विषयसूची:
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1. भारत ड्रोन तकनीक का हब बनेगा:
सामान्य अध्ययन: 3
प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: ‘ड्रोन यात्रा 2.0’ से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: भारत में ड्रोन तकनीक के विकास की संभावनाओं एवं चुनौतियों के बारे में चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने चेन्नई में ‘ड्रोन यात्रा 2.0’ को झंडी दिखाने के बाद कहा कि भारत ड्रोन तकनीक का हब बनेगा और भारत को अगले साल तक कम से कम 1 लाख ड्रोन पायलटों की आवश्यकता होगी।
उद्देश्य:
- चेन्नई स्थित अग्नि कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के गरुड़ एयरोस्पेस में पहले ड्रोन कौशल और प्रशिक्षण सम्मेलन का शुभारंभ हुआ और ड्रोन यात्रा को झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
विवरण:
- भारत में ड्रोन तकनीक में हुई प्रगति में बीटिंग रिट्रीट के दौरान भारतीय स्टार्ट-अप ‘बोटलैब डायनामिक्स’ द्वारा 1000 ‘मेड इन इंडिया’ ड्रोन द्वारा शानदार प्रदर्शन किया गया।
- ‘बोटलैब डायनामिक्स का नेतृत्व आईआईटी के पूर्व छात्र कर रहे हैं।
- स्वामित्व योजना के एक भाग के रूप में, (गांवों का सर्वेक्षण और ग्रामीण इलाकों में तात्कालिक तकनीक के साथ मानचित्रण) गांवों में जमीनों और घरों का सर्वेक्षण ड्रोन के जरिए किया जा रहा है।
- गावों के खेतों में कीटनाशकों और नैनो उर्वरकों के छिड़काव के लिए ड्रोन के उपयोग में तेजी आ रही है।
- हाल ही में नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को 2021 में भारत क्रिकेट सीज़न की लाइव एरियल सिनेमैटोग्राफी के लिए ड्रोन की तैनाती की सशर्त छूट दी थी।
- हाल ही में पीएम ने “किसान ड्रोन यात्रा” का उद्घाटन किया था।
- इस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए देश भर के गांवों में 100 किसान ड्रोन भेजे गए थे।
- मंत्री महोदय ने भारत की सबसे बड़ी ड्रोन निर्माण सुविधा, गरुड़ एयरोस्पेस द्वारा किए गए महत्वपूर्ण प्रयासों की सराहना की।
- निर्माण सुविधा केंद्र का उद्घाटन पीएम मोदी द्वारा इस साल के शुरुआत में किया गया था।
- सुविधा केंद्र में इंजीनियरों ने मंत्री महोदय को उन्नत ‘मेक इन इंडिया’ ड्रोन के कामकाज के बारे में विस्तार से बताया।
- उन्होंने कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया।
- यह परिकल्पना की गई है कि ये ड्रोन खेतों में कीटनाशकों के उपयोग को सुव्यवस्थित करने में मदद करेंगे, जिससे हमारे किसानों की लाभ-प्राप्ति में और सुधार होगा।
- इस साल मई में, पीएम मोदी ने भारत के सबसे बड़े ड्रोन महोत्सव – भारत ड्रोन महोत्सव 2022 का उद्घाटन किया था, जिसमें उन्होंने किसान ड्रोन पायलटों के साथ बातचीत की थी।
- ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देना, सुशासन और जीवन यापन में आसानी से जुड़ी हमारी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने का एक और माध्यम है।
- आज रक्षा से लेकर कृषि और स्वास्थ्य से लेकर मनोरंजन तक – विभिन्न क्षेत्रों के लिए ड्रोन तकनीक आवश्यक है।
- भारत उत्पादन से जुड़ी योजना (PIL) जैसी अन्य योजनाओं के माध्यम से देश, एक मजबूत ड्रोन निर्माण इकोसिस्टम बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है।
- सरकार तीन आयामी दृष्टिकोण से अत्याधुनिक ड्रोन प्रौद्योगिकी और सेवाओं की मांग को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है।
- प्रभावी नीति यानि नए ड्रोन नियम, 2021; ड्रोन और ड्रोन घटकों के लिए PIL के रूप में प्रोत्साहन प्रदान करना; और स्वदेशी मांग सृजित करना, जिसके लिए केंद्र सरकार के 12 मंत्रालयों को इसे आगे बढ़ाने का काम दिया गया है।
- भारत को 2023 में कम से कम 1 लाख पायलटों की आवश्यकता होगी, प्रत्येक पायलट कम से कम 50-80 हजार रुपये प्रति महीने कमाएगा।
- 50,000 रुपये का औसत भी लें तो ड्रोन क्षेत्र में 50,000 रुपये × 1 लाख युवा × 12 महीने = 6000 करोड़ रुपये सालाना का रोजगार सृजित किया जा सकता है।
- इसके अलावा ड्रोन का इस्तेमाल करने वाले उद्योग और सरकारी एजेंसियों पर भी प्रभाव पड़ेगा।
- उन्होंने इस बात की सराहना की कि गरुड़ एयरोस्पेस की अगले दो वर्षों में एक लाख ‘मेड इन इंडिया’ ड्रोन बनाने की योजना है।
- गरुड़ के ड्रोन कौशल और प्रशिक्षण सम्मेलन को देश भर के 775 जिलों में आयोजित किया जाएगा।
- इस कार्यक्रम के 10 लाख युवाओं तक पहुंचने की उम्मीद है।
- 1 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने का उद्देश्य, न केवल ड्रोन इकोसिस्टम को प्रभावित करना तथा युवाओं के लिए रोजगार पैदा करना है, बल्कि इससे कृषि, खनन, सरकारी विभागों और अन्य उद्योगों पर भी प्रभाव पड़ेगा।
- यह देखते हुए कि वर्तमान में देश में 200 से अधिक ड्रोन स्टार्ट-अप काम कर रहे हैं, मंत्री महोदय ने कहा कि युवाओं के लिए लाखों नए रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए इस संख्या में भी वृद्धि होगी ।
2. मालदीव के प्रवाल द्वीप परिषदों के महासचिवों का क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
मुख्य परीक्षा: वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के महत्व पर प्रकाश डालिये।
प्रसंग:
- भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के दृष्टिकोण के एक हिस्से के तहत शासन में उभरती चुनौतियों का सामना करने और लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सार्वजनिक सेवा प्रदान करने के आश्वासन के लिए पड़ोसी देशों के लोक सेवकों की क्षमता का निर्माण कर रहा है।
उद्देश्य:
- मालदीव के प्रवाल द्वीप परिषदों के महासचिवों का क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू किया गया।
- एनसीजीजी, मालदीव के लोक सेवकों को दक्षता के साथ जनता की सेवा करने का प्रशिक्षण प्रदान करता है।
विवरण:
- सुशासन के लिए राष्ट्रीय केंद्र (NCGG) ने 2024 तक मालदीव के 1,000 लोक सेवकों की क्षमता निर्माण के लिए मालदीव के लोक सेवा आयोग के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर काम शुरू किया है।
- इस समझौते पर 8 जून 2019 को प्रधानमंत्री मोदी की माले की राजकीय यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे।
- इस समझौते के तहत देशों की जरूरतों और उनके कार्यान्वयन पर विचार करने के बाद अनुकूलित प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार करने के लिए एनसीजीजी एक नोडल संस्था है।
- अब तक भारत में मालदीव सरकार के स्थायी सचिवों सहित मालदीव लोक सेवा के 550 से अधिक अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया है।
- दिल्ली में 5 दिसंबर से मालदीव के विभिन्न प्रवाल द्वीपों की परिषदों के महासचिवों के लिए 18वां क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू हुआ है।
- इस प्रशिक्षण मॉड्यूल के तहत भारत में की गई विभिन्न पहलों जैसे कि ई-शासन, डिजिटल इंडिया, सीपीग्राम्स, सतत विकास लक्ष्यों के लिए दृष्टिकोण, लोक स्वास्थ्य पहल और द्वीपों पर जल सुरक्षा सहित अन्य महत्वपूर्ण पहलों से प्राप्त सीख शामिल है।
- इसके अलावा इसमें प्रधानमंत्री संग्रहालय, यूआईडीएआई कार्यालय व संसद आदि जैसे प्रमुख स्थानों का दौरा भी शामिल है, जहां प्रतिभागी ई-शासन से संबंधित सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को देखेंगे।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. भारतीय राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी द्वारा 8 करोड़ टेली-परामर्श प्रदान किए:
- भारत सरकार की मुफ्त टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए 8 करोड़ टेली-परामर्श प्रदान करने का आंकड़ा पार करके एक और मील का पत्थर पार कर लिया है।
- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ई-स्वास्थ्य पहल ई-संजीवनी एक राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा है, जो पारंपरिक रूप से डॉक्टर के पास जाकर परामर्श लेने के स्थान पर डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से घर बैठे ही चिकित्सीय लाभ उठाने का विकल्प प्रदान करने का प्रयास करती है।
- इस पहल ने 3 वर्ष से भी कम समय-सीमा में दुनिया के सबसे बड़े सरकारी स्वामित्व वाले टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म होने का गौरव हासिल किया है।
- इसमें दो वर्टिकल शामिल हैं, जो सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के रोगियों को सेवा प्रदान करते हैं और सफलतापूर्वक देश के अंदरूनी इलाकों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
- पहला वर्टिकल ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी टेली-परामर्श प्रदान करके ग्रामीण-शहरी डिजिटल स्वास्थ्य विभाजन की खाई को पाटने का प्रयास करता है।
- इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि आयुष्मान भारत योजना के सभी ई-लाभार्थी उन फायदों को प्राप्त करने में सक्षम हैं, जिनके वे वास्तव में हकदार हैं।
- यह वर्टिकल हब-एंड-स्पोक मॉडल पर काम करता है, जिसके तहत ‘आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र’ (एचडब्ल्यूसी) राज्य स्तर पर स्थापित किए जाते हैं, ये सभी किसी पहिये की तीलियों के रूप में कार्यरत हैं, जो आंचलिक स्तर पर हब (जिसमें एमबीबीएस/स्पेशलिटी/सुपर- विशेषज्ञ चिकित्सक) के साथ मैप किए जाते हैं।
- इस मॉडल को ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से आयुष्मान भारत स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों (एबी-एचडब्ल्यूसी) तथा चिकित्सा केंद्रों में सफलतापूर्वक लागू किया गया है।
- दूसरा वर्टिकल ई-संजीवनी ओपीडी है, जो ग्रामीण एवं शहरी दोनों तरह के क्षेत्रों में समान रूप से नागरिकों की प्राथमिक चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- इसके माध्यम से स्मार्टफोन, टैबलेट, लैपटॉप के जरिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जाता है, जिससे डॉक्टर के परामर्श को रोगी के निवास स्थान की परवाह किए बिना सुलभ बनाया जा सकता है।
- ई-संजीवनी आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ मिशन (एबीडीएम) का ही एक हिस्सा है और ई-संजीवनी एप्लिकेशन के माध्यम से 45,000 से अधिक आभा आईडी तैयार की गई हैं।
2. ‘वॉटर हीरोज़ः शेयर योर स्टोरीज़’ 3.0 प्रतियोगिता:
- जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने ‘वॉटर हीरोज: शेयर योर स्टोरीज’ प्रतियोगिता शुरू की है।
- अब तक इस प्रतियोगिता के माईगव पोर्टल पर तीन संस्करण लॉन्च किए जा चुके हैं।
- इसका पहला संस्करण 01.09.2019 से 30.08.2020 तक,दूसरा संस्करण 19.09.2020 से 31.08.2021 तक,तीसरा संस्करण 01.12.2021 को शुरू किया गया है और ये 30.11.2022 को समाप्त होगा।
- इस प्रतियोगिता का उद्देश्य सामान्य रूप से जल के मूल्य को बढ़ावा देना और जल संरक्षण और जल संसाधनों के सतत विकास को लेकर देशव्यापी प्रयासों का समर्थन करना है।
- देश में जल संरक्षण करने के लिए एक बड़ी आबादी को प्रेरित किया जाना चाहिए।
- साथ ही ज्ञान को बढ़ाकर और जल नायकों के अनुभवों को साझा करके जल संरक्षण के प्रति जागरूकता और जल संरक्षण व प्रबंधन के प्रति एक व्यवहार सृजित करना है ताकि सभी हितधारकों के बीच एक व्यवहार परिवर्तन पैदा किया जा सके।
- देश में जल संरक्षण के इस महत्वपूर्ण कार्य को अपनाने के लिए एक बड़ी आबादी को प्रेरित किया जाना चाहिए।
- गैर-सरकारी संगठनों ने कई राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनियों में आरडब्ल्यूएच समाधान को सामने रखा और प्रदर्शन किया है।
- शहर में मृत तालाबों को पुनर्जीवित करने और पेड़ लगाने के लिए देश भर के गैर सरकारी संगठन हाथ मिलाएंगे।
3.वीर बाल दिवस:
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने वीर बाल दिवस के स्मरणोत्सव के लिए सुझाव/परामर्श आमंत्रित करने के लिए सिख बुद्धिजीवियों के साथ एक बैठक की।
- बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री इकबाल सिंह लालपुरा ने की।
- 26 दिसंबर को साहिबजादा जोरावर सिंह जी (7 वर्ष) और साहिबजादा फतेह सिंह जी (5 वर्ष) के बलिदान का स्मरण करने के लिए वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। यह दोनों सरहंद में शहीद हुए थे।
- 26 दिसंबर, 1704 को दीवारों में ईंटें लगाकर उन्हें जिंदा चिनवा दिया गया था।
- इस शहादत का स्मरण करने के लिए भारत सरकार ने 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।
- “साहिबजादों के बलिदान को 318 वर्ष से अधिक हो गए हैं, लेकिन हम अभी तक उनके बलिदान के सम्मान में उनके नाम पर किसी संस्थान का नाम नहीं रख सके हैं।
- 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने के सरकार के निर्णय द्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादों के सर्वोच्च बलिदान को मान्यता दी गई है।
- साहिबजादों के नाम पर राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार स्थापित करना आवश्यक है। साहिबजादों की कहानी को भारत और दुनिया भर में दूर-दूर तक प्रसारित करने की आवश्यकता है।
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लिंक किए गए लेख में 05 दिसंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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