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18 अक्टूबर 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की छठी सभा का आयोजन नई दिल्ली में किया जाएगा:
  2. मंत्रिमंडल ने लद्दाख में 13 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना को मंजूरी दी:
  3. राष्ट्रपति ने बिहार का चौथा कृषि रोड मैप का शुभारंभ किया:
  4. कैबिनेट ने विपणन सीजन 2024-25 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी दी:
  5. “हार्टलैंड त्रिपुरा” कार्यक्रम:
  6. MEITY ने क्वांटम, AI और सेमीकंडक्टर पर IBM के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:

1. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की छठी सभा का आयोजन नई दिल्ली में किया जाएगा:

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा:

विषय: बुनियादी ढांचा: ऊर्जा।

प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन से सम्बन्धित जानकारी,विश्व सौर बाजार रिपोर्ट 2023 ।

मुख्य परीक्षा: ग्लोबल वार्मिंग एवं जलवायु परिवर्तन के इस दौर में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की छठी सभा का आयोजन 30 अक्टूबर से 02 नवंबर, 2023 तक नई दिल्ली में किया जाएगा।

उद्देश्य:

  • इस बैठक में आईएसए के 116 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों के मंत्री, मिशन और प्रतिनिधि सहित संभावित देशों, साझेदार संगठनों, निजी क्षेत्र और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
  • आईएसए को भारत और फ्रांस द्वारा संयुक्त रूप से पेरिस में सीओपी21 के बाद शुरु किया गया था।
  • आईएसए की छठी सभा में आईएसए पहलों पर विचार-विमर्श किया जाएगा, जो ऊर्जा पहुंच, ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा अवस्थांतर को प्रभावित करता हैं, इन विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:
    • सौर मिनी-ग्रिडों के माध्यम से ऊर्जा पहुंच का सार्वभौमिकरण
    • सौर की त्वरित तैनाती के लिए वित्त जुटाना
    • सौर के लिए आपूर्ति श्रृंखला और विनिर्माण में विविधता लाना
    • ऊर्जा परिवर्तन में, सौर उर्जा सबसे आगे।

विवरण:

  • नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि आईएसए फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर करने और इसकी पुष्टि करने वाले देशों की संख्या वर्ष 2018 के 47 के मुकाबले दोगुनी होकर 94 हो गई है।
    • अन्य 22 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं और समझौते की पुष्टि करने की प्रक्रिया में हैं।
  • आईएसए का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर ऊर्जा परिवर्तन, राष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा और स्थानीय स्तर पर ऊर्जा पहुंच सुनिश्चित करना है।
  • आईएसए अपने सदस्य देशों में इन परिवर्तनों को लाने के लिए पूर्ण रूप से अनुकूल है।
    • आईएसए के कार्यक्रम सौर अनुप्रयोगों और प्रौद्योगिकियों के पूरे स्पेक्ट्रम को कवर करते हैं।
    • आईएसए सौर क्षमता का प्रदर्शन करने वाली परियोजनाओं को 50,000 अमेरिकी डॉलर तक के अनुदान वाली वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है।
    • आईएसए स्टार-सी पहल के माध्यम से प्रशिक्षित मानव संसाधनों की उपलब्धता को भी सुविधाजनक बनाता है।
    • वर्चुअल ग्रीन हाइड्रोजन इनोवेशन सेंटर को आईएसए द्वारा संचालित किया गया था, जिसे भारत की जी-20 अध्यक्षता में जुलाई, 2023 में ऊर्जा परिवर्तन मंत्रिस्तरीय बैठक में लॉन्च किया गया।
  • आईएसए पूरी दुनिया की परियोजनाओं में 9.5 गीगावॉट सौर ऊर्जा के विकास का समर्थन कर रहा है।
  • इसमें बोली लगाने के लिए संस्थागत अवसंरचना की स्थापना, विनियमों का निर्माण, परियोजनाओं का प्रदर्शन और परियोजनाओं को चलाने की क्षमता शामिल है।

इस वर्ष सौर ऊर्जा में 380 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की उम्मीद है:

  • आईएसए के महानिदेशक ने सौर ऊर्जा में निवेश के बारे में कहा कि सौर ऊर्जा में पिछले वर्ष 310 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश हुआ था और इस वर्ष इसके 380 बिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंचने की उम्मीद है।
  • यह विद्युत उत्पादन क्षेत्र में जीवाश्म ईंधन में उच्चतम निवेश की तुलना में अनुकूल है।
  • महानिदेशक ने कहा कि समस्या यह है कि अधिकांश निवेश ओईसीडी देशों और चीन में हो रहा है।
    • इसलिए इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि बाकी दुनिया में सौर ऊर्जा को कैसे अपनाया जा सकता है।
    • दूसरा, अधिकांश निवेश बड़े सौर उर्जा में किया जा रहा है; छोटे सौर उर्जा तक कैसे पहुंच सकते हैं जैसे जमीन से उपर सौर छतें और सौर मिनी-ग्रिड आदि।
    • तीसरा, केवल एक या दो देशों में ही विनिर्माण का केन्द्रीकरण है; हम इसे भौगोलिक रूप से ज्यादा विविध कैसे बना सकते हैं।

आईएसए की योजना सीओपी28 में सौर स्टॉकटेक को वैश्विक स्टॉकटेक का पूरक करना है:

  • महानिदेशक ने कहा कि आईएसए सौर स्टॉकटेक की योजना बना रहा है जो सीओपी28 के दौरान वैश्विक स्टॉकटेक का पूरक होगा। “हम नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को तीन गुना करने और सौर स्टॉकटेक करने में सीओपी प्रेसीडेंसी का समर्थन करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं जो सीओपी28 में वैश्विक स्टॉकटेक का पूरक होगा।
  • अफ्रीका में अफ्रीकी ग्रीन हाइड्रोजन एसोसिएशन की बैठक में एक प्रशिक्षण पहले ही किया जा चुका है।
  • हम सोलर फॉर शी जैसे नए कार्यक्रमों की भी प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो महिलाओं द्वारा नवीकरणीय उर्जा देखेगा, हमारा लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं सौर उर्जा क्षेत्र में उद्यमी बनें।
  • आईएसए सचिवालय ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार, एशियाई विकास बैंक और अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा सोसायटी के सहयोग से 01 नवंबर, 2023 को स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए नई प्रौद्योगिकियों पर एक उच्च स्तरीय सम्मेलन का आयोजन करने भी योजना बनाई है।
  • यह सम्मेलन जलवायु परिवर्तन और सौर ऊर्जा तैनाती से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर केंद्रित होगा।
  • आईएसए तीन प्रमुख रिपोर्ट भी जारी करेगा जो सौर प्रौद्योगिकी, सौर बाजार और सौर निवेश पर अपडेट प्रदान करेगा।
  • विश्व सौर प्रौद्योगिकी रिपोर्ट 2023 सौर फोटोवोल्टिक (सौर पीवी) पर केंद्रित है, जो क्रिस्टलीय सिलिकॉन प्रौद्योगिकी में उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डालता है।
    • सौर पीवी में असाधारण वृद्धि हुई है और यह 2050 तक कुल नवीकरणीय ऊर्जा की 56.4% हिस्सेदारी पर कब्जा कर सकता है।
    • क्रिस्टलीय सिलिकॉन प्रौद्योगिकी का 98% हिस्सेदारी के साथ बाजार पर मजबूत पकड़ है; विशेष रूप से, मोनोक्रिस्टलाइन और उभरती प्रौद्योगिकियां जैसे ऑर्गेनिक पीवी और पेरोवस्काइट पीवी, जो भविष्य के लिए आशाजनक हैं।
  • विश्व सौर बाजार रिपोर्ट 2023 सौर बाजार के विकास का एक व्यापक विश्लेषण प्रदान करती है, अपने यूरोपीय मूलस्थान से लेकर अपने वर्तमान नेतृत्व एशिया-प्रशांत क्षेत्र तक, एक उल्लेखनीय 37% चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर, 2022 में महत्वपूर्ण बाजार विस्तार और सौर उर्जा अपनाने में क्षेत्रीय गतिशीलता में बदलाव आदि।
  • विश्व सौर निवेश रिपोर्ट 2023 वैश्विक सौर निवेश में 2022 में वृद्धि पर प्रकाश डालती है, 300 बिलियन डॉलर से ज्यादा (2021 की तुलना में 36% ज्यादा)।
    • एशिया प्रशांत, यूरोप और उत्तरी अमेरिका ने चीन, जर्मनी और अमेरिका के साथ शीर्ष निवेश स्थलों के रूप में नेतृत्व किया।
    • एक मजबूत सौर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए, रिपोर्ट का मानना है कि हमें ग्रिड अवसंरचना और भंडारण में निवेश करना चाहिए, आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लानी चाहिए और समावेशी ऊर्जा परिवर्तन के लिए उभरते बाजारों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

आईएसए सभा:

  • आईएसए सभा, आईएसए के लिए निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय है, जिसमें प्रत्येक सदस्य देश का प्रतिनिधित्व होता है।
    • यह निकाय आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते के कार्यान्वयन और इसके उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए समन्वित कार्रवाई से संबंधित निर्णय लेता है।
    • आईएसए की सीट पर मंत्री स्तर पर प्रत्येक वर्ष सभा की बैठक होती है।
    • यह सौर ऊर्जा की तैनाती, निष्पादन, विश्वसनीयता, लागत और वित्त के संदर्भ में कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों के समग्र प्रभाव का आकलन करता है।
  • 109 देश आईएसए फ्रेमवर्क समझौते के हस्ताक्षरकर्ता हैं, जिनमें से 90 देशों ने आईएसए के पूर्ण सदस्य बनने हेतु सत्यापन के लिए के आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं।
    • भारत के पास आईएसए सभा के अध्यक्ष का पद है, जिसमें फ्रांसीसी गणराज्य की सरकार सह-अध्यक्ष है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के संदर्भ में:

  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन 109 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
    • यह पूरी दुनिया में ऊर्जा की पहुंच और सुरक्षा में सुधार के लिए सरकारों के साथ काम करता है और पर्यावरण अनुकूल भविष्य में पहुंचने के एक स्थायी तरीके के रूप में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देता है।
    • आईएसए के मिशन 2030 में सौर ऊर्जा में एक लाख करोड़ डॉलर का निवेश करना है, जबकि प्रौद्योगिकी और इसके वित्तपोषण की लागत कम करना है।
    • यह कृषि, स्वास्थ्य, परिवहन और बिजली उत्पादन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है।
    • आईएसए के सदस्य देश नीतियों और नियमों को लागू करके, सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करके, साझा मानकों पर सहमत होकर और निवेश जुटाकर बदलाव ला रहे हैं।
    • इस कार्य के माध्यम से, आईएसए ने सौर परियोजनाओं के लिए नए व्यापार मॉडल की पहचान, डिजाइन और परीक्षण किया है; कारोबार में सुगमता लाने वाली सोलर एनालिटिक्स और सलाह के माध्यम से सरकारों को अपने ऊर्जा कानून और नीतियों को सौर-अनुकूल बनाने के लिए समर्थन दिया है; विभिन्न देशों से सौर प्रौद्योगिकी की मांग को एक साथ लाया है, जिससे लागत में कमी हुई है; जोखिमों को कम करके वित्त तक आसान पहुंच बनाकर क्षेत्र को निजी निवेश के लिए और आकर्षक बनाया है और सौर इंजीनियरों और ऊर्जा नीति निर्माताओं के लिए सौर प्रशिक्षण, आंकड़े और समझ तक पहुंच में बढ़ोतरी की है।

पृष्ठ्भूमि:

  • आईएसए का गठन 2015 में पेरिस में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के पार्टियों के 21वें सम्मेलन (सीओपी21) में किया गया था।
    • इसकी बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी), विकास वित्तीय संस्थानों (डीएफआई), निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों, नागरिक समाज और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ साझेदारी है जिससे सौर ऊर्जा के माध्यम से विशेष रूप से कम विकसित देशों में ( एलडीसी) और लघु द्वीप विकासशील क्षेत्रों (एसआईडीएस) में लागत प्रभावी और परिवर्तनकारी ऊर्जा समाधान प्रदान किया जा सके।

2. मंत्रिमंडल ने लद्दाख में 13 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना को मंजूरी दी:

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा:

विषय: बुनियादी ढांचा: ऊर्जा।

प्रारंभिक परीक्षा: हरित ऊर्जा गलियारा (जीईसी) चरण- II ,अंतर-राज्य ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) परियोजना।

मुख्य परीक्षा: लद्दाख में 13 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना से हरित ऊर्जा गलियारा (जीईसी) चरण- II ,अंतर-राज्य ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) परियोजना से देश की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा विकसित करने और कार्बन उत्‍सर्जन कम करके पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ विकास को बढ़ावा मिलेगा। टिप्पणी कीजिए।

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने लद्दाख में 13 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना के लिए हरित ऊर्जा गलियारा (जीईसी) चरण- II – अंतर-राज्य ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) परियोजना को स्वीकृति दी।

उद्देश्य:

  • वित्त वर्ष 2029-30 तक स्थापित होने वाली इस परियोजना की अनुमानित लागत 20,773.70 करोड़ रुपये है।
  • परियोजना को केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) के रूप में 40 प्रतिशत यानी 8,309.48 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे।

विवरण:

  • लद्दाख क्षेत्र के जटिल भू-भाग, प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों और रक्षा सीमाओं की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पावरग्रिड) इस परियोजना को लागू करने वाली एजेंसी होगी।
  • अत्याधुनिक वोल्टेज सोर्स कन्वर्टर (वीएससी) आधारित हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट (एचवीडीसी) सिस्टम और एक्स्ट्रा हाई वोल्टेज अल्टरनेटिंग करंट (ईएचवीएसी) प्रणाली लगाई जाएगी।
  • बिजली ट्रांसमिशन लाइन हिमाचल प्रदेश और पंजाब से होकर हरियाणा के कैथल तक जाएगी, जहां इसे राष्ट्रीय ग्रिड के साथ जोड़ा जाएगा।
  • लेह में इस परियोजना से मौजूदा लद्दाख ग्रिड तक इंटरकनेक्शन की भी योजना बनाई गई है ताकि लद्दाख को विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
  • इसे जम्मू-कश्मीर को बिजली प्रदान करने के लिए लेह-अलुस्टेंग-श्रीनगर लाइन से भी जोड़ा जाएगा।
  • इस परियोजना में पांग (लद्दाख) और कैथल (हरियाणा) में 713 किमी ट्रांसमिशन लाइनें (480 किमी एचवीडीसी लाइन सहित) और 5 गीगावॉट क्षमता वाले हाई वोल्टेज डायरेक्ट करंट टर्मिनल की स्थापना शामिल होगी।
  • यह परियोजना वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से 500 गीगावॉट स्थापित बिजली क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान देगी।
    • इससे देश की दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा विकसित करने और कार्बन उत्‍सर्जन कम करके पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ विकास को बढ़ावा मिलेगा।
    • इससे विशेष रूप से लद्दाख क्षेत्र में बिजली और अन्य संबंधित क्षेत्रों में कुशल और अकुशल दोनों कर्मियों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के कई अवसर सृजित होंगे।
  • यह परियोजना अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर चरण-II (एसटीएस जीईसी-II) के अतिरिक्त है, जो पहले से ही गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश राज्यों में ग्रिड एकीकरण और बिजली से ग्रिड तक पहुंचाने के क्रम में है।
  • वर्ष 2026 तक 20 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त होने की उम्मीद है।
    • इसकी अनुमानित लागत 12,031.33 करोड़ रुपये और सीएफए 33 प्रतिशत दिया जाएगा यानी परियोजना के लिए कुल 3970.34 करोड़ रुपये सीएफए के अंतर्गत प्रदान किए जाएंगे।

पृष्ठ्भूमि:

  • प्रधानमंत्री ने 15.08.2020 को स्वतंत्रता दिवस पर भाषण के दौरान लद्दाख में 7.5 गीगावॉट सोलर पार्क स्थापित करने की घोषणा की थी।
  • व्यापक क्षेत्र सर्वेक्षण के बाद, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने लद्दाख के पंग में 12 गीगावॉट बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) के साथ 13 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) उत्पादन क्षमता स्थापित करने की योजना तैयार की।
  • बिजली की इस विशाल मात्रा को निकालने के लिए एक अंतर-राज्य पारेषण बुनियादी ढांचा बनाना आवश्यक होगा।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. राष्ट्रपति ने बिहार का चौथा कृषि रोड मैप का शुभारंभ किया:

  • राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 18 अक्टूबर, 2023 को पटना में बिहार के चौथे कृषि रोड मैप (2023-2028) का शुभारंभ किया।
  • राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि कृषि बिहार की लोक संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और बिहार की अर्थव्यवस्था का मूल आधार है।
    • कृषि और उससे जुड़ा क्षेत्र न सिर्फ राज्य के लगभग आधे कार्यबल को रोजगार देते हैं, बल्कि राज्य की जीडीपी में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान है, इसलिए कृषि क्षेत्र का सर्वांगीण विकास बहुत जरूरी है।
  • बिहार सरकार 2008 से कृषि रोड मैप लागू कर रही है।
  • पिछले तीन कृषि रोड मैप लागू होने का ही परिणाम है कि राज्य में धान, गेहूं और मक्का की उत्पादकता बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई है।
    • मशरूम, शहद, मखाना और मछली के उत्पादन में भी बिहार अन्य राज्यों से काफी आगे हो गया है। उन्होंने कहा कि चौथे कृषि रोड मैप का शुभारंभ वह महत्वपूर्ण कदम है, जिससे इस प्रयास को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • ऐसा माना जाता है कि बिहार के किसान खेती में नई तकनीकों और नए प्रयोगों को अपनाने के मामले में बहुत आगे है।
    • यही कारण है कि एक नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री ने नालंदा के किसानों को “वैज्ञानिकों से भी महान” कहा।
  • आधुनिक खेती के तरीकों को अपनाने के बावजूद, बिहार के किसानों ने कृषि के पारंपरिक तरीकों और अनाज की किस्मों को संरक्षित रखा है।
    • उन्होंने इसे आधुनिकता के साथ परंपरा के सामंजस्य का अच्छा उदाहरण बताया।
  • राष्ट्रपति ने बिहार के किसानों से आग्रह किया कि वे जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग का लाभ उठाएं।
    • जैविक खेती न सिर्फ कृषि की लागत कम करने और पर्यावरण संरक्षण में सहायक है, बल्कि यह किसानों की आय बढ़ाने और लोगों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने में भी सक्षम है।
    • बिहार सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गंगा के किनारे के जिलों में एक जैविक गलियारा बनाया है।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन संपूर्ण मानवता के अस्तित्व के लिए खतरा है, लेकिन इनका सबसे ज्यादा असर गरीबों पर पड़ता है।
    • बिहार में हाल के वर्षों में बहुत कम वर्षा हुई है।
    • बिहार जल-समृद्ध राज्य माना गया है और नदियां और तालाब इस राज्य की पहचान रहे हैं।
    • इस पहचान को कायम रखने के लिए जल संरक्षण पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
    • जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में जलवायु अनुकूल कृषि महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
    • वर्तमान कृषि पद्धति में बदलाव लाकर जैव-विविधता को बढ़ावा दिया जा सकता है, जल संसाधनों के दोहन को कम किया जा सकता है, मिट्टी की उर्वरता को संरक्षित किया जा सकता है और सबसे बढ़कर लोगों की थाली तक संतुलित भोजन पहुंचाया जा सकता है।
  • राष्ट्रपति यह जानकर बहुत प्रसन्न हुईं कि बिहार की प्रमुख फसल मक्का से इथेनॉल का उत्पादन किया जा रहा है।
    • यह देश की जीवाश्म ईंधन और ऊर्जा सुरक्षा पर निर्भरता कम करने तथा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • राष्ट्रपति ने कहा कि विकसित भारत के सपने को पूरा करने में बिहार का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए हमें संकीर्ण मानसिकता से ऊपर उठना होगा।
    • बिहार को विकसित राज्य बनाने के लिए समग्र विकास के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
    • नीति-निर्माताओं और बिहार के लोगों को राज्य की प्रगति के लिए एक रोड मैप तय कर उसे लागू करना होगा।

2. कैबिनेट ने विपणन सीजन 2024-25 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी दी:

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विपणन सीजन 2024-25 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है।
  • सरकार ने विपणन सीजन 2024-25 के लिए रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके। एमएसपी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दाल (मसूर) के लिए 425 रुपये प्रति क्विंटल और इसके बाद रेपसीड एवं सरसों के लिए 200 रुपये प्रति क्विंटल की मंजूरी दी गई है।
  • गेहूं और कुसुम में से प्रत्येक के लिए 150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है।
  • जौ और चने के लिए क्रमश: 115 रुपये प्रति क्विंटल और 105 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है।

एमएसपी में की गई बढ़ोतरी:

  • दाल (मसूर) के लिए 6425 रुपये
  • रेपसीड एवं सरसों के लिए 5650 रुपये
  • गेहूं 2275 रुपये और कुसुम 5800 रुपये
  • जौ 1850 रुपये और चने 5440 रुपये
  • विपणन सीजन 2024-25 के लिए अनिवार्य रबी फसलों की एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर निर्धारित करने की बात कही गई थी।
    • अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर अपेक्षित लाभ गेहूं के लिए 102 प्रतिशत; रेपसीड और सरसों के लिए 98 प्रतिशत; दाल के लिए 89 प्रतिशत; चने के लिए 60 प्रतिशत; जौ के लिए 60 प्रतिशत और कुसुम के लिए 52 प्रतिशत है।
    • रबी फसलों की इस बढ़ी हुई एमएसपी से किसानों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित होगा और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • सरकार खाद्य सुरक्षा बढ़ाने, किसानों की आय में वृद्धि करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए तिलहन, दलहन और श्रीअन्न/मोटे अनाजों की ऊपज बढ़ाने के क्रम में फसल विविधीकरण को बढ़ावा दे रही है।
    • मूल्य नीति के अलावा, सरकार ने वित्तीय सहायता प्रदान करने व तिलहन और दलहन की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने हेतु गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम), प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) और राष्ट्रीय तिलहन और ऑयल पाम मिशन (एनएमओओपी) जैसी विभिन्न पहलें की हैं।
  • इसके अतिरिक्त, देश भर में प्रत्येक किसान तक किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना का लाभ पहुंचाने के लिए, सरकार ने किसान ऋण पोर्टल (केआरपी), केसीसी घर-घर अभियान और मौसम सूचना नेटवर्क डेटा प्रणाली (विंड्स) का शुभारंभ किया है।
  • विंड्स का उद्देश्य किसानों को अपनी फसल के संबंध में निर्णय लेने में सशक्त बनाने के लिए मौसम की समय पर और सटीक जानकारी प्रदान करना है।
  • इन पहलों का लक्ष्य कृषि में क्रांति लाना, वित्तीय समावेश का विस्तार करना, डेटा उपयोग को अधिकतम करना और देश भर में किसानों के जीवन को बेहतर बनाना है।

3. “हार्टलैंड त्रिपुरा” कार्यक्रम:

  • केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता तथा इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर अगरतला में डेलॉइट व राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईईएलआईटी) के सहयोग से शुरू की जा रही एक कौशल विकास पहल “हार्टलैंड त्रिपुरा” का शुभारंभ करेंगे।
  • इस परियोजना को अगरतला में रबीन्द्र सताबर्षिकी भवन में प्रारंभ किया जाएगा और इसका उद्देश्य इंजीनियरिंग तथा गैर-इंजीनियरिंग विषयों में स्नातक छात्रों को कौशल विकास एवं रोजगार के अवसर प्रदान करना है।
  • “हार्टलैंड त्रिपुरा” कार्यक्रम को भारत सरकार और त्रिपुरा सरकार की सहभागिता में अगरतला के राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के सहयोग से डेलॉइट द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • इस कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह के अवसर पर भारत सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कुमारी प्रतिमा भौमिक सम्मानित अतिथि के रूप में शामिल होंगी।
  • “हार्टलैंड त्रिपुरा” कार्यक्रम त्रिपुरा के लिए अगरतला के राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के माध्यम से कौशल विकास प्रमाणन पाठ्यक्रमों का एक विशिष्ट सेट प्रदान करेगा।
    • इसमें चुनिंदा पेशेवरों को भी इंटर्नशिप में चयनित होने का अवसर मिलेगा, जिससे प्रमाणन और इंटर्नशिप आवश्यकताओं को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद उन्हें बेहतर नौकरी करने की संभावनाएं प्राप्त होंगी।
  • “हार्टलैंड त्रिपुरा” योजना के अंतर्गत पेश किए जाने वाले प्रमाणन पाठ्यक्रमों में नए युग के तकनीकी व व्यावसायिक विकास कौशल जैसे साइबर सुरक्षा, आंतरिक मूल्यांकन और विश्लेषण संबंधी ज्ञान के साथ-साथ व्यावसायिक संचार तथा कार्यकारी निकटता जैसे लघु कौशल की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल किया जा रहा है।

4. MEITY ने क्वांटम, AI और सेमीकंडक्टर पर IBM के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:

  • आईबीएम ने भारत के लिए एआई, सेमीकंडक्टर और क्वांटम प्रौद्योगिकी में नवाचार को आगे बढ़ाने और तेज करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के साथ जुड़ी तीन संस्थाओं के साथ तीन समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की।
  • इस कार्य निकाय का लक्ष्य एआई के लिए भारत की व्यापक राष्ट्रीय रणनीति में तेजी लाना, सेमीकंडक्टर्स में आत्मनिर्भर होने के प्रयासों को मजबूत करना और अपने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को आगे बढ़ाना होगा।
  • ये समझौता ज्ञापन MeitY को भारत की योग्यता को बनाने और आगे बढ़ाने और एआई, सेमीकंडक्टर और क्वांटम उद्योगों में अपने विकास मिशन को बढ़ाने के लिए आईबीएम की विशेषज्ञता तक पहुंचने में मदद करेंगे।

गतिविधियों का उद्देश्य निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित करना है:

  • आईबीएम और इंडियाएआई – डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन भारत के लिए एक विश्व स्तरीय राष्ट्रीय एआई इनोवेशन प्लेटफॉर्म (एआईआईपी) स्थापित करने के लिए सहयोग करने का इरादा रखते हैं।
  • जो इस तकनीक में भारत के वैज्ञानिक, वाणिज्यिक और मानव-पूंजी विकास का समर्थन करने के लिए एआई कौशल, पारिस्थितिकी तंत्र विकास और उन्नत फाउंडेशन मॉडल और जेनरेटिव एआई क्षमताओं को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
  • एआईआईपी राष्ट्रीय महत्व के उपयोग के मामलों के लिए एआई प्रौद्योगिकियों और उनके अनुप्रयोगों में ऊष्मायन और योग्यता विकास के लिए एक त्वरक के रूप में काम करेगा।
  • आईबीएम सेमीकंडक्टर अनुसंधान केंद्र के लिए भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) का ज्ञान भागीदार होगा। आईबीएम बौद्धिक संपदा, उपकरण, पहल और कौशल विकास पर आईएसएम के साथ अपने अनुभव को साझा कर सकता है, जिसका उद्देश्य आधुनिक बुनियादी ढांचे का उपयोग करके तर्क, उन्नत पैकेजिंग और विषम एकीकरण, और उन्नत चिप डिजाइन प्रौद्योगिकियों जैसी अर्धचालक प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा देना है।
  • आईबीएम और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डीएसी) क्वांटम कंप्यूटिंग तकनीक, राष्ट्रीय हित के क्षेत्रों में अनुप्रयोगों और एक कुशल क्वांटम कार्यबल में योग्यता का निर्माण करके भारत के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन की प्रगति का समर्थन करने के लिए मिलकर काम करने के अवसर भी तलाशेंगे।
    • गतिविधियाँ मोटे तौर पर इन पर केंद्रित होंगी: कार्यबल को सक्षम बनाना; उद्योगों और स्टार्टअप का विकास; अनुसंधान एवं विकास; और क्वांटम सेवाएँ और बुनियादी ढाँचा।
  • यह सहयोग भारत की नवप्रवर्तन क्षमताओं को बढ़ाने में उसका विश्वसनीय भागीदार बनने की हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।
    • प्रौद्योगिकी के इन तीन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण, मानव पूंजी को बढ़ाने और ज्ञान सृजन में सरकार के प्रयासों का समर्थन करना भारत के डिजिटल परिवर्तन और आर्थिक विकास का अभिन्न अंग होगा।

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