विषयसूची:
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1.FSSAI ने मिलेट्स के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योज्य) दूसरा संशोधन विनियम, 2023 के जरिए व्यापक समूह मानक तय किए:
सामान्य अध्ययन 3:
कृषि:
विषय: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न।
प्रारंभिक परीक्षा: खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योज्य) दूसरा संशोधन विनियम, 2023 तथा मोटे अनाजों से संबंधित जानकारी।
प्रसंग:
- भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भारत के राजपत्र में अधिसूचित खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) द्वितीय संशोधन विनियम, 2023 के माध्यम से मोटे अनाजों (मिलेट्स) के लिए एक व्यापक समूह मानक तय किया है और इसे 1 सितंबर, 2023 से लागू किया जाएगा।
विवरण:
- मिलेट्स (मोटे अनाज) छोटे दाने वाली खाद्य फसलों का एक समूह है जो सूखे और अन्य चरम मौसम स्थितियों में भी पैदा होती हैं और इन्हें उर्वरक और कीटनाशक जैसे रसायनिक पदार्थों की कम जरूरत होती है।
- अधिकांश मिलेट्स (मोटे अनाज) भारत की मूल फसलें हैं और वे मानव शरीर के सामान्य कामकाज के लिए आवश्यक अधिकांश पोषक तत्व प्रदान करती हैं।
- मोटे अनाज ग्लूटन-फ्री भी होते हैं; ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) में निम्न; तथा कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस आदि सहित आहार फाइबर और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से मोटे अनाज सही मायनों में हमारे दैनिक आहार का एक अभिन्न अंग होना चाहिए।
- FSSAI गाइडेंस नोट (“मोटे अनाज – पोषक अनाज”) मोटे अनाजों की खपत की पोषण संरचना और लाभों के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करता है।
- मोटे अनाजों के बारे में जागरूकता बढ़ाने तथा उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए, अप्रैल 2018 में मोटे अनाजों को “न्यूट्री अनाज” के रूप में फिर से ब्रांड किया गया और “2018” को मोटे अनाजों के राष्ट्रीय वर्ष के रूप में नामित किया गया।
- बाद में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मार्च 2021 में अपने 75वें सत्र में 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ घोषित किया।
- यह वैश्विक उत्पादन, कुशल प्रसंस्करण और फसल चक्रण के बेहतर उपयोग को बढ़ाने और खाद्य टोकरी के प्रमुख घटक के रूप में मोटे अनाजों को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करेगा।
- वर्तमान में, खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियमों, 2011 में केवल कुछ मोटे अनाजों जैसे ज्वार, साबुत और छिले हुए मोटे अनाज (बाजरा), रागी और चौलाई के लिए व्यक्तिगत मानक निर्धारित हैं।
- FSSAI ने अब घरेलू और वैश्विक बाजारों में अच्छी गुणवत्ता (मानकीकृत) वाले मोटे अनाजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 15 प्रकार के मोटे अनाजों के लिए एक व्यापक समूह मानक तैयार किया है जिसमें 8 गुणवत्ता मानकों को रेखांकित किया गया है, जैसे कि- नमी की मात्रा, यूरिक एसिड की मात्रा, बाहरी पदार्थ, अन्य खाद्य अनाज, टूट-फूट, घुन वाले अनाज और अपके और सूखे अनाज की अधिकतम सीमा।
- समूह मानक निम्नलिखित मोटे अनाजों पर लागू होता है:
- अमरांथस (चौलाई या राजगिरा)
- बार्नयार्ड मिलेट्स ((समेकचावल या सनवा या झंगोरा)
- ब्राउन टॉप (कोरले)
- कुट्टू
- क्रैब फिंगर (सिकिया)
- रागी या मंडुआ
- फोनियो (आचा)
- फॉक्सटेल मिलेट (कंगनी या काकुन)
- जॉब्स टीयर्स (एडले)
- कोदो
- कुटकी
- बाजरा
- प्रोसो मिलेट (चीना)
- ज्वार
- टेफ़ (लवग्रास)
2.रेलवे सुरक्षा बल और UIC द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 18वीं विश्व सुरक्षा कांग्रेस में “जयपुर घोषणा” को अपनाया गया:
सामान्य अध्ययन 3:
सुरक्षा:
विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।
प्रारंभिक परीक्षा: रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और इंटरनेशनल यूनियन ऑफ रेलवे (UIC) तथा 18वीं UIC विश्व सुरक्षा कांग्रेस से संबंधित तथ्य।
प्रसंग:
- रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और इंटरनेशनल यूनियन ऑफ रेलवे (UIC) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित 18वीं UIC विश्व सुरक्षा कांग्रेस का उसमें भाग लेने वाले प्रतिनिधियों द्वारा जयपुर घोषणा को अपनाने के साथ 23 फ़रवरी को समापन हो गया।
विवरण:
- सम्मेलन में दुनिया भर के विशेषज्ञ, हितधारक और प्रतिनिधि “रेलवे सुरक्षा रणनीति: प्रतिक्रियाएं और भविष्य की परिकल्पना” विषय पर ध्यान केन्द्रित करने और रेलवे सुरक्षा में नवीनतम विकास एवं सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए थे।
- “जयपुर घोषणा” में UIC के लिए एक कार्यात्मक एजेंडे की रूपरेखा तैयार की गई है, जो वैश्विक रेलवे संगठनों को सुरक्षा और संरक्षा के उनके दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
- घोषणापत्र में 2025 तक एशिया-प्रशांत, लैटिन अमेरिका और अफ्रीकी क्षेत्रीय असेम्बलियों को पूरी तरह से सक्रिय करके, दुनिया भर में अधिक सुरक्षित रेल नेटवर्क प्रदान करने की दिशा में काम करने के लिए UIC की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया है।
UIC के बारे में:
- UIC (यूनियन इंटरनेशनल डेस केमिन्स) या इंटरनेशनल यूनियन ऑफ़ रेलवे की स्थापना 1922 में हुई थी।
- इसका मुख्यालय पेरिस में है।
- यह रेल परिवहन के अनुसंधान, विकास और प्रचार के लिए रेलवे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाला विश्वव्यापी पेशेवर संघ है।
- सदस्यों को UIC कार्यकारी समूह और असेम्बलियों में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए आमंत्रित किया जाता है जहां क्षेत्रीय/विश्वव्यापी मुद्दों पर रेलवे की स्थिति को आकार दिया जाता है।
- कार्य समूहों में सक्रिय भागीदारी एक समन्वित विश्वव्यापी स्तर पर राय व्यक्त करने और रेलवे क्षेत्र से लाभ उठाने का एक अनूठा अवसर है।
- UIC के सुरक्षा मंच को व्यक्तियों, संपत्ति और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा से संबंधित मामलों में वैश्विक रेल क्षेत्र की ओर से विश्लेषण और नीतिगत स्थिति विकसित करने और तैयार करने का अधिकार है।
रेलवे सुरक्षा बल के बारे में:
- भारत में रेलवे सुरक्षा के क्षेत्र में RPF प्रमुख सुरक्षा और कानून-प्रवर्तन संगठन है।
- वर्ष 1957 में एक संघीय बल के रूप में गठित, RPF रेलवे संपत्ति, यात्री और यात्री क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है।
- RPF कर्मी राष्ट्र की सेवा करते हैं और इसकी टैगलाइन “सेवा संकल्प” – “सेवा करने का वादा” को शामिल करते हुए अपने कर्तव्यों का बढ़-चढ़कर निर्वहन करते हैं
- RPF को अपने रैंकों में महिलाओं की सबसे बड़ी हिस्सेदारी के साथ भारत के संघीय बल होने का गौरव प्राप्त है।
3.भारत ने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में फ्रांस के साथ अधिक सहयोग का आह्वाहन किया और EV व हाइड्रोजन ऊर्जा में हरित रूपांतरण के लिए भारत की योजनाओं को रेखांकित किया:
सामान्य अध्ययन 3:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा।
प्रारंभिक परीक्षा: सीएसआईआर- राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला और इंडो-फ्रेंच कार्यशाला (इन्फनिट) से संबंधित जानकारी।
प्रसंग:
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव ने नई दिल्ली में CSIR- राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला में स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा प्रौद्योगिकी पर इंडो-फ्रेंच कार्यशाला (इन्फनिट) का उद्घाटन किया।
विवरण:
- भारत, स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में फ्रांस के साथ अधिक सहयोग चाहता है।
- सचिव ने इलेक्ट्रॉनिक वाहन और हाइड्रोजन ऊर्जा में हरित रूपांतरण को लेकर केंद्र सरकार की योजनाओं को रेखांकित किया।
- भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र विश्व के सबसे आकर्षक नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों की सूची में चौथे स्थान पर है और सौर ऊर्जा देश में नवीकरणीय ऊर्जा का सबसे प्रमुख स्रोत है।
- भारत सरकार ने 2022 में 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य रखा था।
- सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए एक स्थल के रूप में थार रेगिस्तान का उपयोग करके भारत में 2,100 गीगावाट तक सौर ऊर्जा उत्पादन करने का अनुमान है।
- सचिव ने भारत सरकार की एक अन्य पहल- राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति का उल्लेख किया।
- इसका उद्देश्य 2030 तक पेट्रोल में इथेनॉल का 20 फीसदी सम्मिश्रण और डीजल में बायोडीजल का 5 फीसदी सम्मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
- सचिव ने बताया कि कार्बन कैप्चर और भंडारण ध्यान केंद्रित करने वाला क्षेत्र है और जैसा कि नीति आयोग ने अनुमान लगाया है, सैद्धांतिक रूप से घटते हुए तेल व गैस क्षेत्र, गैर-खनन योग्य कोयला स्तर, खारे जलभृत, बेसाल्ट आदि को देखते हुए भारत में 400-600 GT की कुल भूगर्भीय कार्बन डायऑक्साइड भंडारण क्षमता है।
- उन्होंने कहा कि सरकार ने तेजी से नवीकरणीय ऊर्जा बाजार में देश को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए नीतियां, कार्यक्रम और एक उदार वातावरण तैयार किया है।
- इसके अलावा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने में भी रुचि रखता है।
- भारत को नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों और बुनियादी ढांचे के निर्माण में भारी संवर्द्धन की जरूरत है।
- हरित ऊर्जा उत्पादन, भंडारण व रूपांतरण, विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन, हरित अमोनिया और ऊर्जा भंडारण अवसंरचना के लिए फ्रांस और अन्य G-20 देशों के साथ साझेदारी जरूरी है।
4.IIT-मद्रास को प्रयोगशाला-निर्मित-हीरों [lab-grown diamonds (LGD)] की मशीनरी, बीजों तथा विधि के स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए पांच वर्ष का शोध अनुदान:
सामान्य अध्ययन 3:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रयोगशाला-निर्मित-हीरों [lab-grown diamonds (LGD)] से संबंधित जानकारी।
प्रसंग:
- आम बजट 2023-24 में, प्रयोगशाला-निर्मित-हीरों [lab-grown diamonds (LGD)] की मशीनरी, सीड्स तथा विधि के स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) में से एक के लिए पांच वर्ष का शोध अनुदान दिए जाने की घोषणा की गई।
विवरण:
- सरकार, निर्यात संवर्धन परिषद तथा उद्योग के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति द्वारा IIT-मद्रास की क्षमताओं के एक संयुक्त निर्धारण के बाद इसे यह परियोजना दिए जाने का निर्णय किया गया है।
- लैब-ग्रोन डायमंड्स के लिए भारतीय केंद्र (InCent-LGD) को IIT-मद्रास में पांच वर्षों के लिए 242.96 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है।
- इस परियोजना का लक्ष्य रसायनिक वाष्प जमाव (CVD) तथा उच्च दबाव और उच्च तापमान (HPHT) दोनों प्रणालियों के स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए देश में उद्योगों तथा उद्यमियों को मिशन मोड में तकनीकी सहायता प्रदान करना एवं अपस्ट्रीम छोर पर लैब-ग्रोन डायमंड्स (LGD) के व्यवसाय को विस्तारित करने के लिए विधि तैयार करना है।
- शोध के प्रयासों से स्टार्ट अप्स के लिए किफायती लागत पर प्रौद्योगिकी उपलब्ध होगी, रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी, LGD के निर्यात में बढ़ोतरी होगी और इस प्रकार यह भारत के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- रत्न एवं आभूषण क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था में एक उल्लेखनीय भूमिका का निर्वाह करता है तथा भारत के कुल वस्तु निर्यात में लगभग 9 प्रतिशत का योगदान देता है।
- पिछले दशक के दौरान, वैश्विक स्तर पर रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में कई सकारात्मक घटनाक्रम हुए हैं। इस क्षेत्र में एक प्रमुख प्रौद्योगिकीय घटनाक्रम लैब-ग्रोन डायमंड्स (LGD) का रहा है।
- आभूषण उद्योग के अतिरिक्त, लैब-ग्रोन डायमंड्स (LGD) का उपयोग कंप्यूटर चिप्स, उपग्रहों, 5G नेटवर्कों में किया जाता है क्योंकि उनका उपयोग सिलिकॉन आधारित चिप्स की तुलना में कम बिजली का उपयोग करते हुए उच्च गति पर काम करने की उनकी क्षमता के कारण चरम वातावरणों में किया जा सकता है।
- LGD का रक्षा, ऑप्ट्क्सि, आभूषण, थर्मल एवं चिकित्सा उद्योग में व्यापक अनुप्रयोग है।
- वैश्विक स्तर पर, इसका बाजार 2020 में 1 बिलियन डॉलर का था, लैब-ग्रोन डायमंड्स (LGD) के आभूषणों का बाजार तेजी से बढ़ कर 2025 तक 5 बिलियन डॉलर तक हो जाने एवं 2035 तक 15 बिलियन डॉलर से अधिक हो जाने की उम्मीद है।
- लैब-ग्रोन डायमंड्स (LGD) का उत्पादन उच्च दबाव और उच्च तापमान (HPHT) तथा रसायनिक वाष्प जमाव (CVD) नामक दो प्रौद्योगिकीयों के माध्यम से होता है।
- भारत CVD प्रौद्योगिकी का उपयोग करके लैब-ग्रोन डायमंड्स (LGD) के सबसे अग्रणी उत्पादक देशों में से एक है।
- उद्योग के अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का हिस्सा वैश्विक व्यापार में 25.8 प्रतिशत था। बहरहाल, हमें महत्वपूर्ण, मशीनरी कंपोनेंट तथा ‘सीड्स‘ की आपूर्ति के लिए अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ता है- जो संश्लेषित हीरों के उत्पादन के लिए कच्चा माल है।
- इसलिए, यह अनिवार्य है कि भारत प्राकृतिक हीरों के मामले में आयात पर निर्भरता दूर करने के लिए महत्वपूर्ण मशीनरी कंपोनेंट सीड्स के उत्पादन के लिए अपनी खुद की, स्वदेशी तकनीक विकसित करे।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.1.6 लाख से भी अधिक हवाई यात्रियों ने ‘डिजी यात्रा’ का उपयोग किया है:
- डिजी यात्रा एक बायोमीट्रिक बोर्डिंग सिस्टम है जिसमें‘चेहरे की पहचान तकनीक’ का उपयोग किया जाता है, ताकि हवाई अड्डों पर यात्रियों को निर्बाध और परेशानी मुक्त अनुभव हो सके। चूंकि इसके तहत अनेक टचप्वाइंट्स पर टिकट एवं आईडी का सत्यापन कराने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, इसलिए ऐसे में यात्रियों को कहीं ज्यादा सुखद अनुभव होता है।
- यही नहीं, इसके तहत एक डिजिटल फ्रेमवर्क का उपयोग किया जाता है जिससे मौजूदा बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के जरिए ही तुलनात्मक रूप से ज्यादा यात्रियों का आवागमन सुनिश्चित हो जाता है।
- डिजी यात्रा को समस्त हवाई अड्डों पर चरणबद्ध तरीके से लॉन्च किया जा रहा है।
- प्रथम चरण में इसे दिल्ली, बेंगलुरू और वाराणसी हवाई अड्डों पर लॉन्च किया गया था।
- प्रथम चरण में डिजी यात्रा को मार्च 2023 तक कोलकाता, पुणे, विजयवाड़ा और हैदराबाद हवाई अड्डों पर भी लॉन्च करने की योजना बनाई गई है।
- डिजी यात्रा एक स्वैच्छिक सुविधा है।
- डिजी यात्रा प्रक्रिया में यात्रियों की व्यक्तिगत पहचान योग्य सूचना डेटा का कोई सेंट्रल स्टोरेज नहीं होता है।
- हवाई यात्री के सभी डेटा को एन्क्रिप्ट किया जाता है एवं इसे यात्री के स्मार्टफोन के वॉलेट में स्टोर किया जाता है और इसे केवल एक सीमित समयावधि के लिए यात्रा के आरंभिक या मूल स्थान वाले हवाई अड्डे के साथ साझा किया जाता है जहां यात्री की डिजी यात्रा आईडी को सत्यापित करने की आवश्यकता होती है।
- इस डेटा को उड़ान के 24 घंटे के भीतर ही संबंधित सिस्टम से हटा दिया जाता है।
- 1 दिसंबर 2022 से लेकर 14 फरवरी 2023 तक हवाई अड्डों पर डिजी यात्रा प्रक्रिया का उपयोग करने वाले यात्रियों की कुल संख्या 1.6 लाख से भी अधिक आंकी गई है।
- एंड्रॉयड प्ले स्टोर और आईओएस एप्पल ऐप स्टोर पर डिजी यात्रा के कुल ऐप उपयोगकर्ताओं की संख्या 422000 आंकी गई है।
2.संस्कृति पर G-20 कार्यसमूह (CWG) की पहली बैठक के उद्घाटन सत्र का आयोजन 23 फ़रवरी को मध्य प्रदेश के खजुराहो के महाराजा छत्रसाल कन्वेंशन सेंटर (MCCC) में किया गया:
- संस्कृति पर G-20 कार्यसमूह (CWG) की पहली बैठक के उद्घाटन सत्र का आयोजन 23 फ़रवरी को मध्य प्रदेश के खजुराहो के महाराजा छत्रसाल कन्वेंशन सेंटर (MCCC) में किया गया।
- संस्कृति सतत एवं समावेशी विकास का मार्ग बनाने के उद्देश्य से विभिन्न देशों तथा समुदायों के बीच संबंध बनाने का मंच है।
- G-20 के एजेंडे के भीतर संस्कृति को एकीकृत करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही है और सांस्कृतिक-आर्थिक विकास, सामाजिक सामंजस्य और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए एक शक्तिशाली साधन हो सकती है।
- संस्कृति अधिक अंतर-सांस्कृतिक समझ तथा सहयोग को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकती है, यह विश्व के सामने आने वाली जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक है।
- G-20 संस्कृति ट्रैक सतत जीवन के लिए एक अभियान के रूप में “लाइफ के लिए संस्कृति” के विचार पर बनाया गया है।
- इस विचार का उद्देश्य स्थायी जीवन व्यवहारों को बढ़ावा देना है जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में गहराई से निहित हैं, जैसे कि कृषि, जल संरक्षण और अपशिष्ट प्रबंधन के पर्यावरण अनुकूल तरीके।
- 2023 G-20 की थीम “वसुधैव कुटुम्बकम-एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” विश्व में सभी के लिए एक स्थायी, समग्र और जिम्मेदारी से न्यायपूर्ण और उचित विकास के लिए प्रयास करने का शक्तिशाली संदेश देता है।
- G-20 में संस्कृति कार्यसमूह देशों के बीच एक सेतु का काम करता है और यह समूह मानवीय प्रयासों तथा मानवता को सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखता है क्योंकि संस्कृति हम सभी को जोड़ती है।
- वर्तमान समय में, लैंगिक अधिकारों, महिला समानता पर बहुत बल दिया जाता है लेकिन हड़प्पा युग से संबंधित डांसिंग गर्ल की कांस्य प्रतिमा साफतौर यह दिखाती है कि लैंगिक समानता क्या थी।
- यह दिखाता है कि हमारे देश में हजारों साल पहले भी लैंगिक समानता ने न केवल महिलाओं को मान्यता दी बल्कि उन्हें ऊर्जा के रूप में, देवी रूप में पूजा जाता था।
- भारतीय संस्कृति के बारे में उन्होंने कहा कि भारतीय लोकाचार हमेशा महिलाओं की समानता, पर्यावरण संरक्षण तथा स्थिरता के लिए खड़ा रहा है।
3.भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान ने बोकारो, झारखंड में राजकीय कुक्कुट फार्म से प्राप्त नमूनों से एवियन इन्फ्लुएंजा (H5N1) का पता लगाया:
- 17 फरवरी 2023 को बोकारो, झारखंड में राजकीय कुक्कुट फार्म से प्राप्त नमूनों से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल द्वारा एवियन इन्फ्लुएंजा (H5N1) का पता लगाया गया था और विभाग ने 20 फरवरी 2023 को अधिसूचना जारी की है।
- एवियन इन्फ्लुएंजा रोग के बारे में अंतिम जानकारी जनवरी 2019 के दौरान झारखंड के गोड्डा जिले से प्राप्त हुई थी।
23 February PIB :- Download PDF Here
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