विषयसूची:
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1. उत्तराखंड में एशिया के सबसे बड़े 4-मीटर अंतर्राष्ट्रीय लिक्विड मिरर टेलीस्कोप का उद्घाटन:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी -विकास एवं अनुप्रयोग और रोजमर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय लिक्विड मिरर टेलीस्कोप से संबंधित जानकारी।
प्रसंग:
- केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने उत्तराखंड के देवस्थल में एशिया के सबसे बड़े 4-मीटर अंतर्राष्ट्रीय लिक्विड मिरर टेलीस्कोप का उद्घाटन किया।
उद्देश्य:
- विश्व स्तरीय 4 – मीटर आकार का यह अंतर्राष्ट्रीय तरल दर्पण दूरदर्शी ( इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप – ILMT ) अब गहरे आकाशीय अंतरिक्ष का पता लगाएगा।
- हर रात आकाश को स्कैन करते समय यह टेलीस्कोप लगभग 10-15 गीगाबाइट डेटा उत्पन्न करेगा और ILMT द्वारा उत्पन्न डेटा बिग डेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस / मशीन लर्निंग – AI / ML) एल्गोरिदम के अनुप्रयोग की एल्गोरिदम के अनुप्रयोग की सुविधा देने के साथ ही ILMT से देखी गई वस्तुओं को वर्गीकृत करने के लिए प्रयोग किया जाएगा।
- यह ऐतिहासिक घटना अंतरिक्ष और खगोल विज्ञान के रहस्यों का अध्ययन करने और शेष विश्व के साथ इसे साझा करने के लिए भारत की क्षमताओं के एक अलग और उच्च स्तर पर रखती है।
विवरण:
- आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज- AREES) ने घोषणा की है कि विश्व स्तरीय 4-मीटर इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलीस्कोप (ILMT) अब सुदूर एवं गहन आकाशीय अंतरिक्ष का पता लगाने के लिए तैयार है।
- यह टेलीस्कोप भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ( डीएसटी ) के अंतर्गत यह एक स्वायत्त संस्थान, AREES उत्तराखंड ( भारत ) के नैनीताल जिले में देवस्थल स्थित वेधशाला परिसर में 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
- ILMT सहयोग में भारत के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (AREES), बेल्जियम के लीज विश्वविद्यालय और रॉयल वेधशाला, पोलैंड की पॉज़्नान वेधशाला, उज़्बेक विज्ञान अकादमी के उलुग बेग खगोलीय संस्थान और उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय एवं ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, लवल विश्वविद्यालय, मॉन्ट्रियल विश्वविद्यालय, टोरंटो विश्वविद्यालय, यॉर्क विश्वविद्यालय और कनाडा में विक्टोरिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ता शामिल हैं।
- इस टेलिस्कोप को एडवांस्ड मैकेनिकल एंड ऑप्टिकल सिस्टम्स (एएमओएस) कॉर्पोरेशन और बेल्जियम में सेंटर स्पैटियल डी लीज द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया था ।
- यह ILMT प्रकाश को एकत्र एवं घनीभूत करके केंद्रित करने के लिए तरल पारे की एक पतली परत से बने 4 मीटर व्यास के घूमने वाले दर्पण का उपयोग करता है।
- धात्विक पारा कमरे के तापमान पर तरल रूप में होता है और साथ ही अत्यधिक परावर्तक भी होता है और इसलिए यह ऐसा दर्पण बनाने के लिए आदर्श रूप से अनुकूल है।
- ILMT को हर रात इसके ऊपर से गुजरने वाली आकाश की पट्टी का सर्वेक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे सुपरनोवा, गुरुत्वाकर्षण लेंस, अंतरिक्ष मलबे और क्षुद्रग्रहों जैसी क्षणिक या परिवर्तनीय आकाशीय वस्तुओं का पता लगाने में सहायता मिलती है।
- ILMT पहला ऐसा तरल दर्पण टेलीस्कोप है जिसे विशेष रूप से खगोलीय अवलोकन के लिए डिजाइन किया गया है और यह वर्तमान में देश में उपलब्ध सबसे बड़ा एपर्चर टेलीस्कोप है और यह भारत में पहला ऑप्टिकल सर्वेक्षण टेलीस्कोप भी है।
- हर रात आकाश की पट्टी को स्कैन करते समय यह टेलीस्कोप लगभग 10-15 गीगाबाइट डेटा उत्पन्न करेगा।
- चर और क्षणिक तारकीय स्रोतों को खोजने और पहचानने के लिए डेटा का तेजी से विश्लेषण किया जाएगा।
- 3.6 मीटर का डीओटी, परिष्कृत बैक-एंड उपकरणों की उपलब्धता के साथ, आसन्न ILMT के साथ नवीनतम खोजे गए क्षणिक स्रोतों के तेजी से अनुवर्ती अवलोकन की अनुमति देगा।
- साथ ही ILMT से एकत्र किए गए डेटा, अगले 5 वर्षों के परिचालन समय में एक गहन फोटोमेट्रिक और एस्ट्रोमेट्रिक परिवर्तनशीलता सर्वेक्षण करने के लिए आदर्श रूप से अनुकूल होंगे।
- एक तरल दर्पण टेलीस्कोप में मुख्य रूप से तीन घटक होते हैं:
- i) एक परावर्तक तरल धातु (अनिवार्य रूप से पारा) युक्त एक कटोरा सदृश पात्र ,
- ii) एक एयर बियरिंग (अथवा मोटर) जिस पर तरल दर्पण स्थापित किया गया है, और
iii) एक चलन प्रणाली (ड्राइव सिस्टम)।
- लिक्विड मिरर टेलिस्कोप इस तथ्य का लाभ उठाते हैं कि एक घूर्णन तरल की सतह स्वाभाविक रूप से एक परवलयिक (पैराबोलिक) आकार लेती है और जो प्रकाश को केंद्रित करने के लिए आदर्श है।
- माइलर की एक वैज्ञानिक ग्रेड पतली पारदर्शी फिल्म पारे को वायु प्रवाह से बचाती है।
- परावर्तित प्रकाश एक परिष्कृत बहु-लेंस ऑप्टिकल करेक्टर के माध्यम से गुजरता है जो दृश्य के विस्तृत क्षेत्र में उत्कृष्ट छवियां उत्पन्न करता है।
2. मानव और वन्य जीवन के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए 14 दिशा-निर्देश जारी:
सामान्य अध्ययन: 3
पर्यावरण:
विषय: जैव विविधता।
मुख्य परीक्षा: केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी 14 दिशा-निर्देश मानव-वन्यजीव संघर्ष (HWC) की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगें। कथन की पुष्टि कीजिए।
प्रसंग:
- केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने मानव-वन्यजीव संघर्ष (HWC) पर ध्यान देने के लिए 14 दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
उद्देश्य:
- इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य भारत में HWC के प्रभावी और कुशल शमन पर प्रमुख हितधारकों के बीच एक आम समझ को सुगम बनाना है।
- ये दिशा-निर्देश प्रकृति में परामर्शी हैं और स्थल-विशिष्ट HWC में कमी लाने के उपायों को आगे बढ़ाने के विकास में सुविधा प्रदान करेंगे।
विवरण:
- ये दिशा-निर्देश HWC में कमी लाने पर भारत-जर्मन सहयोग परियोजना के तहत विकसित किए गए हैं, जिसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा डयूश जेसेलशैफ्ट फॉर इंटरनेशनल जुसान्नेनारबिट (GIZ) जीएमबीएच और कर्नाटक, उत्तराखंड तथा पश्चिम बंगाल के राज्य वन विभागों के साथ मिलकर कार्यान्वित किया जा रहा है।
जारी किए गए 14 दिशा-निर्देशों में शामिल हैं:
- 10 प्रजाति-विशिष्ट दिशा-निर्देश-
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- मानव-हाथी, गौर-तेंदुआ, सांप-मगरमच्छ, रीसस मैकाक (अफ्रीकी लंगूर)-जंगली सुअर, भालू-ब्लू बुल और काला हिरण (ब्लैकबक) के बीच संघर्ष को कम करने के लिए दिशा-निर्देश; और
- विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर 4 दिशा-निर्देश-
- भारत में वन और मीडिया क्षेत्र के बीच सहयोग के लिए दिशा-निर्देश:
- मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी लाने पर प्रभावी संवाद की दिशा में
- मानव-वन्यजीव संघर्ष की कमी के संदर्भ में व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा
- मानव-वन्यजीव संघर्ष संबंधी स्थितियों में भीड़ प्रबंधन
- मानव-वन्यजीव संघर्ष स्थितियों से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य आपात स्थितियों और संभावित स्वास्थ्य जोखिमों पर ध्यान देना: एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण अपनाना।
- इन दिशा-निर्देशों का विकास और इच्छित कार्यान्वयन एक सामंजस्यपूर्ण-सह-अस्तित्व के दृष्टिकोण से प्रेरित है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मानव और जंगली जानवर दोनों HWC के नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षित रहें।
- ये दिशा-निर्देश क्षेत्र के अनुभवों से मजबूती से संचालित होते हैं और विभिन्न एजेंसियों तथा राज्य वन विभागों द्वारा जारी किए गए वर्तमान दिशा-निर्देशों एवं परामर्शों के साथ-साथ उनकी अच्छी कार्य योजनाओं को ध्यान में रखते हैं तथा उन पर आधारित होते हैं।
- ये दिशा-निर्देश एक समग्र दृष्टिकोण का उपयोग करने के लिए एक ढांचा प्रदान करते हैं, अर्थात ये न केवल तत्काल HWC स्थितियों के कारण उत्पन्न होने वाली आपातकालीन स्थितियों पर बल्कि उन प्रेरकों और दबावों पर भी ध्यान देते हैं जिनसे HWC की स्थिति उत्पन्न होती है, रोकथाम के तरीकों की स्थापना और प्रबंधन पर मार्गदर्शन करते है और मनुष्यों तथा जंगली जानवरों दोनों पर संघर्ष के प्रभाव को कम करते हैं।
- दिशा-निर्देशों की तैयारी में कृषि, पशु चिकित्सा, आपदा प्रबंधन, जिला प्रशासन, ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों एवं मीडिया सहित प्रमुख संबंधित हितधारकों और सेक्टरों को शामिल करते हुए एक सहभागी, समावेशी तथा समेकित दृष्टिकोण का पालन किया गया।
- दिशा-निर्देशों के प्रायोगिक परीक्षण की एक गहन और प्रणलीगत प्रक्रिया को राज्यों के लिए मसौदा दिशा-निर्देशों में व्यक्त की गई उनकी अनुशंसाओं की व्यवहार्यता और स्वीकार्यता की जांच करने तथा रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान की गई थी।
- दिशा-निर्देशों का यह समूह कोई स्थिर दस्तावेज़ नहीं है; बल्कि, यह एक जीवित दस्तावेज है, जहां प्रक्षेत्र से जुड़े हुए व्यक्तियों और अन्य वन्यजीव विशेषज्ञों के फीडबैक का विश्लेषण उन विशिष्ट तत्वों एवं वर्गों का आकलन करने के लिए किया जाता है, जिनमें परिवर्तन लाने की आवश्यकता है।
- 2023 के बाद से हर पांच साल में इन दिशा-निर्देशों की समीक्षा करने की योजना बनाई गई है।
3. NTPC ने भारतीय सेना के साथ हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:
सामान्य अध्ययन: 3
ऊर्जा:
विषय:बुनियादी ढांचा-ऊर्जा।
मुख्य परीक्षा: सेना प्रतिष्ठानों में हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं की स्थापना के लिए NTPC रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड द्वारा भारतीय सेना के साथ किये गए समझौते के प्रभाव का आकलन कीजिए।
प्रसंग:
- NTPC रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड ने भारतीय सेना के साथ निर्माण, स्वामित्व और परिचालन (BOO) प्रारूप पर सेना प्रतिष्ठानों में हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य जटिल लॉजिस्टिक्स व जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना और कार्बनडाईऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी (डीकार्बोनाइजेशन) की गति को तेज करना है।
विवरण:
- इस समझौता ज्ञापन के तहत चरणबद्ध तरीके से विद्युत की आपूर्ति को लेकर हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं की स्थापना के लिए संभावित स्थलों की संयुक्त पहचान की जाएगी।
- इसके अलावा NTPC REL भारतीय सेना के लिए नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं (सौर, पवन आदि) का डिजाइन और विकास करने के साथ उसकी स्थापना भी करेगी।
- यह समझौता ज्ञापन भारतीय सेना द्वारा आधुनिकीकरण के लिए एक उन्नत दृष्टिकोण और NTPC की ओर से डीकार्बोनाइजेशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में राष्ट्र की सहायता करने की प्रतिबद्धता का संकेत है।
- यह अपनी तरह का पहला समझौता है और देश की रक्षा पंक्ति के लिए ऊर्जा सुरक्षा से समर्थित सीमा सुरक्षा के एक नए युग की शुरुआत करता है।
- ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में भारतीय सेना के विभिन्न स्थलों को डीजी सेटों के माध्यम से विद्युत की आपूर्ति की जाती है।
- यह “पंचामृत” और कार्बन न्यूट्रल लद्दाख की सोच के अनुरूप भारतीय सेना विद्युत उत्पादन व गर्मी उत्पन्न करने के लिए जीवाश्म ईंधन तथा उनके लॉजिस्टिक्स पर निर्भरता को कम करने का संकल्प रखती है।
- NTPC REL, NTPC लिमिटेड की पूर्ण सहायक कंपनी है और वर्तमान में इसके पास निर्माणाधीन 3.6 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा (RE) क्षमता का पोर्टफोलियो है।
- NTPC समूह की साल 2032 तक 60 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता प्राप्त करने की महत्वाकांक्षी योजना है।
- वर्तमान में इसकी स्थापित RE क्षमता 3.2 गीगावाट है।
- NTPC ने हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों में कई पहलें की हैं। इसने गुजरात में पहले से ही पाइप्ड प्राकृतिक गैस परियोजना के साथ हाइड्रोजन सम्मिश्रण को चालू कर दिया है।
- इसके अलावा वर्तमान में हाइड्रोजन आधारित गतिशीलता (मोबिलिटी) परियोजना (लद्दाख व दिल्ली में) और मध्य प्रदेश में हरित मेथनॉल परियोजना को कार्यान्वित कर रही है।
4. कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि:
विषय: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न।
प्रारंभिक परीक्षा: फसल सिमुलेशन मॉडल।
मुख्य परीक्षा: कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझाएँ।
प्रसंग:
- भारत सरकार द्वारा कृषि और किसानों के जीवन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के संबंध में देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित नेटवर्क केंद्रों द्वारा कृषि में व्यापक क्षेत्र और सिमुलेशन अध्ययन किए गए हैं।
उद्देश्य:
- जिसके तहत वर्ष 2050 और 2080 के अनुमानित मौसम को शामिल करके फसल सिमुलेशन मॉडल का उपयोग करके जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन किया गया था।
विवरण:
- अनुकूलन उपायों को अपनाने के अभाव में, भारत में वर्षा आधारित चावल की पैदावार 2050 में 20% और 2080 परिदृश्यों में 47% कम होने का अनुमान है, जबकि सिंचित चावल की पैदावार 2050 में 3.5% और 2080 परिदृश्यों में 5% कम होने का अनुमान है।
- महत्वपूर्ण स्थानिक और लौकिक विविधताओं के साथ सदी के अंत तक जलवायु परिवर्तन से 2050 में गेहूं की उपज में 19.3% और 2080 के परिदृश्य में 40% की कमी आने का अनुमान है।
- जलवायु परिवर्तन से 2050 और 2080 के परिदृश्यों में खरीफ मक्का की पैदावार क्रमशः 18 और 23% तक कम होने का अनुमान है।
- जलवायु परिवर्तन से फसल की पैदावार कम होती है और उपज की पोषण गुणवत्ता कम होती है।
- सूखे जैसी अत्यधिक घटनाएं भोजन और पोषक तत्वों की खपत और किसानों पर इसके प्रभाव को प्रभावित करती हैं।
- भारत सरकार ने कृषि को जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक लचीला बनाने के लिए योजनाएं तैयार की हैं।
- टिकाऊ कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसए) जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) के भीतर मिशनों में से एक है।
- मिशन का उद्देश्य भारतीय कृषि को बदलती जलवायु के प्रति अधिक लचीला बनाने के लिए रणनीतियों को विकसित और कार्यान्वित करना है।
- बदलती जलवायु की स्थिति में घरेलू खाद्य उत्पादन को बनाए रखने की चुनौतियों का सामना करने के लिए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने 2011 में एक प्रमुख नेटवर्क अनुसंधान परियोजना ‘नेशनल इनोवेशन इन क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर’ (NICRA) लॉन्च की।
- इस परियोजना का उद्देश्य कृषि में जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और बढ़ावा देना है,जो देश के कमजोर क्षेत्रों को संबोधित करता है और परियोजना के आउटपुट जिलों और क्षेत्रों को ऐसी चरम घटनाओं से निपटने के लिए सूखे, बाढ़, ठंढ, हीट वेव आदि जैसी चरम मौसम स्थितियों से ग्रस्त होने में मदद करते हैं।
- फसलों, बागवानी, पशुधन, मत्स्य पालन और कुक्कुट को शामिल करते हुए अनुकूलन और शमन को शामिल करते हुए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य के साथ लघु अवधि और दीर्घकालिक अनुसंधान कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।
कवर किए गए मुख्य थ्रस्ट क्षेत्र हैं;
(i) सबसे कमजोर जिलों/क्षेत्रों की पहचान करना,
(ii) अनुकूलन और शमन के लिए फसल की किस्मों और प्रबंधन प्रथाओं को विकसित करना,
(iii) पशुधन, मत्स्य पालन और कुक्कुट पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आकलन करना और अनुकूलन रणनीतियों की पहचान करना।
- 2014 से, 1888 जलवायु अनुकूल किस्मों को विकसित किया गया है, इसके अलावा 68 स्थान विशिष्ट जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों को विकसित किया गया है और कृषक समुदायों के बीच व्यापक रूप से अपनाने के लिए प्रदर्शित किया गया है।
5. प्रधानमंत्री अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ के क्षेत्रीय कार्यालय और नवाचार केंद्र का उद्घाटन करेंगे:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय:महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच, उनकी संरचना, अधिदेश।
प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU)।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 22 मार्च, 2023 को नई दिल्ली में भारत में अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) के नए क्षेत्रीय कार्यालय और नवाचार केंद्र का उद्घाटन करेंगे।
उद्देश्य:
- इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री, भारत 6-G दृष्टि पत्र का अनावरण करेंगे तथा 6-G अनुसंधान और विकास केंद्र का शुभारंभ भी करेंगे।
- साथ ही ‘कॉल बिफोर यू डिग’ यानी ‘खुदाई से पहले कॉल कीजिये’ ऐप का भी शुभारंभ करेंगे।
विवरण:
- अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष संस्था है।
- इसका मुख्यालय जिनेवा में स्थित है। यह क्षेत्रीय कार्यालयों, आंचलिक कार्यालयों और प्रदेश कार्यालयों का एक नेटवर्क है।
- भारत ने क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना के लिए अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ के साथ मार्च 2022 में एक मेजबान देश समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
- भारत में क्षेत्रीय कार्यालय ने भी इसके साथ संबंधित एक नवाचार केंद्र की परिकल्पना की है, जो इसे अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ के अन्य क्षेत्रीय कार्यालयों के बीच अद्वितीय बनाता है।
- क्षेत्रीय कार्यालय, जो पूरी तरह से भारत द्वारा वित्त पोषित है, नई दिल्ली के महरौली में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ टेलीमैटिक्स (सी-डॉट) भवन की दूसरी मंजिल पर स्थित है।
- यह भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, अफगानिस्तान और ईरान को सेवा प्रदान करेगा, राष्ट्रों के बीच समन्वय बढ़ाएगा और क्षेत्र में पारस्परिक रूप से लाभदायक आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहन देगा।
- भारत 6-G दृष्टि पत्र (TIG-6G) पर प्रौद्योगिकी नवाचार समूह द्वारा तैयार किया गया है।
- इस समूह का गठन नवंबर 2021 में विभिन्न मंत्रालयों / विभागों, अनुसंधान और विकास संस्थानों, शिक्षाविदों, मानकीकरण निकायों, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और उद्योग जगत के सदस्यों के साथ भारत में 6-G सेवा के लिए कार्य योजना और रूप रेखा विकसित करने के लिए किया गया था।
- 6-G परीक्षण केंद्र अकादमिक संस्थानों, उद्योग, स्टार्ट-अप्स, MSME, उद्योग आदि को उभरती ICT प्रौद्योगिकियों का परीक्षण और सत्यापन करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।
- भारत 6-G दृष्टि पत्र और 6-G परीक्षण केंद्र देश में नवाचार, क्षमता निर्माण और तेजी से प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए एक सक्षम वातावरण प्रदान करेगा।
- पीएम गति शक्ति के अंतर्गत अवसंरचना संपर्क परियोजनाओं की एकीकृत योजना और समन्वित कार्यान्वयन के प्रधानमंत्री की परिकलपना का उदाहरण देते हुए, कॉल बिफोर यू डिग (CBUD) यानी खुदाई से पहले कॉल कीजिए ऐप एक ऐसा उपकरण है, जो ऑप्टिकल फाइबर केबल जैसी अंतर्निहित संपत्तियों को असंगठित खुदाई और खनन के कारण होने वाले नुकसान को रोकने के लिए परिकल्पित किया गया है।
- इससे देश को हर वर्ष लगभग 3000 करोड़ रुपये की हानि होती है।
- मोबाइल ऐप कॉल बिफोर यू डिग, उत्खननकर्ताओं और संपत्ति के मालिकों को SMS/ईमेल अधिसूचना और कॉल करने के लिए क्लिक के माध्यम से जोड़ेगा, ताकि भूमिगत संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए देश में योजनाबद्ध तरीके से खुदाई की जा सकेगी।
- कॉल बिफोर यू डिग ऐप, देश के शासन में ‘संपूर्ण-सरकार की परिकल्पना’ को अपनाते हुए व्यवसाय करने में आसानी में सुधार करके सभी हितधारकों को लाभान्वित करेगा।
- यह सड़क, दूरसंचार, पानी, गैस और बिजली जैसी आवश्यक सेवाओं में कम व्यवधान के कारण संभावित व्यावसायिक हानि को रोकेगा और नागरिकों को होने वाली परेशानी को कम करेगा।
- कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ के विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालयों के सूचना प्रौद्योगिकी/दूरसंचार मंत्री, अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ के महासचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी, भारत में संयुक्त राष्ट्र/अन्य अंतरराष्ट्रीय निकायों के प्रमुख, राजदूत, उद्योग जगत के नेता, स्टार्ट-अप और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम-एमएसएमई, शिक्षा जगत के प्रतिनिधि, विद्यार्थी और अन्य हितधारक भाग लेंगे।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. ‘भारतीय नवाचार को गिफ्ट IFSC में स्थानांतरित करना’ विषय पर एक विशेषज्ञ समिति का गठन:
- भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है, जिसमें 115 यूनिकॉर्न (बिलियन-डॉलर के उद्यम) शामिल हैं।
- भारतीय स्टार्टअप्स ने 2021 में 44 बिलियन डॉलर जुटाए, जिनमें से 33 बिलियन डॉलर; 5 मिलियन डॉलर से अधिक के सौदों के लिए थे।
- कई भारतीय स्टार्टअप भारत के बाहर स्थित हैं – हालांकि, उनके अधिकांश बाजार, कर्मी और संस्थापक भारत में ही मौजूद हैं।
- ये “बाहरी” या “विपरीत स्थिति वाले” स्टार्टअप में बड़ी संख्या में भारत के यूनिकॉर्न हैं।
- विनियामक, कर, कानूनी और अन्य दृष्टिकोणों से बारीकियों को बेहतर ढंग से समझने और भारत (गिफ्ट IFSC) को पसंदीदा स्थान बनाने से जुड़े आवश्यक उपायों की पहचान करने के लिए, IFSCA ने भारतीय नवाचार को गिफ्ट IFSC में स्थानांतरित करने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए एक रोडमैप तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।
- इस समिति की अध्यक्षता भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व कार्यकारी निदेशक श्री जी. पद्मनाभन करेंगे।
- समिति में; प्रमुख वेंचर कैपिटल फंड्स, स्टार्टअप्स, फिनटेक, कानूनी कंपनियां, टैक्स कंपनियां और इस क्षेत्र के अन्य विशेषज्ञों के प्रतिनिधि शामिल किये गए हैं।
- समिति के कार्यादेश की शर्तों में; विदेश-स्थित भारतीय फिनटेक / स्टार्टअप को गिफ्ट IFSC में स्थानांतरण हेतु प्रोत्साहन देने के लिए आवश्यक उपायों की सिफारिश करना शामिल हैं।
- इसके अलावा, समिति उन मुद्दों की भी पहचान करेगी, जो गिफ्ट IFSC को वैश्विक फिनटेक हब के रूप में विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- समिति गिफ्ट IFSC में अपनी व्यावसायिक उपस्थिति स्थापित करने के लिए वैश्विक दृष्टिकोण रखने वाले नए फिनटेक को प्रोत्साहित करने के उपाय भी पेश करेगी।
- इसके अतिरिक्त, समिति गिफ्ट IFSC को अंतर्राष्ट्रीय नवाचार केंद्र के रूप में विकसित करने से जुड़ी चुनौतियों की पहचान करेगी और उपायों की सिफारिश करेगी।
- उम्मीद है कि समिति तीन महीने के भीतर IFSCA को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी।
2. भारतीय सेना की राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को बढ़ावा देने में अग्रिम भूमिका:
- ‘नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ की तर्ज पर, भारतीय सेना ने उत्तरी सीमाओं के साथ-साथ उन अग्रिम क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन आधारित माइक्रो ग्रिड पावर प्लांट परियोजना की स्थापना की प्रक्रिया आरंभ कर दी है जो राष्ट्रीय/राज्य ग्रिड से नहीं जुड़े हैं।
- 21 मार्च 2023 को नई दिल्ली के सेना भवन में भारतीय सेना और नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड (NTPC REL) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। COAS की ओर से क्वार्टर मास्टर जनरल (QMG) ने NTPC REL के CEO श्री मोहित भार्गव के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
- भारतीय सेना बिजली खरीद समझौते (PPA) के माध्यम से उत्पन्न बिजली खरीदने की प्रतिबद्धता के साथ 25 साल के लिए पट्टे पर आवश्यक भूमि उपलब्ध करा रही है।
- प्रस्तावित परियोजनाओं को NTPC द्वारा पूर्वी लद्दाख में संयुक्त रूप से चिन्हित स्थान पर बिल्ड, ओन एंड ऑपरेट (BOO) मॉडल पर स्थापित किया जाएगा।
- परियोजना में हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए पानी के हाइड्रोलिसिस के लिए एक सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करना शामिल है, जो गैर-सौर घंटों के दौरान फ्यूल सेल्स के माध्यम से बिजली प्रदान करेगा।
- यह भविष्य में इसी तरह की परियोजनाओं के लिए पृष्ठभूमि तैयार करेगा और ग्रीन-हाउस गैस उत्सर्जन में कमी के साथ जीवाश्म ईंधन आधारित जनरेटर सेट पर निर्भरता को कम करने में योगदान देगा।
- इस MoU के साथ, भारतीय सेना नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड के साथ भविष्य में इसी तरह की परियोजनाओं को आरंभ करने की दृढ़ योजना के साथ समझौता करने वाला पहला सरकारी संगठन बन गया है।
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