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07 फरवरी 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. PPAC ने डेटा और अनुसंधान में सहयोग हेतु IEA के साथ आशय पत्र (SOI) पर हस्ताक्षर किए:  
  2. DGGI और NFSU ने डिजिटल फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए सहमति पत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किए: 
  3. भारत के सहकारी ढांचे को देश की आर्थिक और सामाजिक आवश्यकताओं के साथ समन्वित करते हुए इसे सुदृढ़ करने हेतु उठाये गए कदम:
  4. INS विक्रांत पर नौसेना के LAC और मिग-29 लड़ाकू विमान की पहली लैंडिंग:
  5. G-20:
  6. वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय खाद्य निगम (FCI) के लिए 1.45 लाख करोड़ रुपए का परिव्यय:

1. PPAC ने डेटा और अनुसंधान में सहयोग हेतु IEA के साथ आशय पत्र (SOI) पर हस्ताक्षर किए:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच- उनकी संरचना, और अधिदेश। 

प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA),संपीड़ित जैव-गैस (CBG),जैव ईंधन (बायोएथेनॉल और बायोडीजल)। 

मुख्य परीक्षा: PPAC ने डेटा और अनुसंधान में सहयोग हेतु IEA के साथ एक आशय पत्र (SOI) पर हस्ताक्षर किये हैं, इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।  

प्रसंग: 

  • पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MOPNG), भारत सरकार के अंतर्गत पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (PPC) ने डेटा और अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के लिए और वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा, स्थिरता और संवहनीयता को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के साथ पेरिस स्थित मुख्यालय में एक आशय पत्र (SOI) पर हस्ताक्षर किए हैं।  

उद्देश्य:

  • PPAC और IEA के बीच साझेदारी ज्ञान का व्यापक रूप से आदान-प्रदान करना। 
  • बेहतर विश्लेषण और विवेचन के लिए व्यापक डेटासेट, रिपोर्ट, विश्लेषण उपलब्ध कराया जाएगा। 
  • ऊर्जा अवस्थांतर से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने हेतु आवश्यक कौशल विकसित करने के लिए IEA विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण और इंटर्नशिप आयोजित करने की योजना तैयार की गई है। 
  • तेल और गैस की मांग और आपूर्ति, वैश्विक तथा क्षेत्रीय तेल एवं गैस के बाजारों की वृद्धि और स्थिरता तथा वैकल्पिक ईंधन के आर्थिक लाभ पर संयुक्त रूप से अध्ययन किया जाएगा।   

विवरण:  

  • केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा आवासन और शहरी मामलों के मंत्री की उपस्थिति में  PPAC के महानिदेशक और डॉ. फतेह बिरोल, IEA के कार्यकारी निदेशक ने बंगलौर में 06 से 08 फरवरी, 2023 तक आयोजित होने वाले भारत ऊर्जा सप्ताह के अवसर पर इस आशय पत्र (SOI) पर हस्ताक्षर किए।
  • यह आशय पत्र PPAC और IEA के बीच सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग करने के लिए है, जैसा कि SOI में निर्दिष्ट है। 
    • इसके अलावा, बेहतर विश्लेषण और विवेचन करने के लिए व्यापक डेटासेट, रिपोर्ट, विश्लेषण उपलब्ध कराया जाएगा। 
    • ऊर्जा अवस्थांतर से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने हेतु आवश्यक कौशल सेट विकसित करने के लिए IEA के विशेषज्ञों द्वारा ऊर्जा मॉडलिंग और सांख्यिकी के लिए PPAC और IEA के अधिकारियों को प्रशिक्षण और इंटर्नशिप प्रदान करने की योजना तैयार की गई है।
  • दोनों पक्ष ऊर्जा बाजार, डेटा और सांख्यिकी, जैव ईंधन (बायोएथेनॉल और बायोडीजल) और संपीड़ित जैव-गैस (CBG) और अन्य उभरते ईंधन के क्षेत्रों पर SOI के अंतर्गत सहयोग करने की इच्छा रखते हैं। 
    • यह वैश्विक तेल और गैस बाजारों तथा तेल और गैस क्षेत्रों के लिए प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों के बारे में भी जानकारी प्रदान करेगा।
  • दोनों पक्ष तेल और गैस की मांग और आपूर्ति, वैश्विक और क्षेत्रीय तेल और गैस बाजारों की वृद्धि और स्थिरता और वैकल्पिक ईंधन के आर्थिक लाभ पर संयुक्त रूप से अध्ययन करेंगे। 
    • दोनों पक्षों ने सहयोग के विशिष्ट क्षेत्रों में कार्य समूहों का गठन करने का भी प्रस्ताव रखा है।

2.  DGGI और NFSU ने डिजिटल फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की स्थापना के लिए सहमति पत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किए:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन: 

विषय: शासन व्यवस्था के महत्वपूर्ण पक्ष, ई- गवर्नेंस-अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ। 

प्रारंभिक परीक्षा: जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (DGGI), केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC), राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU)।

प्रसंग: 

  • जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (DGGI) और राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) ने डिजिटल फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की स्थापना करने के साथ-साथ डिजिटल फोरेंसिक के क्षेत्र में सूचनाओं एवं ज्ञान या जानकारियों के आदान-प्रदान, तकनीकी प्रगति और कौशल विकास के लिए एक सहमति पत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। 

उद्देश्य:

  • इस सहमति पत्र से DGGI और NFSU को डिजिटल फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की स्थापना करने के साथ-साथ अनुसंधान और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहयोग करने और एक-दूसरे को तकनीकी सहायता प्रदान करने में काफी मदद मिलेगी।  

विवरण:  

  • DGGI संबंधित सूचनाओं के संग्रह और प्रसार के लिए और जीएसटी की चोरी रोकने हेतु आवश्यक उपाय करने के लिए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के अधीनस्‍थ शीर्ष खुफिया संगठन है। 
    • NFSU फोरेंसिक विज्ञान और संबंधित क्षेत्रों में अध्ययन एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए भारत की संसद की स्‍वीकृति से स्थापित किया गया राष्ट्रीय महत्व का संस्थान है। 
    • NFSU फोरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में पहला एवं एकमात्र संस्थान है और उसके पास डिजिटल फोरेंसिक के क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी है और इसके साथ ही डिजिटल साक्ष्य का अध्ययन एवं विश्लेषण करने की विशिष्‍ट क्षमता है। 
    • इसने विभिन्न राष्ट्रीय एजेंसियों जैसे कि प्रवर्तन निदेशालय, DRDO और केंद्रीय जांच ब्यूरो,  इत्‍यादि के साथ-साथ कई देशों और उनके संस्थानों के साथ डिजिटल फोरेंसिक के क्षेत्र में सहयोग सुनिश्चित किया है।
  • CBIC की प्रमुख जांच शाखा होने के नाते DGGI बड़े पैमाने पर होने वाली कर चोरी का पता लगाने और फर्जी इनवॉयस या चालान वाले रैकेट का भंडाफोड़ करने एवं इन मामलों में कई मास्टरमाइंडों अथवा सरगना को गिरफ्तार करने के लिए डेटा विश्लेषणात्मक उपकरणों और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का व्यापक रूप से उपयोग करता है।  
    • यह MoU जांच एवं डिजिटल फोरेंसिक के क्षेत्र में DGGI के लिए काफी मददगार साबित होगा और प्रभावकारी अभियोग शुरू करने एवं दोषियों को सजा दिलाने में इस एजेंसी की सहायता करेगा। 
    • गंभीर कर अपराध करने वालों को त्वरित और प्रभावकारी सजा दिलाने से न केवल सरकारी राजस्व सुनिश्चित होता है और इसका रिसाव या लीकेज थम जाता है, बल्कि ईमानदार करदाताओं के लिए उचित कर व्यवस्था सुनिश्चित करके व्यापार को सुविधाजनक भी बनाता है। 
    • यह DGGI के लिए डिजिटल फोरेंसिक के क्षेत्र में आवश्यक भौतिक अवसंरचना, कौशल सेट और आवश्‍यक जानकारियां हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

3. भारत के सहकारी ढांचे को देश की आर्थिक और सामाजिक आवश्यकताओं के साथ समन्वित करते हुए इसे सुदृढ़ करने हेतु उठाये गए कदम:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन: 

विषय: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ। 

मुख्य परीक्षा:’सहकारिता पर राष्ट्रीय नीति’ के सन्दर्भ में एक लेख लिखिए।    

प्रसंग: 

  • सहकारिता मंत्री ने लोकसभा में ‘सहकारिता पर राष्ट्रीय नीति’ पर एक लिखित प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2022 को नई राष्ट्रीय सहयोग नीति तैयार करने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन किया गया है, जिसमें सहकारी क्षेत्र के विशेषज्ञ, राष्ट्रीय/राज्य/जिला/प्राथमिक स्तर की सहकारी समितियों के प्रतिनिधि, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सचिव (सहकारिता) और आरसीएस, केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के अधिकारी शामिल होंगे।

उद्देश्य:

  • नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति के निर्माण से ‘सहकार से समृद्धि’ के विजन को साकार करने, सहकारिता आधारित आर्थिक विकास मॉडल को बढ़ावा देने, देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने और जमीनी स्तर तक इसकी पहुंच को गहरा करने में मदद मिलेगी। 
    • इस संबंध में पहले हितधारकों के साथ परामर्श किया गया था और केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/संघ शासित प्रदेशों, राष्ट्रीय सहकारी संघों, संस्थानों तथा आम जनता से भी नई नीति तैयार करने के लिए सुझाव आमंत्रित किए गए थे।
    • राष्ट्रीय स्तर की समिति नई नीति का प्रारूप तैयार करने के लिए संग्रहीत फीडबैक, नीतिगत सुझावों और सिफारिशों का विश्लेषण करेगी।  

विवरण:  

  • सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद सरकार द्वारा भारत के सहकारी ढांचे को देश की आर्थिक और सामाजिक आवश्यकताओं के साथ समन्वित करते हुए इसे सुदृढ़ करने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं:
  1. PACS का कम्प्यूटरीकरण: 2,516 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ एक ईआरपी आधारित सामान्य राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर 63,000 कार्यशील PACS ऑनबोर्ड करने की प्रक्रिया आरंभ हुई।
  2. PACS के लिए मॉडल उपनियम: PACS को डेयरी, मत्स्य पालन, गोदामों की स्थापना, एलपीजी/पेट्रोल/हरित ऊर्जा वितरण एजेंसी, बैंकिंग संवाददाता, CSC आदि जैसी 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियों को करने में सक्षम बनाने के लिए संबंधित राज्य सहकारिता अधिनियम के अनुसार मॉडल उपनियम तैयार किए गए और उन्हें अपनाने के लिए परिचालित किया गया।
  3. सामान्य सेवा केंद्रों (CSC) के रूप में PACS: सहकारिता मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नाबार्ड तथा CSC-एसपीवी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए ताकि PACS को उनकी व्यवहार्यता में सुधार करने, ग्रामीण स्तर पर ई-सेवाएं प्रदान करने, रोजगार सृजन करने के लिए CSC के रूप में कार्य करने में मदद मिल सके।
  4. राष्ट्रीय सहकारी डाटाबेस: नीति निर्माण और कार्यान्वयन में हितधारकों की सुविधा के लिए देश में सहकारी समितियों के एक प्रामाणिक और अद्यतन डेटा भंडार की तैयारी आरंभ हो गई है।
  5. राष्ट्रीय सहकारी नीति: ‘सहकार-से-समृद्धि’ के विजन को साकार करने के लिए एक सक्षम ईको-सिस्टम बनाने के लिए नई सहकारिता नीति तैयार करने के लिए देश भर के विशेषज्ञों और हितधारकों की एक राष्ट्रीय स्तर की समिति गठित की गई है।
  6. MSCS अधिनियम, 2002 में संशोधन: 97वें संवैधानिक संशोधन के प्रावधानों को शामिल करने, शासन को मजबूत करने, पारदर्शिता बढ़ाने, जवाबदेही बढ़ाने और बहु राज्य सहकारी समितियों में चुनावी प्रक्रिया में सुधार करने के लिए केंद्र प्रशासित MSCS अधिनियम, 2002 में संशोधन करने के लिए संसद में विधेयक पेश किया गया।
  7. राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम: NCDC द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में सहकारी समितियों के लिए SHG के लिए ‘स्वयंशक्ति सहकार’; दीर्घावधि कृषि ऋण के लिए ‘दीर्घावधि कृषक सहकार’; डेयरी के लिए ‘डेयरी सहकार’ और मत्स्य पालन के लिए ‘नील सहकार’ जैसी नई योजनाएं आरंभ की गईं। वित्त वर्ष 2021-22 में 34,221 करोड़ रुपए की कुल वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
  8. क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट में सदस्य ऋणदाता संस्थान: गैर-अनुसूचित USB, STCB और DCCB को ऋण देने में सहकारी समितियों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए CGTMSE योजना में MLI के रूप में अधिसूचित किया गया।
  9. GEM पोर्टल पर ‘खरीदार’ के रूप में सहकारी समितियां: सहकारी समितियों को GEM पर ‘खरीदार’ के रूप में पंजीकरण करने की अनुमति दी गई है, जिससे वे किफायती खरीद और अधिक पारदर्शिता की सुविधा के लिए लगभग 40 लाख विक्रेताओं से सामान और सेवाएं खरीद सकेंगी।
  10. सहकारी समितियों पर अधिभार में कमी: 1 से 10 करोड़ रुपए के बीच आय वाली सहकारी समितियों के लिए अधिभार 12 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है।
  11. न्यूनतम वैकल्पिक कर में कमी: सहकारी समितियों के लिए मैट को 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया।
  12. आईटी अधिनियम की धारा 269एसटी के तहत राहत: सहकारी समितियों द्वारा प्रत्येक लेनदेन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए IT अधिनियम की धारा 269ST के तहत स्पष्टीकरण जारी किया गया है।
  13. नई सहकारी समितियों के लिए कर की दर कम करना: केंद्रीय बजट 2023-24 में 31 मार्च, 2024 तक विनिर्माण गतिविधियां शुरू करने वाली नई सहकारी समितियों के लिए 30 प्रतिशत तक की वर्तमान दर की तुलना में 15 प्रतिशत की निम्न फ्लैट कर दर वसूलने की घोषणा की गई।
  14. PACS और PCARDBS द्वारा नकद में जमा और ऋण की सीमा में वृद्धि: केंद्रीय बजट 2023-24 में PACS और PCARDB द्वारा नकद में जमा और ऋण के लिए प्रति सदस्य 20,000 से 2 लाख रुपए की सीमा बढ़ाने की घोषणा की गई।
  15. TDS के लिए सीमा में वृद्धि: केंद्रीय बजट 2023-24 में सहकारी समितियों के लिए नकद निकासी की सीमा TDS के अधीन किए बिना, 1 करोड़ से 3 करोड़ रुपए प्रति वर्ष बढ़ाने की घोषणा की गई।
  16. सहकारी चीनी मिलों को राहत: सहकारी चीनी मिलों को किसानों को उचित और लाभकारी पारिश्रमिक या राज्य परामर्शित मूल्य तक गन्ने के अधिक मूल्य का भुगतान करने के लिए अतिरिक्त आयकर के अधीन नहीं लाया जाएगा।
  17. चीनी सहकारी मिलों के पुराने लंबित मुद्दों का समाधान: केंद्रीय बजट 2023-24 में चीनी सहकारी समितियों को निर्धारण वर्ष 2016-17 से पहले की अवधि के लिए गन्ना किसानों को उनके भुगतान को व्यय के रूप में दावा करने की अनुमति देने की घोषणा की गई, जिससे लगभग 10,000 करोड़ रुपए की राहत प्रदान की गई।
  18. नई राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी बीज समिति: नई शीर्ष राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी बीज समिति की स्थापना एक सिंगल ब्रांड के तहत गुणवत्तापूर्ण बीज की खेती, उत्पादन और वितरण के लिए व्यापक संगठन के रूप में MSCS अधिनियम, 2002 के तहत की जा रही है।
  19. नई राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी जैविक समिति: नई शीर्ष राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी जैविक समिति की स्थापना एक सिंगल ब्रांड के तहत प्रमाणित एवं प्रमाणिक जैविक उत्पादों की खेती, उत्पादन और वितरण के लिए व्यापक संगठन के रूप में MSCS अधिनियम, 2002 के तहत की जा रही है।
  20. नई राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति: नई शीर्ष राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति की स्थापना सहकारी क्षेत्र से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक संगठन के रूप में MSCS अधिनियम, 2002 के तहत की जा रही है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.INS विक्रांत पर नौसेना के LAC और मिग-29 लड़ाकू विमान की पहली लैंडिंग:

  • भारत के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर पर नौसेना के स्वदेशी LAC की सफल लैंडिंग एवं टेक ऑफ आत्मनिर्भर भारत के हमारे सामूहिक विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मिग-29K की पहली लैंडिंग लड़ाकू विमानों के INS विक्रांत के साथ एकीकरण की शुरुआत है।
  • INS विक्रांत पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है और हमारे देश द्वारा निर्मित अब तक का सबसे जटिल युद्धपोत है। 
    • इस जहाज को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा इन-हाउस डिजाइन किया गया है और मैसर्स कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया है। 
    • यह जहाज 4 अगस्त 2021 को पहले समुद्री परीक्षणों के लिए रवाना हुआ था।
    •  तब से, इसने मुख्य प्रोपल्शन, बिजली उत्पादन उपकरण, अग्निशमन प्रणाली, एविएशन फैसिलिटी कॉम्प्लेक्स आदि के परीक्षणों के लिए समुद्र में रहा है। 
    • इस कैरियर को भारतीय नौसेना में 2 सितंबर 2022 को कमीशन किया गया था। 
  • इस एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ विजन को एक बड़ा प्रोत्साहन है।
    • यह कैरियर 13 दिसंबर 2022 से रोटरी विंग और फिक्स्ड विंग विमान के साथ वायु प्रमाणन और उड़ान एकीकरण परीक्षणों के लिए ‘कॉम्बैट रेडी’ होने के उद्देश्य की प्राप्ति हेतु व्यापक एयर ऑपरेशन्स कर रहा है। विमानन परीक्षणों के अंतर्गत भारतीय नौसेना के परीक्षण पायलटों द्वारा 6 फरवरी 2023 को LAC (नौसेना) और मिग-29के की INS विक्रांत पर लैंडिंग की गई।
  • डेक पर LAC (नौसेना) की लैंडिंग ने स्वदेशी लड़ाकू विमानों के साथ स्वदेशी विमान वाहक को डिजाइन करने, विकसित करने निर्माण करने और संचालित करने की भारत की क्षमता में ‘आत्मनिर्भरता’ का प्रदर्शन किया है। 
    • यह वास्तव में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है कि पहली बार एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित प्रोटोटाइप विमान का परीक्षण एक स्वदेशी विमान वाहक पर सफलतापूर्वक किया गया है।
    • इसके अलावा, INS विक्रांत पर मिग-29K का उतरना भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि यह स्वदेशी वाहक के साथ विमान के सफल एकीकरण को दर्शाता है साथ ही साथ नौसेना की लड़ाकू तैयारी को और पुख़्ता करता है।

2.G-20:

  • G-20 अंर्तराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंत्र है। 
    • यह सभी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक आर्किटेक्चर और गर्वनेंस को आकार देने और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
    • भारत 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक G-20 की अध्यक्षता कर रहा है। G-20 में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल है, – अर्जेटिना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेषिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सउदी अरब, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ। 
    • G-20 सदस्य वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 85 प्रतिषत वैश्विक व्यापार के 75 प्रतिशत के अधिक और विश्व जनसंख्या के लगभग दो तिहाई का प्रतिनिधित्व करते है।

3.वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय खाद्य निगम (FCI) के लिए 1.45 लाख करोड़ रुपए का परिव्यय:

  • वित्त वर्ष 2023-24 के बजट अनुमान (BE) में भारतीय खाद्य निगम (FCI) के लिए आंतरिक एवं अतिरिक्त बजटीय संसाधन (IEBR) के रूप में प्रदर्शित 1.45 लाख करोड़ रुपए के परिव्यय का उद्देश्य खरीद/PDS प्रचालनों के प्रबंधन की लागत चुकाने के लिए अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की आवश्यकता के एक संकेतात्मक आकलन का प्रतिनिधित्व करना है।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) आउटलेट के माध्यम से वितरण के लिए अनिवार्य वस्तुएं उपलब्ध कराने के बाद केंद्रीय बजट से प्रतिपूर्ति के आधार पर FCI को खाद्य सब्सिडी (आर्थिक लागत और केंद्रीय निर्गम मूल्य के बीच का अंतर) जारी की जाती है। 
    • इसकी प्राप्ति तक, FCI अपनी कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं या खरीद प्रचालन, स्थापना, माल ढुलाई, भंडारण माल ढुलाई शुल्क आदि से उत्पन्न होने वाली लागत का प्रबंधन बैंकों के कंसोर्टियम से नकद ऋण, अल्पावधि ऋण (90 दिनों तक), अर्थोपाय अग्रिम आदि से करता है।
    • केंद्रीय बजट से FCI को जारी खाद्य सब्सिडी में कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं से लागत शामिल है।
  • बजटीय पारदर्शिता और सक्रिय प्रकटीकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में, वित्त वर्ष 2023-24 के बजट दस्तावेज़ अगले वित्तीय वर्ष के दौरान FCI के लिए एक संकेतात्मक कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं का प्रकटीकरण करते हैं। 
    • संकेतात्मक अनुमान के मुकाबले वास्तविक उपयोग आवश्यकता आधारित और चरणबद्ध तरीके से होने की उम्मीद है। 
    • यह FCI को उपलब्ध कराई गई एक निरंतर व्यवस्था रही है। 
    • उदाहरण के लिए, चालू वित्त वर्ष 2022-23 में संकेतात्मक IEBR परिव्यय बजट अनुमानों में 89,425 करोड़ रुपए था, जिसे घटी हुई इन्वेंट्री की कम वहन लागत के कारण संशोधित अनुमानों में घटाकर 56,935 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
  • वित्त वर्ष 2023-24 के लिए उच्चतर अनुमान वर्ष में अनिवार्य वस्तुओं की बढ़ती सूची के कारण आकस्मिक व्यय सहित खरीद के उच्च स्तर की FCI की प्रत्याशा को दर्शाता है। 
    • सरकार यह भी दोहराती है कि वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में खाद्य सब्सिडी का प्रावधान लाभार्थियों के बीच वितरण के लिए अनिवार्य वस्तुओं की अनुमानित PDS आवश्यकता से संबंधित सभी अनुमानित लागतों को कवर करने के लिए पर्याप्त है।

 

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लिंक किए गए लेख में 06 फरवरी 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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