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07 जून 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. 5वें राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक का अनावरण:  
  2. मिशन ऑन एडवांस्ड एंड हाई-इम्पैक्ट रिसर्च (MAHIR):
  3. ‘सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण’ के नौ वर्ष पूरे होने पर नागर विमानन मंत्रालय की उपलब्धियां:
  4. विपणन सत्र 2023-24 के दौरान खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को स्वीकृति:
  5. पंप स्टोरेज और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत परियोजनाओं के लिए एनएचपीसी और महाराष्ट्र सरकार के ऊर्जा विभाग के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर:
  6. केंद्रीय क्षेत्र की योजना, ‘कोयला और लिग्नाइट अन्वेषण योजना’ को जारी रखने की मंजूरी: 
  7. केरल और लक्षद्वीप में सागर परिक्रमा यात्रा के सातवें चरण का शुभारंभ किया जाएगा:
  8. अमृत जेनरेशन अभियान ‘नए भारत के सपने’ का शुभारंभ:

1. 5वें राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक का अनावरण:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन: 

विषय: शासन व्यवस्था पारदर्शिता और महत्वपूर्ण पक्ष, ई- गवर्नेस-अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएं सीमाएं और संस्थागत एवं अन्य उपाय। 

प्रारंभिक परीक्षा: राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (एसएफएसआई),विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस,भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India) । 

मुख्य परीक्षा: राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक की राज्य एवं खाद्य सुरक्षा के संबंध में परिचर्चा कीजिए।  

प्रसंग: 

  • भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के उपलक्ष्य में 7 जून, 2023 को  एक इंटरैक्टिव सत्र में डॉ. मनसुख मांडवीय ने विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर 5वें राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक का अनावरण किया। 

उद्देश्य:

  • यह सूचकांक खाद्य सुरक्षा के छह अलग-अलग पहलुओं में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है। 
    • वर्ष 2018-19 में लॉन्च किए गए एसएफएसआई का उद्देश्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और पूरे देश में खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में सकारात्मक बदलाव को उत्प्रेरित कर अंततः सभी निवासियों को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन का प्रावधान सुनिश्चित करना है।  

विवरण:  

  • 5वें राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (एसएफएसआई) खाद्य सुरक्षा के छह अलग-अलग पहलुओं में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है। 
  • वर्ष 2022-23 के लिए उनकी रैंकिंग के आधार पर विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बड़े राज्यों में, केरल ने शीर्ष रैंकिंग हासिल की, उसके बाद पंजाब और तमिलनाडु, छोटे राज्यों में गोवा ने शीर्ष  पर रहा और मणिपुर तथा सिक्किम क्रमशः इसके बाद रहे। 
    • इसके अलावा केंद्र शासित प्रदेशों के बीच जम्मू और कश्मीर, दिल्ली और चंडीगढ़ ने क्रमशःपहला, दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया।  
  • इसके अलावा जिलों के लिए ईट राइट चैलेंज के तहत जिलों ने खाद्य पर्यावरण में सुधार और खाद्य सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए योजनाओं को लागू करने में उत्कृष्ट प्रयासों का प्रदर्शन किया। असाधारण परिणाम वाले अधिकांश जिले उल्लेखनीय रूप से तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में स्थित थे। 
  • अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष को मनाने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने देश भर में ईट राइट मिलेट्स मेले को आयोजित करने की परिकल्पना की है। 
    • ये मेले देश में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के साथ-साथ पोषक अनाज के व्यंजनों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच के रूप में काम करते हैं।  
  • डॉ. मनसुख मांडवीय ने घोषणा की कि देश भर में खाद्य गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण अगले 3 वर्षों में 25 लाख खाद्य व्यवसाय संचालकों को प्रशिक्षित करेगा। उन्होंने देश भर में खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता और पोषण के लिए गुणवत्ता बेंचमार्क को पूरा करने वाले 100 फूड स्ट्रीट स्थापित करने की भी घोषणा की। 
  • डॉ. मांडवीय ने एफएसएसएआई द्वारा रैपिड फूड टेस्टिंग किट (आरएएफटी) पोर्टल सहित कई अभिनव पहलों का भी अनावरण किया। 
    • इस पोर्टल का उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए आरएएफटी योजना के संचालन को सुव्यवस्थित करना है।

2. मिशन ऑन एडवांस्ड एंड हाई-इम्पैक्ट रिसर्च (MAHIR):

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा: 

विषय: ऊर्जा। 

प्रारंभिक परीक्षा: मिशन ऑन एडवांस्ड एंड हाई-इम्पैक्ट रिसर्च (MAHIR)। 

मुख्य परीक्षा: मिशन ऑन एडवांस एंड हाई-इम्पैक्ट रिसर्च (एमएएचआईआर) मिशन के उदेशय पर प्रकाश डालिये।   

प्रसंग: 

  • विद्युत मंत्रालय और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय संयुक्त रूप से एक राष्ट्रीय मिशन शुरू कर रहे हैं ताकि बिजली क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकियों की शीघ्रता से पहचान की जा सके और उन्हें भारत के भीतर और बाहर तैनाती के लिए बड़े पैमाने पर स्वदेशी रूप से विकसित किया जा सके।

उद्देश्य:

  • “मिशन ऑन एडवांस एंड हाई-इम्पैक्ट रिसर्च (MAHIR)” शीर्षक वाले राष्ट्रीय मिशन का उद्देश्य बिजली क्षेत्र में नवीनतम और उभरती प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी अनुसंधान, विकास और प्रदर्शन को सुविधाजनक बनाना है। 
    • उभरती प्रौद्योगिकियों की पहचान करके और उन्हें कार्यान्वयन के चरण में ले जाकर, मिशन भविष्य के आर्थिक विकास के लिए मुख्य ईंधन के रूप में उनका लाभ उठाना चाहता है और इस प्रकार भारत को दुनिया का एक विनिर्माण केंद्र बनाना चाहता है।  

विवरण:  

  • मिशन को दो मंत्रालयों के तहत ऊर्जा मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के वित्तीय संसाधनों को पूल करके वित्त पोषित किया जाएगा। 
    • किसी भी अतिरिक्त धन की आवश्यकता भारत सरकार के बजटीय संसाधनों से जुटाई जाएगी।
  • 2023-24 से 2027-28 तक पांच साल की प्रारंभिक अवधि के लिए बनाई गई यह योजना, मिशन उत्पाद के लिए आइडिया के प्रौद्योगिकी जीवन चक्र दृष्टिकोण का पालन करेगा।
  • यह मिशन नेट ज़ीरो उत्सर्जन प्राप्त करने और मेक इन इंडिया और स्टार्ट-अप इंडिया जैसी पहलों को बढ़ावा देने जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा। 
  • यह संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने में भी योगदान देगा। 
  • आने वाले वर्षों में भारत 7 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ने वाला है, बिजली की मांग 10 प्रतिशत के करीब बढ़ने वाली है।  

मिशन के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों और भविष्य की प्रासंगिकता के क्षेत्रों की पहचान करना और प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास को शुरू करना।
  • सामूहिक विचार-मंथन, सहक्रियात्मक प्रौद्योगिकी विकास और प्रौद्योगिकी के सुचारू हस्तांतरण के लिए रास्ते तैयार करने के लिए विद्युत क्षेत्र के हितधारकों के लिए एक सामान्य मंच प्रदान करना।
  • स्वदेशी प्रौद्योगिकियों (विशेष रूप से भारतीय स्टार्ट-अप द्वारा विकसित) की पायलट परियोजनाओं और उनके व्यावसायीकरण की सुविधा के लिए का समर्थन करना।
  • उन्नत प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास में तेजी लाने के लिए विदेशी गठजोड़ और साझेदारी का लाभ उठाने के लिए और द्विपक्षीय या बहुपक्षीय सहयोग के माध्यम से दक्षताओं, क्षमताओं और उन्नत प्रौद्योगिकियों तक पहुंच बनाने के लिए ज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करना।
  • वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास का बीजारोपण, पोषण और पैमाना बनाना और देश के विद्युत क्षेत्र में जीवंत और नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र बनाना।
  • विद्युत प्रणाली से संबंधित प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोगों के विकास में हमारे देश को अग्रणी देशों में शामिल करना।

अनुसंधान के लिए निम्नलिखित आठ क्षेत्रों की पहचान की गई है:

  • लिथियम-आयन स्टोरेज बैटरी के विकल्प
  • भारतीय खाना पकाने के तरीकों के अनुरूप इलेक्ट्रिक कुकर / पैन को संशोधित करना
  • गतिशीलता के लिए ग्रीन हाइड्रोजन (उच्च दक्षता ईंधन सेल)
  • कार्बन अवशोषण
  • भू-तापीय ऊर्जा
  • ठोस अवस्था प्रशीतन
  • ईवी बैटरी के लिए नैनो तकनीक
  • स्वदेशी सीआरजीओ तकनीक

मिशन की संरचना:

  • मिशन की दो स्तरीय संरचना होगी – एक तकनीकी कार्यक्षेत्र समिति और एक शीर्ष समिति
  • सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के अध्यक्ष की अध्यक्षता वाली तकनीकी स्कोपिंग कमेटी विश्व स्तर पर चल रहे और उभरते शोध क्षेत्रों की पहचान करेगी, मिशन के तहत विकास के लिए संभावित तकनीकों की सिफारिश करेगी, तकनीकी-आर्थिक लाभों को सही ठहराएगी, शोध की रूपरेखा प्रदान करेगी और अनुमोदित शोध परियोजनाओं की समय-समय पर निगरानी करेगी।
  • टेक्निकल स्कोपिंग कमेटी (टीएससी) विश्व स्तर पर अनुसंधान के चल रहे और उभरते क्षेत्रों का सर्वेक्षण और पहचान करेगी और शीर्ष समिति को सिफारिशें देगी। 
    • टीएससी उन संभावित तकनीकों की पहचान करेगी जिन पर मिशन के तहत विकास के लिए विचार किया जा सकता है। 
    • टीएससी विद्युत क्षेत्र के भविष्य के लिए प्रौद्योगिकी की प्रासंगिकता को सामने लाएगी और प्रौद्योगिकी के स्वदेशी विकास के तकनीकी-आर्थिक लाभ को उचित ठहराएगा और प्रौद्योगिकी के लिए बाजार निर्माण के लिए एक रोडमैप तैयार करेगी। 
    • वह अंतिम उत्पाद से वांछित विनिर्देशों की एक विस्तृत श्रृंखला भी प्रदान करेगी। 
    • साथ ही, टीएससी द्वारा अनुमोदित अनुसंधान परियोजनाओं की आवधिक निगरानी भी की जाएगी।
  • केंद्रीय विद्युत और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री की अध्यक्षता वाली शीर्ष समिति विकसित की जाने वाली प्रौद्योगिकी और उत्पादों पर विचार-विमर्श करेगी और अनुसंधान प्रस्तावों को मंजूरी देगी। 
    • शीर्ष समिति अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर भी गौर करेगी।
  • शीर्ष समिति अनुसंधान प्रस्तावों को मंजूरी देगी और अनुसंधान की प्रगति की निगरानी करेगी। 
    • मिशन के तहत विकसित की जाने वाली तकनीक/उत्पाद पर शीर्ष समिति द्वारा विचार-विमर्श किया जाएगा। 
    • सभी अनुसंधान प्रस्तावों/परियोजनाओं का अंतिम अनुमोदन शीर्ष समिति द्वारा किया जाएगा। 
    • यदि टीएससी प्रौद्योगिकी के विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की सिफारिश करती है, तो उसे सहयोगी देश के साथ चर्चा के लिए शीर्ष समिति द्वारा भी अपनाया जाएगा। 
    • किसी भी सहयोग की स्वीकृति, विकसित की जाने वाली तकनीक और सहयोगी देश के साथ किए जाने वाले समझौते का निर्णय शीर्ष समिति द्वारा लिया जाएगा।

शीर्ष समिति की संरचना निम्नानुसार होगी:

  • केंद्रीय विद्युत अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई), बेंगलुरु सर्वोच्च समिति और तकनीकी कार्यक्षेत्र समिति को सभी आवश्यक सचिवीय सहायता प्रदान करेगा।
    • मिशन प्रौद्योगिकियों के संयुक्त विकास के लिए दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रयोगशालाओं के साथ सहयोग की भी तलाश करेगा।

3. ‘सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण’ के नौ वर्ष पूरे होने पर नागर विमानन मंत्रालय की उपलब्धियां:

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा: 

विषय: विमानपत्तन।  

प्रारंभिक परीक्षा:  डिजी यात्रा। 

मुख्य परीक्षा: नागर विमानन मंत्रालय की पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों की समीक्षा कीजिए।   

प्रसंग: 

  • सरकार के नौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में, नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने नागर विमानन मंत्रालय की पिछले नौ वर्षों की उपलब्धियों को साझा किया।

विवरण:  

  • भारत तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार है। 
    • घरेलू यात्रियों की कुल संख्या 2014 में 60 मिलियन थी जो कोविड-19 से पहले 2020 में दोगुनी से अधिक बढ़कर 143 मिलियन हो गई थी। 
    • अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की संख्या 43 मिलियन से बढ़कर 64 मिलियन (लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि) हो गई है। 
    • विमान के संदर्भ में, कोविड-19 के प्रभाव के बावजूद विमानों की संख्या 2014 में लगभग 400 से बढ़कर 2023 में 723 हो गई है।
  • वर्ष 2014 तक, देश में केवल 74 हवाईअड्डों में कामकाज हो रहा था। 
    • मार्च 2023 तक, सरकार ने 74 अन्य हवाईअड्डों/हेलीकॉप्टरों/वाटर एयरोड्रोमों में कामकाज शुरू कर दिया और भारत सरकार का लक्ष्य इस संख्या को बढ़ाकर 220 तक ले जाना है।
  • पिछले 9 वर्षों के दौरान, 11 और ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों में कामकाज शुरू किया गया है। 
    • उड़ान योजना के तहत, देश में आरसीएस उड़ानों के संचालन के लिए 25 वाटर एयरोड्रोम और 40 हेलीपैड सहित 180 आरसीएस हवाईअड्डों की पहचान की गई है। 
    • अब तक, 1152 वैध आवंटित आरसीएस मार्गों में से, 475 आरसीएस मार्गों पर आवागमन शुरू हो गया है जो 9 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रोम सहित 74 हवाईअड्डों को जोड़ते हैं।
  • आरसीएस उड़ान योजना के तहत 121.67 लाख यात्रियों ने यात्रा की है। 
    • हाल ही में, उड़ान 5.1 का शुभारंभ विशेष रूप से हेलीकॉप्टर मार्गों के लिए किया गया है।
  • घरेलू उड़ानों के यात्रियों के लिए “डिजी यात्रा” का शुभारंभ किया गया है। 
    • डिजी यात्रा हवाईअड्डों पर एक सहज, परेशानी मुक्त और स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों से मुक्त यात्री प्रक्रिया के लिए एक नया वैश्विक मानदंड स्थापित कर रही है। 
    • इसे तीन हवाईअड्डों यानी दिल्ली, बंगलुरु और वाराणसी में 1 दिसंबर, 2022 को और चार अन्य हवाईअड्डों – हैदराबाद, कोलकाता, पुणे और विजयवाड़ा में मार्च, 2023 में प्रांरभ किया गया था।
    •  इसके बाद, इसे देश के विभिन्न हवाईअड्डों में लागू किया जाएगा।
    • केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि नागर विमानन मंत्रालय की भूमिका एक नियामक की नहीं, बल्कि एक सुविधाप्रदाता की है।

4. विपणन सत्र 2023-24 के दौरान खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को स्वीकृति:

सामान्य अध्ययन: 3

कृषि: 

विषय: विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता; न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)।  

प्रारंभिक परीक्षा: न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), खरीफ एवं रवी फसलें। ।  

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने विपणन सत्र 2023-24 के दौरान सभी स्वीकृत खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है।

उद्देश्य:

  • सरकार ने फसल उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और फसलों में विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विपणन सत्र 2023-24 हेतु खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है।   

विवरण:  

  • विपणन सत्र 2023-24 के दौरान खरीफ फसलों के दौरान एमएसपी में वृद्धि किसानों को उचित पारिश्रमिक मूल्य उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय बजट 2018-19 की अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी तय करने की घोषणा के अनुरूप है।
    • बाजरा (82%) के बाद तुअर (58%), सोयाबीन (52%) और उड़द (51%) के मामले में किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित लाभ सबसे अधिक होने का अनुमान है। 
    • शेष अन्य फसलों के लिए किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर कम से कम 50% मार्जिन प्राप्त होने का अनुमान है।
    • इसके अतिरिक्त, सरकार ने किसानों को उनकी फसलों में विविधता लाने के उद्देश्य से प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) जैसी विभिन्न योजनाएं एवं गतिविधियां भी शुरू की हैं।
  • देश में 2022-23 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 330.5 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष 2021-22 की तुलना में 14.9 मिलियन टन अधिक है। 
  • यह बीते 5 वर्षों में होने वाली सबसे अधिक वृद्धि को दर्शाता है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.पंप स्टोरेज और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत परियोजनाओं के लिए एनएचपीसी और महाराष्ट्र सरकार के ऊर्जा विभाग के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर:

  • महाराष्ट्र में पंप स्टोरेज योजनाओं और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत परियोजनाओं के विकास के लिए एनएचपीसी लिमिटेड और महाराष्ट्र सरकार के ऊर्जा विभाग के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
  • समझौता ज्ञापन में 7,350 मेगावाट की कुल क्षमता वाली चार पंप स्टोरेज परियोजनाओं के विकास की परिकल्पना की गई है जिनमें कालू – 1,150 मेगावाट, सावित्री – 2,250 मेगावाट, जालोंद – 2,400 मेगावाट और केंगाडी -1,550 मेगावाट शामिल हैं। समझौते के तहत राज्य में अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत परियोजनाओं को भी विकसित किया जाएगा।
  • समझौता ज्ञापन ऊर्जा स्टोरेज समाधान के रूप में पंप स्टोरेज परियोजनाओं का उपयोग करने पर जोर देता है ताकि ऊर्जा ट्रांजिशन के राष्ट्रीय उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद मिल सके, यानी 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा की 500 गीगावॉट की स्थापित क्षमता और 2070 तक नेट जीरो।
  • यह महाराष्ट्र राज्य में एनएचपीसी के लिए एक महत्वपूर्ण शुरुआत होगी।  
    • इन परियोजनाओं पर करीब 44,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होगा और ये राज्य में 7,000 लोगों के लिए अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेगा।
  • पंप स्टोरेज सिस्टम थर्मल पावर स्टेशनों या अन्य स्रोतों से उपलब्ध अधिशेष ग्रिड पावर का उपयोग निचले जलाशय से ऊपरी जलाशय तक पानी पंप करने के लिए करता है और बिजली की कमी होने पर चरम मांग के दौरान बिजली का पुनरुत्पादन करता है।
  • एनएचपीसी लिमिटेड भारत सरकार का एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है और भारत में सबसे बड़ा जलविद्युत विकास संगठन है जिसमें जल परियोजनाओं की अवधारणा से लेकर कमीशनिंग तक सभी गतिविधियों को करने की क्षमता है। 
    • एनएचपीसी ने सौर और पवन ऊर्जा विकास के क्षेत्र में भी विविधीकरण किया है। 
    • कंपनी को भारत और विदेशों में पारंपरिक और गैर-पारंपरिक स्रोतों के माध्यम से इसके सभी आयामों में बिजली के एकीकृत और कुशल विकास की योजना बनाने, बढ़ावा देने और व्यवस्थित करने का अधिकार है। 
    • एनएचपीसी 2009 में अपने आईपीओ को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद एनएसई और बीएसई में एक सूचीबद्ध कंपनी है।

2.केंद्रीय क्षेत्र की योजना, ‘कोयला और लिग्नाइट अन्वेषण योजना’ को जारी रखने की मंजूरी:

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 2980 करोड़ रुपये के अनुमानित व्यय के साथ केंद्रीय क्षेत्र की योजना, ‘कोयला और लिग्नाइट अन्वेषण योजना’ को 2021-22 से 2025-26 तक अर्थात 15वें वित्त आयोग चक्र के साथ सह-समाप्ति तक जारी रखने की मंजूरी दी।
  • इस योजना के तहत, कोयला और लिग्नाइट के लिए अन्वेषण दो व्यापक चरणों में किये जाते हैं: (i) प्रचार संबंधी (क्षेत्रीय) अन्वेषण और (ii) गैर-कोल इंडिया लिमिटेड ब्लॉकों में विस्तृत अन्वेषण।
  • यह मंजूरी, गैर-सीआईएल क्षेत्रों में प्रचार संबंधी (क्षेत्रीय) अन्वेषण के लिए 1650 करोड़ रुपये और विस्तृत ड्रिलिंग के लिए 1330 करोड़ रुपये का परिव्यय प्रदान करेगी। 
    • क्षेत्रीय अन्वेषण के अंतर्गत लगभग 1300 वर्ग किमी क्षेत्र और विस्तृत अन्वेषण के अंतर्गत लगभग 650 वर्ग किमी क्षेत्र को कवर किया जाएगा।
  • देश में उपलब्ध कोयला संसाधनों को प्रमाणित करने और इनका अनुमान लगाने के लिए कोयला और लिग्नाइट के लिए अन्वेषण आवश्यक होते हैं, जिनसे कोयला खनन शुरू करने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में मदद मिलती है। 
    • इन अन्वेषणों के माध्यम से तैयार की गई भूवैज्ञानिक रिपोर्ट का उपयोग, नए कोयला ब्लॉकों की नीलामी के लिए किया जाता है और इसके बाद सफल आवंटियों से इसकी लागत प्राप्त की जाती है।

3.केरल और लक्षद्वीप में सागर परिक्रमा यात्रा के सातवें चरण का शुभारंभ किया जाएगा:

  • केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री परषोत्तम रुपाला ने मछुआरों, मत्स्य पालन किसानों और विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से मिलने के लिए पूर्व-निर्धारित समुद्री मार्ग के माध्यम से पूरे देश के तटीय क्षेत्रों का दौरा करने के लिए “सागर परिक्रमा” और मछुआरों और अन्य हितधारकों के लाभ के लिए देश में मात्स्यिकी क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए उनके मुद्दों और सुझावों के बारे में उनसे सीधे बातचीत करने के लिए उनसे बातचीत करने के लिए एक अनूठी पहल शुरू की है।
    •  “सागर परिक्रमा” के पहले चरण की यात्रा 5 मार्च 2022 को गुजरात के मांडवी से शुरू हुई थी और अब तक सागर परिक्रमा के छह चरणों में, गुजरात के तटीय क्षेत्रों, दमण और दीव, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में दौरा किया गया। 
    • सागर परिक्रमा के सातवां चरण केरल के तटीय क्षेत्रों और लक्षद्वीप के केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को शामिल करेगा, जिसमें मैंगलोर, कासरगोड, मडक्करा, पल्लिक्कारा, चालियम, कान्हांगडु, कोझिकोड, माहे (पुडुचेरी), बेपोर, त्रिशूर, एर्नाकुलम, कोच्चि और लक्षद्वीप अर्थात् कवारत्ती, बंगरमंद अगत्ती आदि द्वीपों के दौरे शामिल हैं।
  • केरल में 590 किलोमीटर लंबा समृद्ध समुद्र तट उपलब्ध है और मत्स्य पालन क्षेत्र राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ मछुआरों और अन्य हितधारकों की सामाजिक-आर्थिक कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
    • राज्य में लगभग 222 समुद्री मछली पकड़ने के गाँव हैं, जहाँ मछली पकड़ने और उससे जुड़े पहलू आबादी के एक बड़े हिस्से को आजीविका प्रदान करते हैं। 
    • केरल की जलीय जैव विविधता और मत्स्य संपदा 10 लाख से अधिक मछुआरों का पालन-पोषण करती है और वाणिज्यिक मछली पकड़ने, जलीय कृषि आदि सहित कई अतिरिक्त गतिविधियों में सहायता करती है।
  • जबकि, लक्षद्वीप में 4,200 वर्ग किलोमीटर की विशाल खाड़ी, 20,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रीय जल, 4,00,000 लाख वर्ग किलोमीटर का विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) मौजूद है, और लगभग 132 किलोमीटर की तटीय रेखा के साथ लक्षद्वीप के केंद्र शासित प्रदेश के आसपास का समुद्र, विशेष रूप से टूना मछली संसाधनों में पेलजिक मत्स्य संसाधनों से समृद्ध है।

4.अमृत जेनरेशन अभियान ‘नए भारत के सपने’ का शुभारंभ:

  • मेटा और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने अमृत जेनरेशन अभियान का शुभारंभ किया। 
    • इस पहल का उद्देश्य भारत के युवाओं को भविष्य के लिए अपनी आकांक्षाओं और सपनों को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करके सशक्त बनाना है।
  • अमृत ​​​​जेनरेशन अभियान इंस्टाग्राम और फेसबुक पर रीलों के सृजन द्वारा पूरे देश से युवाओं को अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करने और अपनी आकांक्षाओं को साझा करने के लिए आमंत्रित करता है।
    •  प्रतिभागियों को अपनी महत्वाकांक्षाओं और यह पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है कि वे बड़े होने पर क्या बनाना चाहते हैं। 
    • उनमें समुदाय की भावना को बढ़ावा देने और दूसरों को प्रेरित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है।
  • अमृत जेनरेशन अभियान युवाओं के लिए अपने सपनों और आकांक्षाओं को साझा करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। 

मेटा:

  • मेटा ऐसी तकनीकों का निर्माण करता है जो लोगों को परस्पर जोड़ने, समुदायों का पता लगाने और व्यवसायों को विकसित करने में मदद करती हैं। 
    • जब 2004 में फेसबुक की शुरूआत हुई तो इसने लोगों से जुड़ने के तौर-तरीकों को बदल दिया।
    • मैसेंजर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे ऐप्स ने पूरी दुनिया के अरबों लोगों को सशक्त बनाया है।
    • अब, मेटा 2डी स्क्रीन से आगे बढ़ते हुए सामाजिक प्रौद्योगिकी के अगले विकास के निर्माण में सहायता प्रदान करने के लिए संवर्धित और वर्चुअल वास्तविकता जैसे टिकाउ अनुभवों की ओर बढ़ रहा है।

 

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सम्बंधित लिंक्स:

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