विषयसूची:
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1. भारत के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान (2019-20) को जारी किया गया:
सामान्य अध्ययन: 2
स्वास्थ्य:
विषय: स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (National Health Account (NHA)) ।
मुख्य परीक्षा: राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान के महत्व पर प्रकाश डालिये।
प्रसंग:
- नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद के. पॉल ने 2019-20 के लिए भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (एनएचए) अनुमान को जारी किया।
उद्देश्य:
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (एनएचए) में स्वास्थ्य क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश की दिशा में सरकार के प्रयासों को रेखांकित किया गया है।
- इसके निष्कर्षों से पता चलता है कि स्थायी आधार पर विभिन्न संकेतकों ने निरंतर एक उत्साहजनक प्रवृत्ति दिखाई है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान रिपोर्ट में स्वास्थ्य सेवा में आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च (ओओपीई) में कमी जैसे संकेतक, सार्वजनिक व्यय में बढ़ोतरी के साथ चल रहा है।
- इस तरह यह देश में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की उपलब्धि को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
विवरण:
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- डॉ. पॉल ने प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने में किए गए निवेश का उल्लेख किया है।
- “यह रिपोर्ट प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में बढ़े हुए सार्वजनिक व्यय को रेखांकित करती है, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति- 2017 के अनुरूप है, जिसमें यह कहा गया है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय का दो-तिहाई हिस्सा प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणालियों में खर्च होना चाहिए।
- यह 1.6 लाख से अधिक आयुष्मान भारत हेल्थ और वेलनेस सेंटर (एबी-एचडब्ल्यूसी) शुरू करने जैसे जमीनी स्तर पर किए गए महान विकास/पहलों का भी परिणाम है, जो लोगों को बड़ी संख्या में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
- प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्योंकि, यह मूलभूत आधार है जिस पर माध्यमिक और उच्च स्तरीय सेवाएँ कुशलतापूर्वक प्रदान की जा सकती हैं।
- इस रिपोर्ट को तैयार करने में साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने के लिए एकत्र किए गए डेटा के सटीक रिकॉर्ड का उपयोग किया गया है।
- डॉ. पॉल ने प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने में किए गए निवेश का उल्लेख किया है।
- ये अनुमान नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं और विभिन्न संकेतकों की तुलना करने से देश की स्वास्थ्य प्रणाली में हुई प्रगति को दिखाने में सहायता मिलती है।
- इसके अलावा निजी स्वास्थ्य बीमा की हिस्सेदारी भी बढ़ रही है।
- यह बीमा क्षेत्र के मामले में किसी देश के लिए परिपक्वता का एक संकेत दिखाता है क्योंकि, जो लोग इसे वहन कर सकते हैं, वे इसके लिए निजी कंपनियों के पास भी जाएंगे।
- यह प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च स्तरीय सरकारी प्रणाली का पूरक है।
- 2019-20 के लिए जारी NHA का अनुमान, जो कि वार्षिक रूप से जारी रिपोर्ट की श्रृंखला का सातवां संस्करण है, यह साफ तौर पर यह दिखाता है कि स्वास्थ्य सेवा के लिए सरकारी व्यय प्राथमिकता बनी हुई है।
- कुल स्वास्थ्य व्यय (THE) में आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च (ओओपीई) का हिस्सा 62.6 फीसदी से घटकर 47.1 फीसदी हो गया है।
- कुल स्वास्थ्य व्यय के तहत ओओपीई में लगातार गिरावट नागरिकों के लिए वित्तीय सुरक्षा और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज सुनिश्चित करने की दिशा में प्रगति को दिखाती है।
- इस अवधि के दौरान देश के समग्र सकल घरेलू उत्पाद में सरकारी स्वास्थ्य व्यय (जीएचई) की हिस्सेदारी 2014-15 में 1.13 फीसदी से बढ़कर 2019-20 में 1.35 फीसदी हो गई है।
- अगर प्रति व्यक्ति के आधार पर बात की जाए तो जीएचई, 2014-15 से 2019-20 के बीच 1,108 रुपये से दोगुना होकर 2,014 रुपये हो गया है।
- साल 2018-19 और 2019-20 के बीच स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च में 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, जो 2017-18 और 2018-19 के विकास दर 5 फीसदी की तुलना में दोगुने से भी अधिक है।
- इसके अलावा, सामान्य सरकारी व्यय (GGE) के तहत 2014-15 और 2019-20 की अवधि में स्वास्थ्य क्षेत्र के खर्च का हिस्सा 3.94 फीसदी से बढ़कर 5.02 फीसदी हो गया।
- यह स्पष्ट रूप से संकेत करता है कि स्वास्थ्य सेवा देश में सार्वजनिक निवेश की प्राथमिकता रही है।
- स्वास्थ्य पर सरकारी व्यय में बढ़ोतरी परिवारों की ओर से वहन की जाने वाली वित्तीय कठिनाई को कम करने के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
- साल 2014-15 और 2019-20 के बीच देश के कुल स्वास्थ्य व्यय (THE) में GHE की हिस्सेदारी 29 फीसदी से बढ़कर 41.4 फीसदी हो गई।
- चालू सरकारी स्वास्थ्य व्यय (CGHE) में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा की हिस्सेदारी 2014-15 में 51.3 फीसदी से बढ़कर 2019-20 में 55.9 फीसदी हो गई है।
- प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा पर लगातार बढ़ता ध्यान देश में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने के सरकार के निर्णयों की पुष्टि करता है।
- देश के स्वास्थ्य वित्तपोषण क्षेत्र में एक अन्य सकारात्मक प्रवृत्ति स्वास्थ्य सेवा पर सामाजिक सुरक्षा व्यय (SSE) में बढ़ोतरी है।
- सामाजिक सुरक्षा में इस बढ़ोतरी का आउट-ऑफ-पॉकेट भुगतानों को कम करने पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
- एक सुदृढ़ सामाजिक सुरक्षा तंत्र यह सुनिश्चित करता है कि जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने के संबंध में व्यक्तियों को वित्तीय कठिनाई और गरीबी के जोखिम का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- कुल स्वास्थ्य व्यय में स्वास्थ्य पर एसएसई की हिस्सेदारी 2014-15 में 5.7 फीसदी से बढ़कर 2019-20 में 9.3 फीसदी हो गई है।
- इसमें सरकार द्वारा वित्त पोषित स्वास्थ्य बीमा, सरकारी कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति और सामाजिक स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम शामिल हैं.
- डॉ. पॉल ने राज्य सरकारों से अनुरोध किया कि वे अपने कुल बजट के एक हिस्से के रूप में स्वास्थ्य सेवा खर्च में लगभग 8 फीसदी तक बढ़ोतरी करें, जो वर्तमान में कई राज्यों के लिए 4-5 फीसदी है। “यह खर्च नागरिकों को लाभ पहुंचाने के बड़े उद्देश्य के अनुरूप होना चाहिए.”
- केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने चार महत्वपूर्ण संकेतकों जैसे कि जेब से खर्च में कमी, जिसके कारण लोग अब अपनी जेब से कम खर्च कर रहे हैं, को रेखांकित किया।
- यह पिछले कुछ वर्षों में सरकारी स्वास्थ्य व्यय में बढ़ोतरी का भी परिणाम है।
- केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने सामाजिक सुरक्षा व्यय का भी उल्लेख किया, जिसमें सामाजिक स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम, सरकार द्वारा वित्तपोषित स्वास्थ्य बीमा योजनाएं और सरकारी कर्मचारियों को दी जाने वाली चिकित्सा प्रतिपूर्ति शामिल हैं, जो 5 फीसदी से बढ़कर 9.3 फीसदी हो गई है।
- यह एक महत्वपूर्ण विकास है, जो दिखाता है कि भारत के आम लोग के अपने दरवाजे पर स्वास्थ्य सेवा के मामले में बेहतर तरीके से सुसज्जित होने के साथ उन्हें बेहतर सेवाएं प्रदान की गई हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) अनुमानों के बारे में:
- 2019-20 के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (एनएचए) अनुमान का सातवां संस्करण है।
- इसकी रिपोर्ट एनएचएसआरसी ने तैयार की है, जिसे 2014 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने नेशनल हेल्थ अकाउंट्स टेक्निकल सेक्रेटेरिएट (NHATS) का दर्जा दिया था।
- एनएचए के ये अनुमान विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की विकसित स्वास्थ्य लेखा प्रणाली- 2011 के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत मानक के आधार पर एक लेखा ढांचे का उपयोग करके तैयार किए जाते हैं।
- एनएचए के मौजूदा अनुमान के जारी होने के साथ अब भारत के पास 2013-14 से लगातार 2019-20 तक के अनुमान उपलब्ध हैं।
- इन आंकड़ों की न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुलना की जा सकती है, बल्कि इनसे नीति निर्माताओं को देश के अलग-अलग वित्तीय स्वास्थ्य सूचकांकों में प्रगति की निगरानी करने में भी सहायता मिलेगी।
2. भारत शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच, उनकी संरचना, अधिदेश।
प्रारंभिक परीक्षा: शंघाई सहयोग संगठन।
प्रसंग:
- भारत 2023 में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के अध्यक्ष के रूप में नई दिल्ली में 28 अप्रैल 2023 को शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा।
उद्देश्य:
- रक्षा मंत्री अन्य मुद्दों के अलावा क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा, शंघाई सहयोग संगठन के भीतर आतंकवाद विरोधी प्रयासों और एक प्रभावी बहुपक्षवाद से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
विवरण:
- सदस्य देशों के अलावा, दो पर्यवेक्षक देश बेलारूस और ईरान भी 28 अप्रैल 2023 को शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे।
- वर्ष 2023 में भारत की शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता का विषय ‘शंघाई सहयोग संगठन को सुरक्षित करना’ है।
- भारत इस क्षेत्र में बहुपक्षीय, राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और लोगों से लोगों के बीच संपर्क को प्रोत्साहन देने में शंघाई सहयोग संगठन को विशेष महत्व देता है।
- शंघाई सहयोग संगठन के साथ चल रहे संपर्क ने भारत को उस क्षेत्र के देशों के साथ अपने संबंधों को प्रोत्साहन देने में सहायता की है जिसके साथ भारत ने सभ्यतागत संबंध साझा किए हैं, और इसे भारत का विस्तारित पड़ोस माना जाता है।
- शंघाई सहयोग संगठन सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, सभी सदस्य देशों की समानता और उनमें से प्रत्येक की राय के लिए आपसी समझ और सम्मान के सिद्धांतों के आधार पर अपनी नीति का पालन करता है।
- रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान भाग लेने वाले देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे।
पृष्ठ्भूमि:
- शंघाई सहयोग संगठन (SCO) 2001 में स्थापित एक अंतर सरकारी संगठन है।
- शंघाई सहयोग संगठन की सदस्यता में भारत के अलावा कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं।
3. ‘स्वागत’ पहल के 20 वर्ष पूर्ण:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और अन्य उपाय।
प्रारंभिक परीक्षा: स्वागत (SWAGAT – State Wide Attention on Grievances by Application of Technology)।
मुख्य परीक्षा: ‘स्वागत’ (SWAGAT) ने लोगों के जीवन में परिवर्तनकारी प्रभाव डाला। कथन की व्याख्या कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री 27 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात में ‘स्वागत’ (SWAGAT) पहल के 20 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेंगे।
उद्देश्य:
- इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्रौद्योगिकी का उपयोग करके नागरिकों की दिन-प्रतिदिन की शिकायतों को त्वरित, कुशल और समयबद्ध तरीके से हल करके उनके और सरकार के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करना था।
- समय के साथ, ‘स्वागत’ ने लोगों के जीवन में परिवर्तनकारी प्रभाव डाला और यह कागजरहित, पारदर्शी एवं बाधा-मुक्त तरीके से समस्याओं को हल करने का एक प्रभावी उपकरण बन गया।
विवरण:
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- स्वागत (SWAGAT – State Wide Attention on Grievances by Application of Technology) की शुरुआत अप्रैल 2003 में प्रधानमंत्री द्वारा उस समय की गई थी, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
- इस कार्यक्रम की शुरुआत उनके इस विश्वास से प्रेरित थी कि एक मुख्यमंत्री की सबसे बड़ी जिम्मेदारी अपने राज्य के लोगों की समस्याओं को हल करना है।
- इस संकल्प व जीवनयापन को आसान बनाने की प्रौद्योगिकी की क्षमताओं को काफी पहले ही पहचान लेने के साथ, तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने अपनी तरह के पहले तकनीक-आधारित इस शिकायत निवारण कार्यक्रम को शुरू किया था।
- ‘स्वागत’ की विशिष्टता यह है कि यह आम आदमी को अपनी शिकायतें सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचाने में मदद करता है। यह हर महीने के चौथे गुरुवार को आयोजित किया जाता है जिसमें मुख्यमंत्री शिकायत निवारण के लिए नागरिकों के साथ बातचीत करते हैं।
- यह शिकायतों के त्वरित समाधान के जरिए आम लोगों और सरकार के बीच की खाई को पाटने में सहायक रहा है।
- इस कार्यक्रम के तहत, यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रत्येक आवेदक को निर्णय के बारे में सूचित किया जाए। अब तक दर्ज की गई 99 प्रतिशत से अधिक शिकायतों का समाधान किया जा चुका है।
- स्वागत (SWAGAT – State Wide Attention on Grievances by Application of Technology) की शुरुआत अप्रैल 2003 में प्रधानमंत्री द्वारा उस समय की गई थी, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
- ‘स्वागत’ ऑनलाइन कार्यक्रम के चार घटक हैं: राज्य स्वागत, जिला स्वागत, तालुका स्वागत और ग्राम स्वागत।
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- राज्य स्वागत के दौरान मुख्यमंत्री स्वयं जनसुनवाई में शामिल होते हैं।
- जिला कलेक्टर जिला स्वागत का प्रभारी होता है, जबकि मामलातदार और संवर्ग-1 स्तर का एक अधिकारी तालुका स्वागत का प्रमुख होता है।
- ग्राम स्वागत में, नागरिक हर महीने की 1 से 10 तारीख तक तलाटी/मंत्री के पास आवेदन दाखिल करते हैं।
- ये आवेदन निवारण के लिए तालुका स्वागत कार्यक्रम में शामिल होते हैं।
- इसके अलावा, नागरिकों के लिए एक लोक फरियाद कार्यक्रम भी चल रहा है, जिसमें वे स्वागत इकाई में अपनी शिकायतें दर्ज कराते हैं।
- ‘स्वागत’ ऑनलाइन कार्यक्रम को सार्वजनिक सेवा में पारदर्शिता, जवाबदेही और अनुक्रियाशीलता को बेहतर बनाने के लिए 2010 में संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार सहित कई पुरस्कार दिए गए हैं।
पृष्ठ्भूमि:
- गुजरात सरकार इस पहल के 20 वर्ष सफलतापूर्वक पूरा होने पर ‘स्वागत सप्ताह’ मना रही है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.यूरिक एसिड का पता लगाने वाला नव निर्मित बायो- इलेक्ट्रॉनिक उपकरण:
- यूरिक एसिड का पता लगाने के लिए एक नया लचीला बायो-इलेक्ट्रॉनिक यूरिक एसिड जांच उपकरण बनाया गया है जिसका उपयोग पहनने योग्य सेंसर और पॉइंट-ऑफ-केयर नैदानिक परीक्षण (डायग्नोस्टिक्स) जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए किया जा सकता है।
- यूरिक एसिड सबसे महत्वपूर्ण एंटीऑक्सिडेंट में से एक है जो रक्तचाप की स्थिरता को बनाए रखता है और जीवित प्राणियों में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है।
- रक्त में यूरिक एसिड की सामान्य सीमा 0.14 से 0.4 एमएमओएल डीएम-3 और मूत्र के लिए 1.5 से 4.5 एमएमओएल डीएम-3 होती है ।
- यद्यपि इसके उत्पादन और उत्सर्जन के बीच संतुलन की कमी के कारण यूरिक एसिड के स्तर में उतार-चढ़ाव हाइपरयूरिसीमिया जैसी कई बीमारियों का कारण बनता है, जो बदले में गठिया (गाउट रोग), टाइप 2 मधुमेह, लेश-नाइहन सिंड्रोम, उच्च रक्तचाप और गुर्दे संबंधी विकार एवं हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ा सकता है।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान (इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी– आईएएसएसटी) के शोधकर्ताओं ने शून्य-आयामी कार्यात्मक नैनोस्ट्रक्चर के एक नए वर्ग में अद्वितीय भौतिक रासायनिक और सतह गुणों के साथ कम फॉस्फोरिन क्वांटम डॉट्स से बने इस उपकरण का निर्माण किया।
- क्वांटम डॉट्स बायोमेडिकल अनुप्रयोगों में विशिष्ट विद्युत प्रदर्शन दिखाते हैं और इसलिए इसका उपयोग उच्च- प्रदर्शन वाले विद्युत बायोसेंसर बनाने में किया जा सकता है।
2.अभ्यास कोप इंडिया-2023 का कलाईकुंडा में समापन:
- वायु सेना अभ्यास कोप इंडिया-2023 का छठा संस्करण दो सप्ताह से कलाईकुंडा, पानागढ़ और आगरा स्थित वायु सेना स्टेशनों में आयोजित किया गया था।
- यह भारतीय वायु सेना (IAF) और अमरीका की वायु सेना (USAF) के बीच नियमित एक वायु अभ्यास का हिस्सा है, जिसका समापन 24 अप्रैल 2023 को हुआ।
- इस अभ्यास में भारतीय वायु सेना की तरफ से रफाल, तेजस, सुखोई-30एमकेआई , जगुआर, सी-17 और सी-130 जैसे अग्रिम पंक्ति के विमानों ने हिस्सेदारी की थी।
- अमरीका की वायु सेना की ओर से एफ-15 ‘स्ट्राइक ईगल’ लड़ाकू विमान, सी-130, एमसी-130जे, सी-17 और बी1बी जैसे सामरिक बमवर्षक विमानों ने भाग लिया।
- इस अभ्यास में जापान की एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स के वायु कर्मियों ने भी पर्यवेक्षकों के रूप में भाग लिया।
- इस संयुक्त अभ्यास ने सभी देशों के प्रतिभागियों द्वारा अपने विचारों को साझा करने और आपसी सहयोग, आदान-प्रदान तथा संयुक्त मिशन के माध्यम से सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को आत्मसात करके सीखने का बहुमूल्य अवसर प्रदान किया।
- अभ्यास के दौरान मित्रता एवं भाईचारे की भावना को सशक्त करने के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी कार्यक्रम आयोजित किया गया।
- यह अभ्यास दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच अंतर-राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने वाली दो वायु सेनाओं के मध्य संबंधों को बेहतर बनाए रखने तथा इसे और मजबूत करने के लिए गहरी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
3.चोल काल की चोरी हुई मूर्ति पुनः प्राप्त की गई:
- चोल काल से संबंधित भगवान हनुमान जी की चोरी की गई मूर्ति को पुनः प्राप्त कर लिया गया है और इस प्रतिमा को तमिलनाडु के आइडल विंग को सौंप दिया गया है।
- तमिलनाडु के अरियालुर जिले के पोट्टावेली वेल्लूर में स्थित श्री वरथराजा पेरुमल के विष्णु मंदिर से भगवान हनुमान की मूर्ति को चुरा लिया गया था।
- यह प्रतिमा उत्तर चोल काल (14वीं-15वीं शताब्दी) से संबंधित है। 1961 में “पांडिचेरी के फ्रांसीसी संस्थान” द्वारा इसे प्रलेखित किया गया था।
- कैनबरा में भारत के उच्चायुक्त को इस प्रतिमा को सौंपा गया।
- फरवरी, 2023 के अंतिम सप्ताह में इस प्रतिमा को भारत लौटा दिया गया और 18.04.2023 को केस प्रॉपर्टी के रूप में तमिलनाडु के आइडल विंग को सौंप दिया गया।
- भारत सरकार देश के भीतर राष्ट्र की पुरातन विरासत को सुरक्षित रखने की दिशा में कार्य कर रही है और अतीत में अवैध रूप से विदेश ले जाए गए पुरावशेषों को वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
- अब तक 251 पुरावशेषों को विभिन्न देशों से वापस लाया गया है, जिनमें से 238 को वर्ष 2014 के बाद से स्वदेश लाया गया है।
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