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विषयसूची:

  1. FSSAI ने बासमती चावल के लिए व्यापक नियामक मानकों को अधिसूचित किया:  
  2. प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के हुबली में 26वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव का उद्घाटन किया:
  3. देशभर के 651 जिलों में जनऔषधि केंद्र खोलें जायेंगे:
  4. 11वां जैव-ऊर्जा शिखर सम्मेलन:

1. FSSAI ने बासमती चावल के लिए व्यापक नियामक मानकों को अधिसूचित किया:

सामान्य अध्ययन: 3

कृषि: 

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता। 

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI)।    

प्रसंग: 

  • देश में पहली बार भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भारत के राजपत्र में अधिसूचित खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) प्रथम संशोधन विनियम, 2023 के माध्यम से बासमती चावल (ब्राउन बासमती चावल, मिल्ड बासमती चावल, पारबॉयल्ड ब्राउन बासमती चावल और मिल्ड पारबॉयल्ड बासमती चावल सहित) के लिए पहचान मानकों को निर्दिष्ट किया है।

उद्देश्य:

  • मानकों का उद्देश्य बासमती चावल के व्यापार में उचित व्यवहारों को स्थापित करना तथा घरेलू और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है।
  • इसमें बासमती चावल की प्राकृतिक सुगंध की विशेषता होगी और यह कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंटों एवं कृत्रिम सुगंध से मुक्त होगा।   

विवरण:  

  • इन मानकों के अनुसार बासमती चावल में चावल की प्राकृतिक सुगंध विशेषता होनी चाहिए और यह कृत्रिम रंग, पॉलिशिंग एजेंटों और कृत्रिम सुगंधों से मुक्त होना चाहिए। 
    • यह मानक बासमती चावल के लिए विभिन्न पहचान और गुणवत्ता मापदंडों को भी निर्दिष्ट करते हैं जैसे कि अनाज का औसत आकार और खाना पकाने के बाद उनका बढ़ाव अनुपात, नमी की अधिकतम सीमा, एमाइलोज की सामग्री, यूरिक एसिड, दोषपूर्ण/क्षतिग्रस्त अनाज और गैर-बासमती चावल की आकस्मिक उपस्थिति आदि।
  • मानकों का उद्देश्य बासमती चावल के व्यापार में उचित व्यवहार स्थापित करना तथा घरेलू और वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है। यह मानक 1 अगस्त, 2023 से लागू होंगे।
  • प्रीमियम गुणवत्ता वाला चावल होने तथा गैर-बासमती किस्मों की तुलना में इसकी अधिक कीमत होने के कारण बासमती चावल में आर्थिक लाभ के लिए विभिन्न प्रकार की मिलावट की जाती है, जिसमें चावल की अन्य गैर-बासमती किस्मों का अघोषित मिश्रण शामिल हो सकता है। 
    • इसलिए घरेलू और निर्यात बाजारों में मानकीकृत वास्तविक बासमती चावल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए FSSAI ने बासमती चावल के लिए नियामक मानकों को अधिसूचित किया है। 
    • यह मानक संबंधित सरकारी विभागों/एजेंसियों तथा अन्य हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करके तैयार किये गये हैं। 

पृष्ठ्भूमि:

  • बासमती चावल भारतीय उपमहाद्वीप के हिमालय की तलहटी में खेती की जाने वाली चावल की एक प्रीमियम किस्म है और सार्वभौमिक रूप से अपने लंबे अनाज के आकार, फुली हुई बनावट और अनूठी अंतर्निहित सुगंध और स्वाद के लिए जाना जाता है। 
    • बासमती चावल विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों की कृषि-जलवायु परिस्थितियों के साथ ही चावल की कटाई, प्रसंस्करण और बढ़ने की विधि बासमती चावल की विशिष्टता में योगदान देती है। 
    • अपनी अनूठी गुणवत्ता विशेषताओं के कारण, बासमती चावल घरेलू और विश्व स्तर पर व्यापक रूप से उपभोग किया जाने वाला चावल है और इसकी वैश्विक आपूर्ति में भारत का हिस्सा दो तिहाई है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के हुबली में 26वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव का उद्घाटन किया:

  • प्रधानमंत्री ने 12 जनवरी को कर्नाटक के हुबली में 26वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव का उद्घाटन किया।
  • ये महोत्सव 12 से 16 जनवरी तक कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ में आयोजित किया जा रहा है।
  •  प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्नाटक का हुबली क्षेत्र अपनी संस्कृति, परंपरा और ज्ञान के लिए जाना जाता है जहां कई महान हस्तियों को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 
    • इस क्षेत्र ने पंडित कुमार गंधर्व, पंडित बासवराज राजगुरु, पंडित मल्लिकार्जुन मंसूर, भारत रत्न श्री भीमसेन जोशी और पंडिता गंगूबाई हंगल जैसे कई महान संगीतकार दिए हैं।
  • यह कार्यक्रम स्वामी, विवेकानंद की जयंती पर मनाए जाने वाले राष्ट्रीय युवा दिवस पर उनके आदर्शों, शिक्षाओं और योगदानों को सम्मान देने और संजोने के लिए आयोजित किया गया है। 
    • महोत्सव की थीम ‘विकसित युवा – विकसित भारत’ है और यह देश के सभी हिस्सों की विविध संस्कृतियों को एक साझा मंच प्रदान करता है तथा प्रतिभागियों को एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना से आपस में जोड़ता है।  
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और “हमारा लक्ष्य इसे शीर्ष 3 में ले जाना है।
  • पांच दिवसीय महोत्सव यहां युवा शिखर सम्मेलन का साक्षी बनेगा, जिसमें जी-20 और वाई-20 आयोजनों से जुड़े पांच विषयों पर चर्चाएं होंगी।
    • ये विषय हैं – काम, उद्योग, नवाचार और 21वीं सदी के कौशल का भविष्य; जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम में कमी; शांति निर्माण और सुलह; साझा भविष्य – लोकतंत्र और शासन में युवा; और स्वास्थ्य व कल्याण।
  • योगाथॉन जिसका उद्देश्य योग करने के लिए करीब 10 लाख लोगों को जुटाना है, प्रमुख गैर-प्रतिस्पर्धी कार्यक्रमों मे से एक है।

2.देशभर के 651 जिलों में जनऔषधि केंद्र खोलें जायेंगे:

  • सभी को सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा लॉन्च की गई थी। 
    • PMBJP के अंतर्गत जन औषधि केंद्रों को वित्तीय सहायता के रूप में 5.00 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है और पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी क्षेत्रों, द्वीप क्षेत्रों तथा नीति आयोग द्वारा आकांक्षी जिलों के रूप में चिन्हित पिछड़े क्षेत्रों या महिला उद्यमी,  पूर्व सैनिक, दिव्यांग जनों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति द्वारा खोले गए जन औषधि केंद्रों को 2.00 लाख रूपये का एकमुश्त अतिरिक्त प्रोत्साहन (आईटी और अवसंरचना व्यय के लिए प्रतिपूर्ति के रूप में) प्रदान किया जाता है।

3.11वां जैव-ऊर्जा शिखर सम्मेलन:

  • केन्द्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस तथा आवास और शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप एस. पुरी ने सीआईआई के 11वां जैव-ऊर्जा शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। 
  • इस अवसर पर मंत्री ने बताया कि भारत ने पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण को 2013-14 के 1.53 प्रतिशत से बढ़ाकर जुलाई 2022 में 10.17 प्रतिशत कर दिया है। 
  • पराली (पानीपत) और बांस (नुमालीगढ़) से एथेनॉल बनाने के लिए 2जी रिफाइनरियों की स्थापना, इस दिशा में एक और मील का पत्थर है, जो ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ-साथ प्रदूषण को कम करने के दोहरे उद्देश्य को पूरा करते हैं।
  • भारत ने 2030 तक 5 मिलियन टन के उत्पादन लक्ष्य के साथ हरित हाइड्रोजन नीति तैयार की है। 
    • इस साल फरवरी में घोषित भारत की हरित हाइड्रोजन नीति एक क्रांतिकारी बदलाव है, जो भारत को हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया के उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाने में मदद करेगा।
    • भारत का लक्ष्य सालाना 4 मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है, जिससे 2030 तक जीवाश्म ईंधन की संचयी आयात बचत 1 लाख करोड़ रुपये हो जायेगी। 
    • ऊर्जा स्रोत के रूप में हाइड्रोजन उत्पादन प्रक्रिया को किफायती बनाने हेतु इलेक्ट्रोलाइजर के घरेलू निर्माण के लिए यूके और जर्मनी जैसे देशों की कंपनियों के साथ कार्य किये जा रहे हैं।
  • भारत 2070 तक नेट कार्बन जीरो का लक्ष्य हासिल करने के लिए ऊर्जा परिवर्तन की महत्वाकांक्षी यात्रा शुरू कर रहा है और इस परिवर्तन में स्थिरता होनी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि निरंतरता बनी रहे।

 

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लिंक किए गए लेख में 11 जनवरी 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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