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01 फ़रवरी 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. वर्ष 2024-25 के लिए अं‍तरिम केन्‍द्रीय बजट संसद में पेश:
  2. कैबिनेट ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर एवं पुष्टि को अनुमति दी:
  3. वेब पोर्टल सी-केयर्स प्रारम्भ:
  4. सागरसेतु (एनएलपी-मरीन) में मैरीटाइम सिंगल विंडो और एमएमडी मॉड्यूल लॉन्च:
  5. कैबिनेट ने पशुपालन अवसंरचना विकास कोष के विस्तार को मंजूरी दी:
  6. भारतीय तटरक्षक बल ने अपना 48वां स्थापना दिवस मनाया:
  7. सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की:

1. वर्ष 2024-25 के लिए अं‍तरिम केन्‍द्रीय बजट संसद में पेश:

सामान्य अध्ययन: 3

अर्थव्यवस्था:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों को जुटाने, संवृद्धि और विकास से संबंधित विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: अं‍तरिम केन्‍द्रीय बजट।

मुख्य परीक्षा: अं‍तरिम केन्‍द्रीय बजट की मुख्य झलकियां।

प्रसंग:

  • वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2024-25 के लिए अं‍तरिम केन्‍द्रीय बजट संसद में पेश किया।

विवरण:

  • संसद में अंतरिम केन्‍द्रीय बजट 2024-25 पेश करते हुए केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अगले वर्ष के लिए पूंजीगत व्‍यय को 11.1 प्रतिशत बढ़ाकर 11,11,111 करोड़ रुपये किया जा रहा है जो सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) का 3.4 प्रतिशत होगा।

चित्र स्रोत: PIB

  • पिछले चार वर्षों में पूंजीगत व्‍यय को बढ़ाकर तीन गुना कर देने के परिणामस्‍वरूप देश में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन पर व्‍यापक गुणक प्रभाव पड़ रहा है।
  • वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राष्‍ट्रीय आय के प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार भारत में वास्‍तविक जीडीपी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
    • इसके साथ ही यह आरबीआई (दिसंबर 2023 में आयोजित इसकी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में) द्वारा वित्त वर्ष 2023-24 के लिए विकास अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर देने के अनुरूप भी है, जो वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में दर्ज की गई दमदार विकास पर आधारित है।
  • भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था ने वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद अपनी दमदार मजबूती का प्रदर्शन किया है और इसके साथ ही उल्‍लेखनीय वृहद आर्थिक तत्‍वों को बरकरार रखा है।
  • अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अक्‍टूबर 2023 में अपने विश्‍व आर्थिक आउटलुक (डब्‍ल्‍यूईओ) में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत में अपने विकास अनुमान को संशोधित करके जुलाई 2023 के अनुमानित 6.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है।
  • आईएमएफ के अनुसार भारत के वर्ष 2027 में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था (बाजार विनिमय दर पर डॉलर में) बन जाने की प्रबल संभावना है और यह भी अनुमान लगाया गया है कि पांच वर्षों में वैश्विक विकास में भारत का योगदान 2 प्रतिशत बढ़ जाएगा।
    • इसके अलावा विभिन्‍न अंतर्राष्‍ट्रीय एजेंसियों जैसे कि विश्‍व बैंक, आईएमएफ, ओईसीडी, और एडीबी ने वर्ष 2024-25 में भारत में आर्थिक विकास दर क्रमश: 6.4, 6.3, 6.1, और 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
  • आर्थिक गतिविधियां काफी तेजी से बढ़ने से राजस्‍व संग्रह में तेज उछाल देखने को मिली है। जीएसटी संग्रह दिसंबर 2023 में 1.65 लाख करोड़ रुपये रहा है।
    • दरअसल, सातवीं बार सकल जीएसटी राजस्‍व 1.6 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े के पार चला गया है।
    • वर्ष 2024-25 में उधारियों के अलावा कुल प्राप्तियां और कुल व्‍यय क्रमश: 30.80 लाख करोड़ और 47.66 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है।
    • इसी तरह कर प्राप्तियां 26.02 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है।
  • पूंजीगत व्‍यय के लिए राज्‍यों को 50 वर्षीय ब्‍याज मुक्‍त ऋण की योजना इस वर्ष जारी रखी जाएगी और कुल परिव्‍यय 1.3 लाख करोड़ रुपये होगा।
    • 50 वर्षीय ब्‍याज मुक्‍त ऋण के रूप में 75000 करोड़ रुपये का प्रावधान इस वर्ष प्रस्‍तावित किया गया है, ताकि राज्‍य सरकारों की ‘विकसित भारत’ संबंधी उपलब्धियां आधारित सुधारों को लागू करने में आवश्‍यक सहायता दी जा सके।
  • राजकोषीय सुदृढ़ीकरण, जिसकी घोषणा वर्ष 2021-22 के बजट भाषण में घोषणा की गई है, के तहत राजकोषीय घाटे को कम करके वर्ष 2025-26 तक 4.5 प्रतिशत से भी नीचे लाने के मार्ग पर अग्रसर होते हुए राजकोषीय घाटा वर्ष 2024-25 में जीडीपी का 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
  • इसी तरह वर्ष 2024-25 के दौरान दिनांकित प्रतिभूतियों के जरिए सकल और शुद्ध बाजार उधारियां क्रमश: 14.13 और 11.75 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है और ये दोनों ही वर्ष 2023-24 के दौरान आंकी गई सकल और शुद्ध बाजार उधारियों से कम होंगी।

अर्थव्‍यवस्‍था के कुछ चमकते बिंदु:

  • उधारियों के अलावा कुल प्राप्तियों का संशोधित अनुमान 27.56 लाख करोड़ रुपये है जिसमें कर प्राप्तियां 23.24 लाख करोड़ रुपये हैं। कुल व्‍यय का संशोधित अनुमान 44.90 लाख करोड़ रुपये है।
    • 30.03 लाख करोड़ रुपये की राजस्‍व प्राप्तियों के बजट अनुमान से कहीं ज्‍यादा रहने की आशा है जो देश में विकास की गति तेज रहने और अर्थव्‍यवस्‍था के औपचारिकरण को दर्शाता है।
  • वर्ष 2024-25 के दौरान दिनांकित प्रतिभूतियों के जरिए सकल और शुद्ध बाजार उधारियां क्रमश: 14.13 लाख करोड़ और 11.75 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है और ये दोनों ही उधारियां वर्ष 2023-24 की तुलना में कम रहेंगी।
  • वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2023 तक की अवधि के दौरान देश में एफडीआई प्रवाह 596 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ है और जो वर्ष 2005-2014 के दौरान हुए कुल एफडीआई प्रवाह का दोगुना है।
  • पिछले 10 वर्षों में चलाए गए विकास संबंधी कार्यक्रमों ने ‘सभी के लिए आवास’, ‘हर घर जल’, ‘सभी के लिए बिजली’, ‘सभी के लिए रसोई गैस’, ‘सभी के लिए बैंक खाते एवं वित्तीय सेवाओं’ के जरिए रिकॉर्ड समय में हर परिवार एवं व्‍यक्ति को लक्षित किया है।
  • रेलवे के लिए, तीन प्रमुख आर्थिक रेल गलियारा कार्यक्रमों – ऊर्जा, खनिज और सीमेंट गलियारा, बंदरगाह संपर्क गलियारा और उच्‍च ट्रैफिक घनत्‍व गलियारा को क्रियान्वित किया जाएगा।
    • इसके अतिरिक्‍त 40,000 सामान्‍य रेल बोगियों को वंदे भारत मानकों में रूपांतरित किया जाएगा जिससे कि यात्रियों की सुरक्षा, सुविधा और आराम में बढ़ोतरी हो सके।
  • विमानन क्षेत्र में हवाई अड्डों की संख्‍या दोगुना वृद्धि से 149 हो गई है, जो आज देश में 517 नए मार्गों पर 1.3 करोड़ यात्रियों को उनके गंतव्‍य तक पहुंचा रहे हैं।
    • देश की विमानन कंपनियों ने सक्रिय रूप से एक हजार से अधिक नए हवाई जहाजों के ऑर्डर दिए हैं।
  • यह घोषणा की कि सरकार तेजी से बढ़ रही जनसंख्‍या और जन-सांख्यिकीय परिवर्तनों से पैदा हो रही चुनौतियों पर व्‍यापक रूप से विचार-विमर्श करने के लिए उच्‍चाधिकार समिति (एचपीसी) का गठन करेगी जिसे ‘विकसित भारत’ के लक्ष्‍य के संबंध में व्‍यापक रूप से इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी सिफारिशें करने का अधिदेश दिया जाएगा।

सारांश:

  • अंतरिम बजट में कराधान के संबंध में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
    • आयात शुल्‍क सहित प्रत्‍यक्ष करों और अप्रत्‍यक्ष करों की दरें यथावत रखी गई हैं।
    • हालाकि कराधान में लगातार निरंतरता उपलब्‍ध कराने के लिए स्‍टार्टअप और सावरेन वेल्‍थ या पेशंन फंड द्वारा किए गए निवेशों के लिए कुछ विशेष कर लाभों तथा कुछ आईएफसी यूनिटों की कतिपय आय पर छूट की समय सीमा को 31 मार्च 2025 तक एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है।

बकाया प्रत्‍यक्ष कर मांगों को वापस लेना:

  • श्रीमती सीतारमण ने करदाता सेवाएं बेहतर बनाने की घोषणा की जो ‘ईज ऑफ लिविंग’ और ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को बेहतर बनाने के लिए सरकार के कर विजन के अनुरूप हैं।
  • बड़ी संख्‍या में छोटी-छोटी, गैर-सत्‍यापित, गैर समायोजित या विवादित प्रत्‍यक्ष कर मांग हैं, जो बहीखातों में लगातार लंबित हैं।
    • इनमें से कई मांगें तो वर्ष 1962 से भी लंबे समय से मौजूद हैं।
    • अंतरिम बजट में 2009-10 तक की अवधि से संबंधित 25000 हजार रुपए तक तथा वित्‍तीय वर्ष 2011 से 2014-15 तक से संबंधित 10000 रुपए तक की ऐसी बकाया प्रत्‍यक्ष कर मांगों को वापस लेने का प्रस्‍ताव किया गया है।
    • इससे लगभग एक करोड़ करदाताओं के लाभान्वित होने की उम्‍मीद है।

प्रत्‍यक्ष कर संग्रहण तीन गुणा:

  • करदाताओं के समर्थन की प्रशंसा करते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में प्रत्‍यक्ष कर संग्रहण तीन गुणा ने अधिक हुआ है और रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्‍या 2.4 गुणा बढ़ी है।
  • सरकार ने कर दरों में कटौती की है और उन्‍हें विवेकपूर्ण बनाया है, जिसके कारण नई कर योजना के तहत अब 7 लाख रुपए तक की आय वाले करदाताओं के लिए कोई कर देनदारी नहीं है।
  • मौजूदा स्‍वदेशी कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर दरों को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत तथा कुछ नई विनिर्माण कंपनियों के लिए 15 प्रतिशत कर दिया गया है।

जीएसटी ने अनुपालन बोझ कम किया:

  • जीएसटी ने भारत में बहुत बंटी हुई अप्रत्‍यक्ष व्‍यवस्‍था को एकीकृत करके उद्योग और व्‍यापार पर अनुपालन बोझ कम किया है।
  • जीएसटी का कराधान बढ़कर दोगुने से अधिक हो गया है और औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रहण इस वर्ष लगभग दोगुणा बढ़कर 1.66 लाख करोड़ रुपए हो गया है।
  • इससे राज्‍यों को भी लाभ मिला है। राज्‍यों को जारी किए गए मुआवजे सहित राज्‍यों के एसजीएसटी राजस्‍व का तेज उछाल वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक जीएसटी के बाद की अवधि में 1.22 रहा है।

श्‍वेत पत्र जारी करना:

  • भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की स्थिति के बारे में वित्‍त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में चरण-दर-चरण अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूत बनाने और शासन प्रणाली को उचित मार्ग पर लाने की बड़ी जिम्‍मेदारी थी, जिसे राष्‍ट्र प्रथम के मजबूत विश्‍वास का सफलतापूर्ण अनुकरण करते हुए सरकार द्वारा पूरा किया गया।
  • उन्‍होंने घोषणा की कि सरकार वर्ष 2014 तक हम कहां थे और अब कहां हैं विषय पर श्‍वेत पत्र के साथ आगे आएगी, जिसका केवल एक ही उद्देश्‍य है कि कुप्रबंधन से सबक सीखा जा सके।

नारी शक्ति को प्रोत्साहन:

  • वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री ने लोकसभा में अंतरिम बजट 2024-25 पेश करते हुए कहा है कि उद्यमशीलता, जीवन में सुगमता और आत्म-सम्मान को बढ़ावा देने को लगातार प्रोत्साहन देकर महिलाओं के सशक्तिकरण को इन दस वर्षों में काफी बढ़ावा मिला है।
  • महिला उद्यमियों को मुद्रा योजना के अंतर्गत अब तक 30 करोड़ ऋण प्रदान किए गए हैं।
    • पिछले 10 वर्षों में उच्च शिक्षा के लिए महिलाओं का नामांकन 28 प्रतिशत तक बढ़ चुका है।
    • STEM पाठ्यक्रमों में 43 प्रतिशत नामांकन बालिकाओं और महिलाओं का हुआ है, यह संख्या विश्व में सबसे अधिक है।
  • ‘तीन तलाक’ को गैर-कानूनी बनाने और लोक सभा एवं राज्य विधान सभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने तथा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के नाम पर या उन्हें संयुक्त मालिकों के रूप में 70 प्रतिशत से अधिक मकान उपलब्ध कराने के फलस्वरूप उनका आत्मसम्मान बढ़ा है।
  • पूंजीगत व्‍यय में उल्‍लेखनीय बढ़ोतरी; इसे 11.1 प्रतिशत बढ़ाकर 11,11,111 करोड़ रुपये किया जो जीडीपी का 3.4 प्रतिशत है।
  • राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2023-24 (आरई) में जीडीपी का 5.8 प्रतिशत रहेगा, यह 2024-25 में जीडीपी का 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान।
  • वर्ष 2024-25 में कुल व्‍यय वर्ष 2023-24 (आरई) की तुलना में 2.76 लाख करोड़ रुपये बढ़ाया गया, यह 47.66 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान।
  • वर्ष 2023-24 में राजस्‍व प्राप्तियां ज्‍यादा रहने से विकास की गति तेज रहने और अर्थव्‍यवस्‍था में औपचारि‍करण का संकेत मिलता है।
  • केन्‍द्र सरकार की उधारियां कम रहने से निजी क्षेत्र के लिए कर्ज की उपलब्‍धता बढ़ जाएगी।

पांच एकीकृत एक्वापार्कों की स्थापना की जाएगी:

  • मत्स्य क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए पांच एकीकृत एक्वापार्कों की स्थापना की जाएगी।
  • सरकार ने मछुआरों की सहायता करने के महत्व को महसूस करते हुए मत्स्य क्षेत्र के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की। इसका परिणाम अन्तर्देशीय और एक्वाकल्चर उत्पादन दोनों के दोगुना होने के रूप में आया हैं। श्रीमती निर्मला सीतारमण ने रेखांकित किया कि 2013-14 से सी-फूड का निर्यात भी दोगुना हो गया है।
  • श्रीमती निर्मला सीतारमण ने रेखांकित किया कि 2013-14 से सी-फूड का निर्यात भी दोगुना हो गया है।
  • (i) एक्वाकल्चर उत्पादकता को प्रति हैक्टेयर वर्तमान 3 से बढ़ा कर 5 टन करने (ii) निर्यात को दोगुना कर 1 लाख करोड़ रुपये तक पँहुचाने और निकट भविष्य में 55 लाख रोजगार अवसरों का सृजन करने के लिए पीएम मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के कार्यान्वयन में तेजी लाई जाएगी।

ब्लू इकोनॉमी 2.0:

  • ब्लू इकोनॉमी 2.0 के लिए जलवायु के अनुकूल कार्यकलापों को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत और बहुविषयक दृष्टिकोण के साथ, पुनःस्थापन एवं अनुकूलन उपायों और तटीय एक्वाकल्चर और मारिकल्चर की एक योजना शुरू की जाएगी।

डेयरी विकास:

  • श्रीमती निर्मला सीतारमण ने यह भी घोषणा की कि डेयरी किसानों की सहायता के लिए व्यापक कार्यक्रम तैयार किया जाएगा।
  • खुरपका रोग को नियंत्रित करने के प्रयास पहले से चल रहे हैं। उन्होंने कहा “भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है लेकिन देश में दुधारू पशुओं की दुग्ध उत्पादकता कम है”।
  • यह कार्यक्रम राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय पशुधन मिशन और डेयरी प्रसंस्करण एवं पशुपालन के लिए अवसंरचना विकास निधि जैसी मौजूदा योजनाओं की सफलताओं पर आधारित होगा।

चित्र स्रोत: PIB

आत्मनिर्भर तिलहन अभियान:

  • केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट 2024-25 पेश करते हुए कहा कि सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के संबंध में ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्त करने के लिए कार्यनीति तैयार की जाएगी।
  • वित्तमंत्री ने कहा कि इसमें अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए अनुसंधान, आधुनिक कृषि तकनीकों को व्यापक पैमाने पर अपनाने, बाजार संपर्कों, खरीद, मूल्य-वर्धन और फसल बीमा को शामिल किया जाएगा।

नैनो डीएपी:

  • केंद्रीय वित्तमंत्री ने अपने संभाषण में कहा कि नैनो यूरिया को सफलतापूर्वक अपनाए जाने के बाद सभी कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभिन्न फसलों पर नैनो डीएपी को अपनाया जाएगा।
  • निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट 2024-25 में हरित ऊर्जा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लक्ष्य के साथ कई उपायों का प्रस्ताव किया है:

अपतटीय पवन ऊर्जा की संभावना:

  • एक गीगा-वाट की शुरुआती क्षमता के लिए अपतटीय पवन ऊर्जा की संभावना हासिल करने के लिए व्यवहार्यता अंतर-निधियन की व्यवस्था की जाएगी।

कोयला गैसीकरण और तरलीकरण क्षमता:

  • वर्ष 2030 तक 100 मीट्रिक टन की कोयला गैसीकरण और तरलीकरण क्षमता स्थापित की जाएगी। इससे प्राकृतिक गैस, मैथेनॉल, और अमोनिया के आयात को कम करने में मदद मिलेगी।

ऊर्जा उपयोग में बायोगैस:

  • परिवहन के लिए कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) और घरेलू प्रयोजनों के लिए पाइप्डनेचुरल गैस (पीएनजी) में कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) के चरणबद्ध तरीके से मिश्रण को अनिवार्य किया जाएगा।

बायोमास संग्रहण मशीनरी की वित्तीय सहायता:

  • बायोमास के संग्रहण में सहायता के लिए बायोमास संग्रहण मशीनरी की खरीद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
  • ये उपाय समृद्धि की दिशा में कदम उठाने के लिए किए गए हैं और नेता ने साल 2070 तक ‘नेट-जीरो’ को पूरा करने का उद्देश्य रखा है।

भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर:

  • हाल ही में घोषित भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर, भारत और अन्य देशों के लिए भी एक रणनीतिक और आर्थिक परिवर्तनकारी पहल है।
  • इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर आने वाले सैकड़ों वर्षों तक विश्व व्यापार का आधार बनने जा रहा है और इतिहास इस बात को हमेशा याद रखेगा कि इस कॉरिडोर का सूत्रपात भारत की धरती पर हुआ था।
  • वैश्वीकरण, स्वदेश में और मित्र देशों के यहां उद्योग स्थापित करने, आपूर्ति श्रृंखलाओं के अस्त-व्यस्त होने और बिखरने तथा महत्वपूर्ण खनिजों एवं प्रौद्योगिकियों के लिए प्रतिस्पर्धा होने से पुनर्नियत हो रहा है।

चित्र स्रोत: PIB

सरकार का फोकस चार जातियों – गरीब, महिलाएं, युवा और अन्‍नदाता पर केन्द्रित:

  • सरकार चार प्रमुख जातियों- ‘गरीब’, ‘महिलाएं’, ‘युवा’ और ‘अन्नदाता’ के विकास पर ध्यान केंद्रित करने पर विश्वास करती है। इन चारों जातियों के लोगों को अपने जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास में सरकारी सहायता की आवश्यकता है, सरकार के लिए सामाजिक न्याय एक प्रभावी और आवश्यक शासन पद्धति है। सरकार सर्वांगीण, सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी विकास के दृष्टिकोण से 2047 तक भारत को ‘विकसित भारत’ बनाने के लिए कार्य कर रही है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. कैबिनेट ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर एवं पुष्टि को अनुमति दी:

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत सरकार और संयुक्त अरब अमीरात सरकार के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि पर हस्ताक्षर एवं पुष्टि को अपनी अनुमति दे दी है।
  • इस संधि से निवेशकों, विशेषकर बड़े निवेशकों के विश्वास को मजबूती मिलने की उम्मीद है, जिसके परिणामस्वरूप विदेशी निवेश एवं विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) के अवसरों में वृद्धि होगी और इसका रोजगार सृजन पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
  • इस अनुमति से भारत में निवेश बढ़ने की उम्मीद है और घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करके, आयात पर निर्भरता को कम करके, निर्यात बढ़ाकर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को साकार करने में मदद मिलने की संभावना है।

2. वेब पोर्टल सी-केयर्स प्रारम्भ:

  • केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय मामलों के मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत एक अनुसंधान एवं विकास संगठन, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डीएसी) द्वारा विकसित और डिजाइन किए गए सी-केयर्स नाम से 31 जनवरी, 2024 को कोयला खान भविष्य निधि संगठन (सीएमपीएफओ) का एक वेब पोर्टल प्रारम्भ किया।
  • यह सीएमपीएफओ की डिजिटलीकरण यात्रा में एक महत्वपूर्ण छलांग है, जिसका लक्ष्य अपने अभिलेखों और कार्य प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाने के लंबे समय से चले आ रहे विषयों का समाधान करना है।
  • सीएमपीएफओ कोयला मंत्रालय के तत्वावधान में कोयला क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से भविष्य निधि और पेंशन योजनाओं के संचालन के लिए वर्ष 1948 में स्थापित एक स्वायत्त संगठन है।
  • इस पोर्टल की शुरुआत के साथ ही भविष्यनिधि और पेंशन दावों का निपटान अब ऑनलाइन संसाधित और निस्तारित किया जाएगा।
  • इससे तेज प्रसंस्करण, संचालन में पारदर्शिता, बेहतर रिकॉर्ड प्रबंधन और निगरानी की सुविधा मिलेगी। इससे ग्राहकों और पेंशनभोगियों में भी विश्वास जागेगा।
  • सी-केयर्स पोर्टल अब सीएमपीएफ ग्राहकों और कोयला कंपनियों को लॉगिन करने और उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न कार्य करने की अनुमति देगा।
  • इस पोर्टल के माध्यम से योगदान विवरण, ग्राहकों के विवरण और ऑनलाइन निपटान और भुगतान के दावे प्रस्तुत कर सकता है।
  • यह कागज रहित कामकाज, दावों का समय पर और सटीक निपटान, प्रसंस्करण समय में कमी और शिकायत निवारण भी सुनिश्चित करेगा।
  • एक सार्वजनिक सेवा मंच होने के नाते इस पोर्टल का उद्देश्य कोयला क्षेत्र में काम करने वाले कोयला खान भविष्य निधि (सीएमपीएफ) ग्राहकों के साथ-साथ इसके पेंशनभोगियों को लाभ पहुंचाना है।

3. सागरसेतु (एनएलपी-मरीन) में मैरीटाइम सिंगल विंडो और एमएमडी मॉड्यूल लॉन्च:

  • केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने सागरसेतु (एनएलपी-मरीन) प्लेटफॉर्म के भीतर दो डिजिटल मॉड्यूल लॉन्च किए।
  • सागरसेतु (एनएलपी-मरीन) के मैरीटाइम सिंगल विंडो (एमएसडब्ल्यू) मॉड्यूल के लॉन्च के साथ, एमओपीएसडब्ल्यू अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) द्वारा निर्धारित वैश्विक मानकों के अनुरूप हो गया है।
  • सागरसेतु (एनएलपी-एम) के माध्यम से एमएसडब्ल्यू प्रणाली का कार्यान्वयन अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) के एफएएल कन्वेंशन द्वारा अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन करता है, जो आईएमओ द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं के सामंजस्य और मानकीकरण को बढ़ावा देता है।
  • यह अंतरराष्ट्रीय अनुपालन और दक्षता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है।
  • ‘सागरसेतु (एनएलपी-मरीन) के एमएमडी और एमएसडब्ल्यू मॉड्यूल का लॉन्च सिर्फ एक तकनीकी प्रगति नहीं है;यह प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण के साथ भारत के समुद्री क्षेत्र के भविष्य को आकार देने की प्रतिबद्धता है।
  • ये मॉड्यूल एक साथ मिलकर डिजिटल, कागज रहित और निर्बाध रूप से जुड़े समुद्री इकोसिस्टम की दिशा की हमारी यात्रा में एक छलांग का संकेत देते हैं।
  • सागरसेतु (एनएलपी-एम) में मैरीटाइम सिंगल विंडो (एमएसडब्ल्यू) मॉड्यूल एक अत्याधुनिक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसे समुद्री-संबंधित जानकारी और दस्तावेजों के आदान-प्रदान में क्रांति लाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो कुशल डेटा सबमिशन के लिए सामंजस्य और मानकीकरण पर जोर देता है।
  • यह अभिनव प्रणाली सरकारी अधिकारियों, बंदरगाह ऑपरेटरों, शिपिंग एजेंटों, व्यापार संघों और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार में शामिल अन्य हितधारकों के बीच इलेक्ट्रॉनिक सबमिशन, प्रसंस्करण और संचार की सुविधा प्रदान करती है।
  • यह नवोन्मेषी प्रणाली कागज-आधारित और मैन्युअल प्रक्रियाओं पर निर्भरता को खत्म कर देगी, जिससे जीरो पेपर प्रक्रिया के युग की शुरुआत होगी।
  • इस बदलाव का प्रभाव गहरा है, बंदरगाहों में जहाजों और माल के लिए प्रतीक्षा समय 40 प्रतिशत तक कम हो जाएगा।
  • सागरसेतु के एनएलपी (एम) के भीतर मर्केंटाइल समुद्री विभाग (एमएमडी) मॉड्यूल समुद्री मोबाइल डोमेन प्रक्रिया में दो मुख्य कार्यक्षमताओं को शामिल करता है।
    • यह मॉड्यूल अधिकारियों को पहचानी गई विसंगतियों के मामलों में किसी जहाज को “रोका गया” के रूप में नामित करने की क्षमता के साथ, निरीक्षण रिपोर्ट और स्थितियों को अद्यतन करने का अधिकार देता है।
    • सागरसेतु में एमएमडी मॉड्यूल की व्यापक क्षमताएं पोत की निगरानी, ​​​​निरीक्षण और रिलीज प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करती हैं, जिससे समुद्री संचालन में दक्षता और समन्वय बढ़ता है।
    • भारत में मर्केंटाइल मरीन डिपार्टमेंट (एमएमडी) पत्तन, जलमार्ग और पोत परिवहन मंत्रालय के शिपिंग महानिदेशालय के तहत एक सरकारी निकाय है।
  • अप्रैल 2023 में लॉन्च किया गया, ‘सागर-सेतु’ मोबाइल ऐप, एनएलपी-मरीन का विस्तार, जहाजों, गेट विवरण, कंटेनर फ्रेट स्टेशनों और लेनदेन पर वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करता है।
  • यह शिपिंग शुल्क, परिवहन लागत और कंटेनर फ्रेट स्टेशन शुल्क जैसे संबंधित शुल्कों के लिए डिजिटल भुगतान को संभव करके आयात और निर्यात मंजूरी को सुव्यवस्थित करता है।
  • मैरीटाइम विज़न 2030 भारत के लिए व्यवसाय करने में आसानी (ईओडीबी) और प्रौद्योगिकी के माध्यम से परिचालन दक्षता में उत्कृष्टता प्राप्त करने का एक मार्ग प्रशस्त करता है, जिससे संभावित रूप से प्रमुख बंदरगाहों पर 2000-2500 करोड़ रुपये की बचत होगी।
  • वैश्विक निर्यात में ~5% हिस्सेदारी हासिल करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के लिए आक्रामक निर्यात वृद्धि, समुद्री क्षमता निर्माण और बेहतर ईओडीबी पर मजबूत ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • पहलों में प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाना, डिजिटल-आधारित स्मार्ट पोर्ट बनाना और सिस्टम-संचालित पोर्ट प्रदर्शन निगरानी लागू करना शामिल है।
  • लगभग 90% अंतर्राष्ट्रीय कार्गो के लिए जिम्मेदार समुद्री क्षेत्र में परिचालन दक्षता बढ़ाने, लागत कम करने और व्यापार करने में आसानी की सुविधा के लिए महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति व नवाचार हुए हैं।
  • अमृतकाल विजन 2047 के अनुरूप, भारत के समुद्री क्षेत्र में तकनीकी एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए 17 प्रमुख पहलों की पहचान की गई है।
  • इन पहलों में उन्नत परिचालन दक्षता के लिए ई-गेट 2.0, ड्रोन-आधारित इन्वेंट्री प्रबंधन, जस्ट-इन-टाइम सिस्टम और मोबाइल हार्बर क्रेन और पायलटेज जैसी विभिन्न प्रक्रियाओं के स्वचालन शामिल है।
  • इसके अतिरिक्त, बंदरगाह नियोजन पहल में डिजिटल ट्विन्स का कार्यान्वयन, उन्नत विश्लेषण-संचालित यार्ड प्रबंधन, एआई/एमएल-आधारित बर्थ आवंटन और समुद्री क्षेत्र में आगामी प्रौद्योगिकियों पर अनुसंधान के लिए सागरमाला डिजिटल उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना शामिल है।

4. कैबिनेट ने पशुपालन अवसंरचना विकास कोष के विस्तार को मंजूरी दी:

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने अवसंरचना विकास कोष (आईडीएफ) के तहत लागू किए जाने वाले पशुपालन पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (एएचआईडीएफ) को 29,610.25 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 2025-26 तक अगले तीन वर्षों के लिए जारी रखने की मंजूरी दे दी।
  • यह योजना डेयरी प्रसंस्करण और उत्पाद विविधीकरण, मांस प्रसंस्करण और उत्पाद विविधीकरण, पशु चारा संयंत्र, नस्ल गुणन फार्म, पशु अपशिष्ट से धन प्रबंधन (कृषि-अपशिष्ट प्रबंधन) और पशु चिकित्सा वैक्सीन और दवा उत्पादन सुविधाओं के लिए निवेश को प्रोत्साहित करेगी।
  • भारत सरकार अनुसूचित बैंक और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), नाबार्ड और एनडीडीबी से 90 प्रतिशत तक ऋण के लिए दो साल की मोहलत सहित 8 वर्षों के लिए 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान प्रदान करेगी।
  • भारत सरकार एमएसएमई और डेयरी सहकारी समितियों को 750 करोड़ रुपये के ऋण गारंटी कोष से उधार लिए गए ऋण की 25 प्रतिशत तक ऋण गारंटी भी प्रदान करेगी।
  • एएचआईडीएफ ने योजना के अस्तित्‍व में आने के बाद से अब तक 141.04 एलएलपीडी (लाख लीटर प्रति दिन) दूध प्रसंस्करण क्षमता, 79.24 लाख मीट्रिक टन फ़ीड प्रसंस्करण क्षमता और 9.06 लाख मीट्रिक टन मांस प्रसंस्करण क्षमता को आपूर्ति श्रृंखला में जोड़कर गहरा असर डाला है।
  • यह योजना डेयरी, मांस और पशु चारा क्षेत्र में प्रसंस्करण क्षमता को 2-4 प्रतिशत तक बढ़ाने में सक्षम है।
  • पशुपालन क्षेत्र निवेशकों के लिए पशुधन क्षेत्र में निवेश करने का अवसर प्रस्तुत करता है, जिससे यह क्षेत्र मूल्यवर्धन, कोल्ड चेन और डेयरी, मांस, पशु चारा इकाइयों की एकीकृत इकाइयों से लेकर तकनीकी रूप से सहायता प्राप्त पशुधन और पोल्ट्री फार्म, पशु अपशिष्ट से लेकर धन प्रबंधन और पशु चिकित्सा औषधि/वैक्सीन इकाइयों की स्थापना तक एक आकर्षक क्षेत्र बन जाता है। ।
  • यह योजना उद्यमिता विकास के माध्यम से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 35 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजन का एक माध्यम होगी और इसका उद्देश्य पशुधन क्षेत्र में धन सृजन करना है।
    • अब तक एएचआईडीएफ ने लगभग 15 लाख किसानों को प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित किया है।
    • एएचआईडीएफ किसानों की आय को दोगुना करने, निजी क्षेत्र के निवेश के माध्यम से पशुधन क्षेत्र का दोहन करने, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के लिए नवीनतम तकनीकों को लाने और पशुधन उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देकर देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक मार्ग के रूप में उभर रहा है।
    • प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन बुनियादी ढांचे में इस तरह के निवेश से इन संसाधित और मूल्य वर्धित वस्तुओं के निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।
  • इस प्रकार एएचआईडीएफ में प्रोत्साहन द्वारा निवेश न केवल निजी निवेश को 7 गुना बढ़ा देगा, बल्कि किसानों को जानकारी पर अधिक निवेश करने के लिए भी प्रेरित करेगा, जिससे उत्पादकता और किसानों की आय में वृद्धि होगी।

5. भारतीय तटरक्षक बल ने अपना 48वां स्थापना दिवस मनाया:

  • भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने 1 फरवरी, 2024 को नई दिल्ली में अपना 48वां स्थापना दिवस मनाया।
  • यह कार्यक्रम इसके 1977 में एक मामूली शुरुआत से लेकर समुद्री सुरक्षा में एक जबरदस्त फोर्स बनने तक की उल्लेखनीय यात्रा के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
  • अपने शस्त्रागार में 152 जहाजों और 78 विमानों के साथ, आईसीजी 2030 तक 200 सतह प्लेटफार्मों और 100 विमानों के अपने लक्षित फोर्स लेवल तक पहुंचने की राह पर है।
  • अपने आदर्श वाक्य “वयं रक्षामः” (हम रक्षा करते हैं) के तहत, आईसीजी ने अपनी स्थापना के बाद से 11,554 से अधिक लोगों की जान बचाई है, जिसमें वर्ष 2023 में 200 लोगों की जान की रक्षा भी शामिल है। सुरक्षा के प्रति इस प्रतिबद्धता ने आईसीजी को विश्व स्तर पर प्रसिद्ध कोस्ट गार्ड्स में से एक के रूप में स्थापित किया है।
  • भारत के समुद्री क्षेत्रों में 24×7 निगरानी बनाए रखते हुए, आईसीजी प्रतिदिन 50 से 60 जहाजों और 10 से 12 विमानों को तैनात करता है, जो ब्लू इकोनॉमी और सुरक्षित समुद्री परिवहन में सतत प्रगति के लिए मुक्त और सुरक्षित समुद्र सुनिश्चित करने के देश के लक्ष्य में योगदान देता है।
  • समुद्री सुरक्षा में उभरती चुनौतियों के जवाब में, आईसीजी ने समुद्री कानून प्रवर्तन को काफी मजबूत किया है, जिसके परिणामस्वरूप इसकी स्थापना के बाद से 15,343 करोड़ रुपये के हथियार, प्रतिबंधित पदार्थ और नशीले पदार्थों की जब्ती हुई है, जिसमें अकेले 2023 में 478 करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं। सहयोगात्मक कार्रवाइयों ने तस्करों के खिलाफ प्रभावी प्रतिरोध पैदा किया है, जिससे प्रवेश लगभग असंभव हो गया है।
  • ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को आगे बढ़ाते हुए, आईसीजी ने कई स्वदेशी जहाजों, विमानों और उपकरणों को शामिल किया है।
  • प्रदूषण नियंत्रण जहाजों (पीसीवी) सहित निर्माणाधीन 21 जहाजों और विमानों की चल रही खरीद के साथ, आईसीजी अपनी परिचालन क्षमताओं में लगातार सुधार कर रहा है।
  • ‘डिजिटल आर्म्ड फोर्स’ की दिशा में एक रणनीतिक कदम के रूप में रक्षा मंत्रालय और टीसीआईएल ने पेपरलेस ऑफिस के लिए सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप डिजिटल कोस्ट गार्ड (डीसीजी) मिशन के लिए एक परिवर्तनकारी समझौता किया है।
  • समुद्री पर्यावरण के मोर्चे पर, इंडियन एक्सक्लूसिव इकनॉमिक ज़ोन (ईईजेड) में तेल रिसाव से निपटने के लिए केंद्रीय समन्वय प्राधिकरण के रूप में आईसीजी ने यह सुनिश्चित किया है कि पिछले वर्ष भारतीय जल क्षेत्र में कोई बड़ी तेल रिसाव की घटना न हो।

6. सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की:

  • स्थायी परिवहन की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम के रूप में केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री, श्रीमती निर्मला सीतारमण ने संसद में अंतरिम बजट 2024-25 प्रस्तुत करते हुए इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की।
  • यह रणनीतिक पहल विनिर्माण और चार्जिंग बुनियादी ढांचे दोनों पर ही केंद्रित है और जिसका लक्ष्य इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए परिदृश्य को सुदृढ़ एवं व्यापक बनाना है।
  • सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने पर समर्पित ध्यान देने के साथ ही, सरकार इलेक्ट्रिक बसों को व्यापक रूप से अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार है।
  • ई-बस संचालकों (ऑपरेटर्स) के बीच विश्वास को बढ़ावा देते हुए भुगतान सुरक्षा तंत्र के कार्यान्वयन के माध्यम से इसे सुविधाजनक बनाया जाएगा।
  • इस पहल से सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क को सुदृढ़ करने, पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा-कुशल आवागमन के तरीके को बढ़ावा मिलने की सम्भावना है।
  • प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक देश को कार्बन तटस्थ बनाने का दृष्टिकोण अपनाया है।
  • इसे ध्यान में रखते हुए, सरकार देश में स्वच्छ और पर्यावरण-अनुकूल वाहनों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • भारी उद्योग मंत्रालय और मोटर वाहन (ऑटोमोबाइल) उद्योग इस दिशा में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
  • यह सक्रिय कदम इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के सतत विकास के लिए एक ठोस नींव बनाने पर बल देने के साथ-साथ स्वच्छ और हरित भविष्य को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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