29 मई 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: समाज
B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: सुरक्षा:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अर्थव्यवस्था:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सुरक्षा:
दोहरी चुनौती भारत की समुद्री भूमिका में बाधक
विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।
मुख्य परीक्षा: भारत की समुद्री क्षमताओं से जुड़ी चुनौतियां और भावी कदम ।
प्रसंग
इस आलेख में उन चुनौतियों की चर्चा की गई है जिससे समुद्री सुरक्षा और निगरानी में क्षमता का विस्तार करने की भारत की क्षमता सीमित हो गई है।
पृष्ठभूमि
- हाल ही में क्वाड ग्रुपिंग (भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका) ने इस क्षेत्र में सूचना साझा करने और समुद्री निगरानी के उद्देश्य से इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस (MDA) पहल का प्रस्ताव रखा है।
- इंडो-पैसिफिक MDA पहल को क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ मानवीय और प्राकृतिक आपदाओं के समय तत्काल प्रतिउत्तर देने और अवैध मत्स्यन से निपटने के लिए डिज़ाइन किया गया है
- इंडो-पैसिफिक MDA पहल इंडो-पैसिफिक देशों और हिंद महासागर, दक्षिण पूर्व एशिया व प्रशांत द्वीपों में क्षेत्रीय सूचना संलयन केंद्रों के परामर्श से काम करेगी तथा स्थिरता एवं समृद्धि को बढ़ावा देने वाले बेहतर समुद्री डोमेन जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण का विस्तार करेगी।
- IPMDA पहल की योजना में भागीदारों के जल क्षेत्र में रीयल टाइम गतिविधियों का एक तेज, व्यापक और अधिक सटीक समुद्री परिदृश्य बनाने तथा हिंद-प्रशांत में तीन प्रमुख क्षेत्रों अर्थात प्रशांत द्वीप समूह, दक्षिण पूर्व एशिया और IOR को एकीकृत करना है।
- IPMDA, क्वाड के “ठोस परिणामों की दिशा में संयुक्त प्रयासों को उत्प्रेरित करने” के दृष्टिकोण के अनुरूप है जो इस क्षेत्र को अधिक स्थिर और समृद्ध बनाने में मदद करता है।
- साथ ही, भारतीय नौसेना के सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR) में अंतर्राष्ट्रीय संपर्क अधिकारियों (ILO) की नियुक्ति करने के लिए विभिन्न देशों की रुचि में वृद्धि हुई है।
सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र (IFC-IOR)
अंतर्राष्ट्रीय संपर्क अधिकारी (ILO)
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दोहरी चुनौतियाँ जो भारत की समुद्री भूमिका को आगे बढ़ाने में बाधक हैं
- बुनियादी ढांचे की कमी
- IFC-IOR में ILO को तैनात करने के प्रति अन्य देशों की बढ़ती रुचि के बावजूद, केंद्र बुनियादी ढांचे की कमी के कारण उन्हें शामिल करने में असमर्थ है।
- विस्तार के लिए रक्षा मंत्रालय से मंजूरी दो साल से लंबित है।
- अन्य केंद्रों पर भारतीय ILO को तैनात करने में देरी
- भारतीय संपर्क अधिकारियों को अन्य देशों में अन्य सुविधाओं पर तैनात करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, लेकिन ऐसी पोस्टिंग में वर्तमान में देरी हो रही है।
- मेडागास्कर में क्षेत्रीय समुद्री सूचना संलयन केंद्र (RMIFC), सेशेल्स में क्षेत्रीय समन्वय संचालन केंद्र और अबू धाबी में स्ट्रेट ऑफ होर्मुज (EMASOH) में यूरोपीय नेतृत्व वाले मिशन में भारतीय नौसेना के संपर्क अधिकारी को तैनात करने का प्रस्ताव लंबे समय से लंबित है। .
इन चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता
- इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते नौसैनिक प्रभाव को देखते हुए QUAD देशों और अन्य तटवर्ती देशों के बीच MDA के लिए सूचना साझा करने का क्षेत्र काफी बढ़ गया है।
- ILO की नियुक्ति महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि ये स्थानीय विशेषज्ञता को लाते हैं और अपने घरेलू देशों में अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग को बढ़ाने में मदद करते हैं।
- यह महत्वपूर्ण है कि पड़ोस के राष्ट्र भारत के सूचना साझाकरण ढांचे में शामिल हों क्योंकि इससे भारत के रणनीतिक प्रभाव में वृद्धि होती है और दुनिया यह देखती है कि ये राष्ट्र अपनी सुरक्षा जरूरतों के लिए भारत के साथ जुड़ रहे हैं।
- अन्य IFC के साथ IFC-IOR के संबंधों में समग्र सुधार अंततः IFC-IOR को IOR में सभी समुद्री सूचनाओं के लिए डेटाबेस बनने में सहायक होगा।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
समाज:
यूएन-हैबिटेट ने गुलाबी शहर के लिए योजना तैयार की
विषय:शहरीकरण, उनकी समस्याएं और उनके रक्षोपाय।
प्रारंभिक परीक्षा: यूएन-हैबिटेट के बारे में
मुख्य परीक्षा: तीव्र शहरीकरण और विभिन्न सिफारिशों से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ
प्रसंग
- यूएन-हैबिटेट ने जयपुर शहर से जुड़े मुद्दों की पहचान की है और शहर में सतत विकास के लिए एक योजना तैयार की है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावास(UN-Habitat)
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विवरण
- यूएन-हैबिटेट ने जयपुर की समस्याओं के रूप में बहु-जोखिम सुभेद्यता, शहरी विस्तार, कमजोर शहरी परिवहन और ग्रीन-ब्लू डिस्कनेक्ट की पहचान की है।
- यूएन-हैबिटेट के ये निष्कर्ष सतत शहरों के एकीकृत दृष्टिकोण पायलट परियोजना पर आधारित है। जयपुर विकास प्राधिकरण और जयपुर ग्रेटर नगर निगम के साथ साझेदारी में एक “टिकाऊ शहरी नियोजन और प्रबंधन” घटक लागू किया गया था।
- इस परियोजना को भारतीय शहरों की कार्बन पृथक्करण क्षमता का अनुमान लगाने के लिए वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF-6) से वित्त प्राप्त हुआ है।
परियोजना के निष्कर्ष
- जयपुर को 131 मापदंडों में से 87 मापदंडों पर एकत्र की गई जानकारी के आधार पर शहरी स्थिरता आकलन फ्रेमवर्क (USAF) पर तीन अंक की समग्र स्थिरता रेटिंग मिली।
- विशेषज्ञों ने शहरी क्षेत्रों की ओर इशारा किया है जिन पर अधिकतम ध्यान देने की आवश्यकता है।
- जयपुर में शहरी प्रसार को नियंत्रित करना प्रमुख चुनौती है तथा यूएन-हैबिटेट ने मौजूदा शहरी क्षेत्रों के पुनर्विकास और पुन: घनत्व के साथ एक कॉम्पैक्ट शहर के विचार पर जोर दिया है।
- बसों की कम संख्या और खराब मार्ग विवरण के साथ, जयपुर में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली कमजोर है।
- जयपुर में गर्मियों के दौरान सूखे के चरम स्तर के साथ शहरी बाढ़ भी देखी गई है।
- जयपुर के नव विकसित क्षेत्रों में हरित आवरण का अभाव है जिसके परिणामस्वरूप शहरी ताप प्रभाव हुआ है एवं परिणामतः जैव विविधता की हानि हुई है।
सिफारिश
- विशेषज्ञों ने हरित आवरण को बढ़ने वाले उपायों की सिफारिश की है, जो शहरी जैव विविधता को मजबूत करते हैं और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं।
- शहरी विस्तार की चुनौतियों का समाधान करने के लिए, यूएन-हैबिटेट ने मौजूदा शहरी क्षेत्रों के पुनर्विकास और पुन: घनत्व के साथ एक कॉम्पैक्ट शहर के विचार पर जोर दिया है।
- विशेषज्ञों ने यह भी सिफारिश की कि मुख्य शहर से दूरी को नागरिकों पर लगाए गए विकास शुल्क से संबद्ध करने को शहर के बाहरी इलाके में विकास को रोकने के लिए एक अप्रत्यक्ष उपाय माना जा सकता है।
- सार्वजनिक परिवहन की स्थिति में सुधार हेतु, परिवहन के विभिन्न साधनों के लिए किराया एकीकरण और गैर-मोटर चालित परिवहन बुनियादी ढांचे को बढ़ाने से आवागमन सुविधाजनक होगा, तथा यातायात और वाहन उत्सर्जन में कमी आएगी।
- जयपुर के 800 सूखे कुओं का उपयोग वर्षा जल संचयन और जल स्तर बढ़ाने, शहरी बाढ़ को कम करने और जल संसाधनों के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है।
- शहर में प्राकृतिक जल निकासी चैनलों और रेलवे पटरियों के साथ वृक्षारोपण की सिफारिश की गई है।
- टूरिज्म एंड वाइल्ड लाइफ सोसायटी ऑफ इंडिया (TWSI) के विशेषज्ञों ने कहा कि शहरी विकास प्राधिकरणों को प्रत्येक शहरी परिसर में प्रत्येक दिन उत्पादित ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का मापन करना चाहिए और उसके अनुसार हरित आवरण की योजना बनाई जानीचाहिए व पौधों की प्रजातियों का चयन भी अत्यंत सावधानी के साथ होना चाहिए। ज्ञात हो कि स्वदेशी, चौड़ी पत्ती वाले और गहरी जड़ वाले पेड़ अधिक छाया और ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं।
सारांश: चूंकि भारत के अधिकांश क्षेत्रों में शहरीकरण तीव्र गति से हो रहा है इसलिए सरकार और शहरी विकास प्राधिकरणों को सभी स्तरों पर इन शहरों में स्थिरता प्राप्त करने पर ध्यान देना चाहिए।
संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
अर्थव्यवस्था
मूल्य वृद्धि और जीएसटी
विषय: योजना, वृद्धि, विकास से संबंधित मुद्दे
प्रारंभिक परीक्षा: जीएसटी, जीएसटी परिषद
मुख्य परीक्षा: केंद्र-राज्य संबंधों को मजबूत करने और कर आधिक्य को बनाए रखने में जीएसटी की भूमिका।
प्रसंग: इस आलेख में वस्तु एवं सेवा कर की दरों में संशोधन की आवश्यकता और कर अंतर्प्रवाह पर मूल्य वृद्धि के प्रभाव का गहन विश्लेषण किया गया है।
एक अवलोकन:
- वस्तु एवं सेवा कर को एक राष्ट्र, एक कर के आदर्श वाक्य के साथ वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति पर लगाए गए अप्रत्यक्ष कर के रूप में पेश किया गया था।
- धीरे-धीरे, जीएसटी की स्थिरता और संरचना पर सवाल उठने लगे, जिस पर उच्चतम न्यायालय ने हस्तक्षेप किया।
- इसके अलावा, जीएसटी परिषद के वास्तविक अधिकार क्षेत्र पर स्पष्टता नहीं है।
- न्यायालय ने फैसला सुनाया कि जीएसटी परिषद द्वारा लिए गए निर्णय प्रेरक मूल्यों के साथ सिफारिशें हैं और बाध्यकारी नहीं हैं।
- संरचनात्मक विसंगतियों के कारण विभिन्न उत्पादों पर लगाए गए जटिल करों के मुद्दों को हल करने और कई कर स्लैब को कम करने के लिए जीएसटी व्यवस्था में संशोधन करने पर चर्चा हुई।
- जीएसटी परिषद को एक रोडमैप प्रस्तुत करने तथा लघु और दीर्घ अवधि में जीएसटी दर संरचना में बदलाव का सुझाव देने का काम सौंपा गया था।
मौजूदा जीएसटी संरचना के बारे में चिंताएं:
- मौजूदा जीएसटी संरचना में शून्य, 5%, 12%, 18% और 28% की पांच व्यापक कर दरें शामिल हैं तथा कुछ अनीतिकर वस्तुओं (सिन गुड्स) पर 28% से अधिक उपकर लगाया जाता है।
- अनीतिकर (Sin) वस्तुएं वे हैं जो समाज को नुकसान पहुंचाती हैं और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को खराब करती हैं।
- शराब, तंबाकू, कैंडी, ड्रग्स, शीतल पेय, कॉफी, चीनी, फास्ट फूड, आदि जैसे वस्तुओं को अनीतिकर वस्तुओं के तहत वर्गीकृत किया गया है।
- सिगरेट, पान मसाला और वातित पेय जैसी कुछ अनीतिकर वस्तुओं पर उपकर लागू करने की प्रवृत्ति होती है।
- कई कर दरें कर व्यवस्था की जटिलता को बढ़ाती हैं तथा अंतिम उत्पाद की तुलना में कुछ इनपुट पर कर लगाने के साथ उनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं के माध्यम से शुल्क संरचना में बदलाव के साथ मिश्रित होती हैं।
- ऐसी रिपोर्टें थीं जिनमें जीएसटी राजस्व में वृद्धि देखी गई थी, जिसे कर चोरों पर लगाए गए नियमों को सख्त करने के लिए किए गए उपायों के कारण सरकार द्वारा रिकवरी का संकेत कहा गया था। हालांकि, जीएसटी राजस्व के रिकॉर्ड तोड़ संग्रह के लिए एक और कारक है जो अनियंत्रित मूल्य वृद्धि है।
- थोक मूल्य मुद्रास्फीति, जो उत्पादकों की लागत को कैप्चर करती है, एक वर्ष के लिए 10% से अधिक रही है और 15.1% पर चरम पर है।
- उपभोक्ताओं द्वारा सामना की जाने वाली मुद्रास्फीति में वृद्धि आठ साल के उच्च स्तर 7.8% पर रही है।
- सरकार ने कहा था कि नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली 15.5% की राजस्व-तटस्थ कर दर पर आधारित थी, लेकिन वास्तविक राजस्व एकाएक कम हो गया और प्रभावी कर दर 11.6% हो गई।
- परिषद द्वारा अनुमोदित अनियमित दरों में कटौती ने राजस्व संग्रह को प्रभावित किया।
सुझाव :
- सरकार को देश में प्रभावी कर सुधार लाने के लिए अपनी नीतियों का परीक्षण करना चाहिए जो आर्थिक विकास में योगदान देगा।
- ऐसी उम्मीद की जाती है कि सरकार अनुपालन को बढ़ावा देने की उम्मीद में कर ढांचे को सरल बनाने के अलावा अधिक राजस्व एकत्र करने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करेगी।
- राज्यों को सुनिश्चित मुआवजे की अवधि समाप्त होने के बाद राज्यों का वास्तविक वित्तीय स्थान निर्धारित किया जाएगा। मंत्रियों के समूह (GoM) के दो समूह होंगे जिनके कार्य अग्रलिखित होंगे:
- कर अनुपालन में सुधार के लिए उपलब्ध अधिक योजनाओं और प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करना।
- विसंगतियों को दूर करने हेतु कर दरों को युक्तिसंगत बनाना और विभिन्न कर स्लैबों के विलय पर विचार करना।
- विशेषज्ञों ने जोर दिया कि उच्च जीएसटी राजस्व खपत में वृद्धि के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए, जिसके पूर्व-महामारी स्तर से 2% अधिक होने की सूचना है।
- यह आगे स्पष्ट किया गया है कि वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि ने उच्च कर प्रवाह के साथ-साथ उच्च आयात, अनुपालन में बदलाव तथा वस्तुओं एवं सेवाओं की खपत में एक वरदान के रूप में एकल सबसे महत्वपूर्ण कारक के रूप में कार्य किया।
- जीएसटी व्यवस्था के युक्तिकरण की प्रक्रिया में कई कारकों पर विचार करना होगा जैसे उच्च राजस्व संग्रह के लिए उच्च जीएसटी दरों को बनाए रखना अनिवार्य हो जाता है।
- जीएसटी दरों के किसी भी तरह के विलय से कुछ उत्पादों पर उच्च कर लग सकता है जिसके परिणामस्वरूप कीमतों पर लघु प्रभाव पड़ता है।
- यही कारण है कि टैक्स स्लैब और संरचना को युक्तिसंगत बनाने के लिए उचित समय की पहचान करने की आवश्यकता है।
- मुद्रास्फीति का मुद्दा एक बड़ी बाधा है जिसे परिषद को संबोधित करने और निपटने की जरूरत है।
- महामारी के बाद में निहित बृहत्-स्तरीय मजबूरियां हैं, और यूक्रेन के रूसी आक्रमण के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, जिसके लिए वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें उच्च रहने का अनुमान है।
- यह स्पष्ट है कि सरल जीएसटी व्यवस्था को लागू करने में अधिक समय लगेगा।
सारांश: उच्च कर प्रवाह के अनुरक्षण में वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य वृद्धि के महत्व को ध्यान में रखते हुए, यह अनिवार्य है कि एक सरल और तर्कसंगत जीएसटी व्यवस्था की शुरुआत एक समय लेने वाली प्रक्रिया होगी।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
क्या इंडो-पैसिफिक ब्लॉक का दायरा सीमित है?
विषय: भारत से जुड़े क्षेत्रीय समूह और समझौते
प्रारंभिक परीक्षा: इंडो-पैसिफिक रीजन, IPEF
मुख्य परीक्षा: इंडो-पैसिफिक में व्यापार संबंधों को मजबूत करने के लिए इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क का महत्व।
प्रसंग: टोक्यो में आयोजित क्वाड सम्मेलन के दौरान अमेरिका द्वारा एक नई व्यापार पहल के रूप में इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) की शुरुआत की गई थी।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- IPEF में भारत सहित 13 प्रतिभागी देश शामिल थे।
- इसकी परिणति भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक नए आर्थिक ब्लॉक की शुरुआत के रूप में हुई।
- IPEF में ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, भारत, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम शामिल है।
- विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में इस समूह की हिस्सेदारी 40% है।
- IPEF के लांच के साथ कुछ संदेह भी जुड़े हुए है जो व्यापार सौदे की भूमिकाओं, जिम्मेदारियों और कार्यों पर प्रश्न खड़े करते हैं।
- अधिकारियों के मुताबिक IPEF कोई पारंपरिक व्यापार समझौता नहीं है।
इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF)
- यह व्यापार समझौता बाइडेन प्रशासन द्वारा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में देशों को एक साथ लाने और वैकल्पिक व्यापार व्यवस्था बनाने का एक प्रयास है।
- यह फ्रेमवर्क जुड़ी हुई अर्थव्यवस्था, लचीली अर्थव्यवस्था, स्वच्छ अर्थव्यवस्था और एक निष्पक्ष अर्थव्यवस्था के वैचारिक आधार पर आधारित है। ये IPEF के चार स्तंभ हैं।
- IPEF का उद्देश्य सदस्यों के लिए अधिक बाजार पहुंच के बिना व्यापार की सुविधा के लिए मानकीकृत मानदंड स्थापित करना है।
- इसमें टैरिफ को कम करने पर बातचीत नहीं होगी।
- यह सदस्यों को IPEF के केवल वांछित स्तंभों में शामिल होने के लिए चुनने और अपनाने की अनुमति देगा।
अमेरिका के हित:
- IPEF अमेरिका के दशक पुराने पाइवोट टू एशिया कार्यक्रम का एक अंश है।
- इस कदम के माध्यम से भारत-प्रशांत को एक भौगोलिक क्षेत्र के रूप में परिकल्पित किया है जिसमें अमेरिका भी शामिल है।
- इसे इंडो-पैसिफिक के व्यापार प्रशासन में अमेरिका के प्रवेश की सीढ़ी के रूप में देखा जा रहा है।
- IPEF में भारत और आसियान के सात देशों के साथ-साथ एशिया के बड़े व्यापार ब्लॉक, RCEP (क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी) के प्रमुख देश शामिल होंगे। यह व्यापार के एशियाई क्षेत्र में अमेरिका की बढ़ती भूमिका का उदाहरण है।
- IPEF अमेरिका के एशियाई दृष्टिकोण और आक्रामक चीन से निपटने के उसके एजेंडे का प्रमाण है।
भारत के लिए भावी कदम:
- IPEF में भारत की भागीदारी से एशियाई व्यापार व्यवस्थाओं में इसकी स्थिति बनी हुई है।
- IPEF में भाग लेने के लिए अपने समझौते का विस्तार करके, भारत ने खुले तौर पर उसके संरक्षणवादी होने की आलोचना को समाप्त कर दिया है।
- जैसा कि भारत की विदेश नीति में वैध लचीलेपन को अपनाया जा रहा है, इसलिए यह व्यापार सौदों को पूरा करने के लिए द्विपक्षीय व्यापार समझौतों में शामिल होकर अपने व्यापार नेटवर्क का विस्तार करने के लिए खुला है। जैसा कि संयुक्त अरब अमीरात के साथ पहले व्यापार समझौता तथा यूके, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौतों को पूरा करने के लिए इसके सक्रिय प्रयास।
- बहुपक्षवाद की भावना के साथ व्यापार संबंधों का विस्तार, अन्वेषण और नवाचार हेतु IPEF में शामिल होना भारत की ओर से एक और महत्वपूर्ण पहल है।
- IPEF एशियाई व्यापार पर चीन के आभासी नियंत्रण से निपटने के लिए भारत के मार्ग को और भी विस्तृत करेगा।
- इसलिए, यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि भारत दक्षिण एशिया का एकमात्र देश है जिसे इस समूह में आमंत्रित किया गया है और IPEF में इसकी सदस्यता के विस्तार की काफी अधिक संभावना है।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए 24 मई 2022 के विस्तृत समाचार विश्लेषण का अध्ययन कीजिए।
सारांश: इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क और एशिया में प्रमुख मौजूदा व्यापार समझौतों के बीच अंतर का विश्लेषण करने के साथ-साथ एक स्वतंत्र, निष्पक्ष, खुले और एक लचीला इंडो-पैसिफिक मानदंडों के संरेखण में नवीन व्यापार समझौतों की प्रभावशीलता का गहन परीक्षण परम आवश्यक हो जाता है।
प्रीलिम्स तथ्य:
- कोकोलिथ जीवाश्म
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
प्रारंभिक परीक्षा: कोकोलिथ के बारे में
प्रसंग
- वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक विशिष्ट प्रकार के जीवाश्म की खोज की है जो कि कोकोलिथोफोरस नामक एकल-कोशिका वाले प्लवक के सूक्ष्म छाप हैं।
विवरण
- पिछली ग्लोबल वार्मिंग घटनाओं से कोकोलिथ जीवाश्मों की उपस्थिति में गिरावट को दर्ज किया गया है, जो दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन और समुद्र के अम्लीकरण के कारण ये प्लवक प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए थे।
- हालांकि, हाल के अध्ययनों में तीन जुरासिक और क्रेटेशियस वार्मिंग घटनाओं (94, 120 और 183 मिलियन वर्ष पूर्व) से प्रचुर मात्रा में घोस्ट जीवाश्म प्राप्त हुए हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि कोकोलिथोफोर जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक लोचशील थे।
- कोकोलिथ की मृत्यु के बाद, उनके कैल्केरियस एक्सोस्केलेटन समुद्र तल पर गिर गए और बड़ी संख्या में जमा होकर चाक जैसी चट्टानें निर्मित हुई। कीचड़ के जमाव से कोकोलिथ प्लेटो पर दबाव बढ़ा तथा कठोर कोकोलिथ इन पराग, बीजाणुओं और अन्य मृदु कार्बनिक पदार्थों की सतहों में दब गए थे।
- बाद में, चट्टान में मौजूद अम्लीय जल से कोकोलिथ घुल गया और केवल उनके छाप बच गए जिन्हें “घोस्ट” माना जाता है।
कोकोलिथोफोरस
- कोकोलिथोफोरस एकल-कोशिका वाले, यूकेरियोटिक समुद्री पौधे या फाइटोप्लांकटन हैं।
- कोकोलिथोफोरस के ऊपर चूना पत्थर (कैल्साइट) से निर्मित एक सूक्ष्म परत होती हैं।
- सूक्ष्म जीव होने के बावजूद, कोकोलिथोफोरस समुद्र में प्रचुर मात्रा में मौजूद हो सकता है जो अंतरिक्ष से बादल की तरह प्रस्फुटन के रूप में दिखाई देता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- ओडिशा में लिंग चयन का मामला
- भ्रूण के लिंग निर्धारण में शामिल होने के आरोप में ओडिशा में 13 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था।
- उन पर प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या के आरोप में कार्रवाई की जाएगी।
- भारत में प्री-कॉन्सेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स एक्ट 1994 के तहत प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- देश के ‘सबसे बड़े’ स्वर्ण भंडार की खोज को अधिकृत करेगा बिहार
- बिहार सरकार ने जमुई जिले में “भारत के सबसे बड़े” स्वर्ण भंडार की खोज की अनुमति देने का निर्णय लिया है।
- भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 222.88 मिलियन टन स्वर्ण का भंडार (जो देश के कुल सोने के भंडार का लगभग 44% है), जिसमें 37.6 टन खनिज युक्त अयस्क शामिल हैं, इस जिले में पाया गया है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. नैनो यूरिया के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- स्वदेशी रूप से विकसित, यह भारत में किसानों के उपयोग के लिए अनुमोदित होने वाला पहला ऐसा उत्पाद है।
- पाउडर के रूप में आने वाली इस खाद का प्रयोग पौधों के जड़ के आस-पास जमीन पर किया जाता है।
- इसी तरह के नैनो उर्वरक अन्य प्रायः उपयोग किए जाने वाले फॉस्फेट और पोटाश-आधारित उर्वरकों के लिए उपलब्ध हैं।
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 1
- केवल 2 और 3
- केवल 2
उत्तर:
विकल्प b
व्याख्या:
- कथन 1 सही है, नैनो यूरिया का विकास इफको (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड) द्वारा किया गया है और यह किसानों द्वारा उपयोग के लिए अनुमोदित विश्व का पहला नैनो यूरिया लिक्विड होगा।
- कथन 2 सही नहीं है, नैनो यूरिया तरल के रूप में आता है और इसका छिड़काव पत्तियों पर किया जाता है, जो रंध्रों और अन्य छिद्रों के माध्यम से अंदर प्रवेश करता है एवं पौधों की कोशिकाओं द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है।
- कथन 3 सही नहीं है, नैनो उर्वरक वर्तमान में अमोनियम ह्यूमेट, अमोनिया, यूरिया, पीट, पौधों के कचरे और अन्य सिंथेटिक उर्वरकों से बनाए जाते हैं।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से किस व्यक्तित्व ने सबसे पहले “इंकलाब जिंदाबाद” (लॉन्ग लाइव रिवॉल्यूशन) के नारे का प्रयोग किया था?
- अशफाक उल्ला खान
- भगत सिंह
- हसरत मोहानी
- रामप्रसाद बिस्मिल
उत्तर:
विकल्प c
व्याख्या:
- मौलाना हसरत मोहानी ने 1921 में “इंकलाब जिंदाबाद” का अनुवाद “लॉन्ग लाइव रिवॉल्यूशन” के रूप में किया था।
- यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान के सबसे प्रसिद्ध नारों में से एक था।
- भगत सिंह और उनके सहयोगी बी.के. दत्त ने यह लोकप्रिय नारा अप्रैल 1929 में केंद्रीय विधान सभा दिल्ली में बमबारी के बाद दिया था।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन सा प्रशांत द्वीप, देशांतरीय स्थिति के आधार पर भारत के सबसे निकट स्थित है?
- समोआ
- सोलोमन द्वीप
- हवाई
- फ़िजी
उत्तर:
विकल्प b
व्याख्या:
स्त्रोत: Encyclopedia Britannica
प्रश्न 4. वी.डी. सावरकर के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- वी.डी. सावरकर ने 1937 से 1943 तक हिंदू महासभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया तथा अभिनव भारत सोसाइटी एवं लंदन में इंडिया हाउस की स्थापना की थी।
- वी.डी. सावरकर के मुख्य साहित्यिक कार्यों में से एक “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास” है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर:
विकल्प b
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है, वी.डी. सावरकर ने 1937 से 1943 तक हिंदू महासभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और उन्होंने 1904 में अपने भाई गणेश दामोदर सावरकर के साथ मिलकर अभिनव भारत सोसाइटी की स्थापना की।
- लंदन में इंडिया हाउस की स्थापना श्यामजी कृष्ण वर्मा ने की थी
- कथन 2 सही है, वी.डी. सावरकर ने “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास” पुस्तक लिखी, जिसमें 1857 के विद्रोह का वर्णन किया गया था।
प्रश्न 5. निम्नलिखित पर विचार कीजिएः
- कार्बन मोनोऑक्साइड
- मीथेन
- ओजोन
- सल्फर डाइऑक्साइड
फसल/बायोमास के अवशेषों के दहन के कारण वायुमंडल में उपर्युक्त में से कौन-से निर्मुक्त होते हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2, 3 और 4
- केवल 1 और 4
- 1, 2, 3 और 4
उत्तर:
विकल्प d
व्याख्या:
फसल/बायोमास अवशेषों के दहन से सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NOx), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), ब्लैक कार्बन (BC), कार्बनिक कार्बन (OC), मीथेन (CH4), वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC), गैर-मीथेन हाइड्रोकार्बन (NMHCs), ओजोन (O3), एरोसोल, आदि जैसी गैसें निकलती हैं।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- वस्तु एवं सेवा कर (GST) की सफलता का मूल्यांकन कीजिए तथा इस बात का परीक्षण कीजिए कि क्या सरकार को भारत के वस्तु एवं सेवा कर के पुनर्गठन की आवश्यकता है?
(10 अंक, 150 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र III – अर्थव्यवस्था)
- एशिया में पहले से ही प्रमुख व्यापार समझौते होने के साथ इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रोस्पेरिटी (IPEF) किस प्रकार भिन्न है?
(10 अंक, 150 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र III – अर्थव्यवस्था)
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