विषयसूची:
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भारत ने G20 की अध्यक्षता के लिए लोगो, थीम और वेबसाइट का अनावरण किया:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच- उनकी संरचना, और जनादेश।
प्रारंभिक परीक्षा: G20 से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: भारत द्वारा G20 की अध्यक्षता विश्व को एक अलग संकल्प की और बढावा देगी। कथन की व्याख्या कीजिए।
प्रसंग:
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से भारत की G20 की अध्यक्षता के लिए लोगो, थीम और वेबसाइट का अनावरण किया।
उद्देश्य:
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1 दिसंबर 2022 से भारत G20 की अध्यक्षता का पदभार ग्रहण करेगा।
विवरण:
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G20 का लोगो भारत के राष्ट्रीय ध्वज के जीवंत रंगों से प्रेरित है- केसरिया, सफेद और हरा, और नीला।
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इसमें भारत के राष्ट्रीय फूल कमल के साथ पृथ्वी को जोड़ा गया है, जो चुनौतियों के बीच विकास को दर्शाता है।
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पृथ्वी जीवन के प्रति भारत धरती के अनुकूल उस दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो प्रकृति के साथ पूर्ण सामंजस्य को प्रतिबिंबित करता है। G20 लोगो के नीचे देवनागरी लिपि में “भारत” लिखा है।
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भारत की G20 की अध्यक्षता का विषय- “वसुधैव कुटुम्बकम” या “एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य”- महा उपनिषद के प्राचीन संस्कृत पाठ से लिया गया है।
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आवश्यक रूप से, यह विषय जीवन के सभी मूल्यों – मानव, पशु, पौधे और सूक्ष्मजीव- और धरती पर और व्यापक ब्रह्मांड में उनके परस्पर संबंध की पुष्टि करता है।
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यह थीम व्यक्तिगत जीवन शैली के साथ-साथ राष्ट्रीय विकास के स्तर पर, अपने संबद्ध, पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और जिम्मेदार विकल्पों के साथ ‘लाइफ’ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) पर भी प्रकाश डालती है, जिसकी वजह से वैश्विक स्तर पर परिवर्तनकारी कार्रवाइयां होती हैं और जिसके परिणामस्वरूप एक स्वच्छ, हरा-भरा और उज्जवल भविष्य संभव होता है।
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लोगो और थीम मिलकर भारत की G20 की अध्यक्षता के संबंध में एक शक्तिशाली संदेश देते हैं, जो दुनिया में सभी के लिए न्यायसंगत और समान विकास के लिए एक स्थायी, समग्र, जिम्मेदार और समावेशी तरीके से प्रयास कर रहा है, वह भी उस परिस्थिति में जब हम इन अशांत समय से गुजर रहे हैं।
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ये लोगो और थीम हमारी G20 की अध्यक्षता के लिए उस अनूठे भारतीय दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो अपने आसपास के इकोसिस्टम के साथ सामंजस्य में रहना सिखाता है।
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भारत के लिए, G20 की अध्यक्षता “अमृतकाल” की शुरुआत का भी प्रतीक है।
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यह “अमृतकाल” 15 अगस्त 2022 को इसकी आजादी की 75वीं वर्षगांठ से शुरू होकर इसकी आजादी की सौवें वर्ष तक की 25 साल की अवधि है और एक भविष्यवादी, समृद्ध, समावेशी और विकसित समाज, जिसके मूल में मानव-केंद्रित दृष्टिकोण हो, की ओर बढ़ाने वाली यात्रा है।
G20 की वेबसाइट:
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प्रधानमंत्री द्वारा भारत की G20 की अध्यक्षता की वेबसाइट का शुभारंभ भी किया गया ।
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यह वेबसाइट 1 दिसंबर 2022, जिस दिन भारत G20 की अध्यक्षता का पदभार ग्रहण करेगा, को G20 की अध्यक्षता की वेबसाइट पर निर्बाध रूप से माइग्रेट हो जाएगी।
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G20 और लॉजिस्टिक्स की व्यवस्था के बारे में वास्तविक जानकारी के अलावा, इस वेबसाइट का उपयोग G20 से संबंधित सूचना के भंडार के रूप में विकसित और कार्य करने के लिए भी किया जाएगा।
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पृष्ठ्भूमि:
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वैश्विक मंच पर नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए भारत की विदेश नीति विकसित हो रही है।
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इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारत 1 दिसंबर, 2022 को G-20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा।
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G-20 की अध्यक्षता भारत को अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मुद्दों पर वैश्विक एजेंडे में योगदान करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।
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हमारी G-20 की अध्यक्षता का लोगो, थीम और वेबसाइट भारत के संदेश और दुनिया की व्यापक प्राथमिकताओं को दर्शाएंगे।
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G-20 ऐसे देशों का समूह है जिनका आर्थिक सामर्थ्य विश्व की 85 प्रतिशत जीडीपी का प्रतिनिधित्व करता है, जो विश्व के 75 प्रतिशत व्यापार का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें विश्व की दो-तिहाई जनसंख्या समाहित है।
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G-20 की अध्यक्षता के दौरान, पूरे भारत में कई स्थानों पर 32 विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 200 बैठकें आयोजित की जाएंगी।
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अगले साल होने वाला G-20 शिखर सम्मेलन भारत द्वारा आयोजित किए जाने वाले शीर्ष स्तर के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में से एक होगा।
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युद्धाभ्यास गरुड़ VII:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: भारत के सुरक्षा हितों पर विभिन्न देशों के साथ किए जाने वाले अभ्यासों एवं समझौतों का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: युद्धाभ्यास गरुड़ VII,सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से सम्बंधित तथ्य।
प्रसंग:
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भारतीय वायु सेना (IAF) और फ्रांसीसी वायु एवं अंतरिक्ष बल (FASF) के बीच युद्धाभ्यास गरुड़ VII वायुसेना स्टेशन जोधपुर में आयोजित किया जा रहा है।
उद्देश्य:
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युद्धाभ्यास गरुड़ दोनों वायु सेनाओं को सैन्य अभियानों के दौरान एक-दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं को सीखने और आत्मसात करने का अनूठा अवसर प्रदान करता है ।
विवरण:
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यह अभ्यास 2003 से एक नियमित द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में आयोजित किया जा रहा है।
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युद्धाभ्यास गरुड़ VII LCA तेजस और हाल ही में शामिल LCH प्रचंड के लिए किसी अंतरराष्ट्रीय अभ्यास में भाग लेने का पहला अवसर है।
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12 नवंबर 2022 को समाप्त होने वाले इस अभ्यास में चार FASF राफेल लड़ाकू विमान और एक A-330 मल्टी रोल टैंकर ट्रांसपोर्ट (MRTT) विमान शामिल हैं।
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LCA और LCH प्रचंड के अलावा भारतीय वायुसेना के दल में सुखोई-30 MKI, राफेल और जगुआर लड़ाकू विमान एवं साथ ही MI-17 हेलीकॉप्टर शामिल हैं।
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भारतीय वायुसेना की टीम में फ्लाइट रिफ्यूलिंग एयरक्राफ्ट, एवाक्स, एईडब्ल्यू एंड सी और गरुड़ स्पेशल फोर्सेज जैसी कॉम्बैट एनेबलिंग एसेट्स भी शामिल हैं।
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“मंथन 1.0”:
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: निवेश मॉडल।
मुख्य परीक्षा: भविष्य की विदेश व्यापार नीति (FTP) पर प्रकाश डालिये।
प्रसंग:
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भारतीय व्यापार सेवा अधिकारियों का पहला सम्मेलन “मंथन 1.0” गुजरात के केवड़िया में आयोजित किया गया।
उद्देश्य:
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इस सम्मेलन का आयोजन भविष्य की विदेश व्यापार नीति (FTP) पर विचार-मंथन करने और भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रवार और राज्यवार निर्यात रणनीति तैयार करने के लिए किया गया था।
विवरण:
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इसमें एफ़टीपी योजनाओं को और अधिक कुशल बनाने और किसी भी कार्यान्वयन के मुद्दों का समाधान निकालने के तरीकों पर भी चर्चा की।
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इस सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के विशिष्ट क्षेत्र में विशेषज्ञता के महत्व पर जोर दिया गया तथा एफटीए वार्ता, उद्योग विचार-विमर्श और नीति निर्माण में कैडर की मजबूत भागीदारी की योजना पर भी प्रकाश डाला।
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विशिष्ट बाजारों के उद्देश्य से क्षेत्रवार रणनीति तैयार करने के महत्व पर भी विचार-विमर्श किया।
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आने वाले वर्षों में क्षेत्र-वार और राज्य-वार निर्यात प्रोत्साहन रणनीतियों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि 2030 तक वस्तु में 1 ट्रिलियन अमरीकी डालर का निर्यात और सेवाओं के निर्यात में 1 ट्रिलियन अमरीकी डालर का निर्यात किया जा सके।
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भारतीय व्यापार सेवा के अधिकारियों को हाल ही में 10 क्षेत्र विशिष्ट समूहों में विभाजित किया गया है जो उद्योग के विशिष्ट क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिसमें माल, परियोजनाएं और सेवाएं शामिल हैं।
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विशेषज्ञ, उद्योगपतियों और निर्यात प्रोत्साहन परिषदों के सहयोग से क्षेत्र विशेष रणनीति विकसित करने के लिए दलों के रूप में काम कर रही हैं।
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प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- इफ्फी महोत्सव:
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इफ्फी एक फिल्म महोत्सव हैं।
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इफ्फी यानी भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 70 से भी ज्यादा साल पहले 1952 में स्थापित किया गया था, और तब से ये सालाना, नवंबर के महीने में आयोजित किया जा रहा है।
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इस महोत्सव को 1952 में पहली बार मुंबई में आयोजित किया गया था।
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वर्ष 2004 में पहली बार गोवा में आयोजित हुआ।वर्ष 2014 में गोवा को इफ्फी के लिए स्थायी जगह घोषित कर दिया गया था।
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इफ्फी का संचालन भारत सरकार द्वारा किया जाता है। भारत सरकार द्वारा मेजबान राज्य गोवा की सरकार के सहयोग से हर साल ये महोत्सव आयोजित किया जाता है।
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इफ्फी का आयोजन स्वाभाविक रूप से जन भागीदारी, जुड़ाव और योगदान से जुड़े सवालों की ओर ले जाता है।
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इस तरह के महोत्सव का पहला उद्देश्य कोई भी फिल्म महोत्सव मेजबान देश के दर्शकों को सक्षम बनाता है कि महोत्सव में हिस्सा लेने वाले देशों में बनाई गई सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को देख सकें।
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दूसरा, एक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव इसमें हिस्सा लेने वाले मुल्कों के फिल्म उद्योगों से जुड़े लोगों को आपस में मिलने और समान चिंताओं वाले विषयों पर चर्चा करने, कला के इस रूप की प्रगति पर तुलना करने और इसके भविष्य के विकास के कार्यक्रमों की योजना बनाने का अवसर प्रदान करता है।
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इस महोत्सव में जो फ़िल्में दिखाई जाएंगी, उनमें कुछ ऐसी हैं जो प्रदर्शित करेंगी कि जिस मोशन-पिक्चर को मनोरंजन के एक नए रूप में शुरू किया गया था उसने मानवीय संबंधों, सांस्कृतिक, शैक्षिक और राजनीतिक क्षेत्रों में कितनी दूर तक पहुंच बनाई है।
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खासकर शिक्षा के क्षेत्र में इसने नए रास्ते खोले हैं, जिसका महत्व अभी जरा सा ही समझा जा सकता है।
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सांस्कृतिक क्षेत्र की बात करें तो ये ‘अंतर्राष्ट्रीय संस्कृति की नींव रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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लेकिन मानवीय संबंधों के तमाम क्षेत्रों की बात करें तो मोशन पिक्चर का सबसे अधिक महत्व अंतरराष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में है।
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राष्ट्रों के सांस्कृतिक और व्यावसायिक रिश्तों के संबंध में अच्छाई या बुराई के लिए इसकी ताकत सबको पता है।
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यहां किसी देश की फिल्म के प्रति दूसरे राष्ट्रों के लोगों के राष्ट्रीय रवैये के बीच का रिश्ता भी कम स्पष्ट नहीं है।
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ये मौजूदा महोत्सव जो भारत में पहला है या एशिया में अपनी तरह का पहला है, वो प्रतिस्पर्धी नहीं बल्कि प्रतिनिधि है।
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- CoP 27, इजिप्ट में मैंग्रोव अलायंस ऑफ क्लाइमेट (MAC) का शुभारम्भ:
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केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने मैंग्रोव अलायंस फॉर क्लाइमेट (MAC) के शुभारम्भ के अवसर पर अपने विचार रखे।
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यह कार्यक्रम शर्म-अल-शेख, इजिप्ट में हो रहे सीओपी27 से इतर आयोजित किया गया था।
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मंत्री ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और इंडोनेशिया को इस कार्यक्रम की मेजबानी के लिए धन्यवाद दिया, जिससे मैंग्रोव के वैश्विक उद्देश्य पर काम करने के लिए दुनिया भर के देशों की एक ही जगह उपस्थिति संभव हुई है।
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मैंग्रोव दुनिया के सबसे अधिक उत्पादक इकोसिस्टम में से एक हैं। यह ज्वारीय जंगल कई जीवों के लिए एक नर्सरी ग्राउंड के रूप में काम करता है, तटीय क्षरण से सुरक्षा देता है, कार्बन को अलग करता है और लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करता है।
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इसके अलावा यह जीव जंतुओं के लिए आश्रय स्थल के रूप में काम करता है।
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मैंग्रोव दुनिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में फैले हुए हैं और 123 देशों में पाए जाते हैं।
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मैंग्रोव उष्णकटिबंधीय में कार्बन के लिहाज से सबसे समृद्ध वनों में शामिल हैं। इनकी दुनिया के उष्णकटिबंधीय जंगलों में अनुक्रमित कार्बन में 3% हिस्सेदारी है।
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मैंग्रोव कई उष्णकटिबंधीय तटीय क्षेत्रों का आर्थिक आधार हैं।
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नीली अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए, स्थानीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तटीय आवासों, विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय देशों के लिए मैंग्रोव का स्थायित्व सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
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उल्लेखनीय अनुकूलित विशेषताओं के साथ, मैंग्रोव उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय देशों के प्राकृतिक सशस्त्र बल हैं।
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वे समुद्र के स्तर में वृद्धि जैसे जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों और चक्रवात एवं तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते मामलों के खिलाफ लड़ने के लिए सबसे अच्छा विकल्प हैं।
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भारत अतिरिक्त वन और वृक्षों के माध्यम से 2030 तक 2.5 से 3 अरब टन CO2 के अतिरिक्त कार्बन सिंक को तैयार करने के अपने एनडीसी के लिए प्रतिबद्ध है।
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मैंग्रोव में वातावरण में बढ़ती जीएचजी सांद्रता को कम करने के लिए खासी क्षमताएं हैं।
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अध्ययनों से पता चला है कि मैंग्रोव वन भू-उष्णकटिबंधीय वनों की तुलना में चार से पांच गुना अधिक कार्बन उत्सर्जन को अवशोषित कर सकते हैं।
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यह भी पता चला है कि मैंग्रोव समुद्र के अम्लीकरण के लिए बफर के रूप में कार्य कर सकते हैं और सूक्ष्म प्लास्टिक के लिए सिंक के रूप में कार्य कर सकते हैं।
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विभिन्न देशों के लिए मैंग्रोव वनीकरण से नया कार्बन सिंक बनाना और मैंग्रोव वनों की कटाई से उत्सर्जन को कम करना अपने एनडीसी लक्ष्यों को पूरा करने और कार्बन तटस्थता हासिल करने के दो व्यवहार्य तरीके हैं।
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भारत प्राकृतिक इकोसिस्टम के संरक्षण और बहाली के लिए प्रतिबद्ध है; और मैंग्रोव के संरक्षण और प्रबंधन की दिशा में उसकी मजबूत प्रतिबद्धता है।
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दुनिया में मैंग्रोव के सबसे बड़े शेष बचे क्षेत्रों में से एक, सुंदरबन स्थलीय और समुद्री दोनों वातावरणों में जैव विविधता के एक असाधारण स्तर का समर्थन देता है।
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इसमें वनस्पतियों और पौधों की प्रजातियों की एक बड़ी रेंज से संबंधित आबादी; बंगाल टाइगर और एस्तुआरिन मगरमच्छ और भारतीय अजगर सहित दुर्लभ वन्यजीवों की विस्तृत रेंज शामिल है।
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भारत में अंडमान क्षेत्र; सुंदरबन क्षेत्र; और गुजरात क्षेत्र में मैंग्रोव में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
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भारत ने लगभग पांच दशकों में मैंग्रोव बहाली की गतिविधियों में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया है और अपने पूर्वी एवं पश्चिमी दोनों तटों पर विभिन्न प्रकार की मैंग्रोव पारिस्थितिकी को बहाल किया है।
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प्रस्तावित जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सीमा पार सहयोग के साथ मैंग्रोव के संरक्षण के उद्देश्य से मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट (MAC) का शुभारंभ हुआ हैं।
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क्योंकि राष्ट्रीय आरईडीडी प्लस में मैंग्रोव को शामिल करना, वनों की कटाई से उत्सर्जन को कम करना और वन क्षरण कार्यक्रम वर्तमान समय की जरूरत है।
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भारत मैंग्रोव बहाली में अपने व्यापक अनुभव, इकोसिस्टम मूल्यांकन और कार्बन अनुक्रम पर अपने अध्ययनों के कारण वैश्विक ज्ञान आधार में योगदान कर सकता है।
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साथ ही मैंग्रोव संरक्षण और बहाली के लिए अत्याधुनिक समाधानों के संबंध में अन्य देशों के साथ जुड़कर और उपयुक्त वित्तीय साधनों का सृजन करके भी लाभान्वित हो सकता है।
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08 नवंबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 07 नवंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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