विषयसूची:
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1. हाइड्रोजन प्रमाणन के लिए सामान्य प्रोटोकॉल, नीति व्यवस्था और देशों के बीच सहयोग के साथ-साथ नियामक ढांचा:
सामान्य अध्ययन: 3
बुनियादी ढांचा:
विषय: ऊर्जा
प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), WRI इंडिया, “सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड” (SECI), हरित हाइड्रोजन।
प्रसंग:
- ऊर्जा स्रोतों में बदलाव के लिए कार्य समूह की दूसरी बैठक के दौरान, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने “हरित हाइड्रोजन – शून्य कार्बन उत्सर्जन की दिशा में तेज़ मार्ग पर अग्रसर” विषय पर सह आयोजन की मेजबानी की।
उद्देश्य:
- हरित हाइड्रोजन के हार्ड-टू-एबेट क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज़ करने और G-20 देशों के शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अनुमान है।
विवरण:
- देशों के बीच सहयोग स्थापित करने के साथ-साथ नीति व्यवस्था और नियामक ढांचे का निर्माण, हरित हाइड्रोजन इकोसिस्टम को गति दे सकता है।
- वैश्विक हाइड्रोजन व्यापार को सक्षम करने के लिए हाइड्रोजन प्रमाणन के लिए एक सामान्य ढांचे पर आम सहमति विकसित करना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।
- इसे प्राप्त करना G-20 विचार-विमर्श और चर्चाओं के हिस्से के रूप में सर्वोपरि होगा।
- ज्ञान साझीदार के रूप में वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट इंडिया (WRI इंडिया) के साथ भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की साझेदारी में आयोजित सह-आयोजन में अंतर्राष्ट्रीय शोध संगठनों, उद्योग जगत के प्रतिभागियों, नियामक निकायों और अन्य प्रमुख हितधारकों की सक्रिय भागीदारी देखी गई।
- इस कार्यक्रम में एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया जहां भारत के पहले हाइड्रोजन आंतरिक दहन इंजन (ICE) ट्रक को प्रदर्शित किया गया।
- वर्तमान में वैश्विक स्तर पर लगभग 100 मीट्रिक टन हाइड्रोजन का उत्पादन होता है और इसका 98 प्रतिशत जीवाश्म ईंधन से आता है।
- दुनिया की वर्तमान बिजली खपत, 21,000 TWH, “हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था” की ओर जाने के लिए छह गुना अधिक उत्पन्न होनी चाहिए।
- ग्रीन हाइड्रोजन हार्ड-टू-एबेट क्षेत्रों के क्रॉस-सेक्टरल डीकार्बोनाइजेशन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है और इसलिए यह एक स्थायी, निम्न-कार्बन भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है।
- दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के लिए आर्थिक और तकनीकी चुनौतियों को दूर करने और एक आसान वैश्विक हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण सहकारी और सहयोगी प्रयासों में शामिल होने की अनूठी संभावनाएं मौजूद हैं।
- ईंधन के उपयोग में विविधता लाने और उसे आगे बढ़ाने के बढ़ते प्रयासों से न केवल पर्यावरणीय लाभ होंगे बल्कि ऊर्जा सुरक्षा और आयात पर निर्भरता भी कम होगी।
- स्वच्छ ऊर्जा उपयोग में परिवर्तन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, G-20 देशों को बहु-आयामी रणनीतियों को अपनाने की आवश्यकता होगी जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और इसके सहयोगी तत्व शामिल हों।
- विशेष रूप से कठिन औद्योगिक क्षेत्रों, लंबी दूरी और भारी परिवहन (विमानन और शिपिंग सहित), और हीटिंग और ऊर्जा भंडारण सहित अन्य संभावित अनुप्रयोगों के लिए ऊर्जा उपयोग में परिवर्तन के लिए एक प्रमुख प्रेरक के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन को स्थापित करने के लिए ठोस और समन्वित वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है।
पृष्ठ्भूमि:
WRI इंडिया:
- WRI इंडिया पर्यावरण की दृष्टि से स्वस्थ और सामाजिक रूप से न्यायसंगत विकास को प्रोत्साहन देने के लिए वस्तुनिष्ठ जानकारी और व्यावहारिक प्रस्ताव प्रदान करता है।
- हमारा काम टिकाऊ और रहने योग्य शहरों के निर्माण और निम्न कार्बन वाली अर्थव्यवस्था की दिशा में काम करने पर केंद्रित है।
- अनुसंधान, विश्लेषण और सिफारिशों के माध्यम से, WRI इंडिया पृथ्वी की रक्षा, आजीविका को बढ़ावा देने और मानव कल्याण को बढ़ाने के लिए परिवर्तनकारी समाधान बनाने के लिए विचारों को क्रियान्वित करता है।
ISA:
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) एक क्रिया-उन्मुख, सदस्य-संचालित, सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की बढ़ती तैनाती के लिए एक सहयोगी मंच है, जो ऊर्जा पहुंच लाने, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने और अपने सदस्य देशों में ऊर्जा संक्रमण को चलाने के साधन के रूप में है।
- ISA सूर्य द्वारा संचालित लागत प्रभावी और परिवर्तनकारी ऊर्जा समाधान विकसित करने और तैनात करने का प्रयास करता है ताकि सदस्य देशों को निम्न कार्बन उत्सर्जन के विकास प्रक्षेपवक्र विकसित करने में मदद मिल सके, विशेष रूप से सबसे कम विकसित देशों (LDCs) और छोटे द्वीपीय राज्य (SIDS) विकासशील देशों में प्रभाव देने पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।
- एक वैश्विक मंच होने के नाते, बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDB), विकास वित्तीय संस्थानों (DFI), निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों, नागरिक समाज और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ ISA की साझेदारी आगे बढ़ने वाली दुनिया में बदलाव लाने की कुंजी है।
- ISA की कल्पना भारत और फ्रांस द्वारा सौर ऊर्जा समाधानों की तैनाती के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ प्रयासों को संगठित करने के संयुक्त प्रयास के रूप में की गई थी।
- वर्ष 2015 में पेरिस में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के पक्षकारों के 21वें सम्मेलन (COP-21) के दौरान इसकी परिकल्पना की गई थी।
- वर्ष 2020 में इसके फ्रेमवर्क समझौते के संशोधन के साथ, संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य राज्य अब ISA में शामिल होने के पात्र हैं।
- वर्तमान में, 110 देश ISA फ्रेमवर्क समझौते के हस्ताक्षरकर्ता हैं, जिनमें से 90 देशों ने ISA के पूर्ण सदस्य बनने के लिए अनुसमर्थन के आवश्यक उपकरण प्रस्तुत किए हैं।
SECI:
- “सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड” (SECI) नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत एक CPSU है, जिसकी स्थापना 20 सितंबर, 2011 को राष्ट्रीय सौर मिशन (NSM) और उपलब्धि के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए की गई थी।
- यह नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को समर्पित एकमात्र CPSU है। इसे मूल रूप से कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत धारा-25 (लाभ के लिए नहीं) कंपनी के रूप में शामिल किया गया था।
2.भारत की G-20 अध्यक्षता के तहत दूसरी ऊर्जा अंतरण कार्यकारी समूह की बैठक आयोजित:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच, उनकी संरचना, अधिदेश।
प्रारंभिक परीक्षा: एशियाई विकास बैंक (ADB) तथा ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (CEEW)।
प्रसंग:
- नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, खान मंत्रालय तथा विद्युत मंत्रालय भारत की G-20 अध्यक्षता के तहत आयोजित दूसरी ऊर्जा अंतरण कार्यकारी समूह की बैठक के हिस्से के रूप में गुजरात के गांधीनगर में कल ‘ऊर्जा स्रोतों में बदलाव पर गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाना’ विषय पर एक आधिकारिक कार्यक्रम की मेजबानी करेंगे।
उद्देश्य:
- यह कार्यक्रम एशियाई विकास बैंक (ADB) तथा ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (CEEW) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
- इस आयोजन के माध्यम से मूल्य श्रृंखलाओं में चौतरफा विस्तार को बढ़ावा देने सहित ऊर्जा वितरण के लिए नवीकरणीय ऊर्जा (RE) तथा महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने और उन्हें सुरक्षित बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
विवरण:
- इसमें ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद- CEEW की दो रिपोर्ट जारी की जाएंगी।
- इनमें से एक तो ‘वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण वितरण के लिए लचीली नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं का विकास करना’ तथा दूसरी ‘CEEW, इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA), इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसपोर्टेशन स्टडीज यूसी डेविस और वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट इंडिया (WRII)’ की रिपोर्ट है।
- इनका उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला में आने वाली बधाओं का निपटारा करना है।
- इस कार्यक्रम में नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित बनाने तथा उत्पादन में वृद्धि और चक्रीय विस्तार देते हुए खनिज मूल्य श्रृंखला को सशक्त करने पर दो पैनल चर्चाएं भी आयोजित होंगी।
- वैश्विक आर्थिक विकास अब श्रृंकिंग कार्बन स्पेस, बढ़ते जलवायु जोखिमों और विस्तारवादी भू-राजनीतिक प्रतिकूलताओं के साथ ही एक समय पर हो रहा है।
- विश्व को नेट-जीरो भविष्य प्राप्त करने के उद्देश्य की पूर्ति हेतु वर्ष 2021 और 2050 के बीच सौर तथा पवन ऊर्जा क्षमताओं को क्रमशः 17 व 10 गुना बढ़ाना होगा।
- विद्युत और मोबिलिटी सेक्टर्स के ऊर्जा अंतरण को सुविधाजनक बनाने के लिए वार्षिक बैटरी उपलब्धता को क्रमशः 50 गुना तथा 28 गुना बढ़ाने की जरूरत है।
- नवीकरणीय ऊर्जा आधारित भविष्य के लिए एक जोखिम-रहित बदलाव तभी संभव होगा, जब देश सौर, पवन, बैटरी और हाइड्रोजन जैसी अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की निर्बाध एवं सस्ती आपूर्ति श्रृंखलाओं तक पहुंच सुरक्षित करने में सक्षम हों।
- भारत, अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता के मामले में पहले से ही दुनिया में चौथे स्थान पर है और यह साल 2070 तक अपने नेट-जीरो लक्ष्य को पूरा करने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है।
- हालांकि, अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में उपयोग किए जाने वाले कई खनिज दुर्लभ होते हैं और ये अक्सर कुछ ही भौगोलिक क्षेत्रों में प्राप्त होते हैं।
- खनिज-निर्भर प्रौद्योगिकियों का एक प्रमुख लाभ उनकी पुन: उपयोग और निरंतर पुनर्चक्रण की क्षमता में निहित है।
- यह उपयुक्त तकनीकों एवं बुनियादी ढांचे के माध्यम से सामग्री की विश्वसनीय आपूर्ति सुनिश्चित रखने में मदद कर सकता है।
- चौतरफा विस्तार को बढ़ावा देने से खनिज मूल्य श्रृंखलाओं को सशक्त करने में भी मदद मिलेगी।
- भारत अपनी G-20 अध्यक्षता के वर्ष में मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) के सिद्धांत के जरिये नवीनीकरण ऊर्जा और वितरण के लिए इन खनिजों के इस्तेमाल में विस्तार देने को बढ़ावा दे सकता है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.इसरो द्वारा ‘दोबारा उपयोग में लाए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान का स्वतः लैंडिंग मिशन’ संचालित किया गया:
- प्रधानमंत्री ने इसरो द्वारा ‘दोबारा उपयोग में लाए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान की स्वतः लैंडिंग का मिशन’ सफलतापूर्वक संचालित करने पर प्रसन्नता व्यक्त की है।
- इसरो ने DRDO और भारतीय वायु सेना के सहयोग से 2 अप्रैल, 2023 को तड़के एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR), चित्रदुर्ग, कर्नाटक में ‘दोबारा उपयोग में लाए जा सकने वाले प्रक्षेपण यान के स्वतः लैंडिंग मिशन (RLV LEX)’ का सफलतापूर्वक संचालन किया है।
2.CBI की हीरक जयंती:
- प्रधानमंत्री 3 अप्रैल को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के हीरक जयंती समारोह का उद्घाटन करेंगे।
- इस कार्यक्रम के दौरान, विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक और CBI के सर्वश्रेष्ठ जांच अधिकारियों के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों के लिए एक अलंकरण समारोह आयोजित किया जाएगा।
- प्रधानमंत्री शिलांग, पुणे और नागपुर स्थित CBI के नवनिर्मित कार्यालय परिसरों का उद्घाटन भी करेंगे।
- वह CBI के हीरक जयंती समारोह वर्ष पर एक डाक टिकट और स्मारक सिक्का जारी करेंगे। वह CBI के ट्विटर हैंडल का शुभारंभ भी करेंगे।
- केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) की स्थापना भारत सरकार के गृह मंत्रालय के 1 अप्रैल, 1963 के एक संकल्प द्वारा की गई थी।
- केंद्रीय जांच ब्यूरो भारत की प्रमुख जांच एजेंसी है। यह कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में काम करता है।
- संस्थापक: भारत सरकार
- स्थापित: 1 अप्रैल 1963
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- क्षेत्राधिकार: भारत
- एजेंसी के कार्यकारी: सुबोध कुमार जायसवाल, महानिदेशक।
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