विषयसूची:
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1. हथकरघा और हस्तशिल्प को समर्पित ई-कॉमर्स पोर्टल:
सामान्य अध्ययन: 2
सामाजिक न्याय:
विषय: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन।
प्रारंभिक परीक्षा: ई-कॉमर्स पोर्टल।
प्रसंग:
- केंद्रीय वस्त्र, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने हथकरघा और हस्तशिल्प को समर्पित ई-कॉमर्स पोर्टल को गुजरात में लॉन्च किया।
उद्देश्य:
- हथकरघा और हस्तशिल्प को समर्पित ई-कॉमर्स पोर्टल का उद्देश्य कारीगरों और बुनकरों को आत्मनिर्भर बनाना है।
- बिचौलियों की भूमिका समाप्त करके कारीगर और बुनकर सीधे वर्चुअल स्टोर पर अपने सामान की ब्रिकी कर सकते हैं।
विवरण:
- वस्त्र मंत्रालय ने बिचौलियों की भूमिका समाप्त करते हुए 35 लाख से अधिक हथकरघा बुनकरों और 27 लाख हस्तशिल्प कारीगरों के उत्पाद सीधे उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने के लिए हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र के लिए ई-कॉमर्स पोर्टल बनाया है।
- भारतीय हस्तनिर्मित पोर्टल – वस्त्र, गृह सज्जा, आभूषणों अन्य साजों सामान सहित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। इसके सभी उत्पाद कुशल कारीगरों द्वारा हस्तनिर्मित हैं।
- ये भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करते हैं।
- पोर्टल पर बेचे जाने वाले कई उत्पाद पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ सामग्री का उपयोग करके बनाए गए हैं।
- यह पर्यावरण हितैषी लोगों के लिए बेहतरीन विकल्प है।
- यह भारत में हस्तनिर्मित सभी वस्तुओं के लिए वन-स्टॉप-शॉप है और भारतीय कारीगरों और उनके शिल्प को खोजने और उनका समर्थन करने का उत्कृष्ट माध्यम है।
- पोर्टल कुल 62 लाख बुनकरों और कारीगरों को भविष्य के ई-उद्यमी बनने का अवसर भी प्रदान करेगा।
- भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक शिल्प के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पाद शामिल हैं।
- हथकरघा हाथ से संचालित करघे का उपयोग करके कपड़ा बुनने की प्रक्रिया है, जबकि हस्तशिल्प पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके कुशल कारीगरों द्वारा बनाई गई वस्तुएं हैं।
पोर्टल की कुछ मुख्य विशेषताएं हैं:
- एक प्रामाणिक भारतीय हथकरघा और हस्तकला वर्चुअल स्टोर
- भारतीय कालातीत विरासत की सुगंध
- बाधारहित खरीदारी के लिए वापसी विकल्पों के साथ मुफ़्त शिपिंग
- सुचारु लेनदेन अनुभव के लिए सुरक्षित और भुगतान के लिए कई विकल्प
- इस पोर्टल पर विविध प्रकार के प्रामाणिक विक्रेता पंजीकृत हो सकते हैं, जैसे कारीगर, बुनकर, निर्माता कंपनियां, स्वयं सहायता समूह, सहकारी समितियां आदि।
- विक्रेताओं को कमीशन रहित पूर्ण लाभ
- बिचौलियों का कोई हस्तक्षेप नहीं जिससे भारतीय शिल्पकारों की क्षीण स्थिति में सुधार सुनिश्चित हो सके
- सुचारु ऑर्डर प्रोसेसिंग के लिए कई लॉजिस्टिक पार्टनर्स के साथ एकीकरण
- “व्यापार सुगमता” सुनिश्चित करने के लिए पंजीकरण से ऑर्डर पूरा होने तक विक्रेताओं की मुफ्त सहायता।
- कारीगरों/बुनकरों को एक साझा मंच के माध्यम से सीधे खरीदारों से जोड़ा जाएगा।
2. भूमि अभिलेखों के लिए राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और अन्य उपाय।
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली।
प्रसंग:
- 28 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने भूमि अभिलेखों के सुरक्षित विवरण रखने के लिए राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस) को कार्यान्वित कर लिया है।
उद्देश्य:
- भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) का कहना है कि इन राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में ई-पंजीकरण को प्रमुखता दी जा रही है या फिर राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने उपयोगकर्ता इंटरफेस/एपीआई के माध्यम से एनजीडीआरएस के राष्ट्रीय पोर्टल पर अपना डाटा साझा करना शुरू कर दिया है।
विवरण:
- भूमि संसाधन विभाग के भू सम्पति प्रभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, विशिष्ट भूमि खण्ड पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) या भू-आधार को 26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अंगीकृत किया गया तथा 7 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इसको प्रायोगिक परीक्षण के तौर पर लागू किया गया है।
- कुछ राज्य स्वामित्व पोर्टल में यूएलपीआईएन (गांवों की आबादी का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मानचित्रण) का भी उपयोग कर रहे हैं।
- स्वीकृत 3846 आधुनिक अभिलेख कक्षों (कुल एमआरआर-6866) में से कुल 3297 (85.73%) आधुनिक अभिलेख कक्ष (एमआरआर) स्थापित किए जा चुके हैं।
- भू संसाधन विभाग भारत सरकार द्वारा शत प्रतिशत वित्त पोषण के साथ केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना के रूप में 01.04.2016 से ही डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) को सुचारू चला रहा है।
- इस विभाग ने वर्ष 2022-23 के लिए डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम के संबंध में निर्धारित 239.25 करोड़ रुपये के बजट अनुमान का शत-प्रतिशत व्यय लक्ष्य प्राप्त कर लिया है।
3. ई-श्रम पोर्टल में नई सुविधाओं का शुभारंभ:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन व्यवस्था:
विषय: शासन व्यवस्था पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्वपूर्ण पक्ष, ई- गवर्नेस-अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएं सीमाएं और संभावनाएं।
प्रारंभिक परीक्षा: ई-श्रम पोर्टल।
मुख्य परीक्षा: ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। समलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
प्रसंग:
- केंद्रीय श्रम, रोजगार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने ई-श्रम पोर्टल में नई सुविधाओं का शुभारंभ किया।
उद्देश्य:
- ई-श्रम पोर्टल में जोड़ी गई नई सुविधाएं पोर्टल की उपयोगिता में वृद्धि करेंगी और असंगठित श्रमिकों के पंजीकरण को सरल बनाएंगी।
- ई-श्रम पंजीकृत कामगार अब इस ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से रोजगार के अवसरों, कौशल, अप्रेंटिसशिप, पेंशन योजना, डिजिटल कौशल (स्किलिंग) और राज्यों की योजनाओं से जुड़ सकते हैं।
विवरण:
- इस ई-श्रम पोर्टल में प्रवासी कामगारों के परिवार का विवरण दर्ज करने की सुविधा भी जोड़ी गई है।
- यह सुविधा उन प्रवासी कामगारों के लिए बाल शिक्षा और महिला केंद्रित योजनाएं उपलब्ध कराने में मदद करेगी, जिन्होंने अपने परिवार के साथ प्रवासन किया है।
- इसके अलावा संबंधित भवन और अन्य निर्माण कामगार (बीओसीडब्ल्यू) कल्याण बोर्ड के साथ ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण निर्माण कामगारों के डेटा को साझा करने के बारे में भी नई सुविधा जोड़ी गई है, ताकि संबंधित बीओसीडब्ल्यू बोर्ड के साथ ई-श्रम निर्माण कामगारों का पंजीकरण सुनिश्चित हो और उन्हें अपने मतलब की योजनाओं तक पहुंच उपलब्ध हो सके।
- मंत्री ने औपचारिक रूप से राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के साथ ई-श्रम डेटा को साझा करने के लिए डेटा शेयरिंग पोर्टल (डीएसपी) का भी शुभारंभ किया।
- यह डेटा शेयरिंग पोर्टल ई-श्रम पर पंजीकृत असंगठित कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा/कल्याण योजनाओं के लक्षित कार्यान्वयन के लिए सुरक्षित तरीकों से संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ई-श्रम लाभार्थियों के डेटा को साझा करने की अनुमति प्रदान करेगा।
- अभी हाल में मंत्रालय ने उन ई-श्रम पंजीकरण कराने वाले कामगारों की पहचान करने के लिए ई-श्रम डेटा के साथ विभिन्न योजनाओं के डेटा का मापन शुरू किया है, जिन्हें अभी तक इन योजनाओं का लाभ नहीं मिला है।
- ऐसा डेटा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ भी साझा किया जा रहा है।
- इस डेटा के आधार पर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश उन असंगठित श्रमिकों की पहचान कर सकते हैं, जिन्हें अभी तक विभिन्न सामाजिक कल्याण/सुरक्षा योजनाओं का लाभ नहीं मिला है और उन्हें प्राथमिकता के आधार पर इन योजनाओं का लाभ दिया जा सकता है।
- श्रम और रोजगार मंत्रालय देश में कामगारों के कल्याण के लिए लगातार काम कर रहा है।
- इस प्रयास में, मंत्रालय ने 26 अगस्त 2021 को ईश्रम पोर्टल का शुभारंभ किया था, ताकि असंगठित कामगारों का एक व्यापक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार किया जा सके, जो आधार से जुड़ा हुआ हो।
- 21 अप्रैल 2023 के अनुसार ई-श्रम पोर्टल पर 28.87 करोड़ से अधिक असंगठित कामगारों ने पंजीकरण कराया है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.मलेरिया उन्मूलन पर एशिया-प्रशांत सम्मेलन:
- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने मलेरिया उन्मूलन पर एशिया पैसिफिक लीडर्स कॉन्क्लेव को वर्चुअल तौर पर संबोधित किया।
- मलेरिया न केवल एक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक चुनौती भी है जिसके लिए सभी हितधारकों के सहयोग की आवश्यकता है।
- भारत दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया के अधिक मामलों वाला एकमात्र देश था, जहां 2019 की तुलना में 2020 में मलेरिया के मामलों में गिरावट दर्ज की गई।
- भारत ने 2015-2022 के दौरान मलेरिया के मामलों में 85.1 प्रतिशत की गिरावट और मृत्यु में 83.36 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की।
- प्रधानमंत्री ने 2015 में ईस्ट एशिया समिट में एशिया-पैसिफिक लीडर्स एलायंस के मलेरिया उन्मूलन रोडमैप का समर्थन किया और 2030 तक मलेरिया मुक्त होने के लिए इस क्षेत्र को प्रेरित किया था।
- आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई), आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र, और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन जैसी भारत की स्वास्थ्य पहलों के परिवर्तनकारी प्रभाव के साथ-साथ इसके स्वास्थ्य कर्मियों की पर्याप्त भूमिका के साथ भारत मलेरिया को खत्म करने के अपने प्रयास में अन्य देशों के साथ अपने संसाधनों, ज्ञान और सीख को साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
2.राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम:
- पूरे देश में सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की टेली मेंटल हेल्थ असिस्टेंस एंड नेटवर्किंग एक्रॉस स्टेट्स (टेली-मानस) हेल्पलाइन ने अक्टूबर 2022 में अपने लॉन्च के बाद से एक लाख से अधिक कॉल प्राप्त करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि अर्जित की है।
- विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर 10 अक्टूबर 2022 को भारत के राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया था।
- अपनी स्थापना के बाद से ही इस सेवा का उद्देश्य एक डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना करना रहा है, जिससे मौजूदा मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को बढावा मिला है।
- कोविड महामारी को देखते हुए एक डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य नेटवर्क की तत्काल आवश्यकता महसूस की गई और जिसका उद्देश्य देश के सबसे दूर-दराज हिस्से में भी मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को चौबिसों घंटे उपलब्ध कराना है।
- ये सेवाएं सभी व्यक्तियों के लिए निःशुल्क उपलब्ध हो रही हैं।
- वर्तमान में 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 38 से अधिक टेली मानस सेल कार्य कर रहे हैं और 20 से अधिक भाषाओं में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
- टेली मानस पहल, जिसकी घोषणा केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने केंद्रीय बजट 2022-23 में देश में मानसिक स्वास्थ्य संकट को स्वीकार करते हुए की थी।
- यह कॉल करने वालों की गोपनीयता को बनाए रखते हुए मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के लिए मदद के इच्छुक लोगों के लिए एक अनूठी पहल है।
- इस प्रकार यह पहल मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से घिरे लोगों की परेशानियों को कम कर रही है।
- भारत का राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम क्षमता निर्माण पहल के माध्यम से राष्ट्र के मानसिक स्वास्थ्य कार्यबल के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है।
- इसके साथ-साथ यह सुनिश्चित करता है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं हर घर और हर व्यक्ति तक नि:शुल्क पहुंच सकें और समाज के सबसे कमजोर, वंचित और अंजान तबके को लक्षित कर सकें।
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