यूपीएससी परीक्षा के वैकल्पिक विषय सूची में कुल 48 विषय सम्मिलित हैं, जिनमें से एक इतिहास है। यूपीएससी परीक्षा के लिए इतिहास विषय का पाठ्यक्रम उम्मीदवारों द्वारा इतिहास का अध्ययन करने के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीकों और कालानुक्रमिक घटनाओं के उनके ज्ञान को समझने की क्षमता पर केंद्रित है। आईएएस परीक्षा के मुख्य चरण में, यह सामान्य अध्ययन पेपर 1 का भी हिस्सा है।
सिविल सेवा परीक्षा 2022 के लिए वैकल्पिक विषय इतिहास का पाठ्यक्रम वही है जो 2021 में था। वर्तमान आईएएस परीक्षा में इतिहास विषय के पाठ्यक्रम के साथ अपडेट रहने के लिए यूपीएससी अधिसूचना की जांच करें।
इतिहास वैकल्पिक विषय पाठ्यक्रम – प्रश्न पत्र-1
1. स्रोत :
- पुरातात्विक स्रोत :
- अन्वेषण, उत्खनन, पुरालेखविद्या, मुद्राशास्त्र, स्मारक
- साहित्यिक स्रोत :
- स्वदेशी प्राथमिक एवं द्वितीयक; कविता, विज्ञान साहित्य, : साहित्य, क्षेत्रीय भाषाओं का साहित्य, धार्मिक साहित्य | विदेशी वर्णन : यूनानी, चीनी एवं अरब लेखक
2. प्रागैतिहास एवं आद्य इतिहास :
- भौगोलिक कारक। शिकार एवं संग्रहण (पुरापाषाण एवं मध्यपाषाण युग) ; कृषि का आरंभ (नवपाषाण एवं ताम्रपाषाण युग) ।
3. सिंधु घाटी सभ्यता : उद्म, काल, विस्तार, विशेषताएं, पतन, अस्तित्व एवं महत्व, कला एवं स्थापत्य ।
4. महापाषाणयुगीन संस्कृतियां : सिंधु से बाहर पशुचारण एवं कृषि संस्कृतियों का विस्तार, सामुदायिक जीवन का विकास, बस्तियां, कृषि का विकास, शिल्पकर्म, मृदभांड एवं लोह उद्योग ।
5. आर्य एवं वैदिक काल :
- भारत में आर्यों का प्रसार । वैदिक काल : धार्मिक एवं दार्शनिक साहित्य; ऋगवैदिक काल से उत्तर वैदिक काल तक हुए रूपांतरण; राजनौतिक, सामाजिक एवं आर्थिक जीवन; वैदिक युग का महत्व; राजतंत्र एवं वर्ण व्यवस्था का क्रम विकास।
6. महाजनपद काल : महाजनपदों का निर्माण : गणतंत्रीय एवं राजतंत्रीय; नगर केंद्रों का उद्भव; व्यापार मार्ग; आर्थिक विकास टंकण (सिक्का ढलाई); जैन धर्म एवं बौध धर्म का प्रसार; मगधों एवं नंदों का उद्भव । ईरानी एवं नंदों का उद्भव ।
7. मौर्य साम्राज्य :
- मौर्य साम्राज्य की नींव, चंद्रगुप्त, कौटिल्य और अर्थशास्त्र; अशोक; धर्म की संकल्पना; धर्मादेश; राज्य व्यवस्था; प्रशासन; अर्थव्यवस्था; कला, स्थापत्य एवं मूर्तिशिल्प; विदेशी संपर्क; धर्म का प्रसार साहित्य |
- साम्राज्य का विघटन; शुंग एवं कण्व
8. उत्तर मौर्य काल (भारत-यूनानी, शक, कुषाण, पश्चिमी क्षत्रप) :
- बाहरी विश्व से संपर्क, नगर केन्द्रों का विकास, अर्थ व्यवस्था, टंकण, धर्मों का विकास महायान, सामाजिक दशाएं, कला, स्थापत्य, संस्कृति, साहित्य एवं विज्ञान ।
9. प्रारंभिक राज्य एवं समाज; पूर्वी भारत, दकन एवं दक्षिण भारत में :
- खारवेल, सातवाहन, संगमकालीन तमिल राज्य; प्रशासन, अर्थ-व्यवस्था, भूमि, अनुदान, टंकण, व्यापारिक श्रेणियां एवं नगर केंद्र; बौध केंद्र, संगम साहित्य एवं संस्कृति; कला एवं स्थापत्य ।
10. गुप्त वंश, वाकाटक एवं वर्धन वंश :
- राज्य व्यवस्था एवं प्रशासन, आर्थिक दशाएं, गुप्तकालीन टंकण, भूमि अनुदान, नगर केंद्रों का पतन, भारतीय सामंतशाही, जाति प्रथा, स्त्री की स्थिति, शिक्षा एवं शैक्षिक संस्थाएं; नालंदा, विक्रमशिला एवं बल्लभी, साहित्य, विज्ञान साहित्य, कला एवं स्थापत्य ।
11. गुप्तकालीन क्षेत्रीय राज्य :
- कदंबवंश, पल्लववंश, बदमी का चालुक्यवंश; राज्य व्यवस्था एवं प्रशासन, व्यापारिक श्रेणियां, साहित्य, वैश्णव एवं शैव धर्मों का विकास । तमिल भक्ति आंदोलन, शंकराचार्य;
- वेदांत; मंदिर संस्थाएं एवं मंदिर स्थापत्य; पाल वंश, सेन वंश, राष्ट्रकूट वंश, परमार वंश, राज्य व्यवस्था एवं प्रशासन; सांस्कृतिक पक्ष । सिंध के अरब विजेता; अलबरूनी, कल्याण का चालुक्य वंश, चोल वंश, होयसल वंश, पांडय वंश; राज्य व्यवस्था एवं प्रशासन, स्थानीय शासन; कला एवं स्थापत्य का विकास, धार्मिक संप्रदाय, मंदिर एवं मठ संस्थाएं, अग्रहार वंश, शिक्षा एवं साहित्य, अर्थ व्यवस्था एवं समाज ।
12. प्रारंभिक भारतीय सांस्कृतिक इतिहास के प्रतिपाद्य : भाषाएं एवं मूलग्रंथ, कला एवं स्थापत्य के क्रम विकास के प्रमुख चरण, प्रमुख दार्शनिक चिंतक एवं शखाएं, विज्ञान एवं गणित के क्षेत्र में विचार ।
13. प्रारंभिक मध्यकालीन भारत, 750-1200 राज्य व्यवस्थाः उत्तरी भारत एवं प्रायद्वीप में प्रमुख राजनैतिक घटनाक्रम, राजपूतों का उद्गम एवं उदय
- चोल वंश : प्रशासन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं समाज
- भारतीय सामंतशाही
- कृषि अर्थ-व्यवस्था एवं नगरीय बस्तियां
- व्यापार एवं वाणिज्य
- समाज : ब्राह्मण की स्थिति एवं नई सामाजिक व्यवस्था
- स्त्री की स्थिति
- भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ।
14. भारत की सांस्कृतिक परंपरा 750-1200
- दर्शन : शंकराचार्य एवं वेदांत, रामानुज एवं विशिष्टाद्वैत, मध्य एवं ब्रह्म मीमांसा |
- धर्म : धर्म के स्वरूप एवं विशेषताएं, तमिल भक्ति, संप्रदाय, भक्ति का विकास, इस्लाम एवं भारत में इसका आगमन, सूफी मत ।
- साहित्य : संस्कृत साहित्य, तमिल साहित्य का विकास, नवविकासशील भाषाओं का साहित्य, कल्हण की “राजतरंगिनी”, अलबरूनी का “इंडिया” ।
- कला एवं स्थापत्य : मंदिर स्थापत्य, मूर्तिशिल्प, चित्रकला ।
15. तेरहवीं शताब्दी
- दिल्ली सल्तनत की स्थापना : गौरी के आक्रमण- गौरी की सफलता के पीछे कारक
- आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिणाम
- दिल्ली सल्तनत की स्थापना एवं प्रारंभिक तुर्क सुल्तान
- सुदृढ़ीकरण : इल्तुतमिश और बलबन का शासन ।
16. चौदहवीं शताब्दी
- खिलजी क्रांति
- अलाउद्दीन खिलजी : विजय एवं क्षेत्र प्रसार, कृषि एवं आर्थिक उपाय
- मुहम्मद तुगलक :प्रमुख प्रकल्प, कृषि उपाय, मुहम्मद तुगलक की अफसरशाही
- फिरोज तुगलक : कृषि उपाय, सिविल इंजीनियरी एवं लोक निर्माण में उपलब्धियां, दिल्ली सल्तनत का पतन, विदेशी संपर्क एवं इब्नबतूता का वर्णन ।
17. तेरहवीं एवं चौदहवीं शताब्दी का समाज, संस्कृति एवं अर्थव्यवस्था
- समाज : ग्रामीण समाज की रचना, शासी वर्ग, नगर निवासी, स्त्री, धार्मिक वर्ग, सल्तनत के अंतर्गत जाति एवं दास प्रथा, भक्ति आन्दोलन, सूफी आन्दोलन
- संस्कृति : फारसी साहित्य, उत्तर भारत की क्षेत्रीय भाषाओं का साहित्य, दक्षिण भारत की भाषाओं का साहित्य, सल्तनत स्थापत्य एवं नए स्थापत्य रूप, चित्रकला, सम्मिश्र संस्कृति का विकास
- अर्थ व्यवस्था : कृषि उत्पादन, नगरीय अर्थव्यवस्था एवं कृषीतर उत्पादन का उद्भव, व्यापार एवं वाणिज्य |
18. पंद्रहवीं एवं प्रारंभिक सोलहवीं शताब्दी – राजनैतिक घटनाक्रम एवं अर्थव्यवस्था
- प्रांतीय राजवंशों का उदय : बंगाल, कश्मीर (जैनुल आवदीन), गुजरात, मालवा, बहमनी
- विजयनगर साम्राज्य
- लोदीवंश
- मुगल साम्राज्य, पहला चरण: बाबर एवं हुमायूँ
- सूर साम्राज्य : शेरशाह का प्रशासन • पुर्तगाली औपनिवेशिक प्रतिष्ठान ।
19. पंद्रहवीं एवं प्रारंभिक सोलहवीं शताब्दी : समाज एवं संस्कृति
- क्षेत्रीय सांस्कृतिक विशिष्टताएं
- साहित्यक परम्पराएं
- प्रांतीय स्थापत्य
- विजयनगर साम्राज्य का समाज, संस्कृति, साहित्य और कला
20. अकबर
- विजय एवं साम्राज्य का सुदृढ़ीकरण • जागीर एवं मनसब व्यवस्था की स्थापना
- राजपूत नीति
- धार्मिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण का विकास, सुलह-ए-कुल का सिद्धांत एवं धार्मिक नीति • कला एवं प्रौद्योगिकी को राज-दरबारी संरक्षण |
21.सत्रहवीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य
- जहांगीर, शाहजहां एवं औरंगजेब की प्रमुख प्रशासनिक नीतियां
- साम्राज्य एवं जमींदार
- जहांगीर, शाहजहां एवं औरंगजेब की धार्मिक नीतियां
- मुगल राज्य का स्वरूपउत्तर सत्रहवीं शताब्दी का संकट एवं विद्रोह • अहोम साम्राज्य
- शिवाजी एवं प्रारंभिक मराठा राज्य ।
22. सोलहवीं एवं सत्रहवीं शताब्दी में अर्थव्यवस्था एवं समाज
- जनसंख्या, कृषि उत्पादन, शिल्प उत्पादन
- नगर, डच, अंग्रेजी एवं फ्रांसीसी कंपनियों के माध्यम से यूरोप के साथ वाणिज्य : “व्यापार क्रांति “
- भारतीय व्यापारी वर्ग, बैंकिंग, बीमा एवं ॠण प्रणालियां • किसानों की दशा, स्त्रियों की दशा
- सिख समुदाय एवं खालसा पंथ का विकास ।
23. मुगल साम्राज्यकालीन संस्कृति
- फारसी इतिहास एवं अन्य साहित्य • हिन्दी एवं अन्य धार्मिक साहित्य
- मुगल स्थापत्य
- मुगल चित्रकला
- प्रांतीय स्थापत्य एवं चित्रकला
- शास्त्रीय संगीत
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ।
24. अठारहवीं शताब्दी
- मुगल साम्राज्य के पतन के कारक
- क्षेत्रीय सामंत देश : निजाम का दकन,
- पेशवा के अधीन मराठा उत्कर्ष
- मराठा राजकोषीय एवं वित्तीय व्यवस्था
- बंगाल, अवध
- अफगान शक्ति का उदय, पानीपत का युद्ध 1761 • ब्रिटिश विजय की पूर्व संध्या में राजनीति, संस्कृति एवं अर्थव्यवस्था की स्थिति ।
इतिहास वैकल्पिक विषय पाठ्यक्रम -प्रश्न पत्र 2
1. भारत में यूरोप का प्रदेश
- प्रारंभिक यूरोपीय बस्तियां; पुर्तगाली एवं डच, अंग्रेजी एवं फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनियां; आधिपत्य के लिए उनके युद्ध; कर्नाटक युद्ध; बंगाल – अंग्रेजों एवं बंगाल के नवाब के बीच संघर्ष; सिराज और अंग्रेज, प्लासी का युद्ध; प्लासी का महत्व ।
2. भारत में ब्रिटिश प्रसार
- बंगाल- मीर जाफर एवं मीर कासिम; बक्सर का युद्ध; मैसूर; मराठा; तीन अंग्रेज-मराठा युद्ध; पंजाब ।
3. ब्रिटिश राज की प्रारंभिक संरचना प्रारंभिक प्रशासनिक संरचना : द्वैधशासन से प्रत्यक्ष नियंत्रक तक; रेगुलेटिंग एक्ट (1773); पिट्स इंडिया एक्ट (1784); चार्टर एक्ट (1833); मुक्त व्यापार का स्वर एवं ब्रिटिश औपनिवेशक शासन का बदलता स्वरूप, अंग्रेजी उपयोगितावादी और भारत ।
4. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का आर्थिक प्रभाव
- ब्रिटिश भारत में भूमि-राजस्व बंदोबस्त; स्थायी बंदोबस्त; रैयतवारी बंदोबस्त; महालबारी बंदोबस्त; राजस्व प्रबंध का आर्थिक प्रभाव; कृषि का वाणिज्यीकरण; भूमिहीन कृषि श्रमिकों का उदय; ग्रामीण समाज का परिक्षनण ।
- पारंपरिक व्यापार एवं वाणिज्य का विस्थापन; अनौद्योगीकरण; पारंपरिक शिल्प की अवनति; धन का अपवाह; भारत का आर्थिक रूपांतरण; टेलीग्राफ एवं डाक सेवाओं समेत रेल पथ एवं संचार जाल; ग्रामीण भीतरी प्रदेश में दुर्भिक्ष एवं गरीबी; यूरोपीय व्यापार उद्यम एवं इसकी सीमाएं ।
5. सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास स्वदेशी शिक्षा की स्थिति; इसका विस्थापन; प्राच्चविद्-आंग्लविद् विवाद, भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रादर्भाव; प्रेस, साहित्य एवं लोकमत का उदय; आधुनिक मातृभाषा साहित्य का उदय; विज्ञान की प्रगति; भारत में क्रिश्चियन मिशनरी के कार्यकलाप ।
6. बंगाल एवं अन्य क्षेत्रों में सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आंदोलन
- राममोहन राय, बह्म आंदोलन; देवेन्द्रनाथ टैगोर; ईश्वरचंद्र • विद्यासागर; युवा बंगाल आंदोलन; दयानन्द सरस्वती; भारत में सती, विधवा विवाह, बाल विवाह, आदि समेत सामाजिक सुधार आंदोलन; आधुनिक भारत के विकास में भारतीय पुनर्जागरण का योगदान; इस्लामी पुनरुद्धार वृत्ति-फराईजी एवं वहाबी आंदोलन ।
7. ब्रिटिश शासन के प्रति भारत की अनुक्रिया
- रंगपुर ढ़ीग (1783), कोल विद्रोह (1832), मालाबार में मोपला विद्रोह (1841 1920), सन्थाल हुल (1855), नील विद्रोह (1859 60), दकन विप्लव (1875), एवं मुंडा विद्रोह उलगुलान (1899 1900) समेत 18वीं एवं 19वीं शताब्दी में हुए किसान आंदोलन एवं जनजातीयविप्लव; 1857 का महाविद्रोह- उद्गम, स्वरूप, असफलता के कारण, परिणाम; पश्व 1857 काल में किसान विप्लव के स्वरूप में बदलाव; 1920 और 1930 के दशकों में हुए किसान आंदोलन ।
8. भारतीय राष्ट्रवाद के जन्म के कारक; संघों की राजनीति; भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बुनियाद; कांग्रेस के जन्म के संबंध में सेफ्टी वाल्व का पक्ष; प्रारंभिक कांग्रेस के कार्यक्रम एवं लक्ष्य प्रारंभिक कांग्रेस नेतृत्व की सामाजिक रचना; नरम दल एवं गरम दल; बंगाल का विभाजन (1905); बंगाल में स्वदेशी आंदोलन; स्वदेशी आंदोलन के आर्थिक एवं राजनैतिक परिप्रेक्ष्य; भारत में क्रांतिकारी उग्रपंथ का आरंभ ।
9. गांधी का उदय; गांधी के राष्ट्रवाद का स्वरूप; गांधी का जनाकर्षण; रीलेट सत्याग्रह; खिलाफत आंदोलन; असहयोग आंदोलन; असहयोग आंदोलन समाप्त होने के बाद से सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रारंभ होने तक की राष्ट्रीयराजनीति; सविनय अवज्ञा आंदोलन के दो चरण; साइमन कमिशन; नेहरू रिपोर्ट; गोलमेज परिषद; राष्ट्रवाद और किसान आंदोलन; राष्ट्रवाद एवं श्रमिक वर्ग आंदोलन; महिला एवं भारतीय युवा तथा भारतीय राजनीति में छात्र (1885-1947); 1937 का चुनाव तथा मंत्रालयों का गठन; क्रिप्स मिशन; भारत छोड़ो आंदोलन; वैरेल योजना; कैबिनेट मिशन ।
10. औपनिवेशिक भारत में 1858 और 1935 के बीच सांविधानिक घटनाक्रम ।
11. राष्ट्रीय आंदोलन की अन्य कड़ियां क्रांतिकारी : बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, यू.पी., मद्रास प्रदेश, भारत से बाहर । वामपक्ष; कांग्रेस के अंदर का वामपक्ष; जवाहर लाल नेहरू, सुभाषचन्द्र बोस, कांग्रेस समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, अन्य वामदल ।
12. अलगाववाद की राजनीति; मुस्लिम लीग; हिन्दू महासभा सांप्रदायिकता एवं विभाजन की राजनीति; सत्ता का हस्तांतरण; स्वतंत्रता ।
13. एक राष्ट्र के रूप में सुदृढ़ीकरण; नेहरू की विदेश नीति भारत और उसके पड़ोसी (1947-1964) राज्यों का भाषावाद पुनर्गठन (1935-1947); क्षेत्रीयतावाद एवं क्षेत्रीय असमानता; भारतीय रियासतों का एकीकरण; निर्वाचन की राजनीति में रियासतों के नरेश (प्रिंस); राष्ट्रीय भाषा का प्रश्न
14. 1947 के बाद जाति एवं नृजातित्व; उत्तर औपनिवेशिक निर्वाचन राजनीति में पिछड़ी जातियां एवं जनजातियां : दलित आंदोलन
15. आर्थिक विकास एवं राजनीति परिवर्तन; भूमि सुधार योजना एवंचना की औपनिवेशिकभारत और उसके पड़ोसी (1947-1964) राज्यों का भाषावाद पुनर्गठन (1935-1947); क्षेत्रीयतावाद एवं क्षेत्रीय असमानता; भारतीय रियासतों का एकीकरण; निर्वाचन की राजनीति में रियासतों के नरेश (प्रिंस); राष्ट्रीय भाषा का प्रश्न ।
16. 1947 के बाद जाति एवं नृजातित्व; उत्तर औपनिवेशिक निर्वाचन- राजनीति में पिछड़ी जातियां एवं जनजातियां; दलित आंदोलन ।
17. आर्थिक विकास एवं राजनीति परिवर्तन; भूमि सुधार योजना एवं ग्रामीण पुनर्रचना की राजनीति; उत्तर औपनिवेशिक भारत में पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण नीति; विज्ञान की तरक्की ।
18. प्रबोध एवं आधुनिक विचार
- प्रबोध के प्रमुख विचार: कांट रूसो
- उपनिवेशों में प्रबोध-प्रसार
- समाजवादी विचारों का उदय (मार्क्स तक); मार्क्स के समाजवाद का प्रसार
17. आधुनिक राजनीति के मूल
- यूरोपीय राज्य प्रणाली स्त्रोत
- अमेरिकी क्रांति एवं संविधान
- फ्रांसीसी क्रांति एवं उसके परिणाम, 1789-1815
- अब्राहम लिंकन के संदर्भ के साथ अमरीकी सिविल युद्ध एवं दासता का उन्मूलन
- ब्रिटिश गणतंत्रात्मक राजनीति, 1815-1850; संसदीय सुधार, मुक्त व्यापारी, चार्टरवादी ।
18. औद्योगिकीकरण
- अंग्रेजी औद्योगिक क्रांति कारण एवं समाज पर प्रभाव
- अन्य देशों में औद्योगिकीकरण : यू.एस.ए., जर्मनी, रूस, जापान
- औद्योगिकीकरण एवं भूमंडलीकरण ।
19. राष्ट्र राज्य प्रणाली
- 19वीं शताब्दी में राष्ट्रवाद का उदय
- राष्ट्रवाद : जर्मनी और इटली में राज्य निर्माण
- पूरे विश्व में राष्ट्रीयता के आविर्भाव के समक्ष साम्राज्यों का विघटन ।
20. साम्राज्यवाद एवं उपनिवेशवाद
- दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व एशिया
- लातीनी अमरीका एवं दक्षिणी अफ्रीका
- आस्ट्रेलिया
- साम्राज्यवाद एवं मुक्त व्यापार : नवसाम्राज्यवाद का उदय ।
21. क्रांति एवं प्रतिक्रांति
- 19वीं शताब्दी यूरोपीय क्रांतियां
- 1917-1921 की रूसी क्रांति
- फासीवाद प्रतिक्रांति, इटली एवं जर्मनी
- 1949 की चीनी क्रांति ।
22. विश्व युद्ध
- संपूर्ण युद्ध के रूप में प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्धः समाजीय निहितार्थ
- प्रथम विश्व युद्ध : कारण एवं परिणाम
- द्वितीय विश्व युद्ध कारण एवं परिणाम |
23. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का विश्व
- दो शक्तियों का आविर्भाव
- तृतीय विश्व एवं गुटनिरपेक्षता का आविर्भाव
- संयुक्त राष्ट्र संघ एवं वैश्विक विवाद ।
24. औपनिवेशक शासन से मुक्ति
- लातीनी अमरीका-बोलीवर
- अरब विश्व-मिश्र
- अफ्रीका रंगभेद से गणतंत्र तक
- दक्षिण पूर्व एशिया वियतनाम ।
25. वि-औपनिवेशीकरण एवं अल्पविकास
- विकास के बाधक कारक : लातीनी, अमरीका, अफ्रीका
26. यूरोप का एकीकरण
- युद्धोत्तर स्थापनाएं: NATO एवं यूरोपीय समुदाय (यूरोपियन कम्युनिटी)
- यूरोपीय समुदाय (यूरोपियन कम्युनिटी) का सुदृढीकरण एवं प्रसार
- यूरोपियाई संघ
27. सोवियत यूनियन का विघटन एवं एक ध्रुवीय विश्व का उदय
- सोवियत साम्यवाद एवं सोवियत यूनियन को निपात तक पहुंचाने वाले कारक, 1985-1991
- पूर्वी यूरोप में राजनैतिक परिवर्तन 1989-2001
- शीत युद्ध का अंत एवं अकेली महाशक्ति के रूप में US का उत्कर्ष ।
यूपीएससी इतिहास वैकल्पिक विषय पाठ्यक्रम
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