विषयसूची:
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1.विश्व मधुमक्खी दिवस समारोह 2023:
सामान्य अध्ययन-3
कृषि:
विषय: कृषि एवं संबद्ध गतिविधियां
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन व शहद मिशन और विश्व मधुमक्खी दिवस के बारे में
संदर्भ:
- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 20 मई, 2023 को राजा भोज कृषि महाविद्यालय, वारासिवनी, बालाघाट, मध्यप्रदेश में विश्वमधुमक्खी दिवस मनाया जा रहा है।
विवरण:
- इस कार्यक्रम में लगभग 1000 किसानों/मधुमक्खीपालकों/प्रोसेसरों/उद्यमियों और शहद उत्पादन से जुड़े सभी हितधारकों के भाग लेने की उम्मीद है।
- मधुमक्खी पालन के महत्व को ध्यान में रखते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रचुर प्रयास किये गए हैं और किये जा रहे हैं जिसमें केंद्रीय वित्तपोषित योजना “राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन व शहद मिशन” भी सम्मिलित है जिसे आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन के समग्र प्रचार व विकास तथा “मीठी क्रांति” के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रारंभ किया गया है।
- छोटे और सीमांत किसानों के बीच वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन और उद्यमशीलता को समग्र रूप से बढ़ावा देने, फसलोपरांत प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचे के विकास और अनुसंधान एवं विकास के लिए सहायता के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के माध्यम से राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन लागू किया गया है।
- भारत की विविध कृषि-जलवायु परिस्थितियों में मधुमक्खी पालन/शहद उत्पादन के लिए पर्याप्त संभावनाएं हैं।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के लिए गुणवत्ता मानकों को बनाए रखते हुए और अन्य मधुमक्खी उत्पादों जैसे; मधुमक्खी पराग, मधुमक्खी मोम, रॉयल जेली, प्रोपोलिस और मधुमक्खी वेनोम के उत्पादन को बढ़ावा देकर शहद के उत्पादन और परीक्षण को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक तकनीक अपनाई जा रही है।
- मधुमक्खियां स्वास्थ्य सेवा और अन्य क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले उच्च गुणवत्ता वाले आहार और अन्य उत्पादों को प्रदान करने में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन मधुमक्खियों का काम इससे कहीं अधिक है।
- प्रभावी परागण से कृषि उपज में वृद्धि होती है और उनकी गुणवत्ता में सुधार होता है।
- इस प्रकार भारत में मधुमक्खी पालन एक महत्वपूर्ण कृषि-व्यवसाय गतिविधि है जिससे न केवल किसानों को अच्छा रिटर्न प्राप्त होता है बल्कि देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए कृषि उत्पादकता बढ़ाने में भी सहायता मिलती है।
राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन व शहद मिशन (NBHM):
- देश में एकीकृत कृषि प्रणाली के तहत मधुमक्खी पालन के महत्व को ध्यान में रखते हुए सरकार ने तीन साल (2020-21 से 2022-23) के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन व शहद मिशन (NBHM) को 500 करोड़ रुपये के आवंटन को स्वीकृति दे दी है।
- इस मिशन की घोषणा आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत की गई थी।
- राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन व शहद मिशन का उद्देश्य ‘मीठी क्रांति’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश में वैज्ञानिक आधार पर मधुमक्खी पालन का व्यापक संवर्धन और विकास है, जिसे राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (NBB) के माध्यम से लागू किया जा रहा है।
- राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन व शहद मिशन का मुख्य उद्देश्य कृषि और गैर कृषि परिवारों के लिए आमदनी और रोजगार संवर्धन के उद्देश्य से मधुमक्खी पालन उद्योग के समग्र विकास को प्रोत्साहन देना, कृषि/ बागवानी उत्पादन को बढ़ाना, अवसंरचना सुविधाओं के विकास के साथ ही एकीकृत मधुमक्खी विकास केन्द्र (IBDC)/ COE, शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं, मधुमक्खी रोग नैदानिकी प्रयोगशालाएं, परम्परागत भर्ती केन्द्रों, एपि थेरेपी केन्द्रों, न्यूक्लियस स्टॉक, बी ब्रीडर्स आदि की स्थापना और मधुमक्खी पालन के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण है।
- इसके अलावा, योजना का उद्देश्य मिनी मिशन-1 के अंतर्गत वैज्ञानिक पद्धति से मधुमक्खी पालन, इसके प्रबंधन, मधुमक्खी उत्पादों के बारे में जागरूकता के प्रसार के साथ ही मिनी मिशन-2 के अंतर्गत संग्रहण, प्रसंस्करण, भंडारण, विपणन, मूल्य संवर्धन आदि और मिनी मिशन-3 के अंतर्गत मधुमक्खी पालन में शोध एवं प्रौद्योगिकी शामिल हैं।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.एशिया पेट्रोकेमिकल उद्योग सम्मेलन 2023:
- केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री ने एशिया पेट्रोकेमिकल उद्योग सम्मेलन 2023 की अध्यक्षता करते हुए कहा, “भारत वैश्विक स्तर पर पेट्रोकेमिकल्स का नया गंतव्य देश बनने की राह पर है।
- इस आयोजन का विषय था “सतत भविष्य की शुरुआत।“
- एशिया पेट्रोकेमिकल उद्योग सम्मेलन (APIC) सात भागीदार देशों – भारत, जापान, कोरिया, मलेशिया, सिंगापुर, ताइवान और थाईलैंड की सदस्यता के साथ एक व्यापक दृष्टिकोण पर आधारित पेट्रोकेमिकल उद्योग सम्मेलन है।
- इस उद्योग सम्मेलन को जापान, कोरिया और ताइवान द्वारा 40 साल पहले 1979 में पूर्वी एशिया पेट्रोकेमिकल उद्योग सम्मेलन (EAPIC) के रूप में स्थापित किया गया था।
- भारत, मलेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड को शामिल करने के साथ 2000 में इसे एशिया पेट्रोकेमिकल उद्योग सम्मेलन (APIC) का नया नाम दिया गया।
- भागीदार देश संघों द्वारा क्रमिक आधार पर APIC की वार्षिक रूप से मेजबानी की जाती है।
2.ब्रह्मपुत्र पर सात धार्मिक स्थलों को जोड़ने के लिए ‘नदी तट धार्मिक पर्यटन सर्किट’ के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए:
- असम में नदी तट धार्मिक पर्यटन सर्किट के विकास के लिए गुवाहाटी में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण, सागरमाला विकास निगम लिमिटेड, असम पर्यटन विकास निगम और अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन विभाग, असम सरकार के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
- इससे असम में नदी पर्यटन क्षेत्र में एक नए अध्याय का शुभारंभ होगा।
- यह समझौता ज्ञापन गुवाहाटी के आसपास सात ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों के बीच ‘हॉप ऑन हॉप ऑफ’ (Hop On Hop Off) पर आधुनिक नौका सेवा की सुविधा प्रदान करेगा और प्रसिद्ध सात धार्मिक स्थलों कामाख्या, पांडुनाथ, अश्वकलांता, डौल गोविंदा, उमानंद, चक्रेश्वर और औनियाती सतरा को कवर किया जाएगा। फेरी टर्मिनल पर यात्रियों के लिए प्रतीक्षालय में आरामदायक माहौल के आधुनिक सुविधाएं प्रदान की जाएगी।
- इस परियोजना पर 45 करोड़ रुपये की लागत आएगी और यह एक साल के भीतर पूरी हो जाएगी। ये सेवा हनुमान घाट, उजान बाजार से आरंभ होगी और सातों धार्मिक स्थलों को 2 घंटे से भी कम समय में पूरा करेगी।
- सागरमाला विकास निगम लिमिटेड और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण संयुक्त रूप से परियोजना लागत के 55 प्रतिशत का योगदान देंगे जबकि शेष असम पर्यटन विकास निगम द्वारा प्रदान किया जाएगा।
- अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन विभाग ने परियोजना के लिए मंदिरों के पास घाटों का नि:शुल्क उपयोग करने की सहमति दी है।
3.पहली बार रक्षा उत्पादन 1 लाख करोड़ रुपए के पार:
- रक्षा मंत्रालय के सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप वित्तीय-वर्ष 2022-23 में रक्षा उत्पादन का मूल्य पहली बार एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है।
- वर्तमान में इसका मूल्य 1,06,800, करोड़ है और निजी रक्षा उद्योगों से आंकड़े प्राप्त होने के बाद इसके और अधिक होने की संभावना है।
- वित्तीय-वर्ष 2022-23 में वर्तमान रक्षा उत्पादन का मूल्य वित्तीय वर्ष 2021-22 के आंकड़े 95,000 करोड़ रुपये की तुलना में 12% तक बढ़ा गया है।
- सरकार देश में रक्षा क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाने के लिए और उनकी चुनौतियों को कम करने के लिए रक्षा-उद्योग और उनके संघों के साथ लगातार काम कर रही है।
- आपूर्ति श्रृंखला में सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योगों और स्टार्टअप के एकीकरण सहित ‘व्यवसाय में सुगमता’ जैसे उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई नीतिगत बदलाव किए गए हैं।
- इन नीतिगत बदलावों के कारण MSME और स्टार्टअप समेत उद्योग रक्षा डिजाइन, विकास और उत्पादन में आगे आ रहे हैं और सरकार द्वारा पिछले सात-आठ वर्षों में उद्योगों को जारी किए गए रक्षा उत्पादन लाइसेंसों की संख्या में लगभग 200% की वृद्धि हुई है।
- इन उपायों ने देश में रक्षा-उत्पादन उद्योग इको सिस्टम को बढ़ावा देने के साथ रोजगार के भी पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराए हैं।
19 May PIB :- Download PDF Here
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