विषयसूची:
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1.भारत और ऑस्ट्रेलिया ने योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता हेतु एक ढांचागत तंत्र पर हस्ताक्षर किए:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
मुख्य परीक्षा: भारत और ऑस्ट्रेलिया ने योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता हेतु एक ढांचागत तंत्र पर हस्ताक्षर किए हैं । यह समझौता ज्ञापन भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के बीच शैक्षिक संबंधों का एक ऐतिहासिक क्षण है। टिप्पणी कीजिए।
प्रसंग:
- भारत और ऑस्ट्रेलिया ने योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता हेतु एक ढांचागत तंत्र पर हस्ताक्षर किए जो दोनों देशों के बीच छात्रों और पेशेवरों की आवाजाही को आसान बनाने में मदद करेगा।
उद्देश्य:
- योग्यता की पारस्परिक मान्यता हेतु G2G तंत्र पर हस्ताक्षर, IEIF महत्वपूर्ण कौशल परियोजना की घोषणा और 11 संस्थागत समझौता ज्ञापन भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के बीच शैक्षिक संबंधों का एक ऐतिहासिक क्षण है।
- यह घटनाक्रम शिक्षा और रोजगार के उद्देश्य से छात्रों और पेशेवरों की दोतरफा आवाजाही के लिए अधिक अवसर पैदा करेंगे, और भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय संबंधों की साझा आकांक्षाओं को साकार करने के लिए शिक्षा को सबसे बड़ा सक्षम क्षेत्र बनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
विवरण:
- यह समझौता 21 मार्च 2022 को आयोजित दूसरे भारत-ऑस्ट्रेलिया वर्चुअल शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों द्वारा दर्शायी गई प्रतिबद्धता का हिस्सा है, जिसके तहत दोनों नेताओं ने योग्यताओं की पारस्परिक मान्यता के लिए एक संयुक्त कार्यबल स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की थी।
- इसी के अनुरूप एक कार्यबल का गठन किया गया जिसमें शिक्षा एवं कौशल मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी तथा दोनों पक्षों की नियामक संस्थाएं शामिल हुईं।
- इस कार्यबल ने एक व्यापक तंत्र का सुझाव दिया जो दोनों देशों की शिक्षा एवं कौशल संबंधी योग्यताओं को कवर करता है और शिक्षा एवं कौशल संबंधी योग्यताओं के विभिन्न स्तरों की पारस्परिक रूप से पहचान करके शिक्षा एवं रोजगार के उद्देश्यों के लिए युवाओं की दोतरफा आवाजाही को सुविधाजनक बनाने में मदद करेगा।
- हस्ताक्षर किए गए समझौते से छात्रों को एक-दूसरे के देश में अध्ययन करने में आसानी होगी और शिक्षा तथा कौशल संबंधी योग्यता के विभिन्न स्तरों को मान्यता भी मिलेगी।
- ऑस्ट्रेलियाई सरकार, भारत के लिए महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र में कौशल कार्यक्रम के संचालन के लिए 1.89 मिलियन डॉलर का योगदान देगी।
- ऑस्ट्रेलिया भारतीय छात्रों के लिए शिक्षा वीजा के लंबित मामलों को कम करने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर काम कर रहा है।
- द्विपक्षीय बैठक में दोनों पक्षों ने छात्रों की आवाजाही को बढ़ावा देने और भारतीय एवं ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों के बीच संयुक्त/दोहरी/प्रतिरूप डिग्री की व्यवस्था के माध्यम से, जिसे हाल ही में NEP 2020 के तहत पेश किया गया है, अनुसंधान और अकादमिक सहयोग को प्रोत्साहन देने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की।
- हाल के वर्षों में ऑस्ट्रेलिया उच्च शिक्षा के लिए और व्यावसायिक कौशल हासिल करने के लिए भारतीय छात्रों के बीच सबसे पसंदीदा स्थलों में से एक बन गया है। भारत में शॉर्ट और लॉन्ग टर्म पढ़ाई, इंटर्नशिप और शोध के लिए आने हेतु ज्यादा ऑस्ट्रेलियाई छात्रों को सुविधा प्रदान करने के लिए बातचीत चल रही है।
- भारत सरकार ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में खासकर संयुक्त/दोहरी डिग्री कार्यक्रमों की सुविधा देकर विदेशी संस्थानों के साथ साझेदारी करने के लिए कई पहलें शुरू की हैं।
- कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण में भी ऑस्ट्रेलिया एक महत्वपूर्ण भागीदार है और दोनों देश क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण पर एक साथ काम कर रहे हैं।
- NEP 2020 के बाद, भारत शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा देने के लिए नई पहलें लाया है, जिसमें संयुक्त/दोहरी/प्रतिरूप डिग्री के लिए नियमन और भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के परिसरों की स्थापना के लिए एक मसौदा विनियमन शामिल है।
- इसके अलावा, गुजरात में गिफ्ट सिटी को घरेलू नियमों से मुक्त विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए खोल दिया गया है। ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय गिफ्ट सिटी में सक्रिय रूप से परिसरों की स्थापना कर रहे हैं।
- ये संस्थान भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापक क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग कर रहे हैं, जिनमें बायो-इनोवेशन से लेकर कानून और उद्योग समाधान तक के क्षेत्र शामिल हैं।
- भारत की यात्रा पर आए ऑस्ट्रेलिया के कुलपतियों ने “भारत में उच्च शिक्षा के बदलते स्वरूप: भविष्य की दिशा और अवसर” विषय पर एक चर्चा में भाग लिया।
- दोनों मंत्रियों ने कल रात एक साथ इंडिया गेट का दौरा किया। उन्होंने कर्तव्य पथ पर सैर की और नॉर्थ ब्लॉक के बाहर ऑस्ट्रेलियाई डोमिनियन कॉलम देखा, जो ऑस्ट्रेलिया ने भारत को उपहार में दिया था। इसमें एक वैटल फूल है और इसमें “ऑस्ट्रेलिया से भारत MCMXXX” खुदा हुआ है। यह ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन शासन द्वारा मित्रता और एकता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किए गए चार स्तंभों में से एक है।
2. भारतीय चाय उद्योग को बढ़ावा देने और एक वैश्विक ब्रांड का निर्माण करने हेतु उठाए गए कदम:
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि:
विषय: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न।
प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा: चाय की फसल की पैदावार हेतु समुचित जलवायु।
प्रसंग:
- भारत ने चाय उत्पादन को बढ़ावा देने, भारतीय चाय के लिए एक उत्कृष्ट ब्रांड का निर्माण करने और चाय उद्योग से जुड़े परिवारों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
उद्देश्य:
- भारतीय चाय उद्योग में प्रत्यक्ष रूप से 1.16 मिलियन श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है और समान संख्या में लोग इससे अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं।
विवरण:
- भारत लगभग 1350 मिलियन किलोग्राम उत्पादन के साथ दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक और काली चाय का सबसे बड़ा उत्पादक है तथा घरेलू आवश्यकताओं और निर्यात दायित्वों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर है।
- भारत काली चाय का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है और विश्व की कुल चाय खपत का लगभग 18 प्रतिशत उपभोग करता है।
- भारतीय चाय को विभिन्न गंतव्यों देशों में निर्यात किया जाता है और यह बड़ी संख्या में घरेलू उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के अतिरिक्त चाय का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है।
- छोटे चाय उत्पादक उभरते हुए क्षेत्र हैं जो कुल उत्पादन में लगभग 52 प्रतिशत का योगदान देते हैं। वर्तमान में, आपूर्ति श्रृंखला में लगभग 2.30 लाख छोटे चाय उत्पादक मौजूद हैं।
इस वर्ग के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:
- चाय बोर्ड के माध्यम से भारत सरकार ने 352 स्वयं सहायता समूह (SHG), 440 किसान उत्पादक संगठन (FPO) और 17 किसान उत्पादक कंपनियों (FPC) के निर्माण में सहायता की थी।
- गुणवत्तापूर्ण तुड़ाई, क्षमता निर्माण, त्वरित फसल प्रबंधन आदि के लिए STG के साथ विभिन्न संगोष्ठियों/परस्पर वार्ताओं का आयोजन किया जाता है।
- प्रूनिंग मशीन और मैकेनिकल हार्वेस्टर की खरीद के लिए सहायता।
- उद्यमियों और बेरोजगार युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए लघु चाय कारखानों की स्थापना।
- चाय बोर्ड ने विनिर्माताओं और उत्पादकों के बीच आपूर्ति की जाने वाली हरी पत्तियों की कीमत के निर्धारण के लिए मूल्य साझाकरण फॉर्मूले के लिए एक निविदा जारी की, जिससे वैज्ञानिक तरीके से बड़ी संख्या में लोग लाभान्वित होंगे। यह अभी प्रक्रियाधीन है। बेहतर मूल्य प्राप्ति और सूचना के मामले में छोटे चाय उत्पादकों की सहायता के लिए एक मोबाइल ऐप “चाय सहयोग” भी विकसित किया जा रहा है।
- चाय बोर्ड ने उनकी आजीविका और शिक्षा की आवश्यकताओं में सुधार लाने के लिए “छोटे चाय उत्पादकों के बच्चों को शिक्षा वृत्तिका की सहायता” की स्कीम तैयार की थी।
- वर्ष 2022-23 के दौरान जनवरी, 2023 तक 2845 लोगों को लाभान्वित करते हुए इस घटक के लिए 3.25 करोड़ रुपये का संवितरण किया गया।
- भारतीय चाय निर्यात अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में मजबूती से प्रतिस्पर्धा करता रहा है और अपने लिए एक स्थान बनाने में सक्षम है।
- 2022-23 के दौरान, विभिन्न भू-राजनीतिक, भू-आर्थिक और लॉजिस्टिक संबंधी चुनौतियों के बावजूद भारतीय चाय निर्यात के 883 मिलियन डॉलर के निर्धारित लक्ष्य का 95 प्रतिशत से अधिक अर्जित करने की उम्मीद है।
- इसके अतिरिक्त, हाल में प्राप्त निर्यातकों के इनपुट के अनुसार, कंटेनरों की उपलब्धता आदि जैसी लॉजिस्टिक संबंधी बाधाओं को दूर कर दिया गया है।
इसमें चाय उद्योग की सहायता के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:
- बाजार आसूचना रिपोर्ट और चाय के निर्यात में और वृद्धि की संभावनाओं की खोज करने के लिए विदेशों में भारतीय मिशनों की सहायता से विशेष रूप से इराक, सीरिया, सऊदी अरब, रूस आदि जैसे पारंपरिक चाय आयातक देशों के संबंध में नियमित अंतरालों पर विभिन्न क्रेता-विक्रेता बैठकें आयोजित की जा रही हैं। मलेशिया के लिए भी BSM था।
- चालू वित्त वर्ष के दौरान दिसंबर, 2022 तक, चाय निर्यात ने 641.34 मिलियन डॉलर के मूल्य प्राप्ति के साथ 188.76 मिलियन किलोग्राम मात्रा दर्ज की, मात्रा में 33.37 मिलियन किलोग्राम की वृद्धि (21.47 प्रतिशत वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि) और मूल्य में 70.93 मिलियन डॉलर (12.43 प्रतिशत वृद्धि वर्ष दर वर्ष) की वृद्धि दर्ज की गई।
- भारतीय चाय की ब्रांडिंग, उपभोग के लिए इसके स्वास्थ्य़ लाभ आदि के लिए मीडिया अभियानों का व्यापक स्तर पर उपयोग किया जाता है।
- उन सभी महत्वपूर्ण मंचों और कार्यक्रमों में विशिष्ट चाय प्रतीक चिन्हों को प्रदर्शित किया जाता है जिनमें TBI भाग लेता है और हितधारकों को इन प्रतीक चिन्हों के उपयोग के लिए उचित दिशा-निर्देशों का पालन करने की सुविधा प्रदान की जाती है।
- दार्जिलिंग चाय भारत के प्रतिष्ठित उत्पादों में से एक है जो पहला GI पंजीकृत उत्पाद है। यह दार्जिलिंग जिले के पर्वतीय क्षेत्र में 87 चाय बागानों में फैला हुआ है।
- चाय बागानों में 70 प्रतिशत से अधिक झाड़ियाँ 50 वर्ष से अधिक पुरानी हैं और इस प्रकार उत्पादकता को प्रभावित करती हैं।
- वर्तमान में दार्जिलिंग चाय का उत्पादन 6-7 M Kg की सीमा में है।
- नेपाल चाय के सस्ते आयात की चुनौती सहित, दार्जिलिंग चाय उद्योग की चिंताओं को दूर करने के लिए चाय बोर्ड द्वारा दार्जिलिंग चाय उद्योग के हितधारकों के साथ समिति गठित की गई है और यह संभावित समाधानों की खोज कर रही है।
- सस्ते आयातित चाय की गुणवत्ता की सख्त जांच के लिए चाय बोर्ड और मंत्रालय द्वारा विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं।
- चाय बोर्ड ने “चाय विकास और संवर्धन योजना, 2021-26” में और संशोधन करने का सुझाव दिया है, जिसमें चाय उद्योग के समग्र लाभ के लिए कई घटक शामिल किए गए हैं।
- संवितरण और लाभार्थियों की पहचान में पारदर्शिता लाने के लिए “सर्विस प्लस पोर्टल” के तहत एक ऑनलाइन तंत्र कार्यान्वित किया गया है।
3. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अपना 18वां स्थापना दिवस मनाया:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन ,इन अति संवेदन शील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिए गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)।
मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के महत्व पर प्रकाश डालिये।
प्रसंग:
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने अपना 18वां स्थापना दिवस 2 मार्च 2023 को प्रधानमंत्री संग्रहालय, नई दिल्ली में “बालिकाओं को सशक्त बनाना” विषय पर मनाया।
उद्देश्य:
- केंद्रीय महिला एवं बाल विकास और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने NCPCR की वेबसाइट पर बाल अधिकार साक्षरता को समर्पित फीचर “चाइल्ड राइट्स चैंपियंस वर्ल्ड” लॉन्च किया।
विवरण:
- इस कार्यक्रम के लिए NCPCR ने देश भर के 75 जिलों के सीमावर्ती गांवों की बालिकाओं को आमंत्रित किया।
- केंद्रीय महिला एवं बाल विकास और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्रीमती स्मृति जूबिन इरानी कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं।
- केंद्रीय महिला एवं बाल विकास और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने NCPCR की वेबसाइट पर बाल अधिकार साक्षरता को समर्पित फीचर “चाइल्ड राइट्स चैंपियंस वर्ल्ड” लॉन्च किया; सभ्य समाज में महिलाओं और लड़कियों के सशक्तिकरण और सुरक्षा में पुरुषों की भूमिका पर जोर दिया।
- उन्होंने 40 से अधिक सीमावर्ती जिलों, जिन्हें प्रधानमंत्री जीवंत सीमावर्ती गांवों के रूप में संदर्भित करते हैं- के बच्चों को आमंत्रित करने की दिशा में NCPCR की ओर से किए गए विशेष प्रयासों की सराहना की।
- उन्होंने भारत की G-20 अध्यक्षता और इस वर्ष की थीम-जो आज के कार्यक्रम के शीर्षक “बालिकाओं को सशक्त बनाना” में भी अंकित है, को रेखांकित किया।
- भारत बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का हस्ताक्षरकर्ता है और उन्हें लागू करने के सर्वोत्तम प्रयास कर रहा है।
- इससे पहले, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम 405 जिलों तक सीमित था, लेकिन आज इसका विस्तार अखिल भारत में कर दिया गया है।
- NCPCR के अध्यक्ष श्री प्रियंक कानूनगो ने कहा कि हमारे देश के सीमावर्ती क्षेत्रों, विशेषकर असम, पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड की सबसे प्रमुख चुनौती बाल तस्करी है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग:
- बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत 2007 में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की स्थापना की गई। NCPCR भारत की संसद द्वारा गठित वैधानिक निकाय है।
- यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।
- आयोग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी कानून, नीतियां, कार्यक्रम और प्रशासनिक प्रणालियां भारत के संविधान के साथ-साथ बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में वर्णित बाल अधिकारों की दृष्टि के अनुरूप हों।
- एक बच्चे को 0 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के अंतर्गत आने वाले व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग (CPCR) अधिनियम, 2005 में निर्धारित राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के कार्य इस प्रकार हैं:
- बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए उस समय लागू किसी भी कानून द्वारा या उसके तहत प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों की जांच और समीक्षा करना और उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उपायों की सिफारिश करना;
- बाल अधिकारों के उल्लंघन की जांच करना और ऐसे मामलों में कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश करना;
- आतंकवाद, साम्प्रदायिक हिंसा, दंगे, प्राकृतिक आपदा, घरेलू हिंसा, एचआईवी/एड्स, तस्करी, दुर्व्यवहार, अत्याचार और शोषण, अश्लील साहित्य और वेश्यावृत्ति से प्रभावित बच्चों के अधिकारों को बाधित करने वाले सभी कारकों की जांच करना और उचित उपचारात्मक उपायों की सिफारिश करना;
- विशेष देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों से संबंधित मामलों को देखना, जिनमें संकट में बच्चे, हाशिए पर रहने वाले और वंचित बच्चे, कानून के साथ संघर्ष करने वाले बच्चे, बिना परिवार वाले किशोर बच्चे और कैदियों के बच्चे शामिल हैं तथा इन इस प्रकार के बच्चों के लिए उचित उपचारात्मक उपायों की सिफारिश करना;
- संधियों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय दस्तावेजों का अध्ययन करना और बाल अधिकारों पर मौजूदा नीतियों, कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों की समय-समय पर समीक्षा करना और बच्चों के सर्वोत्तम हित में उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सिफारिशें करना;
- बाल अधिकारों के क्षेत्र में अनुसंधान करना और बढ़ावा देना;
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.नैनो उर्वरकों को बढ़ावा:
- मृदा स्वास्थ्य में सुधार और उत्पादकता में वृद्धि के लिए एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा राज्यों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिश के आधार पर रासायनिक, जैविक और जैव उर्वरकों और तथा अन्य अभिनव उर्वरकों के विवेकपूर्ण मिश्रण को प्रोत्साहन देने की सलाह दी गई।
- हाल के वर्षों में, नैनो उर्वरकों को बाजार में पेश किया गया है और ICAR द्वारा किए गए परीक्षणों में इसके उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं।
- राज्यों को सलाह दी गई कि वे नैनो उर्वरकों और अन्य अभिनव उर्वरकों जैसे सल्फर कोटेड यूरिया, ट्रिपल सुपर फॉस्फेट (TSP), शीरे (मोलैसिस) से प्राप्त पोटाश (PDM), जैव-उर्वरकों आदि के उपयोग को प्रोत्साहित करें।
- ICAR के ADG ने जोर दिया कि आकार-निर्भर गुणों, उच्च सतह-आयतन अनुपात और अद्वितीय ऑप्टिकल गुणों के कारण, नैनो-उर्वरकों के उपयोग से पौधों का बेहतर पोषण होता है।
- ICAR ने नैनो-उर्वरकों के संबंध में विभिन्न खुराकों के साथ कई स्थानों पर विभिन्न फसलों में जैव-प्रभावकारिता परीक्षण आयोजित किए हैं और नैनो यूरिया के उपयोग के लिए पैकेज ऑफ प्रैक्टिस तैयार करने की प्रक्रिया जारी है, जो किसानों को इन उर्वरकों को अपनाने में मदद करेगा।
- कुछ राज्यों ने यह भी बताया कि किसानों को नैनो-उर्वरकों के प्रयोग से उपज और गुणवत्ता के मामले में अच्छे परिणाम मिले हैं और वे एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन और नैनो यूरिया के उपयोग के संबंध में प्रयास कर रहे हैं।
2.जम्मू और कश्मीर के रणबीरबाग में फ्रोजन सीमन स्टेशन की आधारशिला रखी:
- केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने जम्मू और कश्मीर के रणबीरबाग में फ्रोजन सीमन स्टेशन (जमा हुआ वीर्य) की आधारशिला रखी।
- यह स्टेशन घरेलू चाराका उत्पादन करने के साथ-साथ लगभग 300 कनाल भूमि में फैला हुआ है। यह स्टेशन केंद्र शासित प्रदेश के गांदरबल जिले में हरमुख पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित है और जैव सुरक्षा के प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है।
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के अंतर्गत इस वीर्य स्टेशन को कुल 2,163.57 लाख रुपये की राशि के साथ स्वीकृति प्रदान की गई है।
- फ्रोजन सीमन स्टेशन (जमा हुआ वीर्य) कश्मीर प्रांत को कृत्रिम गर्भाधान हेतु उपयोग किए जाने वाले उच्च गुणवत्ता और रोग मुक्त जर्मप्लाज्म के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने में सक्षम करेगा।
- फ्रोजन सीमन परियोजना रणबीर बाग की स्थापना वर्ष 1980 में इंडो-डेनिश परियोजना के अंतर्गत हुई थी।
- डेनिश सरकार और भारत सरकार के बीच एक सहायता कार्यक्रम ‘दानिडा’ के अंतर्गत फ्रोजन सीमन स्टेशन प्रसंस्करण के उपकरण प्राप्त हुए थे।
- परियोजना को वर्ष 1982 में क्रायो-संरक्षित वीर्य को संसाधित करने के लिए शुरू किया गया।
- फ्रोजन सीमन परियोजना रणबीर बाग (पशुधन विकास बोर्ड-कश्मीर), मुख्य रूप से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के कश्मीर प्रांत में मवेशियों के कृत्रिम गर्भाधान में उपयोग की जाने वाली फ्रोजन सीमन के उत्पादन में संलग्न है।
- वर्ष 2025-26 तक 10.95 लाख फ्रोजन सीमन का उत्पादन करने, ISO/GMP प्रमाणन निरंतर बनाए रखने, GLP प्रमाणन और CMU द्वारा ग्रेड A प्राप्त करने के लिए, फ्रोजन सीमन स्टेशन रणबीर बाग को RGM योजना के अंतर्गतसशक्त बनाने की मंजूरी प्रदान की गई है।
- हाई जेनेटिक मेरिट ब्रीडिंग बुल्स की इस खरीद को साकार करने के लिए न्यूनतम मानक प्रोटोकॉल (MSP)/जैव-सुरक्षा और जैव-सुरक्षा मैनुअल के दिशा-निर्देशों के अनुसार, एक नई प्रसंस्करण और गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला का निर्माण, नई मशीनरी/उपकरणों की खरीद, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण बहुत आवश्यक है।
इसका उद्देश्य निम्नलिखित दीर्घकालिक लक्ष्यों की प्राप्ति है:
- किसानों को उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता वाले सांडों से गुणवत्तापूर्ण जर्मप्लाज्म उपलब्ध कराना।
- स्थानीय मवेशियों का उन्नयन करने के लिए गुणवत्तापूर्ण जर्मप्लाज्म के उपयोग में विस्तार करना ।
- पशुओं द्वारा उत्पादन आंकड़ों में वृद्धि करना जिससे दूध और डेयरी उत्पादों की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके।
- उपभोक्ताओं के लिए गोजातीय खेती को स्वरोजगार, ग्रामीण महिला सशक्तिकरण, अतिरिक्त आय स्रोत, न्यूनतम पोषक तत्वों के स्रोत के रूप में पशु प्रोटीन, वसा आदि को एक साधन के रूप में प्रस्तुत करना।
- पशुओं की आनुवंशिक संरचना का उन्नयन करके देशी मवेशियों की नस्लों में सुधार।
- देशी नस्लों का संरक्षण।
- वीर्य स्टेशन की अवसंरचना को मजबूत करना।
- मजबूत जैव सुरक्षा उपायों को लागू करना।
- प्रारंभिक रूप से लिंग पृथक्कृत वीर्य के साथ कृत्रिम गर्भाधान में वृद्धि करना।
- FSD उत्पादन के साथ-साथ लिंग पृथक्कृत वीर्य उत्पादन के लिए उत्कृष्टता का केंद्र बनना।
- परियोजना और इसके सफल कार्यान्वयन/ निष्पादन से मौजूदा अवसंरचना में वृद्धि होने और फ्रोजन सीमन परियोजना-रणबीर बाग में नई अवसंरचना का निर्माण होने की संभावना है।
- इससे कश्मीर प्रांत कृत्रिम गर्भाधान में उपयोग होने वाले उच्च गुणवत्ता और रोग मुक्त जर्मप्लाज्म के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा।
- बढ़ी हुई कृत्रिम गर्भाधान कवरेज केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में डेयरी जानवरों की उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।
- यह परियोजना MSP दिशा-निर्देशों के अनुसार रणबीर बाग के फ्रोजन सीमन स्टेशन को मजबूत करेगी जिससे सालाना 10 लाख से ज्यादा FSS का निर्माण किया जा सके।
3. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने पोर्टर पुरस्कार 2023 प्राप्त किया:
- स्वास्थ्य क्षेत्र और विशेष रूप से कोविड प्रबंधन में प्रयासों को सम्मानित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि में, भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को पोर्टर पुरस्कार 2023 प्राप्त हुआ है।
- इस पुरस्कार की घोषणा 23 और 24 फरवरी, 2023 को प्रतिस्पर्धा संस्थान (IFC) स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के यूएस एशिया टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट सेंटर (USATMC) द्वारा आयोजित ‘द इंडिया डायलॉग’ में की गई।
- इस सम्मेलन का विषय “भारतीय अर्थव्यवस्था 2023: नवोन्मेषण, प्रतिस्पर्धात्मकता और सामाजिक प्रगति” था।
- यह पुरस्कार भारत सरकार द्वारा कोविड-19 के प्रबंधन में अपनाई गई रणनीति, दृष्टिकोण और PPE किट बनाने के लिए उद्योग में विभिन्न हितधारकों की भागीदारी, विशेष रूप से आशा कार्यकर्ताओं की भागीदारी को सम्मानित करता है।
- विशेषज्ञों ने कहा कि भारत द्वारा अपने कोविड प्रबंधन में अपनाई गई रणनीति बहुत सफल रही है। उन्होंने भारत की रणनीति के तीन आधारशिलाओं – नियंत्रण, राहत पैकेज और टीका प्रशासन पर विस्तार से जानकारी दी।
- इसमें कहा गया है कि ये तीन उपाय जीवन को बचाने और कोविड-19 के प्रसार को रोकने के द्वारा आर्थिक गतिविधि सुनिश्चित करने, आजीविका को बनाए रखने, वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा विकसित करने में महत्वपूर्ण थे।
- इस प्रकार, भारत ने अपनी प्रतिक्रिया की योजना बनाने में आर्थिक परिणामों के साथ-साथ सामाजिक एजेंडे को संतुलित कर अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के माध्यम से अनुकूलता प्रदर्शित की।
- पोर्टर पुरस्कार का नाम अर्थशास्त्री, शोधकर्ता, लेखक, सलाहकार, वक्ता और शिक्षक माइकल ई. पोर्टर के नाम पर रखा गया है।
- उन्होंने बाजार प्रतिस्पर्धा और कंपनी रणनीति, आर्थिक विकास, पर्यावरण और स्वास्थ्य सेवा सहित कंपनियों, अर्थव्यवस्थाओं और समाजों के सामने आने वाली कई सबसे चुनौतीपूर्ण समस्याओं को दूर करने के लिए आर्थिक सिद्धांत और रणनीति अवधारणाओं को प्रस्तुत किया है।
- उनके शोध को कई पुरस्कार मिले हैं, और वे आज अर्थशास्त्र और व्यवसाय में सबसे अधिक उद्धृत विद्वान हैं।
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लिंक किए गए लेख में 28 फरवरी 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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