विषयसूची:
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1.राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार, 2023
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां।
प्रारंभिक परीक्षा: पुरस्कार/सम्मान।
संदर्भ:
- प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड-विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार, 2023 के लिए आवेदन आमंत्रित किए।
पृष्ठभूमि:
- 11 मई 1998 को, भारतीय सेना की पोखरण रेंज में सफलतापूर्वक परमाणु मिसाइल परीक्षण करने की भारत की उपलब्धि गौरवपूर्ण थी। 1998 की इस स्मरणीय घटना के बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत को पूर्ण परमाणु देश घोषित किया था। तब से प्रति वर्ष 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है जिसका उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सम्मिलित वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, इंजीनियरों और अन्य सभी सम्बद्ध पक्षों/व्यक्तियों की उपलब्धियों को याद करना है।
- इस विशेष दिन को मनाने के लिए, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का एक वैधानिक निकाय-प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड अपने जनादेश के आधार पर ऐसे तकनीकी नवाचारों का सम्मान करता है, जिन्होंने ‘वर्ष 1999 से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार’ के तत्वावधान में राष्ट्रीय विकास में सहायता की है। लघु स्तरीय उद्योग इकाइयों के लिए दूसरी श्रेणी 2000 में शुरू की गई थी तथा जिसे बाद में ‘सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME)’ श्रेणी का नाम दिया गया।
- इसके अतिरिक्त व्यवसायीकरण की संभावना वाले स्टार्टअप इनक्यूबेटर्स द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्य को पहचानने और पुरस्कृत करने के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने 2004 में ‘प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर)’ श्रेणी की स्थापना की।
- इसी तरह, 2021 से प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में ‘अनुप्रयोगी अनुसंधान (ट्रांसलेशनल रिसर्च)’ के लिए एक नई श्रेणी शुरू की गई है।
विवरण:
- प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड ने वर्ष 2023 के लिए मुख्य, सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME), स्टार्टअप, अनुप्रयोगी अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर जैसी पांच श्रेणियों के अंतर्गत राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कारों के लिए भारतीय कंपनियों से आवेदन आमंत्रित किए हैं।
- ये पुरस्कार विभिन्न उद्योगों को नवीन स्वदेशी प्रौद्योगिकी के सफल व्यवसायीकरण के लिए प्रदान किए जाते हैं।
- यह वार्षिक सम्मान ऐसे भारतीय उद्योगों और उनके प्रौद्योगिकी प्रदाताओं को पहचान का एक मंच प्रदान करता है जो बाजार में नवाचार लाने के लिए काम करते हैं और “आत्मनिर्भर भारत” के दृष्टिकोण में योगदान करने में मदद करते हैं।
- स्वदेशी तकनीक के सफल व्यावसायीकरण के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार (मुख्य):
यह पुरस्कार एक ऐसे औद्योगिक प्रतिष्ठान को दिया जाएगा जिसने अप्रैल 2017 को या उसके बाद किसी स्वदेशी तकनीक का सफलतापूर्वक विकास और व्यवसायीकरण किया है। यदि प्रौद्योगिकी विकासकर्ता/प्रदाता और प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरणकर्ता दो अलग-अलग संगठन हैं, तो प्रत्येक 25 लाख रुपये के पुरस्कार और एक ट्रॉफी के लिए पात्र होगा।
- 25 लाख रुपये का नकद पुरस्कार
- पुरस्कारों की संख्या : एक
- राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME):
यह पुरस्कार उन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME)को दिया जाएगा जिन्होंने अप्रैल 2017 को या उसके बाद में स्वदेशी तकनीक पर आधारित उत्पाद का सफलतापूर्वक व्यवसायीकरण किया है।
- नकद पुरस्कार ₹ 15 लाख
- पुरस्कारों की संख्या: तीन (महिलाओं के नेतृत्व वाले एमएसएमई के लिए एक आरक्षित सहित)
- राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार (स्टार्ट-अप):
यह पुरस्कार व्यवसायीकरण की क्षमता वाली नई प्रौद्योगिकी का आश्वासन देने वाले प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप को दिया जाएगा।
- नकद पुरस्कार ₹ 15 लाख
- पुरस्कारों की संख्या: पांच (महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप के लिए एक आरक्षित सहित)
- राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार (अनुप्रयोग संबंधी अनुसंधान):
यह पुरस्कार नवीन स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के व्यवसायीकरण में वैज्ञानिकों के उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है।
- नकद पुरस्कार ₹ 5 लाख
- पुरस्कारों की संख्या: दो (महिला वैज्ञानिक द्वारा अनुप्रयोग अनुसंधान के लिए एक आरक्षित किया जाना है)
- राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार (प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर):
विभिन्न तकनीकी क्षेत्रों में नवीन प्रौद्योगिकी संचालित ज्ञान गहन स्टार्ट-अप उद्यमों को बढ़ावा देने के माध्यम से तकनीकी- उद्यमिता विकास में उत्कृष्ट योगदान को पहचानना और पुरस्कृत करना।
- नकद पुरस्कार ₹ 5 लाख
- पुरस्कारों की संख्या: एक
- ये सभी पुरस्कार 11 मई, 2023 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर प्रदान किए जाएंगे।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. “दिव्यकलाशक्ति”-2022:
- दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, भारत सरकार द्वारा गुवाहाटी में “दिव्यकलाशक्ति”-2022 का आयोजन किया जा रहा है।
- इस क्षेत्रीय “दिव्यकलाशक्ति” के आयोजन में उत्तर पूर्व क्षेत्र के दिव्यांगजनों द्वारा नृत्य, गीत, ललित कला आदि के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें 102 दिव्यांगजन कलाकारों द्वारा लगभग 25 वस्तुओं का प्रदर्शन किया जाएगा।
- इस कार्यक्रम की मेजबानी स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय पुनर्वास, प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान ओलतपुर, कटक, ओडिशा द्वारा की जा रही है।
2.यार्ड 12705 (मोर्मूगाओ) का राष्ट्रार्पण:
- P15B स्टेल्थ गाइडेड प्रेक्षपास्त्र विध्वंसक मोर्मूगाओ को (18 दिसंबर, 2022 को) भारतीय नौसेना में शामिल किया जायेगा।
- इस कार्यक्रम के दौरान चार ‘विशाखापत्तनम’ श्रेणी के विध्वंसकों में से दूसरे विध्वंसक को नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया जायेगा।
- पश्चिमी तट पर स्थित ऐतिहासिक गोदी शहर गोआ के नाम पर मोर्मूगाओ नाम रखा गया है। यह पोत पहली बार 19 दिसंबर, 2021 को समुद्र में उतरा था, जिस दिन पुर्तगाली शासन से गोआ की मुक्ति के 60 वर्ष पूरे हुये थे।
- गोआ मुक्ति दिवस की पूर्व संध्या, यानी 18 दिसंबर, 2022 को पोत को नौसेना में शामिल किये जाने से भारतीय नौसेना की गतिशीलता, पहुंच और कामकाज में बढ़ोतरी होगी तथा वह हिंद महासागर व उसके आगे के समुद्री क्षेत्र में अपना दायित्व और भूमिका निभाने में सक्षम होगी।
- इसकी डिजाइन भारतीय नौसेना के स्वदेशी संगठन ने तैयार की है तथा निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुम्बई ने किया है।
- इस पोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर तथा वजन 7400 टन है। इसे भारत द्वारा निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में गिना जा सकता है। पोत को शक्तिशाली चार गैस टर्बाइनों से गति मिलती है, जो COGAG पैमाने के हैं। पोत पलक झपकते 30 समुद्री मील तक की गति पकड़ सकता है। रडार भी पोत को आसानी से नहीं पकड़ सकता।
- मोर्मूगाओ ‘उत्कृष्ट’ हथियारों और दूरसंवेदी उपकरणों से लैस है, जैसे जमीन से जमीन पर तथा जमीन से हवा में मार करने वाले मिसाइल। पोत में आधुनिक निगरानी रडार लगा है, जो पोत की तोप संचालन प्रणाली से जुड़ा है तथा लक्ष्य के बारे में सीधे तोप प्रणाली को सूचित कर देता है।
- पोत की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को देश में ही विकसित किया गया है तथा पोत में रॉकेट लॉन्चर, तारपीडो लॉन्चर और एसएडब्लू हेलीकॉप्टर की व्यवस्था है। पोत आणविक, जैविक और रासायनिक युद्ध परिस्थितियों से लड़ने में सक्षम है।
- इस पोत की अनोखी विशेषता यह है कि इसमें लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा पूर्ण रूप से स्वदेशी है और इसे हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत निर्मित किया गया है।
- अनेक उपकरणों का स्वदेशीकरण किया गया है, जिनमें जमीन से जमीन व जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, तारपीडो ट्यूब्स और लॉन्चर, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लॉन्चर, एकीकृत प्लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली, स्वचलित ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली, फोल्डेबल हैंगर डोर, हेलो ट्रैवर्सिंग प्रणाली, क्लोज-इन युद्धक प्रणाली तथा पोत के अग्र भाग पर लगी सोनार प्रणाली शामिल है।
- आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण के दृढ़ निश्चय के साथ 44 पोतों और पनडुब्बियों में से 42 का निर्माण भारतीय शिपयार्डों में किया जा रहा है तथा इस तरह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के हमारे प्रयासों को आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा, 55 पोतों और पनडुब्बियों के निर्माण के लिये ऑर्डर जारी किये जा चुके हैं। इनका निर्माण भारतीय शिपयार्डों में किया जायेगा।
3.केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने भारत में तेज़ाब की ऑनलाइन बिक्री के विरुद्ध नोटिस जारी किया:
- केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने दो ई-कॉमर्स कंपनियों, फ्लिपकार्ट इंटरनेट प्राइवेट लिमिटेड और फैशनियर टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड (मीशो डॉट कॉम) को उनके प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट किए गए तेज़ाब की बिक्री से संबंधित घोर उल्लंघन के लिए नोटिस जारी किया है।
- यह कार्रवाई दिल्ली में 17 वर्ष की एक लड़की पर तेजाब हमले की हाल की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के प्रकाश में की गई है।
- लक्ष्मी बनाम भारत संघ और अन्य के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को आगे बढ़ाते हुए, गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने “लोगों पर तेज़ाब के हमलों को रोकने के लिए और तेज़ाब के हमलों की पीड़ित लोगों के उपचार और पुनर्वास के लिए उपाय किए जाने चाहिए” के बारे में 30 अगस्त 2013 को एक परामर्श जारी किया था। इस परामर्श में सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई थी कि वे तेज़ाब हमलों में कमी और उपचार तथा तेज़ाब हमलों के पीड़ितों के पुनर्वास के लिए उसमें उल्लिखित उपायों को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाएं। तेज़ाब हमलों के पीड़ितों के साथ-साथ कोई भी अन्य उपाय जो उचित समझा जा सकता है वह किया जाए।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 2(9) के तहत परिभाषित ‘उपभोक्ता अधिकार’ में वस्तुओं, उत्पादों या सेवाओं के विपणन के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार शामिल है जो जीवन और संपत्ति के लिए खतरनाक हैं। ई-मार्केटप्लेस कंपनी द्वारा किसी भी उचित परिश्रम के बिना एक आसान, सुलभ और बगैर नियम से अत्यधिक संक्षारक तेज़ाब की बिक्री से उपभोक्ताओं, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों, अर्थात् महिलाओं और बच्चों के लिए विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
- उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 की धारा 4 (3) के अनुसार, कोई भी ई-कॉमर्स इकाई किसी भी अनुचित व्यापार व्यवहार को नहीं अपनाएगी, चाहे वह अपने प्लेटफॉर्म पर व्यापार के दौरान हो या न हो।
- तत्काल आवश्यकता और सावधानी को ध्यान में रखते हुए, CCPA ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 18(1) के तहत वर्तमान मामले का स्वतः संज्ञान लिया है, जो इसे एक वर्ग के रूप में उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा, प्रचार और लागू करने का अधिकार देता है, और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन को रोकना, साथ ही अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकना और यह सुनिश्चित करना कि कोई भी व्यक्ति इस तरह के व्यवहारों में खुद को शामिल न करे।
- इस हस्तक्षेप के माध्यम से, CCPA उपभोक्ताओं के हित को मजबूत करना चाहता है और उनकी भलाई की रक्षा और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
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