विषयसूची:
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1. बैटरी भंडारण प्रौद्योगिकी और बैटरी रीसाइक्लिंग प्रौद्योगिकी के आविष्कारों में बैटरी चालित वाहनों की बड़ी मांग:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
मुख्य परीक्षा: बैटरी चालित वाहनों के विकास में अनुसंधान का महत्त्व
प्रसंग:
- केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री ने कहा कि बैटरी भंडारण प्रौद्योगिकी और बैटरी पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) प्रौद्योगिकी के आविष्कारों में बैटरी चालित वाहनों की बड़ी मांग है।
विवरण:
- सभी इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) में ऊर्जा भंडारण प्रणाली के रूप में आमतौर पर बैटरी होती है और जिसे बाजार में अपनाने के लिए इसे किफायती और आकर्षक बनाने के उद्देश्य से भंडारण प्रौद्योगिकियों में प्रगति की आवश्यकता होती है। बैटरी के लिए कच्चे माल की आपूर्ति को संतुलित करने और स्थिरता एवं चक्रीय अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकॉनमी) पर जोर देने को ध्यान में रखते हुए भी बैटरी पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) प्रौद्योगिकियों में आविष्कार महत्वपूर्ण हैं।
- सरकार विद्युत चालित वाहनों के लिए लिथियम-आयन बैटरी इलेक्ट्रोड सामग्री, सेल और बैटरी पैक के क्षेत्र में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने के लिए अनुसंधान का समर्थन कर रही है। बैटरी प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास को सक्षम करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण वित्त पोषण (फंडिंग) के साथ कई अनुसंधान परियोजनाएं प्रगति पर हैं।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने बैटरी भंडारण के क्षेत्र में लगभग बत्तीस अनुसंधान एवं विकास-संबंधित परियोजनाओं का समर्थन किया है, जिसके परिणामस्वरूप कई प्रकाशन और प्रयोगशाला स्तर के प्रोटोटाइप तैयार हुए हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) भुवनेश्वर और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड़गपुर ने ई-साइकिल के लिए एक सोडियम (Na) आयन बैटरी पैक, एक बैटरी प्रबंधन प्रणाली, एक चार्जर और एक सेल संतुलन (बैलेंसिंग) प्रणाली विकसित की है। इसके साथ ही, दो बैटरी रीसाइक्लिंग प्रौद्योगिकी अनुसंधान परियोजनाओं को भी समर्थन दिया जा रहा है।
- केन्द्रीय विद्युत रसायन अनुसंधान संस्थान (सेंट्रल इलेक्ट्रोकेमिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट- (CECRI), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के अधीन एक प्रयोगशाला ने अपनी चेन्नई इकाई में छोटे पैमाने पर (प्रति दिन 1000 सेल) लिथियम-आयन सेल विनिर्माण लाइन स्थापित की है।
- वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने एक ऐसी तकनीक विकसित करने के लिए एक समग्र रसायन मिशन परियोजना (बल्क केमिकल मिशन प्रोजेक्ट) भी शुरू की है जो 100 किलोग्राम आगे उपयोग के लिए निष्प्रयोज्य हो चुकी लिथियम आयन बैटरी (LIB) को नष्ट कर सकता है और LIB इलेक्ट्रोड सामग्री से सभी धातुओं को निकाल सकता है।
चुनौतियाँ
- बैटरी भंडारण प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान में सरकार के सामने मुख्य चुनौती मुख्य रूप से कच्चे माल की आपूर्ति की व्यवस्था करना (सोर्सिंग) है। यद्यपि देश की लिथियम-आयन (Li-आयन) बैटरी की आवश्यकता बहुत अधिक है तथा वर्तमान में Li-आयन बैटरी का घरेलू विनिर्माण भी नहीं होता है और इसकी मांग आयात के माध्यम से पूरी की जाती है।
- इसके अतिरिक्त लिथियम, कोबाल्ट जैसे आवश्यक कच्चे माल के संसाधन दुर्लभ हैं और उन्हें आयात करने की आवश्यकता है। देश में इलेक्ट्रोड सामग्री और घटकों के लिए अभी तक कोई स्थापित आपूर्ति श्रृंखला भी नहीं है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद -राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (CSIR- नेशनल मेटलर्जिकल लेबोरेटरी- एनएमएल), जमशेदपुर ने CSIR की पहली ऐसी समग्र प्रक्रिया विकसित और पेटेंट की है जो लिथियम, निकल, कोबाल्ट, मैंगनीज, एल्यूमीनियम, तांबे (कॉपर) और पुन: प्रयोज्य ग्रेफाइट से उच्च शुद्ध नमक उत्पादों को निकालने और उन्हें अलग करने के लिए किसी भी प्रकार की लिथियम आधारित बैटरी की समस्या का समाधान कर सकती है।
2.मासी (MASI) पोर्टल का शुभारंभ
सामान्य अध्ययन: 2
सामाजिक न्याय:
विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
प्रारंभिक परीक्षा: मासी(MASI) पोर्टल
प्रसंग:
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने देश भर में बाल देखभाल संस्थानों (CCI) और उनके निरीक्षण तंत्र की वास्तविक समय की निगरानी के लिए एक एप्लीकेशन ‘मासी’ – निगरानी ऐप विकसित किया है।
उद्देश्य:
- इस ऐप को विकसित करने का उद्देश्य किशोर न्याय अधिनियम, 2015 (2021 में संशोधित) के तहत प्रदान किए गए CCI के निरीक्षण के तंत्र को प्रभावी और कुशल बनाना है।
विवरण:
- ऐप निगरानी पोर्टल से जुड़ा हुआ है जहां स्वचालित रिपोर्ट तैयार होती है। ‘मासी’ किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के तहत निर्धारित बाल कल्याण समितियों (CWC), राज्य निरीक्षण समितियों, जिला निरीक्षण समितियों, किशोर न्याय बोर्डों (JJB) और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोगों (SCPCR) के सदस्यों द्वारा एकीकृत निरीक्षण को सक्षम बनाता है।
- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015, के तहत प्रत्येक जिले में कम से कम एक बाल कल्याण समिति (CWC) स्थापित करना अनिवार्य है। इसके तहत, देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की देखभाल, संरक्षण, उपचार, विकास और पुनर्वास के मामलों का निपटान करना और उनकी बुनियादी जरूरतों तथा मानवाधिकारों की सुरक्षा प्रदान करना है।
- CWC की संरचना और कार्यप्रणाली किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और उसके नियमों के अनुसार है। मिशन वात्सल्य योजना प्रत्येक जिले में CWC की स्थापना की सुविधा और उनके प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों को बुनियादी ढांचा और वित्तीय सहायता प्रदान करती है। CWC किशोर न्याय अधिनियम, 2015 समय-समय पर संशोधित नियमों में निर्धारित कार्यों और भूमिकाएं निर्धारित करता है।
3.संसद ने खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 पारित किया
सामान्य अध्ययन: 2
राजव्यवस्था:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
मुख्य परीक्षा: खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023
प्रसंग:
- राज्यसभा ने खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन करने के लिए खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 पारित कर दिया है। विधेयक को लोकसभा द्वारा पहले ही पारित किया जा चुका था और राज्यसभा में विधेयक के पारित होने के साथ, विधेयक को सहमति के लिए अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
विवरण:
- खनिज क्षेत्र में विभिन्न सुधार के लिए खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 को वर्ष 2015 में व्यापक रूप से संशोधित किया गया था, विशेष रूप से, खनन से प्रभावित लोगों और क्षेत्रों के कल्याण के लिए जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) की स्थापना और अन्वेषण पर बल देने तथा अवैध खनन के लिए कड़े दंड को सुनिश्चित करने और खनिज संसाधनों के आवंटन में पारदर्शिता लाने के लिए राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण ट्रस्ट (NMET) की स्थापना के लिए खनिज रियायतें देने के लिए नीलामी की प्रक्रिया को अनिवार्य किया गया था।
- खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 को अधिनियमित करके उपरोक्त अधिनियम में और संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया था। महत्वपूर्ण खनिजों पर दुनिया भर में ध्यान केंद्रित करने के साथ संशोधन खनन क्षेत्र में प्रमुख सुधार प्रस्तुत करता है, जिसमें शामिल हैं:
- अधिनियम की पहली अनुसूची के भाग-B में निर्दिष्ट 12 परमाणु खनिजों की सूची से 6 खनिजों को हटा दिया गया है, अर्थात्, लिथियम युक्त खनिज, टाइटेनियम युक्त खनिज और अयस्क, बेरिल और अन्य बेरिलियम युक्त खनिज, नाइओबियम और टैंटलम युक्त खनिज और ज़िरकोनियम-युक्त खनिज।
- अधिनियम की पहली अनुसूची के भाग D में निर्दिष्ट महत्वपूर्ण खनिजों के लिए विशेष रूप से खनिज रियायतों की नीलामी करने के लिए केंद्र सरकार को सशक्त बनाना। इन नीलामियों से मिलने वाला राजस्व संबंधित राज्य सरकार को प्राप्त होगा।
- महत्वपूर्ण और गहराई में प्राप्त होने वाले खनिजों के लिए अन्वेषण लाइसेंस की शुरुआत करना।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- स्वामित्व योजना
- स्वामित्व योजना का पायलट चरण 2020-21 के कार्यान्वयन के लिए 24 अप्रैल 2020 को लॉन्च किया गया था। राष्ट्रीय स्तर पर 24 अप्रैल, 2021 को इस योजना का शुभारंभ किया गया था।
- पंचायती राज मंत्रालय, राज्य राजस्व विभाग, राज्य पंचायती राज विभाग तथा भारतीय सर्वेक्षण विभाग (SOI) के सहयोग से स्वामित्व योजना को लागू किया जा रहा है। योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्यों को भारतीय सर्वेक्षण विभाग के साथ समझौता (एमओयू) करने की आवश्यकता है। अब तक 31 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों ने SOI के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए है।
- भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा स्वामित्व योजना के तहत तैयार किए गए मानचित्रों के आधार पर संपत्ति कार्डों को तैयार करने तथा वितरित करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकार की है। हालांकि, पंचायती राज मंत्रालय स्वामित्व योजना के तहत तैयार किये गये संपत्ति कार्डों को डिजी लॉकर प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत करने के लिए राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों के साथ संवाद कर रहा है। अब तक 89,749 गांवों में संपत्ति कार्ड तैयार किये जा चुके हैं।
- ई-पंचायत मिशन मोड परियोजना (MAP) के तहत पंचायती राज मंत्रालय ने एक एमएक्शनसॉफ्ट लॉन्च किया है, जो तस्वीरों को जियो-टैग (जीपीएस) के साथ पेश करने के लिए एक मोबाइल आधारित अनुप्रयोग है। परिसंपत्तियों की जियो-टैगिंग सभी तीन चरणों के लिए की जाती है- 1. कार्य शुरू करने से पहले, 2. कार्य के दौरान तथा 3. कार्य के समापन पर।
- यह प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, जल संचयन, सूखे से मुकाबला, स्वच्छता, कृषि, चेक डैम, नहर आदि से संबंधित सभी कार्यों और परिसंपत्तियों के बारे में जानकारियों का भंडार प्रदान करेगा। पंद्रहवें वित्त आयोग की निधियों के तहत निर्मित परिसंपत्तियों के लिए जियो टैगिंग को अनिवार्य बनाया गया है। सभी पंचायती राज संस्थाओं को एमएक्शनसॉफ्ट अनुप्रयोग में शामिल किया गया है।
- पहचान (PEHCHAN ) योजना:
- हस्तशिल्प कारीगरों को नई पहचान प्रदान करने के लिए 2016 में पहचान योजना शुरू की गई थी ताकि योग्य कारीगरों को विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रदान किया जा सके। आधार से जुड़े पहचान कार्ड कपड़ा मंत्रालय के विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) कार्यालय के क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा उचित सत्यापन के बाद जारी किए जाते हैं। पहचान कार्ड धारक कपड़ा मंत्रालय द्वारा लागू सभी हस्तशिल्प योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
- पहचान कार्ड के साथ पंजीकृत कारीगर कपड़ा मंत्रालय के राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (NHDP) और व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना (CHCDS) का लाभ उठा सकते हैं।
- योजनाओं के तहत पंजीकृत हस्तशिल्प कारीगरों को प्रदान किए गए वित्तीय लाभ/सहायता का विवरण इस प्रकार है:
- कौशल और प्रशिक्षण उन्नयन, डिजाइन विकास कार्यशालाएं, टूल किट वितरण, विपणन मंच, ढांचागत समर्थन।
- मुद्रा ऋण, ब्याज छूट और मुद्रा ऋण पर मार्जिन मनी जैसे कारीगरों को व्यक्तिगत लाभ।
- शिल्प गुरु और कुशल कारीगरों को राष्ट्रीय पुरस्कार।
- गरीब परिस्थितियों में पुरस्कृत कारीगरों को 8,000 रुपये की मासिक पेंशन।
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