विषयसूची:
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1. HAL से 70 HTT-40 बेसिक प्रशिक्षण विमान तथा L&T से तीन कैडेट प्रशिक्षण जहाजों की खरीद के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए:
सामान्य अध्ययन: 3
सुरक्षा:
विषय: देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: HTT-40 ट्रेनर एयरक्राप्ट,कैडेड प्रशिक्षण जहाज से संबंधित जानकारी।
प्रसंग:
- रक्षा मंत्रालय ने 7 मार्च, 2023 को 70 HTT-40 बेसिक प्रशिक्षण विमान तथा 3 कैडेट प्रशिक्षण जहाजों की खरीद के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) तथा लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड (L&T) के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
उद्देश्य:
- रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के सरकार के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 मार्च, 2023 को HAL से 6,800 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से 70 HTT-40 बेसिक ट्रेनर विमानों की खरीद को मंजूरी दी थी।
- मंत्रिमंडल ने L&T से 3,100 करोड़ रुपए से अधिक के 3 कैडट प्रशिक्षण जहाजों के अधिग्रहण के लिए L&T के साथ करार पर हस्ताक्षर करने को भी मंजूरी दी थी।
विवरण:
HTT-40 ट्रेनर एयरक्राप्ट:
- HTT-40 एक टर्बो प्रॉप एयरक्राफ्ट है जिसमें लो स्पीड हैंडलिंग जैसे अच्छे गुण समाहित हैं,
- यह विमान बेहतर प्रशिक्षण प्रभाव प्रदान करता है। पूरी तरह से एयरोबेटिक सीट टर्बो ट्रेनर में वातानुकूलित कॉकपिट, आधुनिक एवियोनिक्स, हॉट री-फ्यूलिंग, रनिंग चेंज ओवर और जीरो-जीरो एविक्सन सीटें हैं।
- यह विमान नए पायलटों के प्रशिक्षण के लिए भारतीय वायुसेना के मौलिक प्रशिक्षण विमानों की कमी पूरा करेगा।
- खरीद में सिमुलेटर सहित संबंधित उपकरण और प्रशिक्षण सहायता शामिल होगी।
- एक स्वदेशी समाधान होने के नाते यह विमान भारतीय सशस्त्र बलों की भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन्नयन के लिए कॉन्फ़िगर करने योग्य है।
- विमान की आपूर्ति 6 वर्ष की अवधि में की जाएगी।
- HTT-40 में लगभग 56 प्रतिशत सामग्री स्वदेशी है, जो कालक्रम में प्रमुख घटकों तथा उप-प्रणालियों के स्वदेशीकरण के माध्यम से 60 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी।
- HAL MSME सहित घरेलू निजी उद्योग को अपनी आपूर्ति श्रृंखला में शामिल करेगी।
- खरीद में 100 से अधिक MSME में विस्तारित हजारों लोगों को प्रत्यत्क्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
कैडेड प्रशिक्षण जहाज:
- ये जहाज भारतीय नौसेना की भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपने मौलिक प्रशिक्षण के बाद समुद्र में महिलाओं सहित अधिकारी कैडेटों के प्रशिक्षण को पूरा करेंगे।
- ये जहाज राजनयिक संबंधों को मजबूत बनाने के उद्देश्य से मित्र देशों के कैडेटों को भी प्रशिक्षण देंगे।
- जहाजों को संकटग्रस्त क्षेत्रों से लोगों को निकालने, खोज और बचाव तथा मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) अभियानों के लिए भी तैनात किया जा सकता है।
- जहाजों की डिलीवरी 2026 से प्रारंभ होगी।
- इन जहाजों को चेन्नई के कट्टुपल्ली में L&T शिपयार्ड में स्वदेशी रूप से डिजाय़न, विकसित और निर्मित किया जाएगा।
- इस परियोजना से साढ़े चार वर्ष की अवधि में 22.5 लाख मानव दिवस का रोजगार सृजन होगा।
- यह MSME सहित भारतीय जहाज निर्माण तथा संबंधित उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहन देगा।
2. प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना से संबंधित जानकारी।
प्रसंग:
- “प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना”, औषध विभाग, भारत सरकार द्वारा एक विशिष्ट पहल है जो सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं प्रदान करने वाली अपनी कोशिश में आम लोगों पर उल्लेखनीय प्रभाव डालने में सफल रही है।
उद्देश्य:
- सभी को सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, नवंबर, 2008 में रसायन और उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) शुरू की गई थी।
- 31 जनवरी, 2023 तक स्टोरों की संख्या बढ़कर 9082 हो गई है। PMBJP के तहत देश के 764 जिलों में से 743 जिलों को कवर किया गया है।
विवरण:
- सभी लोगों के लिए सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP), औषध विभाग, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई थी।
- इस योजना के अंतर्गत, जेनेरिक दवाओं की बिक्री के लिए जन औषधि केंद्रों के रूप में प्रचलित आउटलेट खोले जाते हैं।
- देश के प्रत्येक जिले में कम से कम एक जन औषधि स्टोर खोलने के उद्देश्य से 2008 में जन औषधि योजना की शुरुआत की गई।
- जन औषधि योजना के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 1 मार्च, 2023 से 7 मार्च, 2023 तक विभिन्न शहरों में कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है।
- देश के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करता है।
- इस अभियान ने जेनेरिक दवाओं के उपयोग और जन औषधि योजना के लाभों और इसकी मुख्य विशेषताओं और उपलब्धियों के बारे में जागरूकता पैदा की।
- यह योजना देश के कोने-कोने में लोगों तक सस्ती दवा की आसान पहुंच सुनिश्चित करती है।
- सरकार ने दिसंबर, 2023 के अंत तक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों (PMBJK) की संख्या बढ़ाकर 10,000 करने का लक्ष्य रखा है।
- PMBJP की प्रॉडक्ट बास्केट में 1,759 दवाएं और 280 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं।
- इसके अलावा, प्रोटीन पाउडर, माल्ट-बेस्ड फूड सप्लीमेंट्स, प्रोटीन बार, इम्युनिटी बार, सैनिटाइजर, मास्क, ग्लूकोमीटर, ऑक्सीमीटर आदि जैसी नई दवाएं और न्यूट्रास्यूटिकल्स उत्पाद भी लॉन्च किए गए हैं।
- यह योजना सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ निजी उद्यमियों द्वारा संचालित की जाती है, जिसमें सस्ती एलोपैथिक दवाओं की बिक्री के लिए विशिष्ट ब्रांडिंग-आधारित खुदरा चिकित्सा आउटलेट खोले जाते हैं।
- इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य देश के सभी वर्गों, विशेष रूप से गरीबों और वंचित लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण दवाओं तक पहुंच प्रदान करना, शिक्षा और प्रचार-प्रसार के माध्यम से जेनेरिक दवाओं के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना, जिससे इस धारणा को समाप्त किया जा सके कि केवल उच्च मूल्य वाली वस्तुओं में ही गुणवत्ता होती है।
- इसका उद्देश्य व्यक्तिगत उद्यमियों को PMBJP केंद्र खोलने में शामिल करते हुए रोजगार उत्पन्न करना भी है।
3. भारत आधुनिक और स्मार्ट विद्युत पारेषण प्रणाली अपनायेगा; सरकार ने कार्यबल की रिपोर्ट स्वीकार की:
सामान्य अध्ययन: 3
बुनियादी ढांचा:
विषय: ऊर्जा।
मुख्य परीक्षा: भविष्य के लिये तैयार पारेषण प्रणाली के महत्व एवं चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- देश में जल्द ही एक आधुनिक और स्मार्ट बिजली पारेषण प्रणाली होगी, जिसमें वास्तविक समय की निगरानी और ग्रिड का स्वचालित संचालन, बेहतर स्थितिजन्य मूल्यांकन, पावर-मिक्स में नवीकरणीय क्षमता की बढ़ी हुई हिस्सेदारी की क्षमता, ट्रांसमिशन क्षमता का बढ़ा हुआ उपयोग, साइबर हमलों के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ अधिक लचीलापन, केंद्रीकृत और डेटा संचालित निर्णय लेने जैसी विशेषताएं होंगी।
उद्देश्य:
- भविष्य के लिये तैयार पारेषण प्रणाली में नवीकरणीय ऊर्जा, मौजूदा पारेषण क्षमता का बेहतर इस्तेमाल, बिजली गुल हो जाने की घटनाओं में कमी और साइबर हमले व प्राकृतिक आपदाओं का मुकाबला करने में सक्षम प्रणाली का मिश्रण होगा।
- प्रणाली के तहत कृत्रिम बौद्धिकता और मशीन लर्निंग का रख-रखाव तकनीक में इस्तेमाल होगा; निर्माण और पारेषण सम्पदाओं के निरीक्षण के लिये रोबोट और ड्रोन का उपयोग किया जायेगा।
विवरण:
- स्वयं-सुधार प्रणालियों आदि के माध्यम से बिजली गुल होने की घटनाओं में कमी लाई जायेगी।
- ये और अन्य सिफारिशें ट्रांसमिशन सेक्टर के आधुनिकीकरण और इसे स्मार्ट और भविष्य के लिए तैयार बनाने के तरीकों का सुझाव देने के लिए CMD, पावरग्रिड की अध्यक्षता में सितंबर, 2021 में बिजली मंत्रालय द्वारा गठित एक कार्यबल की रिपोर्ट का हिस्सा हैं।
- कार्यबल ने अपनी रिपोर्ट में तकनीकी और डिजिटल समाधानों के समुच्चय की सिफारिश की है, जिसे राज्य ट्रांसमिशन ग्रिड को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए अपनाया जा सकता है।
- इन सिफारिशों को मौजूदा पारेषण प्रणाली के आधुनिकीकरण की श्रेणियों के अंतर्गत जोड़ा गया है, जिनमें निर्माण और पर्यवेक्षण, संचालन और प्रबंधन में उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग; स्मार्ट और भविष्य के लिए तैयार पारेषण प्रणाली और कार्यबल का कौशल बढ़ाना शामिल है।
- कार्यबल ने केंद्रीकृत रिमोट मॉनिटरिंग, SCADA सहित सब-स्टेशनों का संचालन, फ्लेक्सिबल एसी ट्रांसमिशन डिवाइस (FACT), डायनेमिक लाइन लोडिंग सिस्टम (DLL), PMU और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके वाइड एरिया मेजरमेंट सिस्टम (WAMS), हाइब्रिड AC/HVDC सिस्टम, AI/ML एल्गोरिदम का उपयोग करके प्रेडिक्टिव रखरखाव तकनीक, HTLS कंडक्टर, प्रोसेस-बस आधारित प्रोटेक्शन ऑटोमेशन और कंट्रोल GIS/हाइब्रिड सबस्टेशन की सिफारिश की है।
- साइबर सुरक्षा, ऊर्जा भंडारण प्रणाली और ट्रांसमिशन परिसंपत्तियों के निर्माण/निरीक्षण में ड्रोन और रोबोट को भी रखा गया है।
- रोबोट के उपयोग से न केवल मानव हस्तक्षेप कम होगा, बल्कि जीवन जोखिमों/खतरों में भी कमी आने की उम्मीद है।
- ऐसा करने से निर्माण और रखरखाव के दौरान सटीकता सुनिश्चित करते हुए समय की बचत भी होगी।
- कार्यबल ने वैश्विक पारेषण यूटिलिटियों के निष्पादन के आधार पर पारेषण नेटवर्क उपलब्धता और वोल्टेज नियंत्रण के लिए मानदंड की भी सिफारिश की है।
- एक तरफ अल्पकालिक से मध्यम अवधि की सिफारिशों को एक से तीन वर्षों में लागू किया जाएगा, वहीं दूसरी ओर, दीर्घकालिक हस्तक्षेपों को तीन से पांच वर्षों की अवधि में लागू करने का प्रस्ताव है।
4. मल्टीपल इंडिकेटर सर्वे (MIS) – NSS 78वें दौर की रिपोर्ट [2020-21]:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: विकास प्रक्रिया में संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भूमिका।
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO), बहु संकेतक सर्वेक्षण (मल्टीपल इंडिकेटर सर्वे (MIS))।
प्रसंग:
- राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) ने अपने 78वें दौर में पूरे देश को कवर करते हुए बहु संकेतक सर्वेक्षण (मल्टीपल इंडिकेटर सर्वे (MIS)) किया।
उद्देश्य:
- MIS के उद्देश्य थे:
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- कुछ महत्वपूर्ण सतत विकास लक्ष्य (SDG) के संकेतकों के विकासशील अनुमानों के लिए जानकारी एकत्र करना।
- 31.03.2014 के बाद आवासीय उद्देश्य के लिए परिवार द्वारा घर (मकानों)/फ्लैट (मकानों) की खरीद/निर्माण और प्रवासन की जानकारी एकत्र करना।
विवरण:
- इस सर्वेक्षण को शुरू में जनवरी-दिसंबर, 2020 की अवधि के दौरान आयोजित करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण फील्ड कार्य को 15.08.2021 तक बढ़ा दिया गया था।
MIS का नमूना डिजाइन:
- अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के कुछ गांवों, जहां तक पहुंचना मुश्किल था, को छोड़कर पूरे भारतीय संघ का सर्वेक्षण किया गया।
- इस सर्वेक्षण में, दो चरण वाले स्तरीकृत नमूनाकरण का उपयोग किया गया था, जिसमें प्रथम चरण इकाई (FSU) ग्रामीण क्षेत्रों में गांव/उप-इकाइयां (SU), शहरी क्षेत्रों में शहरी फ्रेम सर्वेक्षण (UFS) ब्लॉक/SU थे।
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या के अनुपात में राज्यों और केन्द्र – शासित प्रदेशों को FSU आवंटित किए गए थे।
- दूसरे चरण की इकाइयां (SSU) ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में घर थीं।
- FSU और SSU का चयन सिंपल रैंडम सैंपलिंग विदाउट रिप्लेसमेंट (SRSWOR) द्वारा किया गया था।
नमूनाकरण की विधि:
- अखिल भारतीय स्तर पर सर्वेक्षण के लिए आवंटित कुल 14,516 FSU में से कुल 14,266 FSU (8,469 ग्रामीण और 5,797 शहरी) का MIS के लिए सर्वेक्षण किया गया था।
- अखिल भारतीय स्तर पर, सर्वेक्षण किए गए परिवारों की कुल संख्या 2,76,409 (ग्रामीण क्षेत्रों में 1,64,529 और शहरी क्षेत्रों में 1,11,880) थी और कुल व्यक्तियों की संख्या 11,63,416 (ग्रामीण क्षेत्रों में 7,13,501 और शहरी क्षेत्रों में 4,49,915) थी।
NSS 78वें दौर की रिपोर्ट:
- इस सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्षों को एक रिपोर्ट के रूप में शामिल किया गया है जिसका शीर्षक है: ‘रिपोर्ट ऑन मल्टीपल इंडिकेटर सर्वे, 2020-21’ (NSS रिपोर्ट नंबर 589)।
टिप्पणियां:
- पीने के पानी के बेहतर स्रोत में बोतलबंद पानी, घरों में पाइप से पानी, यार्ड/प्लाट तक पाइप से पानी, पड़ोसी से पाइप से पानी, सार्वजनिक नल/स्टैंडपाइप, नलकूप, हैंडपंप, संरक्षित कुआं, सार्वजनिक टैंकर ट्रक, निजी टैंकर ट्रक, संरक्षित झरने, वर्षा जल संग्रह शामिल हैं।
- बेहतर शौचालय में पाइप्ड सीवर सिस्टम में फ्लश/पोर-फ्लश, सेप्टिक टैंक में फ्लश/पोर-फ्लश, ट्विन लीच पिट/सिंगल पिट में फ्लश/पोर-फ्लश, हवादार बेहतर पिट शौचालय, स्लैब के साथ पिट शौचालय, कंपोस्टिंग शौचालय शामिल हैं।
- ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत को ऊर्जा के उस स्रोत के रूप में परिभाषित किया गया था जिसका उपयोग अधिकांश समय परिवार करते थे।
- खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन में स्रोत शामिल हैं: (i) LPG, (ii) अन्य प्राकृतिक गैस, (iii) गोबर गैस, (iv) अन्य बायोगैस, (v) बिजली (सौर/पवन ऊर्जा जनरेटर द्वारा उत्पन्न सहित) और (vi ) सोलर कुकर।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.केंद्र ने नाफेड और NCCF को लाल प्याज (खरीफ) की खरीद के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने का निर्देश दिया:
- केंद्र ने नाफेड और नेशनल कंज्यूमर कोऑपरेटिव फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NCCF) को लाल प्याज (खरीफ) की खरीद के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने और देश भर के खपत केंद्रों को उनकी गिरती कीमतों की खबरों के मद्देनजर निर्देश दिया।
- इसने 40 खरीद केंद्र खोले हैं जहां किसान अपना स्टॉक बेच सकते हैं और अपना भुगतान ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं।
- नाफेड ने स्टॉक को खरीद केंद्रों से दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी, भुवनेश्वर, बैंगलोर, चेन्नई, हैदराबाद और कोच्चि ले जाने की व्यवस्था की है।
- 2022-23 के दौरान प्याज का अनुमानित उत्पादन लगभग 318 LMT है, जो पिछले साल के 316.98 LMT के उत्पादन से अधिक है।
- मांग और आपूर्ति में निरंतरता के साथ-साथ निर्यात क्षमता के कारण कीमतें स्थिर रहीं।
- हालांकि, फरवरी के महीने में लाल प्याज की कीमतों में गिरावट देखी गई, विशेष रूप से महाराष्ट्र राज्य में जहां मॉडल दर घटकर 500 -700 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।
- विशेषज्ञ इस गिरावट का कारण देश के प्रमुख उत्पादक जिले यानी नासिक से आपूर्ति पर निर्भरता को कम करते हुए अन्य राज्यों में कुल उत्पादन में वृद्धि को बताते हैं।
- प्याज सभी राज्यों में बोया जाता है, हालांकि, महाराष्ट्र लगभग 43% की हिस्सेदारी के साथ प्रमुख उत्पादक है, मध्य प्रदेश 16%, कर्नाटक और गुजरात राष्ट्रीय उत्पादन में लगभग 9% का योगदान करते हैं।
- खरीफ, पछेती खरीफ और रबी के दौरान फसल के मौसम की सूचना के साथ, इसे वर्ष में तीन बार काटा जाता है।
- रबी की फसल सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राष्ट्रीय उत्पादन का लगभग 72 -75% योगदान देती है और मार्च से मई महीनों के दौरान काटा जाता है।
- रबी की फसल की शेल्फ लाइफ सबसे ज्यादा और स्टोर करने योग्य होती है जबकि खरीफ और पछेती खरीफ की फसल सीधे खपत के लिए होती है न कि स्टोर करने लायक।
- पूरे देश में प्याज की कटाई का समय पूरे वर्ष ताजा/भंडारित प्याज की नियमित आपूर्ति प्रदान करता है।
- लेकिन कभी-कभी मौसम की मार के कारण या तो भंडारित प्याज खराब हो जाता है या बोया गया क्षेत्र क्षतिग्रस्त हो जाता है जिससे आपूर्ति बाधित होती है और घरेलू कीमतों में वृद्धि होती है।
- ऐसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए, भारत सरकार ने प्याज की खरीद और भंडारण के लिए बफर के रूप में मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना की है ताकि निम्न उत्पादन के दौरान आपूर्ति श्रृंखला को सुचारू रखा जा सके।
- प्याज का भंडारण चुनौतीपूर्ण है क्योंकि अधिकांश स्टॉक खुले हवादार संरचनाओं (चॉल) में खुले मैदान में संग्रहीत किया जाता है और इस भंडारण की अपनी चुनौतियां हैं।
- इसलिए, वैज्ञानिक कोल्ड चेन स्टोरेज की आवश्यकता है जो प्याज के लंबे समय तक चलने के लिए परीक्षण के अधीन है।
- इस तरह के मॉडलों की सफलता हाल ही में देखे गए इस तरह के मूल्य झटकों से बचने में मदद करेगी।
- बाजार पर नजर रखने वाले भी निर्यात नीति में निरंतरता का सुझाव देते हैं, क्योंकि इससे भारतीय प्याज के लिए बेहतर निर्यात बाजार सुनिश्चित होगा।
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