विषयसूची:
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प्रधानमंत्री ने डेफएक्सपो22 का उद्घाटन किया:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन,अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: भारत के हितों पर विभिन्न विकसित और विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: स्वदेशी ट्रेनर विमान-एचटीटी-40,दूसरा हिंद महासागर क्षेत्र+ (आईओआर+) सम्मेलन से संबंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: डेफएक्सपो22 का आयोजन नए भारत और इसकी क्षमताओं की एक तस्वीर पेश करता है। कथन की व्याख्या कीजिए।
प्रसंग:
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प्रधानमंत्री ने 19 अक्टूबर को गुजरात के गांधीनगर में महात्मा मंदिर सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र में डेफएक्सपो22 का उद्घाटन किया।
उद्देश्य:
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डेफएक्सपो के इस संस्करण की विशिष्टता यह है कि यह पहला रक्षा एक्सपो है, जिसमें केवल भारतीय कंपनियां भाग ले रही हैं और इसमें केवल मेड इन इंडिया उपकरण ही शामिल हैं।
विवरण:
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इंडिया पवेलियन में, प्रधानमंत्री ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा डिजाइन किए गए स्वदेशी ट्रेनर विमान-एचटीटी-40 का अनावरण किया।
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इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने मिशन डेफस्पेस का भी शुभारंभ किया और गुजरात में डीसा एयरफील्ड की आधारशिला रखी।
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एक्सपो में 1300 से अधिक प्रदर्शक हैं जिनमें भारत का रक्षा उद्योग, भारतीय रक्षा उद्योग से जुड़े कुछ संयुक्त उद्यम, एमएसएमई और 100 से अधिक स्टार्टअप शामिल हैं।
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यह एक ही फ्रेम में भारत की क्षमता और संभावना की एक झलक प्रदान करता है। पहली बार 400 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं।
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विभिन्न देशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया आ रही हैं जिसमे अफ्रीका के 53 मित्र देश भारत के साथ आ रहे हैं।
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इस अवसर पर दूसरी भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता भी हो रही हैं।
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अफ्रीका और गुजरात के बीच पुराने संबंधों के बारे में बताते हुए, प्रधानमंत्री ने याद किया कि अफ्रीका में पहली रेलवे लाइनों में कच्छ के लोगों की भागीदारी थी।
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अफ्रीका में दैनिक जीवन में उपयोग किए जाने वाले अनेक शब्दों की उत्पत्ति अफ्रीका में गुजराती समुदाय से हुई है।
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“महात्मा गांधी जैसे वैश्विक नेता के लिए भी, अगर गुजरात उनकी जन्मभूमि थी, तो अफ्रीका उनकी पहली ‘कर्मभूमि’ थी।
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अफ्रीका के प्रति यह आत्मीयता अभी भी भारत की विदेश नीति के केन्द्र में है।
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कोरोना काल में जब पूरी दुनिया वैक्सीन को लेकर चिंतित थी, तब भारत ने अफ्रीका में अपने मित्र देशों को प्राथमिकता देते हुए वैक्सीन दी।
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एक्सपो के दौरान दूसरा हिंद महासागर क्षेत्र+ (IOR+) सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा, जो क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप शांति, विकास, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए आईओआर+ देशों के बीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक बातचीत का मंच प्रदान करेगा।
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आज अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर वैश्विक व्यापार तक, समुद्री सुरक्षा वैश्विक प्राथमिकता के रूप में उभरी है। वैश्वीकरण के युग में मर्चेंट नेवी की भूमिका का भी विस्तार हुआ है।
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गुजरात में डीसा एयरफील्ड की आधारशिला रखी गई। यह अग्रिम वायु सैनिक अड्डा देश की सुरक्षा बनावट में इजाफा करेगा।
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सीमा के साथ डीसा की निकटता अब भारत पश्चिमी सीमाओं पर किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए बेहतर तरीके से तैयार है।
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“मिशन डिफेंस स्पेस” न केवल नवाचार को प्रोत्साहित करेगा और हमारे बलों को मजबूत करेगा बल्कि नए और अभिनव समाधान भी प्रदान करेगा।
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प्रधानमंत्री ने बताया कि 60 से अधिक विकासशील देश हैं जिनके साथ भारत अपना अंतरिक्ष विज्ञान साझा कर रहा है।दक्षिण एशिया उपग्रह इसका एक प्रभावी उदाहरण है।
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अगले साल तक, दस आसियान देशों को भी भारत के उपग्रह डेटा तक रीयल-टाइम पहुंच मिल जाएगी। यहां तक कि यूरोप और अमेरिका जैसे विकसित देश भी हमारे सैटेलाइट डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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8 साल पहले तक भारत को दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा आयातक माना जाता था। लेकिन पिछले 5 वर्षों में हमारा रक्षा निर्यात 8 गुना बढ़ा है।
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हम दुनिया के 75 से अधिक देशों में रक्षा सामग्री और उपकरणों का निर्यात कर रहे हैं।
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2021-22 में भारत से रक्षा निर्यात 1.59 अरब डॉलर यानी करीब 13 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया। आने वाले समय में हमने इसे 5 अरब डॉलर यानी 40 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
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दुनिया आज भारत की तकनीक पर निर्भर है क्योंकि भारत की सेनाओं ने अपनी क्षमता साबित कर दी है।
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भारतीय नौसेना ने आईएनएस-विक्रांत जैसे अत्याधुनिक विमानवाहक पोतों को अपने बेड़े में शामिल किया है।
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इंजीनियरिंग जाइंट और विशाल कृति को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने स्वदेशी तकनीक से बनाया है।
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भारतीय वायु सेना द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत विकसित किए गए प्रचंड हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों को शामिल करना भारत की रक्षा क्षमता का एक स्पष्ट उदाहरण है।
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भारत के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सेनाओं ने उपकरणों की दो सूचियों को भी अंतिम रूप दिया है, जिन्हें केवल देश के भीतर ही खरीदा जाएगा।
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ऐसे ही 101 मदों की सूची आज जारी की जा रही है। ये फैसले आत्मनिर्भर भारत की क्षमता को भी दर्शाते हैं।
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सूची के बाद रक्षा क्षेत्र के 411 ऐसे उपकरण और रक्षा क्षेत्र के उपकरण होंगे, जिन्हें सिर्फ ‘मेक इन इंडिया’ के तहत खरीदा जाएगा।
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प्रधानमंत्री ने बताया कि इतना बड़ा बजट भारतीय कंपनियों की नींव को मजबूत करेगा और उन्हें नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
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इससे देश के युवा सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे।
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प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि रक्षा आपूर्ति के क्षेत्र में कुछ कंपनियों के एकाधिकार के स्थान पर कुछ विश्वसनीय विकल्प उत्पन्न हुए हैं।
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भारत के युवाओं ने रक्षा उद्योग में इस एकाधिकार को तोड़ने की ताकत दिखाई है और हमारे युवाओं का यह प्रयास वैश्विक भलाई के लिए है।
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दुनिया के छोटे-छोटे देश जो संसाधनों के अभाव में अपनी सुरक्षा में पीछे रह गए हैं, उन्हें अब इसका बड़ा लाभ मिलेगा।
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भारत उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो रक्षा गलियारे बना रहा है तथा दुनिया की कई बड़ी कंपनियां भारत में निवेश करने आ रही हैं।
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इस निवेश के पीछे आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक बड़ा नेटवर्क बनाने के दौरान इन बड़ी कंपनियों को हमारे एमएसएमई द्वारा समर्थित किया जाएगा।
पृष्ठ्भूमि:
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प्रधानमंत्री ने डेफएक्सपो22 का उद्घाटन किया।
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एक्सपो का विषय है-‘पाथ टू प्राइड।’ यह एक्सपो, अब तक आयोजित भारतीय रक्षा एक्सपो में अब तक की सबसे बड़ी भागीदारी का साक्षी है।
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पहली बार, यह विशेष रूप से भारतीय कंपनियों के लिए आयोजित एक रक्षा प्रदर्शनी का गवाह बनेगा, जिसमें विदेशी ओईएम की भारतीय सहायक कंपनियां, भारत में पंजीकृत कंपनी का डिवीजन, एक भारतीय कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम वाले प्रदर्शक शामिल हैं।
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यह आयोजन भारतीय रक्षा निर्माण कौशल के व्यापक दायरे और पैमाने का प्रदर्शन करेगा।
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यह एक्सपो ‘भारत-अफ्रीका : रक्षा और सुरक्षा सहयोग के तालमेल के लिए रणनीति अपनाने’ विषय के तहत दूसरी भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता का गवाह बनेगा।
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एक्सपो के दौरान रक्षा के लिए पहली निवेशक बैठक होगी।
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रक्षा नवाचार कार्यक्रम आईडीईएक्स (रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार), मंथन 2022 में सौ से अधिक स्टार्टअप्स को अपने नवाचारों को प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा।
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इस आयोजन में ‘बंधन’ कार्यक्रम के माध्यम से 451 साझेदारियां/लॉन्च भी होंगे।
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नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCRF) का मसौदा प्रस्तुत:
सामान्य अध्ययन: 2
शिक्षा:
विषय:शिक्षा से संबंधित सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP),नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCRF) से संबंधित तथ्य।
प्रसंग:
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केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री ने जन परामर्श के लिए नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCRF) के मसौदे को प्रस्तुत किया।
उद्देश्य:
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के विजन को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (NCRF) विकसित किया है ताकि अकादमिक और व्यावसायिक क्षेत्रों का एकीकरण सुनिश्चित किया जा सके जिससे दोनों के बीच लचीलापन और गतिशीलता आए।
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NCRF एक बड़ा बदलाव लाने वाला साबित होगा।
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ये छात्रों की आगे की प्रगति के लिए कई विकल्पों को खोलेगा और व्यावसायिक शिक्षा व अनुभवात्मक शिक्षा के साथ स्कूल और उच्च शिक्षा के बीच संपर्क सुनिश्चित करेगा, जिससे कौशल प्रदानता और वोकेशनल शिक्षा को मुख्यधारा में लाया जा सकेगा।
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जो विद्यार्थी मुख्यधारा की शिक्षा से बाहर हो गए हैं, NCRF उन्हें शिक्षा इकोसिस्टम में फिर से प्रवेश करने में सक्षम करेगा।
विवरण:
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भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए अगले 25 वर्षों में एक विकसित भारत के विजन को पूरा करना होगा और अपनी शतप्रतिशत आबादी को सशक्त बनाना है और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए NEP के तहत नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क सबसे महत्वपूर्ण साधन साबित होगा।
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अगले दो-तीन वर्षों में 100 प्रतिशत साक्षरता हासिल करने के लिए ज्ञान प्राप्ति, व्यावहारिक प्रशिक्षण, सकारात्मक सामाजिक परिणामों के लिए क्रेडिट्स महत्वपूर्ण कदम साबित होंगे।
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राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता ढांचा (NHEQF), राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचा (NSQF) और राष्ट्रीय स्कूल शिक्षा योग्यता ढांचा (NSEQF) को शामिल करके नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा और व्यावसायिक और कौशल शिक्षा के माध्यम से अर्जित क्रेडिट्स को निर्बाध रूप से एकीकृत करेगा।
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यह उन छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षा में तेजी को समर्थन देता है जिनके पास सीखने की अनूठी प्रतिभा है और ये उस कार्यबल के पहले से सीखे होने को मान्यता देता है जिन्होंने पारंपरिक पारिवारिक विरासत, काम के अनुभव या अन्य तरीकों से अनौपचारिक रूप से ज्ञान और कौशल हासिल किया है।
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प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- प्रधानमंत्री ने डेफएक्सपो 2022 के दौरान HAL द्वारा डिजाइन एवं विकसित किए गए स्वदेशी ट्रेनर विमान एचटीटी-40 का अनावरण किया:
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प्रधानमंत्री ने 19 अक्टूबर, 2022 को गुजरात के गांधीनगर में 12वें डेफएक्सपो के दौरान इंडिया पवेलियन में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा डिजाइन एवं विकसित किए गए एक स्वदेशी ट्रेनर विमान एचटीटी-40 का अनावरण किया।
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यह ट्रेनर विमान अत्याधुनिक समकालीन प्रणालियों से लैस है और इसे पायलट-अनुकूल सुविधाओं के साथ डिजाइन किया गया है।
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कुल 60 प्रतिशत से अधिक इन-हाउस पुर्जों और निजी उद्योग के सहयोग से निर्मित यह विमान ‘आत्मनिर्भर भारत’के विजन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
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एचटीटी-40 का उपयोग बुनियादी उड़ान प्रशिक्षण, एरोबेटिक्स, इंस्ट्रूमेंट फ्लाइंग और क्लोज फॉर्मेशन उड़ानों के लिए किया जाएगा।
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जबकि,इसकी द्वितीयक भूमिकाओं में संरक्षा और रात की उड़ान शामिल होंगी। यह भारतीय रक्षा सेवाओं की प्राथमिक प्रशिक्षण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन की गई अत्याधुनिक तकनीक का एक प्रमाण है।
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सावधानीपूर्वक परीक्षण किए गए टर्बो-प्रोप इंजन पर आधारित, यह विमान नवीनतम एवियोनिक्स, एक वातानुकूलित केबिन और इजेक्शन सीटों से लैस है।
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इसमें पायलटों के चेंज-ओवर, हॉट-रीफ्यूलिंग और शॉर्ट-टर्नअराउंड टाइम जैसी अनूठी विशेषताएं हैं। प्रमाणन के लिए आवश्यक सभी परीक्षण इसकी पहली उड़ान से पहले रिकॉर्ड छह वर्षों में पूरे किए गए।
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एचटीटी-40 ने सभी प्रणालीगत परीक्षण, सभी पीएसक्यूआर प्रदर्शन, गर्म मौसम, समुद्र स्तर और क्रॉस विंड परीक्षण और उपयोगकर्ता सहायता प्राप्त तकनीकी परीक्षण पूरे कर लिए हैं।
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इसने बारिश के पानी के प्रति अपनी प्रतिरोधक क्षमता का प्रदर्शन किया।
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सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्थनेस एंड सर्टिफिकेशन (CEMILC) से विमान के उड़ान के योग्य होने संबंधी अंतरिम मंजूरी प्राप्त की जाती है।
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- रक्षा मंत्री ने डेफएक्सपो के दौरान विभिन्न देशों के प्रतिनिधिमंडल के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं:
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रक्षा मंत्री ने 19 अक्टूबर, 2022 को गुजरात के गांधीनगर में 12वें डेफएक्सपो के दौरान हिंद महासागर क्षेत्र प्लस (आईओआर+) कॉन्क्लेव की मेजबानी की।
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इस कार्यक्रम ने हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में आम खतरों और इनके समाधान के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा की गई ।
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आईओआर+ कॉन्क्लेव के साथ ही रक्षा मंत्री ने 19 अक्टूबर, 2022 को बांग्लादेश, अंगोला, दक्षिण अफ्रीका, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और पराग्वे के डेफएक्सपो में भाग ले रहे प्रतिनिधिमंडल के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं।
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इन बैठकों के दौरान रक्षा सहयोग के सम्पूर्ण आयामों पर चर्चा की गई, जिसमें पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग का विस्तार करने के मार्ग की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
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- डेफएक्सपो 2022 के दौरान 101 वस्तुओं की चौथी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची की घोषणा की गई:
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सरकार के रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के प्रमुख घटकों में से एक है, आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए रक्षा क्षेत्र को बदलना एवं सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी के साथ रक्षा वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देना।
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रक्षा मंत्रालय ने रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं और सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची उस दृष्टि को प्राप्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।
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प्रधानमंत्री ने 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन के दौरान सकारात्मक सूचियों के माध्यम से स्वदेशीकरण के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की थी।
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इन सूचियों से स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिलेगा और रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की प्राप्ति होगी तथा आने वाले समय में निर्यात बढ़ेगा।
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उद्योग समेत सभी हितधारकों के साथ अनेक दौर के परामर्श के बाद रक्षा मंत्रालय द्वारा यह चौथी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची तैयार की गई है।
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यह उन उपकरणों/ प्रणालियों पर विशेष ध्यान देती है, जिनका विकास किया जा रहा है और जिनके अगले पांच से दस वर्षों में ठोस ऑर्डर में तब्दील होने की संभावना है।
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पहली तीन सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों की तरह, गोला-बारूद के आयात प्रतिस्थापन, जो एक ज़रूरी आवश्यकता है, पर इसमें विशेष ध्यान दिया गया है।
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यह चौथी सूची भारतीय रक्षा उद्योग की बढ़ती क्षमताओं को पहचानती है तथा इसके माध्यम से प्रौद्योगिकी एवं विनिर्माण क्षमताओं में नए निवेश को आकर्षित करके घरेलू अनुसंधान और विकास की क्षमता को प्रोत्साहित करने की संभावना है।
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चौथी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची में सूचीबद्ध आइटम घरेलू रक्षा उद्योग को सशस्त्र बलों की प्रवृत्ति और भविष्य की जरूरतों को समझने और देश के भीतर आवश्यक अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण क्षमता बनाने के लिए पर्याप्त भविष्य दृष्टि एवं अवसर प्रदान करेंगे।
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रक्षा मंत्रालय एक अनुकूल वातावरण की सुविधा प्रदान करेगा और यह सुनिश्चित करने के लिए उद्योग को हर संभव सहायता प्रदान करेगा कि ‘चौथी सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची’ में उल्लिखित समय-सीमा पूरी हो, जिससे रक्षा में आत्मनिर्भरता प्राप्त हो और देश के भीतर समयबद्ध तरीके से निर्यात के लिए क्षमताओं का विकास हो ।
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19 अक्टूबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 18 अक्टूबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें। सम्बंधित लिंक्स:
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