्चा कीजिए। (150 शब्द, 10 अंक) (जीएस I – कला एवं संस्कृति)