विषयसूची:
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1. समुद्री चुनौतियों पर चर्चा हेतु कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के तहत कोलकाता में चौथे टेबल टॉप अभ्यास का आयोजन:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन, टेबल टॉप अभ्यास।
मुख्य परीक्षा: कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन का समुद्री क्षेत्र की चुनौतियों से संबंधित विषयों से निपटने के महत्व पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- भारतीय तटरक्षक क्षेत्र (उत्तर-पूर्व) 14 से 16 मार्च, 2023 तक कोलकाता में कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के तत्वावधान में टेबल टॉप अभ्यास के चौथे संस्करण का आयोजन कर रहा है।
उद्देश्य:
- इस सम्मेलन में राष्ट्र विरोधी तत्वों से उत्पन्न खतरों से निपटने, समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया, खोज और बचाव एवं समुद्र में क्षति नियंत्रण जैसी समुद्री क्षेत्र की चुनौतियों से संबंधित विषयों पर चर्चा की जा रही है।
विवरण:
- भारतीय तटरक्षक के अलावा, कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के सदस्य देशों के प्रतिनिधि के तौर पर श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस के साथ-साथ पर्यवेक्षक देशों के रूप में बांग्लादेश और सेशेल्स भी इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं।
- कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन का गठन 2011 में भारत, श्रीलंका और मालदीव के त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा समूह के रूप में किया गया था।
- गतिविधियों के रोडमैप को बाद में विस्तारित किया गया, जिसमें मॉरीशस चौथे सदस्य के रूप में शामिल हुआ और बांग्लादेश तथा सेशेल्स पर्यवेक्षक देशों के रूप में भाग ले रहे हैं।
- यह सम्मेलन हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में सभी तटीय देशों से संबंधित क्षेत्रीय सहयोग और साझा सुरक्षा उद्देश्यों को रेखांकित करता है।
- इसका उद्देश्य क्षेत्र के लिए समुद्री सुरक्षा, समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया और समुद्री खोज तथा बचाव प्राथमिकताएं तय करना है।
- हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री पड़ोसियों के बीच समन्वय समुद्री सुरक्षा एवं आईओआर में सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
- सुरक्षा और क्षेत्र में सभी के लिए विकास (सागर) एवं पड़ोसी प्रथम जैसी नीतियां आईओआर के लिए प्रमुख पहल हैं और यह भारत की नीतिगत प्राथमिकताओं की साक्षी हैं।
- समुद्री चुनौतियों का समाधान करने के लिए आईओआर के समुद्री पड़ोस में एक सहकारी वातावरण और सहयोगी तंत्र आवश्यक है, जिससे समुद्री सुरक्षा और समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
2. ‘आधारभूत पशुपालन सांख्यिकी 2022’ जारी:
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि एवं पशुपालन:
विषय: पशुपालन संबंधी अर्थशास्त्र।
प्रारंभिक परीक्षा: ‘आधारभूत पशुपालन सांख्यिकी 2022’।
प्रसंग:
- केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने 15 मार्च, 2023 को पशुपालन और मत्स्यपालन विभाग का वार्षिक प्रकाशन ‘आधारभूत पशुपालन सांख्यिकी 2022’ का अनावरण किया।
उद्देश्य:
- यह पुस्तक पशुधन के क्षेत्र में एक परंपरा और सूचना का महत्वपूर्ण स्रोत बन चुकी है।
- यह प्रकाशन महत्वपूर्ण पशुधन आंकड़ों जैसे पशुधन आबादी, पशुधन उत्पादन, पशु रोग, अवसंरचना आदि जानकारियों के संदर्भ में पशुपालन क्षेत्र का एक संक्षिप्त अवलोकन प्रदान करता है।
विवरण:
- यह वर्ष 2021-22 के लिए चार प्रमुख पशुधन उत्पादों (एमएलपी) दूध, अंडा, मांस और ऊन के उत्पादन अनुमानों और एकीकृत नमूना सर्वेक्षण (आईएसएस) के अन्य तकनीकी पहलुओं के आंकड़ों का प्राथमिक स्रोत है।
- उत्पादन अनुमानों के अलावा, इसमें अतरिक्त जानकारी वाले आंकडे भी शामिल हैं जैसे नवीनतम 20वीं पशुधन गणना के अनुसार पशुधन की आबादी, पशुधन एवं पशुधन उत्पादों का आयात और निर्यात डेटा, पशुधन रोग के मामले, अवसंरचना और पशुधन क्षेत्र का आर्थिक योगदान आदि।
- इस प्रकाशन में दी गई जानकारी दुनिया के सभी हितधारकों के लिए योजना एवं नीति निर्माण करने के साथ-साथ अनुसंधान और शिक्षाविदों के लिए भी उपयोगी साबित होगी।
“आधारभूत पशुपालन सांख्यिकी 2022” की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
i.वर्ष 2021-22 के दौरान देश में दूध का कुल उत्पादन 221.06 मिलियन टन रहा।
ii.वर्ष 2021-22 के दौरान दूध उत्पादन में 5.29% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई।
iii. देश में शीर्ष पांच प्रमुख दूध उत्पादक राज्य राजस्थान (15.05%), उत्तर प्रदेश (14.93%), मध्य प्रदेश (8.06%), गुजरात (7.56%) और आंध्र प्रदेश (6.97%) रहे।
iv.वर्ष 2021-22 के दौरान देश में कुल अंडे का उत्पादन 129.60 बिलियन रहा, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 6.19% की बढ़ोत्तरी हुई।
v.कुल पांच प्रमुख अंडा उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश (20.41%), तमिलनाडु (16.08%), तेलंगाना (12.86%), पश्चिम बंगाल (8.84%) और कर्नाटक (6.38%) रहे।
vi.वर्ष 2021-22 के दौरान देश में कुल मांस उत्पादन 9.29 मिलियन टन रहा, जिसमें 5.62% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई।
vii. पांच प्रमुख मांस उत्पादक राज्य महाराष्ट्र (12.25%), उत्तर प्रदेश (12.14%), पश्चिम बंगाल (11.63%), आंध्र प्रदेश (11.04%), और तेलंगाना (10.82%) रहे।
viii. वर्ष 2021-22 के दौरान देश में कुल ऊन का उत्पादन 33.13 हजार टन रहा, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 10.30% की गिरावट दर्ज की गई।
ix.शीर्ष पांच प्रमुख ऊन उत्पादक राज्य राजस्थान (45.91%), जम्मू और कश्मीर (23.19%), गुजरात (6.12%), महाराष्ट्र (4.78%) और हिमाचल प्रदेश (4.33%) रहे।
x.वर्ष 2021-22 के दौरान दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 444 ग्राम/दिन रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 17 ग्राम/दिन ज्यादा है।
xi.वर्ष 2021-22 के दौरान अंडे की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 95/वर्ष रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5/वर्ष ज्यादा है।
xii. वर्ष 2021-22 के दौरान मांस की प्रति व्यक्ति उपलब्धता 6.82 किलोग्राम/वर्ष रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 0.30 किलोग्राम/वर्ष ज्यादा है।
xiii. वर्ष 2014-15 और वर्ष 2020-21 के दौरान, इस क्षेत्र का मूल्य वर्धन 7.93% की चक्रवृद्धि वार्षिक विकास दर से हुआ।
xiv. वर्ष 2020-21 के दौरान कृषि क्षेत्र में स्थिर कीमतों पर पशुधन का हिस्सा 30.13% और कुल जीवीए 4.9% रहा।
3.वरिष्ठ नागरिकों पर राष्ट्रीय नीति:
सामान्य अध्ययन: 2
सामाजिक न्याय:
विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
प्रारंभिक परीक्षा: वरिष्ठ नागरिकों के लिए एकीकृत कार्यक्रम की केंद्रीय क्षेत्र योजना, राष्ट्रीय वयोश्री योजना, वरिष्ठ नागरिकों के लिए राज्य कार्य योजना।
प्रसंग:
- वृद्ध व्यक्तियों पर राष्ट्रीय नीति (एनपीओपी) की घोषणा 1999 में वृद्ध व्यक्तियों का कल्याण सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए की गई थी।
उद्देश्य:
- नीति में वृद्ध व्यक्तियों की वित्तीय और खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, आश्रय और अन्य जरूरतों, विकास में समान हिस्सेदारी, दुर्व्यवहार और शोषण के खिलाफ सुरक्षा और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य के समर्थन की परिकल्पना की गई है।
विवरण:
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय वरिष्ठ नागरिकों के लिए एकीकृत कार्यक्रम की एक केंद्रीय क्षेत्र योजना (आईपीएसआरसी) लागू करता है।
- इनमें आश्रय, भोजन, स्वास्थ्य देखभाल, वित्तीय सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, जागरूकता, मनोरंजन आदि शामिल हैं।
- भारत सरकार वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और कल्याण के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के माध्यम से विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को लागू करती है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय:
- वरिष्ठ नागरिकों के लिए एकीकृत कार्यक्रम की केंद्रीय क्षेत्र योजना (Central Sector Scheme of Integrated Programme for Senior Citizens (IPSrC)):
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय वरिष्ठ नागरिकों के लिए एकीकृत कार्यक्रम (आईपीएसआरसी) की एक केंद्रीय क्षेत्र योजना लागू करता है जिसके तहत वृद्धाश्रमो (ओल्ड एज होम्स)/सतत देखभाल गृहों, मोबाइल मेडिकेयर इकाइयों आदि के संचालन और रखरखाव के लिए सहायता अनुदान दिया जाता है।
- कार्यान्वयन एजेंसियाँ-राज्य सरकारें/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन (पंजीकृत समितियों के माध्यम से)/पंचायती राज संस्थान (PRI)/स्थानीय निकाय; गैर-सरकारी/स्वैच्छिक संगठन।
राष्ट्रीय वयोश्री योजना (RashtriyaVayoshriYojana (RVY)):
- राष्ट्रीय वयोश्री योजना (आरवीवाई) वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष से वित्तपोषित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है
- आरवीवाई की योजना के तहत, बीपीएल श्रेणी से संबंधित वरिष्ठ नागरिकों या उन वरिष्ठ नागरिकों को सहायता और जीवन सहायक उपकरण प्रदान किए जाते हैं जो प्रति माह 15000 से कम कमाते हैं और निम्न दृष्टि, श्रवण हानि, दांतों की हानि और उम्र से संबंधित विकलांगों, लोको-मोटर विकलांगता से पीड़ित हैं।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए राज्य कार्य योजना (State Action Plan for Senior Citizens (SAPSrC)):
- प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने स्थानीय विचारों को ध्यान में रखते हुए योजना बनाएं और रणनीति बनाएं तथा अपने वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए अपनी राज्य कार्य योजना तैयार करें।
- इस राज्य कार्य योजना में पांच वर्षों के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति के साथ-साथ वार्षिक कार्य योजनाएं शामिल हो सकती है।
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी राज्य कार्य योजनाओं के निर्माण और कार्यान्वयन के लिए धन जारी करेगा।
SAGE:
- आमतौर पर सामने आने वाली समस्याओं के लिए लीक से हटकर और अभिनव समाधानों को बढ़ावा देने के लिए, इस पहल के तहत बुजुर्गों के कल्याण के लिए उत्पादों, प्रक्रियाओं और सेवाओं को विकसित करने के लिए अभिनव स्टार्ट-अप की पहचान की जाएगी और उन्हें प्रोत्साहित किया जाएगा।
- अटल वयो अभ्युदय योजना की अम्ब्रेला योजना के तहत, मंत्रालय ने अंतर-पीढ़ीगत बंधन को मजबूत करने के लिए स्कूल/कॉलेज के छात्रों के साथ जागरूकता सृजन/संवेदीकरण कार्यक्रम शामिल किए हैं।
- इसका उद्देश्य व्यक्तियों, परिवारों और समूहों को उम्र बढ़ने की प्रक्रिया की बेहतर समझ के लिए सूचना और शैक्षिक सामग्री प्रदान करना है ताकि वे इससे संबंधित मुद्दों का प्रबंधन में सक्षम हो सकें।
4.बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया का सरलीकरण:
सामान्य अध्ययन: 2
सामाजिक न्याय:
विषय: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन
प्रारंभिक परीक्षा: किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2021, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) मॉडल संशोधन नियम, 2022 और दत्तक ग्रहण विनियम, 2022
प्रसंग:
- सरकार ने किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2021, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) मॉडल संशोधन नियम, 2022 और दत्तक ग्रहण विनियम, 2022 के तहत गोद लेने से संबंधित अपनी नीति को सरल बनाया है।
विवरण:
दत्तक ग्रहण विनियम, 2022 में किए गए कुछ प्रमुख संशोधनों में शामिल हैं:
(i) न्यायालय के बजाय जिला मजिस्ट्रेट द्वारा दत्तक ग्रहण आदेश जारी करना,
(ii) संभावित दत्तक माता-पिता (पीएपी) के लिए ऊपरी आयु सीमा घटाकर 85 वर्ष कर दी गई है और एकल पीएपी के लिए 40 वर्ष यदि वे 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को गोद ले रहे हैं,
(iii) निवासी भारतीय (आरआई), अनिवासी भारतीय (एनआरआई) और भारतीय प्रवासी नागरिक (ओसीआई) पीएपी के लिए केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) द्वारा शुरू किया गया 7-दिवसीय दत्तक ग्रहण प्रयास,
(iv) विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के आधार पर बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति का निर्धारण करने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ),
(v) दस दिनों की अधिकतम अवधि के भीतर एलएफए (दत्तक ग्रहण के लिए कानूनी रूप से मुक्त) अपलोड करने के लिए सख्त समय सीमा निर्धारित की गई है,
(vi) दो से अधिक बच्चों वाले पीएपी एक सामान्य बच्चे के लिए रेफरल प्राप्त करने के योग्य नहीं हैं,
(vii) सभी प्रासंगिक हितधारकों जैसे संभावित माता-पिता और बड़े बच्चों के लिए पूर्व-दत्तक ग्रहण, गोद लेने और गोद लेने के बाद के चरणों में अनिवार्य परामर्श निर्धारित किया गया है,
(viii) दस दिनों के भीतर एलएफए (दत्तक ग्रहण के लिए कानूनी रूप से मुक्त) अपलोड करने, मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा पंद्रह दिनों की अवधि के भीतर विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की परीक्षा और जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा गोद लेने के आवेदन दस्तावेजों के सत्यापन जैसे विभिन्न चरणों में समय-सीमाएं
(ix) दो साल की अवधि के बाद पहले से ही पालक देखभाल में गोद लेने योग्य बच्चों को गोद लेने पर जोर देना,
(x) पीएपी के व्यवधान या विघटन का कारण बनने के लिए कड़े उपायों का प्रावधान किया गया है और
(xi) जहां बच्चा दत्तक-ग्रहण पूर्व पालन-पोषण देखभाल के अलावा कम से कम पांच वर्ष तक पालन-पोषण करने वाले परिवार के साथ रहा हो, वहां बच्चे को गोद लेने की अवधि को घटाकर दो वर्ष कर दिया गया है।
5. आश्रय गृहों में मानसिक स्वास्थ्य सहायता:
सामान्य अध्ययन: 2
सामाजिक न्याय:
विषय: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन
प्रारंभिक परीक्षा: सामाजिक न्याय शक्ति सदन, मिशन वात्सल्य।
मुख्य परीक्षा: सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण हेतु किये जा रहे उपायों पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- महिला और बाल विकास मंत्रालय विभिन्न योजनाओं को लागू करता है जिसमें कठिन परिस्थितियों में या बिना किसी सामाजिक और आर्थिक सहायता के रहने वाली महिलाओं और बच्चों को आश्रय, चिकित्सा देखभाल, मानसिक स्वास्थ्य परामर्श सहित आश्रय गृह प्रदान करने का प्रावधान है।
विवरण:
ऐसी योजनाओं का विवरण नीचे दिया गया है:
- शक्ति सदन:
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- नए स्वीकृत मिशन शक्ति के तहत, कठिन परिस्थितियों में महिलाओं के लिए स्वाधार गृह और तस्करी की रोकथाम के लिए उज्जवला गृहों को विलय कर दिया गया है और इसका नाम बदलकर शक्ति सदन कर दिया गया है, जो संकट की स्थिति और कठिन परिस्थितियों में महिलाओं के लिए एक एकीकृत राहत और पुनर्वास गृह है।
- मिशन वात्सल्य:
- मिशन वात्सल्य योजना जिसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को जरूरतमंद और कठिन परिस्थितियों में बच्चों के लिए सेवाएं प्रदान करने के लिए सहायता प्रदान की जाती है।
- योजना के तहत स्थापित चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशंस (सीसीआई) अन्य बातों के साथ-साथ आयु-उपयुक्त शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण तक पहुंच, मनोरंजन, स्वास्थ्य देखभाल, परामर्श आदि का समर्थन करते हैं और ग्रामीण और शहरी दोनों बच्चों को कवर करते हैं।
- जेजे अधिनियम, 2015 (2021 में संशोधित) की धारा 53 के तहत प्रत्येक सीसीआई में संस्था का प्रबंधन करने और प्रत्येक बच्चे की प्रगति की निगरानी करने के लिए प्रबंधन समिति की स्थापना का प्रावधान है।
- जेजे मॉडल नियम संस्थान के प्रबंधन और प्रत्येक बच्चे की प्रगति की निगरानी के लिए प्रत्येक संस्थान में प्रबंधन समितियों के गठन का भी प्रावधान करते हैं।
- प्रबंधन समितियों को प्रत्येक सीसीआई में एक शिकायत और निवारण तंत्र स्थापित करना आवश्यक है।
- बच्चों के लिए एक सुझाव पेटी को ऐसी जगह पर रखा जाना चाहिए जहाँ बच्चे आसानी से पहुँच सकें, कार्यालय की स्थापना से दूर और बच्चों के निवास या कमरे या शयनगृह के करीब।
- वर्ष 2020 में, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS), बेंगलुरु के सहयोग से कमजोर परिस्थितियों और संकट (SAMVAD) में रह रहे बच्चों के लिए सहायता, समर्थन और मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की स्थापना की।
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय वन स्टॉप सेंटर के घटक को लागू करता है, जिसके तहत चिकित्सा सहायता, मनो-सामाजिक परामर्श, पुलिस सुविधा, कानूनी सहायता और परामर्श आदि जैसी एकीकृत सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
- जरूरतमंद और संकटग्रस्त महिलाओं को एक ही छत के नीचे सहायता प्रदान की जाती है।
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (NIMHANS) के माध्यम से देश भर में वन स्टॉप सेंटर्स (OSCs) के कर्मचारियों को ‘स्त्री मनोरक्ष’ नामक परियोजना के तहत बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण प्रदान किया है।
- सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं और संकट में महिलाओं का समर्थन करने की आवश्यकता है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.केंद्र सरकार ने संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष के बजट परिव्यय में बढ़ोतरी की:
- सरकार ने 2023-24 के बजट में कपड़ा क्षेत्र के लिए 4,389.34 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
- यह 2022-23 के संशोधित अनुमान से अधिक है, जो 3,579.61 करोड़ रुपये रहा है।
- सरकार ने संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष (एटीयूएफ) के बजट परिव्यय को संशोधित अनुमान 2022-23 में 650 करोड़ रुपये से बढ़ाकर बजट अनुमान 2023-24 के लिए 900 करोड़ रुपये कर दिया है।
- जहां तक कपड़ा क्षेत्र के विकास के लिए किये गए अन्य उपायों का संबंध है, तो वस्त्र मंत्रालय की विभिन्न पहलों और योजनाओं/कार्यक्रमों में अनुसंधान, नवाचार एवं विकास; कपड़ा अवसंरचना विस्तार; शिक्षा, प्रशिक्षण व कौशल गतिविधियों का आयोजन, बाजार में क्रमागत उन्नति, निर्यात संवर्धन, गुणवत्ता नियंत्रण तथा मानकों में सुधार आदि जैसे सभी प्रमुख क्षेत्र सम्मिलित हैं।
- सरकार द्वारा लागू की गई कुछ प्रमुख योजनाओं में प्रमुख रूप से ये शामिल हैं:
- पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल (पीएम मित्रा पार्क),
- प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम,
- सिल्क समग्र, हस्तशिल्प क्षेत्र का उन्नयन, हथकरघा क्षेत्र का विकास, समर्थ – परिधान क्षेत्र में क्षमता निर्माण की योजना,
- जूट वस्त्र योजना का विकास, इंटेग्रेटेड वूल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईडब्ल्यूडीपी) और नेशनल टेक्निकल टेक्सटाइल मिशन (एनटीटीएम) आदि।
- ये योजनाएं तथा कार्यक्रम पैन-इंडिया आधार पर कपड़ा क्षेत्र के प्रचार और विकास की दिशा में उन्मुख हैं।
2.गगनयान मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए 9,023 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है:
- गगनयान कार्यक्रम का दायरा लो अर्थ ऑर्बिट और सुरक्षित वापसी के लिए मानव अंतरिक्ष यान क्षमता का प्रदर्शन करना है।
- इसरो ह्यूमन रेटेड लॉन्च व्हीकल, हैबिटेबल क्रू मॉड्यूल, लाइफ सपोर्ट सिस्टम, क्रू एस्केप सिस्टम, ग्राउंड स्टेशन नेटवर्क, क्रू ट्रेनिंग और रिकवरी के लिए स्वदेशी तकनीकों का विकास कर रहा है।
- ये प्रौद्योगिकियां गगनयान मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने और किसी भी अन्य ग्रहों के मिशन को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- सरकार ने भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र में गैर-सरकारी संस्थाओं को बढ़ावा देने, सक्षम करने, अधिकृत करने और पर्यवेक्षण करने के लिए एकल खिड़की एजेंसी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) बनाया है।
- IN-SPACe ने इसरो परिसरों के भीतर सुविधाओं की स्थापना, उपग्रहों के प्रक्षेपण और लॉन्च वाहनों, और मेंटरशिप समर्थन में निजी कंपनियों / स्टार्ट-अप को सुविधा प्रदान करना शुरू कर दिया है।
- सरकार ने देश में अंतरिक्ष क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
- अंतरिक्ष क्षेत्र के सभी कार्यक्षेत्रों में एंड-टू-एंड गतिविधियों का संचालन करने की अनुमति देकर अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी उद्यमों की भागीदारी बढ़ाने के लिए क्षेत्र को पहले ही खोल दिया गया है।
- इस संबंध में, गैर-सरकारी संस्थाओं के प्रचार और सहायता के लिए IN-SPACe बनाया गया है।
- न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड [NSIL] की भूमिका को अंतरिक्ष गतिविधियों के संचालन के लिए एक वाणिज्य-उन्मुख दृष्टिकोण लाने के लिए भी व्यापक किया गया है।
- इसके अलावा, कई निजी उद्योग भी इसरो के नेतृत्व में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, उपप्रणाली और घटकों को वितरित कर रहे हैं।
- अंतरिक्ष विभाग भी एक व्यापक, व्यापक अंतरिक्ष नीति तैयार करने की प्रक्रिया में है जो पूरे अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र को और बढ़ावा देगी।
3. भारत गौरव डीलक्स एसी टूरिस्ट ट्रेन “श्री रामायण यात्रा”:
- भारतीय रेलवे ने तीर्थ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत गौरव डीलक्स एसी पर्यटन ट्रेन से “श्री रामायण यात्रा” शुरू करने का निर्णय किया है।
- यह यात्रा 7 अप्रैल 2023 को दिल्ली सफदरजंग रेलवे स्टेशन से शुरू होगी और भगवान श्री राम के जीवन से जुड़े प्रमुख स्थानों की यात्रा करेगी।
- प्रस्तावित ट्रेन यात्रा आधुनिक सुविधाओं वाली भारत गौरव डीलक्स एसी पर्यटन ट्रेन से शुरू की जाएगी।
- अब तक 26 भारत गौरव ट्रेनें शुरू की जा चुकी हैं।
- अत्याधुनिक डीलक्स एसी पर्यटन ट्रेन में दो बढ़िया डाइनिंग रेस्तरां, एक आधुनिक रसोई, कोचों में शॉवर क्यूबिकल्स, सेंसर आधारित वॉशरूम फंक्शन, फुट मसाजर सहित कई अद्भुत विशेषताएं हैं। पूरी तरह से वातानुकूलित ट्रेन दो तरह की रहने की सुविधा प्रदान करती है ।
- भारतीय रेलवे ने भारत सरकार की “देखो अपना देश” और “एक भारत श्रेष्ठ भारत” की संकल्पना को बढ़ावा देने के लिए भारत गौरव पर्यटक ट्रेनें चलाने की पहल की है।
4. विश्व बैंक की वित्तीय सहायता से चार राज्यों में हरित राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारा परियोजना लागू की जाएगी:
- भारत सरकार और विश्व बैंक ने ऋण सहायता से हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश राज्यों में 781 किमी की कुल लंबाई में ग्रीन नेशनल हाईवे कॉरिडोर प्रोजेक्ट (GNHCP) के निर्माण के लिए US $ 500 मिलियन के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
- जबकि इस परियोजना की कुल लागत US $ 1288.24 मिलियन (7,662.47 करोड़ रुपये) है।
- GNHCP का उद्देश्य जलवायु लचीलेपन को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित और हरित राजमार्ग का प्रदर्शन करते हुए, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के प्रावधानों को शामिल करके हरित प्रौद्योगिकियों का उपयोग, सीमेंट उपचारित उप आधार/ डामर फुटपाथ का उपयोग करना, स्थानीय सामग्री जैसे चूने, फ्लाई ऐश, अपशिष्ट प्लास्टिक का उपयोग, ढलान संरक्षण के लिए जैव-इंजीनियरिंग उपाय जैसे हाइड्रोसीडिंग, कोको/जूट फाइबर आदि, जो हरित प्रौद्योगिकियों को मुख्यधारा में लाने के लिए मंत्रालय की क्षमता को बढ़ाएंगे।
5. मिशन अंत्योदय सर्वेक्षण के उद्देश्य:
- मिशन अंत्योदय (एमए) सर्वेक्षण एक अभिसरण और जवाबदेही ढांचा है, जिसका उद्देश्य भारत सरकार के 27 मंत्रालयों/विभागों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के तहत आवंटित संसाधनों का इष्टतम उपयोग और प्रबंधन करना है।
- इस मिशन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग करना है।
- इसका उद्देश्य पंचायतों को उनकी विकास योजना बनाने में सहायता करना है।
- इन उद्देश्यों के अलावा मिशन को वार्षिक सर्वेक्षण कराने के उद्देश्य को भी पूरा करना है।
- यह विकास प्रक्रियाओं की निगरानी के लिए किया जाता है।
- अंत्योदय का प्राथमिक उद्देश्य देश के 6.5 लाख से अधिक गांवों के लिए गांव के बुनियादी ढांचे और सेवाओं के आंकड़ों का सर्वेक्षण और संग्रह करना है।
- एमए सर्वेक्षण अंतराल विश्लेषण करने के लिए माध्यमिक डेटा प्रस्तुत करता है और डेटा ग्राम पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तरों पर विकास योजनाओं की तैयारी में एक महत्वपूर्ण इनपुट के रूप में कार्य करता है।
- एमए सर्वेक्षण 2022-23 के 15 अप्रैल 2023 तक पूरा होने की संभावना है।
- मिशन अंत्योदय सर्वेक्षण संतृप्ति मोड में व्यक्तिगत, घरेलू और सामुदायिक स्तर के अभावों को दूर करने के लिए सरकारी योजनाओं के गहन कवरेज के माध्यम से समयबद्ध तरीके से सभी पहचाने गए अभावों को दूर करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- इसका उद्देश्य ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) के लिए भागीदारी योजना की प्रक्रिया को समर्थन देना भी है जो सेवा वितरण में सुधार करेगा, लोगों के संस्थानों और समूहों के गठबंधन के लिए जगह बनाएगा और स्थानीय स्तर पर शासन में सुधार करेगा।
6.स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति:
- सरकार ने नवंबर, 2019 में स्टील स्क्रैप पुनर्चक्रण नीति को अधिसूचित किया था।
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने वाहन स्क्रैपिंग नीति तैयार की है जिसमें पुराने, अनुपयुक्त प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए प्रोत्साहन / प्रोत्साहन की एक प्रणाली शामिल है।
- नीति विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न लौह स्क्रैप के वैज्ञानिक प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण के लिए भारत में धातु स्क्रैपिंग केंद्रों की स्थापना को सुविधाजनक बनाने और बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है।
- स्क्रैप की बिक्री पर सरकार ने कोई प्रोत्साहन तय नहीं किया है। यह स्क्रैप की बिक्री के समय प्रचलित दिशानिर्देशों और बाजार की स्थितियों से नियंत्रित होता है।
- स्टील स्क्रैपिंग नीति के कार्यान्वयन में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF & CC) की प्रमुख भूमिका है।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF & CC) ने खतरनाक और अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन और सीमा पार आवाजाही) [HOWM] नियम, 2016 को अधिसूचित किया है।
- देश में कच्चे इस्पात का उत्पादन करने वाले इस्पात संयंत्रों की संख्या 2021-22 में 154.06 मिलियन टन की कुल क्षमता के साथ 901 थी।
- स्टील एक विनियमित क्षेत्र होने के कारण, सरकार की भूमिका एक सुविधाप्रदाता की है।
- इस्पात संयंत्रों के पुनरुद्धार/बंद करने जैसे निर्णय व्यक्तिगत इस्पात कंपनियों द्वारा समय-समय पर वाणिज्यिक विचारों और बाजार की गतिशीलता के आधार पर लिए जाते हैं। इस्पात मंत्रालय के अधीन दो इस्पात विनिर्माता केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) हैं, जिनके नाम स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) हैं।
15 March PIB :- Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 14 मार्च 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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