विषयसूची:
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भारतीय नौसेना के स्टेल्थ फ्रीगेट तारागिरि का शुभारंभ:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञानं एवं प्रोधोगिकी:
विषय: नौसेना में स्वदेशी प्रक्षेपण प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा एवं इसका महत्व।प्रारंभिक परीक्षा: स्टेल्थ फ्रीगेट तारागिरि
प्रसंग:
- एमडीएल द्वारा निर्मित पी17ए के पांचवें स्टेल्थ फ्रीगेट को लॉन्च किया गया। इसका नाम ‘तारागिरी’ रखा गया।
उद्देश्य:
- वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो (डब्लूडीबी) और एमडीएल की टीमों ने पॉनटून की सहायता से फ्रीगेट को लॉन्च किया।
- लॉन्च के बाद ‘तारागिरी’ एमडीएल में अपने दो साथी जहाजों के बेड़े में शामिल हो गया है। इसके बाद उसे साजो-सामान से लैस करके भारतीय नौसेना को सौंप दिया जायेगा।
विवरण:
- सात पी17ए फ्रिगेट एमडीएल और जीआरएसई में निर्माण के विभिन्न चरणों से गुजर रहे हैं।
- स्टेल्थ फ्रीगेट जैसे अग्रिम मोर्चे पर जटिल पोतों के स्वदेशी निर्माण ने देश को पोत निर्माण के क्षेत्र में ऊंचा दर्जा दिला दिया है।
- इसके जरिये आर्थिक विकास, भारतीय शिपयार्डों में रोजगार सृजन हो रहा है,तथा उप-ठेकेदारों और सहायक उद्योगों को लगातार काम मिल रहा है।
- इसके अलावा परियोजना 17ए के 75 प्रतिशत ऑर्डर स्वदेशी फर्मों को दिये गये हैं, जिनमें सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम शामिल हैं।
पृष्ठ्भूमि
- गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में 11 सितंबर, 2022 को राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था, जिसका अनुपालन करते हुये, यह कार्यक्रम तकीनीकी लॉन्च तक सीमित रखा गया।
- चूंकि फ्रीगेट को लॉन्च करने के लिये ज्वार-भाटे की स्थिति अनुकूल होती है, इसलिये कार्यक्रम में बदलाव की संभावना नहीं थी।
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अंतर्राष्ट्रीय डेयरी महासंघ विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन 2022 का उद्घाटन:
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि एवं पशुपालन:
विषय: डेयरी सेक्टर का ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं लोगों की आजीविका पर प्रभाव।प्रारंभिक परीक्षा:अंतर्राष्ट्रीय डेयरी महासंघ विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन (आईडीएफ डब्ल्यूडीएस) 2022
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री ने 12 सितम्बर को ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय डेयरी महासंघ विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन (आईडीएफ डब्ल्यूडीएस) 2022 का उद्घाटन किया।
उद्देश्य:
- शिखर सम्मेलन से भारतीय डेयरी को भी मदद मिलेगी। किसानों को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी।
- डेयरी सेक्टर का सामर्थ्य ना सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देता है बल्कि यह दुनिया भर में करोड़ों लोगों की आजीविका का भी प्रमुख साधन है।
- भारत के डेयरी सेक्टर की पहचान ‘मास प्रोडक्शन’ से ज्यादा ‘प्रोडक्शन बाय मासेस’ में है।
- एक, दो या तीन मवेशियों वाले इन छोटे किसानों के प्रयासों के कारण भारत सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है।
- यह क्षेत्र देश में 8 करोड़ से अधिक परिवारों को रोजगार प्रदान करता है।
विवरण:
- 12 से 15 सितंबर तक आयोजित चार-दिवसीय आईडीएफ डब्ल्यूडीएस 2022, ‘डेयरी फॉर न्यूट्रिशन एंड लाइवलीहुड’ के विषय पर केंद्रित उद्योग जगत के दिग्गजों, विशेषज्ञों, किसानों और योजनाकारों सहित वैश्विक व भारतीय डेयरी हितधारकों का एक समूह है।
- आईडीएफ डब्ल्यूडीएस 2022 में 50 देशों के लगभग 1500 प्रतिभागियों के भाग लेने की उम्मीद है। इस तरह का पिछला शिखर सम्मेलन भारत में लगभग आधी सदी पहले 1974 में आयोजित किया गया था।
- भारतीय डेयरी प्रणाली की दूसरी अनूठी विशेषता भारत में डेयरी कोऑपरेटिव का एक ऐसा विशाल नेटवर्क है जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में मिलना मुश्किल है।
- यह डेयरी कॉपरेटिव्स देश के दो लाख से ज्यादा गांवों में, करीब-करीब दो करोड़ किसानों से दिन में दो बार दूध जमा करती हैं और उसे ग्राहकों तक पहुंचाती हैं।
- इस पूरी प्रकिया में बीच में कोई मिडिल मैन नहीं होता और ग्राहकों से जो पैसा मिलता है, उसका 70 प्रतिशत से ज्यादा किसानों की जेब में ही जाता है।
- इसकी एक और अनूठी विशेषता स्वदेशी नस्लें हैं जो कई प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर सकती हैं। जिसमे गुजरात के कच्छ क्षेत्र की बन्नी भैंस की उन्नत नस्ल,अन्य भैंस की नस्लों जैसे मुर्राह, मेहसाणा, जाफराबादी, नीली रवि और पंढरपुरी साथ ही गाय की नस्लों में गिर, साहिवाल, राठी, कांकरेज, थारपारकर और हरियाणवी शामिल हैं।
- डेयरी सेक्टर की एक और अनूठी विशेषता भारत के डेयरी सेक्टर में विमेन पावर 70 प्रतिशत वर्कफोर्स का प्रतिनिधित्व करती है।
- भारत के डेयरी सेक्टर की असली कर्णधार महिलाएं हैं। भारत के डेयरी कॉपरेटिव्स में भी एक तिहाई से ज्यादा सदस्य महिलाएं ही हैं।
- डेयरी क्षेत्र में साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का उत्पादन होता है, जो गेहूं और चावल के कुल उत्पादन की तुलना में अधिक है। यह सब भारत की नारी शक्ति द्वारा संचालित है।
- 2014 में भारत में 146 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता था। अब ये बढ़कर 210 मिलियन टन तक पहुंच गया है। यानी करीब-करीब 44 प्रतिशत की वृद्धि।
- पूरे विश्व में दूध का उत्पादन 2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है जबकि भारत में यह 6 प्रतिशत से अधिक की वार्षिक दर से बढ़ रहा है।
- सरकार एक संतुलित डेयरी इको-सिस्टम विकसित करने पर काम कर रही है,जिसमें उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देने के साथ-साथ क्षेत्रों की चुनौतियों का समाधान किया जाएगा।
- किसानों के लिए अतिरिक्त आय, गरीबों का सशक्तिकरण, स्वच्छता, रसायन से मुक्त खेती, स्वच्छ ऊर्जा और मवेशियों की देखभाल इस इको-सिस्टम में परस्पर जुड़ी हुई है।
- गांवों में हरित और सतत विकास के एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में पशुपालन और डेयरी को बढ़ावा दिया जा रहा है।
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन, गोवर्धन योजना, डेयरी क्षेत्र का डिजिटलीकरण और मवेशियों के सार्वभौमिक टीकाकरण के साथ-साथ सिंगल-यूज वाली प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने जैसी योजनाएं उस दिशा में बढ़ाया गया कदम हैं।
- भारत, डेयरी पशुओं का सबसे बड़ा डेटाबेस तैयार कर रहा है। डेयरी सेक्टर से जुड़े हर पशु की टैगिंग हो रही है।
- आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से हम पशुओं की बायोमीट्रिक पहचान कर रहे हैं।
- इसे पशु आधार नाम दिया है।
- इस क्षेत्र ने हाल के दिनों में 1000 से अधिक स्टार्टअप शुरू हुए हैं।
- गोवर्धन योजना का उद्देश्य ऐसी स्थिति तक पहुंचना है जहां डेयरी संयंत्र गोबर से अपनी जरूरत के लिए अधिकांश बिजली का उत्पादन करें। इस प्रकार बनी ऑर्गेनिक खाद से किसानों को भी मदद मिलेगी।
- प्रधानमंत्री ने कहा हमने संकल्प लिया है कि 2025 तक हम शत-प्रतिशत पशुओं को फुट एंड माउथ डिजीज और ब्रुसलॉसिस की वैक्सीन लगाएंगे। हम इस दशक के अंत तक इन बीमारियों से पूरी तरह से मुक्ति का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
- भारत में डेयरी सेक्टर से जुड़े अधिकांश किसानों के पास या तो एक या तीन पशु हैं। इन्हीं छोटे किसानों के परिश्रम और उनके पशुधन की वजह से आज भारत पूरे विश्व में सबसे ज्यादा दुग्ध उत्पादन करने वाला देश है। आज भारत के 8 करोड़ से ज्यादा परिवारों को ये सेक्टर रोजगार मुहैया कराता है।
- आज हमारा फोकस देश में एक संतुलित डेयरी इकोसिस्टम के निर्माण पर है। एक ऐसा इकोसिस्टम जिसमें हमारा ध्यान दूध और उससे जुड़े उत्पादों की क्वालिटी पर तो है ही, बल्कि दूसरी चुनौतियों के समाधान पर भी है।
- किसान को अतिरिक्त आय, गरीब का सशक्तिकरण, स्वच्छता, कैमिकल फ्री खेती, क्लीन एनर्जी और पशुओं की केयर, ये सभी आपस में जुड़े हुए हैं।
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन, गोबरधन योजना, डेयरी सेक्टर का डिजिटाइजेशन और पशुओं का यूनिवर्सल वैक्सीनेशन, इसी दिशा में हो रहे प्रयास हैं।
पृष्ठ्भूमि
- भारतीय डेयरी उद्योग अनूठा है, क्योंकि यह एक सहकारी मॉडल पर आधारित है, जो छोटे और सीमांत डेयरी किसानों, विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाता है।
- प्रधानमंत्री के विजन से प्रेरित होकर सरकार ने डेयरी क्षेत्र की बेहतरी के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसके परिणामस्वरूप पिछले आठ वर्षों में दूध उत्पादन में 44 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है।
- भारतीय डेयरी उद्योग वैश्विक दूध के लगभग 23 प्रतिशत हिस्से का उत्पादन करता है,यानी सालाना लगभग 210 मिलियन टन उत्पादन होता है और 8 करोड़ से अधिक डेयरी किसानों को सशक्त बनाता है।
- भारतीय डेयरी उद्योग की इस उपलब्धि को आईडीएफ डब्ल्यूडीएस 2022 में प्रदर्शित किया जाएगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- राष्ट्रीय धातुविज्ञानी पुरस्कार योजना:
- इस्पात मंत्रालय ने राष्ट्रीय धातुविज्ञानी पुरस्कार 2022 को अनुमति दे दी है।
- योजना की पृष्ठभूमिः
- राष्ट्रीय धातुविज्ञानी दिवस पुरस्कारों की शुरुआत तत्कालीन इस्पात एवं खान मंत्रालय ने 1962 में की थी।
- धातुकर्म के क्षेत्र में धातुविज्ञानियों के शानदार योगदान के लिये पुरस्कार शुरू किये गये थे।
- धातुकर्म के क्षेत्र में संचालन, अनुसंधान, डिजाइन, शिक्षा, अपशिष्ट प्रबंधन और ऊर्जा संरक्षण की गतिविधियां शामिल हैं।
- पुरस्कार वार्षिक आधार पर प्रदान किये जाते हैं।
- पहला पुरस्कार 1963 में दिया गया था और उसके बाद से हर वर्ष पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
- समय बीतने के साथ पुरस्कार के वर्गों और पुरस्कार धनराशि में भी बढ़ोतरी होती गई।
- इसके साथ ही नामांकन के दायरे को भी बढ़ाने का भी प्रस्ताव शामिल है।
- योजना का विवरण इस प्रकार हैः
- योजना का नामः राष्ट्रीय धातुविज्ञानी पुरस्कार।
- उद्देश्यः लौह और इस्पात सेक्टर में कार्यरत धातुविज्ञानियों के शानदार योगदान का मान-सम्मान करना, जिसमें निर्माण, अनुसंधान, डिजाइन, शिक्षा, अपशिष्ट प्रबंधन और ऊर्जा संरक्षण की गतिविधियों के क्षेत्र तथा आत्मनिर्भर भारत के ध्येय को प्राप्त करने के लिये धातुविज्ञानियों के योगदान को सम्मिलित किया गया है।
- नामांकन प्रणालीः पुरस्कार के लिये नामांकन इस्पात मंत्रालय की वेबसाइट या गृह मंत्रालय के पोर्टल पर आमंत्रित किये जायेंगे। नामांकन कंपनियों/संगठनों के माध्यम से या स्व-नामांकन के रूप में आम जनता द्वारा किया जा सकता है।
- राष्ट्रीय धातुविज्ञानी पुरस्कार की तिथिः प्रत्येक वर्ष तीन फरवरी को – (तीन फरवरी, 1959 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने आजादी के बाद राउरकेला में देश के पहले ब्लास्ट फर्नेस का लोकार्पण किया था)।
- भारतीय राष्ट्रीय भवन संहिता 2016:
- हाल ही में ” विद्यत संस्थानों में सुरक्षा – भारतीय राष्ट्रीय विद्युत संहिता द्वारा सुरक्षा का सर्वश्रेष्ठ विकल्प” विषय पर पुस्तिका और भारतीय राष्ट्रीय भवन संहिता 2016 का उपयोग करने के लिए गाइड जारी की।
- इन दो महत्वपूर्ण दस्तावेजों के साथ, अपने घर का निर्माण करते समय या बिल्डरों से घर खरीदते समय अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए आम जनता के लिए तीन प्रचार पुस्तिकाएं भी तैयार की गई हैं।
- पुस्तिका संयुक्त रूप से बीआईएस और इंटरनेशनल कूपर एसोसिएशन (आईसीए) इंडिया द्वारा तैयार की गई है।
- यह पुस्तिका विद्युत सुरक्षा के बारे में जागरूकता पैदा करेगी और इमारतों में वायरिंग करने के लिए तकनीकी गाइडेंस प्रदान करेगी।
- पुस्तिका में दिए गए डिजाइन, यंत्र आदि लगाने की जानकारी और अन्य विशेषताएं उद्देश्य तथा आवेदन को सरल तरीके से समझने में मदद करेंगे ।
- भारत की राष्ट्रीय भवन संहिता 2016 (एनबीसी 2016) एक तकनीकी दस्तावेज है जिसमें भवनों के नियोजन, डिजाइन, निर्माण और संचालन तथा रखरखाव से संबंधित सभी प्रावधानों को शामिल किया गया है।
- इन कोडल प्रावधानों का कार्यान्वयन सुरक्षा, स्वास्थ्य, सुविधा और इमारत के टिकाऊपन के लिए न्यूनतम आवश्यक स्तर सुनिश्चित करता है।
12 सितंबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 11 सितंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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