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विषयसूची:

  1. दूसरी संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएनडब्ल्यूजीआईसी):
  2. युवा लेखकों के लिए योजना – युवा 2.0 – शुरू की गई:
  3. घरेलू कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए खाद्य तेल आयात पर रियायती सीमा शुल्क को मार्च 2023 तक बढ़ाया गया:
  1. दूसरी संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएनडब्ल्यूजीआईसी):

    सामान्य अध्ययन: 3

    आर्थिक विकास: 

    विषय: डिजिटल इंडिया पहल एवं समाज को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के के प्रयास।

    प्रारंभिक परीक्षा: दूसरी संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएनडब्ल्यूजीआईसी) से सम्बंधित तथ्य।

    मुख्य परीक्षा: सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र का डिजिटलीकरण व मानचित्रण के प्रयास के महत्व एवं चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।

    प्रसंग:

    • 10-14 अक्टूबर, 2022 तक आगामी दूसरी संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएनडब्ल्यूजीआईसी) हैदराबाद में आयोजित होने वाली हैं।

    उद्देश्य:

    • दूसरी यूएनडब्ल्यूजीआईसी अपना महत्व रखती है, क्योंकि यह समाज को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के लिए भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के अनुरूप है।

    • सरकार की योजना-शासन और उपलब्ध संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए  जीआईएस-आधारित निर्णय लेने की सुविधा की परिकल्पना करती है।

    विवरण:

    दूसरी यूएनडब्ल्यूजीआईसी:

    • वैश्विक भू-स्थानिक सूचना प्रबंधन (यूएन-जीजीआईएम) पर विशेषज्ञों की संयुक्त राष्ट्र समिति द्वारा आयोजित दूसरी यूएनडब्ल्यूजीआईसी- 2022 का आयोजन संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग द्वारा किया जाएगा।

    • वहीं, इसकी मेजबानी भारत सरकार का विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग करेगा।

    विषयवस्तु और प्रमुख बिंदु :

    • ऐसे समय में जब विश्व कोविड-19 महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव से उबर रहा है,दूसरी यूएनडब्ल्यूजीआईसी 2022 की केंद्रित विषयवस्तु’ वैश्विक गांव को भू-सक्षम करना: कोई भी पीछे नहीं रहना चाहिए’, सतत विकास व मानव जाति के कल्याण का समर्थन करने, पर्यावरण व जलवायु चुनौतियों का समाधान करने, डिजिटल परिवर्तन व तकनीकी विकास को अपनाने और एक जीवंत अर्थव्यवस्था को उत्प्रेरित करने के लिए एकीकृत भू-स्थानिक जानकारी के महत्व को प्रतिबिंबित करेगा।

    • इसके अलावा आजादी का अमृत महोत्सव की विषय वस्तु “सबका साथ, सबका विकास” सोच के अनुरूप है।

    • भू-स्थानिक तकनीक उत्पादकता बढ़ाने, टिकाऊ अवसंरचना सुनिश्चित करने, प्रभावी प्रशासन और कृषि क्षेत्र की सहायता करके सामाजिक-आर्थिक विकास में एक प्रमुख सहायक बन गई है।

    • भारत की भू-स्थानिक अर्थव्यवस्था 12.8 फीसदी की वृद्धि दर से 2025 तक 63,100 करोड़ रुपये के आकंड़े को पार करने की उम्मीद है।

    • विश्व इसके लिए भारत की ओर देख रहा है कि वह कैसे कुछ प्रमुख मानवीय और टिकाऊ समस्याओं से निपटने के लिए तकनीक का उपयोग कर रहा है।

    • सरकार भारत में समाज के हर वर्ग को लाभान्वित करने के लिए कई क्षेत्रों में भू-स्थानिक अनुप्रयोगों के दायरे का विस्तार करने में लगातार एक सहायक की भूमिका निभा रही है।

    • इस सम्मेलन में 2,000 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इनमें लगभग 120 देशों के 700 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि शामिल होंगे।

    • इसके अलावा इस भू-स्थानिक कांग्रेस में भारतीय सर्वेक्षण विभाग जैसी राष्ट्रीय मानचित्रण एजेंसियां (एनएमए), जिसका 255 वर्षों का गौरवशाली इतिहास है, के वरिष्ठ अधिकारी, गैर-सरकारी संगठन, अकादमिकव उद्योग क्षेत्र, पूरे विश्व के उपयोगकर्ता व निजी क्षेत्र हिस्सा लेंगे।

    • पिछले आठ वर्षों में भारत अपने नागरिकों के लिए बुनियादी और जरूरी अवसंरचना एवं सुविधाओं के विकास की दिशा में प्रयास कर रहा है।

    • नए भारत की सोच के तहत सरकार जल, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, आवास और सभी के लिए बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख मुद्दों पर केंद्रित है।

    • भारत जिस तरह से इस तकनीक को अपना रहा है उससे भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी और भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा ।

    • भारत में भू-स्थानिक की भूमिका और व्यापकता “जनसांख्यिकी, स्वास्थ्य सुविधाओं और टीकाकरण केंद्रों जैसे अन्य डेटा के साथ सटीक वरियल टाइम की भू-स्थानिक जानकारी ने हमें कोविड-19 महामारी आपातकाल के खिलाफ प्रभावी ढंग से निपटने में बहुत सहायता की है।

    • सरकार विकास योजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए पूरे ग्रामीण क्षेत्र का डिजिटलीकरण व मानचित्रण कर रही है।

    • ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मानचित्र की 21 डेटा परतों का उपयोग करके 45 लाख किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों का मानचित्रण किया है,जिसने प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए जरूरी जल निकायों, हरित क्षेत्रों, भूखंडों और अन्य संरचनाओं से संबंधित विवरण का डिजिटलीकरण किया है।

    • मंत्रालय ने लगभग 2.6 लाख ग्राम पंचायतों को मानचित्रण और डिजिटलीकरण की योजना के तहत कवर किया गया है।

    • राष्ट्रीय भू-स्थानिक व मानचित्रण एजेंसियों, वाणिज्यिक क्षेत्र व उपयोगकर्ता उद्योगों की महत्वपूर्ण भूमिका को चिह्नित करते हुए भारत विभिन्न नीतिगत सुधारों के माध्यम से सार्वजनिक-निजी भागीदारी के लिए एक अनुकूल वातावरण विकसित कर रहा है।

    • भू-स्थानिक डेटा के लिए दिशानिर्देश, ड्रोन नियम- 2021 और मसौदा नीतियां (भू-स्थानिक, रिमोट सेंसिंग व सैटेलाइट नेविगेशन) देश के भीतर योजना और निगरानी जरूरतों के लिए भू-स्थानिक डेटा और सूचना के उपयोग का उदारीकरण, लोकतंत्रीकरण और व्यावसायीकरण करेंगे।

    • भारत स्थानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय व वैश्विक स्तर पर भू-स्थानिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के लिए अभिनव, प्रभावी व मापनीय (स्केलेबल) समाधान विकसित करके भू-स्थानिक ज्ञान का उपयोग करने के लिए मिलकर काम करने के लिए अडिग है।

     

  2. युवा लेखकों  के मार्गदर्शन के लिए योजना – युवा 2.0 – शुरू की गई:

    सामान्य अध्ययन: 2

    शासन:

    विषय: सरकार कि युवा वर्ग के कल्याण हेतु योजनाएं एवं उनका महत्व।

    प्रारंभिक परीक्षा: युवा 2.0 योजना से सम्बंधित तथ्य।

    प्रसंग:

    • शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग ने देश में पढ़ने, लिखने एवं पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर भारत एवं भारतीय लेखन को प्रस्तुत करने के उद्देश्य से युवा एवं नवोदित लेखकों (30 वर्ष से कम आयु) को प्रशिक्षित करने हेतु युवा 2.0- (युवा लेखकों को परामर्श देने वाली प्रधानमंत्री की योजना) की शुरुआत की।

    उद्देश्य:

    • युवा एवं नवोदित लेखकों की 22 विभिन्न भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में बड़े पैमाने पर भागीदारी के साथ युवा के पहले संस्करण के उल्लेखनीय प्रभाव को देखते हुए, युवा 2.0 की शुरुआत की जा रही है।

    • यह योजना लेखकों की एक ऐसी धारा विकसित करने में मदद करेगी जो अतीत, वर्तमान और भविष्य को शामिल करते हुए भारत के लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं पर लिख सकें।

    विवरण:

    • युवा 2.0 (युवा, उभरते और बहुमुखी प्रतिभा वाले लेखक) का शुभारंभ युवाओं को भारत के लोकतंत्र को समझने और उसकी सराहना करने हेतु प्रोत्साहित करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

    • युवा 2.0, India@75 परियोजना (आजादी का अमृत महोत्सव) का एक हिस्सा है, जो ‘लोकतंत्र (संस्थाएं, घटनाएं, लोग, संवैधानिक मूल्य – अतीत, वर्तमान, भविष्य)’ विषय पर लेखकों की युवा पीढ़ी के दृष्टिकोण को एक अभिनव और रचनात्मक तरीके से सामने लाएगी।

    • इस प्रकार, यह योजना लेखकों की एक ऐसी धारा विकसित करने में मदद करेगी जो भारतीय विरासत, संस्कृति और ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देंगे।

    • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने युवाओं के सशक्तिकरण और सीखने का एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने पर जोर दिया है जो युवा पाठकों / शिक्षार्थियों को भविष्य की दुनिया का नेतृत्व करने  के लिए तैयार करे।

    • भारत युवाओं की आबादी के मामले में सबसे आगे है।

    • यहां युवाओं की आबादी देश की कुल जनसंख्या का 66 प्रतिशत है।

    • युवा रचनात्मक लेखकों की एक नई पीढ़ी को मार्गदर्शन देने के उद्देश्य से, उच्चतम स्तर पर पहल करने की तत्काल जरूरत है और इस संदर्भ में, युवा 2.0 को रचनात्मक दुनिया के भविष्य के नेताओं का आधार तैयार करने की दिशा में अभी लंबा सफर तय करना होगा।

    • कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में शिक्षा मंत्रालय के तहत नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत इस योजना के चरणबद्ध कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगा।

    • इस योजना के तहत तैयार की गई पुस्तकों को नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित किया जाएगा और संस्कृति एवं साहित्य के आदान-प्रदान को सुनिश्चित करते हुए इनका अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा, जिससे ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’को बढ़ावा मिलेगा।

    • चयनित युवा लेखक दुनिया के कुछ बेहतरीन लेखकों के साथ बातचीत करेंगे, साहित्यिक उत्सवों आदि में भाग लेंगे।

     

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. घरेलू कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए खाद्य तेल आयात पर रियायती सीमा शुल्क को मार्च 2023 तक बढ़ाया गया:
    • केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने अपनी एक अधिसूचना के माध्यम से 31 अगस्त, 2022 के अनुसार निर्दिष्ट खाद्य तेलों पर मौजूदा रियायती आयात शुल्क को 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दिया है।

      • इस निर्णय का उद्देश्य घरेलू आपूर्ति बढ़ाना और कीमतों को नियंत्रण में रखना है।

    • अधिसूचना के मुताबिक खाद्य तेल आयात पर रियायती सीमा शुल्क को और 6 महीने के लिए बढ़ाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप अब नई समय सीमा अब मार्च 2023 होगी।

    • खाद्य तेल की कीमतें वैश्विक कीमतों में गिरावट के कारण कम होते स्तर पर रही हैं।

      • कम होती वैश्विक दरों और आयात शुल्क में कमी के साथ, भारत में खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में काफी गिरावट आई है।

    • कच्चे पाम तेल, आरबीडी पामोलिन, आरबीडी पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल, परिष्कृत सोयाबीन तेल, कच्चे सूरजमुखी तेल और परिष्कृत सूरजमुखी तेल पर वर्तमान शुल्क में 31 मार्च, 2023 तक कोई बदलाव नहीं होगा।

    • पाम तेल, सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल की कच्ची किस्मों पर आयात शुल्क फिलहाल शून्य है। हालांकि, 5 प्रतिशत कृषि और 10 प्रतिशत सामाजिक कल्याण उपकर को ध्यान में रखते हुए, इन तीन खाद्य तेलों की कच्ची किस्मों पर प्रभावी शुल्क 5.5 प्रतिशत तक पहुँच जाता है।

    • पामोलिन और रिफाइंड पाम तेल की परिष्कृत किस्मों पर मूल सीमा शुल्क 12.5 प्रतिशत है, जबकि सामाजिक कल्याण उपकर 10 प्रतिशत है।

    • इसलिए, प्रभावी शुल्क 13.75 प्रतिशत है। परिष्कृत सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के लिए, मूल सीमा शुल्क 17.5 प्रतिशत है और 10 प्रतिशत सामाजिक कल्याण उपकर को ध्यान में रखते हुए, प्रभावी शुल्क 19.25 प्रतिशत होता है।

02 अक्टूबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here

लिंक किए गए लेख में 29 सितंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें। सम्बंधित लिंक्स:

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