विषयसूची:
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सरकार ने सभी चीनी मिलों को 60 लाख मीट्रिक टन (LMT) निर्यात कोटा आवंटित किया:
सामान्य अध्ययन: 3
आर्थिक विकास:
विषय: कृषि उत्पाद का भण्डारण-परिवहन तथा विपणन,सम्बंधित विषय और बाधाएं;किसानों की सहायता के लिए ई-प्रौद्योगिकी।
प्रारंभिक परीक्षा:इथेनॉल से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: सरकार द्वारा एक उपाय के रूप में चीनी के निर्यात की अनुमति चीनी की मूल्य स्थिरता और चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति को संतुलित करने में कहाँ तक सहायक होगी ? टिप्पणी कीजिए।
प्रसंग:
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देश में गन्ना उत्पादन के आरंभिक आकलनों के आधार पर चीनी की मूल्य स्थिरता और चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति को संतुलित करने के एक अन्य उपाय के रूप में भारत सरकार ने चीनी सीजन 2022-23 के दौरान 60 लाख मीट्रिक टन (LMT) तक चीनी के निर्यात की अनुमति दी है।
उद्देश्य:
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चीनी के निर्यात को सीमित करने से घरेलू कीमतें नियंत्रण में रहेंगी और घरेलू बाजार में मुद्रास्फीति की कोई बड़ी प्रवृत्ति उत्पन्न नहीं होगी।
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भारतीय चीनी बाजार में पहले ही बहुत मामूली मूल्य वृद्धि देखी जा चुकी है जो किसानों के लिए गन्ने के FRP में वृद्धि के अनुरूप है।
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चीनी मिलों की भंडारण लागत और कार्यशील पूंजी लागत जैसी परिचालन लागत में कमी आएगी।
विवरण:
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देश में चीनी मिलों द्वारा उत्पादित चीनी की शेष मात्रा की अनुमति निर्यात के लिए दी जाएगी।
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केन्द्र सरकार ने 30.09.2023 तक घरेलू उपभोग के लिए लगभग 275 लाख मीट्रिक टन (LMT) चीनी, इथेनॉल उत्पादन के लिए लगभग 50 लाख मीट्रिक टन चीनी की उपलब्धता और लगभग 60 लाख मीट्रिक टन का अंत: शेष रखने को प्राथमिकता दी है।
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डीजीएफटी पहले ही 31 अक्टूबर, 2023 तक ‘प्रतिबंधित’ श्रेणी के तहत चीनी निर्यात के समावेशन का विस्तार अधिसूचित कर चुका है।
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चीनी सीजन 2021-22 के दौरान, भारत ने 110 लाख मीट्रिक टन चीनी का निर्यात किया और विश्व में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया और देश के लिए लगभग 40,000 करोड़ रुपये के बराबर की विदेशी मुद्रा अर्जित की।
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चीनी सीजन 2022-23 के लिए चीनी निर्यात नीति में, सरकार ने पिछले तीन वर्षों में चीनी मिलों के औसत उत्पादन और पिछले तीन वर्षों में देश में औसत चीनी उत्पादन के आधार पर एक वस्तुपरक प्रणाली के साथ देश की सभी चीनी मिलों के लिए चीनी मिलवार निर्यात कोटा की घोषणा की है।
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इसके अतिरिक्त, चीनी निर्यात में तेजी लाने और निर्यात कोटा के निष्पादन में चीनी मिलों को लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए, मिलें आदेश जारी होने की तिथि के 60 दिनों के भीतर कोटा को आंशिक रूप से या पूरी तरह से सरेंडर करने का निर्णय ले सकती हैं या 60 दिनों के भीतर वे घरेलू कोटा के साथ निर्यात कोटा विनिमय कर सकती हैं।
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यह प्रणाली देश की लॉजिस्टिक प्रणाली पर कम बोझ सुनिश्चित करेगी, क्योंकि विनिमय प्रणाली घरेलू उपभोग के लिए देश के प्रत्येक क्षेत्र में चीनी के निर्यात और आवाजाही के लिए दूर-दराज के स्थानों से बंदरगाहों तक चीनी के परिवहन की आवश्यकता में कमी लाएगी।
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इसके अतिरिक्त, विनिमय से सभी मिलों के चीनी स्टॉक का परिसमापन भी सुनिश्चित होगा, क्योंकि जो मिलें निर्यात करने में सक्षम नहीं हैं, वे अपने निर्यात कोटा को मुख्य रूप से बंदरगाहों के आसपास के कारण अधिक निर्यात करने में सक्षम होने की वजह से चीनी मिलों के घरेलू कोटे के साथ विनिमय कर सकती हैं।
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चीनी सीजन 2022-23 के अंत में, यह उम्मीद की जाती है कि अधिकांश चीनी मिलें अपने उत्पादन को या तो घरेलू बाजार में या अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्यात के माध्यम से बेच सकने और किसानों के गन्ना बकाया का समय पर भुगतान करने में सक्षम होंगी।
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इस प्रकार, इस नीति ने देश में चीनी मिलों के लिए समग्र रूप से एक लाभकारी स्थिति सृजित की है।
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देश में इथेनॉल का उत्पादन एक अन्य फोकस क्षेत्र है, जो ईंधन आयात पर निर्भरता को कम करने और हरित ऊर्जा की दिशा में बढ़ने के लिए देश के लिए एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है।
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उत्पादकों के लिए इथेनॉल की अधिक कीमतों ने पहले ही डिस्टिलरियों को इथेनॉल की ओर अधिक चीनी को डायवर्ट के लिए प्रोत्साहित किया है।
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इथेनॉल उत्पादन के लिए पर्याप्त गन्ना/चीनी/शीरा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए चीनी निर्यात नीति एक अन्य तंत्र है।
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ईएसवाई 2022-23 के दौरान इथेनॉल उत्पादन की दिशा में 45-50 एलएमटी चीनी का डायवर्जन होने की उम्मीद है।
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चीनी सीजन 2022-23 के दौरान, चीनी मिलों को चीनी उत्पादन/विपणन के लिए कोई सब्सिडी नहीं दी गई थी और वर्तमान सीजन में भी, भारत सरकार से वित्तीय सहायता के बिना देश के चीनी क्षेत्र द्वारा अच्छा प्रदर्शन किए जाने की उम्मीद है।
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चीनी को इथेनॉल उत्पादन के लिए डायवर्ट करने तथा उपलब्धता के अनुरूप अधिशेष चीनी के निर्यात को सुगम बनाने के लिए, भारत सरकार ने लगभग 5 करोड़ गन्ना किसान परिवारों के साथ-साथ 5 लाख चीनी मिल श्रमिकों के हितों और इसके अतिरिक्त इथेनॉल डिस्टिलरी सहित चीनी क्षेत्र के पूरे इकोसिस्टम का भी ध्यान रखा है जिससे कि उन्हें विकास पथ पर आगे ले जाया जा सके।
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प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- नामीबिया से लाये गए चीतों में से कुछ को खुले बाड़े में शिफ्ट किया गया:
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प्रधानमंत्री ने बताया कि अनिवार्य क्वारंटाइन के बाद 2 चीतों को कुनो प्राकृतिक-वास में और अनुकूलन के लिए एक बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया है।
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भारत में बसाने की योजना के तहत नामीबिया से पीएम मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर को नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कुनो नेशनल पार्क (KNP) में प्रवेश कराया था।
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जिसके बाद से ये क्वारंटाइन थे। इन चीतों के क्वारंटाइन का समय 5 नवंबर को पूरा हो गया है, जिसके बाद इन्हें खुले बाड़े में छोड़ दिया गया है।
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बड़ा बाड़ा पांच वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। अंतत: आठों चीतों (पांच मादा और तीन नर) को बड़े बाड़े में छोड़ा जाएगा।
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भारत में लगभग 70 साल बाद 17 सितंबर को चीता देखने को मिला है।
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शुरुआती योजना के तहत फ्रेडी, एल्टन, सवाना, सशा, ओबान, आशा, चिबिली और साईसा नामक इन चीतों को एक महीने तक पृथकवास में रखा गया था।
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आमतौर पर जंगली जानवरों को स्थानांतरण से पहले और बाद में एक महीने के लिए क्वारंटीन किया जाता है, ताकि वे दूसरे देश से अपने साथ लाए किसी बीमारी को फैला ना पाएं।
8 चीतों में 5 मादा और 3 नर:
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गौरतलब हैं कि नामीबिया से लाये गए इन आठ चीतों में से पांच मादा और तीन नर हैं।
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वन्यजीवों में चीता दुनिया का सबसे तेज रफ्तार से दौड़ने वाला जानवर है।
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यह 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है। वर्तमान में पूरी दुनिया में सिर्फ 7000 के करीब ही चीते शेष बचे हैं।
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चीता भारत में खुले जंगल और घास के मैदान के पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में मददगार साबित होगा।
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यह जैव विविधता के संरक्षण में मदद करेगा और जल सुरक्षा, कार्बन पृथक्करण और मिट्टी की नमी संरक्षण जैसी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने में मदद करेगा, जिससे बड़े पैमाने पर समाज को लाभ होगा।
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- संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन की 27वीं बैठक (कॉप 27):
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केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने मिस्र के शर्म अल-शेख में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन की 27वीं बैठक (कॉप 27) 6 नवंबर से 18 नवंबर, 2022 तक होने जा रही हैं।
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यह विभिन्न देशों का सम्मेलन हैं। इसमें भारतीय मंडप का उद्घाटन केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने मिस्र के शर्म अल-शेख में किया।
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भारतीय मंडप में सभी देशों के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए मंत्री ने कहा कि भारत ने जलवायु परिवर्तन की जटिल समस्या का सरल समाधान प्रस्तुत किया है।
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भारत का मानना है कि जलवायु कार्रवाई जमीनी स्तर पर, व्यक्तिगत स्तर से शुरू होती है और इसलिए लाइफ़- पर्यावरण के लिए जीवनशैली विषय के साथ भारतीय मंडप को डिजाइन किया गया है।
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मिशन लाइफ इस धरती की सुरक्षा के लिए लोगों की शक्तियों को जोड़ता है और उन्हें इसका बेहतर रूप से उपयोग करना सिखाता है।
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मिशन लाइफ़ जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई को लोकतांत्रिक बनाता है जिसमें हर कोई अपनी क्षमता के अनुसार योगदान दे सकता है।
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मिशन लाइफ का मानना है कि छोटे-छोटे प्रयासों का भी बहुत बड़ा प्रभाव हो सकता है।
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भारत कॉप 27 में लाइफ-पर्यावरण के लिए जीवनशैली के विषय के साथ एक मंडप की मेजबानी कर रहा है।
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मंडप को विभिन्न दृश्य-श्रव्य, प्रतीक चिन्हों, 3 डी मॉडल, सेट अप, डेकोर और साइड इवेंट के माध्यम से लाइफ मिशन के संदेश को प्रस्तुत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
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मंडप के डिजाइन में मार्गदर्शक विचार यह है कि सदियों से, भारतीय सभ्यताओं ने स्थायी जीवन शैली का अभ्यास और नेतृत्व किया है।
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भारतीय संस्कृति में पर्यावरण के अनुकूल आदतें शामिल हैं। प्राकृतिक पर्यावरण के प्रति सम्मान दिखाने वाली कई प्रथाएं दैनिक जीवन में समाहित हैं। ये प्रथाएं जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध हमारी लड़ाई में महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।
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एक हज़ार वर्षों में पीढ़ियों से चली आ रही स्थिरता से संबंधित इस गहन ज्ञान ने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को दुनिया को ‘लाइफ’ का एक मंत्र देने के लिए प्रेरित किया है- जिसका उद्देश्य धरती के स्वास्थ्य और कल्याण पर उल्लेखनीय रूप से सकारात्मक प्रभाव डालना है।
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वैश्विक जलवायु संकट से निपटने में भारत का योगदान लाइफ मिशन है।
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लाइफ मिशन व्यक्तियों को ‘धरती के हित में काम करने वाले लोगों’ के रूप में बदलने का प्रयास करता है, जो आधुनिक दुनिया में स्थायी जीवनशैली अपनाएंगे।
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मंडप के प्रतीक चिन्ह में हरे रंग का उपयोग किया गया है, यह हरा रंग हरी-भरी धरती का सूचक है।
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प्रतीक चिन्ह में हरे रंग को ग्रेडिएंट शेड्स के रूप में प्रयोग किया गया है।
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परिधि पर मौजूद पत्ती, प्रकृति का प्रतिनिधित्व करती है और यह प्रतीक यह प्रदर्शित करता है कि भारत सरकार की विभिन्न पहलों के माध्यम से प्रकृति के साथ संतुलन और तालमेल कैसे बिठाया जा सकता है।
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प्रतीक चिन्ह का मध्य भाग सूर्य के साथ संतुलित प्रकृति का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें पेड़, पहाड़, पानी और जैव-विविधता शामिल है।
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यह नारा जीवन के मूल संदेश “सर्वे भवन्तु सुखिन” यानी सभी के सुख की कामना से प्रेरित है।
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कॉप 27 के औपचारिक उद्घाटन सत्र में भी मिस्र ने ब्रिटेन से कॉप की अध्यक्षता का कार्यभार प्राप्त किया।
लाइफ मिशन:
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भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2021 में ग्लासगो में कॉप 26 में दुनिया को लाइफ का मंत्र दिया था और तब से इस मिशन को वैश्विक नेताओं द्वारा व्यापक रूप से समर्थन प्राप्त हो रहा है।
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भारत ने वैश्विक जन आंदोलन के रूप में मिशन लाइफ का नेतृत्व किया है जो जलवायु संकट को दूर करने के लिए दुनिया भर में व्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई की शक्ति का उपयोग करता है।
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इसका उद्देश्य मानव और प्रकृति के बीच महत्वपूर्ण संतुलन को पुनर्जीवित करना है, जो पर्यावरण की रक्षा व संरक्षण के लिए अंधाधुंध और गलत उपभोग से हटकर सोच-समझकर उपभोग करने के लिए बदलाव को बढ़ावा देता है।
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मिशन लाइफ़ को वर्ष 2022 से 2027 की अवधि में कम से कम एक अरब भारतीयों और अन्य वैश्विक नागरिकों को पर्यावरण की रक्षा व संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
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वर्ष 2028 तक पूरे भारत के कम से कम 80 प्रतिशत गांवों और शहरी स्थानीय निकायों को पर्यावरण के अनुकूल तैयार करने का लक्ष्य है।
लाइफ़:
मंडप
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- ‘जनजातीय गौरव दिवस’:
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शिक्षा मंत्रालय देश भर के स्कूलों, कौशल संस्थानों और उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मनाएगा।
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पिछले साल, सरकार ने वीर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी।
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15 नवंबर, बिरसा मुंडा की जयंती है, जिन्हें देश भर के जनजातीय समुदाय भगवान के रूप में सम्मान देते हैं।
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बिरसा मुंडा देश के एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और श्रद्धेय जनजातीय नायक थे, जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार की शोषणकारी व्यवस्था के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और अपने जीवनकाल में ही एक महान व्यक्ति बन गए, जिन्हें अक्सर ‘भगवान’ कहा जाता है।
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उन्होंने जनजातियों से “उलगुलान” (विद्रोह) का आह्वान किया तथा जनजातीय आंदोलन को संगठित करने के साथ नेतृत्व प्रदान किया।
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उन्होंने जनजातियों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों को समझने और एकता का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
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ये समारोह, जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के देश के लिए दिए गए बलिदान को रेखांकित करने, उनकी विरासत को आगे बढ़ाने और जनजातीय संस्कृति, कला व समृद्ध जनजातीय विरासत का संरक्षण करने के लिए आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे।
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06 नवंबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 30 अक्टूबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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