विषयसूची:
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1. आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए ‘अग्नि’ पहल:
सामान्य अध्ययन: 2
स्वास्थ्य:
विषय: स्वास्थ्य,शिक्षा,मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र/सवाओं के विकास और प्रबंधन से सम्बंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: ‘अग्नि’ पहल से सम्बन्धित जानकारी,केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस)।
मुख्य परीक्षा: अग्नि परियोजना के उद्देश्य एवं महत्व पर प्रकाश डालिये।
प्रसंग:
- सीसीआरएएस एनसीआईएसएम (भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय आयोग) के परामर्श से शिक्षा और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए सूचित की गईं चिकित्सा पद्धतियों और चिकित्सा संबंधी आहारों का दस्तावेजीकरण और प्रकाशन करेगा।
उद्देश्य:
- अग्नि परियोजना के उद्देश्यों को इस प्रकार सूचीबद्ध किया है;
- आयुर्वेद चिकित्सकों के बीच साक्ष्य-आधारित अभ्यास की संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ रोग से संबंधित विभिन्न स्थितियों में अपनी नवीन प्रथाओं और अनुभवों के बारे में बताने के लिए आयुर्वेद चिकित्सकों को एक मंच प्रदान करना।
- इस पहल का उद्देश्य वैज्ञानिक सत्यापन और साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन के माध्यम से व्यावहारिक प्रथाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए अनुसंधान करना भी है।
विवरण:
- केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस), आयुष मंत्रालय ने वैज्ञानिक सत्यापन और साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन के माध्यम से आयुर्वेद से जुड़ी व्यावहारिक प्रथाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देने के अपने नए प्रयास के तहत, आयुर्वेद के क्षेत्र में काम कर रहे चिकित्सकों के लिए “आयुर्वेद ज्ञान नैपुण्य पहल” (एजीएनआई) शुरू की है।
- अग्नि का लक्ष्य आयुर्वेद चिकित्सकों को रोग से जुड़ी विभिन्न स्थितियों में उनके नवीन अभ्यासों (प्रथाओं) और अनुभवों की जानकारी देने के लिए एक मंच प्रदान करना है।
- शिक्षा और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए एकल दवा/ फॉर्मूलेशन/ प्रक्रियाओं से संबंधित विभिन्न रोग स्थितियों के लिए सूचित किए गए सफल चिकित्सीय आहार का दस्तावेजीकरण करना।
- अनुसंधान विधियों और अच्छी नैदानिक प्रथाओं से जुड़े प्रशिक्षण के साथ अनुप्रयोगों और क्षमता निर्माण के माध्यम से डेटाबेस के निर्माण में सहयोग के इच्छुक आयुर्वेद चिकित्सकों की पहचान करना।
- वैज्ञानिक सत्यापन और साक्ष्य-आधारित मूल्यांकन के माध्यम से व्यावहारिक प्रथाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए अनुसंधान करना।
- इस समय लगभग 5,00,000 से अधिक पंजीकृत आयुर्वेद चिकित्सक मुख्य रूप से भारत में काम कर रहे हैं।
- आयुष मंत्रालय के तहत सीसीआरएएस एक शीर्ष अनुसंधान संगठन है जो आयुर्वेद में वैज्ञानिक आधार पर अनुसंधान कराने, उनके लिए समन्वय, सूत्रबद्ध करने, विकास और बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
- हाल के दिनों में, आयुर्वेद कॉलेजों और अस्पतालों के माध्यम से वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए, सीसीआरएएस ने स्नातक छात्रों के लिए स्टूडेंटशिप प्रोग्राम फॉर आयुर्वेद रिसर्च केन (स्पार्क), पीजी छात्रों के लिए स्कीम फॉर ट्रेनिंग इन आयुर्वेद रिसर्च फॉर पीजी स्कॉलर्स (पीजी-स्टार) और शिक्षकों के लिए स्कोप फॉर मेनस्ट्रीमिंग आयुर्वेद रिसर्च इन टीचिंग प्रोफेशनल्स (स्मार्ट) कार्यक्रम की शुरुआत की है।
2. वैज्ञानिकों ने 2डी प्रोटीन की मोनोलेयर विकसित की:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी -विकास एवं अनुप्रयोग और रोजमर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: अमाइलॉइडोसिस रोग,अमाइलॉइड प्रोटीन।
मुख्य परीक्षा: द्वि-आयामी (2डी) प्रोटीन की एकल परत (मोनोलेयर) से मिलने वालों लाभों पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- वैज्ञानिकों ने अमाइलॉइडोसिस जैसी व्याधियों के अध्ययन में मॉडल प्रोटीन – लाइसोजाइम अणुओं को इकट्ठा करके द्वि-आयामी (2डी) प्रोटीन की एकल परत (मोनोलेयर) विकसित की है।
उद्देश्य:
- अमाइलॉइडोसिस एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है जो उस समय होती है जब शरीर के कुछ अंगों में अमाइलॉइड नामक प्रोटीन एकत्र हो जाता है।
- ऐसे अमाइलॉइड्स का इस प्रकार से निर्मित होना हृदय, वृक्क (गुर्दे-किडनी), यकृत (लीवर), प्लीहा (स्पलीन), तंत्रिका तंत्र और पाचन तंत्र जैसे अंगों के कामकाज को प्रभावित कर सकता है।
- लाइसोजाइम को म्यूकोसल स्राव में विद्यमान एक प्रोटीन और वायुमार्ग द्रव के एक प्रमुख घटक को अमाइलॉइडोसिस जैसी व्याधियों का अध्ययन करने में एक मॉडल प्रोटीन के रूप में माना जा सकता है जो अंततः बहु-अंग शिथिलता (मल्टी-ऑर्गन डिसफंक्शन) का कारण बनता है।
विवरण:
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत पूर्वोत्तर भारत के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी- आईएएसएसटी) गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने शुद्ध जलीय उपचरण (सबफेज) के इंटरफ़ेस पर द्वि-आयामी एकल परत (2-डी मोनोलेयर) के रूप में लाइसोजाइम अणुओं को इकट्ठा किया है।
- वायु–जल के साथ ही वायु-ठोस इंटरफेस में लाइसोजाइम अणुओं के व्यवहार को समझने के लिए लैंगम्यूर-ब्लोडेट (एलबी) नामक तकनीक के अंतर्गत 2-डी प्रोटीन मोनोलेयर का उपयोग किया गया।
- हाल ही में एक अध्ययन के अनुसार वायु-जल वाले इंटरफ़ेस पर लाइसोजाइम अणुओं के भौतिक गुणों की जांच सतह के दबाव और सबफेज पीएच स्थितियों की भिन्नता के अंतर्गत की गई थी।
- लाइसोजाइम मोनोलेयर्स का कंप्रेस्ड बिहेवियर सतह के दबाव में वृद्धि के साथ बनने वाले स्ट्रिप्स-लाइक डोमेन से संबंधित था।
- वायु-जल के इंटरफेस पर लाइसोजाइम अणुओं और परिवर्तनीय पीएच स्थितियों में उनके संरचनात्मक अथवा गठनात्मक परिवर्तनों को अमाइलॉइडोसिस रोग का अध्ययन करने के लिए एक मॉडल प्रणाली के रूप में माना जा सकता है और जो लाइसोजाइम अणुओं के विकृत रूप से मुड़ने (मिसफोल्डिंग) के बाद किसी स्थान विशेष पर एकत्रीकरण (ऐग्लोमेरेशन) के कारण होता है।
- एलबी विधि द्वारा वायु- जल और वायु- ठोस इंटरफेस पर निर्मित एवं सघनता से एकत्र किए गए लाइसोजाइम के एकल परत वाले (मोनोलेयर्स) ये प्रोटीन वातावरण के आसपास द्वि-आयामी रूप (2 डी) में विभिन्न रासायनिक और भौतिक गुणों का अध्ययन करने में सहायक सिद्ध होंगे।
- लाइसोजाइम की इस प्रकार एकत्रित की गई एलबी परतों (फिल्मों) को वांछित प्रोटीन के रूप में क्रिस्टलीकृत करने के लिए प्रोटीन नैनोटेम्प्लेट के रूप में भी समझा जा सकता है।
चित्र स्रोत: PIB
3. आईडब्ल्यूएआई और अमेजन ने गंगा के जरिए ई-कॉमर्स कार्गो की आवाजाही के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:
सामान्य अध्ययन: 3
आर्थिक विकास:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था,विकास तथा रोजगार से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: गंगा नदी (राष्ट्रीय जलमार्ग 1),भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई)।
मुख्य परीक्षा: ई-कॉमर्स कार्गो की आवाजाही में अंतर्देशीय जलमार्गों की यातायात और ग्राहक लदान (शिपमेंट) व उत्पादों के परिवहन में योगदान पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- गंगा नदी (राष्ट्रीय जलमार्ग 1) का उपयोग करके अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से कार्गो यातायात और ग्राहक लदान (शिपमेंट) व उत्पादों के परिवहन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) और अमेजन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (अमेजन) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
उद्देश्य:
- आईडब्ल्यूएआई और अमेजन के बीच यह सहयोग देश के अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से ई-कॉमर्स कार्गो के परिवहन को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
- यह भारत के जलमार्गों की विकास कहानी में एक और महत्वपूर्ण पहलू है।
- इस साझेदारी का उद्देश्य लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करने, पर्यावरण पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभाव को कम करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए जल परिवहन की दक्षता व स्थिरता का लाभ उठाना है।
- इस सेवा की शुरुआत से भारत के अंदरूनी इलाकों के कारीगरों, उद्यमियों और व्यापारियों को परिवहन के एक कुशल माध्यम के जरिए कम लागत पर अपने उत्पादों को उचित रूप से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशाल बाजार में आसानी से बेचने का अवसर प्राप्त होगा।
- ई-कॉमर्स कार्गो वाले पहले पोत को जल्द ही पटना से कोलकाता के लिए रवाना किया जाएगा।
विवरण:
- अमेजन इंडिया और आईडब्ल्यूएआई के बीच यह सहयोग अंतर्देशीय जलमार्गों को परिवहन के एक सस्ते व टिकाऊ साधन के रूप में आगे बढ़ाने और राष्ट्रीय जलमार्ग-1 का उपयोग करके अंतर्देशीय जल परिवहन के माध्यम से ग्राहक लदान (शिपमेंट)/उत्पादों के कार्गो आवाजाही और परिवहन को बढ़ावा देने को लेकर समुद्री अमृत काल विजन- 2047 को साकार करने की दिशा में एक और कदम है।
- देश के भीतर जल परिवहन में तेजी लाने के लिए सागरमाला ने रोरो/रोपैक्स और अंतर्देशीय जल परिवहन से संबंधित 7,030 करोड़ रुपये की 113 परियोजनाएं शुरू की हैं।
लाभ:
- यह साझेदारी लॉजिस्टिक्स को अनुकूलित करने, पर्यावरणीय फुटप्रिंट को कम करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए जल परिवहन की दक्षता व स्थिरता का उपयोग करना चाहती है।
- विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार जल परिवहन की तुलना में रेल और सड़क परिवहन क्रमश: 18.5 फीसदी और 91.6 फीसदी अधिक ईंधन की खपत करते हैं, जो इसे परिवहन का सबसे पर्यावरण अनुकूल साधन बनाता है।
- यह साझेदारी अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से ई-कॉमर्स कार्गो की आवाजाही के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।
- ग्राहक पैकेजों की तेज, लागत प्रभावी, टिकाऊ और अधिक विश्वसनीय डिलीवरी सुनिश्चित करने और अपने लाखों विक्रेताओं तक व्यापक पहुंच प्रदान करने को लेकर अमेजन देश में रेल, वायु, जल और सड़क सहित परिवहन के सभी संभावित साधनों का उपयोग करने में सक्षम होगा।
- इस साझेदारी से न केवल अमेजन को उसकी परिवहन लागत कम होने से लाभ प्राप्त होगा, बल्कि अन्य सभी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए भारत में व्यापक अंतर्देशीय जलमार्गों का लाभ उठाने की नई संभावनाएं भी उत्पन्न होंगी।
पृष्ठ्भूमि:
- साल 2023 तक अंतर्देशीय जलमार्ग के जरिए 126 एमएमटी कार्गो का प्रबंधन किया गया।
- भारतीय समुद्री शिखर सम्मेलन- 2021 के दौरान भारतीय समुद्री विजन-2030 की शुरुआत की गई थी।
- इसके तहत मंत्रालय का लक्ष्य साल 2030 तक अंतर्देशीय जलमार्ग के जरिए कार्गो की मात्रा को 200 एमएमटी से अधिक बढ़ाना है।
- इसके अलावा 17 अक्टूबर, 2023 को मुंबई में आयोजित वैश्विक भारतीय समुद्री शिखर सम्मेलन-2023 के दौरान भारत के प्रधानमंत्री ने अमृत काल विजन-2047 की शुरुआत की।
- इसके अलावा इस योजना के तहत साल 2030 तक परिचालन जलमार्गों की संख्या में और 23 की बढ़ोतरी करना शामिल है।
- अब तक 24 जलमार्ग पहले से ही परिचालित हैं, जिन्हें विजन दस्तावेज के अनुसार साल 2047 तक 50 से अधिक करने की योजना है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफार्म पर कर्मयोगी प्रारम्भ कार्यक्रम की पहली वर्षगांठ का उत्सव मनाया गया:
- कर्मयोगी भारत (DoPT) ने कर्मयोगी प्रारंभ की पहली वर्षगांठ मनाई।
- इसकी शुरुआत 22 नवंबर, 2022 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने की थी।
- यह रोजगार मेलों के माध्यम से भर्ती किए गए सभी नए सरकारी कर्मचारियों के लिए आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन ओरिएंटेशन कार्यक्रम है।
- कर्मयोगी प्रारंभ कार्यक्रम आठ पाठ्यक्रमों का एक समूह है, जिसे रोजगार मेले में नियुक्त सभी कर्मियों को सरकारी नीतियों के अनुकूल बनाने और उनकी नई भूमिकाओं में आसानी से बदलाव करने में सहायता करने के लिए तैयार किया गया है।
- आईजीओटी कर्मयोगी सरकारी अधिकारियों को उनकी क्षमता निर्माण की यात्रा में मार्गदर्शन करने के लिए एक व्यापक ऑनलाइन शैक्षणिक पोर्टल है।
- यह पोर्टल ऑनलाइन शिक्षण, योग्यता प्रबंधन, कैरियर प्रबंधन, चर्चा, कार्यक्रम और नेटवर्किंग के लिए 6 कार्यात्मक केंद्रों को जोड़ता है।
- वर्तमान में सरकारी क्षेत्रों के 26 लाख से अधिक शिक्षार्थी 815 से अधिक पाठ्यक्रमों तक पहुंच के साथ आईजीओटी प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत हैं।
- इस कार्यक्रम के एक हिस्से के तहत विभिन्न प्रारंभ पाठ्यक्रम शामिल हैं।
- इनमें 1) सरकारी कर्मचारियों के लिए आचार संहिता, 2) कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम, 3) प्रेरणा को समझना, 4) स्व-नेतृत्व, 5) तनाव प्रबंधन, 6) प्रभावी संचार, 7) नए कर्मियों के लिए एमएस वर्ड और 8) एमएस एक्सल
2. संयुक्त सैन्य अभ्यास “ऑस्ट्रहिंद-23”
- संयुक्त सैन्य अभ्यास ऑस्ट्रहिंद-23 के दूसरे संस्करण में भाग लेने के लिए 81 कर्मियों वाला भारतीय सशस्त्र बल का दस्ता 22 नवंबर 2023 ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हुआ।
- यह अभ्यास 22 नवंबर से 06 दिसंबर 2023 तक पर्थ, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया जाएगा।
- भारतीय सेना के दल में गोरखा राइफल्स की एक बटालियन के 60 जवान शामिल हैं।
- 60 कर्मियों वाली ऑस्ट्रेलियाई सेना की टुकड़ी 13वीं ब्रिगेड से होगी।
- भारत की ओर से भारतीय नौसेना का एक अधिकारी और भारतीय वायु सेना के 20 कर्मी भी इसमें भाग लेंगे।
- ऑस्ट्रेलियाई दल में रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना और रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना से 20-20 कर्मी शामिल होंगे।
- अभ्यास ऑस्ट्रहिंद 2022 में शुरू किया गया था और पहला संस्करण महाजन, राजस्थान में आयोजित किया गया था।
- इसे भारत और ऑस्ट्रेलिया में वैकल्पिक रूप से आयोजित करने के लिए एक वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाने की योजना है।
- अभ्यास का उद्देश्य सहयोगात्मक साझेदारी को बढ़ावा देना और दोनों पक्षों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना है।
- यह अभ्यास शांति स्थापना अभियानों पर संयुक्त राष्ट्र के अध्याय VII के तहत शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में बहु-क्षेत्र संचालन करते समय अंतर-संचालनीयता को भी बढ़ावा देगा।
- यह संयुक्त अभ्यास विचारों के आदान-प्रदान और सामरिक अभियानों के संचालन के लिए रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं का संयुक्त रूप से अभ्यास को बढ़ावा देगा।
- प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में उच्च स्तर की स्थितिजन्य जागरूकता प्राप्त करने के लिए स्नाइपर फायरिंग और संयुक्त रूप से निगरानी और संचार उपकरण संचालित करना भी शामिल है।
- कंपनी/बटालियन स्तर पर सामरिक कार्रवाइयों के अलावा हताहत प्रबंधन और निकासी का भी पूर्वाभ्यास किया जाएगा।
- यह अभ्यास दोनों सेनाओं के बीच समझ को बढ़ावा देने और दोनों मित्र देशों के बीच रक्षा सहयोग को और मजबूत करने में भी मदद करेगा।
3. मिसाइल सह गोला बारूद (एमसीए) बार्ज नौका एलएसएएम 9 (यार्ड 77) का अंतरण:
- भारतीय नौसेना के लिए विशाखापत्तनम की एमएसएमई शिपयार्ड, मेसर्स सेकॉन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित 08 x मिसाइल सह गोला बारूद परियोजना के अंतर्गत तीसरी बार्ज नौका ‘मिसाइल सह गोला बारूद बार्ज, एलएसएएम 9 (यार्ड 77)’ का अंतरण 22 नवंबर 2023 को आईएनएस तुणीर के लिए मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में किया गया।
- इस अंतरण समारोह की अध्यक्षता पश्चिमी नौसेना कमान के कमांड रिफिट ऑफिसर कमांडर आशीष सहगल ने की।
- 08 x मिसाइल सह गोला बारूद बार्ज नौकाओं के निर्माण के लिए 19 फरवरी 2021 को रक्षा मंत्रालय और मेसर्स सेकॉन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, विशाखापत्तनम के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- इन बार्ज नौकाओं की उपलब्धता होने से परिवहन, आवश्यक सामान को लाने-ले जाने और चढ़ाने-उतारने की सुविधा प्रदान करके भारतीय नौसेना की परिचालन गतिविधियों को तेजी प्रदान होगी।
- इनसे समुद्र तट के आस-पास तथा बाहरी बंदरगाहों पर भारतीय जहाजों के लिए सामान/गोला-बारूद की आपूर्ति भी सुनिश्चित हो सकेगी।
- ये नौकाएं नौसेना नियमों के लिए प्रासंगिक और भारतीय नौवहन रजिस्टर (आईआरएस) के विनियमन के तहत स्वदेशी रूप से डिजाइन तथा निर्मित किए गए हैं।
- डिजाइन चरण के दौरान बार्ज नौका का मॉडल परीक्षण विशाखापत्तनम की नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (एनएसटीएल) में किया गया था।
- ये बार्ज नौकाएं भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल के गौरवशाली ध्वजवाहक हैं।
4. नॉर्डिक देशों को भारत की ओर से निर्यात में काफी बढ़ोतरी हुई है:
- श्री पीयूष गोयल ने नई दिल्ली में दूसरे सीआईआई भारत नॉर्डिक-बाल्टिक व्यापार संगोष्ठी- 2023 को संबोधित करते हुए कहा कि हालिया वर्षों के दौरान नॉर्डिक क्षेत्रों में भारत की ओर से निर्यात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
- केंद्रीय मंत्री ने इसका उल्लेख किया कि साल 2018-19 से 2022-23 की अवधि में नॉर्डिक क्षेत्र में भारत की ओर से निर्यात में 39 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है और फिनलैंड व नॉर्वे को किए जाने वाले निर्यात में क्रमशः 100 फीसदी और 80 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
- हालिया वर्षों में इस क्षेत्र का भारत के साथ संबंध में नजदीकी बढ़ी है।
- नॉर्डिक-बाल्टिक क्षेत्र में भारतीय व्यंजन, बॉलीवुड, योग, आयुर्वेद और वस्त्र काफी लोकप्रिय हैं।
- नॉर्डिक-बाल्टिक देशों के पास सर्वश्रेष्ठ नवाचार, हरित तकनीक, एआई और ब्लॉकचेन-आधारित रूपांतरण, आपूर्ति श्रृंखला लॉजिस्टिक्स और फिनटेक हैं।
- ये ऐसे क्षेत्र हैं, जहां भारत के साथ सहयोग की काफी बड़ी संभावना है, क्योंकि भारत ने विशाल खनिज संसाधनों और प्रतिभाओं के साथ एक आर्थिक महाशक्ति होने के अलावा इन क्षेत्रों में काफी प्रगति की है।
- नॉर्डिक देशों के नेताओं की उपस्थिति में श्री गोयल ने कहा कि यह वैश्विक चुनौतियों व अवसरों के लिए समान दृष्टिकोण के साथ सहभागिता, नवाचार और साझी समृद्धि का एक रोमांचक युग है।
- इसके अलावा श्री गोयल ने नॉर्डिक-बाल्टिक देशों की कंपनियों को भारत में आयोजित होने वाले आगामी व्यापार मेलों में प्रदर्शन करने, हिस्सा लेने और सहयोग करने के लिए भी आमंत्रित किया।
- भारतटेक्स, जो कि 26 फरवरी, 2024 से शुरू होकर 29 फरवरी, 2024 तक संचालित होगा, इसमें लगभग 40 देशों के 3,500 से अधिक प्रदर्शक हिस्सा लेंगे।
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