विषयसूची:
1. भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) लागू:
सामान्य अध्ययन: 2,3
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध,आर्थिक विकास
विषय: भारत के व्यापारिक हितों पर विभिन्न विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियां और उनका प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए)।
मुख्य परीक्षा: व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) किस प्रकार भारत-यूएई सीईपीए को एक ट्रेंडसेटर हैं ?
प्रसंग:
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए) जिसे 18 फरवरी 2022 को दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित किया गया था, 01 मई 2022 से आधिकारिक रूप से लागू हो गया हैं।
उद्देश्य:
- वाणिज्य विभाग के सचिव ने नई दिल्ली में न्यू कस्टम्स हाउस में भारत-यूएई सीईपीए के तहत भारत से संयुक्त अरब अमीरात के लिए आभूषण उत्पादों की पहली खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
- वाणिज्य सचिव ने भारत-यूएई सीईपीए को एक ट्रेंडसेटर बताया, दोनों देशों के बीच व्यापार में घातांकीय वृद्धि की उम्मीद जतायी।
विवरण:
- ऐतिहासिक समझौते को क्रियान्वित करते हुए,वाणिज्य सचिव ने एक प्रतीकात्मक संकेत में रत्न और आभूषण क्षेत्र के तीन निर्यातकों को मूल प्रमाण पत्र सौंपा।
- उपरोक्त खेप पर अब इस समझौते के तहत शून्य सीमा शुल्क लगेगा।
- रत्न और आभूषण क्षेत्र का संयुक्त अरब अमीरात को भारत से होने वाली निर्यात में एक बड़ा योगदान होता है और यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे भारत-यूएई सीईपीए के तहत भारतीय उत्पादों के लिए प्राप्त शुल्क रियायतों से काफी लाभ होने की उम्मीद है।
- कुल मिलाकर भारत को अपनी 97 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लाइनों पर संयुक्त अरब अमीरात द्वारा प्रदान की जाने वाली तरजीही बाजार पहुंच से लाभ होगा, जो विशेष रूप से श्रम-व्यापक क्षेत्रों जैसे रत्न और आभूषण, वस्त्र, चमड़े, जूते-चप्पल, खेल के सामान, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि और लकड़ी के उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण और ऑटोमोबाइल से से मूल्य के संदर्भ में यूएई को 99 प्रतिषत निर्यात करता है।
- सेवाओं में व्यापार के संबंध में, भारतीय सेवा प्रदाताओं की 11 व्यापक सेवा क्षेत्रों के लगभग 111 उप-क्षेत्रों तक पहुंच में वृद्धि होगी।
- सीईपीए से पांच वर्षों के भीतर माल में द्विपक्षीय व्यापार के कुल मूल्य को 100 अरब डॉलर और सेवाओं में व्यापार को 15 अरब डॉलर से अधिक तक बढ़ने की उम्मीद है।
- यह एक महत्वपूर्ण अवसर है। जब दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की अपार संभावनाओं से यह समझौता एक ट्रेंडसेटर है क्योंकि बहुत कम समय में इसे किया गया है।
- हालांकि समझौते में 100 अरब डॉलर के व्यापार के लक्ष्य की कल्पना की गई थी, भारत के बाजार के आकार और यूएई भारत को जो पहुंच प्रदान करेगा, उसे देखते हुए बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है।
- भारत के लिए यूएई दुनिया का प्रवेश द्वार होगा,अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादों के प्रतिस्पर्धी होने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए हमारी क्षमताओं को बढ़ाने की आवश्यकता है।
- भारत अन्य पूरक अर्थव्यवस्थाओं के साथ बहुत तेज गति से व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है और ब्रिटेन,कनाडा और यूरोपीय संघ के साथ बातचीत चल रही है।
- पिछले वित्त वर्ष के दौरान 670 अरब डॉलर का निर्यात (वस्तु और सेवा) हुआ, जो सकल घरेलू उत्पाद का 22.23 प्रतिशत था।
- 2047 में भारत के भविष्य के लिए एक विजन के अनुसार हम अगले 25 वर्षों में 40 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था होंगे।
2. भारत का फार्मा निर्यात वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में 103 प्रतिशत बढ़ा:
सामान्य अध्ययन: 3अर्थव्यवस्था:
विषय: फार्मा सेक्टर का निर्यात प्रदर्शन ।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत का व्यापार संतुलन।
मुख्य परीक्षा: व्यापार समझौते के हिस्से के रूप में, भारत ने यूएई तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ भी समझौतों पर हस्ताक्षर किए,इससे भारत को होने वाले लाभों पर चर्चा कीजिए ?
प्रसंग:
- भारत के फार्मा निर्यात ने वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में 103 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कराई है और यह वित्त वर्ष 2013-14 के 90,415 करोड़ रूपये से बढ़ कर वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 1,83,422 करोड़ रुपये तक पहंच गया है।
उद्देश्य:
- वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान अर्जित निर्यात फार्मा सेक्टर का अब तक का सर्वश्रेष्ठ निर्यात प्रदर्शन है।
- यह एक उल्लेखनीय बढोतरी है जब निर्यात में 8 वर्षों में लगभग 10 बिलियन डॉलर की वृद्धि हो चुकी है।
- वित्त वर्ष 2021-22 में फार्मा निर्यात ने वैश्विक व्यापार बाधाओं के बावजूद सकारात्मक वृद्धि बनाये रखी।
- फार्मा व्यापार संतुलन लगातार भारत के पक्ष में बना हुआ है।
- भारतीय फार्मा निर्यात का लगभग 55 प्रतिशत उच्च रूप से विनियमित बाजारों की मांग की पूर्ति करते हैं।
विवरण:
- पिछले वित्त वर्ष 2020-21 के असाधारण प्रदर्शन के आधार पर, भारतीय फार्मा निर्यात ने एक बार फिर वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान अच्छा प्रदर्शन किया है।
- वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान फार्मा निर्यात ने वैश्विक व्यापार बाधाओं तथा कोविड संबंधित दवाओं की मांग में कमी के बावजूद सकारात्मक वृद्धि बनाये रखी है।
- 15175.81 मिलियन डॉलर के अधिशेष के साथ व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में बना हुआ है।
- अपनी कीमत प्रतिस्पर्धात्मकता तथा अच्छी गुणवत्ता के कारण सक्षम भारतीय फार्मा कंपनियों ने वैश्विक पहचान बनाई है जिसमें विश्व के 60 प्रतिशत टीके तथा 20 प्रतिशत जेनेरिक दवाएं भारत से आती हैं।
- भारत मात्रा के हिसाब से दुनिया भर में तीसरे तथा मूल्य के लिहाज से विश्व में 14वें स्थान पर है।
- भारत की फार्मा सफलता गाथा के पीछे विश्व स्तरीय विनिर्माण उत्कृष्टता, मजबूत बुनियादी ढांचा, लागत-प्रतिस्पर्धात्मकता, प्रशिक्षित मानव पूंजी तथा नवोन्मेषण है।
- भारतीय फार्मास्यूटिकल उद्योग का वर्तमान बाजार आकार लगभग 50 बिलियन डॉलर है।
- हमारे वैश्विक निर्यातों में फार्मास्यूटिकल तथा औषधियों का हिस्सा 5.92 प्रतिशत है।
- फॉर्मूलेशन तथा बायोलॉजिकल्स की कुल निर्यातों में 73.31 प्रतिशत की प्रमुख हिस्सेदारी है जिसके बाद 4437.64 मिलियन डॉलर के निर्यात के साथ बल्क ड्रग्स तथा ड्रग इंटरमीडिएट्स का स्थान आता है।
- भारत के शीर्ष फार्मा निर्यात गंतव्य देश हैं: अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, रूस तथा नाईजीरिया।
- यह भी उल्लेखनीय है कि भारतीय फार्मा निर्यात का लगभग 55 प्रतिशत उच्च रूप से विनियमित बाजारों की मांग की पूर्ति करते हैं।
- भारतीय फार्मा कंपनियों की अमेरिका तथा यूरोपीय संघ में प्रिसक्रिप्शन बाजार में उल्लेखीनीय हिस्सेदारी है।
- अमेरिका के बाहर एफडीए स्वीकृत संयंत्रों की सबसे बड़ी संख्या भारत में है।
- वित्त वर्ष 2020-21 में भी, भारतीय ड्रग्स तथा फार्मास्यूटिकल्स ने कोविड के निराशाजनक माहौल में तेज वृद्धि की थी और 18 प्रतिशत की वर्ष दर वर्ष वृद्धि के साथ 24.4 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था।
- भारत के टीकों के उद्योग ने अमेरिका तथा यूरोपीय संघ जैसे विकसित देशों के मुकाबले सबसे कम समय में आईसीएमआर तथा एनआईवी जैसे अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से स्वदेशी प्रौद्योगिकीयों के साथ कोविड टीके को विकसित किया है। भारत ने 97 से अधिक देशों को टीकों की 115 मिलियन से अधिक खुराकें उपलब्ध कराईं।
- व्यापार समझौते के हिस्से के रूप में, भारत ने यूएई तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ भी सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए जो भारतीय फार्मा उत्पादों को इन बाजारों में अधिक पहुंच उपलब्ध कराएगा।
3. बर्लिन, कोपेनहेगन और पेरिस की अपनी यात्रा से पहले प्रधानमंत्री का वक्तव्य:
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारत से भिन्न देशों से हुए समझौते या भारत के हितों को प्रभावित करना।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी)।
मुख्य परीक्षा: प्रवासी भारतीय, यूरोप के साथ हमारे संबंधों के लिहाज से किस प्रकार महत्वपूर्ण हैं ?
प्रसंग:
- भारत के प्रधानमंत्री जर्मनी के संघीय चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ के निमंत्रण पर 2 मई, 2022 को बर्लिन, जर्मनी की यात्रा पर जा रहे हैं और इसके बाद वे डेनमार्क की प्रधानमंत्री सुश्री मेटे फ्रेडरिकसेन के निमंत्रण पर 3-4 मई, 2022 तक कोपेनहेगन, डेनमार्क की यात्रा करेंगे।
उद्देश्य:
- जहां वे द्विपक्षीय बैठकों में भाग लेंगे तथा दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। भारत वापस आते समय, वे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ बैठक हेतु पेरिस, फ्रांस में थोड़ी देर के लिए रुकेंगे।
विवरण:
- बर्लिन की यात्रा चांसलर स्कोल्ज़ के साथ विस्तृत द्विपक्षीय चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगी।
- वे जर्मनी में छठे भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) की सह-अध्यक्षता करेंगे, जो एक विशिष्ट द्विवार्षिक प्रारूप है; जिसे भारत, केवल जर्मनी के साथ आयोजित करता है।
- कई भारतीय मंत्री भी जर्मनी की यात्रा करेंगे और अपने जर्मन समकक्षों के साथ विचार-विमर्श करेंगे।
- 2021 में, भारत और जर्मनी ने राजनयिक संबंधों की स्थापना के 70 साल पूरे किए और दोनों देश 2000 से रणनीतिक साझेदार रहे हैं।
- जर्मनी के साथ रणनीतिक, क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रम पर विचारों का आदान-प्रदान की आशा हैं।
- भारत और जर्मनी के बीच लंबे समय से चले आ रहे वाणिज्यिक संबंध हमारी रणनीतिक साझेदारी के प्रमुख स्तंभों में से एक हैं और दोनों देशों के उद्योग क्षेत्र में आपसी सहयोग को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ चांसलर स्कोल्ज़ तथा संयुक्त रूप से एक व्यापार गोलमेज सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे।
- महाद्वीपीय यूरोप में भारतीय मूल के दस लाख से अधिक लोग निवास करते हैं और जर्मनी में इस प्रवासी समुदाय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहता है।
- भारतीय प्रवासी, यूरोप के साथ हमारे संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण आधार हैं।
- बर्लिन से कोपेनहेगन की यात्रा एक द्विपक्षीय बैठक होगी, जो डेनमार्क के साथ हमारी विशिष्ट ‘हरित रणनीतिक साझेदारी’ में हुई प्रगति के साथ-साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों के अन्य पहलुओं की समीक्षा करने का अवसर प्रदान करेगी।
- प्रधान मंत्री भारत-डेनमार्क व्यापार गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लेंगे और डेनमार्क में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत भी आयोजित होगी।
- डेनमार्क के साथ द्विपक्षीय संबंधों के अलावा, डेनमार्क, आइसलैंड, फिनलैंड, स्वीडन और नॉर्वे के प्रधानमंत्रियों के साथ दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भी भाग लाएंगे, जहां 2018 में आयोजित पहले भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन के बाद से आपसी सहयोग में हुई प्रगति का जायजा लिया जायेगा।
- शिखर सम्मेलन में महामारी के बाद आर्थिक रिकवरी, जलवायु परिवर्तन, नवाचार और प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, उभरता वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य और आर्कटिक क्षेत्र में भारत-नॉर्डिक सहयोग जैसे विषयों पर बातचीत होगी।
- शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री अन्य चार नॉर्डिक देशों के राजनेताओं से भी मिलेंगे और उनके साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति की समीक्षा करेंगे।
- नॉर्डिक देश भारत के लिए सतत विकास, नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटलीकरण और नवाचार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भागीदार रहे हैं।
- यह यात्रा नॉर्डिक क्षेत्र के साथ हमारे बहुआयामी सहयोग को आगे बढ़ाने में मदद करेगी।
- राष्ट्रपति मैक्रों और भारत के प्रधानमंत्री विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार साझा करेंगे और वर्तमान द्विपक्षीय सहयोग की प्रगति का जायजा लेंगे।
4. अप्रैल 2022 में सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1.68 लाख करोड़ रुपये का रहा:
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: राजस्व संग्रह।
प्रारंभिक परीक्षा: जीएसटी राजस्व संग्रह।
प्रसंग:
- अप्रैल 2022 के महीने में सकल जीएसटी राजस्व संग्रह 1,67,540 करोड़ रुपये का रहा।
उद्देश्य:
- अप्रैल 2022 में जीएसटी संग्रह अब तक का सबसे अधिक संग्रह है, जो पिछले सर्वाधिक संग्रह से 25,000 करोड़ रुपये अधिक है, पिछले महीने में 1,42,095 करोड़ रुपये एकत्र किए गए थे।
विवरण:
- सरकार ने आईजीएसटी से 33,423 करोड़ रुपये का सीजीएसटी और 26962 करोड़ रुपये का एसजीएसटी में निपटान किया है।
- अप्रैल 2022 के महीने में नियमित निपटान के बाद केन्द्र और राज्यों का कुल राजस्व सीजीएसटी के लिए 66,582 करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 68,755 करोड़ रुपये रहा।
- अप्रैल 2022 के महीने के लिए राजस्व पिछले साल के इसी महीने में संग्रह किए गए जीएसटी राजस्व से 20 प्रतिशत अधिक है।
- इस मास के दौरान, वस्तुओं के आयात से प्राप्त राजस्व 30 प्रतिशत अधिक रहा और घरेलू लेन-देन से प्राप्त राजस्व (सेवाओं के आयात सहित) पिछले वर्ष के इसी महीने के दौरान इन स्रोतों से प्राप्त राजस्व की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।
- पहली बार सकल जीएसटी संग्रह 1.5 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया है।
- मार्च 2022 के महीने में कुल ई-वे बिल सृजित हुए, जो 7.7 करोड़ थे, जो फरवरी 2022 के महीने में उत्पन्न 6.8 करोड़ ई-वे बिल से 13% अधिक है, जो तेज गति से व्यावसायिक गतिविधि में सुधार को दर्शाता है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. सुमन बेरी नीति आयोग के नए उपाध्यक्ष:
- सुमन बेरी को नीति आयोग का नया उपाध्यक्ष बनाया गया हैं।
- उनकी नियुक्ति 1 मई, 2022 से प्रभावी हुई है।
- बेरी एक अनुभवी नीतिगत अर्थशास्त्री और अनुसंधान प्रशासक हैं।
- सुमन बेरी भारत सरकार के एक महत्वपूर्ण थिंक टैंक के प्रमुख के रूप में डॉ. राजीव कुमार से पदभार ग्रहण करेंगे।
- बेरी ने पहले नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के महानिदेशक (मुख्य कार्यकारी) और रॉयल डच शेल के ग्लोबल चीफ इकनॉमिस्ट के रूप में कार्य किया है।
- वे प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद, सांख्यिकीय आयोग और मौद्रिक नीति पर भारतीय रिजर्व बैंक की तकनीकी सलाहकार समिति के सदस्य भी थे।
- एनसीएईआर से पहले, श्री बेरी वाशिंगटन डीसी में विश्व बैंक से जुड़े थे और लैटिन अमरीका पर केंद्रित मैक्रो-इकनॉमी, वित्तीय बाजार और सार्वजनिक ऋण प्रबंधन उनके क्षेत्रों में शामिल थे।
- हाल में वे सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च, नई दिल्ली में सीनियर विजिटिंग फेलो; ब्रूगल, ब्रुसेल्स में नॉन-रेजीडेंट फेलो; और वुडरो विल्सन सेंटर, वाशिंगटन डीसी में ग्लोबल फेलो के रूप में संबद्ध रहे हैं।
- उन्होंने शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन, नई दिल्ली के बोर्ड में भी काम किया है I
01 May 2022 : PIB विश्लेषण :-Download PDF Here
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