विषयसूची:
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भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: भारत के व्यापारिक हितों पर विभिन्न अंर्तष्ट्रीय सम्मेलनों,प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद
मुख्य परीक्षा: भारत-सऊदी अरब द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों पर एक लेख लिखिए।
प्रसंग:
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केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल ने भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद की मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने के लिए 18 से 19 सितंबर 2022 तक सऊदी अरब का दौरा किया था।
उद्देश्य:
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इस रणनीतिक साझेदारी परिषद की स्थापना अक्टूबर, 2019 में भारत के प्रधानमंत्री की सऊदी अरब की यात्रा के दौरान की गई थी जिसके दो प्रमुख स्तंभ हैं – राजनीतिक, सुरक्षा, सामाजिक और सांस्कृतिक समिति तथा अर्थव्यवस्था एवं निवेश समिति।
विवरण:
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श्री गोयल, सऊदी के ऊर्जा मंत्री और प्रिंस अब्दुल अज़ीज़ बिन सलमान अल-सऊद ने भारत-सऊदी अरब रणनीतिक साझेदारी परिषद की अर्थव्यवस्था और निवेश समिति की मंत्रिस्तरीय बैठक की सह-अध्यक्षता की।
बैठक के निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
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क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान द्वारा फरवरी 2019 में अपनी भारत यात्रा के दौरान भारत में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की घोषणा को साकार करने के प्रयास करना।
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कृषि व खाद्य सुरक्षा; ऊर्जा; प्रौद्योगिकी एवं आईटी; और उद्योग व इन्फ्रास्ट्रक्चर – इन 4 व्यापक क्षेत्रों के अंतर्गत तकनीकी टीमों द्वारा पहचाने गए सहयोग के 41 क्षेत्रों पर मुहर।
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प्राथमिकता वाली परियोजनाओं का समयबद्ध तरीके से क्रियान्वयन करने के लिए करार।
इसमें शामिल सहयोग के प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं:
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सऊदी अरब में यूपीआई और रुपे कार्ड के संचालन के माध्यम से डिजिटल फिनटेक क्षेत्र में सहयोग।
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वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी, एलएनजी इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश और भारत में सामरिक पेट्रोलियम भंडारण सुविधाओं के विकास सहित संयुक्त परियोजनाओं में सहयोग की दोबारा पुष्टि।
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यात्रा के दौरान माननीय मंत्री ने सऊदी अरब के वाणिज्य मंत्री डॉ. माजिद बिन अब्दुल्ला अल-कसाबी से मुलाकात की और द्विपक्षीय व्यापार, वाणिज्य तथा निवेश संबंधी सभी पहलुओं पर व्यापक चर्चा की।
चर्चा के प्रमुख बिंदु:
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व्यापार व वाणिज्य का विविधीकरण और विस्तार।
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व्यापार बाधाओं को दूर करना, जिनमें स्वच्छता और फाइटोसैनिटरी तथा व्यापार उपायों से जुड़े लंबित मुद्दे।
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सऊदी अरब में भारतीय फार्मा उत्पादों का ऑटोमैटिक पंजीकरण और मार्केटिंग प्राधिकरण।
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रुपए -रियाल व्यापार को संस्थागत करने की व्यवहार्यता।
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सऊदी अरब में यूपीआई और रुपे कार्ड का आगाज़।
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दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा निवेश आकर्षित करने और द्विपक्षीय व्यापार में विविधता लाने के तरीकों पर चर्चा की गई।
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इस दौरान दोनों देशों के एक्जिम बैंकों के संस्थागत गठजोड़, तीसरे देशों में संयुक्त परियोजनाओं, मानकों की पारस्परिक मान्यता, स्टार्टअप और इनोवेशन ब्रिज की स्थापना, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में सहयोग को मजबूत करने जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
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जिनमें दवा, ऑटोमोबाइल, पेट्रोकेमिकल्स, स्पेशलिटी केमिकल्स, टेक्निकल टेक्सटाइल्स, खनन और भारत से बढ़ते प्रोजेक्ट निर्यातों में निर्माण, रेलवे, औद्योगिक और विनिर्माण क्षेत्र शामिल है।
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इस यात्रा के दौरान मंत्री ने सऊदी अरब के प्रमुख कारोबारियों के साथ एक सीईओ राउंडटेबल बैठक में भी भाग लिया।
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इसमें भारत से बढ़ते निर्यात को प्रोत्साहित करने, भारत में आने वाले निवेश को सुविधाजनक बनाने, द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को गहरा और व्यापक बनाने के नवीन तरीकों तथा साधनों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
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इस बैठक में जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलता के साथ ऊर्जा सुरक्षा कैसे आर्थिक विकास और समृद्धि ला सकती है,इस पर भी चर्चा हुई।
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दोनों देशों के बीच अक्षय ऊर्जा में मजबूत साझेदारी पर भी विचार-विमर्श किया गया।
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श्री गोयल ने रियाद में “द इंडिया वीक” का भी उद्घाटन किया।
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ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम:
सामान्य अध्ययन: 2,3
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध, पर्यावरण:
विषय: भारत के हितों पर विभिन्न अंर्तष्ट्रीय पर्यावरणीय संगठनों एवं विकसित और विकासशील देशों की नीतियां,समझौतों और राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम।
मुख्य परीक्षा: अमेरिका में आयोजित होने वाली ‘ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम’ की बैठक भारत को विश्व के सामने अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करेगी। भारत एवं विश्व के लिए इसके महत्व पर प्रकाश डालिये।
प्रसंग:
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अमेरिका में आयोजित होने वाली ‘ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम’ की बैठक भारत को विश्व के सामने अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करेगी ।इस बैठक में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह भाग लेंगे।
उद्देश्य:
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यह मंच विभिन्न देशों के कम से कम 30 मंत्रियों, सैकड़ों सीईओ,व्यापार दिग्गजों, वैज्ञानिकों एवं शिक्षाविदों सहित सभी हितधारकों को एक साथ लाएगा और इस मंच पर स्वच्छ ऊर्जा में भारत की अग्रणी भूमिका को भी स्वीकृति मिलेगी।
विवरण:
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गौरतलब है कि पिछले महीने ही प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के नवीनतम राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) की ‘यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी)’ में जानकारी देने की मंजूरी प्रदान की थी।
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भारत ने नवंबर,2021 में ग्लासगो (ब्रिटेन) में आयोजित ‘यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी)’ के पार्टियों के सम्मेलन (सीओपी26) के 26वें सत्र में विश्व के समक्ष भारत की जलवायु कार्रवाई के पांच अमृत तत्वों (पंचामृत) को प्रस्तुत करके अपनी जलवायु संबंधी कार्रवाई को तेज करने का विचार व्यक्त किया था।
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15 अगस्त, 2021 को प्रधानमंत्री ने भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का शुभारंभ किया था।
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इस मिशन का उद्देश्य अपनी जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने और देश को एक हरित हाइड्रोजन का केन्द्र बनाने में सरकार को सहायता प्रदान करना है।
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इससे वर्ष 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लक्ष्य को अर्जित करने और नवीकरण ऊर्जा क्षमता से संबंधित विकास में सहायता प्राप्त होगी।
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भारत को नेट जीरो उत्सर्जन की ओर ले जाने के लिए कोई एक ही मंत्रालय जिम्मेदार नहीं है, बल्कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन (एमओईएफसीसी), नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) और भारी उद्योग मंत्रालय (जो भारत में हाइब्रिड और विद्युत वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण (फेम इंडिया) करने की योजना को लागू करता है,ताकि विद्युत वाहनों को बढ़ावा मिल सके) इस दिशा में एक प्रेरक बल के रूप में काम कर रहे हैं।
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देश और विदेश दोनों में स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के क्षेत्रों में अभी हाल की सफलताओं को देखते हुए उन्हें ‘ग्लोबल क्लीन एनर्जी एक्शन फोरम’ के पूर्ण सत्र और गोलमेज सम्मेलन में बड़े नजदीकी संबंध स्थापित होने की उम्मीद है।
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प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- रक्षा मंत्री की मिस्र यात्रा:
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रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने मिस्र के राष्ट्रपति श्री अब्देल फतह अल-सीसी से काहिरा में मुलाकात की।
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दोनों ने रक्षा उत्पादन की आवश्यकता पर बल दिया और उस संबंध में विशिष्ट प्रस्तावों पर चर्चा की।
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दोनों पक्ष सैन्य सहयोग को और मजबूत करने और संयुक्त प्रशिक्षण, रक्षा सह-उत्पादन और उपकरणों के रखरखाव पर ध्यान केंद्रित करने पर सहमत हुए।
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आतंकवाद के खिलाफ मिस्र द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की तथा इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के खतरे का मुकाबला करने के लिए भारत और मिस्र को विशेषज्ञता और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने की आवश्यकता है।
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मिस्र अफ्रीका में भारत के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदारों में से एक है और दोनों देशों में द्विपक्षीय व्यापार में काफी विस्तार हुआ है।
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भारत और मिस्र के बीच बहुपक्षीय मंचों में घनिष्ठ सहयोग हैं।
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- भारत-न्यूजीलैंड के बीच द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा:
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मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला ने न्यूजीलैंड के व्यापार व निर्यात और कृषि मंत्री श्री डेमियन ओ’कोनोर के साथ द्विपक्षीय बैठक की।
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दोनों पक्षों ने पशुओं की मुंहपका-खुरपका बीमारी से निपटने के लिये द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की, ताकि भारत और न्यूजीलैंड के पशुपालन के प्रमुख सेक्टर की क्षमता बढ़ाई जा सके।
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बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने विचार किया कि सम्बंधित क्षेत्रों में दोनों देश एक-दूसरे से बहुत-कुछ सीख सकते हैं।
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इस चर्चा से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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एक-दूसरे के पशुपालन सेक्टर में जानकारी और क्षमता निर्माण की दिशा में सहायक सूचनाओं तथा विशेषज्ञता के आदान-प्रदान से दोनों देशों को समान लाभ मिलेगा।
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साथ ही दोनों ने भारत-न्यूजीलैंड की मैत्री को और मजबूत बनाने पर चर्चा की।
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19 सितंबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 18 सितंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें। सम्बंधित लिंक्स:
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