विषयसूची:
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01 July 2024 Hindi PIB
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1. सी-डैक ने एयूएम प्रोसेसर के डिजाइन और विकास के लिए मोसचिप और सोसियोनेक्स्ट के साथ की साझेदारी:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: C-DAC
मुख्य परीक्षा: सुपरकंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी (Supercomputing technology)
प्रसंग:
- सेंटर फॉर डेवलेपमेंट ऑफ एडवांस कम्यूटिंग (सी-डैक) ने आर्म आर्किटेक्चर पर आधारित और टीएसएमसी (ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड) 5एनएम प्रौद्योगिकी नोड पर निर्मित हाई-परफॉर्मेंस-कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रोसेसर एसओसी के डिजाइन और विकास के लिए मोसचिप टेक्नोलॉजीज और सोसाइनेक्स्ट इंक के साथ साझेदारी की है।
विवरण:
स्वदेशी एचपीसी प्रोसेसर एयूएम का विकास:
- भारत में अत्याधुनिक सुपरकंप्यूटिंग तकनीक विकसित करने और उसे लागू करने के लिए स्थापित सी-डैक इसके पूर्ण स्वदेशीकरण की दिशा में काम कर रहा है और इस दिशा में स्वदेशी कंप्यूट नोड रुद्र, त्रिनेत्र-इंटरकनेक्ट और सिस्टम सॉफ्टवेयर स्टैक विकसित किया है।
- इसके अलावा, एचपीसी सिस्टम विकास के पूर्ण स्वदेशीकरण के लिए, सी-डैक एक स्वदेशी एचपीसी प्रोसेसर एयूएम डिजाइन कर रहा है।
- सी-डैक ने इस परियोजना के लिए एक भारतीय स्टार्टअप कीनहेड्स टेक्नोलॉजीज को प्रोग्राम मैनेजमेंट कंसल्टेंट (पीएमसी) के रूप में नियुक्त किया है।
- सी-डैक इस स्वदेशी एचपीसी प्रोसेसर एयूएम के डिजाइन और विकास के लिए मोसचिप टेक्नोलॉजीज, भारत और सोसियोनेक्स्ट इंक., जापान के संघ के साथ सहयोग कर रहा है, जो हाई परफॉर्मेंस वाले आर्म नियोवर्स वी2 सीपीयू प्लेटफॉर्म पर आधारित है, और इसमें उन्नत पैकेजिंग तकनीक शामिल है।
- यह दृष्टिकोण उन्हें अद्वितीय विभेदकों के स्वामित्व को बनाए रखने की अनुमति देता है, जिससे एक महत्वपूर्ण प्रतिस्पर्धी बढ़त मिलती है।
- “सर्वर नोड्स, इंटरकनेक्ट और सिस्टम सॉफ्टवेयर स्टैक के साथ स्वदेशीकरण प्रयास 50 प्रतिशत से अधिक तक पहुंच गए हैं। अब पूर्ण स्वदेशीकरण के लिए, हमारा लक्ष्य स्वदेशी एचपीसी प्रोसेसर एयूएम विकसित करना है”।
- यह घोषणा चिप डिजाइन में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह हाई-परफॉर्मेंस-कंप्यूटिंग के क्षेत्र में स्वदेशी विकास में भारत की क्षमता को दर्शाता है। उद्योग के साथ साझेदारी में कंसोर्टिया मोड में ये उद्यम समय की मांग हैं।
- यह सहयोग हाई-परफॉर्मेंस-कंप्यूटिंग और संबंधित एप्लिकेशन्स की उभरती मांगों को पूरा करने के लिए बनाया गया है और इसका उद्देश्य स्वदेशी एचपीसी प्रोसेसर को डिजाइन, विकसित और उत्पादित करना है, जो न केवल वैश्विक मानकों को पूरा करेगा बल्कि भारत को सुपरकंप्यूटिंग क्षेत्र में अग्रणी स्थान पर भी पहुंचाएगा।
- इस विषय से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: National Supercomputing Mission
पृष्ठ्भूमि:
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) के बारे में:
- इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा वित्तपोषित राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) को भारत को सुपरकंप्यूटिंग में दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बनाने और राष्ट्रीय व वैश्विक प्रासंगिकता की बड़ी चुनौतियों को हल करने में भारत की क्षमता बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था।
- इसके हिस्से के रूप में, सी-डैक देश भर के प्रमुख अनुसंधान एवं विकास और शैक्षणिक संस्थानों में एचपीसी सिस्टम विकसित कर रहा है।
2. ‘ग्लोबल इंडिया एआई शिखर सम्मेलन 2024’:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: ग्लोबल इंडियाएआई शिखर सम्मेलन 2024
मुख्य परीक्षा: ग्लोबल इंडियाएआई शिखर सम्मेलन 2024 का प्रभाव।
प्रसंग:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जिम्मेदार विकास, तैनाती और उसे अपनाने के प्रति भारत सरकार की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 3 और 4 जुलाई, 2024 को नई दिल्ली में ‘ग्लोबल इंडिया एआई शिखर सम्मेलन’ का आयोजन कर रहा है।
उद्देश्य:
- इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हुए एआई प्रौद्योगिकियों के नैतिक और समावेशी विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर जोर देना है।
विवरण:
ग्लोबल इंडियाएआई शिखर सम्मेलन 2024:
- यह शिखर सम्मेलन विज्ञान, उद्योग, नागरिक समाज, सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और शिक्षा जगत के अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय एआई विशेषज्ञों को एआई के प्रमुख मुद्दों और चुनौतियों के बारे में परिज्ञान साझा करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराएगा।
- यह आयोजन एआई की जिम्मेदार उन्नति, वैश्विक एआई हितधारकों के बीच सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के प्रति भारत सरकार के समर्पण पर जोर देता है।
- ग्लोबल इंडियाएआई शिखर सम्मेलन 2024 के माध्यम से भारत अपने आप को एआई नवाचार में एक वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित करने का इच्छुक है, जो यह सुनिश्चित करता है कि एआई लाभ सभी के लिए सुलभ हों और वे राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दें।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक साझेदारी (जीपीएआई) के प्रमुख अध्यक्ष के रूप में भारत एक सुरक्षित, संरक्षित और विश्वसनीय एआई के प्रति जीपीएआई की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने के लिए सदस्य देशों और विशेषज्ञों की मेजबानी भी करेगा।
इंडियाएआई मिशन के बारे में जानकारी:
- इंडियाएआई मिशन का उद्देश्य एक ऐसे व्यापक इकोसिस्टम का निर्माण करना है जो कंप्यूटिंग एक्सेस के प्रजातंत्रीकरण, डेटा की गुणवत्ता को बढ़ाकर, स्वदेशी एआई क्षमताओं को विकसित करके, शीर्ष एआई प्रतिभाओं को आकर्षित करके, उद्योग सहयोग को सक्षम करके, स्टार्टअप जोखिम पूंजी उपलब्ध कराकर, सामाजिक रूप से प्रभावशाली एआई परियोजनाओं को सुनिश्चित करके और नैतिक एआई को बढ़ावा देकर एआई नवाचार को बढ़ावा देता हो।
- यह मिशन निम्नलिखित सात स्तंभों के माध्यम से भारत के एआई इकोसिस्टम के जिम्मेदार और समावेशी विकास को बढ़ावा देता है।
- यह ग्लोबल इंडियाएआई शिखर सम्मेलन का मुख्य विचार बिन्दु होगा।
इंडियाएआई मिशन के प्रमुख स्तंभ:
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इंडियाएआई कंप्यूट क्षमता: सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से 10,000 से अधिक जीपीयू के साथ एक स्केलेबल एआई कंप्यूटिंग इकोसिस्टम की स्थापना करना।
- एक एआई मार्केटप्लेस एआई को सेवा और पूर्व-प्रशिक्षित मॉडल के रूप में उपलब्ध कराएगा जो आवश्यक एआई संसाधनों के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
- इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर: स्वदेशी और बड़े मल्टीमॉडल मॉडल (एलएमएम) और डोमेन-निर्दिष्ट आधारभूत मॉडल विकसित करने और उन्हें तैनात करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। ये मॉडल भारत के विविध उद्योगों और क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करेंगे।
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इंडियाएआई डेटासेट प्लेटफ़ॉर्म: एआई नवाचार के लिए उच्च गुणवत्ता वाले गैर-व्यक्तिगत डेटासेट तक पहुँच को अच्छी तरह से व्यवस्थित करना।
- एक एकीकृत डेटा प्लेटफ़ॉर्म भारतीय स्टार्टअप और शोधकर्ताओं के लिए सहज पहुँच उपलब्ध कराएगा, जिससे मज़बूत एआई मॉडल के विकास करने में सहायता मिलेगी।
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इंडियाएआई अनुप्रयोग विकास पहल: केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य विभागों और अन्य संस्थानों के साथ समस्याओं का समाधान करके महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एआई अनुप्रयोगों को बढ़ावा देना।
- यह पहल बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक बदलाव के लिए प्रभावशाली एआई समाधान विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
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इंडियाएआई फ्यूचरस्किल्स: विभिन्न शैक्षणिक स्तरों पर एआई पाठ्यक्रमों को बढ़ाकर और टियर 2 और 3 शहरों में डेटा और एआई लैब्स की स्थापना करके एआई शिक्षा में आ रही बाधाओं को कम करना।
- इससे देश में कुशल एआई पेशेवरों की एक स्थिर पाइपलाइन सुनिश्चित होती है।
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इंडियाएआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग: वित्त पोषण तक सुव्यवस्थित पहुंच के साथ डीप-टेक एआई स्टार्टअप का समर्थन करना।
- जोखिम पूंजी और वित्तीय सहायता प्रदान करके, इस मिशन का उद्देश्य तकनीकी प्रगति और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाले एआई स्टार्टअप के एक जीवंत इकोसिस्टम का पोषण करना है।
- सुरक्षित एवं विश्वसनीय एआई: जिम्मेदार एआई परियोजनाओं के क्रियान्वयन, स्वदेशी उपकरण एवं रूपरेखाओं के विकास और नैतिक, पारदर्शी एवं विश्वसनीय एआई प्रौद्योगिकियों के लिए दिशानिर्देश स्थापित करने के माध्यम से जिम्मेदार एआई विकास सुनिश्चित करना।
3. अंतर्राष्ट्रीय स्टील स्लैग रोड सम्मेलन: नीति आयोग ने सड़क निर्माण में स्टील स्लैग उपयोग के दिशानिर्देश जारी किए:
सामान्य अध्ययन: 3
बुनियादी ढांचा:
विषय: बुनियादी ढांचा: सड़क।
प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय स्टील स्लैग रोड सम्मेलन।
मुख्य परीक्षा: स्टील स्लैग रोड।
प्रसंग:
- नीति आयोग के सदस्य (विज्ञान) डॉ. वी.के. सारस्वत ने नई दिल्ली में सीएसआईआर-सीआरआरआई और पीएचडीसीसीआई द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित स्टील स्लैग रोड पर पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में सड़क निर्माण में प्रसंस्कृत स्टील स्लैग एग्रीगेट के रूप में स्टील स्लैग के उपयोग और प्रसंस्करण के लिए दिशानिर्देश जारी किए।
विवरण:
- इस्पात मंत्रालय ने सड़क निर्माण में नेचुरल एग्रीगेट्स के विकल्प के रूप में स्टील स्लैग के व्यापक स्तर पर उपयोग की सुविधा के लिए सीएसआईआर-केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के लिए एक प्रमुख अनुसंधान एवं विकास परियोजना प्रायोजित की।
- स्टील स्लैग उपयोग के लिए सीआरआरआई द्वारा विकसित दिशा-निर्देश विभिन्न प्रकार के सड़क निर्माण कार्यों में विविध प्रकार के स्टील स्लैग के प्रभावी और सुरक्षित उपयोग के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करते हैं।
- प्राकृतिक समुच्चय के विकल्प के रूप में निर्माण और रखरखाव कार्यों में प्रसंस्कृत स्टील स्लैग एग्रीगेट्स का उपयोग हमारे इकोसिस्टम को अस्थिर उत्खनन और खनन से बचाएगा।
- देश में निर्माण और रखरखाव कार्यों के लिए प्रत्येक वर्ष लगभग 1.8 बिलियन टन नेचुरल एग्रीगेट्स की आवश्यकता होती है, जिसका हम वर्ष-दर-वर्ष उत्खनन करते रहते हैं।
- इस्पात उद्योग अपनी सर्वोत्तम सामग्री के उपयोग पर फलता-फूलता है।
- इस्पात मंत्रालय ने सड़क निर्माण में नेचुरल एग्रीगेट्स के विकल्प के रूप में स्टील स्लैग के व्यापक स्तर पर उपयोग की सुविधा के लिए सीएसआईआर-केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के लिए एक प्रमुख अनुसंधान एवं विकास परियोजना प्रायोजित की।
- स्टील स्लैग उपयोग के लिए सीआरआरआई द्वारा विकसित दिशा-निर्देश विभिन्न प्रकार के सड़क निर्माण कार्यों में विविध प्रकार के स्टील स्लैग के प्रभावी और सुरक्षित उपयोग के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करते हैं।
- इसमें पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए स्टील स्लैग के उचित निपटान और भंडारण के लिए विस्तृत रूपरेखा शामिल है।
- देश में निर्माण और रखरखाव कार्यों के लिए प्रत्येक वर्ष लगभग 1.8 बिलियन टन नेचुरल एग्रीगेट्स की आवश्यकता होती है, जिसका हम वर्ष-दर-वर्ष उत्खनन करते रहते हैं।
- प्राकृतिक समुच्चय के विकल्प के रूप में निर्माण और रखरखाव कार्यों में प्रसंस्कृत स्टील स्लैग एग्रीगेट्स का उपयोग हमारे इकोसिस्टम को अस्थिर उत्खनन और खनन से बचाएगा।
- डॉ. एन. कलैसेलवी ने मुंबई से गोवा, एनएच 66 के बीच स्टील स्लैग रोड का उल्लेख किया और इसे दोनों शहरों के लिए एक सामान्य बिंदु माना।
- वेस्ट टू वेल्थ मिशन ने सीएसआईआर की पहचान, पहुंच और लोकप्रियता में अत्यधिक वृद्धि की है।
- स्टील स्लैग रोड प्रौद्योगिकी ने भारत सरकार के तीन महत्वपूर्ण मंत्रालयों का एक साझा परस्पर संपर्क क्षेत्र बनाया है।
- अमेरिका से सीएसआईआर को तकनीकी सहायता और इसके विस्तार के लिए अनुरोध करने का पत्र मिला है, जो इस प्रौद्योगिकी के वैश्विक स्तर पर महत्व को दर्शाता है।
- श्री रंजन धर ने अप्रैल 2022 में एएमएनएस इंडिया और सीएसआईआर-सीआरआरआई द्वारा हजीरा सूरत में निर्मित भारत की पहली स्टील स्लैग रोड को रेखांकित किया, जिसमें एएमएनएस इंडिया हजीरा प्लांट में विकसित 100 हजार टन, प्रसंस्कृत ईएएफ स्टील स्लैग एग्रीगेट्स का उपयोग किया गया।
- अपनी नई प्रौद्योगिकीय पहल के लिए इस टिकाऊ सड़क परियोजना को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली तथा इसे इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया।
- उन्होंने यह भी कहा कि यह अपशिष्ट से संपदा और स्वच्छ भारत मिशन का एक प्रमुख उदाहरण है क्योंकि यह वातावरण में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और कार्बन उत्सर्जन को कम करता है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के 9 साल पूरे:
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के 9 साल सफलतापूर्वक पूरे होने की सराहना की है।
- डिजिटल इंडिया एक सशक्त भारत का प्रतीक है जिससे लोगों का ‘जीवनयापन और ज्यादा आसान’ होता जा रहा है एवं पारदर्शिता भी बढ़ रही है।
- ‘डिजिटल इंडिया एक सशक्त भारत है जिससे लोगों का ‘जीवनयापन और ज्यादा आसान’ होता जा रहा है एवं पारदर्शिता भी बढ़ रही है।
- इस थ्रेड में प्रौद्योगिकी के प्रभावकारी उपयोग की बदौलत पिछले एक दशक में हुई उल्लेखनीय प्रगति की झलक नजर आती है।’
- ‘डिजिटल इंडिया’ पहल से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: https://byjus.com/free-ias-prep/digital-india/
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