विषयसूची:
|
1. फुकोट करनाली जलविद्युत परियोजना (480 मेगावाट) के विकास के लिए भारत और नेपाल के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय:भारत एवं इसके पडोसी- संबंध।
प्रारंभिक परीक्षा: फुकोट करनाली जलविद्युत परियोजना।
मुख्य परीक्षा: भारत – नेपाल संबंधों पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- एनएचपीसी लिमिटेड (भारत सरकार की एक कंपनी) और विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (वीयूसीएल), नेपाल ने दिल्ली में फुकोट करनाली जलविद्युत परियोजना के विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
उद्देश्य:
- यह परियोजना बिजली उत्पादन करने के लिए करनाली नदी की धारा का इस्तेमाल करेगी और पैदा की गई बिजली नेपाल की एकीकृत बिजली प्रणाली में भेजी जाएगी।
- लगभग 2448 जीडब्ल्यूएच के औसत वार्षिक उत्पादन के साथ परियोजना की स्थापित क्षमता करीब 480 मेगावाट होगी।
विवरण:
- नेपाल की यह परियोजना 480 मेगावाट की है।
- भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री श्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की उपस्थिति में इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
- इस परियोजना की प्रमुख विशेषताओं में 109 मीटर ऊंचा आरसीसी बांध और एक भूमिगत बिजलीघर है, जहां 79 मेगावाट की 6 टर्बाइन रखी जाएगी।
- इस परियोजना की कल्पना पीकिंग रन-ऑफ-रिवर (पीआरओआर) की तरह की योजना के रूप में की गई है यानी यह नदी का प्रवाह कम होने पर भी बेहतर तरीके से काम करेगा।
- एनएचपीसी लिमिटेड भारत का सबसे बड़ा जल विद्युत विकास संगठन है।
- ‘मिनी रत्न’ दर्जा प्राप्त यह भारत सरकार का अनुसूची-ए उद्यम है।
- विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (वीयूसीएल) नेपाल में सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल में बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं के विकास, निर्माण, स्वामित्व और संचालन के लिए जिम्मेदार है।
- इसके अलावा दोनों प्रधानमंत्रियों ने संयुक्त रूप से भारत में बथनाहा से नेपाल सीमा शुल्क यार्ड तक एक कार्गो ट्रेन का उद्घाटन किया। रेल लिंक भारतीय अनुदान के साथ बनाया गया था।
- नेपाल में नेपालगंज और भारत की ओर रुपैडीहा में एकीकृत चेकपोस्ट (आईसीपी) का भी उद्घाटन किया।
- उन्होंने मोतिहारी-अमलेखगंज पेट्रोलियम पाइपलाइन के हिस्से के रूप में भैरहवा और सोनौली में आईसीपी के साथ-साथ दूसरे चरण की सुविधाओं के ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह में भाग लिया।
- नेपाल के प्रधानमंत्री महामहिम श्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने 1 जून, 2023 को राष्ट्रपति भवन में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की और भारत के साथ उनके पुराने संबंध और उनके अनुभव को देखते हुए, भारत सदियों पुरानी साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए भारत-नेपाल द्विपक्षीय संबंधों में एक सकारात्मक एजेंडे के प्रति सकारात्मक रख प्रदर्शित किया।
- राष्ट्रपति ने कहा कि नेपाल, भारत के लिए प्राथमिकता है।
- भारत विकास-साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर है, जिसमें महत्वपूर्ण परियोजनाओं को शीघ्रता से पूरा करना भी शामिल है।
- राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा ने दोनों तरफ से पर्यटन को बढ़ावा दिया है।
- उन्होंने लोगों के आपसी संपर्क और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आध्यात्मिक पर्यटन सर्किट को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
- उन्होंने कहा कि सिस्टर सिटी समझौते और वित्तीय संपर्क में सुधार से भी हमारे दोनों देशों के बीच पर्यटन को प्रोत्साहन मिल सकता है।
- राष्ट्रपति ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत-नेपाल द्विपक्षीय सहयोग और मजबूत हुआ है।
- कोविड-19 महामारी के कठिन समय के दौरान भी, दोनों देशों के बीच व्यापार कायम रहा।
पृष्ठ्भूमि:
- नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ 31 मई से भारत की यात्रा पर आये हैं।
- इस यात्रा के दौरान, भारत और नेपाल के बीच दो दशक पुरानी संधि की समीक्षा भी होगी।
2.भारतीय मानक ब्यूरो ने आयुष से जुड़े 31 जड़ी-बूटियों और उत्पादों से संबंधित भारतीय मानकों को अधिसूचित किया:
सामान्य अध्ययन: 2
स्वास्थ्य:
विषय: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय मानक ब्यूरो (BIS)।
मुख्य परीक्षा: भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा आयुष के क्षेत्र में मानकीकरण के लिये उठाये गए महत्वपूर्ण कदमों के लाभों की समीक्षा कीजिए।
प्रसंग:
- मानकीकरण, अंकन और गुणवत्ता प्रमाणन की गतिविधियों के लिए अनिवार्य भारत के राष्ट्रीय मानक निकाय, भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) ने आयुष के क्षेत्र में मानकीकरण के लिये एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
उद्देश्य:
- BIS ने आयुष से संबंधित 31 भारतीय मानकों को अधिसूचित किया है, जिसमें से 30 जड़ी-बूटियों और एक उत्पाद (स्टेनलेस स्टील नेटी पॉट) शामिल हैं।
- इन मानकों को हाल ही में राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से प्रकाशित किया गया था।
- BIS ने आयुष के केन्द्रीयकरण को समर्पित एक अतिरिक्त विभाग की भी स्थापना की है।
विवरण:
- आयुष मंत्रालय ने BIS के इस कदम की सराहना की है और माना है कि मानकों के विकास और आयुष के प्रमाणन के लिए BIS का यह प्रयास उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करके, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ाएगा, निर्माताओं को विश्वास प्रदान करेगा और लागत कम कर, प्रदर्शन और सुरक्षा में सुधार कर उपभोक्ताओं को भी लाभ पहुंचाएगा।
- हाल ही में BIS ने, BIS में आयुष केंद्रित एक समर्पित अतिरिक्त विभाग की स्थापना करके भारत में मानकीकरण की अपनी मजबूत संरचना में एक और स्तम्भ को जोड़ा है।
- BIS का यह कदम न केवल मानकीकरण की प्रक्रिया को गति प्रदान करेगा बल्कि आयुष मंत्रालय के सभी स्तरों पर उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य में भी मदद करेगा।
- BIS ने अपनी नई पहल में मानकीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन ISO के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय मानक तैयार करने की भी शुरुआत की है।
- BIS की सलाह पर स्वास्थ्य सूचना विज्ञान में ‘पारंपरिक चिकित्सा’ पर एक कार्य समूह (डब्ल्यूजी-10) बनाया गया है।
- वैश्वीकरण और पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के बढ़ते उपयोग के कारण आयुष प्रणालियों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों की अनिवार्यता बढ़ गई है।
- आयुष मंत्रालय राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं को गुणवत्ता पूर्ण उत्पादों और सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने और व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए एक जीवंत ‘क्वालिटी इकोसिस्टम’ बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है।
3. जल जीवन मिशन के अंतर्गत स्वच्छ जल से सुरक्षा अभियान की प्रगति रिपोर्ट जारी:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: जल गुणवत्ता प्रबंधन सूचना प्रणाली।
मुख्य परीक्षा:स्वच्छ जल से सुरक्षा अभियान की प्रगति रिपोर्ट का महत्व।
प्रसंग:
- केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जल जीवन मिशन के अंतर्गत स्वच्छ जल से सुरक्षा (एसजेएसएस) अभियान की प्रगति रिपोर्ट जारी की, जिसका आयोजन 2 अक्टूबर, 2022 से 31 मार्च, 2023 तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पानी की गुणवत्ता की निगरानी और निरीक्षण गतिविधियों की शुरुआत करने की दिशा में ठोस कदम उठाने के लिए प्रभावित करने के लिए किया गया, क्योंकि जल जीवन मिशन के अंतर्गत ‘सुरक्षित पानी की आपूर्ति’ प्रमुख विचारों में से एक है।
उद्देश्य:
- इस अभियान के अंतर्गत कई गतिविधियों की शुरुआत की गई जिनमें रासायनिक मापदंडों और जीवाणुतत्व संबंधी मापदंडों (मानसून के बाद) का पता लगाने के लिए सभी गांवों में पीडब्ल्यूएस स्रोतों का परीक्षण; गांवों में घरेलू स्तर पर पानी की गुणवत्ता का परीक्षण; स्कूलों एवं आंगनवाड़ी केंद्रों में पानी की गुणवत्ता का परीक्षण; दूषित नमूनों के लिए किए गए उपचारात्मक कार्य; ग्रामीण स्तर पर FTK/H2S शीशियों का उपयोग करके जल गुणवत्ता परीक्षण करने के लिए महिलाओं का प्रशिक्षण आदि शामिल है।
विवरण:
- इस अभियान के दौरान जल गुणवत्ता प्रबंधन सूचना प्रणाली और निरीक्षण करने के लिए राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा किए गए ठोस प्रयासों और WQMIS पोर्टल पर रिपोर्ट की गई प्रगति के आधार पर, गतिविधिवार प्राप्त की गई समग्र प्रगति निम्नलिखित है:
- रासायनिक मापदंडों के लिए 5.39 लाख (89.69%) गांवों में जीवाणु संबंधी मापदंडों (मानसून के बाद) के लिए 4.47 लाख (74.46%) गांवों में जल गुणवत्ता परीक्षण किया गया।
- 6.58 लाख (67.63%) स्कूलों और 7.16 लाख (67.43%) आंगनवाड़ी केंद्रों में पीने के पानी के नमूनों का परीक्षण किया गया।
- फील्ड टेस्टिंग किट (FTK) का उपयोग करके जल गुणवत्ता परीक्षण करने के लिए 4.59 लाख (76.41%) गांवों की 21.80 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया।
- रिपोर्ट किए गए 90.34% दूषित नमूने के लिए उपचारात्मक कार्रवाई की गई है।
- अभियान के दौरान राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों क्षेत्रों के प्रदर्शन का भी आंकलन किया गया, जिसमें तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश राज्य सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों के रूप में उभरकर सामने आए।
पृष्ठ्भूमि:
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन (JJM) की घोषणा की थी, जिसका उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को नियमित और दीर्घकालिक आधार पर निर्धारित गुणवत्ता के साथ पर्याप्त मात्रा में पेयजल की आपूर्ति करना है।
- सुनिश्चित और सुरक्षित पेयजल तक पहुंच प्राप्त करना जीवन की एक बुनियादी आवश्यकता है।
- अभियान का उद्देश्य पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करना, पंचायती राज संस्थानों और ग्रामीण समुदायों के प्रतिनिधियों के बीच उनसे संबंधित गांवों में पेयजल की गुणवत्ता, पानी की गुणवत्ता के मुद्दों, जल जनित बीमारियों, दूषित पेयजल के स्वास्थ्य प्रभावों और गुणवत्ता की कमी वाले स्रोतों के पानी का उपयोग करने से बचने के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना है।
- इस अभियान का वांछित परिणाम जल गुणवत्ता परीक्षण के लिए ग्राम, जिला एवं राज्य स्तर पर व्यापक भागीदारी, विश्वास उत्पन्न करना और पाइप से पानी की आपूर्ति करके प्रदान किए जा रहे पानी की गुणवत्ता के बारे में लोगों के बीच जागरूकता उत्पन्न करना है।
- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के PHED/RWS विभाग ने नोडल विभाग के रूप में जल गुणवत्ता निगरानी और निरीक्षण एवं जागरूकता गतिविधियों के लिए सभी हितधारकों अर्थात ग्राम पंचायत और/या इसकी उप-समितियों/स्थानीय समुदाय को सक्रिय रूप से शामिल करते हुए अपने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्वच्छ जल से सुरक्षा अभियान लागू किया है।
4.पश्चिमी घाटों में निर्जलीकरण सहनीय संवहनी पादपों (डेसीकेशन टोलेरेंट वैस्कुलर प्लांट्स ) की 62 प्रजातियों की खोज:
सामान्य अध्ययन: 3
पर्यावरण:
विषय: पर्यावरण संरक्षण।
प्रारंभिक परीक्षा: निर्जलीकरण सहनीय संवहनी पादप (डेसीकेशन टोलेरेंट वैस्कुलर प्लांट्स), भारत के जैव विविधता हॉटस्पॉट,पश्चिमी घाट।
प्रसंग:
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) पुणे के वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन ने पश्चिमी घाट में 62 ऐसी डीटी प्रजातियों की पहचान की है जो पहले से ज्ञात नौ प्रजातियों की तुलना में कई गुना अधिक है।
उद्देश्य:
- नए अध्ययन ने भारत के पश्चिमी घाटों में कृषि और संरक्षण में संभावित अनुप्रयोगों के साथ, निर्जलीकरण सहनीय संवहनी पादपों (डेसीकेशन टोलेरेंट वैस्कुलर प्लांट्स ) की 62 प्रजातियों की खोज की हैं।
- भारत का जैव विविधता हॉटस्पॉट, पश्चिमी घाटों में ऐसी निर्जलीकरण सहनीय संवहनी पादपों (डेसीकेशन टोलेरेंट वैस्कुलर प्लांट्स ) की 62 प्रजातियों का घर है, जिनका विशेष रूप से पानी की कमी वाले क्षेत्रों में कृषि कार्यों के लिए उपयोग हो सकता है ।
विवरण:
- निर्जलीकरण सहनीय संवहनी पादप (डेसीकेशन टोलेरेंट वैस्कुलर प्लांट्स- (डीटी) अत्यधिक निर्जलीकरण का सामना करने में सक्षम हैं क्योंकि उनमे विद्यमान पानी की मात्रा का 95% तक अपव्यय हो जाने के बाद भी वे पानी के फिर से उपलब्ध होने पर स्वयं को पुनर्जीवित कर लेते हैं।
- यह अनूठी क्षमता उन्हें ऐसे प्रतिकूल एवं शुष्क वातावरण में जीवित रहने में सक्षम बना देती है जिसमें अधिकांशतः अन्य पौधे जीवित ही नहीं रह सकते।
- ऐसे डीटी पौधों का कृषि में विशेष रूप से सीमित जल संसाधनों वाले क्षेत्रों में उनके संभावित अनुप्रयोगों के लिए अध्ययन किया गया है।
- उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वे पृथ्वी की सतह से बाहर निकले चट्टानी भूभागों (रॉक आउटक्रॉप्स) के प्रमुखता से उत्पन्न हो जाते हैं ।
- भारत में, डीटी पादपों का अपेक्षाकृत कम अध्ययन किया गया है।
- हालांकि पश्चिमी घाट (डब्ल्यूजी) में रॉक आउटक्रॉप्स सामान्य परिदृश्य हैं फिर भी इस क्षेत्र में निर्जलीकरण सहनीय संवहनी पादप (डीटी) के बारे में जानकारी कम ही है।
- इन 62 प्रजातियों की सूची में, 16 भारतीय स्थानिक (इंडियन एंडेमिक) और 12 पश्चिमी घाट के बाहरी हिस्सों के लिए विशिष्ट होने के साथ ही वैश्विक डीटी हॉटस्पॉट के रूप में पश्चिमी घाटों (डब्ल्यूजी) के महत्व को उजागर करते हैं।
- अध्ययन के अनुसार, पृथ्वी की सतह से बाहर निकले चट्टानी भूभागों (रॉक आउटक्रॉप्स) के अलावा, आंशिक रूप से आच्छादित वनों में पेड़ के तने भी डीटी प्रजातियों के लिए महत्वपूर्ण आवास स्थल के रूप में पाए गए।
- शोधकर्ताओं की टीम ने मौसमी क्षेत्र अवलोकनों द्वारा डीटी पादपों के सापेक्ष जल सामग्री अनुमान प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद उनके निर्जलीकरण सहनीय संवहनी पादप (डेसीकेशन टोलेरेंट वैस्कुलर प्लांट्स- (डीटी) गुणों के लिए आउटक्रॉप प्रजातियों की छानबीन की।
- किसी एपिफाइटिक डीटी एंजियोस्पर्म के प्रतिनिधि के रूप में रिकॉर्ड के लिए ट्राइपोगोन कैपिलेटस के साथ वैश्विक परिप्रेक्ष्य में डीटी पौधों की नौ प्रजातियों को नए रूप में रिपोर्ट किया गया है।
- यह अध्ययन गेस्नेरियाड कोरालोडिस्कस लैनुगिनोसस के डीटी गुणों का पहला क्षेत्र अवलोकन-आधारित प्रमाण भी प्रदान करता है।
- इस प्रजाति की जलयोजन (हाइड्रेशन) प्रक्रिया को टाइम-लैप्स वीडियो में रिकॉर्ड किया गया है।
निष्कर्ष:
- इस अध्ययन के निष्कर्ष पश्चिमी घाट की जैव विविधता और पारिस्थितिकी में महत्वपूर्ण एवं मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते हैं और डीटी पौधों की प्रजातियों के संरक्षण में सहायता कर सकते हैं।
- इसके अलावा इस अध्ययन उस प्रक्रिया को समझा जा सकता है जिसके द्वारा डीटी पादप निर्जलीकरण को सहन कर सकते हैं I
- इससे उन फसलों का विकास हो सकता है जो अधिक सूखा प्रतिरोधी हैं और जिन्हें कम पानी की आवश्यकता होती है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तीन वर्ष पूर्ण:
- आवास और शहरी मामलों तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना के 3 वर्ष सम्पन्न होने पर सराहना की।
- इसके अलावा स्ट्रीट वेंडर्स के लिए पीएम स्वनिधि मोबाइल ऐप लॉन्च किया।
- इससे ऋण आवेदन प्रक्रिया सरल बनाई जा सकेगी और योजना के बारे में उन्हें जानकारी प्रदान की जा सकेगी।
- पीएम स्वनिधि योजना ने पिछले तीन वर्षों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं।
- यह योजना स्ट्रीट वेंडर्स को तीन किस्तों में कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा प्रदान करती है।
- यह सम्पूर्ण भारत में 36 लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स को इस योजना के तहत माइक्रोक्रेडिट प्रदान कर रहा है।
- 30 जून, 2023 तक, 48.5 लाख ऋण आवेदनों को स्वीकृति दी गई है।
- डिजिटल योजना का एक प्रमुख घटक बोर्डिंग और प्रशिक्षण है।
- प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना सरकारी योजनाओं को सर्वाधिक तेजी से लागू करने वाली योजनाओं में से एक है।
- प्रधानमंत्री स्वनिधि ने भारत के शहरों और कस्बों में वित्तीय समावेशन और डिजिटल साक्षरता की एक नई लहर चलाई है, जिससे रेहड़ी-पटरी वालों के जीवन को गरिमा और स्थायित्व मिला है।
- प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना 1 जून, 2020 को शुरू की गई थी।
- इसका उद्देश्य स्ट्रीट वेंडर्स के बीच स्वरोजगार, स्वावलंबन, स्वाभिमान (स्वरोजगार, स्व-निर्वाह और आत्मविश्वास) बहाल करने के उद्देश्य से यह योजना लाई गयी।
- प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना भारत सरकार की सबसे तेजी से बढ़ती हुई सूक्ष्म-क्रेडिट योजनाओं में से एक बन गई है।
- इसने अपने नागरिकों को क्रेडिट और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के साथ जोड़ा है।
- इस योजना के माध्यम से कोविड-19 प्रभावित रेहड़ी-पटरी वालों (स्ट्रीट वेंडर्स) को अपनी आजीविका फिर से शुरू करने का अधिकार मिला।
- इसने वित्तीय समावेशन और स्ट्रीट वेंडर्स को मुख्यधारा में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- महामारी के दौरान शुरू की गई इस योजना ने देश भर के स्ट्रीट वेंडर्स के जीवन में महत्वपूर्ण योगदान दिया गया।
2.गोबरधन के लिए एकीकृत पंजीकरण पोर्टल लॉन्च:
- केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गोबरधन के लिए एकीकृत पंजीकरण पोर्टल लॉन्च किया जो सम्पूर्ण भारत के स्तर पर बायोगैस/सीबीजी क्षेत्र में निवेश और भागीदारी का आकलन करने के लिए एकल कोष के रूप में कार्य करेगा और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में बायोगैस संयंत्र/सीबीजी की स्थापना की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगा।
- गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन (गोबरधन) भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण विस्तृत पहल है, जो संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण पर आधारित है और इसका उद्देश्य सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने की दिशा में कचरे को धन में बदलना है।
- भारत सरकार टिकाऊ आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और एक सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए बायोगैस/संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी)/जैव-संपीड़ित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) संयंत्रों की स्थापना के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का इरादा रखती है।
- जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग के नोडल प्रभाग के रूप में गोबर्धन ने इस पोर्टल को विकसित किया है।
- गोबरधन का उद्देश्य मवेशियों के गोबर, कृषि अवशेषों और अन्य जैविक कचरे को बायोगैस, सीबीजी और जैव उर्वरकों में परिवर्तित करके धन और ऊर्जा उत्पन्न करना है।
- इस पहल में पशुओं के गोबर, कृषि-अवशेष आदि जैसे जैविक कचरे को बायोगैस/सीबीजी/बायो सीएनजी में बदलने को बढ़ावा देने वाली योजनाओं, कार्यक्रमों, नीतियों का संपूर्ण विस्तार शामिल है।
- इसमें विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के तहत नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की अपशिष्ट से ऊर्जा योजना, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की सतत (सस्ते परिवहन के लिए सतत विकल्प) योजना, डीडीडब्ल्यूएस का एसबीएम (जी) चरण II, कृषि विभाग का एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) पशुपालन और डेयरी विभाग का कृषि सहयोग और किसान कल्याण और पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) योजनाओं / कार्यक्रमों को शामिल किया गया है।
- गोबरधन को राज्य सरकारों और उद्यमियों, सोसायटियों आदि सहित निजी क्षेत्र की साझेदारी में कार्यान्वित किया जा रहा है।
- सीबीजी/बायोगैस (10 घन मीटर/दिन से अधिक) और बायो स्लरी का उत्पादन करने वाला कोई भी संयंत्र/परियोजना गोबरधन के दायरे में आने के योग्य है।
- गोबर्धन पहल की कल्पना भारत के जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए की गई है, विशेष रूप से 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए।
- दुनिया में सबसे अधिक पशुधन आबादी के साथ भारत बड़ी मात्रा में पशु अपशिष्ट पैदा करता है।
- सीबीजी/बायोगैस क्षेत्र भारत के ऊर्जा परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा और सामर्थ्य सुनिश्चित करने, उद्यमशीलता बढ़ाने, ग्रामीण रोजगार प्रदान करने और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- सीबीजी/बायोगैस में इस बदलाव से कई क्षेत्रों में अर्ध-कुशल और कुशल श्रम के लिए रोजगार सृजन में योगदान कर सकता है,अपशिष्ट संग्रह, संचालन, निर्माण आदि।
- यह सामान्य रूप से ग्रामीण लोगों और विशेष रूप से महिलाओं को स्वच्छ ईंधन के उपयोग, गांवों में बेहतर स्वच्छता और स्वास्थ्य परिणामों में सुधार (वेक्टर जनित और श्वसन रोगों में कमी के माध्यम से) से लाभान्वित करेगा।
- पहल सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी इत्यादि) को प्राप्त करने की दिशा में राष्ट्र के प्रयासों को भी बढ़ाएगी, यथा-एसडीजी 3: अच्छा स्वास्थ्य और भलाई, एसडीजी 6: स्वच्छ जल और स्वच्छता, एसडीजी 7: सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा, एसडीजी 13: दूसरों के बीच में जलवायु कार्रवाई।
- इसके अलावा, पहल सर्कुलर इकोनॉमी और भारत सरकार के मिशन लाइफ के लिए महत्वपूर्ण योगदान देती है।
- इसमें विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के तहत योजनाओं / कार्यक्रमों को शामिल किया गया है यथा -नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की अपशिष्ट से ऊर्जा योजना, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की सतत (सस्ते परिवहन के लिए सतत विकल्प) योजना, डीडीडब्ल्यूएस का एसबीएम (जी) चरण II, कृषि विभाग का एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) पशुपालन और डेयरी विभाग का कृषि सहयोग और किसान कल्याण और पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ)।
- अन्य हितधारक मंत्रालय है-आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, उर्वरक विभाग, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय।
- केंद्र सरकार भारत में एक मजबूत सीबीजी/बायोगैस नीति पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के अपने प्रयास में दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।
- कुछ पहलें जो पाइपलाइन में हैं, उनका उद्देश्य बायोमास, ग्रिड पाइपलाइन कनेक्टिविटी, जैविक खेती प्रथाओं को सक्षम करने, अनुसंधान और विकास का समर्थन करने और सीबीजी / बायोगैस हितधारकों के बीच निरंतर जुड़ाव पर विशेष जोर देने के साथ सीबीजी/बायोगैस आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना है।
3.श्री बिद्युत बिहारी स्वैन ने यूपीएससी के सदस्य के रूप में शपथ ली:
- श्री बिद्युत बिहारी स्वैन, आईएएस (गुजरात कैडर 1988) ने आज संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली।
- संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. मनोज सोनी ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
- श्री बिद्युत बिहारी स्वैन 1988 में गुजरात कैडर में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए थे।
- श्री बिद्युत बिहारी स्वैन ने वर्ष 2018 में वाणिज्य विभाग में अपर सचिव के रूप में विशेष आर्थिक क्षेत्रों, स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (सीआईएस) देशों के साथ भारत की व्यापार वार्ता, निर्यात बीमा प्रभारी के रूप में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व किया।
- वे किम्बरले प्रोटोकॉल के अध्यक्ष और वर्ल्ड एक्सपो-दुबई में भारत के कमिश्नर जनरल रहे।
4.दूसरी IPEF मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान आपूर्ति श्रृंखला (स्तंभ- II) समझौते के लिए बातचीत:
- 27 मई 2023 को डेट्रायट में अमेरिका द्वारा आयोजित दूसरी इन-पर्सन इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान आपूर्ति श्रृंखला (स्तंभ- II) समझौते के लिए बातचीत संपन्न हुई।
- इस समझौते से भारत को निम्न लाभ होने की उम्मीद है, जैसे भारत में प्रमुख वस्तुओं/महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उत्पादन केंद्रों का स्थानांतरण, आत्मनिर्भर भारत और पीएलआई योजनाओं को बढ़ावा देना, निवेश जुटाना।
- साथ ही इस समझौते से वैश्विक आपूर्ति और मूल्य श्रृंखलाओं में विशेष रूप से भारतीय एमएसएमई में भारत का एकीकरण भी होगा।
- एक बार लागू होने के बाद, आपूर्ति श्रृंखला समझौते से भारत और अन्य IPEF भागीदार देशों को कई लाभ मिलने की उम्मीद है।
इसके कुछ अपेक्षित प्रमुख लाभ हैं:
-
- प्रमुख वस्तुओं/महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उत्पादन केंद्रों का भारत में संभावित स्थानांतरण; घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देना; आत्मनिर्भर भारत और उत्पादन से जुड़ी पहल योजनाओं को बढ़ावा देना; विशेष रूप से प्रमुख वस्तुओं, रसद सेवाओं और बुनियादी ढांचे के उत्पादन में निवेश जुटाना; विशेष रूप से भारतीय एमएसएमई की वैश्विक आपूर्ति और मूल्य श्रृंखलाओं में भारत का गहरा एकीकरण; भारत से बढ़ा हुआ निर्यात; मूल्य श्रृंखलाओं में ऊपर की ओर गतिशीलता; आपूर्ति श्रृंखला के झटकों/प्रतिकूल घटनाओं से भारत को होने वाले आर्थिक व्यवधानों के जोखिमों को कम करना; भारतीय उत्पादों के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिए एक निर्बाध क्षेत्रीय व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण; व्यापार प्रलेखन के डिजिटल आदान-प्रदान, त्वरित पोर्ट क्लीयरेंस सहित व्यापार सुविधा में वृद्धि; संयुक्त अनुसंधान और विकास; और कार्यबल विकास।
- भारत और अन्य भागीदार देश समझौते के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए संलग्न रहना जारी रखेंगे ताकि समझौते के समग्र उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके जो आईपीईएफ आपूर्ति श्रृंखला को अधिक लचीला, मजबूत और अच्छी तरह से एकीकृत बनाने और आर्थिक विकास और प्रगति में योगदान करने के लिए है।
- IPEF आपूर्ति श्रृंखला (स्तंभ- II) समझौता अब तक के सबसे तेज़ संपन्न बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग समझौतों में से एक है।
- इस समझौते के तहत, IPEF भागीदार देश संकट प्रतिक्रिया उपायों के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक लचीला, मजबूत और अच्छी तरह से एकीकृत बनाना; व्यापार की निरंतरता को बेहतर ढंग से सुनिश्चित करने और रसद और कनेक्टिविटी में सुधार के लिए व्यवधानों के प्रभाव को कम करने के लिए सहयोग; विशेष रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों और प्रमुख वस्तुओं के उत्पादन में निवेश को बढ़ावा देना; और अपेक्षित अपस्किलिंग और रीस्किलिंग के माध्यम से कार्यकर्ता की भूमिका में वृद्धि, और IPEF में कौशल क्रेडेंशियल फ्रेमवर्क की बढ़ती तुलनात्मकता चाहते हैं ।
- यह IPEF भागीदारों के बीच सहकारी और सहयोगात्मक प्रयासों पर जोर देता है।
01 June PIB :- Download PDF Here
सम्बंधित लिंक्स:
Comments