विषयसूची:
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1. PMSBY, PMJJBY और अटल पेंशन योजना (APY) के 8 साल पूरे:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: समावेशी विकास एवं इससे उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY), प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) और अटल पेंशन योजना (APY)।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY), प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) और अटल पेंशन योजना (APY) ने जन सुरक्षा प्रदान करने के 8 साल पूरे।
उद्देश्य:
- ये तीनों योजनाएं नागरिकों के कल्याण के लिए समर्पित हैं, जो अप्रत्याशित घटना और वित्तीय अनिश्चितताओं से मानव जीवन को सुरक्षित करने की आवश्यकता को पूरा करने के लिए हैं।
- सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि देश के असंगठित वर्ग के लोग वित्तीय रूप से सुरक्षित रहे, दो बीमा योजनाएं शुरू कीं – PMJJBY और PMSBY।
- इसके साथ ही सरकार ने वृद्धावस्था की जरूरतों को पूरा करने में मदद के लिए अटल पेंशन योजना- APY भी शुरू की।
- ये तीन सामाजिक सुरक्षा योजनाएं नागरिकों की भलाई के लिए समर्पित हैं, जो अप्रत्याशित जोखिमों, हानियों और वित्तीय अनिश्चितताओं की स्थिति में मानव जीवन की सुरक्षा के महत्व को स्वीकार करती हैं।
- इन योजनाओं का उद्देश्य वंचित पृष्ठभूमि के लोगों को आवश्यक वित्तीय सेवाएं प्रदान करना है, जिससे उनकी वित्तीय कमजोरी दूर किया जा सके।
विवरण:
इन योजनाओं ने कैसे लोगों के लिए किफायती बीमा और सुरक्षा मुहैया कराई, इन योजनाओं की उपलब्धियां और मुख्य विशेषताएं क्या हैं:
- वर्ष 2014 में राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन मिशन को यह सुनिश्चित करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था कि भारत के प्रत्येक नागरिक की पहुंच बैंकिंग सुविधाओं, वित्तीय साक्षरता और सामाजिक सुरक्षा कवरेज तक बढ़े।
- इस पहल के आधार पर, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 9 मई 2015 को देश में वित्तीय समावेशन को और बढ़ावा देने के उद्देश्य से इन तीन जन सुरक्षा योजनाओं की शुरुआत की।
- जन सुरक्षा योजनाओं की 8वीं वर्षगांठ पर 26 अप्रैल 2023 तक PMJJBY, PMSBY और APY के तहत क्रमश: 16.2 करोड़, 34.2 करोड़ और 5.2 करोड़ नामांकन किए गए हैं।
- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY):
- योजना: PMJJBY एक साल की जीवन बीमा योजना है जो किसी भी कारण से होने वाली मृत्यु को कवर करती है। इसका साल-दर-साल नवीकरण किया जाता है।
- पात्रता: 18-50 वर्ष के आयु वर्ग के व्यक्ति जिनके पास एक व्यक्तिगत बैंक या डाकघर खाता है, योजना के तहत नामांकन के लिए पात्र हैं।
- 50 वर्ष की आयु पूरी करने से पहले योजना में शामिल होने वाले लोग नियमित प्रीमियम के भुगतान पर 55 वर्ष की आयु तक जीवन के जोखिम को जारी रख सकते हैं।
- लाभ: 436/- रुपये प्रति वर्ष की प्रीमियम पर किसी भी कारण से मृत्यु के मामले में 2 लाख रुपये का जीवन कवर।
- नामांकन: योजना के तहत नामांकन खाताधारक के बैंक की शाखा/बीसी पॉइंट या बैंक की वेबसाइट पर जाकर या डाकघर बचत बैंक खाते के मामले में डाकघर में किया जा सकता है।
- योजना के तहत प्रीमियम खाताधारक के एकमुश्त शासनादेश के आधार पर ग्राहक के बैंक खाते से हर साल ऑटो डेबिट किया जाता है।
- प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY):
- योजना: PMSBY एक साल की दुर्घटना बीमा योजना है जो दुर्घटना के कारण मृत्यु या दिव्यांगता के लिए कवरेज प्रदान करती है और यह साल-दर-साल नवीकरणीय है।
- पात्रता: 18-70 वर्ष के आयु वर्ग के व्यक्ति जिनके पास एक व्यक्तिगत बैंक या डाकघर खाता है, योजना के तहत नामांकन के लिए पात्र हैं।
- लाभ: दुर्घटना के कारण मृत्यु या दिव्यांगता के लिए 20/- रुपये प्रति वर्ष की प्रीमियम पर 2 लाख रूपये (आंशिक विकलांगता के मामले में रु. 1 लाख) का दुर्घटना मृत्यु सह विकलांगता कवर मिलता है।
- नामांकन: योजना के तहत नामांकन खाताधारक के बैंक की शाखा/बीसी प्वाइंट या बैंक की वेबसाइट पर या डाकघर बचत बैंक खाते के मामले में डाकघर में जाकर किया जा सकता है।
- योजना के तहत प्रीमियम खाताधारक के एकमुश्त शासनादेश के आधार पर ग्राहक के बैंक खाते से हर साल ऑटो डेबिट किया जाता है।
- अटल पेंशन योजना (APY):
- पृष्ठभूमि: अटल पेंशन योजना (APY) सभी भारतीयों, विशेष रूप से गरीबों, वंचितों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली बनाने के लिए शुरू की गई थी।
- यह असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे लोगों के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने और उनके भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सरकार की एक पहल है।
- APY का प्रबंधन राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के समग्र प्रशासनिक और संस्थागत ढांचे के तहत पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) करता है।
- पात्रता: APY 18 से 40 वर्ष की आयु के सभी बैंक खाताधारकों के लिए खुला है जो आयकर दाता नहीं हैं और चुने गए पेंशन राशि के आधार पर देय योगदान अलग-अलग हैं।
- लाभ: इस योजना में शामिल होने के बाद ग्राहक द्वारा किए गए योगदान के आधार पर उनकी 60 वर्ष की आयु के बाद ग्राहकों को गारंटीशुदा न्यूनतम मासिक पेंशन 1000 रुपये, 2000 रुपये, 3000 रुपये, 4000 रुपये या 5000 रुपये मिलती है।
- योजना के लाभों का संवितरण: इसके तहत मासिक पेंशन ग्राहक को मिलेगी, और उसके बाद उसके पति या पत्नी को और फिर उन दोनों की मृत्यु के बाद ग्राहक की 60 वर्ष की आयु में संचित पेंशन राशि, ग्राहक के नामांकित व्यक्ति को वापस कर दी जाएगी।
- ग्राहक की असामयिक मृत्यु (60 वर्ष की आयु से पहले मृत्यु) के मामले में, ग्राहक का पति या पत्नी शेष निहित अवधि के लिए ग्राहक के APY खाते में योगदान जारी रख सकते हैं, जब तक कि मूल ग्राहक की उम्र 60 वर्ष पूरी न हो जाए।
- केंद्र सरकार द्वारा योगदान: न्यूनतम पेंशन की गारंटी सरकार द्वारा दी जाएगी, अर्थात, यदि योगदान के आधार पर संचित राशि निवेश पर अनुमानित रिटर्न से कम होती है और न्यूनतम गारंटी पेंशन प्रदान करने के लिए अपर्याप्त है, तो केंद्र सरकार ऐसी अपर्याप्तता को पूरा करने के लिए फंड देगी।
- वैकल्पिक रूप से, यदि निवेश पर प्रतिफल अधिक है, तो अभिदाताओं को बढ़ा हुआ पेंशन लाभ मिलेगा।
- भुगतान आवृत्ति: ग्राहक मासिक / तिमाही / छमाही आधार पर APY में योगदान कर सकते हैं।
- योजना से निकासी: सरकारी सह-योगदान और उस पर वापसी/ब्याज की कटौती पर कुछ शर्तों के अधीन सदस्य स्वैच्छिक रूप से APY से बाहर निकल सकते हैं।
2.‘पोषण भी पढ़ाई भी’:
सामान्य अध्ययन: 2
सामाजिक न्याय:
विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
प्रारंभिक परीक्षा: मिशन पोषण 2.0,पोषण भी पढ़ाई भी योजना से सम्बंधित जानकारी।
प्रसंग:
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (ECCE) को बेहतर बनाने की प्रमुख गतिविधियों पर राष्ट्रीय कार्यक्रम को आयोजित कर रहा है, जो मिशन सक्षम आंगनवाड़ी तथा पोषण अभियान के दूसरे चरण (मिशन पोषण 2.0) का एक महत्वपूर्ण घटक है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उल्लिखित है।
उद्देश्य:
- इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य शुरुआती बाल्यावस्था वाले बच्चों की देखभाल और उनकी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता को उजागर करना है।
- योजना के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सुझाव के अनुसार भारत में दुनिया का सबसे बड़ा, सार्वभौमिक, उच्च-गुणवत्ता वाला आरंभिक विद्यालयी तंत्र सुनिश्चित करने के लिए एक पथप्रदर्शक प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा कार्यक्रम “पोषण भी पढ़ाई भी” शुरू कर रहा है।
विवरण:
- देश भर में करीब 13.9 लाख संचालित आंगनवाड़ी केंद्र 6 साल से कम उम्र के लगभग 8 करोड़ लाभार्थी बच्चों को पूरक पोषण एवं प्रारंभिक देखभाल व शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, जिससे यह दुनिया में इस तरह की सेवाओं को उपलब्ध कराने वाला सबसे बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम बन गया है।
- 6 वर्ष की आयु तक 85% मस्तिष्क क्षमता विकास प्राप्त करने के वैश्विक प्रमाण को ध्यान में रखते हुए आंगनवाड़ी इकोसिस्टम, देश के बच्चों का भविष्य को सुरक्षित करने के उद्देश्य से उनकी आधारभूत संभावनाओं के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र सा बन जाता है।
- सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुसार ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ के साथ-साथ देश की भावी पीढ़ियों की नींव को मजबूत करने का लक्ष्य तय किया है।
- सभी राज्य दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष सहायता के अलावा 0-3 वर्ष के बच्चों के साथ ही 3-6 वर्ष के बच्चों के विकासात्मक स्तर पर लक्षित, खेल-आधारित, गतिविधि-आधारित सीखने की शिक्षा के लिए राष्ट्रीय प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा कार्य दल की सिफारिशों का पालन करेंगे।
- प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा नीति द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रमों जैसे कि ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ के माध्यम से प्रत्येक बच्चे को दैनिक आधार पर कम से कम दो घंटे की उच्च-गुणवत्ता वाली आरंभिक विद्यालयी शिक्षा प्रदान की जाएगी।
- जिस तरह से राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सिफारिश की गई है, तो उसी आधार पर आंगनवाड़ी केंद्रों को उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे, खेल के उपकरण और अच्छी तरह से प्रशिक्षित आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/शिक्षकों के साथ सशक्त बनाया जाएगा।
- ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ कार्यक्रम बच्चों के लिए समग्र एवं गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक प्रोत्साहन और आरंभिक-प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने, विकासात्मक रूप से उपयुक्त शिक्षाशास्त्र के उपयोग को सुनिश्चित करने तथा प्राथमिक शिक्षा के साथ-साथ शुरुआती बचपन के समय में स्वास्थ्य व पोषण संबंधी सेवाओं पर जोर देने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- ‘पोषण भी पढ़ाई भी’ कार्यक्रम प्राथमिक शिक्षण निर्देश माध्यम के रूप में मातृभाषा में सीखने एवं सिखाने हेतु आंगनवाड़ी सेविकाओं को विभिन्न प्रकार की शिक्षण-अधिगम सामग्री (दृश्य सहायक, श्रव्य साधन, दृश्य-श्रव्य व शारीरिक-गतिज सहायक) प्रदान करेगा और देश की भावी पीढ़ियों की नींव को मजबूत करने में समुदायों को शामिल करने के लिए एक जन आंदोलन बनाने में मदद करेगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.आसियान-भारत समुद्री अभ्यास- 2023 का समुद्री चरण:
- पहले आसियान-भारत समुद्री अभ्यास (AIME-2023) का सफल समापन 8 मई, 2023 को दक्षिण चीन सागर में हुआ।
- इस बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास के समुद्री चरण में नौ पोतों के लगभग 1400 कर्मियों ने हिस्सा लिया।
- भारत में परिकल्पित और निर्मित स्वदेशी पोत- विध्वंसक आईएनएस दिल्ली व स्टेल्थ फ्रिगेट आईएनएस सतपुड़ा, समुद्री गश्ती विमान P8I और एकीकृत हेलीकॉप्टरों ने ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के आसियान नौसैनिक पोतों के साथ अभ्यास किया।
- इस दो दिवसीय समुद्री चरण में युद्धाभ्यास, हेलीकॉप्टरों द्वारा क्रॉस डेक लैंडिंग, नौ-कौशल का विकास और अन्य समुद्री परिचालन सहित समुद्री विकास के एक व्यापक स्पेक्ट्रम को प्रदर्शित किया गया।
- समुद्री क्षेत्र में कौशल को तराशने के अलावा इस अभ्यास ने अंतर-परिचालनीयता को संवर्द्धित किया और क्षेत्र में शांति, स्थिरता व सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत बल के रूप में काम करने को लेकर भारतीय और आसियान नौसेनाओं की क्षमता का प्रदर्शन किया।
2.सित्तवे बंदरगाह:
- केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल और म्यांमार संघ गणराज्य के उप-प्रधानमंत्री तथा परिवहन और संचार मंत्री एडमिरल टिन आंग सान ने संयुक्त रूप से म्यांमार के रखाइन राज्य में सित्तवे बंदरगाह का उद्घाटन किया।
- इस आयोजन के दौरान उन्होंने पहले भारतीय मालवाहक जहाज की अगवानी की, जिसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट, कोलकाता से झंडी दिखाकर रवाना किया गया था।
- सित्तवे बंदरगाह के संचालन से द्विपक्षीय और क्षेत्रीय व्यापार में वृद्धि होगी और साथ-साथ यह म्यांमार के रखाइन राज्य की स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान करेगा।
- बंदरगाह द्वारा दी गई बृहद कनेक्टिविटी से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और क्षेत्र में विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी।
- सित्तवे बंदरगाह के विकास से कोलकाता और अगरतला तथा आइजोल के बीच सामानों की ढुलाई लागत एवं समय में 50 प्रतिशत की कमी आएगी।
- इस परियोजना की परिकल्पना मिजोरम को हल्दिया/कोलकाता/म्यांमार में कलादान नदी के माध्यम से किसी भी भारतीय बंदरगाहों के साथ वैकल्पिक कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए की गई थी।
- इस परियोजना में राजमार्ग/मिजोरम से पलेटवा (म्यांमार) से सड़क परिवहन और उसके बाद पलेटवा से अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT) द्वारा सित्तवे और सित्तवे से समुद्री नौवहन से भारत के किसी भी बंदरगाह तक की परिकल्पना की गई है।
- परियोजना में निम्नलिखित खंड शामिल हैं:
- सित्तवे बंदरगाह का विकास कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMTTP) के हिस्से के रूप में किया गया है।
- इसका वित्त पोषण भारत सरकार की सहायता अनुदान के अंतर्गत किया गया है।
- इसके पूरी तरह से चालू हो जाने पर MTTP के जलमार्ग और सड़क घटक भारत के पूर्वी तट को सित्तवे बंदरगाह के माध्यम से पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ेंगे।
3.गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर की 162वीं जयंती:
- केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह पश्चिम बंगाल के कोलकाता में गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर के जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
- अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि 162वीं रविन्द्र जयंती ना केवल बंगाल या भारत बल्कि पूरे विश्व में मुक्त विचार और कला का सम्मान करने वाले लोगों के लिए एक बहुत बड़ा दिन है।
- साहित्य में कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी छाप नहीं छोड़ी, उन्होंने कई क्षेत्रों को छूते हुए नए आयाम गढ़ने का काम किया।
- गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने दुनिया को भारत और भारत की आत्मा का परिचय कराने का काम किया।
- कवि गुरू का गुजरात और गुजरात के साहित्य के साथ भी बहुत गहरा रिश्ता रहा।
- गुरूदेव ने गांधी जी को महात्मा और गांधी जी ने कवि गुरू को गुरूदेव कहकर पूरे विश्व के सामने सम्मानित करने का काम किया।
- गुरूदेव के विचारों की परछाई नेताजी सुभाष के पूरे जीवन पर दिखाई देती है।
- गुरूदेव और साहित्य एक-दूसरे के पर्याय हैं।
- गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने अपना पूरा जीवन साहित्य के हर क्षेत्र में सृजनात्मक योगदान करते हुए बिताया।
- कवि, आंदोलनकारी और शिक्षाविद के रूप में गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर को बहुत लोग जानते हैं, लेकिन सहकारिता क्षेत्र में भी उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है।
- जब गुरूदेव को 1913 में नोबेल पुरस्कार मिला तो उन्होंने उस पुरस्कार की राशि का कृषि सहकारिता बैंक में निवेश करके अपने पुश्तैनी गांव पाटीसर में सहकारिता बैंक की स्थापना की।
- गुरूदेव ने अपनी मातृभाषा बांग्ला की शिक्षा पर बहुत बल दिया और उनकी हर रचना में भारतीय दर्शन व विचार पर बल साफ दिखाई देता है।
- पहली बार साहित्य का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय बनने का सम्मान भी उन्हें मिला और दो देशों के राष्ट्रगान के रचयिता होने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है कवि गुरू ने कई क्षेत्रों में योगदान देने वाले लोगों को प्रेरणा दी।
- शांति निकेतन की स्थापना गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर का शिक्षा को नया आयाम देने वाला और शिक्षा के क्षेत्र में अमिट योगदान देने वाला कार्य है।
- साथ ही उन्होंने ब्रह्म समाज और उपनिषद के संदेश को भी समाज में स्थापित करने का प्रयास किया।
- गुरूदेव ने जलियांवाला बाग कांड का भी मुखर होकर विरोध किया और नाइटहुड की उपाधि लौटाने के लिए भारत के तत्कालीन गवर्नर-जनरल को पत्र लिखा।
09 May PIB :- Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 08 May 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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