विषयसूची:
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1. कैबिनेट ने 15वें वित्त आयोग की शेष अवधि के लिए 12882.2 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: 15वां वित्त आयोग, व्यय वित्त समिति (ईएफसी), पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना योजना (NESIDS) से संबंधित जानकारी।
मुख्य परीक्षा: भारत के विकास पथ में पूर्वोतर क्षेत्र के महत्व पर परिचर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग (2022-23 से 2025-26 तक) की शेष अवधि के लिए 12882.2 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की योजनाओं को जारी रखने की मंजूरी दी है।
उद्देश्य:
- पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की योजनाओं का उद्देश्य एक ओर विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के प्रयासों में पूरक की भूमिका निभाना है और दूसरी ओर पूर्वोत्तर क्षेत्र की शामिल नहीं हो पायी विकास/कल्याण गतिविधियों के संबंध में राज्यों की जरूरतों को समझना है।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की योजनाएं, आठ पूर्वोत्तर राज्यों में जरूरतों के अनुरूप, विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से मौजूदा कमियों को पूरा करने में मदद करती हैं – उदाहरण के लिए, कनेक्टिविटी और सामाजिक क्षेत्र की कमी को पूरा करने के लिए अवसंरचना का विकास करना तथा क्षेत्र में आजीविका और रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।
विवरण:
- व्यय वित्त समिति (EFC) की सिफारिशों के आधार पर, पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना योजना (NESIDS) के लिए परिव्यय 8139.5 करोड़ रुपये होगा, जिसमें वर्तमान में चल रही परियोजनाओं की प्रतिबद्ध देनदारियां भी शामिल होंगी।
- ‘एनईसी योजनाओं’ के लिए परिव्यय 3202.7 करोड़ रुपये होगा, जिसमें वर्तमान में चल रही परियोजनाओं की प्रतिबद्ध देनदारियां भी शामिल होंगी।
- 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषण वाली केंद्रीय क्षेत्र की योजना, NESIDS, को दो घटकों – NESIDS (सड़कें) और NESIDS (सड़क अवसंरचना के अलावा) के साथ पुनर्गठित किया गया है।
- मंत्रालय की नई योजना “पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री की विकास पहल – पीएम-डिवाइन” (6,600 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ) को पहले अक्टूबर, 2022 में अलग से अनुमोदित किया गया था, जिसके तहत अवसंरचना, सामाजिक विकास और आजीविका क्षेत्रों के बड़े और व्यापक प्रभाव वाले प्रस्तावों को शामिल किया जाता है।
- 2025-26 तक अधिकांश परियोजनाओं को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा, ताकि इस वर्ष के बाद कम से कम प्रतिबद्ध देनदारियां हों।
- इसलिए, मुख्य रूप से 2022-23 और 2023-24 में योजनाओं को नई मंजूरी मिलेगी; जबकि 2024-25 और 2025-26 के दौरान व्यय किया जाता रहेगा।
- आत्मनिर्भर भारत अभियान के पांच स्तंभों, अर्थात् अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रणाली, जीवंत जनसांख्यिकी और मांग, को इस योजना के माध्यम से बढ़ावा मिलेगा।
- सरकार ने पूर्वोत्तर के विकास को प्राथमिकता दी है।
- पूर्वोत्तर पहले अशांति, बम-विस्फोट की घटनाओं, बंद आदि के लिए जाना जाता था, लेकिन पिछले आठ वर्षों में क्षेत्र में शांति स्थापित हुई है।
- उग्रवाद की घटनाओं में 74 प्रतिशत की कमी आई है, सुरक्षा बलों पर हमलों की घटनाओं में 60 प्रतिशत की कमी आई है और नागरिकों की मौत में 89 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी है।
- लगभग 8,000 युवाओं ने आत्मसमर्पण किया है तथा अपने और अपने परिवारों के लिए बेहतर भविष्य का स्वागत करते हुए मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं।
- इसके अलावा, 2019 में त्रिपुरा के राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चे, 2020 में बीआरयू और बोडो समझौते और 2021 में कार्बी समझौते पर सहमति बनी।
- असम-मेघालय और असम-अरुणाचल सीमा विवाद भी लगभग समाप्त हो चुके हैं और शांति बहाली के साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास के पथ पर अग्रसर हो गया है।
- 2014 के बाद से, इस क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में भारी वृद्धि देखी गयी है। 2014 से, इस क्षेत्र के लिए 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक धनराशि आवंटित की गयी है।
- एमडीओएनईआर योजनाओं के तहत पिछले 04 वर्षों में वास्तविक व्यय 7534.46 करोड़ रुपये रहा है, जबकि, 2025-26 तक अगले चार वर्षों में व्यय के लिए उपलब्ध निधि 19482.20 करोड़ रुपये (लगभग 2.60 गुना) है।
- क्षेत्र में अवसंरचना विकास के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए गए हैं।
- कनेक्टिविटी में सुधार मुख्य फोकस रहा है।
- रेलवे कनेक्टिविटी में सुधार के लिए 2014 से अब तक 51,019 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
- 77,930 करोड़ रुपये की 19 नई परियोजनाएं मंजूर की गयी हैं।
- 2009-14 के दौरान 2,122 करोड़ रुपये के औसत वार्षिक बजट आवंटन की तुलना में, पिछले 8 वर्षों में, कुल 9,970 करोड़ रुपये के साथ औसत वार्षिक बजट आवंटन में 370 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- सड़क संपर्क में सुधार के लिए, 1.05 लाख करोड़ रुपये की 375 परियोजनाएं का काम चल रहा है।
- सरकार अगले तीन साल में 209 परियोजनाओं के तहत 9,476 किलोमीटर सड़कों का निर्माण करेगी। इसके लिए केंद्र सरकार 1,06,004 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
- हवाई संपर्क में भी व्यापक सुधार हुआ है। पिछले 68 वर्षों में, पूर्वोत्तर में केवल 9 हवाईअड्डे थे, आठ वर्षों की अल्प-अवधि में यह संख्या बढ़कर 17 हो गयी है।
- आज, पूर्वोत्तर में एयर ट्रैफिक 2014 से (साल दर साल) 113 प्रतिशत बढ़ा है।
- हवाई संपर्क को और बढ़ावा देने के लिए, पूर्वोत्तर क्षेत्र में नागरिक उड्डयन के तहत 2,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
- दूरसंचार संपर्क में सुधार के लिए, 2014 से, 10 प्रतिशत जीबीएस के तहत 3466 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं।
- कैबिनेट ने पूर्वोत्तर के 4,525 गांवों में 4जी कनेक्टिविटी को भी मंजूरी दी है।
- केंद्र सरकार ने 2023 के अंत तक क्षेत्र में पूर्ण दूरसंचार संपर्क प्रदान करने के लिए 500 दिनों का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- जलमार्ग, पूर्वोत्तर क्षेत्र के जीवन और संस्कृति के अभिन्न अंग हैं।
- 2014 से पहले पूर्वोत्तर क्षेत्र में केवल 1 राष्ट्रीय जलमार्ग था।
- अब पूर्वोत्तर क्षेत्र में 18 राष्ट्रीय जलमार्ग हैं।
- हाल ही में राष्ट्रीय जलमार्ग 2 और राष्ट्रीय जलमार्ग 16 के विकास के लिए 6000 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
- एनईआर में कौशल विकास अवसंरचना को बढ़ाने और मौजूदा सरकारी आईटी को मॉडल आईटी में अपग्रेड करने के लिए, 2014 और 2021 के बीच, लगभग 190 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
- 93 नए कौशल विकास संस्थान स्थापित किए गए हैं। कौशल विकास पर व्यय के रूप में 81.83 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
- विभिन्न योजनाओं के तहत कुल 16,05,801 लोगों को कौशल-सक्षम बनाया गया है।
- उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत एमएसएमई को बढ़ावा दिया गया है। 978 इकाइयों को समर्थन/स्थापना करने के लिए 645.07 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
- डीपीआईआईटी के अनुसार, पूर्वोत्तर से 3,865 स्टार्टअप पंजीकृत थे।
- स्वास्थ्य अवसंरचना में सुधार पिछले आठ वर्षों में एक प्रमुख फोकस क्षेत्र रहा है। सरकार रुपये खर्च कर चुकी है। स्वास्थ्य क्षेत्र में सरकार 2014-15 से 31,793.86 करोड़ व्यय कर चुकी है।
- कैंसर योजना के तृतीयक स्तर की देखभाल के सुदृढ़ीकरण के तहत 19 राज्य कैंसर संस्थान और 20 तृतीयक स्तर की देखभाल कैंसर केंद्र स्वीकृत किए गए हैं।
- पिछले आठ वर्षों में, इस क्षेत्र में शिक्षा अवसंरचना में सुधार के लिए प्रयास किए गए हैं।
- 2014 से अब तक, सरकार ने पूर्वोत्तर में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 14,009 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
- उच्च शिक्षा के लिए, 191 नए संस्थान स्थापित किए गए हैं।
- 2014 से स्थापित विश्वविद्यालयों की संख्या में 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- 2014-15 से उच्च शिक्षा के केंद्रीय संस्थानों की स्थापना में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- परिणामस्वरूप, उच्च शिक्षा में कुल छात्र नामांकन में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए बिजली के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया है।
- 2014-15 से, सरकार ने 37,092 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं, जिनमें से अब तक 10,003 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
- 9,265 करोड़ रुपये की नॉर्थ ईस्ट गैस ग्रिड (NEGG) परियोजना पर काम चल रहा है, जिससे एनईआर की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।
- अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गांवों को रोशन करने के लिए 550 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है।
- पहली बार जिला स्तरीय SDG सूचकांक स्थापित किया गया है। एसडीजी सूचकांक का दूसरा संस्करण तैयार है और इसे जल्द ही जारी किये जाएगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.वाई-20 शिखर सम्मेलन:
- केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री 6 जनवरी 2023 को आकाशवाणी रंग भवन, नई दिल्ली में वाई-20 शिखर सम्मेलन के पूर्वावलोकन कार्यक्रम में वाई-20 की थीम, लोगो और वेबसाइट लॉन्च करेंगे।
- भारत पहली बार वाई-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
- अगले 8 महीनों के दौरान, मुख्य युवा-20 शिखर सम्मेलन के पूर्व देश के विभिन्न राज्यों के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में विभिन्न परिचर्चाएं और संगोष्ठियां के साथ ही युवा-20 से संबंधित पांच विषयों पर कई सम्मेलन आयोजित किए जायेंगे।
- भारत का प्रमुख फोकस विश्व के युवा नेताओं को एक साथ लाने, बेहतर भविष्य पर चर्चा करने तथा कार्रवाई के लिए एजेंडा तैयार करने पर है।
- वाई-20 के हिस्से के रूप में चलाई जाने वाली गतिविधियां वैश्विक युवा नेतृत्व और साझेदारी पर केंद्रित होंगी।
- 6 जनवरी को आयोजित होने वाला कार्यक्रम दो सत्रों में विभाजित होगा।
- पहले सत्र में लोगो लॉन्च, वेबसाइट और थीम लॉन्च एवं दूसरे सत्र में पैनल चर्चा (युवा एचीवर्स) होगी।
- पैनल चर्चा में इस विषय पर विचार किया जाएगा कि भारत महाशक्ति बनने के लिए अपनी युवा आबादी का उपयोग कैसे कर सकता है और पैनल के सदस्यों की व्यक्तिगत सफलता की कहानियों पर चर्चा भी होगी।
- युवा-20 इंगेजमेंट समूह में भारत का मुख्य फोकस विश्व के युवा नेताओं को एक साथ लाने, बेहतर भविष्य के लिए विचार-विमर्श करने तथा कार्रवाई एजेंडा तैयार करने पर है।
- हमारी अध्यक्षता के दौरान वाई-20 की गतिविधियां वैश्विक युवा नेतृत्व और साझेदारी पर केंद्रित होंगी।
- अगले 8 महीनों के दौरान, मुख्य युवा-20 शिखर सम्मेलन से पहले वाई-20 से संबंधित पांच विषयों पर सम्मेलन होंगे और साथ ही देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विभिन्न परिचर्चाएं तथा संगोष्ठियां आयोजित की जायेंगी।
- भारत की जी-20 की अध्यक्षता “अमृतकाल” के प्रारंभ का भी प्रतीक है।
- अमृतकाल 15 अगस्त 2022 को भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से प्रारंभ होकर 25 साल की अवधि यानी स्वतंत्रता की शताब्दी तक मनाया जाएगा।
- यह एक भविष्यवादी, समृद्ध, समावेशी और विकसित समाज की ओर बढ़ने के लिए है जिसके मूल में मानव-केंद्रित दृष्टिकोण है।
- भारत वसुधैव कुटुम्बकम के विचार को मूर्त रूप देते हुए समग्र कल्याण सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यावहारिक समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
2.एक नया विद्युत अपघट्य मिला है जो बेहतर अमोनिया संश्लेषण में सहायता कर सकता है:
- एक नया जलीय विद्युत अपघट्य (इलेक्ट्रोलाइट) जो विद्युत-रासायनिक (इलेक्ट्रोकेमिकल) अमोनिया संश्लेषण को अधिक कुशल बनाने में सहायक बन सकता है, भविष्य के हरित ऊर्जा या हाइड्रोजन का उत्पादन करने वाले उद्योगों के लिए उपयोगी होगाI
- विद्युत-रासायनिक अमोनिया संश्लेषण का जलीय विद्युत अपघट्य पर्यावरण के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी हाइड्रोजन विकास प्रतिक्रिया में नाइट्रोजन (N) की खराब घुलनशीलता से बहुत सीमा तक सीमित है।
- इसमें बाधा यह थी कि नाइट्रोजन का अपचयन (रिडक्शन) वास्तव में जलीय माध्यम में होता है।
- इन चुनौतियों से पार पाने के प्रयास में “परिवेश” स्थितियों की अधिकतर निगरानी की जाती है।
- शोधकर्ता ज्यादातर उत्प्रेरक विकास पर काम करते हैं, जबकि विद्युत अपघट्य की क्षमता में सुधार होना अभी भी प्रारंभिक अवस्था में है।
- हाल ही की एक रिपोर्ट के अनुसार, नाइट्रोजन अपचयन क्रिया (नाइट्रोजन रिडक्शन रिएक्शन–एनआरआर) से संबंधित 90.7 % शोध कार्यों ने मात्र उपयुक्त उत्प्रेरक विकास पर ध्यान केंद्रित किया है, जबकि केवल 4.7% शोधकर्ता ही इलेक्ट्रोलाइट्स पर काम करने के लिए समर्पित हैं।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के एक स्वायत्त संस्थान नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (INST) मोहाली के वैज्ञानिकों ने सोडियम टेट्रा फ्लोरोबोरेट (NaBF4) नामक एक ऐसा नया विद्युत अपघट्य विकसित किया है, जो न केवल माध्यम में नाइट्रोजन वाहक के रूप में कार्य करता है बल्कि यह भी बिल्कुल परिवेशी प्रायोगिक स्थितियों में अमोनिया (NH3) की उच्च उपलब्धि देने के लिए सक्रिय सामग्री संक्रमण धातु-डोप्ड नैनोकार्बन-मैंगनीज नाइट्राइड (MNN4) के साथ एक पूर्ण “सह-उत्प्रेरक” के रूप में काम करता है।
- अमोनिया की उच्च उत्पादन दर औद्योगिक पैमाने पर पहुंच गई और किसी अन्य इलेक्ट्रोलाइट माध्यम में यह लगभग सभी मानक उत्प्रेरकों को पार कर गई थी।
- अमोनिया के स्रोत का अच्छी तरह से अध्ययन किया गया था और मुख्य रूप से शुद्ध नाइट्रोजन गैस की विद्युत रासायनिक कमी से होने की पुष्टि की गई थी।
- [नाइट्रोजन (N2) को अमोनिया (NH3) में परिवर्तित करने के लिए इसे नाइट्रोजन संतृप्त विद्युत अपघट्य (इलेक्ट्रोलाइट) बनाना पड़ता है]।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत विज्ञान इंजीनियरिंग अनुसन्धान बोर्ड (SERB) द्वारा समर्थित यह कार्य एक उपयोगकर्ता के अनुकूल जलीय विद्युत अपघट्य (इलेक्ट्रोलाइट) सोडियम टेट्रा फ्लोरोबोरेट (NaBF4) लाता है जो शोधकर्ताओं को विद्युतीय उत्प्रेरकों (इलेक्ट्रो कैटालिस्टस) के बेहतर NRR प्रदर्शन की दिशा में जलीय इलेक्ट्रोलाइट डिजाइनिंग पर अधिक काम करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
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लिंक किए गए लेख में 04 जनवरी 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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