Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

02 सितंबर 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. PSLV-XL रॉकेट द्वारा भारत के पहले सौर मिशन आदित्य एल1 का प्रक्षेपण “भारत के लिए सुनहरा क्षण”:
  2. NCGG ने बांग्लादेश के सिविल सेवकों के 67वें और 68वें बैच का प्रशिक्षण पूरा किया:
  3. तमिलनाडु में बहुउद्देश्यीय समुद्री शैवाल पार्क की स्थापना के लिए आधारशिला रखी गई:

PSLV-XL रॉकेट द्वारा भारत के पहले सौर मिशन आदित्य एल1 का प्रक्षेपण “भारत के लिए सुनहरा क्षण”

सामान्य अध्ययन – 3:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी – अंतरिक्ष से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

प्रारंभिक परीक्षा: आदित्य एल1 मिशन से संबंधित जानकारी।

प्रसंग:

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-XL) ने 2 अगस्त को श्रीहरिकोटा रेंज से भारत के पहले सौर मिशन आदित्य एल1 का प्रक्षेपण किया। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसे भारत के लिए ‘‘सुनहरा क्षण’’ की संज्ञा दी।

विवरण:

  • इसरो ने पुष्टि की कि PSLV-C57 रॉकेट के जरिए आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। इसके साथ, भारत की पहली सौर वेधशाला ने सूर्य-पृथ्वी (लैग्रेंज बिंदु) एल1 के गंतव्य के लिए अपनी यात्रा शुरू कर दी है।
  • इसरो ने कहा कि अपने सौर पैनलों को तैनात करने के साथ, आदित्य-एल1 ने बिजली उत्पादन करना शुरू कर दिया है।
  • आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है। अगले चार महीनों में विभिन्न कक्षा उत्थान प्रक्रियाओं और क्रूज चरण के माध्यम से, अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्‍थापित किया जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है।
  • एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में एक उपग्रह को स्थापित करने का एक बड़ा फायदा यह है कि वह बिना किसी प्रच्छादन/ग्रहण के लगातार सूर्य का अवलोकन करता रहता है। यह वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का एक बड़ा लाभ प्रदान करेगा।
  • अंतरिक्ष यान में विद्युत चुम्बकीय और कण तथा चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग करके फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड हैं।
  • विशेष सुविधाजनक बिंदु एल1 का उपयोग करते हुए, चार पेलोड सीधे सूर्य का अवलोकन करते हैं और शेष तीन पेलोड लैग्रेंज बिंदु एल1 पर कणों और क्षेत्रों का सीटू अध्ययन करते हैं और इस प्रकार ये अंतरग्रहीय माध्यम में सौर गतिशीलता के प्रवर्धी प्रभाव का महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन प्रदान करते हैं।
  • आदित्य एल1 मिशन से कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कणों और क्षेत्रों के फैलाव आदि की समस्या को समझने के लिए सबसे अहम जानकारी प्रदान करने की आशा है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. NCGG ने बांग्लादेश के सिविल सेवकों के 67वें और 68वें बैच का प्रशिक्षण पूरा किया:
    • बांग्लादेश के सिविल सेवकों के लिए आयोजित 2-सप्ताह का 67वां और 68वां बैच क्षमता निर्माण कार्यक्रम (CBP) पहली सितंबर, 2023 को संपन्न हुआ।
    • विदेश मंत्रालय (MEA) के सहयोग से नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (NCGG) द्वारा इसका आयोजन किया गया था।
    • 1,500 सिविल सेवकों के लिए CBP के पहले चरण के पूरा होने पर, NCGG ने 2025 तक अतिरिक्त 1,800 सिविल सेवकों के क्षमता निर्माण के लिए बांग्लादेश सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
    • NCGG ने पहले ही बांग्लादेश के 855 अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (NCGG) को ‘फोकस वाली संस्था’ के रूप में चिन्हित किया है। परिणामस्वरूप, NCGG अपनी गतिविधियों का उल्लेखनीय रूप से विस्तार कर रहा है।
    • अब तक, विदेश मंत्रालय के सहयोग से और ढाका में भारतीय मिशन के साथ निकट सहयोग से, NCGG ने बांग्लादेश के लगभग 2469 सिविल सेवकों को प्रशिक्षित किया है।
    • NCGG ने विदेश मंत्रालय के सहयोग से 15 देशों – बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, नेपाल, भूटान, म्यांमार और कंबोडिया के सिविल सेवकों को प्रशिक्षण प्रदान किया है।
    • बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए, NCGG इन देशों की विस्तारित सूची से अधिक संख्या में सिविल सेवकों को समायोजित करने के लिए सक्रिय रूप से अपनी क्षमता का विस्तार कर रहा है। इस विस्तार का उद्देश्य बढ़ती मांग को पूरा करने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना है कि NCGG द्वारा दी जाने वाली विशेषज्ञता और संसाधनों से अधिक से अधिक देश लाभान्वित हो सकें।
  2. तमिलनाडु में बहुउद्देश्यीय समुद्री शैवाल पार्क की स्थापना के लिए आधारशिला रखी गई:
    • सागर परिक्रमा के आठवें चरण के तीसरे दिन, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, परशोत्तम रूपाला ने तमिलनाडु में बहुउद्देश्यीय समुद्री शैवाल पार्क की स्थापना के लिए आधारशिला रखी।
    • यह एक नए अध्याय की शुरुआत है और इसे भारत में समुद्री शैवाल क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक पहल के रूप में देखा जा रहा है।
    • समुद्री शैवाल पार्क में तमिलनाडु के 6 तटीय जिलों नागपट्टिनम, तंजावुर, तिरुवरुर, पुदुकोट्टई, रामनाथपुरम और थूथुकुडी में 136 तटीय मछली पकड़ने वाले गांवों में समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देना शामिल है।
    • इसमें 8821 लोगों की आजीविका को बढ़ावा देने, टिशू कल्चर प्रयोगशालाओं और अनुसंधान एवं विकास सुविधाओं की स्थापना, तट-आधारित बुनियादी सुविधाओं (सुखाने वाले यार्ड, गोदाम आदि), कौशल विकास और क्षमता निर्माण, भंडारण और विपणन सुविधा, प्रसंस्करण और मूल्य को बढ़ावा देने, अतिरिक्त सुविधा आदि के लिए जनशक्ति को शामिल किया जाएगा।
    • समुद्री शैवाल पार्क उद्यमियों, प्रसंस्करणकर्ताओं आदि को आवश्यक योजनाओं, लाइसेंस/अनुमोदनों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए एकल खिड़की सहायता भी प्रदान करेगा, साथ ही प्रसंस्करण केंद्र स्थापित करने के लिए जगह भी प्रदान करेगा।
    • समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने के अलावा, पार्क समुद्री इको सिस्टम के संरक्षण पर भी ध्यान केंद्रित करेगा और इसमें विभिन्न समुद्री प्रजातियों को रेखांकित करने वाला एक मछलीघर होगा जो जीवित रहने के लिए समुद्री शैवाल पर निर्भर हैं।
    • भारत सरकार का मत्स्य पालन विभाग जमीनी स्तर की चुनौतियों को समझकर मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र को मजबूत करने और भारत को जलीय कृषि और मत्स्य पालन निवेश का केंद्र बनाने के लिए कार्यान्वित किए जाने वाले कार्यों के साथ एक रोडमैप तैयार करने पर केंद्रित है।
    • “सागर परिक्रमा यात्रा” का मुख्य उद्देश्य समुद्री मत्स्य संसाधनों के सतत उपयोग और समुद्री इको सिस्टम की सुरक्षा पर मछुआरों, मछली किसानों और अन्य हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करना; मछुआरों, तटीय समुदायों और अन्य हितधारकों के साथ बातचीत की सुविधा प्रदान करना है ताकि सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न मत्स्य पालन संबंधी योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी का प्रसार किया जा सके और अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रदर्शन किया जा सके; साथ ही इसका उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र की योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाना भी है ताकि तटीय क्षेत्रों में रहने वाले मछुआरों के जीवन स्तर को ऊपर उठाया जा सके; वहीं आत्मनिर्भर भारत की भावना के रूप में सभी मछुआरों, मछली किसानों और हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करना; समुद्री जीवन और समुद्र को प्रदूषण से बचाना और मछुआरों, मछली किसानों और अन्य हितधारकों की समस्याओं के समाधान का उद्देश्य भी निहित है।
    • सागर परिक्रमा के आठवें चरण का कार्यक्रम 31 अगस्त से 02 सितंबर, 2023 के दौरान तमिलनाडु के 4 तटीय जिलों को शामिल करते हुए पूर्व-निर्धारित समुद्री मार्ग के माध्यम से कन्याकुमारी से रामनाथपुरम तक आयोजित किया गया है।
      • पिछले सात चरणों में, पूर्वी तट को गुजरात, दमन और दीव, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के तटीय क्षेत्रों में प्रमुख स्थानों पर कवर किया गया है।
    • केंद्रीय बजट 2021 की घोषणा के अनुरूप, वित्त मंत्री द्वारा ‘तमिलनाडु में बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क’ के रूप में भारत के पहले मत्स्य पालन एक्वापार्क की घोषणा की गई।
    • हब-एंड-स्पोक मॉडल के आधार पर, इसका उद्देश्य समुद्री शैवाल की खेती और संरक्षण को बढ़ावा देना है तथा वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं के लिए समुद्री शैवाल की विभिन्न प्रजातियों और उनके संभावित अनुप्रयोगों का अध्ययन करने के साथ-साथ समुद्री शैवाल की खेती हेतु एक अनुसंधान और विकास केंद्र के साथ-साथ जागरूकता पैदा करने के लिए स्थानीय समुदायों के लिए एक प्रशिक्षण केंद्र के रूप में इसकी परिकल्पना की गई है।

Comments

Leave a Comment

Your Mobile number and Email id will not be published.

*

*